Saas ki chudai – Suhagraat story: मेरा नाम रविराम है, और दोस्तों, मेरे 9 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड की वजह से मुझे गली-मोहल्ले में ‘लंडधारी’ रवि के नाम से पुकारते हैं। कुछ शरारती लोग तो मुझे मस्तराम भी कहते हैं, और सच कहूं तो ये नाम मुझे बुरा नहीं लगता। मेरा लंड ऐसा है कि जब ये तनकर खड़ा होता है, तो किसी भी चूत का पानी निकालकर ही चैन लेता है। अब तक मैंने ना जाने कितनी कुंवारी लड़कियों की सील तोड़ी और शादीशुदा औरतों की चूत की प्यास बुझाई। मेरी मम्मी तक मेरे इस पठानी लंड की दीवानी हैं। मेरे पापा ज्यादातर काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, और मैं बचपन से देखता आया हूँ कि मम्मी की चूत कितनी प्यासी रहती है। पापा के कहने पर मम्मी अपनी चूत की झांटें हमेशा साफ रखती हैं, और अब तो वो मेरे लंड की ऐसी आदी हो चुकी हैं कि जब पापा घर नहीं होते, हम दिन-रात कई बार चुदाई कर लेते हैं। बस हो, ट्रेन हो, या रिक्शा, मम्मी सबसे छुपाकर मेरा लंड पकड़ लेती हैं, उसे सहलाती हैं, और उसकी लंबाई-मोटाई की तारीफ करती नहीं थकतीं। जब मेरा लंड किसी चूत या गांड में जड़ तक घुसता है, तो दोनों को ऐसा मजा आता है कि बस पूछो मत।
आज मैं जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी सास मां, सुनीता जी, की चुदाई की है, वो भी मेरी शादी के दिन। ये कहानी इतनी मस्त है कि सुनकर तुम्हारा लंड भी सलामी देने लगेगा। एक तांत्रिक की वजह से मुझे अपनी सास के साथ सुहागरात मनानी पड़ी, और यकीन मानो, उस रात का मजा जन्नत से कम नहीं था। मैंने पहले कभी चूत का ऐसा गहरा मजा नहीं लिया था, और उस दिन मौका ऐसा आया कि मैंने अपनी सास के साथ चुदाई की, और अगले दिन अपनी बीवी, कविता, के साथ। लेकिन सच कहूं, सास की चुदाई में जो आग थी, वो कहीं और नहीं मिली। उनकी चूत आज भी इतनी टाइट है कि लगता ही नहीं कि उनकी उम्र 40 साल है। उनके गोरे-गोरे, गोल-गोल, टाइट मम्मे, गुलाबी होंठ, और जब वो चलती हैं, तो उनकी गांड का हिलना ऐसा है कि मेरा लंड खड़ा होकर तालियां बजाने लगता है।
सुनीता जी 40 साल की हैं, लेकिन देखने में 30 की लगती हैं। उनका फिगर 36-30-38 का है, गोरी चमड़ी, लंबा कद, और चूत की टाइटनेस ऐसी कि किसी कुंवारी से कम नहीं। उनकी बेटी, मेरी बीवी कविता, 22 साल की है, और उसका फिगर 34-28-36 का है। कविता भी अपनी मां की तरह खूबसूरत और मॉडर्न है, उसकी चूत गुलाबी और रसीली है, जो मुझे पहली बार देखते ही पसंद आ गई थी। मेरे ससुर का देहांत 15 साल पहले हो गया था, और कविता उनकी इकलौती संतान है। सुनीता जी ने कविता को बड़े लाड़-प्यार से पाला, और धन-दौलत की कोई कमी नहीं थी। उनका वसंत कुंज में एक शानदार फ्लैट है, जहां मैं शादी के बाद रहने चला गया।
मेरी और कविता की शादी दिल्ली में कोर्ट मैरिज थी। मैंने अपने मां-बाप से छुपकर ये शादी की, क्योंकि वो कविता को पसंद नहीं करते थे। शादी का दिन बड़ा खास था। दोपहर 2 बजे कोर्ट में रजिस्टर हो गया, फिर हम मंदिर गए और सात फेरे लिए। शादी गुपचुप तरीके से हुई थी, कोई तामझाम नहीं, बस हम तीनों—मैं, कविता, और सुनीता जी। शाम को हम एक फाइव स्टार होटल में खाना खाने गए। कविता ने लाल साड़ी पहनी थी, और सुनीता जी ने क्रीम रंग की साड़ी, जिसमें उनकी क्लीवेज साफ दिख रही थी। खाना खाकर हम घर की ओर निकले, लेकिन रास्ते में अचानक कविता की तबीयत बिगड़ गई। वो बेहोश हो गई। मैं और सुनीता जी घबरा गए और उसे तुरंत नजदीकी हॉस्पिटल ले गए।
हॉस्पिटल पहुंचते-पहुंचते कविता पूरी तरह बेहोश थी। डॉक्टर ने चेक किया और बताया कि उसे होश आने में कम से कम 12 घंटे लगेंगे। उसे आईसीयू में भर्ती कर लिया गया, और हमें सुबह 8 बजे तक मिलने की इजाजत नहीं थी। सुनीता जी ने उदास चेहरा बनाकर कहा, “बेटा, अब यहाँ रुकने से क्या फायदा? घर चलते हैं, वैसे भी फ्लैट यहाँ से बस 200 मीटर दूर है।” हम पैदल ही उनके वसंत कुंज वाले फ्लैट की ओर चल पड़े। रास्ते में सुनीता जी चुप थीं, और मैं भी सोच रहा था कि मेरी सुहागरात का क्या होगा।
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घर पहुंचते ही सुनीता जी की आंखें भर आईं। वो बोलीं, “ये क्या हो गया, रवि? आज तुम्हारी जिंदगी का सबसे खास दिन था। सुहागरात की रात, और देखो, किस्मत ने क्या कर दिया।” उनकी आवाज में दर्द था, और वो रोने लगीं। मैंने उन्हें चुप कराने की कोशिश की। जैसे ही मैं उनके पास गया, वो मुझसे लिपट गईं। उनका गर्म बदन मेरे सीने से चिपक गया। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया था, और उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां मेरे सीने पर दब रही थीं। मैं उनकी पीठ सहलाने लगा, और उनके मुलायम बालों को छूते हुए उन्हें सांत्वना देने की कोशिश की। लेकिन तभी मेरा लंड खड़ा होने लगा। उनकी चूचियों का दबाव और उनकी गर्म सांसें मुझे उत्तेजित कर रही थीं। मुझे डर था कि कहीं वो बुरा न मान लें, लेकिन हुआ इसका उल्टा।
सुनीता जी ने मेरे गाल पर एक हल्का सा चुम्मा लिया। फिर धीरे-धीरे उनके होंठ मेरे होंठों की तरफ बढ़े। उनके गुलाबी होंठ मेरे होंठों से टकराए, और एक गर्म सिहरन मेरे पूरे बदन में दौड़ गई। मैंने भी अब खुद को रोकना छोड़ दिया। मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू किया, और वो मेरी पीठ को सहलाने लगीं। उनकी साड़ी का पल्लू अब पूरी तरह सरक चुका था, और उनकी गहरी क्लीवेज मेरे सामने थी। मैंने उनके कंधों को पकड़ा और उन्हें और करीब खींच लिया। तभी वो अचानक पलटीं, और उनकी भारी गांड मेरे टाइट लंड से टकरा गई। मेरा लंड उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी गांड की दरार में सट गया। मैंने उनके पेट पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उनकी नाभि की तरफ बढ़ने लगा। वो सिहर रही थीं, और उनकी सांसें तेज हो गई थीं।
“आआह… रवि… ये क्या कर रहे हो?” सुनीता जी ने धीमी आवाज में कहा, लेकिन उनकी आवाज में विरोध नहीं, बल्कि एक अजीब सी उत्तेजना थी। मैंने उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत को हल्के से सहलाया। वो तड़प उठीं और बोलीं, “बेटा… आज कविता नहीं है… आज तू मेरे साथ ही सुहागरात मना ले।” ये सुनकर मेरे होश उड़ गए। वो मुझे हाथ पकड़कर बेडरूम में ले गईं। वहां पहुंचते ही उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोल दिए और मेरी पैंट की जिप खींच दी। मैंने उनकी साड़ी का पल्लू पूरी तरह उतार दिया, और वो अब सिर्फ क्रीम रंग की ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। उनकी ब्लाउज में कैद टाइट चूचियां बाहर निकलने को बेताब थीं। मैंने उनका ब्लाउज खोला, और उनकी काली ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को दबाने लगा। वो कराह रही थीं, “आआह… रवि… और जोर से… दबा दे इन्हें…”
मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, और उनके गोरे-गोरे, गोल-गोल मम्मे मेरे सामने थे। उनके निप्पल गुलाबी और सख्त थे। मैंने एक निप्पल को मुंह में लिया और चूसना शुरू किया। “आआह… उफ्फ… रवि… पी ले… और जोर से पी…” वो सिसकारियां ले रही थीं। मैंने उनके दूसरे मम्मे को दबाते हुए उसका निप्पल चूसा, और वो मेरे बालों में उंगलियां फिराने लगीं। फिर मैं नीचे सरका और उनकी नाभि पर जीभ फिराने लगा। वो खिलखिलाकर हंसने लगीं, “हट… गुदगुदी हो रही है… रवि, प्लीज…” लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उनका पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, और उनकी काली पैंटी मेरे सामने थी। मैंने पैंटी को सूंघा, और उसकी खुशबू ने मुझे पागल कर दिया।
मैंने उनकी पैंटी धीरे-धीरे उतारी, और उनकी चूत मेरे सामने थी। हल्के-हल्के बालों से सजी, गुलाबी और गीली चूत। मैंने उसे छुआ, तो वो गर्म और चिपचिपी थी। मैंने उनकी चूत पर जीभ रखी और चाटना शुरू किया। “आआह… उफ्फ… रवि… और चाट… आआह…” वो जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थीं। मैंने उनकी चूत के दाने को चूसा, और वो तड़प उठीं। “बेटा… अब और मत तड़पाओ… मुझे तेरा लंड चाहिए…” वो बोलीं। मैंने पलटकर 69 की पोजीशन ले ली। मेरा लंड उनके मुंह में था, और मेरा मुंह उनकी चूत पर। वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं, और मैं उनकी चूत को चाट रहा था। उनकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं उनकी चूत के रस को पी रहा था। तभी उनकी सांसें तेज हुईं, और वो अंगड़ाई लेते हुए झड़ गईं। “आआह… रवि… मैं गई…” उनका पानी मेरे मुंह में था, और मैंने उसे चाट लिया। तभी मैं भी झड़ गया, और मेरा वीर्य उनके मुंह में भर गया। वो उसे पी गईं और बोलीं, “कितना नमकीन है तेरा माल…”
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हम दोनों थोड़ा रुके। सुनीता जी फ्रिज से अंगूर लाईं, और हम नंगे ही बेड पर लेटकर अंगूर खाने लगे। वो मेरे सीने पर सर रखकर लेटी थीं, और मैं उनकी गांड को सहला रहा था। धीरे-धीरे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उनकी दोनों टांगें उठाईं और अपनी कमर के बीच रखीं। मेरा लंड उनकी चूत के मुहाने पर था। मैंने धीरे से धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी टाइट चूत में घुस गया। “आआह… रवि… धीरे… तेरा लंड बहुत मोटा है…” वो चीख पड़ीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ देने लगीं। “चोद दे… रवि… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत को…” वो गंदी बातें करने लगीं, और मैं और जोश में आ गया।
“सुनीता जी… आपकी चूत तो जन्नत है…” मैंने कहा और धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। “आआह… उफ्फ… चोद… और जोर से… आआह…” उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड पेल दिया। उनकी गांड मेरे धक्कों से थरथरा रही थी। “पच… पच… पच…” लंड और चूत के टकराने की आवाज पूरे कमरे में थी। मैंने उनकी गांड पर एक हल्का सा थप्पड़ मारा, और वो सिहर उठीं। “हाय… रवि… और मार… और चोद…” वो चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी चूत को 10 मिनट तक घोड़ी बनाकर चोदा, फिर उन्हें बेड पर लिटाया और मिशनरी पोज में चुदाई शुरू की। उनकी टांगें मेरे कंधों पर थीं, और मेरा लंड उनकी चूत की गहराई में उतर रहा था।
“आआह… रवि… तेरा लंड मेरी बच्चेदानी को छू रहा है…” वो सिसकारियां ले रही थीं। मैंने उनकी चूचियों को दबाते हुए धक्के मारे, और वो एक बार फिर झड़ गईं। “आआह… मैं गई… रवि…” उनका पानी मेरे लंड को भिगो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई और आखिरकार मैं भी झड़ गया। मेरा गर्म वीर्य उनकी चूत में भर गया। हम दोनों हांफते हुए एक-दूसरे से लिपट गए।
रात भर हमने अलग-अलग पोज में चुदाई की। कभी मैंने उन्हें गोद में उठाकर चोदा, कभी वो मेरे लंड पर उछल-उछलकर चुदवाने लगीं। सुनीता जी की चूत की गर्मी और टाइटनेस ने मुझे पागल कर दिया था। सुबह होने तक हम थककर चूर हो गए थे। अगले दिन कविता हॉस्पिटल से वापस आ गई, और अब हम तीनों एक सुखी वैवाहिक जीवन जी रहे हैं।
दोस्तों, ये थी मेरी सास मां के साथ सुहागरात की कहानी। आपको कैसी लगी, जरूर बताइएगा।
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