हाय दोस्तो, मेरा नाम निमिषा शर्मा है.. मैं 26 साल की हूँ और मैं बहुत दिनों से My Hindi Sex Stories पर व्यस्क कहानियाँ पढ़ रही हूँ.. तो मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी sexy story आप लोगों के साथ शेयर करूँ। यह मेरी virgin sex kahani है और ये सब My Hindi Sex Stories पर बताने के लिए मेरे फ्रेण्ड ने मुझको बताया है।
वैसे मैं कोई अश्लील शब्द का प्रयोग नहीं करती हूँ पर यहाँ की कहानियों में मैंने लण्ड.. चूत.. और चुदाई जैसे शब्दों का प्रयोग होते देखा है जिससे वास्तव में My Hindi Sex Stories अपने नाम को सिद्ध करती है और इसी को देखते हुए मैंने भी ऐसे शब्दों को इस्तेमाल किया किया है.. उसके लिए सॉरी..
अब कहानी पर आती हूँ।
आज मेरा फिगर 32-30-34 का है.. बहुत से लड़के मुझ पर आज भी मरते हैं..
उस वक्त मेरा गोरा बदन.. 28-24-28 का मोहक फिगर.. उम्र 20 की थी, मेरा पूरा बदन भरा-पूरा था, मेरे काले घने बाल लेकिन छोटे थे।
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उसी कालखण्ड में कहानी लिख रही हूँ।
बहुत से लड़के मुझ पर मरते हैं.. बाकी लड़कों के साथ मेरे पड़ोस में ब्यूटी पार्लर वाली आंटी का लड़का भी था।
मैं 12वीं क्लास में पढ़ती हूँ और मेरी आंटी का लड़का अभिषेक भी मेरे साथ मेरे स्कूल में ही 12वीं क्लास में पढ़ता है, स्कूल की बहुत सी लड़कियाँ उस पर मरती हैं।
मैं उसे अभि कह कर बुलाती हूँ और हम दोनों साथ ही स्कूल जाते हैं, इस तरह लगभग सारा समय इकट्ठे ही बिताते है। हम दोनों अच्छे दोस्त थे.. इस वजह से अभि अक्सर हमारे घर आता-जाता था।
एक दिन मेरे-स्कूल में बायो का प्रैक्टिकल चल रहा था। मैं और मेरी फ्रेण्ड वीणा साथ में ही थे। यह मेरे इम्तिहानों का फाइनल वाला प्रैक्टिकल था।
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मैं और वीणा अपनी ही मस्ती में थे, हम दोनों मेंढक के नीचे वाले अंग देख रहे थे। ओहह.. अब आप से क्या छुपाना.. मैं और वीणा मेंढक के पप्पू महाराज के दीदार कर रहे थे।
तभी वीणा ने कहा- इतने से लण्ड से क्या करता होगा मेंढक?
मेरे मुँह से निकल पड़ा- उसकी मेंढकी से जा कर पूछ.. जिसकी चूत में ये जाता है.. वो ही बताएगी।
इस बात को उसके ब्वॉय-फ्रेण्ड ने सुन ली और वो हमारे पास आकर बोला- निमिषा तुम्हारा तो पता नहीं पर.. वीणा को सब पता है कि कैसा मज़ा आता है।
मैं यह सुन कर थोड़ी सी भौंचक्की रह गई।
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बाद में वीणा ने मुझे बताया कि वो उसके साथ चुदाई का मज़ा ले चुकी है और वो भी स्कूल में ही चुदी थी।
मैं उसकी बात सुन कर गर्म हो चुकी थी और मेरा मन कर रहा था कि कोई आकर मेरी भी चूत में अपना लण्ड डाल दे..
पता नहीं इस ख़याल में मेरा हाथ पता नहीं कब चूत पर चला गया.. और मैं उसको सहलाने लगी।
उस वक्त मेरी मुन्नी पर बाल थे..
तभी वीणा ने मुझको बोला- चल तुझको ठंडी कर देती हूँ।
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मैं मना किया.. लेकिन वो मानी नहीं और मुझे टॉयलेट में ले गई।
उस वक्त वहाँ कोई नहीं था.. क्योंकि स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी।
मैं वहाँ गई.. तो उसने जाते ही मेरी पैन्टी और सलवार एक झटके में उतार दिया। मैं हैरान थी कि वो करना क्या वाली है। उसके बाद वो मेरी मुन्नी को सहलाने लगी.. कभी वो अपनी उंगली मेरी चूत में अन्दर कर दी.. कभी बाहर..
मैं अपने होश में नहीं थी.. पर मुझे मज़ा आ रहा था।
बस 5 मिनट में ही मेरी मुन्नी ने पानी छोड़ दिया और वीणा ने अपने रूमाल से मेरी मुन्नी को साफ़ किया।
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उसके बाद बोली- चूत की सफाई नहीं करती है क्या?
मैंने कहा- रोज़ तो नहाती हूँ.. और साबुन से रोज चूत साफ़ करती हूँ।
वो बोली- पागल बचपन वाली सफाई नहीं.. बड़ी वाली।
मैं समझी नहीं कि वो कहना क्या चाहती है।
उसने बोला- तू ऐसे ही खड़ी रह और अपनी आँखें बंद कर ले।
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जैसा वो बोली.. मैंने किया.. तभी मुझे लगा कि मेरी चूत पर कुछ चल रहा है.. लेकिन मैं देख नहीं पाई.. क्योंकि उसने मेरी आँखों पर रूमाल बाँध दिया था।
मैंने रूमाल हटाया तो देखा.. मेरी मुन्नी का वो आधा मुंडन कर चुकी है।
मैंने उससे बोला- क्या कर रही है..?
बोली- तेरी मुन्नी को बड़ा बना रही हूँ।
कुछ ही देर में उसने मेरी मुन्नी को पूरी तरह से गंजा कर दिया। पहली बार मैंने अपनी चूत को बिना बालों के देखा था। बहुत प्यारी लग रही थी। उसके बाद वो और मैं क्लास में वापस आ गए।
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प्रैक्टिकल हुआ और सब घर जाने को रेडी हो गए.. मैं.. अभि.. वीणा और उस का ब्वॉय-फ्रेण्ड ही रह गए थे।
वीणा बोली- निमिषा तुम जाओ.. मैं थोड़ा सा लेट आऊँगी।
मैं समझ गई.. और बोला- ठीक है..
उसके बाद मैं ओर अभि जाने लगे कि तभी अभि को कुछ काम याद आ गया, वो बोला- निमिषा तुम चलो.. मैं अभी आता हूँ… मुझे कुछ काम है।
मैंने बोला- ठीक है।
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मैं चलने लगी.. तभी मुझे वीणा की याद आई कि देखना चाहिए कि वो वहाँ कर क्या रही है?
मैंने सोचा वापस जा कर देखती हूँ कि माज़रा क्या है।
मैं वापस स्कूल में गई.. सब जगह देखा.. पर मुझे वो दोनों नहीं दिखे।
मैं वापस आने लगी.. तभी कुछ ‘खुस्स फुस्स’ की आवाजें आ रही थी- आराम से डालो.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी.. आह्ह..
मैंने वापस जाकर देखा कि वीणा पूरी नंगी थी और कपिल वीणा का ब्वॉय-फ्रेण्ड भी नंगा था। वीणा उसकी गोद में बैठी थी.. और पागलों की तरह उछल रही थी।
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उन दोनों को कुछ भी होश नहीं था कि मैं भी यहाँ हूँ।
दस मिनट तक वो उसकी गोद में मज़े ले रही थी। उसके बाद वीणा उसके कान में कुछ बोली तो कपिल ने उसको गोद से उतार कर बड़े वाले डेस्क पर ले गया और वहाँ लिटा दिया। उसके बाद कपिल अपना लौड़ा उसकी चूत में डालने लगा।
इस चुदाई को देख कर मैं भी पागल हो गई थी.. ये क्योंकि पहली बार था जब मैंने किसी लड़के का लौड़ा रियल में देखा था… वो भी अपनी बेस्ट फ्रेण्ड की चुदाई करते हुए।
उसके बाद कपिल वीणा के ऊपर चढ़ गया और तेज-तेज झटके देने लगा। वीणा पागलों की तरह.. कभी किस करती.. कभी अपने मम्मों को दबाती.. कभी कुछ करती..
कपिल ने अपना लण्ड आराम से निकाला और एकदम से उसकी गाण्ड में डाल दिया।
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वीणा उसके लिए रेडी नहीं थी.. वो चिल्लाई.. लेकिन कपिल ने उसका मुँह बंद कर दिया और पूरा लौड़ा उसकी गाण्ड में डाल दिया।
वीणा अब भी मज़े ले रही थी.. थोड़ी देर बाद वो दोनों झड़ गए और कपड़े पहनने लगे।
मैं भी वापस जाने के लिए जैसे ही मुड़ी.. तो मैंने देखा कि मेरे पीछे अभि खड़ा था और उसकी पैन्ट आगे से गीली और ऊपर को उठी हुई थी।
मैंने उसको हटाना चाहा.. तो बोला- निमिषा.. तुम ऐसी होगी.. मैं सोच नहीं सकता था।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसी कमरे में अन्दर ले गया.. जहाँ वीणा की चुदाई चल रही थी।
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थोड़ी देर हमारी बहस हुई तो पता चला कि यह इन तीनों का प्लान था कि मेरी और अभि की भी चुदाई करवा ही दी जाए।
मैं ये सुन कर हैरान थी कि मेरी बेस्ट फ्रेण्ड ही मेरी ठुकाई की तैयारी करवा रही थी।
मैंने मना कर दिया- मुझको ऐसा कुछ नहीं करना है..
लेकिन अभि ने मेरा हाथ पकड़ लिया- आई लव यू.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।
मेरे होंठों को चूसने लगा..
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तो मैंने कहा- नहीं अभि.. ये सब ग़लत है.. तुम मेरे फ्रेंड हो..
अभि ने मेरे कंधे हाथ रख दिया और कहने लगा- देखो निमिषा मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ.. और जैसे-जैसे तुम जवान हो रही हो.. मैं तुम्हें और भी प्यार करना चाहता हूँ।
उसने मेरे गाल पर एक चुम्बन कर दिया.. मैं शर्मा गई और मैंने कहा- अभि प्यार तो मैं भी तुमसे करती हूँ.. पर अगर किसी को पता चल गया.. तो बहुत बुरा होगा।
अभि बोला- अरे किसी को कुछ पता नहीं चलेगा..
मैं तो वैसे ही वीणा की चुदाई देख कर गर्म हो चुकी थी… मैंने ज्यादा नाटक नहीं किया।
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फिर उसने धीरे से अपने हाथ मेरे मम्मों पर रख दिया और कहा- निमिषा मैं इनका रस पीना चाहता हूँ।
उसने मेरे शर्ट को ऊपर कर दिया। आगे कुछ और होता.. इससे पहले वहाँ से वीणा और कपिल चले गए थे।
वीणा मेरे हाथ में जाने से पहले कन्डोम का पैकेट दे कर हँसते हुई बोली- हैपी फकिंग डे..
मैं भी हँस पड़ी थी।
उसके बाद अभि ने मेरी कमर में अपना हाथ डाल दिया, अब मैं भी गर्म हो गई थी, अभि मेरे मम्मों को ब्रा के ऊपर दबाने लगा.. वो बेरहमी से मम्मों को मसल रहा था।
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एक साथ दोनों मम्मों को बुरी तरह मसलने से मैं एकदम से चुदासी हो उठी। अभि ने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठों को रख दिए और उन्हें बुरी तरह चूसने लगे।
वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगा था। अब उसने मेरे कपड़े उतारना शुरू किए.. पहले मेरी कमीज़ निकाली.. फिर मेरी सलवार खींच दी।
अब मैं सिर्फ पैन्टी और ब्रा में थी। फिर अभि ने मेरी ब्रा भी निकाल दी और वो मेरे तने हुए मम्मों को चूमने-चाटने लगा।
अभि के साथ ये करते हुए बहुत सेक्सी लग रहा था..
मैं अपने दोस्त के साथ नंगी थी, अभि मेरे मम्मों को मुँह में पूरा भर के चूस रहा था और अपने एक हाथ से मेरी चूत को भी सहला रहा था।
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फिर थोड़ी देर बाद अभि ने मेरी अनछुई चिकनी-चिकनी जाँघें चूम लीं.. मैं सिहर उठी।
अभि पागलों की तरह मेरी जाँघों को अपने मुँह से सहला रहा था और चूम रहा था। फिर हौले से अभि ने मेरी पैन्टी भी निकाल दी।
मेरी बिना बालों वाली अधखिली गोरी गुलाबी चूत को देखते ही वो एकदम से चकित रह गया और बोला- वीणा शेव अच्छी करती है।
मैं हँस दी..
उसने मुझको बोला- वीणा को मैंने ही बोला था कि तेरी मुन्नी का मुंडन कर दे।
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अभि ने मेरे पूरी चूत हाथ में थाम ली और मेरी पूरी चूत को दबा दिया।
चूत को सहलाता हुआ अभि बोला- हाय निमिषा.. मेरी जान.. क्या चीज़ है तू.. क्या मस्त माल है.. हहमम्म ससस्स हहा..
अभि ने अन्दर तक मुँह डाल कर मेरी जाँघें बड़े प्यार से चूमी और सहलाते हुए मेरी जाँघों को फैला दिया..
अब वो मेरी चूत को बुरी तरह मसलने लगा, मुझे बहुत मज़ा आने लगा.. मैं सिसकारी भरने लगी..
अभि और जोश में चूत को मसलने लगा.. उसने मसल-मसल कर मेरी चूत लाल कर दी थी।
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उसके इस तरह से रगड़ने से मेरी मुन्नी 2-3 बार झड़ चुकी थी, बहुत गीला हो गया था, अभि के हाथ भी गीले हो गए थे.. सारा पानी निकल बाहर रहा था, मैं निढाल हो रही थी।
फिर अभि ने मेरी चूत की दोनों फांकों पर होंठ रख दिए और मेरी कसी हुई चूत के होंठों को अपने होंठों से दबा कर बुरी तरह चूसने लगा।
मैं तो बस कसमसाती रह गई.. मैं तड़पती मचलती हुई ‘आआहह.. आअहह.. अभि.. अभि.. हाय.. उईईइ.. आहह..’ कहती रही और अभि चूस-चूस कर मेरी अधपकी जवानी का रस पीता गया।
बड़ी देर तक मेरी चूत की चुसाई की, मैं पागल हो गई थी।
तभी अभि ने अपने कपड़े उतारे और खुद नंगे हो गया और उसका लंड फड़फड़ा उठा.. करीब 7 या 8 इंच का लोहे जैसा सरिया था। मैंने कहा- अभि.. यह तो बहुत बड़ा और मोटा है.. ये मेरी चूत में नहीं जा पाएगा।
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तो अभि ने कहा- निमिषा तू फिकर मत कर.. फिर मैं तेरे से प्यार करता हूँ.. तुझे कुछ नहीं होने दूँगा।
उसने अपना लंड मेरी फुद्दी की तरफ बढ़ाया… तभी अभि बोला- निमिषा.. कन्डोम तो दे.. जो वीणा ने जाते समय तुमको दिया था।
मुझ याद ही नहीं था कि इसकी भी जरूरत पड़ेगी। मैंने अपने हाथों से कन्डोम अभि के लण्ड पर लगाया और सहलाने लगी।
उसके बाद अभि ने मुझको डेस्क पर आराम से लिटा दिया। मैं सोच रही थी जो हालत अभी वीणा की थी.. अब मेरी होने वाली है।
अभि के लंड के टच करते ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं बुरी तरह तड़प रही थी।
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अभि 5 मिनट तक मेरी चूत को अपने लंड से सहलाता रहा.. फिर उसने मेरी फुद्दी पर हल्का सा ज़ोर लगाया.. तो मेरी चीख निकल गई। उसका लंड अन्दर नहीं जा रहा था।
अभि ने कहा- थोड़ा दर्द होगा.. लेकिन फिर ठीक हो जाएगा।
मैंने मंत्रमुग्ध कहा- ओके.. लेकिन अभि प्लीज़ आराम से करना।
अभि ने ज़ोर से अन्दर डाला.. तो उसका आधा लंड मेरे अन्दर कोई चीज़ तोड़ते हुए अन्दर घुसता चला गया।
मेरी आँखों में आँसू आ गए- आह.. मैं मर जाऊँगी अभि.. प्लीज़ निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह ओफ… ममाआ..
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यह कहते हुए मैं उससे गिड़गिड़ाने लगी.. पर वो नहीं माना और उसने मेरे होंठों पर अपने होंठों लगा दिए।
वो मेरे होंठों को चूसने लगा और अपने लौड़े को मेरी चूत में ऐसे ही डाले रखा।
मेरी चूत से खून निकल रहा था और मैं बुरी तरह तड़प रही थी।
वो कहने लगा- तू मेरे लिए थोड़ा सहन कर ले प्लीज़।
मैंने हल्के स्वर में कहा- अभि आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ।
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फिर अभि ने एक जोरदार झटका मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया।
मैं सिहर उठी और ‘आह.. ओह्ह.. अभि मैं मर गई..’ कहने लगी।
अभि मुझे तसल्ली देता रहा और 5 मिनट तक मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा, वो मेरे दूध चूसता रहा।
लगभग 5 मिनट बाद उसने धीरे-धीरे झटके मारना शुरू किए।
मैं- आह्ह.. अभि.. मज़ा आ रहा है…
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इस बीच मैं 2 बार झड़ चुकी थी और वो यूँ ही मेरे होंठों को चूसता हुआ मुझे चोदता रहा।
लगभग 10 मिनट बाद अभि ने अपना सारा माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया।
हम लेट गए.. मेरी चूत पानी और खून छोड़ती हुई बुरी तरह फड़फड़ा रही थी, मेरी चूत का हाल-बेहाल हो चुका था।
कुछ देर बाद अभि ने मेरी चूत को साफ़ किया और फिर से चूसने लगा।
थोड़ी देर में अभि का लंड फिर से खड़ा हो गया।
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अभि ने मुझको लण्ड मुँह में लेने के लिए कहा पर मैंने मुँह में नहीं डाला और उसे किस करने लगी। पर अभि के बहुत बार कहने पर मैंने उसको मुँह में ले लिया। मुझे लण्ड का स्वाद कुछ अजीब सा लगा।
अभि मुझसे कहने लगा- निमिषा मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरी फ्रेण्ड मुझसे इतना प्यार करती है।
उसके बाद हम ऐसे ही लेटे रहे। इतनी अधिक थकान थी कि मेरी तो उठने की भी हिम्मत नहीं थी। अभि ने मेरी टाँगों की मालिश की और मुझको कपड़े पहनाए.. उसके बाद जब मैं पैदल नहीं चल पा रही थी तो उसने मुझको रिक्शे से मेरे घर पर छोड़ा।
उस के 1-2 हफ्ते तक मैंने उससे बात नहीं की.. मुझे लाज आ रही थी।
उसके बाद सब नॉर्मल हो गया।
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