मेरा नाम उदित है, और मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे दोस्त के पिता राजाराम जी और उनकी बहु कम्मो के बीच की सच्ची घटना है। ये कहानी इतनी गर्म और उत्तेजक है कि इसे पढ़कर आपकी साँसें थम जाएँगी। राजाराम जी, 52 साल के एक दमदार मर्द, जिनका चौड़ा सीना और गहरी आवाज़ किसी को भी अपनी ओर खींच लेती थी, दो दिन के लंबे सफर के बाद घर लौटे थे। मैंने सोचा कि उनका लंड अपनी बहु की चुदाई के लिए तड़प रहा होगा। मगर वो बिल्कुल शांत थे। पूरा दिन घर में सन्नाटा रहा। उनकी आँखों में वो चुदास भरी चमक नहीं दिखी जो मैंने पहले देखी थी। मैं हैरान था, लेकिन मेरे मन में उत्सुकता जाग रही थी कि आखिर माजरा क्या है।
शाम को हम सबने मिलकर खाना खाया। कम्मो, 28 साल की एक हसीन औरत, 5 फुट 4 इंच की हाइट, 34-26-36 का फिगर, और गोरी चमड़ी वाली थी। उसकी आँखें ऐसी थीं मानो शहद में डूबी हों, और उसकी मुस्कान में एक चुदासी छलकती थी। उसने एक टाइट साड़ी पहनी थी, जो उसकी भारी चूचियों और पतली कमर को उभार रही थी। खाने के बाद सब अपने कमरों में सोने चले गए। मैं अपने बिस्तर पर लेटा हुआ राजाराम और कम्मो के बारे में सोच रहा था। मेरे मन में उनके बीच की चुदाई के ख्याल तैर रहे थे। तभी रात के करीब साढ़े ग्यारह बजे हल्की-सी खटपट की आवाज़ हुई। मेरा दिल जोर से धड़क उठा। मैं चुपके से उठा और दरवाजे की दरार से झाँकने लगा।
कम्मो अपने कमरे से निकली। उसने सिर्फ एक पतला, सफेद पेटीकोट और काला ब्लाउज पहना था, जो इतना टाइट था कि उसकी चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थीं। उसका पेटीकोट उसकी गोल, भारी गाँड को मुश्किल से ढक रहा था। वो राजाराम के सामने जाकर खड़ी हो गई और भारी, चुदासी आवाज़ में बोली, “पिताजी, आज क्या बात है? आप इतने शांत क्यों हैं? आपको पता है ना, मेरी चूत दो दिन से आग में जल रही है। चोदो ना मुझे!” उसकी आवाज़ में एक तड़प थी, जैसे वो सचमुच बेकरार हो।
कम्मो ने अपने गुलाबी, रसीले होंठ राजाराम के होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगी। उसका एक हाथ उनकी लुंगी के ऊपर से उनके लंड को सहलाने लगा। उसकी उंगलियाँ लुंगी के कपड़े को रगड़ रही थीं, जैसे वो लंड को जगा रही हो। “आह्ह… मम्म… पिताजी, आपका लंड कितना मोटा है!” कम्मो की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। राजाराम अब जाग उठे। उन्होंने कम्मो की कमर को अपनी मजबूत बाँहों में जकड़ लिया और उसे अपनी छाती से चिपका लिया। धीरे से उन्होंने कम्मो के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया, और पेटीकोट फर्श पर गिर गया। फिर उन्होंने उसका ब्लाउज खोल दिया, जिसके बटन टूटते हुए फर्श पर बिखर गए। कम्मो अब पूरी तरह नंगी थी। उसकी चूचियाँ, 34 इंच की, गोल और कसी हुई, हल्के भूरे रंग के निप्पल्स के साथ, मानो राजाराम को ललकार रही थीं।
राजाराम ने अपनी लुंगी उतार फेंकी। उनका लंड, करीब 7 इंच लंबा और मोटा, आधा तना हुआ था, लेकिन फिर भी डरावना लग रहा था। कम्मो की आँखें चमक उठीं। वो नीचे बैठ गई और लंड को अपने मुलायम होंठों के बीच ले लिया। उसने पहले लंड के सुपाड़े को चूमा, फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी। “मम्म… ऊऊ… कितना टेस्टी है आपका लंड!” वो लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, और उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। राजाराम के चेहरे पर हवस भरी मुस्कान थी। वो कम्मो के बालों में उंगलियाँ फेर रहे थे, “चूस मेरी रानी, और जोर से चूस… मेरे लंड को जगाने वाली तू ही है!”
कम्मो ने लंड को गले तक लिया, और उसकी आँखें आनंद से बंद हो गईं। “ग्लप… ग्लप…” लंड के अंदर-बाहर होने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। कुछ देर बाद कम्मो खड़ी हुई, और राजाराम ने उसे पलंग पर धकेल दिया। उन्होंने कम्मो की टाँगें चौड़ी कीं और उसकी चिकनी, गीली चूत को देखकर दहाड़े, “कम्मो, तेरी चूत तो मानो शहद की चाशनी है!” उनकी जीभ कम्मो की चूत के होंठों पर फिसलने लगी। वो चूत को चूस रहे थे, और उनकी उंगलियाँ कम्मो के क्लिट को सहला रही थीं। कम्मो की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह्ह… ऊऊऊ… पिताजी, मेरी चूत को खा जाओ… आह्ह… और जोर से चूसो!” उसका बदन काँप रहा था, और उसकी चूचियाँ उछल रही थीं।
राजाराम ने अपनी जीभ को चूत के अंदर डाला और उसे चाटने लगे। कम्मो की चूत गीली हो चुकी थी, और उसका रस टपक रहा था। “आह्ह… ऊऊ… पिताजी, अब बर्दाश्त नहीं होता… अपना लंड डाल दो!” कम्मो की आवाज़ में हवस और बेचैनी थी। राजाराम पलंग पर चढ़ गए। उन्होंने पहले कम्मो के माथे को चूमा, फिर उसकी चूचियों को अपने बड़े, खुरदरे हाथों में लिया और उन्हें मसलने लगे। “कम्मो, तेरी चूचियाँ कितनी रसीली हैं… इन्हें चूसने का मन करता है!” उन्होंने कम्मो के निप्पल्स को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगे। कम्मो सिसक रही थी, “आह्ह… पिताजी, मेरी चूचियों को काट लो… ऊऊ… मुझे चुदास चढ़ रही है!”
कम्मो ने राजाराम का लंड पकड़ा और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी। उसकी चूत इतनी गीली थी कि लंड फिसल रहा था। “पिताजी, अब डाल दो… मेरी चूत तुम्हारे लंड की भूखी है!” कम्मो की आवाज़ में एक अजीब-सी मादकता थी। राजाराम ने कम्मो की कमर पकड़ी और एक जोरदार धक्का मारा। “चटाक!” उनका मोटा लंड कम्मो की चूत में पूरा घुस गया। कम्मो चीख पड़ी, “आआह्ह… ऊऊ… मर गई… पिताजी, धीरे!” लेकिन राजाराम रुके नहीं। उन्होंने कम्मो के होंठों को अपने होंठों से दबा लिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगे। “चट… चट… चट…” धक्कों की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी।
कम्मो की चूत टाइट थी, लेकिन गीली होने की वजह से लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। वो सिसक रही थी, “आह्ह… ऊऊ… पिताजी, तुम तो मेरी चूत फाड़ दोगे… और जोर से चोदो!” उसकी कमर हिल रही थी, और वो राजाराम के धक्कों का जवाब दे रही थी। राजाराम ने कम्मो की चूचियों को मसलते हुए कहा, “मेरी रानी, तेरी चूत तो जन्नत है… इसे चोदने का मजा ही अलग है!” करीब 25 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद राजाराम ने अपना गर्म माल कम्मो की चूत में छोड़ दिया। कम्मो हाँफ रही थी, “पिताजी, आज तो आप जल्दी झड़ गए… मेरी चूत की आग अभी बाकी है!”
राजाराम हाँसते हुए बोले, “क्या करूँ, मेरी जान? मेरा लंड दो दिन से आराम नहीं कर पाया!” कम्मो ने भौंहें चढ़ाईं, “आराम क्यों नहीं मिला?” बार-बार पूछने पर राजाराम ने खुलासा किया, “मैं और मेरा दोस्त सुरेश उसकी नई नवेली बहु प्रिया की चुदाई में व्यस्त थे। उसकी चूत ने मेरे लंड को पागल कर दिया, बिल्कुल तेरी तरह!” कम्मो ने हैरानी से पूछा, “क्या मतलब? आप दूसरी बहु को चोद रहे थे?”
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राजाराम ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, मेरी रानी। अगर तू सुरेश से चुदवा ले, तो मैं फिर से प्रिया की टाइट चूत मार सकता हूँ। उसकी शादी को अभी तीन महीने हुए हैं, और उसकी चूत इतनी कसी हुई है, जैसे तेरी थी!” कम्मो ने कुछ देर सोचा, फिर शरारती अंदाज़ में बोली, “ठीक है, मैं तैयार हूँ। लेकिन अगर सुरेश का लंड मुझे भा गया, तो तुम मुझे चोदने से मना मत करना!”
“बिल्कुल, मेरी जान,” राजाराम ने हँसकर कहा, “तू अपनी चूत को जी भरकर चुदवा!” फिर उन्होंने बताया, “प्रिया कल हमारे घर आ रही है।” कम्मो की आँखें चमक उठीं, “पहले ये बताओ, आपने प्रिया की चुदाई कैसे की?”
राजाराम ने कहानी शुरू की। “जब मैं और सुरेश उनके बेटे के घर गए, तो प्रिया ने दरवाजा खोला। वो 24 साल की थी, 5 फुट 2 इंच की हाइट, 50 किलो वजन, और उसका फिगर 34-28-32 था। उसका बदन इतना कसा हुआ था कि मेरा लंड उसे देखते ही तन गया। उसने हल्की गुलाबी साड़ी पहनी थी, जो उसके गोरे बदन को और निखार रही थी।”
प्रिया ने उन्हें चाय और नाश्ता परोसा। सुरेश ने पूछा, “तेरा पति कहाँ है?” प्रिया ने जवाब दिया, “वो ऑफिस के काम से 10 दिन के लिए बाहर गए हैं।” सुरेश अपनी बहु को घूर रहा था, और प्रिया की आँखों में एक चुदासी चमक थी। रात को प्रिया ने स्वादिष्ट पनीर और हलवा बनाया। खाना खाते समय सुरेश और प्रिया एक-दूसरे को छुपकर इशारे कर रहे थे, जैसे कोई राज़ की बात हो।
रात को जब सब सोने गए, तो राजाराम की नींद खुली। उन्होंने देखा कि सुरेश उनके कमरे में नहीं था। बाहर निकलकर देखा तो पास के कमरे से सिसकारियों की आवाज़ आ रही थी। “पिताजी, मेरी स्पेशल डिश कैसी लगी?” राजाराम ने दरवाजे से झाँका तो उनके होश उड़ गए। प्रिया पूरी तरह नंगी थी और सुरेश के ऊपर चढ़ी हुई थी। उसकी चूत सुरेश के होंठों पर थी, और वो उसे चूस रहा था। “आह्ह… ऊऊ… पिताजी, मेरी चूत को चाटो… और जोर से!” प्रिया की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
सुरेश ने कहा, “मेरी रानी, मैंने राजाराम को तेरी चुदाई के लिए बुलाया है!” प्रिया चौंकी, “क्या कह रहे हो?” सुरेश ने हँसकर कहा, “हाँ, उसका लंड ले ले, फिर मैं कम्मो की चूत मारूँगा!” प्रिया ने नखरे दिखाए, “मेरी चूत से मजा नहीं मिलता?” सुरेश बोला, “मिलता है, रानी, लेकिन दो चूतों का मजा और बढ़िया होगा!”
सुरेश ने प्रिया को नीचे लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। उसका लंड, जो 6 इंच का था, प्रिया की चूत पर रखा और एक धक्का मारा। “चट!” लंड आधा अंदर घुस गया। प्रिया सिसक उठी, “आह्ह… पिताजी, धीरे…” सुरेश ने दूसरा धक्का मारा, और पूरा लंड चूत में समा गया। “चट… चट… चट…” सुरेश जोर-जोर से चोदने लगा। प्रिया की चूचियाँ उछल रही थीं, और वो सिसक रही थी, “आह्ह… ऊऊ… मेरी चूत को चोद दो!”
20 मिनट की चुदाई के बाद सुरेश ने अपना माल प्रिया की चूत में छोड़ दिया और थककर लेट गए। प्रिया कुछ देर लेटी रही, फिर चादर लपेटकर बाथरूम गई। चूत धोकर बाहर निकली, तभी चादर गिर गई। राजाराम उसके सामने खड़े थे। प्रिया ने अपनी चूचियों को ढकने की कोशिश की, लेकिन राजाराम ने उसके हाथ हटा दिए। उसकी चूचियाँ, 34 इंच की, गोल और कसी हुई, मानो बुला रही थीं।
राजाराम ने प्रिया की चूचियों को पकड़ा और उसके होंठों को चूम लिया। “क्यों शरमा रही है, मेरी रानी? अभी तो सुरेश तेरी चूत मार रहा था!” प्रिया शरमाकर मुस्कुराई। राजाराम ने उसे गोद में उठाया और अपने कमरे में ले जाकर पलंग पर लिटा दिया। उन्होंने अपनी लुंगी उतारी। उनका लंड, 7 इंच का और मोटा, अब पूरी तरह तन गया था। प्रिया डर गई, “पिताजी, ये तो मेरी चूत फाड़ देगा!”
राजाराम ने हँसकर कहा, “डर मत, मेरी जान, मैं तुझे स्वर्ग की सैर कराऊँगा!” उन्होंने प्रिया की टाँगें चौड़ी कीं और उसकी चिकनी चूत को चूसने लगे। उनकी जीभ चूत के अंदर तक गई, और प्रिया सिसक उठी, “आह्ह… ऊऊ… पिताजी, मेरी चूत जल रही है… चाटो ना!” राजाराम ने उसकी चूचियों को मसला और चूसा। प्रिया बोली, “अगर पिताजी आ गए तो?”
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“वो तो खुद कह रहा था कि तू मेरे से चुद!” राजाराम ने जवाब दिया। प्रिया हँस पड़ी, “आप तो बिल्कुल बेशरम हो!” राजाराम ने प्रिया को पलंग से उतारा और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। प्रिया ने उसे लॉलीपॉप की तरह चूसा, “मम्म… ऊऊ… कितना बड़ा लंड है!” लंड अब पूरी तरह खड़ा था।
राजाराम ने प्रिया को पलंग पर लिटाया और उसकी चूत पर लंड रखा। एक हल्का धक्का मारा, “चट!” लंड का सुपाड़ा अंदर घुस गया। प्रिया चीखी, “आह्ह… मर गई!” राजाराम ने उसके होंठों को चूम लिया और एक जोरदार धक्का मारा। “चटाक!” पूरा लंड चूत में समा गया। प्रिया की चीख दब गई, “गूँ… गूँ… ऊऊ… माँ!”
राजाराम ने धक्के मारना शुरू किया। “चट… चट… चट…” प्रिया की चूत गीली हो गई थी, और वो मजे लेने लगी, “आह्ह… पिताजी, चोदो मुझे… मेरी चूत को फाड़ दो!” राजाराम ने कभी तेज, कभी धीरे चोदा, और प्रिया की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… ऊऊ… मजा आ रहा है… और जोर से!”
प्रिया बोली, “मुझे कुत्तिया बनकर चुदना पसंद है!” राजाराम ने उसे कुत्तिया बनाया और पीछे से लंड डाला। “चटाक!” प्रिया चिल्लाई, “आह्ह… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी!” लेकिन राजाराम ने जोर-जोर से धक्के मारे। “चट… चट… चट…” प्रिया की चूत गीली थी, और उसका रस टपक रहा था। वो सिसक रही थी, “आह्ह… ऊऊ… पिताजी, मेरी चूत में आग लग रही है… और चोदो!”
करीब 35 मिनट की चुदाई के बाद प्रिया का बदन काँप उठा, और उसकी चूत ने रस छोड़ दिया। राजाराम ने भी अपना गर्म माल उसकी चूत में डाल दिया। प्रिया हाँफते हुए बोली, “पिताजी, अब बस… मेरी चूत थक गई!”
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