ससुर के मोटे लंड की पर्सनल रंडी बनी बहू

Sexy bahu ki chut chudai sex story: मेरा नाम लवण्या है। मैं 25 साल की हूँ, और शादीशुदा हूँ। मेरा कद 5 फीट 5 इंच है, और मेरा फिगर 34-30-36 का है। मेरा रंग ज्यादा गोरा नहीं है, लेकिन मेरी खूबसूरती और सेक्सी अदा हर किसी को दीवाना बना देती है। मेरी शादी पिछले साल हुई थी। मेरे ससुराल में मेरे पति मनव, मेरी सास, और मेरे ससुर जी रहते हैं। मेरे ससुर जी का नाम रमेश है, उम्र 52 साल, लेकिन उनकी काया अभी भी चुस्त-दुरुस्त है। उनके चेहरे पर एक रौबदार मूंछें और गहरी आँखें हैं, जो किसी को भी अपनी तरफ खींच लेती हैं। मेरी सास, उम्र 48 साल, एक सौम्य औरत हैं, लेकिन उनकी तबीयत अक्सर खराब रहती है। मेरे पति मनव, 28 साल के हैं, स्मार्ट और हैंडसम, एक मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी नौकरी करते हैं। लेकिन उनकी एक कमी मेरे लिए सबसे बड़ी थी – वो मुझे बिस्तर पर संतुष्ट नहीं कर पाते थे।

हमारा घर आलिशान है, हर सुख-सुविधा से भरपूर। लेकिन मेरे मन की प्यास बुझाने वाला कोई नहीं था। मेरे पति की कमजोरी ने मुझे एक ऐसी राह पर ला खड़ा किया, जहाँ मैंने अपने ससुर जी की रंडी बनना मंजूर किया। आज मैं आपको अपनी वो कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे जीवन का सबसे बड़ा मोड़ थी।

शादी की पहली रात थी। मैं अपनी सुहागरात के लिए बेताब थी। सालों से मैंने सिर्फ अपनी उंगलियों से खुद को खुश किया था, लेकिन अब एक मर्द का साथ मिलने वाला था। मैंने लाल रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी थी, जिसके नीचे से मेरी काली ब्रा और पैंटी साफ झलक रही थी। कमरे में हल्की रोशनी थी, और गुलाब की पंखुड़ियों से सजा बिस्तर मेरे दिल की धड़कनों को और तेज कर रहा था। मनव कमरे में आए, उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी। हमने शुरूआत की। उनकी गर्म साँसें मेरे गालों को छू रही थीं, और हमारी चुम्बन की शुरुआत हुई। उनकी जीभ मेरे होंठों पर फिसल रही थी, और मैं धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। जल्द ही मेरी साड़ी खुल गई, और उनकी शर्ट-पैंट भी फर्श पर बिखर गए।

मनव का लंड 5 इंच का था, जो मेरे लिए ठीक-ठाक था। लेकिन जैसे ही वो मेरे अंदर आए, उनका खेल दो मिनट में ही खत्म हो गया। मैं हक्का-बक्का रह गई। मेरे जिस्म में आग लगी थी, और वो आग बुझने की बजाय और भड़क गई। मैंने सोचा, शायद पहली बार ऐसा हुआ हो। लेकिन हर रात यही कहानी थी। मनव दो-तीन मिनट से ज्यादा नहीं टिक पाते थे। मैं हर बार अधूरी रह जाती। धीरे-धीरे मैंने फिर से अपनी उंगलियों का सहारा लेना शुरू कर दिया। मेरी चूत हर रात प्यासी रह जाती, और मैं अपनी उंगलियों से उसकी आग को शांत करने की कोशिश करती। लेकिन वो मजे का अहसास, जो मैं एक मर्द से चाहती थी, वो मुझे नहीं मिल रहा था।

एक रात, करीब 1 बजे, मेरी नींद खुली। गला सूख रहा था, तो मैं पानी पीने किचन की ओर चली। रास्ते में मेरे सास-ससुर का कमरा पड़ता था। जैसे ही मैं उनके कमरे के पास से गुजरी, मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं। “आह्ह… रमेश… और जोर से…” मेरी सास की सिसकारियाँ थीं। मेरी जिज्ञासा बढ़ी, और मैंने धीरे से दरवाजे की झिरी से झाँक लिया। जो मैंने देखा, उसने मेरे जिस्म में आग लगा दी। मेरी सास घोड़ी बनी हुई थीं, और ससुर जी उनके पीछे थे। उनका लंड, जो कम से कम 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था, मेरी सास की चूत में गहरे तक जा रहा था। हर धक्के के साथ सास की सिसकारियाँ और तेज हो रही थीं। “उम्म… आह्ह… रमेश, तुम्हारा लंड मेरी चूत को फाड़ देता है…” सास की आवाज में मस्ती थी। ससुर जी के चेहरे पर एक विजेता की मुस्कान थी।

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ये नजारा देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि ससुर जी इतने ताकतवर होंगे। उनकी हरकतें देखकर मेरे मन में एक अजीब सी जलन हुई। मेरी सास इतनी खुशकिस्मत थीं, जो उन्हें ऐसा मर्द मिला था। मैं किचन में पहुँची, पानी पिया, लेकिन मेरा दिमाग अभी भी उसी दृश्य में अटका था। मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी नाइटी ऊपर उठाई और अपनी चूत को सहलाने लगी। मेरी उंगलियाँ मेरी चूत के दाने को रगड़ रही थीं, और मेरी आँखों के सामने ससुर जी का मोटा लंड तैर रहा था। “आह्ह…” मैंने हल्की सी सिसकारी भरी। मैं इतनी खोई हुई थी कि मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि मैं किचन में खड़ी हूँ।

तभी मुझे एक आवाज सुनाई दी। मैंने आँखें खोलीं तो ससुर जी मेरे सामने खड़े थे। उनकी आँखें मेरी गीली पैंटी और मेरी उंगलियों पर टिकी थीं। मेरे चेहरे पर शर्मिंदगी और डर दोनों थे, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। वो कुछ नहीं बोले और वापस चले गए। उस रात के बाद मेरे और ससुर जी के बीच कुछ बदल गया था।

कुछ दिन बाद, मैं घर की सफाई कर रही थी। मैंने हल्की सी नाइटी पहनी थी, जो मेरे जिस्म को पूरी तरह उभार रही थी। मैं झुककर पोछा लगा रही थी, और मेरी नाइटी का गला इतना गहरा था कि मेरे गोरे-गोरे चूचे साफ दिख रहे थे। ससुर जी सोफे पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे, लेकिन उनकी नजरें मेरे चूचों पर थीं। जब मेरी नजर उनसे मिली, तो वो जल्दी से नजर हटा लेते। लेकिन मैं समझ चुकी थी कि उस रात की घटना ने उनके मन में आग लगा दी थी।

मेरी सास को अस्थमा की बीमारी थी, और हर महीने उन्हें दवाई लेने दूसरे शहर जाना पड़ता था। एक दिन वो और मेरे पति सुबह-सुबह दवाई लेने निकल गए। घर में अब सिर्फ मैं और ससुर जी थे। मैंने उस दिन एक टाइट पिंक लेगिंग्स और पीले रंग का टॉप पहना था, जो मेरे जिस्म को और भी सेक्सी बना रहा था। लेगिंग्स में मेरी गोरी जांघें और गोल-मटोल गांड साफ उभर रही थी। मैंने ससुर जी के लिए नाश्ता बनाया और सर्व किया। नाश्ते के दौरान उनकी नजरें मेरे जिस्म को चाट रही थीं। मुझे बुरा भी लग रहा था, क्योंकि वो मेरे ससुर थे, लेकिन कहीं न कहीं उनके इस ध्यान ने मेरी चूत में फिर से आग लगा दी थी।

नाश्ते के बाद मैं अपने कमरे में चली गई। टीवी देखते-देखते मुझे नींद आ गई। मैंने वही टॉप और लेगिंग्स पहनी थी, और एक तरफ करवट लेकर सो रही थी। अचानक मुझे अपनी जांघ पर कुछ गर्माहट महसूस हुई। मैंने आँखें खोलीं तो देखा कि ससुर जी मेरे पीछे खड़े थे, और उनका हाथ मेरी जांघ पर था। मैंने जानबूझकर सोने का नाटक किया। मैं देखना चाहती थी कि वो कितनी दूर तक जाएंगे। उनका हाथ धीरे-धीरे मेरी गांड की ओर बढ़ा। उन्होंने मेरी गांड को हल्के से दबाया, और मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। “आह्ह…” मैंने मन ही मन सिसकारी भरी। फिर वो मेरे चेहरे के पास झुके और मेरे गाल पर एक गर्म चुम्बन दे दिया।

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मैंने अचानक आँखें खोल दीं। ससुर जी हड़बड़ा गए। उनकी आँखों में डर था, लेकिन मैंने उनकी नजरों को नजरअंदाज करते हुए सीधे उनके पजामे की ओर देखा। उनका लंड पजामे में तंबू बना रहा था। मैंने धीरे से पूछा, “ससुर जी, ये आप क्या कर रहे हैं?”

वो हल्के से मुस्कुराए और बोले, “वही जो तू चाहती है, लवण्या।”

मैंने बनावटी गुस्सा दिखाते हुए कहा, “क्या मतलब आपका?”

वो मेरे पास आए और बोले, “मैं जानता हूँ, मेरा बेटा तुझे बिस्तर पर खुश नहीं कर पाता।”

मैं चौंक गई। “आपको ये कैसे पता?”

वो हँसे, “वो मेरा बेटा है, मुझे उसकी कमजोरी पता है। लेकिन तू चिंता मत कर, मैं तेरी वो प्यास बुझा सकता हूँ।”

मैंने शर्माते हुए कहा, “मैं आपकी बहू हूँ, ससुर जी। बहू बेटी के समान होती है।”

वो मेरे और करीब आए और बोले, “हाँ, बहू बेटी जैसी होती है, लेकिन बेटी तो नहीं होती। तेरा ये जवां जिस्म बेकार जा रहा है। अगर तुझे बाहर किसी और से चुदना पड़े, तो उससे अच्छा है घर का लंड ले ले।”

उनके शब्दों ने मेरे मन में हलचल मचा दी। मैं कुछ जवाब नहीं दे पाई। ससुर जी ने मेरी चुप्पी को हामी समझा और मेरे ऊपर आ गए। उनके होंठ मेरे होंठों से टकराए, और वो मेरे होंठों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं धीरे-धीरे उनके जादू में खो रही थी। मैंने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया। उनकी चुंबन इतनी गहरी थी कि मेरी चूत गीली हो चुकी थी।

उन्होंने मेरा टॉप उतार दिया, और मेरी काली ब्रा को भी खींचकर निकाल फेंका। मेरे गोरे चूचे उनके सामने थे। वो बोले, “हाय, क्या मस्त चूचे हैं तेरे, लवण्या। मनव का नसीब खराब है जो इनका मजा नहीं ले पाया।” ये कहकर वो मेरे चूचों पर टूट पड़े। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स को चाट रही थी, और वो उन्हें हल्के से काट रहे थे। “आह्ह… ससुर जी…” मैं सिसकार उठी। उनका एक हाथ मेरी लेगिंग्स के ऊपर से मेरी चूत को सहला रहा था। मेरी पैंटी पूरी तरह गीली थी।

उन्होंने मेरी लेगिंग्स और पैंटी को एक साथ नीचे खींच दिया। अब मैं उनके सामने पूरी नंगी थी। वो नीचे आए और मेरी चूत को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को रगड़ रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… उह्ह… ससुर जी… और चाटो…” मैं सिसकार रही थी। मेरे पति ने कभी मेरी चूत नहीं चाटी थी, और ये अहसास मेरे लिए नया था। उनकी मूंछें मेरी चूत को गुदगुदा रही थीं, और मैं अपने कूल्हे हिलाने लगी।

कुछ देर चाटने के बाद वो खड़े हुए और अपने कपड़े उतार दिए। उनका 7 इंच का मोटा लंड मेरे सामने लहरा रहा था। उसकी नसें उभरी हुई थीं, और टोपा लाल हो रहा था। मैंने उसे हाथ में लिया और हल्के से सहलाया। वो बोले, “चूस इसे, लवण्या।” मैंने उनके लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। उनका लंड मेरे मुँह में मुश्किल से समा रहा था। मैं उनकी टट्टियों को सहलाते हुए उनके लंड को चूस रही थी। “आह्ह… लवण्या, तू तो रंडी की तरह चूस रही है…” वो सिसकार रहे थे।

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फिर वो मेरे पैरों के बीच आए। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा। मैं तड़प रही थी। “ससुर जी, डाल दो ना… मेरी चूत को फाड़ दो…” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा। उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। “आह्ह्ह…” मैं चीख पड़ी। दर्द और मजा दोनों एक साथ थे। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। उनकी हरकतें मेरे जिस्म में आग लगा रही थीं। “उह्ह… ससुर जी… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी।

वो मेरे ऊपर झुक गए और मेरे होंठों को चूमते हुए धक्के मारने लगे। उनकी गति बढ़ रही थी। मैंने अपने हाथ उनकी गांड पर रखे और उन्हें अपनी ओर खींचने लगी। वो समझ गए कि मुझे अब तेज चुदाई चाहिए। उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। “चटाक… चटाक…” उनके धक्कों की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मेरी चूत उनके लंड से रगड़ खा रही थी, और मैं सिसकार रही थी, “आह्ह… उह्ह… ससुर जी… मेरी चूत को चोद दो…”

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद उन्होंने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं तुरंत पलटी और घोड़ी बन गई। मेरी गोल-मटोल गांड उनके सामने थी। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारने लगे। “क्या मस्त गांड है तेरी, लवण्या…” वो बोले और अपने लंड को मेरी चूत में फिर से डाल दिया। इस बार उनके धक्के और गहरे थे। “आह्ह… ससुर जी… मेरी चूत फट जाएगी…” मैं चीख रही थी। वो मेरे बाल पकड़कर मुझे चोद रहे थे। उनकी हरकतें मुझे रंडी जैसा अहसास करा रही थीं।

20 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद वो बोले, “लवण्या, मेरा निकलने वाला है।” मैंने कहा, “मेरे मुँह में डाल दो, ससुर जी।” वो मेरे सामने आए, और मैंने उनका लंड फिर से मुँह में लिया। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह को चोदने लगे। “आह्ह… लवण्या… ले मेरा माल…” और उनके लंड ने मेरे मुँह में गरम-गरम माल की पिचकारी छोड़ दी। मैंने सारा माल निगल लिया।

उस दिन के बाद ससुर जी जब चाहते, मुझे अपने पास बुला लेते। मैं उनकी पर्सनल रंडी बन चुकी थी। हर बार वो मुझे नए-नए तरीके से चोदते, और मैं उनकी चुदाई की आदी हो गई थी।

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