ससुरजी ने की बहु की चुदाई

रात के 12 बज चुके थे। छोटे से गाँव राजापुर में बहूत ही सन्नाटा छ गया था। राजापुर गरीब की बस्ती है। इसी बस्ती के एक कोने में हरिया का घर है। हरिया एक गरीब किसान है। हरिया अपने घर के एक अँधेरी कोठरी में अक्सर की तरह अपनी नंगी बीबी की चुदाई में मशगुल था। हरिया की उमर 50 साल की है। और उसकी बीबी की उमर 45 साल की है। हरिया अपनी बीबी की चूत में लंड डाल कर काफ़ी देर से धीरे धीरे बड़े आराम से उसकी चुदाई कर रहा था। उसकी बीबी मुन्नी भी बिना किसी उत्तेजना के अपने दोनों पैर फैला कर यूँ ही पड़ी थी जैसे उसे हरिया के बड़े लंड की कोई परवाह ही न हो या फिर कोई तकलीफ ही न हो रही है। केवल हर धक्के पर धीमे से आह आह की आवाज निकल रही थी।

मुन्नी की बुर कब का पानी छोड़ चुका था। थोडी ही देर में हरिया का लंड से माल निकलने लगा तो वो भी सिसकारी भरते हुए मुन्नी की चूची को अपना मुह चूसने दिया और उसके बदन पर लेट गया । वो मुन्नी की बेजान चूची को उसने मुह में ले कर चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद उसने अपना लंड मुन्नी के बुर से निकाला और बगल में लेट गया। उसने दो बीडी जलाई , एक खुद पीने लगा और एक मुन्नी को थमा दिया । मुन्नी ने जोर जोर से कश भर के बीडी का मज़ा लिया . मुन्नी हरिया लटक रहे लंड को अपने हाथों में ले लिया और उस को सहलाने लगी। लेकिन अब हरिया के लंड में कोई उत्साह नही था। वो एक बेजान लत की तरह मुन्नी के हाथो का खिलौना बना हुआ था।
मुन्नी के कहा – एक बार और चोदो न. कुछ पता भी नहीं चला कि कब मेरा माल निकल गया.
हरिया- नहीं अब नहीं, तेरी चूत अब एकदम सुखी हो गयी है. तेरे चूत से पानी निकल जाता है . एकदम बेजान चूत हो गयी है तेरी. तेरे चूत की चुदाई में अब कुछ मज़ा नही आता. तेरी जवान गीली चूत चोदने का मज़ा ही कुछ और था.
मुन्नी ने मन मसोस कर हरिया के लंड को अपने मुह में ले कर चूसने लगी कि कहीं शायद ये फिर से खड़ा हो जाए और एक बार और चुदाई कर दे. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. कुछ देर चूसने के बाद भी हरिया का लंड लटकता ही रहा. थक हार कर मुन्नी बगल में चुपचाप लेट गयी. हरिया उसकी एक चूची को यूँ ही बेमन से दबा रहा था और किसी और विचार में खोया हुआ था.
अचानक मुन्नी ने कहा- जानते हो जी ! आज क्या हुआ?
हरिया ने कहा- क्या?
मुन्नी ने कहा- रोज़ की तरह आज में और मालती ( मुन्नी की बहु) सुबह शौच करने खेत गए । वहां हम दोनों एक दुसरे के सामने बैठ कर पैखाना कर थे…. तभी मैंने देखा कि मालती अपने बुर में ऊँगली घुसा कर मुठ मारने लगी। मैंने पूछा ये क्या कर रही है तू? तो उसने मेरी पीछे की तरफ़ इशारा किया और कहा – जरा उधर तो देखो अम्मा। मैंने पीछे देखा तो एक कुत्ता एक कुतिया को चोद रहा था । मैंने कहा- अच्छा, तो ये बात है। मालती ने कहा- देख कर बर्दाश्त नही हुआ इसलिए मुठ मार रही हूँ। मैंने कहा – जल्दी मुठ मार , घर भी चलना है। मालती ने कहा- हाँ अम्मा , बस अब निकलने ही वाला है। और एक मिनट हुए भी ना होंगे कि उसके चूत से इतना माल निकलने लगा कि एक मिनट तक निकलता ही रहा। मैंने पूछा- क्यों री , कितने दिन का माल जमा कर रखा था? उसने कहा- कल दोपहर को ही तो निकाला था। मैंने भी सोचा- कितना जल्दी इतना माल जमा हो जाता है।
मुन्नी की कहानी सुनने के बाद हरिया ने कहा- वो अभी जवान है ना। अभी तो बेचारी 20 साल की भी ठीक से नहीं हुई है. और फिर उसकी गर्मी शांत करने के लिए अपना बेटा भी तो यहाँ नही है ना। कमाने के लिए परदेश चला गया। अरे ! मै तो मना कर रहा था। 3 महीने भी नही हुए उसकी शादी को और अपनी जवान पत्नी को छोड़ कमाने बम्बई चला गया। बोला अच्छी नौकरी है। अभी बताओ चार महीने से आने का नाम ही नही है। बस फोन कर के हालचाल ले लेता है। अरे फोन से बीबी की गर्मी थोड़े ही शांत होने वाली है? अब उसे कौन कहे ये सब बातें खुल के?
थोडी देर शांत रहने के बाद मुन्नी फिर से हरिया के लंड को हाथ में ले कर खेलने लगी।
हरिया ने मुन्नी की चूची को दबाते हुए उस से पूछा- क्या तुम रोज़ ही उसके सामने बैठ के पैखाना करती हो?
मुन्नी ने कहा- हाँ।
हरिया- तब तो तुम दोनों एक दूसरे का बुर रोज़ देखती होगी।
मुन्नी- हाँ, बुर क्या पूरा गांड भी देखा है हम दोनों ने एक दूसरे का। बिलकूल ही पास बैठ कर पैखाना करते हैं।
हरिया – क्या वो अक्सर मुठ मारती है?
मुन्नी – हाँ. लगभग हर दिन मार ही देती है. यहाँ रात को मेरे साथ सोते हुए अपने कमरे में हर रात को मुठ मारती है. अभी भी वो नंगी ही सोई होगी अपनी चूत में उंगली डाल के. कई बार तो जब तुम खेत जाते हो तो हम दोनों घर के आँगन के कुएं पर नंगी हो के साथ नहातें हैं और वो वहाँ भी मेरे सामने ही मुठ मार देती है. कभी कभी तो मुझे भी गरमी चढ़ जाती है तो वो ही उसी समय कुएं पर मेरा भी मुठ मार देती है. बड़ी मस्त कुड़ी है.
हरिया- अच्छा , एक बात तो बता। उसका बुर तेरी तरह काला है या गोरा?
मुन्नी- पूरा गोरा तो नही है लेकिन मेरे से साफ़ है। मुझे उसके बुर पर के बाल बड़े ही प्यारे लगते हैं। बड़े बड़े और लहरदार रोएँ की तरह बाल। कई बार तो मैंने उसके बाल भी छुए हैं।
हरिया- क्यों?
मुन्नी – क्या करूँ? बेचारी बच्ची है. रोज रात को तो मै उसके साथ सोती हूँ तो रात को कभी कभी जिद पकड़ लेती है कि आज तू ही मेरी मुठ मार दे. इसलिए मै उसकी चूत में उंगली डाल कर मुठ मार देती हूँ. बेचारी को थोड़ी शान्ति मिल जाती है.
हरिया- बुर कैसा है उसका?
मुन्नी- बुर क्या है लगता है मानो कटे हुए टमाटर हैं। एक दम फुले -फुले, लाल -लाल।
हरिया – कितनी गहरी है उसकी चूत?
मुन्नी – अच्छी गहरी है. तुम्हारा पूरा लंड आराम से अपनी चूत में घुसा ले तो उफ्फ भी न करे . उसे चोदने वाला को बड़ा ही मज़ा आता होगा.
अचानक मुन्नी ने महसूस किया की हरिया का लंड खड़ा हो रहा है। वो समझ गई की हरिया को मज़ा आ रहा है।
वो बोली- अच्छा ,एक बात तो बताओ।
हरिया बोला- क्या?
मुन्नी- क्या तुम उसे चोदोगे?
हरिया- ये कैसे हो सकता है?
मुन्नी- क्यों नही हो सकता है? वो जवान है । अगर गर्मी के मारे किसी और के साथ भाग गई तो क्या मुह दिखायेंगे हमलोग गाँव वालों को? अगर तुम उसकी गर्मी घर में ही शांत कर दो तो वो भला किसी दूसरे का मुह क्यों देखेगी। जब वो किसी कुत्ते-कुतिया को देख कर मुठ मार सकती है तो वो किसी के साथ भी भाग सकती है। कितना नजर रख सकते हैं हम लोग? थोड़े दिन की तो बात है । फिर हमारा बेटा मोहन उसे अपने साथ बम्बई ले जाएगा तब तो हमें कोई चिंता करने की जरूरत तो नही है न।
हरिया- क्या मालती मान जायेगी?
मुन्नी ने कहा- अरे , वो कुत्ते से अपनी चूत चुदवाने के लिए तैयार हो जाएगी. तुम तो मर्द हो. कल रात को में उसे तुम्हारे पास भेजूंगी। उसी समय अपना काम कर लेना।
हरिया का लंड पूरा जोश में आ गया।
उसने मुन्नी की बुर में अपना लंड डालते हुए कहा- तुने तो मुझे गरम कर दिया रे।
मुन्नी ने कहा – एक काम करना. अभी मै उसके पास जा रही हूँ. तुम थोड़ी देर के बाद आ कर उसको सुना सुना कर मुझे वहीँ चोदना ताकि उसे गर्मी चढ़े.
हरिया – लेकिन वो क्या सोचेगी ?
मुन्नी – अरे वो सोचेगी क्या? वो जानती है कि तुम मुझे हर रात को चोदते हो. देखो, मै जाती हूँ. तुम वह आना और कहना कि चोदने का बहुत मन हो रहा है इसलिए यहीं चोदुंगा. बहु को सोता हुआ मान कर अच्छे से मुझे चोद कर वापस चले जाना.
हरिया बोला- ठीक है जा.
मुन्नी एक कपडे अपने बदन पर डाल कर वापस मालती के कमरे में आ कर उसके बगल में लेट गयी. मालती एक दम से नंगे बदन थी. मुन्नी रोज़ अपनी बहु मालती के ही कमरे में एक ही पलंग पर सोती थी. जब उसे चुदवाने का मन होता था तो उठ कर हरिया के कमरे में चली जाती थी. फिर चुदवा कर वापस आ जाती थी. मालती भी जानती थी ये बात.
वापस आ कर मुन्नी मालती के बगल में लेट कर बोली – सो गयी क्या बहु?
मालती – क्यों अम्मा?
मुन्नी उसकी चूत पर हाथ घसते हुए बोली – निकाल लिया पानी?
मालती – हाँ अम्मा निकाल लिया …तेरी भी ठुकाई हो गयी?
मुन्नी ने ढिबरी बुझाते हुए कहा – हाँ री. ये तो रोज़ की बात है. अच्छा चल सो जा.
लेकिन अभी दस मिनट भी ना हुए थे कि प्लान के मुताबिक़ हरिया उस अँधेरे कमरे में दाखिल हुआ और चोर की तरह मुन्नी मुन्नी पुकारने लगा. मुन्नी ने जान बुझ कर धीरे से कहा – क्या बात है जी? इस तरह अँधेरे में क्यों आये हो चोरों की तरह.
हरिया – तू है किधर, जरा मेरा हाथ तो थाम.
मुन्नी ने बिस्तर पर लेटे – लेटे ही हरिया का हाथ थामा और पूछी- क्या बात है जी ?
हरिया – चल , मेरे कमरे में.
मुन्नी – क्यों?
हरिया – फिर गर्मी चढ़ गयी है. चोदना है तुझे.
मुन्नी – हाय राम, अभी तो चोदा है मुझे… अब फिर से?
हरिया – हाँ..चल मेरे कमरे में.
मुन्नी – नहीं अब मै नहीं जाउंगी … चोदना है तो यही चोद लो.
हरिया – यहाँ? यहाँ बहु सो रही है… कहीं जग गयी तो?
मुन्नी – नहीं वो सो गयी है… अब जल्दी से अपना काम कारो और चलते बनो.
हरिया – ठीक है. जैसी तेरी मर्जी.

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हालांकी मालती अभी सोयी नही थी..लेकिन सास-ससुर की रास लीला को चुप-चाप सुन कर सोने का नाटक कर रही थी. वो भी मस्त हो रही थी.

हरिया सीधे मालती के बदन पर चढ़ गया. मुन्नी ने मुस्कुरा कर अपनी दोनों टांगें फैला दी और हरिया ने अपना बड़ा लंड उसके चूत में डाला और पेलने लगा. उसकी पेलाई से सारा पलंग जोर जोर से हिलने लगा.

मुन्नी भी जान बुझ कर जोर – जोर से आह – आह की आवाज़ निकने लगी। वो लगभग चीखने लगी . बोल रही थी- हाय राम, बुढापे में कुछ तो रहम करो. हालांकि उसे कोई ख़ास दर्द नही हो रहा था लेकिन वो अपनी बहु को सुनाने के लिए जोर जोर से बोलने लगी- आह -आह, धीरे धीरे चोदो ना। दर्द हो रहा है। इतना बड़ा लंड घुसा दिया..आह..
सारा कमरा उन दोनों की चीख और चुदाई की घपाघप की आवाज़ से गूंज रहा था जो कुम्भकर्ण को भी जगाने के लिए काफी था.
ये आवाज़ बगल में लेटी हुई उसकी बहु मालती को तडपाने के लिए काफ़ी थी। वो जान बुझ कर अनजान बनी हुई थी. जबकि उसके सास को अच्छी तरह पता था कि मालती सब सुन रही है. चुदाई की मीठी दर्द भरी आवाज़ सुन कर मालती का बुर चिपचिपा गया। वो अपने पिया मोहन के लंड को याद कर के अपने बुर में ऊँगली डाली और ऊँगली से ही बुर की गत बना डाली।
दस- बारह मिनट के बाद हरिया के लंड ने माल उगला और मस्त आवाज निकालते हुए वो निढाल हो गया. थोड़ी देर बाद वो वहां से चला गया. उसके जाने के बाद मालती अचानक अपनी सास को अपने बाँहों में लपेटा और बोली – क्यों अम्मा, बड़ी मस्त चुदाई हुई तेरी तो.
मुन्नी ने जान – बुझ कर हडबडाते हुए कहा – हाय राम, तू सोयी नहीं थी? तू सब सुन रही थी?
मालती – नहीं अम्मा, जब दो जवान लंड और चूत का बगल में जबरदस्त खेल हो रहा हो तो नींद कैसी आएगी?
मुन्नी – धत, पगली, तेरा ससुर तो बावला हो गया था. मैंने सोचा कि तू सो गयी है , इसलिए यहीं चुदवा लिया.
मालती – अम्मा, मेरी चूत बहुत गर्म हो गयी है…मेरी भी पानी निकाल दे ना.
मुन्नी – ला, आज मै तेरी चूत चूस कर तेरा पानी निकालती हूँ.
इसके बाद मुन्नी ने मालती के चूत को अपने मुंह में लिया और चूसने लगी. ज्यों ही मुन्नी ने मालती के चूत को मुंह में लिए त्यों ही मालती का रस उसके चूत से निकलने लगा. मुन्नी ने उसके चूतरस का रसास्वादन किया. थोड़ी ही देर में दोनों नंगे ही एक दुसरे को लपेटे सो गए.
सुबह हुई । दोनों सास बहु खेत गई । दोनों एक दूसरे के सामने बठी कर पैखाना कर रही थी।
मालती ने अपनी सास मुन्नी की बुर देख कर बोली- अम्मा, तुम्हारा बुर कुछ सुजा हुआ लग रहा है।
मुन्नी ने मुस्कुरा कर कहा- ये जो तेरे ससुर जी हैं न बुढापे में भी नही मानते। देख न कल रात को इतना चोदा कि अभी तक दुःख रहा है।
मालती ने कहा- एक बात कहूँ अम्मा?
मुन्नी- हाँ, कह न।
मालती- बाबूजी बहुत मस्त चोदते है अभी भी.
मुन्नी- हाँ री। उसका लंड तो लगता है कि बांस है। जब वो मुझे चोदते हैं तो लगता है की अब मेरी बुर तो फट ही जायेगी।
मुन्नी ने देखा की मालती अपनी ऊँगली अपने बुर में घुसा दी है।
मुन्नी ने पूछा- क्या हुआ तुझे? क्या फिर कोई कुत्ता है यहाँ ?
मालती बोली- नही अम्मा, .मुझे कल की बातें याद कर के गर्मी चढ़ गई है। इसे निकालना जरूरी है। लेकिन , एक बात है .. बड़ी जान है बुढ्ढे के लंड में. तू बहुत भाग्यशाली है अम्मा, मेरी तो किस्मत ही फूटी है, जवानी बेकार जा रही है मेरी.
मुन्नी बोली- सुन, यूँ दुखी मत हो. तू एक काम क्यों नही करती? आज रात तू अपने ससुर के साथ अपनी गर्मी क्यों नही निकल देती?
मालती चौंक कर बोली- ये कैसे हो सकता है? वो मेरे ससुर हैं।
मुन्नी बोली- अरे तेरी जरूरत को समझते हुए मैंने ऐसा कहा। तुझे इस समय किसी मर्द की लंड की जरूरत है। अब जब घर में ही मर्द मौजूद हो तो क्यों नही उसका लाभ उठा जाए। तू सिर्फ लंड देख. लंड वाला तेरा क्या लगता है वो सब मत सोच.
मालती का मन अब डोल चुका था।
वो बोली- कहीं बाबूजी नाराज हों गए तो ?
मुन्नी बोली- अरे तू आज रात को उनके पास चले जाना। में बहाना बना के भेज दूँगी। धीरे धीरे रात के अंधेरे में जब तू उनको छुएगी ना , तो तू भूल जायेगी की तू उनकी बहु है और वो भूल जायेगे की वो तुम्हारे ससुर हैं।
ये सुन कर मालती के बुर में मानो तूफ़ान आ गया। उसके बुर से इतना पानी निकलने लगा कि मुन्नी को लगा कि ये पेशाब कर रही है। अब मुन्नी खुश थी। दोनों तरफ़ मामला सेट था।
रात हुई। खाना- वाना ख़त्म कर मुन्नी हरिया के कमरे में गई और हरिया को बता दी कि मै मालती को भेज रही हूँ। वो चुदवाने के लिए तैयार है. तुम सिर्फ़ थोडी पहल करना।
कह के वो बाहर चली आई।
और बहु से बोली- मालती,मै तुझे हरिया के तेल मालिश के बहाने उसके पास भेज रही हूँ. जा कर धीरे धीरे लंड पकड़ लेना. फिर सब अपने आप हो जायेगा.
मालती – ठीक है अम्मा .
फिर मुन्नी दरवाजे के बाहर से हरिया को बोली- सुनते हों जी , मै बगल के पड़ोसी के यहाँ जागरण में जा रही हूँ । सुबह आउंगी . तुम मालती बहु से तेल मालिश करवा लेना।
इस प्रकार मालती को लगा कि ससुर जी को मेरे मन की बात पता नहीं है और उसे नहीं पता चला कि ससुरजी उसको चोदने के लिए किस तरह बेताब है. . जब कि हरिया को सब कुछ पहले से ही पता था.
मालती जैसे ही दरवाजे के पास आई मुन्नी ने उस से धीरे से कहा – देख मैंने बहाना बना कर तुम्हे उनके पास भेज रही हूँ। मालिश करते करते उनके लंड तक अपना हाथ ले जाना। शर्माना नही। अगर उनको बुरा लगे तो कह देना की अंधेरे में दिखा नही। अगर कुछ नही बोले तो फिर हाथ लगाना। जब देखना कि कुछ नही बोल रहे हैं तो समझना की उन्हें भी अच्छा लग रहा है। ठीक है ना? अब मैं चलती हूँ।
कह कर मुन्नी पड़ोस में हो रहे जागरण में चली गई। मालती ने किवाड़ लगाया और अपना पुरे कपडे उतार कर सिर्फ एक पेटीकोट को अपने चूची पर से पहना जो कि उसके कमर से थोड़े नीचे तक ही था. उसने ना तो ब्रा पहना न ही पेंटी. उसकी चूची के बीच की गहरी दरार स्पष्ट दिख रही थी. वो हाथ में तेल की शीशी लिए हरिया के कमरे में आई। हरिया भी सिर्फ एक पतली सी गमछी लपेटे अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था.
हरिया ने कहा- आ जा बहु । वैसे तो तेल मालिश की जरूरत नही थी, लेकिन आज मेरा पैर थोड़ा सा दर्द कर रहा है इसलिए मालिश जरूरी है।
मालती हरिया के बिस्तर पर बैठ गई। कमरे में एक छोटी सी डिबिया जल रही थी। जो कि पर्याप्त रौशनी के लिए भी अनुकूल नही थी। लेकिन दोनों ही लगभग नंगे थे और एक दुसरे के बदन को अच्छी तरह से देख सकते थे. हरिया ने जब अपनी बहु को सिर्फ पेटीकोट में देखा तो उसके लंड ने गमछी के अन्दर उफान मचा दिया.
मालती ने कहा- कोई बात नही बाबूजी । मै आपकी अच्छे से मालिश कर देती हूँ।
हरिया ने कहा- बहु, जरा ये डिबिया बुझा दे , क्यों कि मैंने गमछी के अन्दर कुछ नहीं पहन रखा है।
मालती ने डिबिया बुझा दी। अब वहां अँधेरा छा गया। लेकिन बाहर की चांदनी रात की रोशनी अन्दर आ रही थी। जिस से सब कुछ स्पष्ट दिख रहा था. मालती की सांसे तेज़ हों गई। वो तेल को हरिया के पैरों में लगाने लगी। धीरे धीरे वो हरिया के जांघों में तेल लगाने लगी। जांघ में तेल लगाते लगाते उसने धीरे धीरे हरिया कि गमछी खोल दी. अब हरिया अपनी बहु के सामने नंगा था. मालती चांदनी रौशनी में हरिया के विशाल लंड को झूलते हुए देख मचलने लगी. मालती ने धीरे से जान बुझ कर हरिया के लंड तक अपना हाथ ले गई। हरिया ने कुछ नही कहा। मालती दुबारा हरिया के लंड पर हाथ लगाया। और तेल को वो जांघों और लंड के बीच लगाने लगी। जिससे वो बार बार हरिया के अंडकोष पर हाथ लगा सकती थी। हरिया ने जब देखा की बात लगभग बन चुकी है। मालती पूरी गरम हों गई। अब वो हरिया के लंड को छूने की कोशिश कर रही थी। धीरे धीरे उसने लंड पर हाथ लगाया और पकड़ लिए । हरिया का लंड सोया हुआ था। लेकिन ज्यों ही मालती ने हरिया का लंड छुआ मालती के जिस्म में एक सिरहन सी दौड़ गई। अब वो दुबारा अपना हाथ हरिया के दूसरे जांघ पर इस तरह ले गई जिस से उसकी कलाई हरिया के लंड को छूती रहे। हरिया भी पका हुआ खिलाड़ी था। उसका लंड जल्दी खड़ा होने वाला नही था। उसे तो पता था कि मालती चुदवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है .
हरिया ने कहा- बहु, अब जरा मेरे जांघ पर बैठ कर मेरे सीने की मालिश कर दे. इस से मेरे जांघ का दर्द भी कम हो गायेगा.
मालती ने अपनी पेटीकोट को ऊपर किया और अपनी नंगी चुतद को हरिया के जांघ पर बैठा कर हरिया के सीने पर हाथ फेरने लगी. इधर उसका चूत हरिया के लंड से सट रहा था. दोनों का ध्यान चूत और लंड के सटने पर ही था. मालती भी अपने चूत से अपने ससुर के लंड को छूने के लिए अब बेताब होने लगी. मालती ने एक हाथ से अपने ससुर का लंड को पकड़ा और उसमे तेल लगाने लगी.
हरिया- तुम अपनी पेटीकोट खोल दो ना। वैसे भी तेल लगने से सारी ख़राब हों सकती है।
मालती तो ये चाहती थी। उसने सोचा कि जब ससुरजी ही उसे नंगी होने के लिए कह रहे हैं तो उसे देर नहीं करनी चाहिए. उसने अपनी पेटीकोट खोल के एक किनारे रख दिया। अब वो पूरी नंगी थी.
वो हरिया के जांघ पर इस तरह से बठी की उसकी चूत हरिया के लंड में पूरी तरह से सटने लगी. उसकी नरम गांड हरिया के सख्त जांघ पर इस तरह थी मानो पत्थर पर कमल का फूल. हरिया को उसकी नरम नरम गांड का अहसास होने लगा. अब हरिया में भीतर तूफ़ान उठना शुरू हो गया. वो समझ गया की लोहा गरम है और यही सही समय है चोट मारने का. उसने अपने हाथ से अपनी बहु की नंगी जांघ पर हाथ रखा और चिकनी जांघ पर हाथ फेरने लगा. उसकी बहु को मज़ा आने लगा. उसने अपने हाथ में हरिया का लंड पूरी तरह पकड़ लिया. और उसे दबाने लगी. अब थोडा थोडा हरिया का लंड खडा होने लगा. लेकिन वो पूरी तरह से इसे खड़ा नहीं किया और हरिया ने अपने हाथ को धीरे धीरे अपनी बहु की गांड पर फेरना चालु कर दिया. अब मालती को पूरा यकीन हो गया की ससुरजी भी चोदने के लिए तैयार हैं. हरिया का हाथ अपनी बहु की गांड की दरार में कुछ खोजने लगा. एक बार जैसे ही मालती आगे की और झुकी वैसे ही हरिया ने मालती की गांड की छेद में अपनी ऊँगली घुसा दिया. मालती तड़प गयी. लेकिन वो कुछ नहीं बोली. वो सिर्फ आगे की और झुकी रही. और नीचे से उसके ससुर उसकी गांड में उंगली करता रहा. अब मालती अपने रंग में आई और लपक कर अपने ससुर के लंड को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी. अब मामला पूरी तरह से साफ़ हो चुका था.
हरिया ने जबरदस्ती अपने लंड को मालती के मुंह से निकाला और अपने शरीर पर झुकी हुई अपनी बहु को एक हाथ से लपेटा और अपने बदन पर लिटा दिया. अब मालती की चूची हरिया के सीने पर रगड़ खाने लगी. हरिया अपनी बहु की गदराई नरम देह को अपने सख्त शरीर में कस कर सटा रहा था. हरिया उसके नरम होठों को अपने मुंह के ले कर चूसने लगा. धीरे से उसने मालती को अपने बगल में लिटाया और उसके चूची को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा. और कहा -बड़े नरम चूची है तेरी तो.
वो मालती के चूची को मसलने लगा। मालती की चूची गदराई जवानी का प्रतीक थी.
हरिया बोला- तेरी चूची तो एक दम सख्त है। मै तेरी चूची चूस रहा हूँ, तुझे बुरा तो नही लग रहा है न?
मालती बोली- नही, आप मेरे साथ कुछ भी करेंगे तो में बुरा नही मानूंगी। आप मुझे चोदेंगे तो भी नहीं.
हरिया ने कहा- शाबाश बहु, यही अच्छे बहु की निशानी है। बोल तुझे क्या चाहिए?
मालती- बाबूजी मुझे कुछ नही चाहिए, जो आपकी मर्ज़ी हो वो दे दें ।
हरिया- बहुत दिन से प्यासा हूँ. जरा मुझे अपनी चूत का पानी पिला दे ना .
मालती- अब देर किस बात की? मुझे भी किसी मर्द से अपनी चूत चुस्वाने का बहुत शौक है.
हरिया ने नीचे जा कर मालती के बुर को पहले तो छुआ फिर, मुंह में ले कर चूसने लगा।
मालती कहराते हुए बोली- हाय……. राम……..ऐसे मत चूसिये बाबूजी , मै मर जाऊंगी।
लेकिन हरिया नहीं माना. वो तो इस तरह इसे चूस रहा था मानो कोई आम की गुठली चूस रहा हो. मालती अपनी आँख बंद कर के अपने दोनों हाथ से अपने सर के पीछे रखे तकिये को जोर से पकड़ कर दबाये हुए मचल रही थी. उसका नंगा बदन सांप की तरह अंगडाई ले रहा था. थोड़ी देर में ही मालती के चूत ने पानी छोड़ दिया. हरिया ने मालती की चूत से बहती हुई पुरी पानी को चाट चाट कर पी लिया.
अब हरिया उठ खड़ा हुआ और, मालती के हाथ में अपना लंड थमा दिया। मालती के हाथ मानो कोई खजाना मिल गया हों। वो हरिया के लंड को कभी चूमती कभी खेलती. लेकिन वो कुछ निराश भी थी क्यों की ससुरजी का लंड आधा ही खडा हुआ था. जबकि सासुजी ने कहा था कि ससुरजी का लंड बांस की तरह टाईट हो जाता है. लेकिन मालती फिर भी इस आधे खिले हुए लंड को ही अपने प्यासे चूत में डालने के लिए बेताब थी.
वो बोली-बाबूजी, इसको मेरे बुर में एक बार डाल दीजिये न।
हरिया ने अपने लटके हुए लंड को हाथ से पकड़ कर मालती के बुर में घूसा दिया। मालती के बुर में हरिया का लंड जाते ही फुफकार मरने लगा। और मालती के बुर में ही वो खड़ा होने लगा।
मालती- बाबूजी ये क्या हों रहा है? जल्दी से निकल दीजिये।
हरिया- कुछ नही होगा बहु। अब हरिया का लंड पूरी तरह से टाइट हों गया। अब हरिया का लंड सचमुच बांस कि तरह टाईट और बड़ा हो गया था. मालती दर्द से छटपटाने लगी। उसे यह अंदाजा ही नही था की जिसे वो कमजोर और बुढा लंड समझ रही थी वो बुर में जाने के बाद इतना विशालकाय हों जाएगा। हरिया ने मालती को चोदना चालू किया। पहले दस मिनट तक तो मालती बाबूजी बाबूजी छोड़ दीजिये कहती रही। लेकिन हरिया नही सुना, वो धीरे धीरे उसे चोदता रहा। दस मिनट के बाद मालती का बुर थोड़ा ढीला हुआ। अब हरिया का पूरा लंड उसके चूत में आराम से आ – जा रहा था. अब मालती को भी अच्छा लग रहा था। दस मिनट और हरिया ने मालती की जम के चुदाई की। तब जा कर हरिया के अन्दर का पानी बाहर आने को हुआ तो उसने अपना लंड मालती के बुर से निकल के मालती के मुंह में लगा दिया बोला – पी जा।
मालती ने हरिया के लंड को मुंह में ले कर ज्यों ही दो- तीन बार चूसा कि हरिया के लंड से तेज़ धार निकली जिस से मालती के पूरा मुंह भर गया। मालती ने सारा का सारा माल गटक लिया। आज जा कर मालती की गर्मी शांत हुई।
उस के बाद फिर थोड़ी देर के बाद ससुर और बहु के बीच सम्भोग का खेल चालु हुआ. इस बार काफी इत्मीनान हो कर हरिया अपनी बहु मालती की चुदाई कर रहा था. मालती अब जोर जोर से बेशर्म हो कर आह आह की आवाज निकाल रही थी और अपने ससुर का पूरा साथ दे रही थी. इस बार जब हरिया का माल निकालने को आया तो मालती ने कहा- इस बार चूत में ही निकाल लीजिये. हरिया ने वैसे ही किया. 2 मिनट तक उसके लंड से माल निकलता रहा और मालती के चूत में गिरता रहा. इस तरह तीन राउंड चूत पेलाई के बाद जालिम हरिया ने चौथे राउंड में मालती की गांड भी मार ली. वो तो मालती थी जो कि अपने गांड में ढेर सारा क्रीम डाल कर अपने ससुर के लंड को झेल गयी. कोई और होती तो उसकी तो गांड ही फट जाती. हरिया भी अपनी बहु की सेक्सी अदा और बहादुरी पर काफी प्रसन्न हुआ. उसे तो पता ही नहीं था कि जिस लड़की को वो खोजता था वो उसी के घर में उसकी बहु बन कर थी. हरिया ने जम कर मालती की गांड मारने के बाद जब माल निकलने को हुआ तो अपने लंड को उसके गांड से निकाल कर उसके चूत में डाला और सारा माल उसके चूत में गिर जाने दिया. वो मालती के चूत में लंड डाले हुए ही सो गया और मालती को भी कब नींद आ गयी उसे भी पता ना चला.
सुबह के चार बजे जब मुन्नी जागरण में से घर और अपने कमरे में गयी तो देखती है कि उसका पति हरिया अपनी बहु मालती के चूत में लंड डाले हुए उसके नंगे बदन पर सो रहा है. देख कर मुन्नी को थोड़ी ख़ुशी हुई कि चलो आखिर मेरी बहु मेरे घर के काम आई. उसने जा कर अपने बहु को हिला कर जगाया. थकी हुई बहु की आँखे खुली तो अपने चूत में अपने ससुर जी का लंड देख कर और सामने अपनी सास को देख कर थोड़ी शर्म आई. उसने प्यार से ससुरजी के लंड को अपने चूत से निकाला और ससुर जी को जगाया. हरिया की भी आँख खुल गयी. उसने जब अपने आप को नंगा और अपनी बहु को नंगा देखा तो उसे सारी बात याद आ गयी.
मुन्नी ने पूछा- अरे मालती, मैंने तो तुम्हे इनकी मालिश करने को कहा था. इन्होने ने तो तेरी ही मालिश कर दी. रात भर मालिश करवाती रही क्या?
मालती ने मुस्कुरा कर कहा- नहीं अम्मा, सिर्फ 4 बार ! 3 बार आगे से एक बार पीछे से.
मालती – शाबाश. मेरी बहु. अब तो खेत के कुत्ते को देख कर गर्म नहीं होगी न ?
मालती – नहीं अम्मा, अब तो घर में ही घोड़े का लंड हो तो बाहर क्यों देखूं?
मुन्नी ने हरिया से कहा- क्यों जी , कैसी लगी मेरी बहु के हाथो की मालिश? मज़ा आया? मेरी फुल जैसी बहु को तुमने ज्यादा मालिश तो नहीं कर दी ना?
हरिया ने कहा – हमारी बहु के हाथों में तो जादू है. अब रोज़ ही मै इसकी और ये मेरी मालिश लिया करेगी.
मुन्नी ने हँसते हुए कहा- हाँ , क्यों नहीं. वैसे भी अब मेरे हाथ में वो बात कहाँ जो मालती बहु के हाथ में है. अच्छा…एक बार मेरे सामने मालती को चोद के दिखाओ तो मै समझूँ कि तुझमे अभी भी मर्दानगी है.
हरिया – देख मुन्नी , अब तू भी कपडे खोल, इसके साथ साथ तेरी भी ठुकाई कर दूँ.
मुन्नी भी एक क्षण में अपने सारे कपडे उतारने लगी. तब तक इधर हरिया मालती की दोनों टांगों को अपने कन्धों पर चढ़ा कर उस के चूत में अपना लंड डाल कर चुदाई प्रारम्भ कर चुका था. मुन्नी नंगी हो कर नीचे से मालती की गांड चाटने लगी. मालती की तो मानो लौटरी खुल गयी थी. दस मिनट के असाधारण मस्ती के बाद मालती के चूत से रस टपकने लगा. जिसे मुन्नी चूस रही थी. उसी समय हरिया ने भी अपना रस मालती के चूत में गिरा दिया. मुन्नी ने जल्दी से हरिया को मालती के बदन पर से हटाया और मालती के चूत पर मालती और हरिया के मिश्रित रस को चाटने लगी.
उसके रस को चाट – पोछ कर पिने के बाद वो सीधे हरिया के बदन पर लेट गयी और उसे चूमने लगी. हरिया ने उसे पकड़ कर बिस्तर पर सीधा लिटा दिया और अपने खड़े लंड को उसके चूत में डाल कर 20 मिनट तक ताबड़तोड़ चुदाई की. 20 मिनट में मुन्नी 200 बार मरी और बची. आखिरकार सूर्योदय होते होते हरिया के लंड ने छठी बार माल निकाला जो इस बार मुन्नी के चूत में गया. इस बीस मिनट की चुदाई में मुन्नी इतनी थक गयी जितनी उसकी बहु पांच बार की चुदाई में भी नहीं थकी थी. तीनो मस्त हो चुके थे. .
उसके बाद मालती रोज़ ही अपने सास – ससुर के साथ ही सोने लगी. रात भर तीनो एक दुसरे की बदन की मालिश करते और मालती और मुन्नी जी भर कर चुदवाती थीं.

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