सामनेवाली चाची के साथ संभोग

Antarvasna Padosi Chachi Sex Story हैलो दोस्तों, मेरा नाम मोहन बरनवाल है और मैं असम के एक छोटे से गाँव में रहता हूँ। मेरी लंबाई 5.7 फीट है और मेरी उम्र 21 साल है। मेरे लंड का साइज 7.5 इंच है, मोटा और सख्त, और मेरा रंग थोड़ा साँवला है। दोस्तों, आज मैं आपको अपना पहला अनुभव इस कहानी के रूप में सुनाने जा रहा हूँ। उम्मीद करता हूँ कि ये पढ़कर आपको बहुत मजा आएगा। ये मेरी पहली कहानी है, जो एक सच्ची घटना पर आधारित है। कुछ समय पहले मेरे साथ ये घटना घटी, जिसमें मैंने अपनी पड़ोस वाली चाची को चोदकर उनकी प्यास बुझाई।

मेरी चाची का नाम राधिका है। उनके घर में उनकी 7 साल की बेटी पूजा, उनके ससुरजी और उनका पति रहता है। उनका पति सुनार है और ज्यादातर समय घर से बाहर रहता है। हफ्ते में दो दिन ही घर आता है। उसका एक पैर बचपन से टूटा हुआ है, जिससे वो लंगड़ाकर चलता है।

दोस्तों, मैं बचपन से अपनी सेक्सी चाची को घूर-घूरकर देखता रहा हूँ। चाची दिखने में बिल्कुल परी जैसी हैं। उनकी हाइट 5.4 फीट, फिगर 36-34-38, काले घने बाल, पतला दुबला बदन, दूध जैसा गोरा रंग, सेक्सी आँखें और गुलाबी होंठ। उनकी खूबसूरती ऐसी कि शब्द कम पड़ जाएँ। उनका जिस्म देखकर किसी का भी लंड तन जाए। अगर वो एक बार मिल जाएँ, तो लगता है पूरी दुनिया मिल गई।

अब मेरी कहानी सुनिए। मैं बचपन से चाची को देखता आया हूँ, लेकिन कभी गलत नजर से नहीं देखा। ये घटना दो साल पहले की है, जब मैं बी.ए. के पहले साल में था। कॉलेज की छुट्टियाँ हो गईं, तो मैं होस्टल से घर आ गया। करीब दो महीने बाद घर लौटा था।

एक सुबह जब मैं सोकर उठा, तो माँ ने कहा कि चाची के घर की टीवी खराब हो गई है। रात को जाकर ठीक कर देना। अभी चाची आई थीं और बोलकर गई हैं। मैंने कहा ठीक है। नाश्ता करके सुबह 8 बजे उनके घर गया। हमारे और उनके घर के बीच सिर्फ एक दीवार है।

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मैं पहुँचा तो चाची की बेटी पूजा ने दरवाजा खोला। मैंने पूछा चाची कहाँ हैं? तभी चाची किचन से बाहर आईं। शायद कुछ बना रही थीं। उन्हें देखकर मैं ठगा-सा रह गया। चाची ने हल्की मैक्सी पहनी थी, जिसका गला बड़ा था। उनके बड़े-बड़े बूब्स आधे बाहर लटक रहे थे। उनका पसीने से भीगा बदन, उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैं अपने आप में नहीं था। मेरा सारा ध्यान उनके लटकते बूब्स पर था, जो मुझे अपनी तरफ खींच रहे थे।

फिर चाची ने मुझे चींटी काटी, तो मेरे शरीर में करंट-सा दौड़ा। मैं होश में आया और पूछा, “चाची, टीवी को क्या हुआ?” वो मुस्कुराकर बोलीं, “कल रात चलते-चलते बंद हो गई। तुम देखो क्या हुआ है।” मैंने टीवी चालू किया और फिर उन्हें घूरने लगा। चाची बोलीं, “ऐसे क्या देख रहे हो? पहले कभी नहीं देखी क्या?” मैंने नजर नीचे करके टीवी चेक करना शुरू किया।

पता चला टीवी में जैक की प्रॉब्लम थी। मैंने जैक बदल दिया और टीवी ठीक हो गया। कुछ देर वहाँ रुकने के बाद, जब मैं जाने लगा, तो चाची किचन से दो रोटी और सब्जी ले आईं। मैंने कहा, “चाची, मैं अभी घर से खाकर आया हूँ, नहीं चाहिए।” वो मुझे अजीब नजरों से देखने लगीं। शायद उन्हें शक हो गया कि मैं उन्हें चोदना चाहता हूँ और मेरी नजर उनके बूब्स पर टिकी है। मैं घर लौट आया।

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एक घंटे बाद दोस्तों से मिलने बाहर गया। कुछ घंटे बाद जब लौटा, तो माँ ने कहा, “चाची ने फिर से बुलाया है।” ये सुनकर मैं मन ही मन खुश हो गया। भगवान को धन्यवाद दिया। दोपहर के तीन बज चुके थे। मैं चाची के घर गया। चाची ने दरवाजा खोला और बैठने को कहा। उन्होंने जालीदार काली साड़ी और मैचिंग बड़ा गला वाला बिना बाजू का ब्लाउज पहना था। उनका सेक्सी जिस्म देखकर मैं मन ही मन पागल हो रहा था। मेरी नजर बार-बार उनके बूब्स पर जा रही थी। मैं घूरता रहा। चाची मेरी गंदी नियत समझ चुकी थीं और शायद इसलिए हल्का-सा मुस्कुरा रही थीं।

मैंने पूजा के बारे में पूछा। वो बोलीं, “वो ट्यूशन गई है, शाम 6 बजे आएगी।”

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चाची: “सुबह तुमने मेरे बार-बार कहने पर भी कुछ नहीं खाया, इसलिए मैंने तुम्हारे लिए प्यार से मोतीचूर के लड्डू बनाए हैं।”

मैं: “ठीक है चाची, लेकिन इसकी क्या जरूरत थी?”

चाची: “क्यों, तुम इतने दिनों बाद आए हो। क्या मैं तुम्हारे लिए इतना भी नहीं कर सकती? और बताओ, कॉलेज में क्या चल रहा है?”

मैं: “जी कुछ खास नहीं, बस पढ़ाई चल रही है।”

चाची: “क्यों, अब तो वहाँ कोई गर्लफ्रेंड बनाई होगी?”

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उनके मुँह से ये सुनकर मैं चौंक गया। पहली बार चाची मुझसे इतनी खुलकर हँसते हुए ऐसी बातें कर रही थीं। मैंने सोचा मौका अच्छा है, फायदा उठा लूँ। मैं भी खुलकर बात करने लगा।

मैं: “हाँ चाची, कुछ समय पहले मैंने एक लड़की को गर्लफ्रेंड बनाया है।” मैंने सच बोल दिया।

चाची अब पूरी खुलकर बात करने लगीं और मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछने लगीं।

चाची: “वो दिखने में कैसी है? रंग कैसा है?” और भी बहुत कुछ पूछा।

मैंने सब सच-सच बताया। हमने क्या-क्या किया, कैसे प्यार हुआ, सब कुछ। फिर मैंने पूछा, “चाची, आप कैसे हैं?”

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मैं: “मैं जब से आया हूँ, आप दिखाई ही नहीं देतीं। क्या बात है?”

चाची: “देखोगे कैसे? तुम तो बहुत दिन से घर आए ही नहीं।” इतना कहकर वो रोने लगीं।

मैं: “चाची, क्या हुआ? कोई समस्या है?”

चाची: “नहीं, बस ऐसे ही।”

मैं: “बोलो ना, अगर नहीं बताना तो मत बताओ।”

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चाची: “तुम जानते हो, उन्हें ज्यादातर बाहर रहना पड़ता है। पूजा भी अपने पापा को याद करके रोती रहती है।”

मैं: “क्यों, आप उन्हें याद नहीं करतीं?”

चाची: “हाँ, लेकिन याद करके क्या फायदा?”

मैं: “क्या मतलब?”

चाची: “कुछ नहीं, मेरी समस्या तुम अभी नहीं समझोगे।”

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मैं: “प्लीज बोलो, अगर मुझे दोस्त मानती हो तो।”

वो मेरी तरफ प्यासी नजरों से देखकर बोलीं, “तुम जानते हो, उनका एक पैर बचपन से टूटा है। वो कुछ भी नहीं कर पाते। मेरी किस्मत ही खराब है।”

उनकी बातें सुनकर मैं चुप रहा। फिर सोचकर बोला, “चाची, आपका मतलब क्या है कि वो कुछ नहीं कर पाते?”

चाची की बातें मेरे शरीर में करंट दौड़ा रही थीं। मैं जानबूझकर उनकी मन की बात जानने के लिए बात को आगे बढ़ाने लगा। चाची कुछ देर मुझे प्यार भरी नजरों से देखती रहीं। फिर अचानक उठीं और मेरे पास आकर बैठ गईं। मेरा हाथ पकड़कर बोलीं, “मोहन, क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे?”

उनके मुँह से ये सुनकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मैं नाटक करते हुए अनजान बनकर बोला, “अरे चाची, ये क्या कह रही हो?” वो बोलीं, “अब ज्यादा नाटक मत करो। मैं जानती हूँ तुम भी मन ही मन मेरे साथ सेक्स करना चाहते हो। सुबह से तुम्हारी नजरें सब बता रही थीं।”

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मैं कुछ नहीं बोला। उठकर उनके पास गया और उनके गुलाबी होंठों पर किस करने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ देने लगीं, मेरे होंठ चूस रही थीं। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, गर्म और नरम। मैंने उनकी कमर पकड़कर उन्हें करीब खींचा। दस मिनट तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे। फिर मैंने रुककर कहा, “चाची, अगर ससुरजी आ गए तो?”

वो बोलीं, “वो बाजार गए हैं। पूजा को भी साथ लाएँगे। अभी टाइम है।” मैं फिर से उन्हें चूमने लगा। धीरे-धीरे उनकी साड़ी को ऊपर सरकाया। उनकी सॉफ्ट जाँघों पर हाथ फेरा। वो सिसकारियाँ भरने लगीं, “उु… मोहन… आह्ह्ह… ऐसे मत तड़पाओ…” मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किए, एक-एक करके। जैसे ही ब्लाउज खुला, उनके 36 साइज के बूब्स बाहर आ गए। गुलाबी निप्पल्स सख्त थे। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया, चूसने लगा, जीभ से चक्कर काटते हुए। चाची की पीठ अकड़ गई, वो बोलीं, “आह्ह्ह… मोहन… चूसो इन्हें… कितने दिन हो गए… कोई नहीं छुआ… उु… और जोर से…” मैंने दूसरे बूब को जोर से दबाया, निप्पल को पिंच किया। वो चिल्लाईं, “ईईईई… हाँ… दबाओ… कितना मजा आ रहा है…”

मैं नीचे सरका। उनकी साड़ी पूरी ऊपर कर दी। उनकी काली पैंटी गीली थी। मैंने उँगलियों से चूत को रगड़ा। चाची कमर उचकाने लगीं, “आह्ह्ह… मोहन… वहाँ छुओ… प्लीज… उु…” मैंने पैंटी उतार दी। उनकी चूत गुलाबी, गीली और साफ थी। मैंने क्लिट पर उँगली फेरी, धीरे-धीरे रगड़ने लगा। चाची चिल्लाईं, “आह्ह्ह… हाँ… वहाँ… और जोर से… मोहन… तुम्हारी उँगली कितनी अच्छी लग रही है…” मैंने एक उँगली अंदर डाली, अंदर-बाहर करने लगा। उनकी चूत टाइट और गर्म थी। वो बोलीं, “उु… दो उँगलियाँ डालो… जोर से फिंगरिंग करो… मैं मर जाऊँगी…” मैंने दो उँगलियाँ डालीं, तेजी से अंदर-बाहर किया। चाची मेरे बाल खींच रही थीं, साँसें फूल रही थीं।

फिर मैंने पैंट उतारा। मेरा 7.5 इंच का लंड सख्त था, टॉप पर प्रीकम चमक रहा था। चाची ने देखा और बोलीं, “आह्ह्ह… मोहन… कितना मोटा लंड है… इसे मेरी चूत में डालो… मैं प्यासी हूँ…” लेकिन मैंने पहले लंड उनके होंठों पर रगड़ा। वो समझ गईं, बोलीं, “हाँ… चूसूँगी इसे…” उन्होंने लंड मुँह में लिया, जीभ से टॉप चाटा, गला तक लिया। मैं कराहा, “उु… चाची… कितना मजा दे रही हो… और गहरा लो…” वो स्लोपी ब्लोजॉब दे रही थीं, सलाइवा बह रहा था। मैंने उनके बाल पकड़कर मुँह में धक्के दिए।

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फिर मैंने लंड निकाला और उनकी चूत पर रगड़ा। टॉप को क्लिट पर घुमाया। चाची तड़प रही थीं, “आह्ह्ह… मोहन… मत तड़पाओ… डाल दो… मेरी चूत फाड़ दो…” मैंने धीरे से लंड अंदर धकेला। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि आधा लंड गया तो वो चिल्लाईं, “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… माँ… मैं मर गई… तुम्हारा लंड बहुत मोटा है…” मैंने जोर लगाया, पूरा लंड अंदर घुसा। चाची के मुँह से दर्द भरी चीख निकली, “उु… मोहन… धीरे… फट जाएगी मेरी चूत…” लेकिन वो रुकी नहीं, बोलीं, “हाँ… अब चोदो… जोर-जोर से… फाड़ दो मेरी प्यासी चूत को…”

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मैंने धक्के शुरू किए, धीरे-धीरे फिर तेज। थप-थप-थप की आवाज कमरे में गूँज रही थी। चाची चिल्ला रही थीं, “आह्ह्ह… हाँ… और जोर से… उु… मोहन… कितना गहरा जा रहा है… चोदो मुझे…” मैंने मिशनरी में उनके पैर कंधों पर रखे, गहराई से धक्के दिए। उनकी चूत सिकुड़ रही थी। वो दो बार झड़ीं, बोलीं, “आह्ह्ह… मैं गई… मोहन… तुमने मुझे जन्नत दिखा दी…” मैं बोला, “चाची, धीरे बोलो, माँ सुन लेगी… मुझे चोदने दो… मैं भी प्यासा हूँ…”

फिर मैंने पोजिशन बदली। उन्हें घोड़ी बनाया। पीछे से लंड डाला, उनकी गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। वो चिल्लाईं, “आह्ह्ह… हाँ… पीछे से चोदो… गांड मारो… उु… कितना मजा आ रहा है…” मैंने उनके बाल पकड़कर खींचे, तेजी से धक्के दिए। थप-थप की आवाज तेज हो गई। चाची बोलीं, “ईईईई… मोहन… फाड़ दो मेरी चूत… और जोर से… मैं तुम्हारी रंडी हूँ…” मैंने और तेजी बढ़ाई। उनकी चूत रस छोड़ रही थी। वो फिर झड़ीं, कमर काँप रही थी।

अब मैं झड़ने वाला था। पूछा, “चाची, कहाँ निकालूँ?” वो बोलीं, “मेरी चूत में डाल दो सारा माल… भर दो मुझे…” मैं जोश में आ गया। और जोर-जोर से धक्के दिए। चाची चिल्ला रही थीं, “आह्ह्ह… हाँ… और गहरा… फाड़ दो… उु…” मैंने पूरा लंड अंदर पेल दिया, इतना जोर से कि चाची की चीख निकल गई, “उफ्फ्फ… मोहन… मर गई… इतना गहरा… आह्ह्ह…” मैं झड़ गया, सारा वीर्य उनकी चूत में डाल दिया। उनके ऊपर लेट गया, उनके बूब्स से खेलता रहा।

दस मिनट बाद चाची बोलीं, “मोहन, आज रात दरवाजा खुला रखूँगी। 11 बजे आ जाना। सारी रात चोदना।” मैंने कहा, “हाँ चाची, सारी रात चुदाई करेंगे। आपकी चूत और गांड दोनों फाड़ दूँगा।” फिर उन्हें चूमकर घर आ गया और रात का इंतजार करने लगा।

दोस्तों, तब से आज तक मैं मौका मिलते ही चाची को चोदता हूँ। उनकी चूत और गांड को फैला दिया है। कभी उनके मुँह में गरम वीर्य डाल देता हूँ।

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आपको ये कहानी कैसी लगी? कमेंट करके जरूर बताएँ। क्या आप भी ऐसी चाची के साथ चुदाई करना चाहेंगे?

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