मेरा नाम शिवम है, और मैं जालंधर से 10 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे में रहता हूँ। मेरी उम्र 26 साल है, कद 5 फुट 8 इंच, गोरा रंग, और बदन ठीक-ठाक कसरती। मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और काफ़ी मोटा है, ऐसा कि जब खड़ा होता है तो जींस में साफ़ उभरता है। मुझे हमेशा से भाभियाँ ज़्यादा पसंद रही हैं। उनकी भरी-भरी चूचियाँ, मटकती गांड, और वो चाल, यार, बस लंड खड़ा कर देती है। पहले भी मैंने एक-दो भाभियों को चोदा है, पर वो कहानियाँ फिर कभी। आज की कहानी करीब एक महीने पुरानी है। ये मेरी पहली कहानी है जो मैं लिख रहा हूँ, तो अगर मेरा लिखने का स्टाइल आपको पसंद न आए या कुछ कमी लगे, तो ज़रूर बताना।
उस दिन मैं घर पर अकेला था। मेरे घरवाले मामा की शादी में गए थे, और मैंने बहाना बनाकर घर पर ही रहना चुना। मैं अपने पुराने डेस्कटॉप पर ‘GTA’ खेल रहा था, हेडफ़ोन लगाए, पूरी तरह गेम में डूबा हुआ। बाहर दोपहर का समय था, धूप तेज़ थी, और घर में पंखा चल रहा था। तभी दरवाजे पर खट-खट की आवाज़ आई। मैंने सोचा, “अरे, ये कौन आ गया? कोई रिश्तेदार तो नहीं?” गेम पॉज किया, हेडफ़ोन उतारा, और दरवाजा खोलने गया। सामने एक औरत खड़ी थी, हाथ में एक बड़ा सा नीला बैग लिए। यार, क्या माल थी वो! उम्र करीब 24-25 साल, चेहरा गोरा, होंठ गुलाबी, और आँखों में हल्की सी काजल की लकीर। उसने नीली साड़ी पहनी थी, जो उसके बदन पर चिपकी हुई थी। साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरका हुआ था, और उसके चूचे, यार, क्या बताऊँ, 36D के आसपास, गोल-गोल, साड़ी के ऊपर से ही उभरे हुए। उसकी गांड भी कमाल की थी, साड़ी में मटकती हुई, मानो कह रही हो, “आजा, पकड़ ले।”
उसने मुझे देखकर हल्का सा स्माइल किया और बोली, “भैया, मैं एक कंपनी से हूँ। हमारे नए प्रोडक्ट्स के बारे में बताना है, बस दो मिनट चाहिए।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी, जो कानों में रस घोल रही थी। मैंने सोचा, “चलो, समय तो पास होगा, और ये माल भी देखने को मिलेगी।” मैंने उसे अंदर बुलाया और सोफे पर बैठने को कहा। घर में कोई नहीं था, तो मन में शैतानी खयाल आने लगे। उसने अपना बैग खोला और तरह-तरह की चीज़ें दिखाने लगी—क्रीम्स, साबुन, परफ्यूम्स। मैं तो बस उसके चूचों की तरफ देख रहा था। साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और वो उसे बार-बार ठीक कर रही थी। मैंने दो-तीन बार नोटिस किया कि उसने मुझे देखा, और उसकी आँखों में हल्की सी शरारत थी।
मैंने बात शुरू की, “आप कहाँ से हैं? इस काम में कैसे आईं? शादी हुई है?” उसने बताया कि वो पास के गाँव से है, नाम रानी। शादी को अभी 6 महीने हुए हैं, और पैसे की ज़रूरत की वजह से ये काम करती है। उसने नीली साड़ी के साथ गुलाबी ब्लाउज पहना था, जो इतना टाइट था कि उसके चूचे बाहर निकलने को बेताब थे। बातों-बातों में मेरा लंड खड़ा हो गया। मेरी जींस में साफ़ उभर रहा था, और उसने ये देख लिया। उसकी आँखें एक पल के लिए मेरी जींस पर रुकीं, और फिर वो हल्का सा मुस्कुराई। मेरे मन में शैतान जाग गया। मैंने हिम्मत जुटाई और बोला, “रानी, आप इतनी सुंदर हैं, फिर भी ये काम क्यों? कोई और काम नहीं मिला?” वो हँसी और बोली, “भैया, पैसे की ज़रूरत सबको होती है। मेरे पति की कमाई कम है, तो मुझे भी कुछ करना पड़ता है।”
मैंने मौका देखकर बोल दिया, “रानी, अगर मैं तुम्हें 1500 रुपये दूँ, तो क्या तुम मुझे एक चीज़ सिखाओगी?” वो चौंक गई और बोली, “क्या मतलब?” मैंने मासूम बनते हुए कहा, “मुझे सेक्स करना नहीं आता। तुम सिखा दो।” वो एकदम शॉक्ड हो गई। मैं भी डर गया कि शायद मैंने गलत बोल दिया। मैंने तुरंत सॉरी बोलना शुरू किया, “अरे, माफ़ करना, मैंने गलत बोल दिया।” लेकिन उसने हल्का सा स्माइल किया और बोली, “ठीक है, भैया। लेकिन ये बात यहीं रहेगी। कोई बाहर नहीं जाने देगा।” मेरे तो जैसे लॉटरी लग गई। मैंने उसे बेडरूम में ले गया, जहाँ मेरा बेड बिना चादर का था, बस गद्दा पड़ा था।
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वो मेरे पास आई और मेरे होंठों पर अपने गुलाबी होंठ रख दिए। यार, क्या रसीले होंठ थे! मैंने भी उसे कसकर पकड़ लिया और चूमना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और हम दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे को चूस रहे थे। मैंने उसके चूचों को साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू किया। वो हल्की-हल्की सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह… उफ्फ… शिवम…” उसका पल्लू नीचे सरक गया, और मैंने उसके गुलाबी ब्लाउज के बटन खोलने शुरू किए। ब्लाउज इतना टाइट था कि चूचे बाहर निकलने को बेताब थे। मैंने ब्लाउज उतारा और उसकी पिंक ब्रा देखी। ब्रा के ऊपर से ही उसके निप्पल साफ़ दिख रहे थे, गुलाबी और सख्त। मैंने ब्रा के हुक खोले, और यार, क्या चूचे थे! गोरे-गोरे, 36D के, और निप्पल गुलाबी, जैसे कोई चेरी हो। मैंने एक चूचे को मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसकी सिसकियाँ तेज़ हो गईं, “आह्ह… शिवम… ज़ोर से चूसो… उफ्फ…” मैंने दूसरे चूचे को हाथ से मसलना शुरू किया, और उसका निप्पल उंगलियों में कसकर दबाया।
वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिरा रही थी, और उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। मैंने उसकी साड़ी को धीरे-धीरे खींचा। नीली साड़ी फर्श पर गिर गई, और अब वो सिर्फ़ पिंक पैंटी में थी। उसकी जाँघें गोरी और चिकनी थीं। मैंने उसकी जाँघों को चूमा, और धीरे-धीरे उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया। पैंटी पहले से ही गीली थी, और उसमें से एक मादक ख़ुशबू आ रही थी। मैंने पैंटी उतारी, और यार, क्या चूत थी! बिल्कुल साफ़, गुलाबी, और उसका क्लिट हल्का सा उभरा हुआ। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। वो पागल सी हो गई, “आह्ह… उफ्फ… शिवम… क्या कर रहे हो… आह्ह…” मैंने उसकी चूत को जीभ से चाटा, और उसका क्लिट चूसना शुरू किया। वो मेरे बाल पकड़कर अपनी चूत पर कस रही थी। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली, और वो तड़प उठी, “उफ्फ… शिवम… और ज़ोर से… मेरी चूत में आग लगी है…”
10 मिनट तक मैं उसकी चूत चाटता रहा। वो दो बार झड़ चुकी थी। उसका पानी इतना स्वादिष्ट था कि मैंने सारा चाट लिया। फिर मैं बेड पर लेट गया और बोला, “रानी, अब मेरा लंड चूसो।” उसने कहा, “मैंने पहले कभी नहीं किया।” लेकिन मेरे ज़ोर देने पर वो मान गई। उसने मेरी जींस खोली, और मेरा लंड बाहर निकाला। मेरा सुपारा गुलाबी और चमक रहा था। उसने धीरे से लंड को मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। यार, क्या मज़ा आ रहा था! वो ज़ोर-ज़ोर से चूस रही थी, और मेरी सिसकियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… रानी… और ज़ोर से…” वो मेरे सुपारे को चूस रही थी, और उसकी जीभ मेरे लंड के चारों तरफ घूम रही थी।
5 मिनट चूसने के बाद मैंने उसे बेड पर लिटाया। उसकी टाँगें खोलीं और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रगड़ने लगा। वो तड़प रही थी, “शिवम, अब डाल भी दो… कितना तड़पाओगे… मेरी चूत में आग लगी है…” उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में सेट किया। मैंने धीरे से सुपारा अंदर डाला, और वो चीख पड़ी, “आह्ह… धीरे…” मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो चीखी, “उफ्फ… शिवम… दर्द हो रहा है…” लेकिन मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए। थोड़ी देर बाद वो भी गांड उठा-उठाकर मेरा साथ देने लगी, “आह्ह… उफ्फ… चोदो मुझे… ज़ोर से…” उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड पूरा कस गया।
5 मिनट बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी गांड मेरे सामने थी, गोल और चिकनी। मैंने पीछे से लंड उसकी चूत में डाला और धक्के मारने शुरू किए। वो भी आगे-पीछे होकर चुदवाने लगी, “आह्ह… शिवम… और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” वो दो बार और झड़ चुकी थी। फिर मैंने उसे अपने ऊपर बिठाया। मैं बेड पर लेट गया, और उसने मेरे लंड को अपनी चूत में लिया। वो पागलों की तरह उछल रही थी, “आह्ह… उफ्फ… क्या मज़ा है…” उसके चूचे उछल रहे थे, और मैं उन्हें पकड़कर मसल रहा था। आखिरकार मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा, “रानी, मैं झड़ने वाला हूँ।” लेकिन वो रुकी नहीं और बोली, “अंदर ही झड़ जाओ…” मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
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हम दोनों बेड पर लेट गए, पसीने से तर। उसने अपनी साड़ी और ब्लाउज पहना, और मैंने उसे 1500 रुपये दिए। जाते-जाते उसने मुझसे कहा, “शिवम, जब मन करे बुला लेना।” मैंने बाद में उसे दो बार और बुलाया, और उसकी गांड भी मारी। वो कहानी अगली बार।
तो दोस्तो, भाभियो और लड़कियों, कैसी लगी कहानी? अपने विचार ज़रूर बताएँ ताकि मैं आपके लिए और मस्त कहानियाँ लिख सकूँ।
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