साजिद ने दर्द को प्यास में बदला

हाय दोस्तों, मैं साजिद फिर से हाजिर हूँ, आप सबको खुश करने की अपनी पाँचवीं कोशिश के साथ। मेरा ढेर सारा प्यार उन मस्त-मस्त लड़कियों और तड़कते-भड़कते दोस्तों को। मुझे हमेशा से आपके मेल्स का इंतज़ार रहता है, और मैं फिर से बता दूँ कि आप मुझे romanticonbed पर मेल कर सकते हैं। लड़कियों, मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूँ, और अगर आपकी इजाज़त हो तो थोड़ा प्यार भी। इस वक़्त मैं ज़िंदगी में बहुत अकेला हूँ, और मुझे एक प्यारी सी लड़की के प्यार की ज़रूरत है। अब मैं आपको ज़्यादा बोर नहीं करते हुए अपनी नई कहानी पर आता हूँ। ये कहानी छह महीने पहले की है, और मैं ये साफ़ बता दूँ कि ये कहानी मैं उस लड़की की सहमति से लिख रहा हूँ।

उस वक़्त मैं अपने कॉलेज के आखिरी दिनों में था। मेरी गर्लफ्रेंड प्रियांशी से मेरी हर रोज़ लड़ाई होती थी। वो मेरे खयालों वाली लड़की नहीं थी। मैं आपको बता दूँ कि मेरे लिए सेक्स और रोमांस सबसे ज़रूरी हैं, लेकिन मैं अपनी गर्लफ्रेंड की बहुत अच्छे से केयर करना भी जानता हूँ। मेरे हिसाब से जब तक मेरी गर्लफ्रेंड मेरी है, वो सिर्फ़ मेरी ही रहनी चाहिए। खैर, हमारे बीच आए दिन झगड़े होते रहते थे। प्रियांशी और मेरे बीच पहले भी बहुत कुछ हो चुका था, जिसके बारे में मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगा। लेकिन ये कहानी मेरे और प्रियांशी की दीदी शिवांगी के बारे में है।

शिवांगी से मेरी बात कॉलेज के पहले साल से ही होती थी। हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे, लेकिन मैं उनसे कभी ऐसी बात नहीं करता था जो अजीब लगे। शिवांगी की फिगर थी 34-28-32, मुझे ठीक-ठीक तो याद नहीं, लेकिन वो इतनी खूबसूरत थी कि मैंने उससे ज़्यादा आकर्षक लड़की कभी नहीं देखी। मैं प्रियांशी से रिश्ते में बोर हो चुका था, और शिवांगी के टच में रहने लगा था। मैं उन्हें प्यार से शीवी बुलाता था। लेकिन मैंने देखा कि शीवी का मूड कुछ समय से बहुत ऑफ रहता था। एक दिन मैंने उनसे पूछ ही लिया, “शीवी, आजकल आप इतनी उदास क्यों रहती हो?”

उन्होंने जवाब दिया, “कुछ नहीं साजिद, बस आजकल एग्ज़ाम्स का टेंशन है, और कभी-कभी बॉयफ्रेंड का भी।” मैंने उनका दिल हल्का करने के लिए कहा, “अरे, अब आप मुझे ही देख लो। मेरी तो प्रियांशी से हमेशा अनबन रहती है, फिर भी मैं ठीक हूँ ना?” लेकिन वो और ज़्यादा उदास होने लगी। मैं कॉलेज का काम ख़त्म करते ही उन्हें फोन कर देता था। हालात ये हो गए थे कि मैं प्रियांशी से कम और शिवांगी से ज़्यादा बात करने लगा था।

एक रात, करीब बारह बजे, जब मैंने उन्हें फोन किया तो वो बहुत रो रही थी। उस वक़्त वो कोलकाता में थी और मैं दिल्ली में। रोते-रोते उन्होंने बताया, “आज मेरा अपने बॉयफ्रेंड से ब्रेकअप हो गया। मैं ऐसा नहीं चाहती थी।” मैंने बिना कुछ सोचे-समझे कह दिया, “मैं हूँ ना शीवी, प्लीज़ रोओ मत। मैं अब तुम्हारे आँखों से एक भी आँसू नहीं देख सकता।” मेरे इतना कहते ही वो रोते-रोते बोली, “साजिद, मैं अकेले नहीं जी पाऊँगी।”

मैंने कहा, “अरे, तुम अकेली कहाँ हो, मैं हूँ ना!” वो हल्का सा हँसते हुए बोली, “बस करो साजिद, मज़ाक हो गया। मैं सीरियस हूँ। ज़रा सोचो, अगर प्रियांशी को पता चला तो उसे कैसा लगेगा?” मैं तो यही चाहता था कि प्रियांशी मुझे छोड़ दे, क्योंकि शिवांगी का नेचर उससे कहीं ज़्यादा अच्छा था। मैंने कहा, “तुम प्रियांशी की इतनी फिक्र क्यों करती हो? कौन बताएगा उसे? मैं तो नहीं बताऊँगा, क्या तुम बताओगी?”

वो हँसते हुए बोली, “मैं क्यों बताऊँगी?” मैंने कहा, “तो बस, आज से तुम अपने सारे दर्द मुझे दे दो। मैं तुम्हें प्यार दूँगा और एहसास दिलाऊँगा कि तुम कितनी प्यारी हो।” ये सुनते ही वो एकदम से हँसने लगी और बोली, “तुम बड़े शैतान लगते हो। चेहरे से तो कोई नहीं कह सकता कि इतना प्यारा लड़का किसी को संभाल भी सकता है।” मैंने कहा, “ठीक है शीवी, बस तुम मुझे एक दिन के लिए पूरी तरह फ्री कर दो। प्रॉमिस करो, तुम मुझे किसी भी चीज़ के लिए नहीं रोकोगी।”

वो दो मिनट के लिए एकदम चुप हो गई। फिर उनका जवाब ऐसा था कि मेरा लंड खड़ा हो गया। उन्होंने कहा, “ठीक है साजिद, आज से कल रात तक मैं तुम्हारी हूँ।” मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि इतनी प्यारी लड़की अगले 24 घंटे तक मेरी गुलाम है। लेकिन मैं दिल्ली में था और वो कोलकाता में। हमने फोन रख दिया और फिर मैसेज पर बात शुरू हुई।

इसे भी पढ़ें   नशे में माँ की जोरदार चुदाई करी - Mom Sex Story in Hindi

मैं: हाय जान।
शिवांगी: ओह, क्या बात है? इतनी जल्दी मेरी गुलामी का फायदा उठा रहे हो?
मैं: बस, तुम हो ही इतनी प्यारी।
शिवांगी: तो इस गुलाम से क्या-क्या करवाने का इरादा है?

ये सुनते ही मेरा लंड जॉकी के अंदर तंबू बनने लगा। प्री-कम निकलने लगा। मैंने कहा, “अरे जान, तुम जो भी करवाने के लिए रेडी हो, मैं तो बस तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ।” वो बोली, “हटो, अभी तो तुमने कुछ किया ही नहीं।” मैंने कहा, “अभी तक तो कुछ किया नहीं, लेकिन अगर किया तो तुम्हें शर्म से चेहरा ढकना पड़ेगा।” वो बोली, “ओए सुनो, मैं इतनी भी शर्मीली नहीं हूँ, बस दिखती हूँ।”

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैंने कहा, “अच्छा, ये बताओ, अगर मैं तुम्हें एक दिन मेरे साथ होटल में अकेले रहने को कहूँ, तो क्या तुम रहोगी?” वो थोड़ा सोचकर बोली, “क्यों नहीं? मैं भी तो देखूँ कि सामने से आने वाला तूफान कैसा लगता है।” मैंने कहा, “और अगर उस तूफान ने तुम्हें चूमते-चूमते बेड पर गिरा दिया तो?” ये सुनते ही उनके मुँह से “ओह्ह्ह” निकल गया। मैंने पूछा, “क्या हुआ जान? बस सुनते ही कदम ढीले पड़ गए या गला सूख गया?”

वो बोली, “पागल कर दोगे क्या? मैं यहाँ अकेली हूँ, मुझे यहाँ कौन संभालेगा?” मैंने कहा, “जान, तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा। बस एक बार मिल तो जाओ।” इतना कहते ही वो बोली, “साजिद, अब बहुत हो गया। हम कल बात करेंगे। मुझे बहुत नींद आ रही है।” मैं भी पागल हो चुका था। लड़कियों, ज़रा सोचो, अगर तुम्हारे जिस्म में आधी आग जल रही हो तो कैसा लगता है? उस वक़्त बस यही चाहता है कि कोई भी हो, बस प्यास बुझा दे। खैर, फोन रखते ही मैंने उनकी फोटो ज़ूम करके सामने रखी और मुठ मारने लगा। उस रात मैंने तीन बार मुठ मारी।

सुबह जब मैं उठा तो उनका मैसेज देखा: “गुड मॉर्निंग जान। मैं कॉलेज जा रही हूँ। शाम भी तुम्हारी ही है। और हाँ, रात को तुम नहीं मिले तो मुझे अपने तकिए को ही प्यार करना पड़ा।” ये पढ़ते ही मैं पूरा मूड में आ गया। मैंने जवाब दिया, “कोई बात नहीं जान, एक दिन मैं उस तकिए की जगह तुम्हारे गर्म जिस्म से लिपट जाऊँगा। तुम्हारा गर्म बदन और मेरे जिस्म की आग मिलकर बिस्तर और कमरे में प्यार का एहसास भर देंगे। मिस यू शीवी।”

उसके बाद मैं भी कॉलेज चला गया। उस दिन गर्मी का महीना था। जब मैंने दोपहर में उन्हें फोन किया तो वो नहाने जा रही थी। मैंने कहा, “हाय जान, क्या कर रही हो?” वो बोली, “यार, यहाँ बहुत गर्मी है। मैं नहाने जा रही हूँ।” मैंने मज़ाक में कहा, “मैं भी आ जाऊँ?” वो बोली, “ओहो, तो जनाब आएँगे और क्या करेंगे?” मैंने कहा, “मैं तुम्हें पीछे से बॉडी वॉश लगाऊँगा।” वो बोली, “ओह साजिद, ये सुनते ही मेरी हालत खराब हो गई। मैं फोन रखती हूँ।”

मैंने कहा, “जान, रुक जाओ ना। प्लीज़, मैं अब खुद को कंट्रोल नहीं कर पाऊँगा।” वो बोली, “साजिद, तुम लड़कियों का दर्द नहीं समझोगे। मैं नहाने के बाद फोन करती हूँ। बाय।” और उन्होंने फोन रख दिया। दोस्तों, मैं समझ सकता हूँ कि अगर आपके जिस्म में कोई आग लगा दे तो उसे शांत किए बिना चैन नहीं मिलता। मेरी भी यही हालत थी। मैं शिवांगी के लिए पागल हो चुका था। मुझे उनकी चूत चाहिए थी।

रात को जब उन्होंने फोन किया, तब तक मेरा 24 घंटे का टाइम खत्म हो चुका था। मैंने सोचा कि अब मैं कुछ गर्म-गर्म बातें नहीं करूँगा और उन्हें तड़पने दूँगा। वो बोली, “साजिद, मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ।” मैंने कहा, “हाँ शीवी, बोलो ना।” वो बोली, “इस एक दिन में मुझे बहुत खुशी मिली है। थैंक्स डियर। लेकिन मुझे कुछ अजीब-अजीब सा लग रहा है। गला सूख रहा है, पैर काँप रहे हैं, बदन दर्द कर रहा है। साजिद, मुझे बहुत अजीब लग रहा है। क्या तुम यहाँ आ सकते हो? शायद मेरी तबीयत ठीक नहीं है।”

इसे भी पढ़ें   भाभी ने मुझे वासना दिखाई। Xxx Cousin Bhabhi Devar Ki Chudai Kahani

ये सुनते ही मैं गर्म हो गया। मैंने कहा, “क्या मैं सचमुच तुम्हारे पास आ जाऊँ?” वो आहें भरते हुए बोली, “आ जाओ ना साजिद, बस एक दिन के लिए। मुझे डॉक्टर के पास जाना है।” मैंने कहा, “तुम्हें डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है शीवी।” वो बोली, “तो फिर मुझे किसकी ज़रूरत है साजिद?” मैंने कहा, “मैं कल तुम्हारे पास आता हूँ, तब पता चल जाएगा।”

हमने फोन रख दिया। अब मैं उन्हें चोदे बिना रह नहीं सकता था। मैंने सुबह 4 बजे की किंगफिशर एयरलाइंस की फ्लाइट बुक की और कोलकाता पहुँच गया। बात सीधी रखने के लिए, मैंने उनकी मम्मी और प्रियांशी को फोन करके बता दिया कि मैं एक काम से कोलकाता आया हूँ, और शिवांगी दीदी की तबीयत ठीक नहीं है, तो क्या मैं उन्हें डॉक्टर को दिखा दूँ। आंटी बोली, “हाँ बेटा, प्लीज़ उन्हें डॉक्टर को दिखा दो। वैसे भी उनके पास कोई दोस्त नहीं है।”

मैंने एक अच्छा सा होटल देखकर एक आलिशान कमरा बुक किया। अच्छे होटल में जाने से कोई शक भी नहीं करता। मैंने होटल वाले को पहले ही बता दिया था कि मेरी दीदी की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए मैं उन्हें उनके हॉस्टल से यहाँ लाऊँगा। कमरे में पहुँचते ही मैंने शिवांगी को फोन किया।

मैं: गुड मॉर्निंग डियर, मैं कोलकाता में हूँ।
शिवांगी: हाय जान, मैं रात से जाग रही हूँ। मुझे बेचैनी सी लग रही है। मैं तुम्हारे पास आना चाहती हूँ।
मैं: अरे, तुम पागल हो क्या? सो जातीं, मैं तुम्हें जगा देता। खैर, तुम अपने हॉस्टल का एड्रेस दो, मैं अभी तुम्हारे पास आता हूँ। एक छोटा सा कैरी बैग ले लेना।

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं उन्हें लेने चला गया। दोस्तों, ये मेरी और शिवांगी की पहली मुलाकात थी। मैंने उन्हें कहा था कि वो रेड कलर की टॉप पहनकर रहना। और उन्होंने मेरा कहा मान लिया था। जिस पल मैंने उन्हें देखा, मैं तो पागल हो गया। क्या लड़की थी वो—स्लिम, स्टाइलिश, हॉट और मासूम। लेकिन उनकी आँखों में मुझे साफ़ दिख रहा था कि उन्हें चुदास की आग लगी थी।

मैं: हाय डियर।
शिवांगी: हाय साजिद। (उन्होंने नज़रें नीचे कर लीं।)

हम दोनों चुप थे। यकीन नहीं हो रहा था कि फोन पर मैं इन्हीं से इतनी खुलकर बात करता था। आधे घंटे बाद हम होटल के कमरे में पहुँचे। मैंने उन्हें बेड पर बिठाया और उनका हाथ पकड़ लिया। वो भी मेरा हाथ ज़ोर से पकड़कर बैठी रही। फिर मैंने पूछा, “क्या हुआ शीवी, अब कैसा लग रहा है?” वो नशे सी आवाज़ में बोली, “साजिद, बहुत अजीब सा लग रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं लगा। पता नहीं दिल क्या चाहता है, लेकिन जो भी हो, ऐसा हो कि मेरे दर्द और बेचैनी को खत्म कर दे।”

ये सुनते ही मैंने कहा, “क्या तुम बेड पर लेट जाओगी? मैं देखता हूँ।” वो बच्चे की तरह बेड पर लेट गई। मैंने धीरे से उनकी टॉप ऊपर की और उनके नाभि पर एक किस कर दी। पूरा कमरा उनकी सिस्कियों से गूँज उठा, “आआह्ह साजिद, ऐसे मत करो।” मैंने कहा, “मैं समझ गया शीवी, तुम्हें क्या हुआ है।” इतना कहते ही मैंने उनकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया। वो मस्ती में अंगड़ाइयाँ लेने लगी, “उम्म्ह्ह आआह्ह्ह।”

शिवांगी: तो बताओ ना साजिद, मुझे क्या हुआ है? और ये कैसे ठीक होगा?
(वो बेड को ज़ोर-ज़ोर से नोच रही थी, तड़प रही थी जैसे पानी के बिना मछली तड़पती है।)
मैं: तुम्हें कुछ चाहिए जो तुम्हारे अंदर तक जाए और अंदर-बाहर करते हुए तुम्हारे दर्द को ठीक कर दे।

इतना कहते ही मुझे लगा कि मेरे लंड पर कुछ चल रहा है। मैंने देखा तो शिवांगी अपने हाथों से उसे दबा रही थी। फिर वो बोली, “तो डाल दो ना साजिद, प्लीज़ अब मुझे चोद दो।” अब मैं भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। हम दोनों पागल कुत्ते-कुतिया की तरह एक-दूसरे पर टूट पड़े। मैंने जोश में उनकी टॉप और जींस खोल दी, और वो मेरी शर्ट और जींस खोलने लगी। कुछ ही पलों में हम दोनों सिर्फ़ अंडरवियर में थे।

इसे भी पढ़ें   नौकर ने दीदी को काला लंड चुसाया

शिवांगी ने मुझे धक्का देकर बेड पर गिराया और अपनी ब्रा खोलकर मेरे मुँह पर फेंक दी। उस ब्रा की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। मन कर रहा था कि ब्रा में ही लंड पेल दूँ। फिर वो झुकी और मेरे अंडरवियर को हटाकर मेरे लंड को गौर से देखने लगी। मैंने पूछा, “क्या हुआ जान?” वो बोली, “जान, मेरे पास ज़्यादा वक़्त नहीं है। मैं बस तुमसे ज़ोर-ज़ोर से पेलवाना चाहती हूँ। मैं गांड भी मरवाना चाहती हूँ।”

वो बोली, “जान, मेरी चूत मार लो, गांड में लंड डालकर खूब हिलाओ। मुझे दो घंटे के लिए रंडी बना लो। मेरे मुँह में अपना मूठ डाल दो।” इतना कहते-कहते वो मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। वो पिम-पॉम की तरह मेरे लंड को चूस रही थी, थूक से गीला कर रही थी। मैं उसका सिर पकड़कर लंड चुसवा रहा था, और वो भी मज़े में चूस रही थी।

मुझे लगा कि मैं अब झड़ जाऊँगा। मैंने कहा, “जान, 69 पोजीशन में आ जाओ।” वो बोली, “श्योर जान, मुझे तो पता ही नहीं था कि फोरप्ले में इतना मज़ा है।” (वो वर्जिन नहीं थी, उनका बॉयफ्रेंड था, लेकिन वो उन्हें कभी वो मज़ा नहीं दे पाया जो मैं दे रहा था।) हम 69 पोजीशन में आ गए। वो मेरे लंड को हिलाते हुए चूस रही थी। मैंने पहली बार उनकी चूत देखी। चूत पूरी गीली थी, और क्या मस्त खुशबू थी।

दिल कर रहा था कि जिंदगी भर उनकी चूत सूँघता रहूँ। मैंने उनकी चूत के दोनों होंठों को हाथ से खोला। उनकी चूत चॉकलेट कलर की थी, पूरी शेव्ड। चूत चाटने का मज़ा तो शिवांगी की चूत चाटकर आया। मैं उनकी चूत के अंदर वाले हिस्से को जीभ से चाट रहा था, और बार-बार उनके जी-स्पॉट को दाँत से हल्का सा काट लेता था। दो-तीन बार चाटते ही वो झड़ने लगी, “आआह्ह्ह मार गई मैं साजिद!” उनका बदन अकड़ गया।

आप यह Antarvasna Sex Stories हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैं समझ गया कि शिवांगी झड़ गई। कुछ देर बाद उनकी चूत से गर्म-गर्म जूस बहने लगा, और मैंने उनका सारा जूस पी लिया। लेकिन मैं अभी तक नहीं झड़ा था। मैंने सोचा कि इसे लंड चुसवाकर और गर्म कर दूँ। लेकिन उनकी चुदास इतनी थी कि वो बिना कुछ कहे मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रखने लगी। मैंने पूछा, “क्या हुआ जान?” वो बोली, “जान, अब बर्दाश्त नहीं कर सकती। कल से तड़प रही हूँ।”

इतना कहते ही वो मेरे खड़े लंड पर बैठ गई। मैं बेड पर लेटा था, और वो मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले रही थी। वो उछल-उछलकर चुदवा रही थी, “ओह यस, यस माय! आई एम अ फकिंग बिच!” वो पूरी मस्ती में उछल रही थी। मैं भी पूरी ताकत से उनकी चूत में लंड पेल रहा था। मैं लंड को बाहर निकालता और फिर पूरा अंदर पेल देता। करीब 15 मिनट तक हम चुदाई करते रहे।

लेकिन अब मैं झड़ने वाला था। मैं इतने जोश में आ गया कि मेरे एक ज़ोरदार धक्के से लंड का टोपा उनकी चूत की बच्चेदानी तक पहुँच गया। उस पल मुझे लगा जैसे मेरे सामने अलादीन का चिराग़ आ गया हो। मैं उनकी चूत में ही झड़ गया, और वो भी मेरे लंड पर झड़ गई। मैं उनके गर्म पानी को अपने लंड पर महसूस कर रहा था। हम दोनों एक-दूसरे पर लेट गए।

शिवांगी: ओह जान, आई लव यू। मैं तुमसे और पेलवाना चाहती हूँ। लेकिन मुझे सेकेंड हाफ में कॉलेज जाना है।

मैं भी बिना किसी दोस्त को बताए कोलकाता आ गया था, इसलिए मैं अगली फ्लाइट से वापस दिल्ली चला गया। लेकिन हमारे बीच के वो 3-4 घंटे जन्नत से भी ज़्यादा मस्त और जवानी भरे थे।

Related Posts

Report this post

Leave a Comment