Real Mother Son Incest Sex Story हेल्लो दोस्तों, मैं मिट्ठू लाल, बहराइच जिले का रहने वाला हूँ। उम्र 18 साल, जवान, हट्टा-कट्टा, गठीला जिस्म और ठीक-ठाक चेहरा। मेरी माँ, राधा, 35 साल की हैं, गोरी, भरा हुआ बदन, 34 इंच के कसे हुए मम्मे, पतली कमर और गोल-मटोल चूतड़, जो किसी का भी लंड खड़ा कर दें। माँ अभी भी जवान और चुदने लायक माल हैं। मेरे पापा शराबी थे, सारी दौलत शराब में उड़ा दी और जवानी में ही मर गए। माँ ने मुझे बड़े प्यार से पाला, लेकिन घर में सिर्फ हम दो लोग थे। उनकी जवानी की आग मेरे सामने छुप नहीं पाती थी। आज मैं अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरी माँ और मेरे बीच की है। ये कहानी रसीली, मस्त और गर्म है, उम्मीद है आपको जरूर पसंद आएगी।
एक सुबह की बात है, मैं देर से उठा। माँ बाथरूम में नहा रही थीं। दरवाजा हल्का खुला था, शायद माँ को लगा मैं सो रहा हूँ। मैंने चुपके से झाँका। माँ पूरी नंगी थीं, पानी की बौछारों के नीचे उनका गोरा जिस्म चमक रहा था। उनके मम्मे, गोल और भरे हुए, पानी से भीगे हुए और भी मस्त लग रहे थे। उनकी चूत पर हल्की-हल्की झाँटें थीं, जो उन्होंने कुछ दिन पहले साफ की थीं। मैंने माँ को पहली बार ऐसे देखा, मेरा 8 इंच का लंड तुरंत पैंट में तंबू बना गया। दिल में बस एक ही ख्याल था—माँ को अभी पकड़कर चोद दूँ। मैं खिड़की के पास छुप गया और चुपके से देखने लगा।
माँ लक्स साबुन अपने जिस्म पर मल रही थीं। पहले अपने मम्मों पर, धीरे-धीरे साबुन को गोल-गोल घुमाते हुए। उनके निप्पल्स सख्त हो गए थे, और वो साबुन को जाँघों पर ले गईं। फिर धीरे-धीरे अपनी चूत पर साबुन मलने लगीं। “आआह्ह… ऊऊऊ… सी सी…” माँ की मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं। उनकी आँखें बंद थीं, चेहरा लाल हो रहा था। “हाय… काश कोई मुझे चोद दे… मोटा लंड चाहिए… सी सी… ऊऊऊ…” वो बड़बड़ा रही थीं। उनकी उंगलियाँ चूत के पास रुकीं, और वो धीरे-धीरे उसे रगड़ने लगीं। उनकी चूत गीली हो चुकी थी, और वो उंगली अंदर-बाहर करने लगीं। माँ के चूतड़ हल्के-हल्के हिल रहे थे, जैसे वो किसी लंड की तलाश में हों। मेरा लंड पैंट में तड़प रहा था, लेकिन मैं चुपके से देखता रहा।
माँ ने बड़ी देर तक अपनी चूत में उंगली की। फिर बाल्टी से पानी डालकर अपने जिस्म को साफ किया। तौलिये से पहले अपने मम्मे पोंछे, फिर चूत और चूतड़। उनकी चूत अब गुलाबी और चिकनी लग रही थी, जैसे अभी चोदने के लिए तैयार हो। माँ जब बाथरूम से बाहर निकलीं, मैं चुपके से अपने कमरे में भाग गया। उस दिन के बाद माँ को चोदने का ख्याल मेरे दिमाग में घर कर गया। उनकी रसीली चूत, गोल मम्मे, और वो सिसकारियाँ मुझे पागल कर रही थीं। मैंने कई बार उनकी नंगी तस्वीर दिमाग में लाकर मुठ मारी।
एक रात, करीब 11 बजे, मैं सो नहीं पाया। माँ को चोदने की तलब इतनी बढ़ गई कि मैं उनके कमरे में चला गया। माँ साड़ी और टाइट ब्लाउज में सो रही थीं। उनका ब्लाउज इतना टाइट था कि मम्मे आधे बाहर झाँक रहे थे। उनके निप्पल्स ब्लाउज के ऊपर से हल्के-हल्के दिख रहे थे। मैं उनके बगल में लेट गया और धीरे से उनके गाल पर चूम लिया। वो नहीं जागीं। मेरे हाथ धीरे-धीरे उनके मम्मों पर चले गए। मैंने हल्के से दबाया, फिर जोर से। उनके मम्मे इतने नरम और भरे हुए थे कि मेरा लंड पैंट में तड़पने लगा। “उम्म…” माँ की हल्की सी सिसकी निकली, लेकिन वो सोती रहीं।
अचानक माँ की आँखें खुल गईं। “मिट्ठू! ये क्या कर रहा है तू? रात को मेरे कमरे में क्या कर रहा है?” वो हड़बड़ाकर उठ बैठीं। मैं घबरा गया, लेकिन हिम्मत करके बोल दिया, “माँ, मैं आपको चोदना चाहता हूँ।” माँ का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। “क्या बकवास है ये? तेरा दिमाग खराब हो गया है?” और तुरंत मेरे गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया। मेरा सिर झनझना गया। “बेशर्म! नालायक! मैंने तुझे ये सिखाया है? स्कूल में यही पढ़ता है?” माँ गुस्से में बड़बड़ाने लगीं। करीब 20 मिनट तक वो मुझे डाँटती रहीं, लेकिन मैं चुपचाप बैठा रहा।
फिर माँ शांत हुईं। “ये चुदाई की बात तुझे कैसे पता चली? किसी लड़की को चोदा है तूने?” माँ ने शांत होकर पूछा। मैंने हिम्मत करके सब बता दिया—कैसे मैंने उन्हें बाथरूम में उंगली करते देखा, कैसे वो चिल्ला रही थीं कि कोई उन्हें चोद दे। माँ चुप हो गईं, शायद शर्मिंदगी महसूस कर रही थीं। मैंने मौका देखकर अपनी पैंट और अंडरवियर नीचे सरका दिया। मेरा 8 इंच का मोटा लंड बाहर आ गया, जो पूरी तरह खड़ा था। माँ की नजर मेरे लंड पर पड़ी, और वो एकटक देखने लगीं। “नहीं बेटा… ये गलत है। मैं तेरी माँ हूँ,” माँ ने परेशान होकर कहा। उनकी आवाज में हिचक थी, लेकिन उनकी आँखें मेरे लंड से हट नहीं रही थीं।
“माँ, आप जवान हो, मैं जवान हूँ। घर की बात घर में रहेगी। कौन जानेगा?” मैंने कहा और उनके पास और करीब सरक गया। माँ “नहीं… नहीं…” कहती रहीं, लेकिन मैंने उनका हाथ पकड़कर चूम लिया। धीरे-धीरे मैंने उन्हें अपनी बाहों में लिया और उनके गाल पर चूमने लगा। माँ थोड़ी हिचक रही थीं, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनके होंठ रसीले और गर्म थे, जैसे शहद में डूबे हों। धीरे-धीरे माँ भी मेरे चुम्बन का जवाब देने लगीं। “उम्म… मिट्ठू…” उनकी सिसकी निकली। हम दोनों बिस्तर पर बैठे थे, एक-दूसरे की बाहों में।
मैंने माँ को धीरे से लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया। हमारा लिपलॉक और गहरा हो गया। मेरी जीभ उनके मुँह में थी, और उनकी जीभ मेरे मुँह में। “उम्म… आह्ह…” माँ की सिसकारियाँ शुरू हो गईं। मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए। उनके मम्मे आजाद हो गए—गोल, भरे हुए, और निप्पल्स सख्त। मैंने एक मम्मा मुँह में लिया और चूसने लगा। “आआह्ह… मिट्ठू… उह्ह…” माँ की आवाज में अब शर्म की जगह मजा था। मैंने उनके निप्पल्स को दाँतों से हल्का सा काटा, फिर जीभ से चाटा। माँ तड़प रही थीं, उनकी कमर हल्की-हल्की हिल रही थी। “सी सी… हाय… और चूस… बेटा…” माँ सिसक रही थीं।
मैंने उनकी साड़ी खींच दी। अब वो सिर्फ पेटीकोट में थीं। मैंने पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो नीचे सरक गया। माँ की चिकनी, गुलाबी चूत मेरे सामने थी। मैंने उनकी जाँघें फैलाईं और उनकी चूत पर मुँह लगा दिया। “उंह… उंह… मिट्ठू… ये क्या कर रहा है?” माँ सिसक रही थीं। मैंने उनकी चूत को जीभ से चाटना शुरू किया। उनकी चूत गीली थी, और उसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। “आआह्ह… सी सी… हाय… चाट बेटा… और चाट…” माँ ने कहा। मैंने उनकी चूत की फाँकों को जीभ से अलग किया और अंदर तक चाटने लगा। उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया, और माँ की सिसकारियाँ बढ़ती गईं। “उंह… उंह… हूँ… हूँ… अई… अई…”
मैंने उनकी चूत में एक उंगली डाली और अंदर-बाहर करने लगा। माँ अपने चूतड़ उठाने लगीं। “आआह्ह… मिट्ठू… और तेज… उह्ह…” मैंने दो उंगलियाँ डालीं और तेजी से चोदने लगा। उनकी चूत गीली हो चुकी थी, और हर धक्के के साथ फच-फच की आवाज आ रही थी। “सी सी… हा हा… चोदो… और चोदो…” माँ चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी चूत को और तेजी से उंगली से चोदा, और साथ में उनके मम्मों को दबाता रहा। माँ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं। “आआह्ह… मिट्ठू… मेरी चूत फाड़ दे… उह्ह…”
मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा। “माँ, अब लंड डालूँ?” मैंने पूछा। “हाँ… डाल दे… अपनी माँ की चूत चोद दे…” माँ ने हाँफते हुए कहा। मैंने धीरे से अपना 8 इंच का मोटा लंड उनकी चूत में डाला। “आआह्ह… उह्ह… कितना मोटा है… हाय…” माँ सिसक रही थीं। उनकी चूत टाइट थी, लेकिन गीली होने की वजह से लंड आसानी से अंदर चला गया। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। फच-फच… फच-फच… की आवाज कमरे में गूँज रही थी। “उंह… उंह… हा हा… मिट्ठू… और जोर से…” माँ चिल्ला रही थीं।
मैंने स्पीड बढ़ा दी। मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में जा रहा था, और हर धक्के के साथ उनके मम्मे उछल रहे थे। मैंने उनके मम्मों को फिर से दबाना शुरू किया। “आआह्ह… सी सी… हाय… चोद बेटा… अपनी माँ की चूत फाड़ दे…” माँ पागल हो रही थीं। मैंने माँ को कुतिया की तरह घुमाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। “उह्ह… हाय… ये क्या मोटा लंड है… उंह… उंह…” माँ के चूतड़ मेरे धक्कों से थरथरा रहे थे। मैंने उनके चूतड़ों पर हल्का सा थप्पड़ मारा। “आह्ह… मार और… चोद और…” माँ चिल्लाई।
मैंने और जोर-जोर से धक्के मारे। फच-फच-फच की आवाज तेज हो गई। माँ की चूत से पानी निकल रहा था, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। “आआह्ह… मिट्ठू… मैं झड़ने वाली हूँ… उह्ह… सी सी…” माँ चीख रही थीं। मैंने और तेजी से चोदा। “उंह… उंह… आआआ… मैं मर गई… हाय…” माँ झड़ गईं, और उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया। मैंने और 10 मिनट तक उन्हें चोदा। मेरा लंड अब फूल चुका था। “माँ… मैं झड़ने वाला हूँ…” मैंने कहा। “अंदर ही छोड़ दे… अपनी माँ की चूत में…” माँ ने कहा। मैंने तेज-तेज धक्के मारे और अपना माल उनकी चूत में छोड़ दिया। “आआह्ह… उह्ह… कितना गर्म है…” माँ सिसक रही थीं।
हम दोनों हाँफते हुए बिस्तर पर लेट गए। माँ ने मुझे अपनी बाहों में लिया और मेरे माथे पर चूमा। “बेटा… तूने आज अपनी माँ को जन्नत दिखा दी…” माँ ने कहा। हम दोनों थककर सो गए। सुबह 4 बजे मेरी आँख खुली। माँ नंगी सो रही थीं। उनकी चूत अभी भी गीली थी। मैंने चादर हटाई और उनकी चूत पर मुँह लगा दिया। “उंह… मिट्ठू… फिर से?” माँ जाग गईं। “हाँ माँ… तुम्हारी चूत मारने का फिर से मन है…” मैंने कहा। “चोद ले… सुबह की चुदाई का मजा ही अलग है…” माँ ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने 15 मिनट तक उनकी चूत चाटी। फिर माँ ने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। “उम्म… कितना मोटा है तेरा लंड…” माँ ने कहा। मैंने माँ को फिर से कुतिया बनाया और पीछे से उनकी चूत मारी। “आआह्ह… चोद… और चोद…” माँ चिल्ला रही थीं।
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