सगी भाभी बनी मेरी सगी माशुका

Bhabhi aur Sagi Bahan ki chudai – दोस्तो, मैं अपने घर में सबसे छोटा हूँ। मेरी एक बहन है और एक बड़ा भाई है। घर में माँ-पापा भी हैं, लेकिन वो दोनों काम-धंधे में व्यस्त रहते हैं। मैं अभी कॉलेज में पढ़ता हूँ, उम्र कोई २२ साल की होगी। बहन से मेरी उम्र में ज्यादा फर्क नहीं है, वो मुझसे दो साल बड़ी है। हम दोनों का रिश्ता काफी क्लोज है, इतना कि मैंने उसे कई बार चोदा है। हम दोनों ओपन रिलेशनशिप में रहते हैं, मतलब कोई बंदिश नहीं। उसके बॉयफ्रेंड को भी हमारे बारे में पता है, और एक बार तो हम तीनों ने मिलकर थ्रीसम सेक्स किया था। वो मजा अलग ही था, लेकिन आज की कहानी मेरी भाभी की है, वो छोड़ो वो सब।

भाभी की शादी को चार-पाँच साल हो चुके थे। जो लोग उनके बाद शादी कर चुके थे, उनके बच्चे हो रहे थे, लेकिन भाभी का एक भी बच्चा नहीं हो रहा था। इस वजह से घर का माहौल काफी टेंशन वाला हो गया था। भाभी हमेशा उदास रहतीं, चेहरे पर वो चमक गायब हो गई थी जो शादी के बाद पहले साल में थी। भाभी अब डॉक्टर के चक्कर में पड़ गईं, जहाँ उन्हें हर दूसरे-तीसरे दिन जाना पड़ता था। भैया हर बार उनके साथ नहीं जा सकते थे, क्योंकि उनका काम बाहर का था। इसलिए भाभी ने एक सेकंड हैंड एक्टिवा ले ली।

लेकिन कमाल की बात ये थी कि भैया को कार के सिवा कुछ चलाना आता ही नहीं था। वो स्कूटर या बाइक से दूर ही रहते थे। इसलिए अब भाभी को एक्टिवा सिखाने की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई। मैंने बहन को भी सिखाई थी, तो मुझे अनुभव था। रात को हम तीनों प्रैक्टिस करने निकलते थे—भाभी, बहन और मैं। रोड एकदम सुनसान रहता था, कोई ट्रैफिक नहीं। बहन सीख चुकी थी, लेकिन उसकी हाइट थोड़ी कम थी, इसलिए वो भाभी की मदद नहीं कर पाती थीं। अब वो हमारे साथ आना कम कर चुकी थीं।

भाभी साड़ी पहनकर आतीं, लेकिन रात में भी आने लगीं। एक दिन सिखाते वक्त मैंने उनके बूब्स मसल दिए। वो कुछ नहीं बोलीं, बस चुप रहीं। मेरा लंड फूल टाइट हो गया और उनकी गांड में चुभने लगा। लेकिन फिर भी वो कुछ नहीं बोलीं। अब हर रोज ये होने लगा। मैं डेली उनके बूब्स को मसल देता, लेकिन भाभी कुछ भी नहीं बोलतीं। वो सब कुछ चुपचाप सहती जा रही थीं।

अब वो एक्टिवा सीख चुकी थीं, मैं भी एक आशिक की तरह पीछे से उनके पेट को पकड़ता। और उनके कान में बोलने के बहाने से उनके कान और गर्दन पर किस करता। वो भी मजा ले रही थीं, एक दिन मुझसे रहा नहीं गया। मैं एक्टिवा घर से थोड़ी और दूर ले आया। और एक्टिवा बीच में ही रोककर मैंने उन्हें पीछे से पकड़कर चूमना शुरू कर दिया।

भाभी—प्लीज यहाँ कुछ मत करो, प्लीज कोई भी आ सकता है यहाँ। देवर जी प्लीज मेरे साथ ऐसा न करो, मैं आपके भैया से बहुत प्यार करती हूँ।

मुझे ये सुनकर बुरा लगा और मैं बोला—सॉरी भाभी मुझे माफ करना, मुझसे गलती हुई है।

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ये कहते ही वहाँ एक पुलिस की कार आई और मेरी फट के चार हो गई। अब क्या करना वो पूछने लगा कि यहाँ हम क्या कर रहे हैं। ये कौन है, मैं उनका जवाब देने ही वाला था। लेकिन तभी भाभी उनसे बोलीं।

भाभी—ये मेरे पति हैं, ये मुझे एक्टिवा सिखा रहे हैं। आपको इससे कोई दिक्कत है तो बताओ।

भाभी ने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया, और फिर भाभी की ये बात सुनकर वो पुलिस वाला बोला।

पुलिस—ओके मैडम, लेकिन आप अपने घर के पास जाकर सीखो। वहाँ सेफ नहीं है प्लीज।

हम फिर वापस जाने लगे तो वो हमें घूर रहा था। भाभी पीछे बैठी थीं तो उन्होंने मुझे गर्लफ्रेंड की तरह पीछे से हग कर लिया। और फिर उन्होंने मेरे कान को काटा और किस भी किया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है।

घर पर आए तो भाभी सीधी अंदर चली गईं। दूसरे दिन मुझे पता था भाभी नहीं आएगी। क्योंकि कल मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। लेकिन अचानक भाभी मुझसे बोलीं।

भाभी—चलो अब एक्टिवा नहीं सिखाओगे क्या? या आज मेरे साथ जाना भूल गए?

मैं कुछ नहीं बोला और मैं उनके पीछे बैठकर उन्हें चलाना सिखा रहा था। आज उसी जगह से वापस आ गए। भाभी ने एक्टिवा रोकी और बोलीं।

भाभी—देवर जी आज इतने शांत क्यों हो?

मैं—सॉरी भाभी।

फिर भाभी नीचे उतरकर मेरे सामने आकर खड़ी हुईं, और उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रखकर मुझे किस करना शुरू कर दिया। वो मेरी जीभ को चूस रही थीं, फिर अपनी जीभ उन्होंने मेरे मुँह में डाल दी और मैं पागलों की तरह उनकी जीभ को चूसने लग गया।

फिर अचानक वो बोलीं—चलो देवर जी आइसक्रीम खाते हैं।

फिर हम दोनों एक कुल्फी ली और लेकर वहाँ से थोड़ी दूर चले गए। भाभी वो कुल्फी अपने मुँह में पूरी अंदर तक लेकर चूस रही थीं। मानो वो लंड चूस रही हों, भाभी को ऐसे करते देख मेरा लंड खड़ा हो चुका था।

भाभी ने मुझे कुल्फी के लिए पूछा, लेकिन मैंने उन्हें मना कर दिया। लेकिन भाभी ने जबरदस्ती मुझसे चुसवा दी। फिर हम दोनों एक कुल्फी को बारी-बारी से चूस-चूसकर खाई।

फिर हम निकले तो अब भाभी मेरे पीछे बैठी थीं। भाभी ने पीछे से मेरा लंड पकड़ा और वो मेरे कान में बोलीं।

भाभी—मुझे ये कुल्फी चूसने को कब मिलेगी देवर जी?

हम घर के नीचे आए और आज भाभी गैरेज में आईं मेरे साथ और एक्टिवा लगाने में मेरी मदद करने लगीं। जब मैं बाहर आने लगा, तभी भाभी ने मुझे पकड़ा और मुझे जोरदार जमकर किस करने लग गईं।

वो बहुत ही खुश थीं, और हँसकर वहाँ से चली गईं। लेकिन भाभी जाते-जाते हुए मुझे एक स्माइल के साथ बोलीं—देवर जी जल्दी ही मिलते हैं।

मैं रात भर सो ही नहीं पाया, भाभी के साथ किस वाला सीन याद करते ही। मेरा लंड पूरा खड़ा हो जाता था। अब तक मैं अपना लंड तीन बार हिला चुका था। आज रात मिलने की पूरी तैयारी कर ली थी, और मन में ठान लिया था। कि आज चाहे जो भी हो मैं भाभी की लेकर ही रहूँगा।

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आज हम दोनों की आँखों में हवस दिख रही थी। फिर रोज की तरह जब मैं उन्हें एक्टिवा सिखा रहा था। तो मैं उन्हें थोड़ी आगे ले गया, वहाँ एक होटल था। मैं जल्दी से ही होटल में एक रूम बुक करवाया।

और रूम में जाते ही मैंने भाभी को अपनी गोद में बिठाकर किसिंग करना शुरू कर दिया। उनकी साड़ी अभी भी पहनी हुई थी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे उनके होंठों को चूसना शुरू किया। भाभी की साँसें तेज हो रही थीं, वो थोड़ा हिचकिचा रही थीं, लेकिन मेरे होंठों का स्वाद लेने लगीं। मैंने उनके गालों को चूमा, फिर गर्दन पर किस किया, वो सिसकारियाँ भरने लगीं—आह… देवर जी…। मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके बूब्स दबाए, वो नरम और भरे हुए थे, कोई ३४ साइज के। भाभी ने आँखें बंद कर लीं, और बोलीं—देवर जी, धीरे… कोई देख लेगा। लेकिन रूम में हम अकेले थे, तो मैंने कहा—भाभी, अब कोई नहीं है, सिर्फ हम।

फिर मैंने उन्हें बेड पर पटक दिया और उनकी नाइटी उतारी दी—नहीं, भाभी ने साड़ी पहनी थी, लेकिन रात की प्रैक्टिस के लिए वो नाइटी में आईं थीं, आसान होती है। मैंने नाइटी ऊपर से खींची, नीचे ब्रा और पैंटी में वो लेटी हुईं। उनका गोरा जिस्म चमक रहा था, मैंने उनके पेट पर किस किया, फिर नाभि में जीभ डाली। भाभी कराह रही थीं—ओह… आह… देवर जी, ये क्या कर रहे हो। मैंने उनके ब्रा के हुक खोले, उनके बूब्स आजाद हो गए, गोल और टाइट, निप्पल्स ब्राउन और खड़े। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया, चूसने लगा, दूसरे को हाथ से मसल रहा था। भाभी के हाथ मेरे बालों में थे, वो दबा रही थीं—आह… चूसो देवर जी, जोर से…।

फिर मैं नीचे सरका, उनकी पैंटी उतारी। उनकी चूत साफ थी, हल्की गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ से उनकी चूत चाटनी शुरू की, ऊपर से नीचे, क्लिट पर जीभ घुमाई। भाभी चिल्ला रही थीं—आह… ओह… देवर जी, ये कितना अच्छा लग रहा है… चाटो मेरी चूत को…। उनकी चूत का स्वाद नमकीन था, मैंने उंगली डाली, अंदर गर्म और गीला। भाभी की कमर ऊपर उठ रही थी, वो सिसकारियाँ ले रही थीं—उम्म… आह… हाँ… और अंदर…। मैंने दो उंगलियाँ डालीं, घुमाईं, उनकी चूत चटक रही थी। भाभी बोलीं—देवर जी, अब सहन नहीं होता… चूसो मेरी बुर को…। मैंने जीभ से उनकी क्लिट को तेजी से चाटा, वो काँप रही थीं, और अचानक उनका ऑर्गेज्म हो गया—आआआह… ओह देवर जी… निकल रहा है…। उनकी चूत से पानी निकला, मैंने चाट लिया।

अब मैंने अपना लंड बाहर निकाला, कोई ७ इंच का, मोटा और खड़ा। भाभी ने देखा और बोलीं—देवर जी, ये तो बहुत बड़ा है… चुसवाओ मुझे। मैंने उनका सिर पकड़ा, लंड उनके मुँह में डाला। भाभी ने चूसना शुरू किया, जीभ से टिप चाटी, फिर पूरा मुँह में लिया—ग्लप… ग्लप…। वो थूक से गीला कर रही थीं, मैं उनके बाल पकड़कर धक्के दे रहा था—हाँ भाभी, चूसो मेरे लंड को… कितना अच्छा चूस रही हो…। भाभी बोलीं—देवर जी, ये लंड तो मेरी चूत के लिए ही बना है…। वो चूसती रहीं, मैंने उनका मुँह चोदा, लेकिन बाहर निकाला क्योंकि मैं अभी नहीं झड़ना चाहता था।

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फिर मैं कंडोम लगाने लगा, लेकिन भाभी ने मुझे कंडोम लगाने से मना कर दिया।

भाभी—नहीं देवर जी ऐसे ही करो बिना कंडोम के।

भाभी ने अपने हाथ से मेरा लंड अपनी चूत पर सेट करवाया, और फिर मैंने एक धक्के के साथ लंड उनकी चूत में डाला। वो चिल्लाईं—आआआह… देवर जी… दर्द हो रहा है… धीरे…। लेकिन उनकी चूत गीली थी, लंड आसानी से अंदर सरक गया। मैंने धक्के मारने शुरू किए, धीरे-धीरे, हर धक्के पर पच… पच… की आवाज आ रही थी। भाभी बोलीं—हाँ देवर जी, चोदो मुझे… अपनी भाभी की चूत फाड़ दो…। मैंने स्पीड बढ़ाई, उनके बूब्स उछल रहे थे, मैंने उन्हें दबाया। फिर मैंने पोजीशन बदली, उन्हें घोड़ी बनाया—भाभी घुटनों पर, मैं पीछे से। लंड उनकी चूत में डाला, गांड पकड़कर धक्के मारे—फच… फच…। भाभी चिल्ला रही थीं—ओह… हाँ… और जोर से… मेरी बुर में अपना लंड घुसेड़ो…। मैंने उनके बाल पकड़े, खींचा, वो कराह रही थीं—आह… देवर जी, तुम्हारा लंड कितना मोटा है… भर रहा है मेरी चूत को…।

फिर मैंने उन्हें ऊपर बिठाया, काऊगर्ल स्टाइल में—भाभी मेरे ऊपर, लंड पकड़कर चूत में डाला। वो ऊपर-नीचे हो रही थीं, उनके बूब्स मेरे मुँह के पास—आह… ओह… देवर जी, ये पोजीशन कितनी अच्छी है… चोद रही हूँ मैं तुम्हें…। मैंने नीचे से धक्के मारे, उनकी कमर पकड़ी। फिर मिशनरी में वापस, उनके पैर मेरी कमर पर लॉक। मैं जोर-जोर से धक्के मार रहा था—पच… पच… फच…। भाभी ने मुझे तरफ से जकड़ रखा था। मैं जितनी जोर से धक्का मारता, वो और जोर से चिल्लाती—आआआह… हाँ… चोदो… मेरी चूत का भोसड़ा बना दो…। अब मैंने अपने धक्कों को स्पीड तेज कर दी थी। तो उन्होंने अपने दोनों पैरों को मेरी कमर को लॉक कर दिया।

भाभी ने मुझे पूरी तरह से पकड़ लिया, और मुझे लगा कि अब मेरा होने वाला है।

मैं—भाभी मेरा निकलने वाला है।

भाभी—कोई बात नहीं देवर जी प्लीज अंदर डाल दो।

फिर मैंने अपने धक्कों के साथ अपने लंड का पानी उनकी गर्म-गर्म चूत में निकाल दिया। भाभी ने कुछ देर मुझे ऐसे ही जकड़कर रखा, हम दोनों की साँसें तेज चल रही थीं, पसीने से भीगे। फिर हम दोनों वहाँ से निकल लिए।

ये सिलसिला कुछ महीने भर चला और आखिर में भाभी माँ बनने वाली थीं। वो बहुत खुश थीं मुझसे, और अब मुझे एक साल तक शांत बैठना था।

फिर दोस्तो मैंने अपनी बहन और भाभी को और कैसे-कैसे चोदा। ये मैं आपको अपनी आने वाली कहानी में बताऊँगा।

दोस्तो, आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी सिचुएशन फेस की है? कमेंट में जरूर बताओ, ताकि मैं और स्टोरीज शेयर कर सकूँ।

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