हेलो, मेरा नाम अमित है। मैं 24 साल का हूँ, और मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूँ। मेरी हाइट 5.11 है, रंग गोरा, और मैं दिखने में काफ़ी हैंडसम हूँ। मेरा लंड 6.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है, जो किसी भी लड़की को दीवाना बना सकता है। मेरे घर में मम्मी-पापा और मेरी छोटी बहन कंचन है। कंचन 18 साल की है, 12वीं क्लास में पढ़ती है, और उसकी हाइट 5.4 है। उसका रंग इतना गोरा है कि जैसे दूध की मलाई, और उसकी आँखें हिरनी जैसी हैं। उसका फिगर 30-24-34 है, और वो इतनी ख़ूबसूरत है कि मोहल्ले के सारे लड़के उस पर लट्टू हैं। उसकी स्कूल ड्रेस में तो वो और भी सेक्सी लगती है, जैसे कोई अप्सरा। उसका टाइट बदन, खासकर उसके उभरे हुए बूब्स और कसी हुई गांड, किसी का भी मन मोह ले। मैं भी उसका दीवाना था, पर शुरू में मेरे मन में उसके लिए कोई ग़लत ख़याल नहीं था।
मैं शर्मीला हूँ, और लड़कियों से बात करने में हिचकता था। मेरे दोस्तों ने मुझे ऑनलाइन सेक्स स्टोरीज के बारे में बताया, और जब मैंने भाई-बहन की चुदाई वाली कहानियाँ(sagi bahan sex) पढ़ीं, तो मेरा मन भी कंचन के लिए बदलने लगा। वो अब मुझे अपनी छोटी बहन कम, बल्कि एक हसीन लड़की ज़्यादा लगने लगी थी। उसका बदन जवानी की आग में जल रहा था। स्कूल की टाइट शर्ट में उसके बूब्स ऐसे उभरते थे कि मेरा मन करता था कि उन्हें दबा-दबाकर चूस लूँ। घर में वो टाइट जीन्स और टॉप पहनती, जिससे उसकी कमर और गांड का उभार साफ़ दिखता। मैं रोज़ उसके बारे में सोचकर मुठ मारता, और उसे चोदने के ख़्वाब देखता।
एक दिन मौक़ा मिल ही गया। मम्मी को ऑफ़िस के काम से चार दिन के लिए बाहर जाना था, और पापा पहले से ही शहर से बाहर थे। कंचन के एग्ज़ाम की वजह से हम दोनों घर पर अकेले रह गए। मम्मी सुबह 9 बजे चली गईं। उस दिन कंचन ने व्हाइट शर्ट और टाइट जीन्स पहनी थी, जिसमें उसके बूब्स इतने सेक्सी लग रहे थे कि मेरा लंड पैंट में तन गया। हम दोनों नाश्ता करके पढ़ाई करने बैठे। मैं उसके बगल में था, पर मेरा ध्यान उसकी पढ़ाई पर कम, और उसके उभरे हुए बूब्स पर ज़्यादा था। मैं सोच रहा था कि आज मौक़ा है, पर कंचन इतनी शरीफ़ थी कि मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।
तभी कंचन का फोन बजा। उसने कहा, “भैया, देखो ना किसका फोन है, बोल दो मैं बिज़ी हूँ।” मैंने फोन उठाया तो कोई लड़का कंचन के बारे में पूछ रहा था, लेकिन मेरी आवाज़ सुनते ही उसने फोन काट दिया। मैंने मौक़ा देखकर कंचन से पूछा, “कंचन, सच-सच बताओ, तेरा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?” वो चौंक गई और बोली, “भैया, ये आप क्या पूछ रहे हो?” मैंने कहा, “अभी किसी लड़के का फोन आया था, वो तुझसे बात करना चाहता था। मेरी आवाज़ सुनते ही उसने फोन काट दिया।” कंचन घबरा गई और बोली, “प्लीज़ भैया, मम्मी को मत बताना। मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है, लेकिन…” वो बोलते-बोलते रुक गई। मैंने पूछा, “लेकिन क्या? बोल ना!”
वो शर्माते हुए बोली, “रहने दो भैया, आप बुरा मान जाओगे।” मैंने कहा, “अरे, मुझे अपने दोस्त की तरह समझ। मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा।” कंचन ने धीरे से कहा, “भैया, स्कूल में कई लड़के मुझे छेड़ते हैं। मेरी क्लास का एक लड़का मुझसे दोस्ती करना चाहता है, शायद उसी का फोन था।” मैंने पूछा, “कंचन, तुझे कोई लड़का पसंद है?” वो शरमाकर बोली, “भैया, आप ये क्यों पूछ रहे हो?” मैंने कहा, “मैं तेरा दोस्त हूँ ना, तू अपनी सहेलियों की तरह मुझसे सब कुछ शेयर कर सकती है।”
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कंचन का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वो बोली, “भैया, जब लड़के मुझे छेड़ते हैं, तो मुझे अजीब सा लगता है। जैसे मेरे पूरे बदन में आग सी लग जाती है। मेरा दिल तेज़ी से धड़कता है, और बदन काँपने लगता है। मैंने अपनी सहेलियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस उम्र में ऐसा होता है। इसका एक ही इलाज है कि मैं किसी बॉयफ्रेंड के साथ एंजॉय करूँ, जैसे वो सब करती हैं।” उसकी ये बातें सुनकर मेरा लंड पैंट में तन गया। मैंने पूछा, “कंचन, सच बताओ, तू किसी लड़के के साथ एंजॉय करना चाहती है?” वो हैरानी से मुझे देखने लगी और बोली, “भैया, ये आप क्या कह रहे हो?” मैंने कहा, “मैं बस तेरी मदद करना चाहता हूँ।”
वो बोली, “भैया, करना तो चाहती हूँ, लेकिन डर लगता है।” मैंने मौक़ा देखकर कहा, “डरने की कोई बात नहीं। मेरे पास इसका एक उपाय है।” वो उत्साह से बोली, “भैया, जल्दी बताओ ना, वो उपाय क्या है?” मैंने कहा, “तुझे ऐसा लड़का चाहिए जो तेरे घर आए-जाए, और कोई शक न करे। जिसके साथ तू बिंदास एंजॉय कर सके।” वो बोली, “लेकिन ऐसा लड़का कहाँ मिलेगा?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “तेरे सामने ही तो है।”
कंचन चौंक गई और बोली, “भैया, आप मेरे सगे भाई हो!” मैंने कहा, “देख कंचन, तू मेरी छोटी बहन है, और मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ। लेकिन तू एक लड़की है, और मैं एक लड़का। हम एक-दूसरे की ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं। कोई शक भी नहीं करेगा, क्योंकि हम भाई-बहन हैं।” मेरी बात सुनकर कंचन ख़ामोश हो गई। फिर धीरे से बोली, “भैया, मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन डरती थी कि कहीं आप बुरा न मान जाएँ।”
मैं समझ गया कि ये सही मौक़ा है। मैंने धीरे से उसकी कमर पर हाथ रखा और सहलाने लगा। उसने आँखें बंद कर लीं, जैसे वो मेरे स्पर्श का मज़ा ले रही हो। मैंने उसे अपनी बाहों में भरा और उसके गुलाबी होंठों को चूमने लगा। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, और उसकी साँसें तेज़ चलने लगीं। मैंने उसे बाहों में उठाकर बेड पर लिटाया और उसके होंठों को चूसते हुए उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा। मेरे हाथ काँप रहे थे, क्योंकि ये मेरा पहला मौक़ा था। कंचन की साँसें और तेज़ हो गईं, और वो “उम्म… भैया…” की हल्की सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने उसकी व्हाइट शर्ट धीरे-धीरे उतारी। उसने अंदर सफ़ेद ब्रा पहनी थी, जिसमें उसके गोरे बूब्स और भी सेक्सी लग रहे थे। मैंने उसकी गर्दन और कंधों पर पागलों की तरह चूमना शुरू किया। वो सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… भैया… धीरे…” मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स दबाए, जो नींबू की तरह टाइट थे। मैंने कहा, “कंचन, आज मैं तेरे इन बूब्स का सारा रस पी जाऊँगा।” वो शरमाकर बोली, “भैया, आप भी ना…” मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, और उसके छोटे-छोटे, गोरे बूब्स मेरे सामने थे। उनके गुलाबी निप्पल्स देखकर मैं पागल हो गया। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा। कंचन सिसकने लगी, “आह… भैया… उफ़… धीरे करो… ये आपके ही हैं।”
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मैंने उसके बूब्स को बारी-बारी चूसा, कभी दबाया, कभी सहलाया। उसका बदन गर्म हो रहा था, जैसे आग में जल रहा हो। मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला और धीरे से उतार दिया। उसने नीली पैंटी पहनी थी, जो उसकी गोरी जाँघों पर गज़ब ढा रही थी। मैंने उसकी चिकनी जाँघों को चूमा, सहलाया, और धीरे-धीरे उसकी पैंटी नीचे खींच दी। उसकी गुलाबी, बिना बालों वाली चूत मेरे सामने थी, जो गीली और गर्म थी। मैंने उसकी चूत को उंगलियों से सहलाया, और वो सिसक उठी, “आह… भैया… उई… क्या कर रहे हो…” मैंने उसकी चूत की फाँकों को अलग किया और अपने होंठों से चूसना शुरू किया। कंचन तड़पने लगी, “आह… भैया… उफ़… बस… मैं मर गई…” उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया, और मैंने उसका सारा रस चाट लिया।
कंचन दो बार झड़ चुकी थी, और उसका बदन काँप रहा था। मैंने अपने कपड़े उतारे और नंगा हो गया। मेरा 6.5 इंच का लंड देखकर कंचन बोली, “भैया, ये तो बहुत बड़ा है… मेरी चूत में नहीं जाएगा।” मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया रखा ताकि उसकी चूत थोड़ी ऊपर उठे। मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी गीली चूत पर रखा और धीरे से धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी टाइट चूत में घुस गया। कंचन चीख पड़ी, “आह… उई… मम्मी… मैं मर गई…” उसकी चूत से ख़ून निकलने लगा। मैं रुक गया और उसके बूब्स चूसने लगा। थोड़ी देर बाद वो फिर गर्म हो गई। मैंने मौक़ा देखकर पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। वो तड़प उठी, “आह… भैया… धीरे… दर्द हो रहा है…”
मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। कंचन की सिसकारियाँ अब मज़े में बदल गईं, “उम्म… आह… भैया… हाय… और करो…” वो भी कमर हिलाकर मेरा साथ देने लगी। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में मज़ा ले रहा था। मैंने उसके निप्पल्स चूसते हुए धक्के तेज़ किए। वो चिल्ला रही थी, “आह… भैया… उफ़… हाय… मैं गई…” 15 मिनट बाद उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ा, और मैंने भी उसकी चूत में अपना माल छोड़ दिया। वो तीन बार झड़ चुकी थी।
थोड़ी देर बाद मैंने कंचन के बूब्स सहलाते हुए पूछा, “कंचन, कैसा लगा तेरा भैया का प्यार?” वो शरमाकर बोली, “भैया, बहुत मज़ा आया।” हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे से लिपटे रहे। जब कंचन उठी, तो उसे चलने में दिक्कत हो रही थी। उसकी चूत ख़ून और रस से सनी थी। मैंने कॉटन से उसकी चूत साफ़ की। उस दिन मैंने कंचन को चार बार चोदा। वो दिन मेरी ज़िंदगी बदल गया। अब कंचन मेरी गर्लफ्रेंड है।
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Good story,achi himmat dikhai
Mujko be dilva dey teri Bahan ki