प्यासी सास को उनके ही बेटे से चुदवा दिया

ये कहानी मेरी नहीं है, बल्कि काजल के सुनाए किस्से पर आधारित है। वो कई दिनों से बोल रही थी कि उसकी भी एक कहानी है, और मैं उसे हिंदी में लिखकर सबके सामने लाऊं। पर समय ही नहीं मिल रहा था। आज तीन दिन की छुट्टी मिली, तो सोचा कि आज ये शुभ काम कर ही लिया जाए। बस लैपटॉप उठाया और बैठ गया काजल की कहानी लिखने।

काजल, 22-23 साल की जवान और खूबसूरत लड़की, उसका बदन ऐसा जैसे किसी मूर्तिकार ने बड़ी फुर्सत से तराशा हो। कद पांच फीट तीन इंच, हर अंग एकदम सांचे में ढला हुआ। उसकी आंखें कजरारी, होंठ गुलाबी, और चाल ऐसी कि देखने वाला बस देखता रह जाए। अभी आठ महीने पहले ही उसकी शादी विवेक खन्ना से हुई, जो दिल्ली की एक बड़ी कंपनी में काम करता है। विवेक भी 24 साल का हट्टा-कट्टा नौजवान, चेहरा सुंदर, और लंबा-मोटा लंड का मालिक, जो काजल की हर रात को रंगीन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ता।

काजल अपनी शादी से बेहद खुश थी। विवेक हर रात उसकी चुदाई में ऐसा जोश दिखाता कि काजल सातवें आसमान पर पहुंच जाती। उसकी चूत हर बार पानी-पानी हो जाती, और विवेक का लंड उसे बार-बार झड़ने पर मजबूर कर देता। घर में एक और अहम् शख्स था—विवेक की माँ सुनीता। उम्र 45 के आसपास, पर बदन इतना मस्त कि जवान लड़कियां भी शरमा जाएं। कद पांच फीट, चुचे बड़े-बड़े, जैसे हिमाचल की पहाड़ियां, पेट सपाट, और कूल्हे इतने उभरे हुए कि देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। सुनीता का चेहरा अभी भी ऐसा था कि लोग उसे देखकर उसकी उम्र का अंदाजा नहीं लगा पाते। उसकी चाल में एक अजीब सा ठहराव था, जो कामुकता को और बढ़ा देता।

अब आप सोच रहे होंगे कि काजल की कहानी में मैं उसकी सास की इतनी तारीफ क्यों कर रहा हूँ? तो सुनिए, इस कहानी की असली नायिका काजल की सास सुनीता ही है। कहानी तब शुरू हुई, जब एक दोपहर काजल ने सुनीता के कमरे से सिसकारियों की आवाज सुनी। उसका दिल धक-धक करने लगा। वो चुपके से दरवाजे के पास गई और झांककर देखा तो हैरान रह गई। सुनीता सिर्फ पेटीकोट में बिस्तर पर लेटी थी, एक हाथ की दो उंगलियों से अपनी चूत को रगड़ रही थी, और दूसरे हाथ से अपनी कड़क चुचियों को जोर-जोर से मसल रही थी। उसकी आंखें बंद थीं, चेहरा लाल, और मुंह से “आह… ऊह…” की आवाजें निकल रही थीं। शायद वो झड़ने वाली थी, तभी उसकी सिसकारियां तेज हो गई थीं।

काजल का ध्यान सुनीता की चूत पर गया। वो एकदम क्लीन शेव थी, जैसे आज ही झांटें साफ की हों। चूत पानी से चमक रही थी, मानो कोई मोती रोशनी में दमक रहा हो। काजल को यकीन नहीं हुआ कि उसकी सास इतनी कामुक हो सकती है। उसने सोचा, सुनीता तो बाहर से इतनी सभ्य और शांत दिखती है, पर अंदर की आग तो कुछ और ही कहानी कह रही थी। काजल वही दरवाजे पर खड़ी रही, उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। जब सुनीता झड़कर शांत हुई, तो उसने गहरी सांस ली और आंखें खोलीं। तभी काजल ने एकदम से दरवाजा खोल दिया और अंदर चली गई।

सुनीता, जो अभी भी अस्त-व्यस्त कपड़ों में लेटी थी, काजल को देखकर हड़बड़ा गई। उसने जल्दी से पास पड़ी साड़ी उठाई और अपने बदन को ढक लिया। उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, जैसे कोई चोर पकड़ा गया हो। “अब क्या फायदा मम्मी जी… सब कुछ तो देख लिया मैंने!” काजल ने हंसते हुए कहा, माहौल को हल्का करने की कोशिश में।

सुनीता शर्म से मरी जा रही थी। उसकी आंखें नीचे थीं, और वो कुछ बोल नहीं पा रही थी। काजल उसके पास बिस्तर पर बैठ गई और बोली, “मम्मी जी, क्यों परेशान हो रही हो? ये सब तो होता रहता है। ये तो शरीर की जरूरत है, इसमें शर्माने की क्या बात? मैं भी तो कई बार ऐसा करती हूँ जब विवेक घर पर नहीं होते।” काजल का लहजा दोस्ताना था, पर सुनीता अभी भी चुप थी।

काजल ने उसे सहज करने के लिए उसका हाथ पकड़ा और उसकी चूची को हल्के से दबाते हुए बोली, “क्या बात है मम्मी जी, आपकी चुचियां तो इतनी कड़क और मस्त हैं! देखो, मेरी तो इनके सामने फीकी पड़ जाती हैं।” कहते हुए काजल ने सुनीता का हाथ अपनी चूची पर रख दिया। सुनीता ने झटके से हाथ खींच लिया और बोली, “क्यों शर्मिंदा कर रही हो बहू…”

“अरे, मम्मी जी, ये सब तो नॉर्मल है। कभी-कभी सेक्स का भूत सिर चढ़ जाता है। जब विवेक टूर पर जाते हैं, तो मैं भी उंगली से अपनी चूत को शांत करती हूँ। आप तो इतने सालों से अकेली हैं, फिर भी इतना कंट्रोल! मैं तो दो दिन भी बिना चुदे नहीं रह पाती,” काजल ने हंसकर कहा।

सुनीता अभी भी चुप थी। काजल ने बहुत कोशिश की, पर सुनीता का मन नहीं बदला। आखिरकार काजल ने कहा, “ठीक है मम्मी जी, आज से हम दोनों सहेलियां हैं। जब भी आपको ऐसी जरूरत महसूस हो, मुझे बताना। मैं आपकी मदद कर दूंगी। और जब विवेक टूर पर होंगे, तो आप मेरी मदद कर देना।” सुनीता ने सिर्फ हल्का सा सिर हिलाया और चुप रही।

कुछ दिन ऐसे ही बीते। काजल सुनीता को खुश करने की हर कोशिश करती, पर सुनीता उसके सामने शर्मा जाती। फिर एक दिन विवेक को तीन दिन के टूर पर जाना पड़ा। घर में सिर्फ काजल और सुनीता रह गए। काजल ने ठान लिया कि इन तीन दिनों में वो सुनीता की शर्म को तोड़ देगी।

पहली ही रात काजल ने सुनीता को अपने कमरे में साने को कहा। सुनीता ने मना किया, बोली, “नहीं बहू, मैं अपने कमरे में ही ठीक हूँ।” पर काजल ने जिद की, “मम्मी जी, अकेले क्या करेंगी? चलो मेरे साथ, थोड़ी गपशप करेंगे।” आखिरकार सुनीता मान गई। रात को काजल एक पतली सी नाइटी पहनकर बिस्तर पर आ गई, जिसमें उसका बदन साफ झलक रहा था। सुनीता साड़ी में थी। काजल ने उसकी साड़ी खींचकर अलग की और बोली, “मम्मी जी, इतने भारी कपड़ों में कैसे सोएंगी? आराम से लेटो।”

थोड़ी देर इधर-उधर की बातें हुईं। फिर काजल ने अचानक अपनी नाइटी उतार दी और एक तरफ फेंक दी। सुनीता हैरान रह गई। “ये क्या कर रही हो काजल?” उसने हड़बड़ाते हुए पूछा। पर काजल ने बिना जवाब दिए सुनीता के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और फिर उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगी। सुनीता ने रोकने की कोशिश की, पर काजल ने उसे पूरी तरह नंगा कर दिया। अब दोनों सास-बहू बिस्तर पर जन्मजात नंगी थीं।

“अरे मम्मी जी, आप तो नई दुल्हन की तरह शरमा रही हो! थोड़ा मस्ती करो,” काजल ने हंसकर कहा।

“काजल, तू तो बड़ी बेशर्म है रे! देख, इस बेशर्म ने मुझे भी अपने जैसा नंगा कर दिया!” सुनीता शर्म से लाल हो गई।

“मम्मी जी, अभी तो सिर्फ नंगा किया है, आगे-आगे देखो क्या-क्या करती हूँ!” काजल ने शरारत से कहा।

“तू तो पागल है!” सुनीता ने शर्माते हुए कहा। ये पहला मौका था जब वो अपने पति के अलावा किसी के सामने पूरी तरह नंगी थी।

कपड़े उतरते ही काजल सुनीता से लिपट गई और उसकी खरबूजे जैसी चुचियों को मसलने लगी। सुनीता कसमसाई, पर सच ये था कि उसे भी मजा आने लगा था। काजल ने किसी मर्द की तरह उसकी चुचियों को जोर-जोर से मसला, फिर उसके तने हुए निप्पलों को मुंह में लेकर चूसने लगी। “आह… काजल… ये क्या कर रही है…” सुनीता की सिसकारी निकल गई। काजल ने बिना रुके एक उंगली सुनीता की चूत में डाल दी। चूत पहले से ही गीली थी। उंगली अंदर जाते ही सुनीता के मुंह से “आह्ह्ह… ऊह…” निकल पड़ा।

सुनीता ने भी अब काजल की चुचियों को पकड़ लिया और मसलने लगी। काजल ने उसकी चुचियों को छोड़कर नीचे की तरफ बढ़ना शुरू किया। जब उसने सुनीता की चूत पर अपने होंठ रखे, तो सुनीता का बदन सिहर उठा। “हाय… काजल… ये क्या… आह…” सुनीता की आवाज कांप रही थी। काजल ने जीभ निकालकर उसकी चूत को चाटना शुरू किया। सुनीता के लिए ये सब नया था। उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूटने लगा।

काजल भी अब गर्म हो चुकी थी। वो अपनी चुचियों को मसल रही थी, और उसकी चूत में भी खुजली शुरू हो गई थी। जब बर्दाश्त नहीं हुआ, तो उसने पलटी मारी और 69 की पोजीशन में आ गई। उसने अपनी चूत सुनीता के मुंह पर रख दी। सुनीता समझ गई और उसने भी काजल की चूत में जीभ डाल दी। “आह… मम्मी जी… चाटो… हाय… कितना मजा आ रहा है…” काजल सिसक रही थी। दोनों सास-बहू एक घंटे तक एक-दूसरे से लिपटकर मजे लेती रहीं। सुनीता चार बार झड़ी, और काजल भी तीन बार। आखिरकार दोनों थककर बिस्तर पर ढेर हो गईं।

“काजल… आज सालों बाद मेरी चूत ने इतना पानी छोड़ा… चार बार झड़ी मैं…” सुनीता ने हांफते हुए कहा।

“मम्मी जी, सच बताओ, आखिरी बार चूत में लंड कब लिया था?” काजल ने शरारत से पूछा।

“बहू… बहुत साल हो गए… अब तो याद भी नहीं…” सुनीता ने शर्माते हुए कहा।

“फिर भी बताओ ना?” काजल ने जिद की।

सुनीता ने अपनी कहानी सुनानी शुरू की। “जब मैं स्कूल में पढ़ती थी, तब विवेक के पापा से मेरी शादी हुई। वो तब फौज में नए-नए भर्ती हुए थे, 19-20 साल के। दोनों नादान थे। सुहागरात को न उन्हें कुछ पता था, न मुझे। पहली रात तो बस यूँ ही बीत गई। अगले दिन उनके दोस्तों ने बताया कि क्या करना है, तब दूसरी रात उन्होंने मेरी सील तोड़ी। मेरी छोटी सी चूत और उनका मोटा लंड… सारी रात अंदर डालकर पड़े रहे। सुबह देखा तो बिस्तर खून से सना था। करीब 20 दिन हम साथ रहे, रोज तीन-चार बार चुदाई होती। फिर उनकी छुट्टियां खत्म हुईं, और वो ड्यूटी पर चले गए। उनकी बहुत याद आती थी।

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ससुराल में भरा-पूरा परिवार था। मेरी सास इतनी सख्त थी कि उनकी नजर से डर लगता था। कभी इधर-उधर देखने की हिम्मत नहीं हुई। दोनों तरफ तड़प थी। फिर धीरे-धीरे आदत हो गई। वो छुट्टियों में आते, और हम पूरा वक्त एक-दूसरे में खोए रहते। रात-रात भर चुदाई का मजा लेते। फिर मैं प्रेग्नेंट हो गई। विवेक के जन्म के वक्त वो आए। फिर उनकी ड्यूटी बंगाल बॉर्डर पर हो गई, और एक साल तक नहीं आए। मैं विवेक की परवरिश में व्यस्त हो गई।

तीन साल तक जब भी वो आते, हम सिर्फ रात को मिल पाते। दिन में बात तक नहीं होती थी। जब उनकी ड्यूटी पठानकोट में हुई, तब हम दो साल फैमिली क्वार्टर में साथ रहे। जिंदगी ऐसे ही चल रही थी। फिर तेरह साल पहले एक एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई। तब से मैं अकेली जिंदगी काट रही हूँ।”

“मम्मी जी, बुरा न मानो… पर इन तेरह सालों में कभी मन नहीं हुआ किसी से चुदवाने का?” काजल ने सावधानी से पूछा।

“नहीं… विवेक की परवरिश ही मेरा मकसद बन गया था। इधर-उधर ध्यान ही नहीं गया,” सुनीता ने गंभीरता से कहा।

“मतलब आप इतने सालों से सिर्फ उंगली से काम चला रही थीं?” काजल ने थोड़ा मजाकिया लहजे में पूछा।

“बताया ना, मन ही नहीं हुआ…” सुनीता ने बात टालने की कोशिश की।

“फिर उस दिन इतनी गर्म कैसे हो गई थीं आप?” काजल ने जिद पकड़ ली।

“वो… वो… छोड़ ना बहू… तू भी क्या बात लेकर बैठ गई!” सुनीता शरमा गई।

काजल के बार-बार कहने पर सुनीता ने बताना शुरू किया। “अब तू मेरी बहू के साथ-साथ सहेली भी है, तो तुझसे क्या छुपाना। उससे एक रात पहले जब मैं पेशाब करने उठी, तो तुम और विवेक चुदाई कर रहे थे। तुम्हारे कमरे से सिसकारियां, आहें, और तेरी पायल की छमछम की आवाज आ रही थी। मैं समझ गई कि मेरा बेटा मेरी बहू की चुदाई कर रहा है। तुम्हारा दरवाजा भी थोड़ा खुला था। मैंने बहुत कोशिश की, पर खुद को रोक नहीं पाई। मैंने झांककर देखा।

अंदर का नजारा देखकर मेरा बदन सिहर उठा। विवेक अपने मोटे लंड से तेरी चूत बजा रहा था। मैं तुरंत अपने कमरे में चली गई, पर मेरा दिल बेचैन हो गया। बहुत कोशिश की, पर मन नहीं माना। मैं फिर तुम्हारे कमरे के पास पहुंच गई और पूरे 20 मिनट तक तुम दोनों की चुदाई देखती रही। मेरी चूत पानी-पानी हो गई। सारा दिन मेरे दिमाग में वही सीन घूमता रहा। जब कंट्रोल नहीं हुआ, तो उंगली से खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी, तभी तू आ गई और मेरी चोरी पकड़ ली।”

“ओह… तो ये बात है!” काजल ने मुस्कुराते हुए कहा।

“बहू, प्लीज, ये बात किसी को मत बताना!” सुनीता ने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

“मम्मी जी, मैं समझती हूँ। ये शरीर की जरूरत है। मैं तो दो दिन भी विवेक से चुदे बिना नहीं रह पाती, और आपने तेरह साल बिना चुदाई के काट दिए। पर अब चिंता मत करो, आपकी इस जरूरत को मैं पूरा करूंगी,” कहकर काजल सुनीता से लिपट गई। दोनों फिर से एक-दूसरे के बदन से रगड़ने लगीं। काजल ने सुनीता की चूत में उंगली डाली, और सुनीता ने काजल की चुचियां मसलीं। दोनों ने एक बार फिर चूत से पानी निकाला और थककर सो गईं।

कहते हैं, सेक्स की आग में जब मस्ती का तड़का लगता है, तो वो और भड़क उठती है। करीब एक महीना बीत गया। काजल और सुनीता जब भी मौका मिलता, कपड़े उतारकर बिस्तर पर मस्ती करने लगतीं। काजल हर बार सुनीता की चूत चाटती, और सुनीता भी काजल की चूत में जीभ डालकर उसे झड़ा देती। पर काजल को लग रहा था कि सुनीता की आग सिर्फ उंगली या जीभ से नहीं बुझने वाली। उसे कुछ और चाहिए था।

एक दिन सुनीता ने काजल से कहा, “काजल, मेरी जान… तूने मेरी आदत बिगाड़ दी है। पिछले तेरह सालों से जो आग दबी थी, तूने उसे सुलगा दिया।”

“तो क्या हुआ मम्मी जी? जिंदगी है, मजे लो!” काजल ने बिंदास जवाब दिया।

“पर काजल, अब दिक्कत कुछ बढ़ रही है,” सुनीता ने बेचैनी से कहा।

“क्या मतलब?” काजल ने भौंहें चढ़ाईं।

“मतलब… कभी-कभी सेक्स इतना हावी हो जाता है कि कंट्रोल नहीं होता,” सुनीता ने हिचकिचाते हुए कहा।

“तो क्या हुआ? आपकी बहू है ना, मजे देने के लिए!” काजल ने मुस्कुराकर कहा।

“बात वो नहीं है…” सुनीता और बेचैन हो गई।

“तो क्या बात है? खुलकर बोलो, हम तो सहेलियां हैं!” काजल ने उसे प्रोत्साहित किया।

“काजल… जब से तूने मुझे ये लत लगाई, मेरा दिल बेचैन रहता है। रात को जब आंख खुलती है, तो ध्यान तुम्हारे कमरे की तरफ जाता है। सोचती हूँ कि तू विवेक के मोटे लंड से मजे ले रही होगी, और मैं अकेली अपनी चूत में उंगली डालकर तड़प रही हूँ,” सुनीता ने आखिरकार दिल की बात कह दी।

“ओह… तो मम्मी जी, आपका मन अब लंड से चुदने का करने लगा है?” काजल ने शरारत से पूछा।

“हट पागल! इस उम्र में लंड लेकर क्या करूंगी?” सुनीता ने शर्माते हुए बात टालने की कोशिश की।

“मन करता है तो बताओ ना!” काजल ने जिद की।

“छोड़ ना ये बात!” कहकर सुनीता अपने कमरे में चली गई।

काजल को सुनीता की बातों से साफ था कि उसकी सास की चूत अब लंड मांग रही है। पर सवाल ये था कि वो अपनी सास के लिए लंड कहां से लाए? दिन बीतते गए, और सुनीता की बेचैनी बढ़ती गई। काजल ने कई बार उससे इस बारे में बात की, पर सुनीता हर बार टाल देती। फिर एक दिन सुनीता ने कुछ ऐसा कहा कि काजल एक पल के लिए सन्न रह गई।

“काजल, मुझे ये बात नहीं कहनी चाहिए, पर अगर तुझे बुरा न लगे, तो एक बात बोलूं?” सुनीता ने हिचकिचाते हुए कहा।

“बोलो ना मम्मी जी, पूछना कैसा?” काजल ने उत्साह से कहा।

“काजल… मुझे कहते हुए शर्म आ रही है… कैसे बोलूं!” सुनीता का चेहरा लाल हो गया।

“अरे, सहेली से क्या शर्म? बोलो!” काजल ने उसे हौसला दिया।

“काजल… मैं चाहती हूँ कि तू कोई ऐसा इंतजाम कर, जिससे मैं तेरी और विवेक की चुदाई देख सकूं!” सुनीता ने आखिरकार कह ही दिया।

“मम्मी जी, आपने तो पहले भी देखी है?” काजल ने हैरानी जताई।

“अरे, तब तो डर के मारे ठीक से देख भी नहीं पाई थी। अब ऐसा कुछ कर कि शुरू से आखिर तक देख सकूं,” सुनीता ने शरमाते हुए कहा।

“कोई बात नहीं, मैं कुछ इंतजाम करती हूँ!” काजल ने मुस्कुराकर कहा।

“तू बहुत अच्छी है काजल… मेरा बहुत ख्याल रखती है!” सुनीता ने राहत की सांस ली।

“एक बात बताओ मम्मी जी… आपके मन में मेरी और विवेक की चुदाई देखने का ख्याल कैसे आया?” काजल ने शरारत से पूछा।

“अब क्या बताऊं… तू दिन में मेरे साथ मस्ती करती है, और रात को विवेक के लंड का मजा लेती है। कभी-कभी तुम्हारे कमरे से सिसकारियां सुनकर मेरी चूत में आग लग जाती है। बहुत कोशिश करती हूँ, पर कंट्रोल नहीं होता। सारी रात करवटें बदलती रहती है। उंगली से भी शांत करने की कोशिश करती हूँ, पर आग नहीं बुझती। बस मन करता है कि तुम दोनों को चुदते देखूं, शायद कुछ राहत मिले,” सुनीता ने दिल खोलकर कहा।

“ओह… ऐसी बात है! ठीक है मम्मी जी, मैं कुछ ना कुछ इंतजाम करती हूँ। पर एक बात बताओ, अगर मेरी और विवेक की चुदाई देखकर आपकी चूत और गर्म हो गई, तो फिर क्या करोगी?” काजल ने चुटकी लेते हुए पूछा।

सुनीता चुप हो गई। उसके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। काजल ने ही चुप्पी तोड़ी, “मम्मी जी, मुझे लगता है आपको अपनी चूत की आग बुझाने के लिए लंड चाहिए।”

“हट पगली! अब मेरी उम्र थोड़े ही है लंड लेने की!” सुनीता ने शर्माते हुए कहा।

“मम्मी जी, लंड लेने की कोई उम्र नहीं होती। मैंने तो सुना है कि 80 साल की बूढ़ी औरतें भी लंड लेती हैं। अगर यकीन न हो, तो नेट पर देख लो। जब तक चूत में आग है, लंड की चाहत रहती है। और लंड लेने से बूढ़ी भी जवान हो जाती है,” काजल ने हंसकर कहा।

“बस कर बहू! अब क्या मुझे चुदवाकर ही मानेगी? पहले ही तूने मेरी चूत चाट-चाटकर दबी हुई आग सुलगा दी!” सुनीता ने गुस्से में कहा।

“मम्मी जी, आप इशारा तो करो… कोई ना कोई लंड ढूंढ ही लेंगे आपके लिए!” काजल ने हंसते हुए कहा।

“जब भरी जवानी में विवेक के पापा ड्यूटी पर जाते थे, तब मैंने कोई लंड नहीं ढूंढा। अब बुढ़ापे में ढूंढकर नरक में जाऊं?” सुनीता ने गंभीर होकर कहा।

“वो तो ठीक है, पर चूत में आग लगी है, तो उसे बुझाना तो पड़ेगा ना? नहीं तो ये आग बहुत तंग करती है!” काजल ने समझाया।

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“बस कर… जैसे पिछले कुछ दिन से तू मेरी आग बुझा रही है, वैसे ही बुझाती रह। अब लंड लेने की ना उम्र है, ना चाहत!” सुनीता ने बात खत्म की।

बात करते-करते दोनों फिर नंगी हो गईं और एक-दूसरे की चूत से पानी निकालने में जुट गईं। शांत होने के बाद काजल बोली, “चिंता मत करो मम्मी जी, जल्दी ही मैं आपको मेरी और विवेक की चुदाई का लाइव शो दिखाती हूँ। और हां, आपकी चूत के लिए भी एक मोटा-लंबा लंड ढूंढ ही लूंगी।”

“मुझे नहीं चाहिए कोई लंड! इस उम्र में बदनाम करवाएगी क्या, कमीनी?” सुनीता ने गुस्से में कहा।

“चिंता मत करो, बदनामी नहीं होने दूंगी। आपके लिए ऐसा लंड ढूंढूंगी, जिसमें कोई रिस्क ना हो,” कहकर काजल अपने कमरे में चली गई।

सुनीता नंगी बिस्तर पर लेटी अपनी चुचियां मसलते हुए सोच रही थी। क्या उसकी बहू सच में उसके लिए लंड का इंतजाम करेगी? और अगर करेगी, तो किसका? ऐसा कौन है, जिससे चुदवाने में बदनामी का डर न हो? यही सोचते-सोचते उसकी आंख लग गई।

शाम सात बजे आंख खुली, तो खुद को नंगा देखकर वो शरमा गई। जल्दी से कपड़े पहने और बाहर आई। विवेक ड्यूटी से लौट चुका था। सुनीता का दिल धक से रह गया। अगर विवेक उसके कमरे में आ जाता और उसे नंगा देख लेता, तो क्या सोचता? पर बाहर सब नॉर्मल था।

दो-तीन दिन बाद काजल ने सुनीता को बताया, “मम्मी जी, आज रात तैयार रहना। मेरी और विवेक की चुदाई देखने का इंतजाम हो गया।” सुनीता की धड़कनें बढ़ गईं। वो शरमा रही थी, पर मन ही मन उत्साहित भी थी। वो अपनी बहू और बेटे की चुदाई देखने वाली थी।

शाम तक का वक्त सुनीता के लिए पहाड़ जैसा था। शर्म के मारे कुछ बोल नहीं रही थी, पर नजर घड़ी पर थी। शाम हुई, विवेक घर आया, सबने खाना खाया, और सोने की तैयारी होने लगी। सुनीता की बेचैनी बढ़ रही थी। विवेक अपने कमरे में टीवी देखने चला गया। तभी काजल सुनीता के कमरे में आई और उसे अपने साथ चलने को कहा। सुनीता चुपचाप उसके पीछे चल दी।

काजल के कमरे के दरवाजे पर पहुंचकर उसने सुनीता को रुकने को कहा। “जब मैं बुलाऊं, तब अंदर आ जाना,” काजल ने फुसफुसाते हुए कहा। सुनीता दरवाजे पर खड़ी इंतजार करने लगी। हर पल भारी था। उसे डर था कि कहीं विवेक को पता चल गया, तो क्या होगा। पर चुदाई देखने की लालसा उसकी चूत से पानी टपकने के रूप में बाहर आ रही थी।

दस मिनट बाद काजल के कमरे की लाइट बंद हो गई। सुनीता ने सोचा, शायद प्लान फेल हो गया। वो वापस अपने कमरे की तरफ मुड़ी, तभी काजल बाहर आई और उसका हाथ पकड़कर अंदर ले गई। कमरे में नाइट बल्ब जल रहा था। विवेक बाथरूम में था। काजल ने सुनीता को एक परदे के पीछे छुपा दिया। परदे के पीछे एक कुर्सी रखी थी, ताकि सुनीता आराम से बैठकर सब देख सके। सुनीता काजल की समझदारी पर गदगद हो गई।

काजल ने सुनीता से फुसफुसाकर कहा, “लाइट जलाकर ही सब करूंगी, ताकि आप अच्छे से देख सको।” तभी बाथरूम का दरवाजा खुला। काजल ने परदा ठीक किया और बिस्तर पर जाकर बैठ गई। विवेक सिर्फ अंडरवियर में बाहर आया और काजल के पास बैठ गया। काजल, जो अपनी सास को लाइव चुदाई दिखाने के लिए बेताब थी, विवेक से लिपट गई और अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए।

“क्या बात है मेरी जान… आज तो बड़ी गर्मी है?” विवेक ने शरारत से पूछा।

“बात मत कर… बस शुरू हो जा… चूत में आग लगी है…” काजल ने हांफते हुए कहा।

“ओके मेरी रानी… तुझे तो पता है, मैं तेरी चूत का कितना प्यासा हूँ,” विवेक ने हंसकर कहा।

विवेक ने काजल की नाइटी उतार दी। नाइटी के नीचे काजल पूरी नंगी थी। उसे भी उत्साह था कि आज उसकी चुदाई कोई देख रहा है। विवेक ने काजल की चुचियों को मसलना शुरू किया, फिर एक चूची मुंह में लेकर चूसने लगा। “आह… विवेक… चूस… जोर से चूस… हाय…” काजल की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं।

उधर, सुनीता की चूत गीली हो चुकी थी। वो परदे के पीछे बैठी अपनी साड़ी में हाथ डालकर चूत सहला रही थी। काजल का हाथ विवेक के अंडरवियर में घुस गया और उसके लंड से खेलने लगा। सुनीता बेसब्री से विवेक के लंड के बाहर आने का इंतजार कर रही थी। उसने पहले छुपकर उनकी चुदाई देखी थी, पर तब उसे लंड की सिर्फ झलक मिली थी। आज वो चार फीट की दूरी से सब कुछ साफ देखने वाली थी।

काजल ने एक झटके में विवेक का अंडरवियर नीचे खींचा। आठ इंच लंबा और तीन इंच मोटा लंड बाहर आया। सुनीता की चूत ने पानी छोड़ दिया। इतने सालों बाद उसने इतने करीब से लंड देखा था। विवेक का लंड कड़क और चमकदार था। सुनीता का मन हुआ कि वो अभी उठकर जाए और काजल को हटाकर उस लंड को अपने हाथों में ले ले।

विवेक ने लंड का सुपारा काजल के होंठों पर रखा। काजल ने मुंह खोलकर उसे अंदर ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। “आह… काजल… कितना मजा दे रही है… चूस… और चूस…” विवेक की आहें निकल रही थीं। उसका एक हाथ काजल की चूची मसल रहा था, और दूसरा उसकी चूत के दाने को सहला रहा था। सुनीता ने अपना पेटीकोट ऊपर उठाया और तीन उंगलियां अपनी चूत में डाल दीं। उसकी चूत पानी-पानी थी।

विवेक और काजल अब 69 की पोजीशन में आ गए। विवेक काजल की चूत चाट रहा था, और काजल उसके लंड को चूस रही थी। “आह… विवेक… चाट… मेरी चूत फाड़ दे… हाय…” काजल सिसक रही थी। दस मिनट बाद दोनों का पानी छूट गया। काजल ने विवेक का लंड मुंह से निकाला और हिलाने लगी। कुछ ही देर में लंड फिर तन गया।

विवेक ने काजल की टांगें अपने कंधों पर रखीं और लंड को चूत पर सेट करके एक जोरदार धक्का मारा। आधा लंड अंदर चला गया। “आह्ह्ह… ऊई… मर गई…” काजल चिल्लाई। विवेक ने धक्के शुरू किए। “आह… जोर से चोद… मेरी चूत फाड़ दे… तेरा लंड कितना कड़क है… हाय… चोद… और जोर से…” काजल की सिसकारियां तेज हो गईं। वो जानबूझकर सुनीता को और गर्म करने के लिए ऐसी बातें कर रही थी।

विवेक भी जोश में आ गया। “ले मेरी रानी… पूरा लंड ले… तेरी चूत आज आग उगल रही है… ले… चुद मेरे मोटे लंड से…” वो और तेज धक्के मारने लगा। सुनीता की हालत खराब थी। उसकी चूत से पानी की धार बह रही थी। वो तीन उंगलियों से चूत को रगड़ रही थी, पर आग बुझ नहीं रही थी।

विवेक ने काजल को घोड़ी बनाया और पीछे से लंड पेल दिया। “आह… विवेक… फाड़ दे मेरी चूत… हाय… कितना गहरा जा रहा है तेरा लंड…” काजल चिल्ला रही थी। विवेक के टट्टे काजल की गांड पर थप-थप की आवाज कर रहे थे। बीस मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद विवेक ने काजल की चूत में अपना माल छोड़ दिया। काजल पांच बार झड़ चुकी थी और निढाल होकर बिस्तर पर पड़ी थी। विवेक भी हांफते हुए उसके बगल में लेट गया।

सुनीता भी झड़-झड़कर थक गई थी। उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला था। काजल को अचानक सुनीता की याद आई। उसे कमरे से निकालना था। उसने विवेक से कहा, “आज तूने कमाल कर दिया… मन तो कर रहा है एक और राउंड हो जाए…”

“क्या खा लिया तूने आज? बीस मिनट की चुदाई के बाद भी और चाहिए?” विवेक ने हंसकर पूछा।

“पता नहीं, आज मन कर रहा है सारी रात चुदवाऊं। तू बाथरूम से फ्रेश होकर आ, फिर सोचते हैं,” काजल ने कहा।

विवेक बाथरूम चला गया। काजल ने सुनीता को इशारा किया। सुनीता लड़खड़ाते कदमों से अपने कमरे में पहुंची और बिस्तर पर ढेर हो गई। वो इतनी थक चुकी थी कि उसे नींद आ गई।

अगली सुबह सुनीता नौ बजे उठी। काजल नाश्ता बनाकर विवेक को ऑफिस भेज चुकी थी। सुनीता अभी भी अस्त-व्यस्त कपड़ों में थी। काजल ने उसकी साड़ी खींच दी। सुनीता हड़बड़ाकर उठ बैठी।

“क्या हुआ मम्मी जी? आज तो बड़ी नींद आ रही है?” काजल ने शरारत से पूछा।

“पूछ मत… रात तो जैसे बदन निचोड़ लिया… टांगों के बीच दरिया बह रहा था!” सुनीता ने शरमाते हुए कहा।

“ऐसा क्या हो गया, जो दरिया बहने लगा?” काजल ने आंखें नचाते हुए पूछा।

“तू तो बड़ी कमीनी है… मुझे भी अपने जैसी बेशर्म बना दिया!” सुनीता ने हंसकर कहा।

“बताओ ना, रात को क्या हुआ?” काजल ने जिद की।

“बताया ना, शुरू से आखिर तक टांगों के बीच दरिया बहता रहा। इतना मजा तो ब्लू फिल्म में भी नहीं आता, जितना तेरी और विवेक की चुदाई देखकर आया। वैसे, मेरा बेटा मस्त चोदता है। तेरी तो हालत खराब कर दी थी!” सुनीता ने शरारत से कहा।

“एक बात पूछूं… विवेक का लंड कैसा लगा?” काजल ने हंसकर पूछा।

“हट कमीनी! कुछ तो शर्म कर… मां से पूछ रही है कि बेटे का लंड कैसा है!” सुनीता ने नकली गुस्सा दिखाया।

“अरे, मैंने क्या गलत पूछा? आपने रात को देखा ही है!” काजल ने नाराज होने का नाटक किया।

“ठीक है… बहुत लंबा, कड़क, और मोटा है विवेक का लंड। अब खुश?” सुनीता शरमाते हुए बोली।

“वो तो है… जब अंदर जाता है, तो चूत की नस-नस में करंट दौड़ा देता है!” काजल ने हंसकर कहा।

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“तेरी तो मौज है… ऐसा कड़क मर्द मिला है!” सुनीता ने कहा, और दोनों ठहाके मारकर हंस पड़ीं।

सुनीता बाथरूम में गई, नंगी होकर शावर के नीचे खड़ी हो गई। ठंडा पानी उसके बदन पर पड़ा, तो रात का नजारा फिर आंखों के सामने आ गया। उसका हाथ अपनी चूत पर चला गया, और वो फिर से उंगली करने लगी।

कुछ दिन बाद सुनीता का मन फिर चुदाई देखने को मचलने लगा। उसने काजल से कुछ नहीं कहा, पर काजल उसकी बेचैनी समझ गई। काजल ने एक बार फिर रिस्क लिया और सुनीता को अपनी और विवेक की चुदाई दिखाई। पर इस बार सुनीता की आग और भड़क गई। काजल सोच में पड़ गई कि अपनी सास के लिए लंड कहां से लाए।

एक दिन काजल ने कुछ कहानियां पढ़ीं, जिनमें मां-बेटे की चुदाई की बात थी। उसका दिमाग घूम गया। वो सोचने लगी कि क्यों न सुनीता की चूत विवेक के लंड से ठंडी करवा दी जाए। पर क्या विवेक अपनी मां को चोदने को तैयार होगा? और सुनीता क्या मानेगी? काजल ने प्लान बनाना शुरू किया। उसने विवेक को मां-बेटे की चुदाई की कहानियां पढ़वाईं और बार-बार सुनीता की तारीफ करने लगी।

एक रात चुदाई के बाद काजल ने विवेक से कहा, “विवेक, एक बात पूछूं?”

“पूछ…” विवेक ने लेटे-लेटे जवाब दिया।

“मम्मी जी ने इतने साल बिना चुदाई के कैसे काटे होंगे?” काजल ने सावधानी से पूछा।

“मतलब?” विवेक ने भौंहें चढ़ाईं।

“मतलब… मम्मी जी इतनी खूबसूरत हैं, बदन भी इतना मस्त। क्या उनका मन नहीं करता होगा चुदाई का?” काजल ने बात आगे बढ़ाई।

“क्या सारा दिन ऐसी बातें सोचती रहती है?” विवेक ने झुंझलाकर कहा।

“अरे, मैंने मम्मी जी को एक-दो बार अपनी चूत में उंगली करते देखा है। तभी सोचा, शायद उनका भी मन करता होगा। उम्र तो ज्यादा नहीं हुई उनकी,” काजल ने कहा।

विवेक कुछ नहीं बोला। काजल रसोई में पानी लेने गई, पर तुरंत लौट आई। उसने विवेक को अपने साथ चलने को कहा। विवेक पूछता रहा, पर काजल उसे सुनीता के कमरे के सामने ले गई। दरवाजा थोड़ा खुला था। काजल ने विवेक को झांकने को कहा। विवेक ने पहले मना किया, पर काजल की जिद के आगे उसे झांकना पड़ा।

सुनीता बिस्तर पर नंगी पड़ी अपनी चूत रगड़ रही थी। कमरे की लाइट जल रही थी, और उसका बदन चमक रहा था। विवेक सन्न रह गया। सुनीता को नहीं पता था कि कोई उसे देख रहा है। वो मस्ती में बड़बड़ा रही थी, “काजल कमीनी… अकेले विवेक के मोटे लंड का मजा लेती है… मेरी चूत का भी तो सोच… मुझे भी विवेक जैसा लंड चाहिए… तेरह साल से प्यासी है मेरी चूत… कुछ तो इंतजाम कर कमीनी!”

विवेक और काजल दोनों हैरान रह गए। काजल को तो पता था कि सुनीता लंड चाहती है, पर विवेक के लिए ये नया था। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी मां इतनी कामुक होगी। उस रात से विवेक का दिमाग बदलने लगा। वो बार-बार सुनीता के बारे में सोचने लगा। काजल ने भी उसकी बेचैनी भांप ली।

कुछ दिन बाद काजल के मायके से फोन आया कि उसके पापा की तबीयत ठीक नहीं है। काजल का मायका चंडीगढ़ में था। विवेक छुट्टी नहीं ले सका, तो काजल ने अकेले जाने का फैसला किया। उसने जानबूझकर सुनीता को साथ नहीं लिया। वो विवेक और सुनीता को अकेले छोड़ना चाहती थी।

अगली सुबह काजल चंडीगढ़ चली गई। विवेक की मीटिंग देर तक चली। उसने दोस्त के साथ दो पेग व्हिस्की पी और रात बारह बजे घर पहुंचा। सुनीता को फोन करके बता दिया था। सुनीता खाना खाकर टीवी देख रही थी। एक रोमांटिक सीन देखकर उसकी चूत में खुजली हुई। उसने साड़ी उतारकर नाइटी पहनी, उसे ऊपर उठाया, और चूत में उंगली करके पानी निकाल लिया। फिर वो सोफे पर ही सो गई।

विवेक ने चुपके से दरवाजा खोला। उसकी नजर सुनीता पर पड़ी। वो अधनंगी थी, नाइटी जांघों तक उठी हुई थी। विवेक की धड़कनें बढ़ गईं। वो अपने कमरे में गया, फ्रेश हुआ, और बनियान-अंडरवियर में वापस आया। उसने सोचा, मम्मी को जगाकर उनके कमरे में भेज दे। पर सुनीता को अधनंगी देखकर उसका लंड खड़ा हो गया। उसने सुनीता की नाइटी ठीक करने की कोशिश की, पर उसकी चूत दिख गई। सुनीता ने पैंटी नहीं पहनी थी। उसकी क्लीन शेव चूत देखकर विवेक का दिमाग खराब हो गया।

उसने उंगली से सुनीता की चूत को छुआ। चूत का रस उसकी उंगली पर लग गया। उसने चखा, तो नशा चढ़ गया। तभी सुनीता ने करवट ली। विवेक घबरा गया और अपने कमरे में जाकर सुनीता को आवाज दी। सुनीता चौंककर उठी। उसने अपने कपड़े ठीक किए और रसोई में चली गई। दोनों रातभर सो नहीं पाए। विवेक अपनी मां की चूत के बारे में सोचता रहा, और सुनीता को डर था कि कहीं विवेक ने उसे नंगा देख लिया हो।

अगली सुबह काजल का फोन आया। उसने विवेक से पूछा, “कुछ बात बनी रात को?”

“क्या मतलब?” विवेक ने अनजान बनकर पूछा।

“अरे, मम्मी जी के साथ कुछ किया या नहीं?” काजल ने साफ कहा।

“काजल, तू पागल हो गई है!” विवेक ने गुस्सा दिखाया।

“मैं सिर्फ परिवार की भलाई चाहती हूँ। तुम दोनों एक-दूसरे को चाहते हो। मैं मम्मी जी को तड़पते नहीं देख सकती। चोद दो उनकी चूत!” काजल ने बिंदास कहा।

विवेक चुप रहा। काजल ने सुनीता से बात करने को कहा। विवेक ने फोन सुनीता को दे दिया। काजल ने सुनीता से कहा, “मम्मी जी, मौका मत गंवाओ। विवेक के लंड से मजा ले लो!”

“कमीनी, तू मुझे अपने बेटे से चुदवाकर ही मानेगी!” सुनीता ने गुस्से में कहा। तभी विवेक रसोई में आ गया। उसने सब सुन लिया। सुनीता की बोलती बंद हो गई।

विवेक ने सुनीता का हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचा। “विवेक… ये क्या कर रहा है… छोड़ मुझे!” सुनीता ने गुस्सा दिखाया। पर विवेक ने उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा। सुनीता छटपटाई, पर विवेक का लंड उसकी नाभि पर चुभ रहा था। उसकी चूत गीली हो गई। वो भी विवेक से लिपट गई।

विवेक ने सुनीता की नाइटी उतार दी। वो सिर्फ पैंटी में थी। विवेक ने उसकी चुचियों पर टूट पड़ा। “आह… विवेक… धीरे… जान निकाल देगा क्या…” सुनीता सिसक रही थी। उसने विवेक का लंड पकड़ लिया और मसलने लगी। विवेक ने उसकी पैंटी फाड़ दी और चूत में उंगली डाल दी। “हाय… बेटा… आह…” सुनीता कांप उठी।

विवेक ने सुनीता को बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा। “आह… विवेक… चाट… मेरी चूत… कितना मजा आ रहा है…” सुनीता चिल्ला रही थी। उसने विवेक का लंड मुंह में ले लिया। दोनों 69 में मजे लेने लगे। “कमीने… कब तक तड़पाएगा… अब चोद दे… मेरी चूत प्यासी है!” सुनीता ने चिल्लाकर कहा।

विवेक ने लंड सुनीता की चूत पर रखा और एक धक्का मारा। “आह्ह्ह… ऊई… मर गई… धीरे… फट जाएगी चूत!” सुनीता चिल्लाई। विवेक ने दूसरा धक्का मारा, और पूरा लंड अंदर पेल दिया। “हाय… मर गई… कुत्ते… धीरे… तेरी मां की चूत है!” सुनीता तड़प रही थी।

विवेक ने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। “आह… चोद… मेरी चूत… कितना मस्त लंड है तेरा… हाय…” सुनीता मस्ती में थी। विवेक ने तेजी बढ़ाई। “मां… तेरी चूत तो जन्नत है… कब से तड़प रही थी… अब रोज चोदूंगा!” विवेक जोश में था।

“चोद… मेरे बेटे… ये चूत अब तेरी है… जब चाहे चोद ले… आह… फाड़ दे…” सुनीता चिल्ला रही थी। बीस मिनट की चुदाई के बाद विवेक ने सुनीता की चूत में माल छोड़ दिया। सुनीता तीन बार झड़ चुकी थी। दोनों थककर लेट गए।

विवेक को ऑफिस जाना था। सुनीता को ग्लानि हो रही थी, पर मजा भी आया था। दोपहर को विवेक जल्दी लौटा और फिर से सुनीता को चोदा। शाम से रात तक तीन बार चुदाई हुई। अगली रात भी दोनों ने जमकर चुदाई की। सुनीता ने विवेक को कहा कि काजल के सामने नाटक करना है, ताकि उसे लगे कि वो ही उन्हें चुदवाने में कामयाब हुई।

काजल अगले दिन लौटी। वो सुनीता और विवेक पर गुस्सा थी कि उन्होंने कुछ नहीं किया। उसने दोनों पर दबाव बनाना शुरू किया। एक रात उसने सुनीता को अपने कमरे में बुलाया और उसकी साड़ी-पेटीकोट उतार दिया। विवेक ने नाटक किया, पर आखिरकार सुनीता की चूची पकड़ ली। काजल डायरेक्टर की तरह निर्देश दे रही थी। विवेक और सुनीता ने मजे से चुदाई की, और काजल खुश थी कि उसने सुनीता की प्यास बुझाई।

इस चुदाई का सिलसिला आज भी चल रहा है। सास-बहू और बेटा, तीनों अपनी आग बुझाते हैं।

क्या आपको लगता है कि काजल का फैसला सही था, या उसे सुनीता और विवेक को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए था? अपनी राय बताएं!

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