Maa Beta Sex Story: मेरा नाम माया है, और मैं चालीस साल की एक ऐसी औरत हूँ, जो अपनी जवानी और हुस्न से आज भी किसी को भी पागल कर सकती हूँ। मेरा बदन ऐसा है कि देखने वाले की साँसें थम जाएँ। मेरी चूचियाँ भारी और टाइट हैं, गोल-मटोल गांड का उभार ऐसा कि कपड़े फट जाएँ। मेरी कमर चौड़ी है, पर पेट इतना पतला कि उसकी गहरी नाभि में कोई भी डूब जाए। मेरी बूब्स की साइज 34 है, और मेरे नैन-नक्श इतने कातिलाना कि मर्दों की नजरें मुझ पर टिक जाएँ। मैं सचमुच एक मस्त माल हूँ, दोस्तों। लेकिन ये मस्त माल जब अपने ही बेटे के हवाले हो गया, तो दिल में एक अजीब सी कसक उठी। पर क्या करूँ? मैंने ही तो उसे ऐसा मौका दिया। मैं हमेशा इतने हॉट और सेक्सी अंदाज में रहती थी कि मेरा हर अंग ललचा रहा था। मेरे टाइट ब्लाउज और पेटीकोट में उभरी चूचियाँ और गांड को देखकर शायद राज से भी रहा नहीं गया, और उसने मुझे रसोई में ही पकड़कर चोद डाला।
मेरे घर में मैं, मेरा बेटा राज, और मेरे पति सौविक रहते हैं। लेकिन सौविक का तबादला मुंबई हो गया है, और वो अब महीनों में एक-दो बार ही घर आते हैं। ऐसे में मैं और राज अकेले रहते हैं। मैं एक चुड़क्कड़ औरत हूँ, ये मैं खुलकर मानती हूँ। सेक्स के बिना मेरा दिल और बदन दोनों बेकरार रहते हैं। सौविक जब घर नहीं होते, तो मैं रात को हॉट कहानियाँ पढ़ती हूँ। उन कहानियों में चुदाई के वर्णन पढ़कर मेरी चूत में आग लग जाती है। फिर मैं अपनी उंगलियाँ चूत में डालकर खुद को शांत करती हूँ, तकिया जाँघों के बीच दबाकर सो जाती हूँ। राज दूसरे कमरे में सोता है, और मुझे लगता था कि उसे मेरी इन हरकतों का कुछ पता नहीं। लेकिन मैं गलत थी।
उस सुबह की बात है, जब सब कुछ बदल गया। ठंडी-ठंडी सुबह थी, और मैं जल्दी उठ गई थी। मुझे अपने एक रिश्तेदार के यहाँ जाना था, इसलिए मैंने साड़ी पहनने का सोचा। नहाकर मैं रसोई में नाश्ता बनाने लगी। अभी मैं सिर्फ़ टाइट ब्लाउज और पेटीकोट में थी। ब्लाउज इतना टाइट था कि मेरी भारी चूचियाँ उसमें कैद होने को तड़प रही थीं। उनके उभार साफ़ दिख रहे थे, और मेरे निप्पल हल्के-हल्के उभरे हुए थे। पेटीकोट मैंने कमर के नीचे बाँधा था, जिससे मेरा चिकना पेट और गहरी नाभि नजर आ रही थी। मेरी गांड का उभार पीछे की तरफ इतना था कि पेटीकोट उस पर चिपक सा गया था। मेरे गीले बाल मेरी पीठ पर लटक रहे थे, और ठंडी हवा में मेरा बदन और भी कामुक लग रहा था। मैं रसोई में पराठे बना रही थी, और मेरे हर मूवमेंट के साथ मेरी चूचियाँ और गांड हल्के-हल्के हिल रही थीं।
तभी राज सोकर उठा और रसोई में चला आया। उसने मुझे पीछे से देखा, और मैंने उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक देखी। वो धीरे से मेरे पास आया और मुझे पीछे से पकड़ लिया। उसका सीना मेरी पीठ से सट गया, और उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया। उसकी गर्म साँसें मेरे गले पर पड़ रही थीं, और मेरे बदन में एक सिहरन सी दौड़ गई। “गुड मॉर्निंग, मम्मी,” उसने धीमी, गहरी आवाज में कहा। मैंने भी प्यार से जवाब दिया, “गुड मॉर्निंग, बेटा।” मैंने उसके सिर पर हाथ फेरा, जैसे मैं हमेशा करती हूँ। लेकिन राज का मिजाज आज कुछ और था। वो और करीब आ गया, और उसने धीरे-धीरे मेरी कमर पर हाथ रख दिए। उसकी उंगलियाँ मेरे पेटीकोट के ऊपर से मेरे पेट को सहलाने लगीं।
“मम्मी, मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ,” उसने तोतली, भोली-सी आवाज में कहा, लेकिन उसकी आवाज में एक अजीब सा जुनून था। मैंने हल्के से हँसकर कहा, “मैं भी तो तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, राज।” उसने मेरे कंधे पर एक हल्का सा चुम्मा दे दिया, और फिर बोला, “नहीं मम्मी, आप सिर्फ़ माँ वाला प्यार करती हो। मैं तो आपको सब कुछ मानता हूँ—माँ, बहन, टीचर, गुरु, और… गर्लफ्रेंड भी।” उसका ‘गर्लफ्रेंड’ शब्द सुनकर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैंने मजाक में कहा, “अच्छा, तो मैं तुझे हर तरह का प्यार देती हूँ, जो तू माँगता है।” लेकिन राज ने तुरंत पलटकर कहा, “नहीं मम्मी, आप गर्लफ्रेंड वाला प्यार नहीं देतीं।” और ये कहते हुए वो और चिपक गया।
अब उसका बदन मेरे बदन से पूरी तरह सट गया था। मुझे उसका मोटा, गर्म लंड मेरी गांड के बीच में महसूस होने लगा। वो धीरे-धीरे सख्त हो रहा था, और उसकी गर्मी मेरे जिस्म में आग लगा रही थी। मैं घबरा गई। मेरा दिमाग कह रहा था कि ये गलत है, लेकिन मेरा बदन कुछ और चाह रहा था। मैंने हल्के से कहा, “राज, थोड़ा हट जा।” लेकिन उसने मेरी बात अनसुनी कर दी। उसने कहा, “हो गया ना मम्मी, प्यार करना? मैंने तो कहा था, आप मुझे गर्लफ्रेंड वाला प्यार नहीं देतीं। अब मैं अपनी गर्लफ्रेंड बनाऊँगा। मेरे दोस्त की बहन पिंकी तो मुझे लाइन देती है।”
पिंकी का नाम सुनते ही मेरा गुस्सा भड़क गया। मैंने उसे डाँटा, “पिंकी से दूर रह, राज! वो अच्छी लड़की नहीं है। वो कई लड़कों के साथ घूमती है, रात-रात भर घर नहीं आती। होटल में लड़कों के साथ रहती है।” राज ने तुरंत जवाब दिया, “तो फिर आप मुझे रोकिए मत, मम्मी। मैं किसी को भी दोस्त नहीं बनाऊँगा।” उसकी बातों में एक अजीब सा दबाव था। मैं चुप हो गई। मेरी चुप्पी को उसने अपनी जीत समझ लिया।
वो अब और करीब आ गया। उसने अपने हाथ मेरे पेट पर रखे, और उसकी उंगलियाँ मेरी नाभि में घूमने लगीं। मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। उसकी उंगलियाँ मेरी नाभि को धीरे-धीरे सहला रही थीं, और मेरी साँसें तेज हो गईं। मैं चाहकर भी उसे रोक नहीं पा रही थी। उसका लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था, और मेरी गांड के बीच में रगड़ रहा था। मैंने महसूस किया कि मेरा पेटीकोट उसकी रगड़ से गीला होने लगा था। मेरी चूत में भी आग लगने लगी थी। महीनों से मैं सौविक के बिना तड़प रही थी। रात को उंगलियाँ डालकर खुद को शांत करना अब मेरी प्यास नहीं बुझा रहा था। और अब राज का गर्म, मोटा लंड मेरी गांड को छू रहा था।
मैंने हल्के से अपनी गांड को पीछे धकेला, और राज को इसका पूरा फायदा मिल गया। उसने धीरे से अपना बरमूडा नीचे सरका दिया, और अपना मोटा लंड हाथ में पकड़ लिया। उसने मेरे पेटीकोट को धीरे-धीरे ऊपर उठाया, और मुझे झट से पता चला कि मैंने अंदर पैंटी नहीं पहनी थी। मेरी नंगी चूत और गांड अब उसके सामने थी। उसने मेरे कंधे पर एक और चुम्मा दिया, और धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया, “मम्मी, आप कितनी हॉट हो… मैं कब से ये चाहता था।” उसकी बात सुनकर मेरी चूत और गीली हो गई।
राज ने मुझे रसोई के स्लैब की तरफ धीरे से झुकाया। उसका लंड मेरी चूत के मुँह पर टिका, और मेरे मुँह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गई। मैंने खुद को रोकने की आखिरी कोशिश की, “राज, ये गलत है… हम माँ-बेटे हैं…” लेकिन मेरी आवाज में कोई दम नहीं था। मेरी वासना मुझ पर हावी हो चुकी थी। राज ने मेरी बात अनसुनी की, और धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत में डालने लगा। उसका मोटा, गर्म लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस रहा था, और मैं सिहर रही थी। उसने आधा लंड डाला, और फिर रुक गया। मेरी चूत उसके लंड को जकड़ रही थी, और मैं उसकी गर्मी को हर इंच महसूस कर रही थी।
“मम्मी, आपकी चूत कितनी टाइट है… आह… कितना मजा आ रहा है,” उसने धीमी आवाज में कहा। उसकी बात सुनकर मेरी वासना और भड़क गई। उसने धीरे से एक और धक्का मारा, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं एकदम सिहर उठी। मेरी चूत महीनों बाद किसी लंड से भरी थी, और वो लंड मेरे अपने बेटे का था। राज ने मेरी कमर पकड़ ली और धीमे-धीमे धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी चूत और गीली हो रही थी। मेरी सिसकारियाँ रसोई में गूँजने लगीं— “आह… राज… धीरे… आह… क्या कर रहा है… ओह्ह!”
उसने मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ मेरे निप्पलों को दबा रही थीं, और मैंने खुद ही अपने ब्लाउज के हुक खोल दिए। मेरी ब्रा को मैंने जल्दी से उतार फेंका, और मेरी भारी चूचियाँ आजाद हो गईं। राज ने मेरी नंगी चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर-जोर से मसलने लगा। उसने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा, जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं सिहर रही थी। उसने मेरी दूसरी चूची को हाथ से मसलना जारी रखा, और उसका लंड मेरी चूत में धीमे-धीमे अंदर-बाहर हो रहा था।
“मम्मी, आपकी चूचियाँ कितनी रसीली हैं… मैं इन्हें दिन-रात चूस सकता हूँ,” उसने कहा, और मेरी चूत ने और रस छोड़ दिया। उसने मेरी गांड पर एक हल्का सा थप्पड़ मारा, और मैं चीख पड़ी, “आह… राज… धीरे…!” लेकिन उसने मेरी बात नहीं सुनी। वो अब अपनी स्पीड बढ़ाने लगा। उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था, और मेरी बच्चेदानी तक उसकी गर्मी महसूस हो रही थी। मेरी गांड हर धक्के के साथ हिल रही थी, और रसोई में मेरी सिसकारियाँ और उसके जाँघों की थप-थप की आवाज गूँज रही थी।
लगभग बीस मिनट तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा। उसने मेरी एक टाँग उठाकर स्लैब पर रख दी, जिससे मेरी चूत और खुल गई। अब उसका लंड और गहराई तक जा रहा था। मैं पागल हो रही थी। मेरी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं— “आह… राज… और जोर से… चोद दे… अपनी मम्मी की चूत को… आह्ह… फाड़ दे…!” मैंने खुद को पूरी तरह वासना के हवाले कर दिया था। राज ने मेरी चूचियों को फिर से चूसना शुरू किया। उसने मेरे दोनों निप्पलों को बारी-बारी से चूसा, और उसकी जीभ मेरी चूचियों पर ऐसे घूम रही थी जैसे वो उनका हर इंच चाट लेना चाहता हो।
अचानक उसने मेरी गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा, और कहा, “मम्मी, आपकी गांड कितनी मस्त है… मैं इसे भी चोदना चाहता हूँ।” उसकी बात सुनकर मेरी चूत और सिकुड़ गई। मैंने कहा, “राज… पहले मेरी चूत की प्यास बुझा… फिर जो चाहे कर ले।” उसने मेरी कमर को और जोर से पकड़ा, और अब वो पूरी ताकत से मुझे चोद रहा था। मेरी चूत से रस टपक रहा था, और रसोई का फर्श गीला हो गया था। मैंने महसूस किया कि मेरा शरीर अब झड़ने की कगार पर है। मेरी साँसें रुक रही थीं, और मेरे मुँह से बस सिसकारियाँ निकल रही थीं— “आह… राज… मैं… मैं झड़ने वाली हूँ… आह्ह…!”
उसने मेरी बात सुनी, और उसकी स्पीड और बढ़ गई। उसका लंड मेरी चूत में इतनी तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था कि मैं अपने शरीर पर काबू नहीं रख पा रही थी। अचानक मेरी चूत ने जोर से रस छोड़ा, और मेरा पूरा बदन काँपने लगा। मेरी चूत की मांसपेशियाँ राज के लंड को जकड़ रही थीं, और वो भी अब झड़ने वाला था। उसने एक आखिरी जोरदार धक्का मारा, और उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही फड़फड़ा रहा था, और मैं उसकी गर्मी को अपनी बच्चेदानी तक महसूस कर रही थी।
हम दोनों हाँफ रहे थे। राज ने अपना लंड मेरी चूत से निकाला, और उसका माल मेरी चूत से टपककर मेरी जाँघों पर बहने लगा। उसने मेरी गांड को प्यार से सहलाया, और फिर उस पर एक लंबा चुम्मा दे दिया। मैं सीधी हुई, और उसका चेहरा मेरे सामने था। मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से चूस लिया। हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को पागलों की तरह चूस रहे थे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उसके मुँह में। हमारी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। फिर उसने मेरी चूचियों को फिर से सहलाना शुरू किया, और एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। मैं उसके सिर पर हाथ फेर रही थी, और मेरी चूत अभी भी उसकी चुदाई की गर्मी में तप रही थी।
तभी मेरे रिश्तेदार का फोन आ गया। मैंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए—पेटीकोट नीचे किया, ब्लाउज और ब्रा पहनी, और फोन उठाकर बात करने लगी। बात जरूरी थी, और करीब आधा घंटा लग गया। इस दौरान राज रसोई में ही चक्कर काट रहा था, और उसकी नजरें मेरे बदन पर टिकी थीं। जैसे ही मैंने फोन रखा, उसने मुझे फिर से पकड़ लिया। इस बार उसने मुझे रसोई से खींचकर बेडरूम में ले गया। उसने मुझे बेड पर लिटा दिया, और मेरा पेटीकोट फिर से ऊपर उठा दिया। मैंने कोई विरोध नहीं किया। मेरी चूत फिर से गीली हो चुकी थी।
उसने मेरी टाँगें फैलाईं, और मेरी चूत को पहले जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिहर रही थी। उसने मेरी चूत के होंठों को चूसा, और फिर अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक डाल दिया। मैं पागल हो रही थी। मेरी सिसकारियाँ फिर से शुरू हो गईं— “आह… राज… चाट ले… मेरी चूत को… आह्ह… और अंदर…!” उसने मेरी चूत को इतनी देर तक चाटा कि मैं फिर से झड़ गई। मेरा रस उसके मुँह पर था, और वो उसे चाटकर पी गया।
फिर उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया, और इस बार धीरे-धीरे अंदर डाला। मैं उसकी गर्मी को हर इंच महसूस कर रही थी। उसने धीमे-धीमे धक्के मारने शुरू किए, और मेरी चूचियों को चूसते हुए मुझे चोदने लगा। इस बार उसने जल्दबाजी नहीं की। वो हर धक्के को गहरा और मजबूत कर रहा था। मेरी चूत उसके लंड को जकड़ रही थी, और मैं उसकी हर हरकत का मजा ले रही थी। उसने मेरी एक टाँग अपने कंधे पर रखी, और अब उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। मैं चीख रही थी— “आह… राज… चोद दे… अपनी मम्मी की चूत को… और जोर से… फाड़ दे…!”
लगभग तीस मिनट तक वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा। मेरी चूत ने फिर से रस छोड़ा, और इस बार मेरा झड़ना इतना तीव्र था कि मेरा पूरा बदन काँप रहा था। राज ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी, और आखिरी धक्के के साथ उसने अपना माल मेरी चूत में फिर से डाल दिया। हम दोनों बेड पर लेट गए, हाँफते हुए। उसने मुझे अपनी बाँहों में लिया, और मेरी चूचियों को प्यार से सहलाने लगा। मैंने उसके होंठों पर एक लंबा चुम्मा दिया, और वो मेरे होंठों को चूसने लगा।
उस दिन के बाद हमारा रिश्ता बदल गया। अब मैं रोज राज से चुदवाती हूँ। हर रात वो मेरे बेडरूम में आता है, और हम घंटों चुदाई करते हैं। कभी रसोई में, कभी बाथरूम में, कभी लिविंग रूम में। मेरी चूत को अब उसका लंड चाहिए, और वो मेरी हर ख्वाहिश पूरी करता है। लेकिन कई बार मेरा दिल कहता है कि ये गलत है। फिर सोचती हूँ, कम से कम मेरा बेटा किसी गलत लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ेगा। मेरी वासना की आग इतनी तेज है कि मैं चुदाई के बिना रह नहीं पाती। दोस्तों, अब आप ही बताओ, मैं क्या करूँ? मेरी चूत की प्यास बुझाने के लिए राज ही मेरा सहारा है, लेकिन क्या ये सही है?