पूरी रात रजाई में बहन को बजाया भाई ने

मेरा नाम स्मिता है और मेरे भाई का नाम अनमोल है। अनमोल मेरा छोटा भाई है। मेरे मम्मी पापा थोड़े अलग ख्याल के लोग हैं, सच पूछिए तो मॉडर्न बोले या पागलपन बोले। बचपन से ही मैं और मेरा भाई दोनों साथ सोते थे। पर माँ-बाप को चाहिए कि जब उनका बेटा-बेटी जवान हो जाए, तो थोड़ा सा दूरी एक-दूसरे से बनाना बहुत जरूरी हो जाता है।

बचपन की बात अलग होती है, पर जब जवान हो तो कुछ ना कुछ जरूर माँ-बाप को इसके बारे में सोचना चाहिए, जैसा कि मैं आज आपको बताने जा रही हूँ कि मेरे साथ क्या गलती हुई थी और मेरे माँ-बाप के साथ क्या गलती हुई थी।

हम दोनों भाई-बहन बचपन से साथ सोते थे और जैसे-जैसे बड़े हुए, मम्मी-पापा को शायद ये भनक नहीं लगी कि हम दोनों जवान हो गए हैं। एक आदत थी बचपन से साथ सोने की, तो अभी तक साथ सो ही रहे थे। मम्मी-पापा दूसरे कमरे में सोते थे और हम दोनों भाई-बहन दूसरे कमरे में सोते थे।

जवानी दोनों भाई-बहन को दस्तक दे चुकी थी। मैं अपने भाई से थोड़ा बड़ी थी और वैसे भी लड़के थोड़ी जल्दी जवान हो जाते हैं, इस वजह से मेरी चूचियाँ, मेरी गांड, मेरे जांघ, सब मोटे-मोटे, चौड़े-चौड़े, बड़े-बड़े हो चुके थे। अब मैं दिन-रात ख्वाब देखने लगी थी लंड के, बॉयफ्रेंड बनाने के, इस वजह से मैं इंटरनेट पर ऐसी कहानियाँ पढ़ने लगी थी।

घर में जब रहती हूँ, तो यही सब ख्याल आते रहते हैं। मेरा भाई बाहर जाता है, आजकल इंटरनेट का जमाना है, मोबाइल का जमाना है, तो आपको पता ही है, वो भी जरूर कुछ ऐसी-वैसी फिल्में देखता होगा, जिसकी वजह से उसके अंदर की वासना भी जाग चुकी थी। वो भी जवान हो गया था।

ठंड का महीना होने के कारण हम लोग दोनों अलग-अलग रजाई में सोते थे। हम दोनों का अलग-अलग था। एक दिन की बात है, उस दिन बहुत ज्यादा ठंड थी, बारिश भी हो गई थी, शायद आपके साइड भी बारिश हुई होगी। आकाश में बादल चमक रहे थे, पूरा बादल था, ठंडी हवा चल रही थी।

मम्मी-पापा अपने कमरे में रंगरेलियाँ मना रहे होंगे, जैसा कि वो रोज करते हैं, दरवाजा बंद करके। किसी तरह हम दोनों भाई-बहन भी एक-दूसरे से बातचीत करते-करते अपने-अपने रजाई में सो गए। जब रात को मेरी नींद खुली, और नींद खुलने का कारण ये था कि मेरा भाई अपनी रजाई में नहीं, मेरी रजाई के अंदर था।

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मेरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूत को सहला रहा था। कभी वो मेरी चूचियों पर हाथ रखता, कभी मेरी गांड पर, कभी मेरे जांघों को छूता, कभी मेरे पेट को, कभी मेरे गाल को। पहले तो मुझे लगा कि मैं उसे मना कर दूँ कि तुम ऐसा क्यों कर रहे हो।

मुझे लगा कि बात आगे बढ़ जाएगी, तो मैंने सोचा कि चुप ही रह जाती हूँ। उसको क्या बोलूँगी, अगर कुछ बोल दिया तो इज्जत हम दोनों की जाएगी। इज्जत जाना ही है, तो चुपचाप चली जाए, मैं यही सोचकर चुप रही। पर जब इंसान जाग जाता है, तो उसके साथ चलने का तरीका बदल जाता है। सामने वाले को पता चल जाता है कि अगला इंसान जगा हुआ है।

मेरी साँसें तेज-तेज चल रही थीं। इसका कारण ये था कि पहले वो आराम-आराम से मेरी चूचियों को छू रहा था, पर धीरे-धीरे वो दबाने लगा। पहले वो चूत के ऊपर हाथ रखकर सहला रहा था, पर अब वो जोर-जोर से मेरी चूचियों को दबाने लगा, मेरी चूत को छूने लगा, मेरी जांघिया में अपना हाथ घुसा दिया और मेरी चूत में उंगली डालने लगा।

उसने मुझे छेड़ दिया था, अब मेरी चूत गीली होने लगी थी, मेरी चूचियाँ खड़ी हो गई थीं, निप्पल खड़ा हो गया था, मैं अंगड़ाइयाँ लेने लगी थी, मेरी साँसें तेज-तेज चलने लगी थीं। “आह्ह… उफ्फ…” मेरे मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसके बाद मैंने उसको आमंत्रित कर ही लिया मुझे चोदने के लिए।

मैंने अपने पजामे को नीचे करके अपनी पेंटी खोल दी और टाँगों को फैला दिया। उसने मेरी ब्रा को खोलकर मेरी चूचियों को बाहर निकाल लिया और दोनों हाथों से मसलते हुए अपने मुँह में लेकर निप्पल को दाँत से काटने लगा, चूसने लगा। “आह्ह… अनमोल… और जोर से… उफ्फ…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।

इससे मैं और भी ज्यादा पागल हो गई, मेरे से रहा नहीं जा रहा था। मैंने तुरंत ही उसका लंड पकड़ लिया, उसका लंड मोटा और लंबा था। मैं थोड़ा नीचे सरक गई, वो थोड़ा ऊपर आ गया, उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया, मैं उसके लंड को चूसने लगी। “उम्म… कितना मोटा है तेरा लंड… आह्ह…” मैं चूसते हुए बोली। वो मेरी चूचियों को दबा रहा था, मैं उसके लंड को चूसती रही।

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फिर मैंने उसको इशारे से धक्का दिया कि नीचे चला जा। हम दोनों में कोई बात नहीं हो रही थी। वो नीचे चला गया, मैंने अपनी टाँगों को फैला दिया। उसने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और जोर से घुसा दिया। “आह्ह… उफ्फ… धीरे… मार डालेगा क्या…” मैं चिल्लाई। मेरी चूत पहले से ही काफी ज्यादा गीली थी और चिपचिपी हो गई थी, इस वजह से उसका लंड आराम से मेरी चूत के अंदर समा गया।

जैसे ही उसका लंड मेरी चूत के अंदर गया, मैं तो पागल हो गई। “आह्ह… चोद मुझे… और जोर से… उफ्फ…” मैं गांड गोल-गोल घुमा-घुमाकर अपने भाई के लंड को अपनी चूत के अंदर लेने लगी। वो जोर-जोर से मुझे धक्के देकर चोदने लगा। “पच… पच… पच…” चुदाई की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मेरी चूचियों को दबोचते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा, हम दोनों की गर्म-गर्म साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं।

हम दोनों आपस में कुछ भी नहीं बोल रहे थे, पर हाँ, हम दोनों अपनी भावनाओं को एक-दूसरे से व्यक्त कर रहे थे। मैं जो उसको इशारे से कहती थी, वो समझ जाता था। कभी मैं उसको अपनी चूचियाँ उसके मुँह में देती और वो पीने लगता। “आह्ह… चूस… और जोर से… उफ्फ…” मैं सिसकारी लेती।

कभी वो मेरी चूचियों को मसलने लगता, मैं कहती थी, “और जोर से मारो…” इशारे से, तो वो और जोर-जोर से धक्के देकर अपना लंड मेरी चूत के अंदर डालने लगा। उसने मुझे उल्टा कर दिया, गांड की तरफ से फिर से लंड चूत के अंदर डालकर जोर-जोर से चूतड़ों के ऊपर से उछाल-उछाल के मुझे चोदने लगा। “पच… पच… पच…” चुदाई की आवाजें और तेज हो गईं।

सर्दी का दिन था दोस्तों, पर मुझे गर्मी लगने लगी थी, मेरा पूरा शरीर गर्म हो गया था। वो गांड की तरफ से अपना लंड मेरी चूत में घुसा रहा था और जोर-जोर से धक्के दे रहा था। “आह्ह… उफ्फ… चोद… और जोर से…” मैं सिसकारियाँ ले रही थी। उसने मेरी गांड के छेद पर थूक लगाया और अपना लंड कस के अंदर डाल दिया।

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मैं दर्द से छटपटा गई, “आह्ह… निकाल… बहुत दर्द हो रहा है…” मैंने तुरंत उसको धक्का देकर अपना लंड बाहर निकालने के लिए बोली। उसने तुरंत ही अपना लंड बाहर निकाल दिया, फिर मैंने उसको गांड मारने नहीं दी। मैं सीधी हो गई, टाँगें फैला दी, उसने फिर से मेरी चूत में लंड डालकर जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “आह्ह… हाँ… ऐसे ही… चोद मुझे…” मैं चिल्लाई। मैं भी उसको अपनी बाहों में ले ली, वो भी मुझे अपनी बाहों में ले लिया, हम दोनों की गर्म-गर्म साँसें एक-दूसरे के कान के पास आ-जा रही थीं।

करीब 15 से 20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही शांत होकर निढाल हो गए। चुपचाप कपड़े पहने, फिर से अपने-अपने रजाई में चले गए और सो गए। यानी कि चुदाई हो गई, सब कुछ हो गया, पर हम दोनों ने एक-दूसरे से कभी बात नहीं की उस रात। दिन में 10:00 बजे छत पर उसने मुझे बोला, “रात को मजा आया?” तो मैंने सिर्फ सिर हिलाकर बोल दिया, “हाँ।” फिर उस दिन के बाद से हम दोनों के बीच संबंध रोजाना बन रहा है।

दोस्तों, आपको ये कहानी Hot Sister and Brother Sex Story in Hindi कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी रात का मजा लिया है? नीचे कमेंट में जरूर बताइए!

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