रात को दीदी के कमरे में जो हुआ.. पार्ट 1

Didi ke sath incest chudai जब मैं उन्नीस साल का हुआ, तब जाकर मुझे पहली बार किसी को छूने का मौका मिला, उसकी गर्मी को महसूस करने का मौका मिला, और उन चीजों को समझने का मौका मिला, जो ज्यादातर लड़के मुझसे पहले ही समझ लेते हैं। और ये सब मेरी प्यारी सुधा दीदी की वजह से हुआ।
सुधा दीदी मेरी बड़ी बहन हैं, मुझसे सात साल बड़ी, यानी छब्बीस साल की। लेकिन उनका जिस्म ऐसा था कि कोई भी उन्हें देखकर पल भर में दीवाना हो जाए। उनकी त्वचा हल्की गेहुंआ, इतनी मुलायम और चमकदार कि चांदनी में भी निखर उठती थी। उनका चेहरा गोल, आंखें बड़ी और भूरी, जिनमें एक अजीब सी गहराई थी। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान खींचते थे उनके होंठ – मोटे, गुलाबी, और इतने रसीले कि बिना कुछ बोले भी वो हजार बातें कह जाते थे।
उनकी छाती भरी हुई थी, बड़े-बड़े स्तन जो साड़ी, कुर्ती या टीशर्ट में हमेशा उभरे रहते थे। जब वो चलती थीं, तो उनके स्तनों का हल्का सा हिलना ऐसा था कि नजरें हटाना मुश्किल हो जाता था। कई बार उनकी पतली सी कुर्ती में निप्पल्स का उभार साफ दिखता, खासकर जब ठंडी हवा चल रही होती और वो बिना ब्रा के होतीं। उनकी कमर पतली थी, लेकिन नितंब इतने गोल और भरे हुए कि सलवार, साड़ी या शॉर्ट्स में भी उनकी शेप साफ झलकती थी। जब वो रसोई में झुकतीं या कुछ उठाने के लिए नीचे बैठतीं, तो उनके हिप्स की गोलाई देखकर दिल की धड़कनें रुक सी जाती थीं।
उनके बाल लंबे, घने और काले थे, जो उनकी पीठ पर लहराते हुए नीचे तक जाते। लेकिन मेरा ध्यान हमेशा उनके जिस्म की बनावट पर ही अटक जाता था – वो उभार, वो चाल, वो हरकतें, सब कुछ जैसे मेरे लिए बना था।
सुधा दीदी को शायद मेरी नजरों का अंदाजा था, लेकिन वो कभी शर्माती नहीं थीं। वो ढीली टीशर्ट पहनकर झुक जातीं, जिससे उनकी गहरी क्लीवेज साफ दिखती। नहाने के बाद टॉवल लपेटे घर में घूमतीं, और कई बार अपने कमरे का दरवाजा आधा खुला छोड़ देतीं, जब वो कपड़े बदल रही होती थीं। मैं उनकी इन हरकतों को देखकर हमेशा बेचैन हो जाता, लेकिन समझ नहीं पाता था कि ये बेचैनी क्या थी।

एक रात मैं अपने कमरे में किताब लिए बैठा था। खिड़की से ठंडी हवा आ रही थी, और बाहर हल्की सी चांदनी बिखरी थी। तभी सुधा दीदी मेरे कमरे में आईं। उन्होंने एक टाइट नीली टीशर्ट पहनी थी, जो उनके जिस्म से इस तरह चिपकी थी कि उनके स्तनों की पूरी शेप बाहर से साफ दिख रही थी। निप्पल्स का हल्का सा उभार कपड़े को खींच रहा था, जिससे साफ पता चल रहा था कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी। नीचे उन्होंने काले रंग का हाफ शॉर्ट्स पहना था, जो उनकी जांघों से थोड़ा ऊपर खत्म हो रहा था। उनकी टोंड जांघें और चिकनी त्वचा चांदनी में चमक रही थी। उनके हिप्स उस छोटे से शॉर्ट्स में इतने कसकर भरे थे कि कपड़ा तन गया था, जैसे अब फट जाएगा।
वो मेरी टेबल के पास आईं, किताबें देखने लगीं। जब वो झुकीं, तो उनकी टीशर्ट का गला और नीचे सरक गया, और उनकी गहरी क्लीवेज मेरी आंखों के ठीक सामने थी। मैंने किताब में नजरें गड़ाने की कोशिश की, लेकिन मेरी आंखें बार-बार उनकी छाती और हिप्स पर चली जाती थीं। मेरी सांसें तेज हो गईं, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी गर्मी दौड़ने लगी।
दीदी ने मेरी बेचैनी भांप ली। वो मुस्कुराईं और मेरे बेड पर बैठ गईं। उनकी आवाज में शरारत थी, “गोलू, आजकल क्या चल रहा है? कुछ ज्यादा ही खोया-खोया रहता है।”
मैं घबरा गया। “क्या दीदी? कुछ नहीं…” मैंने किताब की ओर देखते हुए कहा।
वो हंसीं, “अच्छा? तो फिर हर रोज तेरी अंडरवियर क्यों गंदी होती है? बता, क्या करता है तू?”
मेरे चेहरे का रंग उड़ गया। मैंने हकलाते हुए कहा, “मुझे… मुझे नहीं पता… वो बस… हो जाता है।”
दीदी ने मेरी आंखों में देखा, फिर धीरे से बोलीं, “गोलू, तू मास्टरबेट करता है न? सच बता, मुझसे क्या छुपाना। मैं तेरी दीदी हूं।”
मैंने हैरानी से कहा, “मास्टरबेट? वो क्या होता है, दीदी? मुझे सच में नहीं पता।”
वो एक पल के लिए चुप हो गईं, जैसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुआ। फिर बोलीं, “तू उन्नीस साल का है, और तुझे मास्टरबेशन का मतलब नहीं पता? स्कूल में किसी दोस्त से, किसी टीचर से बात नहीं की कभी?”
मैंने सिर झुकाकर बताया, “हां, एक बार स्कूल में सर से पूछा था कि मेरी अंडरवियर में सफेद चीज क्यों आती है। लेकिन उन्होंने मुझे डांटा, कहा कि ये गंदी बातें हैं। क्लास में सबके सामने बेइज्जत किया। उसके बाद मैंने किसी से कुछ नहीं पूछा।”
दीदी की आंखों में हैरानी थी, लेकिन साथ में एक अजीब सी नरमी भी। वो बोलीं, “अच्छा, तो तुझे कुछ समझ ही नहीं। ठीक है, गोलू। तू मेरे पास सही आया। मैं तुझे सब समझाऊंगी।”
वो उठीं, कमरे का दरवाजा बंद किया और मेरी ओर मुड़ीं। उनकी आंखों में एक गंभीरता थी, लेकिन साथ में एक अजीब सी चमक भी। वो बोलीं, “जब तुझे वो सफेद चीज आती है, तब तू क्या सोचता है? सच-सच बता।”
मैं थोड़ा हिचकिचाया, फिर धीरे से बोला, “दीदी… ज्यादातर… मैं आपके बारे में सोचता हूं।”
ये सुनकर दीदी एकदम चुप हो गईं। उनके चेहरे पर शर्म और हैरानी का मिश्रण था। वो कुछ पल मेरी ओर देखती रहीं, फिर धीरे से मुस्कुराईं। “ठीक है, गोलू। इसमें गलत कुछ नहीं। तुझे बस समझने की जरूरत है कि ये सब क्या है। और मैं तुझे सिखाऊंगी।”
वो मेरे पास आईं और बोलीं, “अपनी पैंट उतार।”
मेरे हाथ कांप रहे थे, लेकिन उनकी आवाज में एक अजीब सी सख्ती थी। मैंने धीरे-धीरे अपनी पैंट नीचे की, और अब सिर्फ अंडरवियर में था। दीदी ने मुझे कुर्सी पर बैठने को कहा और खुद मेरे सामने फर्श पर बैठ गईं। उनकी सांसें तेज थीं, और उनकी आंखें मेरे अंडरवियर पर टिकी थीं।
उन्होंने धीरे से मेरे अंडरवियर का इलास्टिक पकड़ा और नीचे खींच दिया। मेरा लंड अब उनके सामने था – सख्त, गर्म, और थोड़ा कांपता हुआ। दीदी की आंखें बड़ी हो गईं, और उनके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी। वो बोलीं, “ये तो… काफी अच्छा है, गोलू।”
मैं शर्म से लाल हो गया, लेकिन मेरे जिस्म में एक अजीब सी उत्तेजना भी थी। दीदी ने अपनी दो उंगलियों से मेरे लंड को हल्के से छुआ। उनका स्पर्श इतना नर्म और गर्म था कि मेरे पूरे शरीर में बिजली दौड़ गई। मेरी सांसें तेज हो गईं, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
वो धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को मेरे लंड के चारों ओर घुमाने लगीं, जैसे उसकी बनावट को समझ रही हों। उनकी उंगलियां मुलायम थीं, और हर बार जब वो मेरे लंड की नोक पर पहुंचतीं, मेरे पेट में एक सिहरन सी उठती। मैंने आंखें बंद कर लीं, क्योंकि वो एहसास इतना तीव्र था कि मैं कुछ और सोच ही नहीं पा रहा था।
“गोलू, इसे मास्टरबेशन कहते हैं,” दीदी ने धीमी आवाज में कहा। “इससे तेरा मन शांत होगा, और तेरी अंडरवियर गंदी नहीं होगी।”
फिर उन्होंने अपनी हथेली को मेरे लंड पर लपेट लिया और धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करने लगीं। उनकी गति धीमी थी, लेकिन हर हरकत में एक लय थी। उनकी हथेली की गर्मी और मुलायमियत मेरे लंड पर फिसल रही थी, और हर बार जब वो नीचे जातीं, मेरे पैरों की मांसपेशियां सिकुड़ जाती थीं।
“उह्ह…” मेरे मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली। दीदी ने मेरी ओर देखा और मुस्कुराईं। उनकी आंखों में एक अजीब सी शरारत थी। वो बोलीं, “अच्छा लग रहा है न?”
मैंने सिर हिलाया, “हां… बहुत…”
कुछ मिनट तक वो धीरे-धीरे अपनी हथेली को ऊपर-नीचे करती रहीं। मेरे लंड की नसें तन गई थीं, और हर बार जब उनकी उंगलियां मेरी नोक को छूतीं, एक गीला सा एहसास होने लगा। मैंने देखा कि मेरे लंड की नोक पर थोड़ा सा प्रीकम निकल रहा था, जो दीदी की उंगलियों पर चमक रहा था।
अचानक दीदी ने अपनी हथेली पर हल्के से थूक लिया और उसे अपने हाथों पर फैलाया। फिर वो दोबारा मेरे लंड पर झुकीं। उनका थूक गीला और गर्म था, और जैसे ही उनकी हथेली मेरे लंड पर फिसली, वो एहसास पहले से कहीं ज्यादा तीव्र हो गया। “आह्ह…” मेरे मुंह से फिर सिसकारी निकली।
उनके हाथ अब तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे थे। गीलेपन की वजह से हर बार एक हल्की सी ‘पच-पच’ की आवाज आ रही थी। दीदी की सांसें भी तेज थीं, और उनके चेहरे पर पसीने की हल्की सी बूंदें चमक रही थीं। उनकी टीशर्ट उनके स्तनों पर और टाइट हो गई थी, और उनके निप्पल्स अब साफ उभरे हुए थे।
“दीदी… कुछ… कुछ होने वाला है…” मैंने घबराते हुए कहा। मेरा शरीर कांप रहा था, और मेरी सांसें बेकाबू हो रही थीं।
दीदी ने मेरे पेट पर एक हाथ रखा और धीरे से बोलीं, “शांत रह, गोलू। बस होने दे। ये नॉर्मल है।”
उनके शब्दों ने मुझे थोड़ा सुकून दिया। मैंने खुद को ढीला छोड़ा, और दीदी ने अपनी गति और तेज कर दी। उनकी हथेली मेरे लंड पर तेजी से फिसल रही थी, और हर बार जब वो मेरी नोक पर पहुंचतीं, मेरे पूरे शरीर में एक झटका सा लगता।
“आह्ह… उह्ह…” मेरी सिसकारियां तेज हो गईं। अचानक मेरे शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई। मेरा लंड जोर से फड़का, और गर्म, गाढ़ा वीर्य बाहर निकलने लगा। “आह्ह्ह!” मैंने जोर से सिसकारी ली, और मेरा वीर्य दीदी की हथेली पर, उनकी टीशर्ट पर, और कुछ बूंदें उनकी छाती पर जा गिरीं।
मैं हांफ रहा था, मेरा चेहरा पसीने से भीगा था, और मेरी आंखें बंद थीं। दीदी ने धीरे से अपनी हथेली हटाई और मेरी ओर देखा। उनके चेहरे पर एक शांत मुस्कान थी। वो बोलीं, “देखा? ये होता है मास्टरबेशन। अब तुझे डरने की जरूरत नहीं।”
वो उठीं, अपने हाथ टिश्यू से पोंछे, और मेरी पीठ थपथपाई। “जब भी तुझे ऐसा लगे, मेरे पास आ जाना। मैं तुझे और समझाऊंगी।”
मैं चुपचाप उनकी ओर देखता रहा। मेरे दिमाग में बस वही पल घूम रहे थे – दीदी की उंगलियों का स्पर्श, उनकी गर्मी, और वो अजीब सा अपनापन। उस रात मैं अपने कमरे में लेटा, लेकिन नींद नहीं आई। मेरा मन बेचैन था, शरीर में गुदगुदी सी थी, और बार-बार दीदी का चेहरा मेरी आंखों के सामने आ रहा था।
आधी रात हो चुकी थी। कमरे में अंधेरा था, सिर्फ खिड़की से चांदनी की हल्की सी किरण आ रही थी। मैंने बहुत कोशिश की कि सो जाऊं, लेकिन वो गर्मी, वो सिहरन मुझे चैन नहीं लेने दे रही थी। आखिरकार, मैंने हिम्मत जुटाई और उठकर दीदी के कमरे की ओर चला गया।
उनके कमरे के दरवाजे पर पहुंचकर मैंने धीरे से खटखटाया। मेरी धड़कनें तेज थीं, और मैं सांस रोके खड़ा था। कुछ पल बाद दरवाजा खुला। दीदी ने मुझे देखा और हल्के से मुस्कुराईं।
वो एक गुलाबी साटन की स्लीवलेस नाइट ड्रेस में थीं, जो उनके घुटनों तक आ रही थी। उसका गला गहरा था, और उनकी गोरी बाहें चांदनी में चमक रही थीं। उनकी छाती का उभार उस पतले कपड़े में साफ दिख रहा था, और उनके निप्पल्स हल्के से उभरे हुए थे। उनकी टांगें नंगी थीं, और उनकी चिकनी जांघें देखकर मेरी सांसें फिर से तेज हो गईं।
“गोलू? इतनी रात को?” दीदी ने धीमी आवाज में पूछा, लेकिन उनकी आवाज में कोई नाराजगी नहीं थी।
मैंने हिचकते हुए कहा, “दीदी… माफ करना… मुझे फिर से वही बेचैनी हो रही है। मैं समझ नहीं पा रहा कि क्या करूं।”
दीदी ने मेरी आंखों में देखा, फिर धीरे से बोलीं, “कोई बात नहीं। अंदर आ।”
वो मुझे अंदर ले गईं और दरवाजा बंद कर दिया। कमरे में हल्की सी चांदनी थी, और दीदी का चेहरा उस रोशनी में और खूबसूरत लग रहा था। वो मेरे पास आईं और मेरे कंधे पर हाथ रखा। “बता, क्या हुआ? फिर से वैसा ही लग रहा है?”
मैंने सिर हिलाया। “हां, दीदी। वो… जो आपने सिखाया… वो तो ठीक था, लेकिन अब फिर से मन बेचैन है।”
दीदी कुछ पल चुप रहीं, फिर बोलीं, “ठीक है, गोलू। तुझे और सिखाना पड़ेगा।”
वो मेरे सामने खड़ी हुईं और धीरे-धीरे अपनी नाइट ड्रेस की डोरी खोलने लगीं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उन्होंने डोरी खींची, और नाइट ड्रेस धीरे-धीरे नीचे सरक गई। अब वो सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थीं।
उनका जिस्म चांदनी में चमक रहा था। उनकी कमर पतली, पेट सपाट, और नितंब गोल और भरे हुए। उनकी ब्रा उनके स्तनों को कसकर पकड़े थी, लेकिन उनके उभार बाहर तक झलक रहे थे। उनकी जांघें मजबूत और चिकनी थीं, और उनकी त्वचा इतनी मुलायम दिख रही थी कि मैं उसे छूने के लिए बेताब हो गया।
दीदी ने मेरी आंखों में देखा और बोलीं, “गोलू, अगर तुझे और जानना है, तो छूकर देख।”
मेरे हाथ कांप रहे थे, लेकिन मैं उनकी ओर बढ़ा। मैंने अपनी उंगलियां उनकी ब्रा के ऊपर रखीं और धीरे से उनके स्तनों को छुआ। वो गर्म, मुलायम और भारी थे। मैंने हल्के से दबाया, और दीदी की सांसें तेज हो गईं। “उह्ह…” उनकी मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली।
मैंने अपनी हथेलियों से उनके स्तनों को सहलाया, उनकी गोलाई को महसूस किया। उनकी त्वचा की गर्मी ब्रा के कपड़े से भी महसूस हो रही थी। मैंने हिम्मत करके अपनी उंगलियां उनकी ब्रा के नीचे सरकाईं और उनके नंगे स्तनों को छुआ। उनके निप्पल्स सख्त थे, और जब मैंने उन्हें उंगलियों से दबाया, दीदी ने हल्के से अपनी आंखें बंद कर लीं। “आह्ह…” उनकी सिसकारी अब और गहरी थी।
“अच्छा लग रहा है, गोलू?” दीदी ने धीमी आवाज में पूछा।
“हां, दीदी… बहुत अच्छा…” मैंने हकलाते हुए कहा।
उन्होंने मेरी पैंट और अंडरवियर उतार दी। मेरा लंड फिर से सख्त था, और दीदी ने उसे अपने नर्म, गर्म हाथों में लिया। वो धीरे-धीरे उसे सहलाने लगीं, और मैंने अपने हाथ उनके स्तनों पर रखे। उनकी ब्रा अब नीचे सरक चुकी थी, और उनके नंगे स्तन मेरी हथेलियों में थे।
मैंने हिम्मत करके अपना चेहरा उनके करीब ले गया। दीदी ने मेरी ओर देखा, और फिर अपने होंठ मेरे होंठों के पास लाईं। मैंने धीरे से उनके होंठों को चूमा। उनका स्वाद मीठा और गर्म था, जैसे कोई नशा। “मम्म…” दीदी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली, और उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर और दबाए।
हमारा किस गहरा हो गया। मेरी जीभ उनकी जीभ से टकराई, और हमारी सांसें एक-दूसरे में घुलने लगीं। उनकी लार मेरे मुंह में थी, और मेरा स्वाद उनके मुंह में। हम एक-दूसरे को चूस रहे थे, जैसे कोई प्यास बुझ रही हो। “उह्ह… गोलू…” दीदी ने मेरे होंठों के बीच सिसकारी ली।
उनके हाथ मेरे लंड पर तेजी से चल रहे थे, और मैं उनके स्तनों को जोर-जोर से दबा रहा था। मैंने उनकी ब्रा पूरी तरह उतार दी, और अब उनके नंगे स्तन मेरे सामने थे। मैंने अपने होंठ उनके निप्पल्स पर रखे और धीरे से चूसा। “आह्ह… हां… ऐसे ही…” दीदी की आवाज में उत्तेजना थी।
मैंने उनके निप्पल्स को चूसा, काटा, और उनकी त्वचा की गर्मी को महसूस किया। दीदी की सिसकारियां तेज हो गईं, “उह्ह… आह्ह… गोलू…”
अचानक मुझे फिर वही कंपन महसूस हुआ। मैंने दीदी की आंखों में देखा और कहा, “दीदी… फिर से…”
उन्होंने मुस्कुराकर मेरे लंड पर अपनी पकड़ और तेज की। “पच-पच” की आवाज तेज हो गई, और कुछ ही पलों में मैं फिर से फूट पड़ा। मेरा वीर्य दीदी के हाथों पर, उनके पेट पर, और उनकी ब्रा पर गिरा। मैं हांफ रहा था, और दीदी मेरी ओर देखकर मुस्कुराईं।
“कल रात मम्मी-पापा के सोने के बाद मेरे पास आना,” दीदी ने कहा। “अभी तो बस शुरुआत है।”
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