यह कहानी आयूष नाम के एक लड़के की है, जो कानपुर का रहने वाला था। आयूष को सेक्सी वीडियो देखने और चुदाई की कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक था। उसने अपनी एक सच्ची घटना को साझा किया, जिसमें उसके और उसकी मौसी के बीच की कुछ अंतरंग घटनाएँ थीं।
10वीं कक्षा के बाद, आयूष ने दूसरे स्कूल में दाखिला लिया क्योंकि उसका पुराना स्कूल केवल 10वीं तक था। परीक्षा समाप्त होने के बाद, छुट्टियों में वह अपनी नानी के घर गया। उसकी मौसी, जो लगभग 21 साल की थीं, भी वहीं रहती थीं। उनका फिगर 36-28-38 का था, और उनका लुक स्मृति मंधाना जैसा था, जो बेहद आकर्षक लगता था।
आयूष अक्सर मौसी की खूबसूरती और जवानी को देखकर मचल उठता, लेकिन कुछ कहने या करने की हिम्मत नहीं कर पाता। धीरे-धीरे मौसी और उसके बीच हल्की-फुल्की बातें होने लगीं, जिससे वे दोनों एक-दूसरे के साथ सहज हो गए। मौसी जब घर में काम करतीं, तो अपनी चुन्नी उतार देतीं। ऐसे में जब वे नीचे झुकतीं, तो उनके उभरे हुए दूध साफ दिखाई देते, और आयूष की नजरें उन पर टिक जातीं।
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए। फिर एक दिन की बात है, घर के सभी लोग किसी रिश्तेदारी में शादी के लिए हफ्ते भर के लिए बाहर जाने वाले थे। मौसी की तबीयत ठीक नहीं थी, तो उन्होंने जाने से मना कर दिया। मौसी ने कहा कि वो यहीं रुकेंगी और यह भी जोड़ा कि आयूष भी तो यहाँ है, तो कोई परेशानी नहीं होगी। घर वाले जाते-जाते आयूष और मौसी को एक-दूसरे का ख्याल रखने की बात कहकर चले गए।
शाम को मौसी ने खाना बनाया और फिर नहाने चली गईं। मौसी को रोज शाम नहाने की आदत थी। जब वो बाथरूम में थीं, तभी उन्होंने बाहर से आवाज लगाई और कहा, “आयूष, ज़रा मेरे कपड़े देना। शायद बाहर ही भूल गई हूँ।”
आयूष उनके कपड़े लेकर बाथरूम के पास गया और दरवाजे के बाहर से आवाज लगाई। मौसी ने दरवाजा थोड़ा सा खोला, और आयूष ने जो देखा, उससे उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। मौसी उस समय सिर्फ काली ब्रा और लाल पैंटी में खड़ी थीं। उनकी खूबसूरत और रसीली बॉडी को देखकर आयूष जैसे मंत्रमुग्ध हो गया। उसके हाथ में कपड़े थे, लेकिन वो उन्हें मौसी की ओर बढ़ाने के बजाय बस उन्हें देखता रह गया।
मौसी ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “क्या देख रहे हो?”
आयूष ने हड़बड़ाते हुए कहा, “कुछ नहीं,” और वहाँ से हट गया। लेकिन उसकी नजरों में मौसी की वह छवि बस चुकी थी। वह वापस टीवी देखने लगा, पर उसका ध्यान पूरी तरह से भटक चुका था।
थोड़ी देर बाद मौसी बाथरूम से बाहर आईं। उन्होंने अपने गीले बाल झटकते हुए कहा, “आयूष, मुझे पता है कि तुम मुझसे क्या चाहते हो। और सच कहूँ, अब मुझसे भी सहन नहीं होता। अगर कुछ नहीं किया, तो मैं तड़पकर मर जाऊँगी।”
मौसी की बात सुनकर आयूष का चेहरा लाल हो गया। वह कुछ कह नहीं पाया। मौसी ने उसके पास आकर उसके होठों पर एक गहरी किस कर दी। इसके बाद उन्होंने कहा, “अब और इंतजार मत कराओ। आओ, मुझे राहत दो।”
आयूष ने धीरे-धीरे अपने लंड को मौसी की चूत के करीब लाकर उनके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया। उसने अपना लाल टोपा उनकी चूत की लकीर पर रगड़ते हुए अंदर धक्का दिया। इस पर मौसी की एक तेज़ चीख निकल गई, “आह्ह्ह उई माँ…!”
आयूष ने मौसी के होंठों को चूसते हुए उन्हें शांत किया। जैसे ही मौसी थोड़ी सहज हुईं, आयूष ने इस बार एक ही बार में पूरा लंड चूत के अंदर डाल दिया। मौसी कसमसाईं, पर उन्होंने अपनी चीख को दबा लिया। अब कमरे में सिर्फ उनकी सिसकारियाँ गूँजने लगीं, “आह्ह… ओह्ह… हाँ… और जोर से!”
मौसी मस्त होकर कह रही थीं, “चोदो मुझे, आयूष बाबू! जी भर के चोदो! आज मेरी इस गर्म चूत को फाड़ डालो।”
अब आयूष ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। मौसी के मुँह से लगातार आवाजें निकल रही थीं, “आह… उई माँ… मर गई रे… पूरा पेलो… फाड़ दो मेरी चूत को!”
आयूष ने मौसी के होंठ अपने मुँह में भर लिए और उन्हें चूसते हुए चुदाई करता रहा। साथ ही अपने हाथों से उनके बड़े, रसीले दूधों को कसकर दबाने लगा। पूरे कमरे में चुदाई की आवाजें, “पच-पच, थप-थप,” गूँज रही थीं।
मौसी भी अपनी गांड को बार-बार ऊपर उठाकर चुदाई का पूरा आनंद ले रही थीं। कभी वह आयूष को रोककर अपनी चूत को घुमातीं, तो कभी उसके होंठों को जोर से चूसतीं। उनके चूतड़ उछल-उछलकर लंड को जड़ तक खा रहे थे।
करीब 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद आयूष झड़ने को हुआ। उसने मौसी से पूछा, “अपनी मलाई किधर निकालूँ?”
मौसी ने धीरे से मुस्कुराते हुए उसके कान में कहा, “मेरे जानू, मेरे दूधों पर छोड़ दो।”
यह सुनते ही आयूष ने बेधड़क होकर अपना सारा वीर्य मौसी के रसीले दूधों पर छोड़ दिया। वीर्य उनके गोरे-गोरे मम्मों पर बहने लगा, और उनके चेहरे पर संतुष्टि की एक चमक आ गई।
इसके बाद आयूष मौसी के ऊपर ही लेट गया। दोनों काफ़ी देर तक इसी अवस्था में पड़े रहे। मौसी ने मुस्कुराते हुए कहा, “आयूष, आज तुमने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया।”
उस दिन आयूष ने मौसी को चार बार चोदा। दोनों के बीच की तड़प हर बार और बढ़ जाती। इसके बाद जब भी उन्हें मौका मिलता, वे चुदाई का यह खेल जरूर खेलते।
मौसी आयूष के लंड से बहुत खुश थीं, और आयूष को भी ऐसा लगा जैसे वह अपनी पहली चुदाई के बाद किसी सपने की दुनिया में पहुँच गया हो।
यह थी आयूष और उसकी मौसी की चुदाई की कहानी।
दोस्तों, यह कहानी आपको कैसी लगी?