मेरा नाम अमीश है, और मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 20 साल है, और बचपन से ही मेरे दिल में औरतों के लिए एक अलग सा जुनून रहा है। मेरे घर के सामने वाली आंटी हो या बगल वाली, दोनों की अपनी-अपनी खासियत थी। खासकर बगल वाली आंटी की मोटी, गोल गांड और बड़े-बड़े, रसीले चूचे मुझे रात-दिन बेचैन रखते थे। उसकी लंबी टांगें, भरी-भरी जांघें, और कमर का वो लचकना, बस देखते ही मेरा लंड तन जाता था। उसे पटाने में मुझे महीनों लगे, क्योंकि उसका पति बैंक मैनेजर था और वो थी भी किसी रानी की तरह। लेकिन आज जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो उससे भी ज्यादा गर्म और रसीली है। ये बात कुछ दिन पुरानी है, और इसे सुनकर आप भी बेकरार हो जाएंगे।
कुछ दिन पहले मुझे गोरखपुर से लखनऊ जाना था। मैं हमेशा बस से सफर करता हूँ, लेकिन इस बार मेरा दोस्त मिल गया। उसने कहा, “यार, ट्रेन से चलते हैं, मज़ा आएगा।” मैंने सोचा, चलो कुछ नया ट्राई करते हैं। अगले दिन सुबह 8 बजे हम स्टेशन पहुंचे। जनरल टिकट लिया और सामान वाली बोगी में चढ़ गए, क्योंकि वहाँ भीड़ कम थी। बोगी में कुछ लोग थे, कुछ सामान इधर-उधर बिखरा था, और कोने में एक औरत बैठी थी, जिस पर मेरी नजर बाद में पड़ी।
पहली नजर में वो कुछ खास नहीं लगी। शायद सफर की थकान थी, या फिर उसका सादा सा लिबास। लेकिन औरत तो औरत होती है, और मेरे दिमाग में तो बस एक ही चीज घूमती है—चूत और चूचे। मैं चुपके से उसे देखने लगा, पर ज्यादा गौर नहीं कर पा रहा था। डर था कि कहीं उसका पति आसपास न हो। लेकिन जैसे-जैसे ट्रेन चली, लोग अपने-अपने स्टॉप पर उतरते गए। अब बोगी में सिर्फ मैं, मेरा दोस्त, वो औरत, उसका बच्चा, और शायद उसका पति बचे थे। मैं ऊपर की बर्थ पर बैठा था, और नीचे उसकी हरकतों को गौर से देख रहा था। मेरा लंड धीरे-धीरे मसलते हुए मैं उसके बारे में खयालों में खो गया।
वो जब मेरी तरफ देखती, मैं हल्का सा मुस्कुरा देता। वो भी जवाब में हल्की सी स्माइल देती, और मेरा हौसला बढ़ता गया। तभी उसका छोटा बच्चा रोने लगा। उसने बच्चे को गोद में लिया और अपनी साड़ी का पल्लू हटाकर उसे दूध पिलाने लगी। उफ, क्या नजारा था! उसके मोटे-मोटे, गोरे चूचे, जो साड़ी के नीचे से भी साफ दिख रहे थे, अब आधे नंगे मेरे सामने थे। मैं तो बस टकटकी लगाए देखता रहा। हवा तेज थी, और ट्रेन की रफ्तार के साथ उसकी साड़ी बार-बार उड़ रही थी। एक बार तो हवा ने उसकी साड़ी पूरी ऊपर उठा दी, और मुझे उसके चूचों का पूरा दर्शन हो गया। उसने जल्दी से साड़ी ठीक की, लेकिन उसकी आंखों में शरारत थी। उसे पता था कि मैंने सब देख लिया है।
मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था, और मैं अपने खयालों में उसे चूस रहा था, जैसे कोई भूखा बच्चा माँ का दूध पीता है। तभी ट्रेन रुकी, और उसका पति बोला, “मैं दूसरी बोगी में सीट देखने जा रहा हूँ।” ये सुनते ही मेरे दिमाग में लड्डू फूटने लगे। मैंने अपने दोस्त को मैसेज किया, “बाहर जा, और उस आदमी को व्यस्त रख।” मेरा दोस्त समझ गया और बाहर चला गया। अब बोगी में सिर्फ मैं, वो औरत, और उसका बच्चा बचे थे। बच्चा सो रहा था, और मैं अपने मौके का इंतजार कर रहा था।
मैं अपनी जगह पर बैठा उसे घूरता रहा। वो भी मेरी नजरों को समझ रही थी। तभी उसका बच्चा फिर रोने लगा। उसने मुझे देखा और फिर बच्चे को दूध पिलाने लगी। इस बार हवा ने फिर उसकी साड़ी उड़ा दी, और उसके चूचे पूरी तरह नंगे हो गए। मैंने सोचा, बस अब और नहीं रुक सकता। लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया और उसके जागने का इंतजार किया। जब वो जागी, तो मुझे देखकर शरमा गई। मैंने हल्का सा मुस्कुराया, और वो भी जवाब में मुस्कुरा दी। मुझे लगा, बस अब ये साली पट गई है।
मैं नीचे उतरा और उसके पास जाकर बैठ गया। मैंने उसकी तारीफ शुरू की, “आप तो बहुत खूबसूरत हैं, आपका नाम क्या है?” उसने बताया कि उसका नाम रीना है, और वो लखनऊ अपने मायके जा रही है। उसका पति बाहर नौकरी करता है और साल में एक-दो बार ही घर आता है। उसकी बातों से मुझे पता चला कि वो अकेली है, और शायद उतनी ही भूखी जितना मैं था। हवा तेज थी, तो मैंने कहा, “रीना जी, यहाँ हवा बहुत तेज है, मेरे पास आकर बैठ जाइए।” वो मेरी बात समझ गई और मेरे पास आकर चिपक कर बैठ गई।
अब मेरा लंड पूरी तरह बेकाबू था। मैंने धीरे से उससे बातें शुरू कीं, “आपका बच्चा सुबह तो आपको तंग करता होगा, और रात को आपके पति?” वो हँसते हुए बोली, “अरे, रात को तो कोई तंग करने वाला नहीं है।” ये सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। बातों-बातों में वो मेरे कंधे पर सिर रखकर सो गई। उसके चूचे मेरे सीने से टच हो रहे थे, और मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था। मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पीठ पर रखा और उसे सहलाने लगा। मेरे हाथ कांप रहे थे, लेकिन हिम्मत करके मैंने उसके चूचों को छुआ। उसने कोई विरोध नहीं किया, बस चुपके से मेरी तरफ देखा और मुस्कुराई।
मैंने अब हिम्मत बढ़ाई और उसकी साड़ी के अंदर हाथ डाल दिया। उसकी पैंटी को छूते ही मेरे बदन में आग लग गई। मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे सरकाई और उसकी गांड को सहलाने लगा। उसकी गांड इतनी गर्म और मुलायम थी कि मेरा हाथ जलने लगा। मैंने पहली बार किसी औरत की गांड को इस तरह छुआ था, और वो एहसास मेरे लिए जन्नत जैसा था। मैंने दूसरा हाथ नीचे ले जाकर अपना लंड बाहर निकाला और उसके हाथ में दे दिया। उसने तुरंत उसे पकड़ लिया और जोर-जोर से हिलाने लगी। मैं सातवें आसमान पर था।
मैंने उसे रोका और उठकर बोगी का गेट बंद कर दिया। फिर मैं नीचे लेट गया और उसे अपने पास बुलाया। मैंने कहा, “रीना, अपना ब्लाउज उतारो, मुझे तुम्हारे चूचे देखने हैं।” उसने बिना देर किए ब्लाउज उतार दिया। उफ, क्या मस्त चूचे थे! गोरे, भरे हुए, और काले निप्पल जैसे रसगुल्ले। मैं भूखे भेड़िए की तरह उन पर टूट पड़ा। मैंने एक चूचा मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे कोई बच्चा अपनी माँ का दूध पीता है। उसका दूध मेरे मुँह में आया, और मैं और पागल हो गया। मैंने एक चूचे को चूसते हुए दूसरे को जोर-जोर से दबाना शुरू किया। उसके निप्पल सख्त हो गए थे, और मैं उन्हें जीभ से चाट रहा था। वो सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह… अमीश… और चूसो… मज़ा आ रहा है…”
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फिर मैंने उसकी साड़ी पूरी तरह उतार दी और उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को मसलने लगा। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ फिसल रही थीं। मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत को नंगा देखा। गुलाबी, रसीली, और इतनी गर्म कि मेरे मुँह में पानी आ गया। मैंने बिना सोचे अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चूसने लगा, जैसे कोई प्यासा पानी पीता है। उसकी चूत का रस नमकीन था, और मैंने उसे पूरा पी लिया। मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था, और वो जोर-जोर से सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह… अमीश… और गहरा… चाटो इसे…” मैंने उसकी चूत की फांकों को अपनी जीभ से अलग किया और उसकी गहराई में जीभ डाल दी। उसकी चूत से बार-बार रस निकल रहा था, और मैं उसे चाट-चाटकर साफ कर रहा था। मैंने उसकी चूत के ऊपरी हिस्से को, जहाँ उसका दाना था, हल्के से काटा, और वो मचल उठी। उसने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा लिया, जैसे कह रही हो, “और चूसो, मत रुको!”
थोड़ी देर बाद मैंने उसका एक चूचा फिर मुँह में लिया और चूसने लगा। उसका दूध मेरी भूख को और बढ़ा रहा था। मैंने कहा, “रीना, अब मेरा लंड चूसो।” वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन मेरे बार-बार कहने पर उसने मेरा लंड मुँह में लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को चूसा, मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया। उसने मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे कोई लॉलीपॉप चूसता है। उसकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर घूम रही थी, और मैं सिसकियाँ ले रहा था। मैंने बर्दाश्त नहीं किया और कुछ ही पल में मेरे लंड का पानी उसके मुँह में छूट गया। उसने एक बूंद भी बर्बाद नहीं की और सारा पानी अमृत की तरह पी लिया।
अब हम 69 की पोजीशन में आ गए। उसकी चूत मेरे मुँह में थी, और मेरा लंड उसके मुँह में। मैं उसकी चूत को चाट रहा था, और वो मेरे लंड को काट रही थी। मैंने उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से रगड़ा, और वो जोर-जोर से सिसकियाँ लेने लगी। हम दोनों इतने जोश में थे कि एक-दूसरे के मुँह में पानी छोड़ दिया। थककर हम एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। लेकिन मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने उसे फिर से घोड़ी बनने को कहा। उसने अपनी मोटी गांड मेरे सामने कर दी, और मैंने उसकी गांड को चाटना शुरू किया। उसकी गांड का छेद इतना टाइट था कि मेरी जीभ अंदर जाने को तरस रही थी। मैंने उसकी गांड में उंगली डाली और साथ में उसकी चूत को चाटने लगा। उसकी चूत फिर से गीली हो गई थी, और मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत की गहराई नापी। वो मचल रही थी, “अमीश… अब डाल दो… चोद दो मुझे…”
मैंने कहा, “पहले मेरा लंड फिर से चूसो।” इस बार उसने तुरंत मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर ऐसे घूम रही थी जैसे वो उसे चबा लेगी। जब मेरा लंड पूरी तरह सख्त हो गया, मैंने उसे घोड़ी बनाया और अपनी लार से उसकी चूत को गीला किया। मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और धीरे-धीरे अंदर धकेलना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड फंस सा गया। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो चिल्ला उठी, “मादरचोद… फाड़ दो इस चूत को… ये मुझे बहुत तंग करती है!” मैंने उसकी बात सुनी और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और मैं उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए चोद रहा था। मैंने उसके चूचों को मसलना शुरू किया, और वो सिसकियाँ ले रही थी, “आह्ह… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…”
मैंने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी। उसकी चूत इतनी गर्म थी कि मेरा लंड पिघलने को था। मैंने अपने धक्कों को और तेज किया, और उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को चूस रही थीं। मैंने उसकी कमर पकड़ ली और उसे और जोर से चोदा। उसकी सिसकियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… अमीश… और गहरा… फाड़ दो इस चूत को…” मैंने एक बार फिर रुककर उसकी चूत की गर्मी को महसूस किया। उसकी चूत मेरे लंड को पूरी तरह जकड़ चुकी थी, जैसे वो उसे कभी छोड़ना ही न चाहती हो। फिर वो खुद आगे-पीछे होने लगी, और मैंने उसे पकड़कर फिर से चोदना शुरू कर दिया। कुछ ही पलों में मेरा गर्म लावा उसकी चूत में फट पड़ा, और मैं उसके ऊपर ढेर हो गया। उसकी चूत मेरे लंड के रस से भर गई थी, और वो सिसकियाँ लेते हुए मेरे सीने पर लेट गई।
लेकिन उसका पानी अभी नहीं निकला था। वो मुझे खुश करने के लिए अपनी चूत और गांड मेरे मुँह के पास ला रही थी। मैंने फिर से उसकी चूत को चाटा, और वो मेरा लंड चूसने लगी। उसने मेरे लंड को इतने प्यार से चूसा कि मेरा लंड फिर से सख्त हो गया। मैंने उसे पीछे से पकड़ा और उसकी गांड दबाने लगा। मैंने बहुत सारा थूक उसकी गांड के छेद पर लगाया और कहा, “रीना, तैयार हो इस दर्द के लिए, जो तुम्हें जिंदगी भर याद रहेगा?” उसने नीचे देखकर मुस्कुराया, और मैंने उसकी हाँ समझ ली।
मैंने उसे घोड़ी बनाया और अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रखा। मैंने धीरे से लंड को उसके छेद पर रगड़ा, और उसकी गांड का छेद मेरे लंड को छूते ही सिकुड़ गया। मैंने थोड़ा और थूक लगाया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना लंड उसकी गांड के अंदर पेल दिया। वो दर्द से चिल्ला उठी, “आह्ह… मादरचोद… धीरे…” लेकिन मैंने उसके मुँह को दबा लिया ताकि आवाज बाहर न जाए। उसकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड अंदर फंस गया। मैंने धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया, और उसकी गांड मेरे लंड को जकड़ रही थी। मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और उसकी गांड की गर्मी मेरे लंड को जला रही थी। उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे, और मुझे दुख हुआ। मैंने लंड बाहर निकाला और उसे गले लगाया। उसने कहा, “गांड अगली बार, प्लीज।”
फिर हमने साधारण चुदाई की। मैंने उसे फिर से चोदा, और इस बार उसका पानी भी निकल गया। उसकी चूत से रस की धार निकली, और मैंने उसे चाटकर साफ किया। हम दोनों थककर एक-दूसरे के ऊपर लेट गए। थोड़ी देर बाद हमने कपड़े पहने और बोगी का गेट खोल दिया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। स्टॉप आने पर मेरा दोस्त वापस आ गया, और उसका भाई भी उसे लेने आया। उसने मुझे अपना नंबर और पता दिया, और हम चुपके से चले गए। अब हम रात-रात भर फोन पर बात करते हैं, और जब अगली बार मुलाकात होगी, मैं उसकी गांड जरूर चोदूंगा।