Karz ke badle chudai – Pati ne randi banaya: मेरा नाम मीनू है, और आज मैं अपनी जिंदगी का एक ऐसा सच सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे लिए कड़वा है, पर इसे बयान करना मेरे दिल का बोझ हल्का करने के लिए जरूरी है। हर लड़की की तरह मैंने भी सपने देखे थे—एक अच्छा घर, प्यार करने वाला पति, और सुख-चैन की जिंदगी। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही मैंने रंग-बिरंगे ख्वाब बुनने शुरू कर दिए। लेकिन जब पति ही शैतान निकल आए, तो जिंदगी नर्क बन गई। ये मेरी कहानी है—उस नर्क की, जिसमें मैं फँसी, और फिर उससे निकलने की कोशिश की।
मेरी उम्र अभी 28 साल है। मेरा बदन छरहरा है, मध्यम कद, और चेहरा इतना सुंदर कि लोग मुड़कर देखते हैं। मेरी चूचियाँ 34 साइज की हैं, गोल और टाइट, जो ब्लाउज में उभरकर हर किसी का ध्यान खींच लेती हैं। मेरा पेट सपाट है, और गांड चौड़ी, जिसके उभार साड़ी में और भी मादक लगते हैं। मैं ज्यादातर साड़ी ही पहनती हूँ, क्योंकि उसमें मेरा फिगर और निखर जाता है। मेरी चाल में एक मस्ती है—हल्का सा हिलना, जो मेरी हाई हील सैंडल और कत्थई रंग की लिपस्टिक के साथ और भी आकर्षक बन जाता है। मेरे बाल लंबे, घने, और काले हैं, जो कमर तक लहराते हैं। मेरे होंठ मुलायम और गुलाबी हैं, और मेरी आँखों में एक चंचलता है, जो मर्दों को बेकरार कर देती है। कुल मिलाकर, मैं ऐसी हूँ कि मर्दों की नजरें मुझ पर ठहर जाती हैं।
जब मैं 18 साल की थी, तब मर्दों की तरफ मेरा आकर्षण बढ़ने लगा। कॉलेज में कई लड़कों से दोस्ती हुई। कुछ के साथ जिस्मानी रिश्ते भी बने। लेकिन मेरी सील तो मेरे जीजा ने तोड़ी। वो रातें मेरे लिए नई थीं। जीजा मुझे अपने कमरे में ले जाते, और रात-भर मेरे जिस्म को सहलाते, चूमते, और चोदते। मैं भी जवानी की आग में थी, तो मैंने भी खूब मजे लिए। उनके मोटे लंड का हर धक्का मुझे नई दुनिया में ले जाता था। उसका नतीजा ये हुआ कि मेरा बदन और निखर गया। मेरी चूचियाँ और भारी हो गईं, गुलाबी निप्पल और सख्त हो गए। मेरी गांड का उभार और बढ़ गया, जाँघें रसीली और मोटी हो गईं। मेरे चेहरे पर एक अलग सी चमक आ गई, होंठ और मुलायम हो गए। मैं जवानी की आग में जल रही थी। लेकिन यहीं से मेरी जिंदगी में गलती हुई। जीजा के एक दोस्त, संजय, से मुझे प्यार हो गया। उसका स्टाइल, बात करने का ढंग, सब कुछ मुझे भा गया। जल्दबाजी में मैंने उससे शादी कर ली।
संजय का रहन-सहन बड़ा शानदार था। वो कहते थे कि वो दिल्ली की एक बड़ी कंपनी में मैनेजर हैं, और देश-विदेश घूमते हैं। मैंने उनके साथ वैसी ही जिंदगी का सपना देखा—घूमना-फिरना, ऐशो-आराम। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद सच सामने आया। संजय कर्ज में डूबे हुए थे। अपने शौक पूरे करने के लिए उन्होंने दोस्तों से भारी-भरकम कर्ज ले रखा था। वो ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं थे, लेकिन खुद को ग्रेजुएट बताते थे। ये सच मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं था। मैंने अपनी मर्जी से शादी की थी, इसलिए किसी से कुछ कह भी नहीं सकती थी। मैं चुपचाप सब सहती रही। घर में तनाव बढ़ने लगा। रोज झगड़े होने लगे। संजय की गालियाँ, मेरी चुप्पी, और घर का माहौल दिन-ब-दिन खराब होता गया।
हर सुबह कर्ज वसूलने वालों के फोन आते। गालियाँ देते, धमकियाँ देते। कभी-कभी तो वो घर पर आ धमकते। संजय को गालियाँ सुनानी पड़तीं, और मुझे ये सब देखकर बहुत बुरा लगता था। रोज-रोज की जिल्लत से मैं तंग आ चुकी थी। आखिरकार, मैंने दिल्ली के नेहरू प्लेस में एक कंपनी में नौकरी शुरू कर दी। मैं सुबह साड़ी पहनकर, मेकअप करके, तैयार होकर ऑफिस जाती। मेरी साड़ी में उभरती चूचियाँ और हिलती गांड को देखकर ऑफिस के लड़के मुझे घूरते। लेकिन संजय को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं था। उन्हें शक होने लगा कि मैं ऑफिस में किसी लड़के के साथ चक्कर चला रही हूँ। वो रोज मुझसे सवाल करते, “किसके साथ थी तू? वो लड़का तुझे लाइन देता है ना?” मैं हर बार कहती, “ऐसा कुछ नहीं है, संजय।” लेकिन वो नहीं मानते। उनकी शक की नजरों और रोज के झगड़ों से तंग आकर मैंने वो नौकरी छोड़ दी।
आप यह Nonveg Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
लेकिन घर का खर्चा संजय की कमाई से नहीं चल रहा था। ऊपर से एक आदमी का दो लाख का कर्ज बाकी था, जो रोज धमकियाँ देता था। संजय बहुत परेशान रहने लगे। एक रात, जब मैं रसोई में खाना बना रही थी, संजय मेरे पास आए। उनकी आँखें लाल थीं, चेहरा उदास। बोले, “मीनू, अगर हमें अच्छी जिंदगी जीनी है, तो पहले ये कर्ज उतारना होगा। जिससे मैंने कर्ज लिया है, वो कह रहा है कि अगर मैं तुम्हें उसके पास भेज दूँ, तो वो कर्ज माफ कर देगा।” ये सुनकर मेरा खून खौल गया। मैंने चिल्लाकर कहा, “ये क्या बोल रहे हो? तुम मुझे बेचना चाहते हो?” उस रात घर में खूब लड़ाई हुई। मैं रोती रही, संजय गालियाँ देते रहे। घर में दिन-रात तनाव का माहौल रहने लगा। मैं टूटने लगी थी।
एक दिन सुबह-सुबह मैंने संजय को फाँसी पर लटकते देखा। वो आत्महत्या करने जा रहे थे। मैं दौड़कर गई, रस्सी काटी, और उन्हें बचा लिया। वो फर्श पर बैठकर रोने लगे। बोले, “मीनू, मेरे पास कोई रास्ता नहीं है। प्लीज, मेरी बात मान लो।” मैं टूट चुकी थी। उनकी आँखों में हार देखकर मेरा दिल पिघल गया। मैंने कहा, “ठीक है, जो तुम कहोगे, मैं करूँगी।”
अगले दिन संजय ने अपने दोस्त राजीव से बात की। राजीव ने कहा कि वो मुझे तीन दिन के लिए मनाली ले जाएगा। मैं और संजय मान गए। उस शाम राजीव घर आया। उसने एक बैग में कुछ कपड़े लाए—एक लाल साड़ी, एक काला लहंगा, और कुछ मॉडर्न ड्रेस। बोला, “मीनू, ये पहनने के लिए रख लो। कल सुबह मैं तुम्हें लेने आऊँगा।” मैंने बैग लिया और चुपचाप कमरे में चली गई। रात-भर नींद नहीं आई। मैं सोच रही थी कि मेरी जिंदगी कहाँ ले जा रही है।
सुबह-सुबह राजीव का फोन आया। बोला, “मीनू, मैं हनुमान मंदिर के मोड़ पर हूँ।” मैंने एक हल्की गुलाबी साड़ी पहनी, जिसके साथ मैंने टाइट ब्लाउज पहना, जो मेरी चूचियों को और उभार रहा था। मेरे बाल खुले थे, और मैंने हल्का मेकअप किया था। संजय मुझे छोड़ने गए। कार में बैठते वक्त मेरे मन में अजीब सा ख्याल आया—मेरा पति मुझे किसी और के हवाले कर रहा है। मैं चुपचाप कार में बैठ गई। राजीव ने मुझे देखा और मुस्कुराया। वो बोला, “मीनू, तुम तो और भी सुंदर लग रही हो।” मैंने सिर्फ हल्की सी मुस्कान दी और खिड़की से बाहर देखने लगी।
रात तक हम मनाली पहुँच गए। राजीव ने एक आलीशान होटल बुक किया था। कमरे में घुसते ही मैंने देखा कि सब कुछ हनीमून सुइट की तरह सजाया गया था। गुलाब की पंखुड़ियाँ बेड पर बिखरी थीं, हल्की रौशनी थी, और एक हल्की खुशबू कमरे में फैली थी। राजीव ने होटल स्टाफ से कहा कि हम हनीमून पर हैं, और हनीमून पैकेज लिया। खाना खाने के बाद उसने मुझे वो लाल साड़ी दी, जो वो घर से लाया था। बोला, “मीनू, इसे पहन लो। आज हम सुहागरात मनाएँगे।” मैं बाथरूम में गई, साड़ी बदली। लाल साड़ी मेरे जिस्म पर ऐसी चिपकी थी कि मेरी हर एक अदा उभर रही थी। मेरा ब्लाउज टाइट था, जिससे मेरी चूचियाँ बाहर को उभर रही थीं। मैंने बाल खोल दिए, और हल्की सी लिपस्टिक लगाई।
आप यह Nonveg Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
जब मैं कमरे में आई, तो राजीव मुझे देखकर पागल हो गया। वो लंबा-चौड़ा था, गोरा, और उसकी छाती पर हल्के-हल्के बाल थे। उसने एक काली शर्ट और जींस पहनी थी। वो धीरे-धीरे मेरे पास आया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया। उसकी गर्म साँसें मेरे गले पर लग रही थीं। वो बोला, “मीनू, तू तो आज किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही।” मैं चुप थी, लेकिन मेरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। उसने मेरी साड़ी का पल्लू धीरे से खींचा। मेरे टाइट ब्लाउज में मेरी चूचियाँ साफ दिख रही थीं। उसने मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूचियों को सहलाना शुरू किया। मेरे गुलाबी निप्पल सख्त होने लगे, और मेरी साँसें तेज हो गईं।
राजीव ने मेरे ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किए। एक-एक हुक खुलने के साथ मेरी चूचियाँ आजाद होने लगीं। उसने मेरी ब्रा को भी उतार दिया। मेरी चूचियाँ, जो गोल और भारी थीं, अब पूरी तरह नंगी थीं। मेरे निप्पल गुलाबी और सख्त थे। राजीव ने मेरी एक चूची को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… राजीव… धीरे…” वो दूसरी चूची को अपने हाथ से दबा रहा था। उसका दूसरा हाथ मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी गांड को सहला रहा था। मेरी चूत गीली होने लगी थी। मैंने उसकी शर्ट के बटन खोले। उसकी छाती पर हल्के बाल थे, जो मुझे और उत्तेजित कर रहे थे।
उसने मेरी साड़ी को पूरी तरह उतार दिया। अब मैं सिर्फ पेटीकोट और पैंटी में थी। उसने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो फर्श पर गिर गया। मेरी काली लेस वाली पैंटी में मेरी चूत का उभार साफ दिख रहा था। राजीव ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी पैंटी को धीरे-धीरे उतार दिया। मेरी चूत, जो हल्की सी शेव्ड थी, अब पूरी तरह नंगी थी। मेरी चूत के होंठ गुलाबी और रसीले थे। राजीव ने मेरी चूत को देखा और बोला, “मीनू, तेरी चूत तो किसी गुलाब की तरह है।” उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… उफ़… राजीव… और कर…” मेरी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
मैंने भी उसकी जींस उतारी। उसका लंड, जो अभी भी अंडरवियर में था, सख्त होकर उभर रहा था। मैंने उसका अंडरवियर उतारा, और उसका लंड बाहर आया। वो करीब 8 इंच लंबा और मोटा था। उसका सुपारा गुलाबी और चमक रहा था। मैंने उसे अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी। राजीव सिसकारियाँ ले रहा था, “आह… मीनू… तू तो जादू कर रही है।” मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका सुपारा मेरे होंठों पर फिसल रहा था। मैं अपनी जीभ से उसके लंड के टिप को चाट रही थी। राजीव के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह… मीनू… और चूस… मेरी जान…”
उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। उसने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह… राजीव… धीरे… उफ़…” उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। मेरी चूत पूरी तरह गीली थी, और फच-फच की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… उफ़… और जोर से… राजीव…” उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। मैं आनंद की चरम सीमा पर थी।
आप यह Nonveg Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं बेड पर घुटनों के बल झुक गई। मेरी गांड ऊपर थी, और मेरी चूत पूरी तरह खुली थी। राजीव ने मेरी गांड पर एक चपत मारी और बोला, “मीनू, तेरी गांड तो गजब है।” उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। फच-फच की आवाज के साथ मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह… उफ़… राजीव… चोद दे मुझे…” उसने मेरी गांड को सहलाते हुए धक्के मारे। उसका एक हाथ मेरी चूचियों को दबा रहा था। मैं पूरी तरह सेक्स की आग में जल रही थी।
करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद राजीव ने मुझे फिर से पीठ के बल लिटाया। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड मेरी चूत में डाला। इस बार वो और जोर से धक्के मार रहा था। मेरी चूत से रस टपक रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह… राजीव… और तेज… फाड़ दे मेरी चूत…” उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। आखिरकार, वो झड़ने वाला था। उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूचियों पर अपना गर्म माल छोड़ दिया। मैं हाँफ रही थी, और मेरा जिस्म पसीने से भीगा था।
तीन दिन तक हम मनाली में रुके। हर रात राजीव मुझे अलग-अलग तरीके से चोदता। कभी वो मुझे टेबल पर लिटाकर चोदता, कभी बाथरूम में शावर के नीचे। हर बार वो मेरे जिस्म को नए तरीके से भोगता। मैं भी पूरी तरह से इस आनंद में डूब गई थी। तीसरे दिन हम दिल्ली वापस आए। मेरे चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी थी। संजय ने मुझे देखा, लेकिन कुछ बोले नहीं। उसी शाम राजीव घर आया और बोला, “संजय, अब तुम्हारा कर्ज माफ है। लेकिन मीनू, तुम मेरा ख्याल रखना।” वो हँसते हुए चला गया।
इसके बाद मैंने संजय के बाकी दोस्तों के साथ भी सोना शुरू किया। एक-एक करके सारा कर्ज उतर गया। फिर हमने अपना फोन नंबर बदला, मकान बदला, और संजय ने एक नई नौकरी शुरू की। मैंने भी एक अच्छी नौकरी पकड़ ली। अब जिंदगी ठीक चल रही है, लेकिन सेक्स का सुख गायब है। संजय का लंड छोटा है, और वो मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता। मैंने कई मोटे-मोटे लंडों का स्वाद चख लिया है, और अब वो मुझे याद आते हैं। अगर कोई हैंडसम मर्द है, जो सिर्फ सेक्स के लिए रिश्ता रखना चाहता हो, तो कमेंट करें। लेकिन लंड मोटा और लंबा होना चाहिए।