मैंने अपनी बीवी को भिखारी से चुदवाया

Bhaikhari se chudai: मधु, मेरी बीवी, 25 साल की थी। गोरा रंग, ना ज्यादा मोटी ना पतली, एकदम भरा हुआ बदन, 36-28-36 का फिगर, लंबे काले बाल जो उसकी कमर तक लहराते थे। उसका चेहरा मासूम था, आँखें बड़ी-बड़ी, होंठ गुलाबी, पर सेक्स के बारे में उसे कुछ खास पता नहीं था। वो सीधी-सादी थी, गाँव की लड़की, जिसे शादी के बाद भी बस घर संभालने और मेरी सेवा करने में ही दिलचस्पी थी। मैं, राकेश, 30 साल का, कड़ियल जवान मर्द, छह फुट का कद, चौड़ी छाती, मगर मेरे अंदर एक गहरी कमजोरी थी। मेरा लंड सात इंच का तो था, पर चूत चोदने के काम का नहीं। मुझे खुद गांड मरवाने का शौक था, और ये बात मैंने मधु से कभी नहीं कही।

शादी के बाद जब पहली बार मैंने मधु को चोदने की कोशिश की, तो लंड चूत में डालने से पहले ही मेरा पानी निकल गया। मधु की चूत पर मेरा वीर्य गिरा, और वो बस चुपचाप मुझे देखती रही। उसकी आँखों में सवाल थे, पर उसने कुछ नहीं कहा। मैंने कोशिश की, पर हर बार यही हुआ। मेरा लंड खड़ा तो होता, पर चूत में घुसने से पहले ही ढीला पड़ जाता। मेरे अंदर की आग बुझती नहीं थी। मैं सेक्स करना चाहता था, पर मेरा शरीर मेरा साथ नहीं देता था। मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल घूमता था—मधु को ऐसी औरत बनाना, जो हर तरह के सेक्स में मस्ती ले, चाहे कोई उसे मारे, सताए, चूत में लंड पेले, गांड में डाले, मूत पिलाए, या कोई भी गंदा काम करवाए, वो मना न करे। मैं उसे एक रंडी बनाना चाहता था, जो चुदाई की भूखी हो।

पिछले कुछ महीनों से मैंने चुपके से मधु को सेक्स बढ़ाने वाली गोलियाँ और वाइन दूध में मिलाकर पिलाना शुरू किया। ये गोलियाँ उसे निम्फो बनाती थीं, ऐसी औरत जो हर वक्त चुदाई के लिए तड़पे। मैंने घर में कैमरे लगवाए, जो मेरे मोबाइल से जुड़े थे। मैं मधु की हर हरकत पर नजर रखता था। उसकी चाल-ढाल, उसका बदन, उसकी चूत की गर्मी—सब कुछ मैं मोबाइल पर देखता था।

एक रात मैंने मधु को कुछ नंगी तस्वीरें दिखाने की कोशिश की। उसने मना कर दिया, तो मैंने चुपके से तकिए के नीचे एक ब्लू फिल्म का एल्बम रख दिया। सुबह मैं ऑफिस चला गया, और मोबाइल पर मधु को देखने लगा। सुबह ग्यारह बजे मधु अपने कमरे में गई। वो बिस्तर पर लेटी, और उसका हाथ तकिए के नीचे चला गया। उसने एल्बम निकाला और पन्ने पलटने लगी। तस्वीरों में नंगी औरतें थीं, लंड चूसती हुई, चूत चटवाती हुई, और कई मर्दों से चुदती हुई। मधु की आँखें फैल गईं। उसने साड़ी उतारी, पेटीकोट ऊपर किया, और अपनी चूत को सहलाने लगी। उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे चूत के अंदर-बाहर होने लगीं। मैंने मोबाइल से टीवी चालू किया और एक ब्लू फिल्म चला दी।

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टीवी पर सीन चल रहा था—एक मर्द औरत की चूत चाट रहा था, और औरत उसका लंड मुँह में लेकर चूस रही थी। एक सीन में चार-पाँच मर्द एक औरत के मुँह में मूत रहे थे, और वो उसे पी रही थी। मधु ये सब देखकर पागल हो रही थी। उसकी चूत गीली हो चुकी थी। उसने अपनी ब्रा खोली, अपने दूध दबाए, और चूत में उंगली डालकर जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगी। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैं मोबाइल पर ये सब देखकर खुश हो रहा था। मधु की चुदास अब जाग चुकी थी।

रात को मैं घर लौटा। खाना खाया और सोने का नाटक करने लगा। मधु आज रात सोने के मूड में नहीं थी। उसकी चूत में आग लगी थी। मैंने उसे वाइन दी, और वो चुपके से पी गई। रात को नींद आ गई, और सुबह मैं फिर ऑफिस चला गया। दिन में मधु फिर से उस एल्बम को देखने लगी। मैंने फिर से ब्लू फिल्म चालू की। इस बार सीन में एक मर्द एक औरत को नंगा करके जोर-जोर से चोद रहा था। औरत की सिसकारियाँ, चीखें, और गालियाँ मधु को और गर्म कर रही थीं। उसने अपनी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं और जोर-जोर से हिलाने लगी।

उसी दिन मैंने एक भिखारी को देखा, जो गाँव में घूमता था। उसका नाम था कालू, उम्र करीब 40 साल, काला रंग, पतला बदन, मगर उसका लंड बड़ा और मोटा था, जैसा मैंने उसकी फटी चड्डी से देखा। मैंने उसे पाँच सौ रुपये दिए और सब समझाया। उसकी चड्डी को मैंने आगे से और फाड़ दिया, ताकि उसका लंड साफ दिखे। मैंने उसे घर भेजा।

दोपहर के बारह बजे कालू ने दरवाजा खटखटाया। मधु ने साड़ी पहनी थी, मगर उसकी आँखें लाल थीं, जैसे चुदाई की भूखी हो। उसने दरवाजा खोला। कालू ने कहा, “मेम साब, कुछ खाने को मिलेगा?” मधु ने कहा, “रुको, मैं लाती हूँ।” तभी उसकी नजर कालू के लंड पर पड़ी, जो फटी चड्डी से बाहर झाँक रहा था। मधु की साँसें तेज हो गईं। वो अंदर गई, और टीवी पर ब्लू फिल्म में एक औरत लंड चूस रही थी। मधु की चूत और गीली हो गई।

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कालू ने वही किया, जो मैंने कहा था। उसने अपना लंड बाहर निकाला और हिलाने लगा। मधु रोटी लेकर बाहर आई और कालू का खड़ा लंड देखकर रुक गई। उसकी आँखें लंड पर टिकी थीं। वो अंदर गई, मगर कुछ सेकंड बाद फिर बाहर आई। कालू का लंड अब और सख्त हो चुका था। मधु ने कहा, “पानी लाती हूँ।” पर कालू ने उसे पकड़ लिया। उसने मधु को जमीन पर लिटाया, उसकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर किए, और चूत पर थूककर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। मधु कुछ समझ पाती, उससे पहले कालू ने एक जोरदार धक्का मारा। मधु की चीख निकल गई। कालू का आधा लंड उसकी चूत में घुस चुका था।

मधु ने छटपटाने की कोशिश की, पर कालू ने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और एक और धक्का मारा। उसका पूरा लंड मधु की चूत में समा गया। कालू ने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। मधु की चूत टाइट थी, मगर गीली होने की वजह से लंड आसानी से फिसल रहा था। कालू के हर धक्के के साथ मधु की सिसकारियाँ बढ़ने लगीं। पहले तो वो छटपटा रही थी, मगर धीरे-धीरे उसकी चीखें सिसकारियों में बदल गईं। कालू ने मधु के मुँह से हाथ हटाया और जोर-जोर से चोदने लगा। मधु की आँखें बंद थीं, होंठ काटे हुए, और हाथ मुट्ठी में बंधे थे।

अचानक मधु बोली, “छोड़ो मुझे!” पर उसकी आवाज में अब गुस्सा नहीं, बल्कि एक अजीब सी तड़प थी। मैंने कालू को सेक्स की गोली दी थी, जिससे उसका लंड पत्थर जैसा सख्त था। मधु की चुदास अब चरम पर थी। वो चिल्लाई, “चोद मुझे, साले! और जोर से!” कालू ने मधु की टाँगें उठाईं, अपने कंधों पर रखीं, और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मधु की चूत से पानी बहने लगा। वो चीख रही थी, “आह… मार डाला… और जोर से… मैं मर जाऊँगी!”

कालू ने मधु को पलट दिया और उसे घोड़ी बनाया। उसने पीछे से लंड चूत में घुसाया और मधु के चूतड़ों पर जोर-जोर से थप्पड़ मारने लगा। मधु के चूतड़ लाल हो गए। उसने तकिए को मुँह में दबा लिया और मादक सिसकारियाँ भरने लगी। कालू ने आधे घंटे तक उसे घोड़ी बनाकर चोदा। फिर उसने मधु को चित लिटाया, उसके ऊपर चढ़ा, और लंड फिर से चूत में डाल दिया। वो मधु के होंठ चूसने लगा। मधु भी उसका साथ देने लगी, उसके होंठ चूसने लगी। दोनों एक-दूसरे के गाल चूम रहे थे।

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कालू ने मधु के दूध दबाए। मधु बोली, “चूस ले, साले!” कालू ने उसके निप्पल मुँह में लिए और चूसने लगा। मधु चिल्लाई, “आह… और जोर से… पी जा मेरे दूध!” उसने कालू की कमर को अपने पैरों से जकड़ लिया और उसे और करीब खींच लिया। कालू ने मधु से कहा, “मुँह खोल!” मधु ने मुँह खोला, और कालू ने उसमें थूक दिया। मधु ने उसे पी लिया और बोली, “और थूक!” कालू बार-बार थूकता रहा, और मधु उसे प्यार से पीती रही।

फिर कालू ने मधु की चूत चाटी। उसकी जीभ मधु की चूत के दाने को छू रही थी, और मधु चिल्ला रही थी, “खा ले मेरी चूत, साले!” कालू ने मधु की गर्दन को बिस्तर के किनारे लटकाया और अपने लंड को उसके मुँह में घुसा दिया। मधु लंड चूसने लगी, कभी लंड चाटती, कभी आँड चूसती। आखिर में कालू ने मधु के मुँह में अपना गाढ़ा वीर्य छोड़ दिया। मधु ने उसे पूरा पी लिया।

कालू जल्दी से उठा और चला गया। जाते-जाते उसने कहा, “कल फिर आऊँगा।” मधु बिस्तर पर पड़ी रही। अचानक वो जोर-जोर से रोने लगी। वो मेरे नाम को पुकार रही थी, “राकेश, मुझे माफ़ कर दो… मैंने गलत किया!” वो अपने बाल खींच रही थी, बिस्तर पर सिर पटक रही थी। उसे ग्लानि हो रही थी कि उसने भिखारी से चुदवा लिया। वो बाथरूम गई, बार-बार कुल्ला किया, क्योंकि कालू का वीर्य उसके मुँह में था। उसने अपने चूतड़ों पर हाथ फेरा, जहाँ थप्पड़ों के निशान लाल हो गए थे।

नहाने के बाद मधु ने नए कपड़े पहने। वो दर्पण के सामने खड़ी होकर अपने होंठ देख रही थी, जो कालू ने चूसते वक्त काट लिए थे। फिर वो बिस्तर ठीक करने लगी, कमरे को साफ किया, और सोफे पर बैठकर अपने मुँह को हाथों से ढक लिया। उसे शायद अपनी गलती का एहसास हो रहा था, मगर मैं मोबाइल पर ये सब देखकर खुश था। मधु का रंडी बनने का सफर शुरू हो चुका था।

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