Cuckold Pati ke samne wife ki chudai: मेरा नाम कमल है, उम्र 24 साल, और मैं दिल्ली में पिछले तीन साल से कॉल-बॉय का काम कर रहा हूँ। 5 फीट 10 इंच का कद, गोरा रंग, चौड़ी छाती, और चेहरे पर एक ऐसी मुस्कान जो औरतों को मेरी ओर खींच लेती है। मेरी बॉडी जिम में पसीना बहाकर बनाई है, और मेरी गहरी भूरी आँखों में वो चमक है जो बिना कुछ कहे सब कुछ कह देती है। कॉल-बॉय का काम अब मेरी रोजी-रोटी बन चुका है। मैं अपने ads अखबारों में और इंटरनेट पर डालता रहता हूँ। चाहे पांच सितारा होटल में कोई हाई-प्रोफाइल औरत हो या किसी की कोठी पर जाकर सर्विस देनी हो, मेरा काम है उनकी चुदाई की भूख मिटाना। मैं हर बार ऐसा experience देता हूँ कि वो मुझे बार-बार बुलाएँ।
रंजन, 35 साल का एक बिजनेसमैन, लाजपत नगर की पॉश कॉलोनी में अपनी शानदार कोठी में रहता है। मध्यम कद, सांवला रंग, चश्मे के पीछे चालाक आँखें, और हमेशा चेहरे पर हल्की सी मुस्कान। बाहर से देखो तो लगता है साधारण सा आदमी, लेकिन उसकी एक अजीब सी fantasy है। उसे अपनी बीवी को किसी गैर मर्द के साथ चुदवाते देखने में मज़ा आता है। उसकी बीवी सीमा, 30 साल की, एकदम हुस्न की मल्लिका। दूध सा गोरा रंग, लंबे काले बाल जो कमर तक लहराते, और कर्व्स ऐसे कि कोई भी मर्द पागल हो जाए। उसकी आँखों में शरारत और होठों पर कामुक मुस्कान, जैसे वो जानती हो कि वो कितनी हॉट है। सीमा को अपने हुस्न पर गर्व है, और उसे गैर मर्दों के साथ चुदवाना पसंद है, खासकर जब रंजन उसे देख रहा हो।
बात दो साल पुरानी है, नवंबर की एक ठंडी दोपहर। मैं अपने फ्लैट में बैठा चाय पी रहा था, तभी फोन बजा। अनजान नंबर था। मैंने कॉल उठाई, “हैलो, कौन?”
दूसरी तरफ से भारी आवाज़ आई, “मैं रंजन बोल रहा हूँ। तुम वही कमल हो ना, जो कॉल-बॉय सर्विस देता है?”
मैंने confidence से जवाब दिया, “हाँ, मैं ही कमल हूँ। आपको क्या चाहिए?”
रंजन ने थोड़ा रुककर पूछा, “क्या तुम घरेलू औरतों को भी सर्विस देते हो?”
“हाँ, बिल्कुल देता हूँ,” मैंने कहा।
“उनके घर पर भी?” उसने फिर पूछा।
“हाँ, घर पर भी,” मैंने तपाक से जवाब दिया।
“एक रात का कितना चार्ज है?” रंजन ने सीधे मुद्दे पर आते हुए पूछा।
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“पूरी रात के 1500 रुपये,” मैंने बताया।
“ठीक है,” रंजन बोला, “लेकिन सर्विस अच्छी होनी चाहिए।”
मैंने हँसते हुए कहा, “सर्विस की टेंशन मत लो, भाई। ऐसी चुदाई करूँगा कि कोई शिकायत नहीं रहेगी। लेकिन ये बता, सर्विस किसके लिए चाहिए?”
रंजन ने धीरे से कहा, “मेरी बीवी के लिए।”
मैं तो चौंक गया। “क्या? मजाक तो नहीं कर रहे?” मैंने हैरानी से पूछा।
“नहीं, बिल्कुल serious हूँ,” रंजन ने भरोसा दिलाया। “मुझे अपनी बीवी को किसी गैर मर्द से चुदवाते देखना पसंद है, और सीमा को भी गैर मर्दों से चुदवाने में मज़ा आता है।”
मैं थोड़ी देर चुप रहा। दिमाग में सवाल घूम रहे थे। ये क्या माजरा है? लेकिन फिर मैंने सोचा, काम तो काम है। अगर दोनों को मज़ा आता है, तो मुझे क्या? मैंने पूछा, “ठीक है, कब और कहाँ आना है?”
रंजन बोला, “आज शनिवार है। घर पर कोई नहीं होगा, सिर्फ मैं और सीमा। तुम लाजपत नगर के बस स्टॉप पर 6 बजे आ जाना। मैं अपनी स्विफ्ट कार से पिक कर लूँगा। कार का नंबर 5678 है।”
मैंने कहा, “ठीक है। मैं गुलाबी शर्ट और क्रीम पैंट में आऊँगा।”
“ओके, 6 बजे मिलते हैं,” रंजन ने कहा और फोन कट गया।
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मैंने अपने आप को शीशे में देखा। बाल सेट किए, शर्ट-पैंट चेक की, और थोड़ा परफ्यूम लगाया। दिल में हल्की सी घबराहट थी, लेकिन excitement भी कम नहीं था। आखिर ये पहली बार था जब कोई शौहर अपनी बीवी को मेरे सामने चुदवाना चाहता था।
शाम 6 बजे मैं लाजपत नगर बस स्टॉप पर पहुँच गया। ठंडी हवा चल रही थी, और मैं इधर-उधर देख रहा था। 15 मिनट बाद एक स्विफ्ट कार रुकी। शीशा नीचे हुआ, और एक आदमी ने मुझे इशारा किया। मैं पास गया। उसने पूछा, “कमल?”
“हाँ, मैं ही हूँ,” मैंने कहा।
“आ जा, बैठ,” उसने दरवाजा खोला। मैं कार में बैठ गया। 10 मिनट की ड्राइव के बाद हम एक बड़ी सी कोठी के सामने रुके। रंजन ने गाड़ी पार्क की और मुझे अंदर ले गया।
कोठी का लिविंग रूम शानदार था। बड़ा सा सोफा, चमचमाती लाइट्स, और दीवारों पर महंगी पेंटिंग्स। वहाँ एक औरत सोफे पर बैठी थी, लाल ब्लाउज और काली साड़ी में। रंजन ने कहा, “ये मेरी बीवी, सीमा।”
मैंने सीमा की ओर देखा। क्या हुस्न था! उसका गोरा चेहरा, भरे हुए होंठ, और आँखों में शरारत। साड़ी उसके कर्व्स को और उभार रही थी। मैंने हाथ बढ़ाया, “हैलो।”
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हाय,” और उसका मुलायम हाथ मेरे हाथ से छुआ। बस, उस स्पर्श से ही मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया।
रंजन ने सीमा से कहा, “वाइन के लिए तीन ग्लास लाओ।”
मैंने तुरंत कहा, “नहीं, मैं ड्रिंक नहीं करता।”
“कोई बात नहीं,” रंजन बोला, “सॉफ्ट ड्रिंक ले ले।”
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सीमा रसोई की ओर चली गई। उसकी चाल, साड़ी में लहराता बदन, और कमर की लचक देखकर मेरा लंड पैंट में तनने लगा। मैंने सोचा, इतनी हॉट बीवी है, फिर भी ये मुझे बुला रहे हैं? खैर, उनकी मर्जी।
सीमा वापस आई, हाथ में तीन ग्लास। उसने मुझे सॉफ्ट ड्रिंक का ग्लास दिया। उसका गोरा हाथ छूते ही मेरे बदन में फिर से गुदगुदी हुई। मैंने ग्लास लिया और सोचा, अभी तो बस शुरुआत है, लेकिन इसको कैसे शुरू करूँ जब रंजन यहीं बैठा है?
हम तीनों बातें करने लगे। रंजन ने अचानक पूछा, “सीमा कैसी लग रही है तुझे?”
मैं थोड़ा झिझका, लेकिन बोला, “सीमा जी एकदम खूबसूरत हैं। हुस्न कूट-कूट कर भरा है।”
रंजन हँसा, “शरमाने की जरूरत नहीं। जो करना चाहता है, कर। सीमा को कोई प्रॉब्लम नहीं।”
मैंने सीमा की ओर देखा। वो मुस्कुरा रही थी, और उसकी आँखों में साफ दिख रहा था कि वो तैयार है। उसने मेरी पैंट के उभार की ओर देखा और रंजन को आँखों से इशारा किया। रंजन बोला, “सीमा को तेरा लंड देखना है। दिखा दे अपना हथियार।”
मैंने सोचा, अब शर्माना छोड़ देना चाहिए। मैंने धीरे से पैंट की जिप खोली, हाथ अंदर डाला, और अपना खड़ा लंड बाहर निकाला। मेरा 7 इंच का लौड़ा पूरी तरह तन चुका था, और उसका सुपारा लाल लिपस्टिक की तरह चमक रहा था। सीमा की नजर मेरे लंड पर टिकी थी। उसकी आँखें नशीली हो गईं, और होंठ हल्के से थरथराने लगे। रंजन की नजर भी एक पल के लिए मेरे लंड पर रुकी, फिर वो मुस्कुराया।
मैंने मस्ती में अपने लंड को हल्के-हल्के हिलाना शुरू किया। सीमा की साँसें तेज हो गईं। मैंने पहल की। रंजन के सामने मैंने सीमा की कमर पर हाथ रखा और धीरे-धीरे सहलाने लगा। सीमा मेरे और करीब खिसक आई। मैंने उसके गले और कंधों को चूमना शुरू किया। उसने आँखें बंद कर लीं और गला ऊपर उठा दिया, जैसे मेरे चुमनों का मज़ा ले रही हो। रंजन सोफे पर बैठा सब देख रहा था, और उसकी आँखों में excitement साफ दिख रही थी।
मैंने अपना हाथ सीमा के ब्लाउज के ऊपर रखा और उसकी चूचियों को सहलाने लगा। उसकी साँसें और तेज हो गईं। उसकी चूचियाँ, शायद 34C, ब्रा के अंदर से सख्त महसूस हो रही थीं। मैंने धीरे-धीरे ब्लाउज के बटन खोले। ब्लाउज खुलते ही उसकी गोरी चूचियाँ ब्रा में कैद दिखीं। मैंने ब्रा के हुक खोले, और उसकी चूचियाँ आजाद हो गईं। गुलाबी निप्पल्स, एकदम सख्त, जैसे मुझसे कुछ माँग रहे हों।
सीमा ने मेरा लंड पकड़ लिया और ऊपर-नीचे हिलाने लगी। मैंने उसके कान में फुसफुसाया, “मैंने तो अपना हथियार दिखा दिया, लेकिन तुमने तो अपनी चूत दिखाई ही नहीं।”
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उसने मेरे होंठों को चूमा और बोली, “जब हथियार निकाला है, तो उसकी जगह भी अपने हाथ से देख ले।”
मैंने रंजन के सामने सीमा को खड़ा किया। पहले उसका पेटीकोट का नाड़ा खोला, जो लहराता हुआ नीचे गिर गया। फिर मैंने उसकी पैंटी की साइड में उंगलियाँ डाली और धीरे-धीरे नीचे खींच दी। अब सीमा पूरी नंगी थी, और उसकी चूत, हल्के बालों वाली, मेरे सामने चमक रही थी। रंजन की नजरें हम पर टिकी थीं।
मैंने सीमा की चूत पर उंगली फेरी। वो गीली थी, जैसे मुझसे पहले ही तैयार थी। मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर लगाया और जीभ से उसकी दरार को चाटना शुरू किया। कभी उसके दाने को होंठों में दबाता, तो वो सिहर उठती। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने जेब से कंडोम निकाला और सीमा को कहा, “इसे चढ़ा दे।”
उसने मेरे लंड का सुपारा पकड़ा, कंडोम रखा, और धीरे-धीरे लंड पर चढ़ा दिया। रंजन चुपचाप देख रहा था, लेकिन उसकी साँसें भी तेज थीं।
मैंने सीमा को गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी गोरी टाँगें फैलाईं और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा। उसकी चूत इतनी गीली थी कि लंड फिसल रहा था। रंजन ने कहा, “अब डाल दे उसकी चूत में।”
मैंने सीमा के होंठों को चूमा, फिर अपने कूल्हों को पीछे खींचकर एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। सीमा के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत गर्म और टाइट थी, जैसे मेरा लंड निचोड़ रही हो। मैंने स्पीड बढ़ाई, और हर धक्के के साथ सीमा की चूचियाँ उछल रही थीं। वो मेरी पीठ पर नाखून गड़ा रही थी, और उसकी सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं।
“और जोर से, कमल! चोद मुझे!” सीमा चिल्लाई।
मैंने और तेज धक्के मारे। उसकी चूत का रस मेरे लंड पर लिपट रहा था। रंजन अब पास आ चुका था, और वो सीमा की चूचियों को सहला रहा था। मैंने सीमा को पलटा और उसे घोड़ी बनाया। उसकी गोल गाँड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गाँड पर हल्का सा थप्पड़ मारा और फिर लंड उसकी चूत में डाल दिया। हर धक्के के साथ उसकी गाँड हिल रही थी, और रंजन का चेहरा लाल हो गया था।
आधे घंटे तक मैंने सीमा को अलग-अलग पोज में चोदा। कभी मिशनरी, कभी डॉगी, कभी उसे मेरे ऊपर बिठाकर। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी, और उसकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। आखिरकार, जब मेरा वीर्य निकलने वाला था, मैंने सीमा को कसकर पकड़ा और उसके होंठों को चूमते हुए झड़ गया। उसी वक्त सीमा भी काँपते हुए झड़ी, और उसका रस मेरे लंड पर बहने लगा। रंजन चुपचाप सब देख रहा था, और उसकी आँखों में संतुष्टि साफ दिख रही थी।
उस रात मैंने तीन कंडोम बदले। हर बार सीमा और मैं एक-दूसरे में डूब गए, और रंजन हर पल का मज़ा ले रहा था। तीसरी बार के बाद सीमा थककर बिस्तर पर लेट गई, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी वासना की चमक थी।
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सुबह सीमा ने मुझे एक ग्लास दूध और कुछ मिठाई दी। उसने मेरी जेब में 1700 रुपये रखे और कहा, “1500 तो चार्ज है, बाकी 200 तेरी सर्विस के लिए। जब मन करेगा, तुझे फिर बुलाऊँगी।”
मैंने हँसते हुए कहा, “कभी भी बुला लेना, सीमा जी।”
रंजन ने मुझे गाड़ी से बस स्टॉप तक छोड़ा। जाते वक्त वो बोला, “अच्छा काम किया, कमल। फिर मिलेंगे।”
मैंने सिर्फ मुस्कुराया और सोचा, ये रात तो मेरे लिए भी यादगार थी।