Indian wife cheating sex story – Husband weak in bed: मेरा नाम अनुपमा यादव है। मैं घोसी, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। अभी फरवरी में मेरी उम्र 20 साल की हुई। मैं 5 फुट 4 इंच लंबी हूँ, गोरी, भरे हुए मम्मे, पतली कमर और गोल-मटोल चूतड़, जो मेरी साड़ी में और भी उभरकर दिखते हैं। मेरे बाल लंबे, काले और घने हैं, जो मैं अक्सर ढीले जूड़े में बाँधती हूँ। मेरी शादी को अभी एक साल ही हुआ है। मेरे पति राकेश, 30 साल के हैं, 5 फुट के, दुबले-पतले, इंजीनियर हैं और 80 हजार की सरकारी नौकरी करते हैं। लेकिन दोस्तों, मेरी जिंदगी में एक ऐसी नाइंसाफी हुई कि मेरे सपनों की दुनिया ही उजड़ गई। “सुहागरात निराशा”
जब मैं कॉलेज में थी, अपनी सहेलियों के साथ ब्लू फिल्में देखा करती थी। उन फिल्मों में मोटे, तगड़े लंड वाले मर्द अपनी औरतों को रात भर चोदते थे। मेरे मन में भी वही रंगीन सपने थे। मैं सोचती थी कि मेरा पति भी वैसा ही होगा। उसका लंड मोटा, लंबा होगा, वो मुझे रात भर पेलकर चरम सुख देगा। मेरी चूत की हर प्यास बुझेगी। लेकिन शादी के बाद जो हुआ, वो मेरे सपनों का कत्ल था। मेरे घरवालों ने राकेश से सिर्फ इसलिए शादी की, क्योंकि वो इंजीनियर थे, अच्छी कमाई थी। लेकिन किसी ने ये नहीं देखा कि वो मर्दानगी में कितना खोखला है। “suhagraat disappointment”
सुहागरात की रात, मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। चटक लाल रेशमी साड़ी, जिसका पल्लू मेरे गोरे कंधों पर लहरा रहा था, मैंने धीरे-धीरे सरकाया। मेरा गहरे गले वाला ब्लाउज, जो मेरे 34C के मम्मों को मुश्किल से ढक रहा था, उतार फेंका। मैंने अपनी काली लेस वाली ब्रा और पैंटी भी निकाल दी। मेरी गोरी चिकनी जाँघें, गुलाबी चूत, जिसके होंठ थोड़े फूले हुए थे, और छोटा सा भगनासा, सब कुछ खुला था। मैं बिस्तर पर पूरी नंगी लेट गई, दोनों टांगें खोलकर, मेरे दिल में उत्तेजना की लहरें दौड़ रही थीं। लेकिन साथ में डर भी था। राकेश मेरे पास आए, लेकिन उनका लंड खड़ा ही नहीं हो रहा था। मैंने सोचा, शायद पहली रात की घबराहट है।
मैंने उनके लंड को हाथ में लिया। वो सिर्फ 4 इंच का था, पतला, सूखा सा, जैसे कोई बच्चे का खिलौना। मैंने उसे मुँह में लिया, जीभ से चाटा, सुपाड़े को चूसा, लेकिन वो मुश्किल से खड़ा हुआ। मेरे मन में निराशा की लहर दौड़ गई। इतना छोटा? इतना कमजोर? ये मेरे सपनों का वो मर्द नहीं था। मैंने घंटों कोशिश की, जीभ से उसके सुपाड़े को सहलाया, लंड को मुँह में गहराई तक लिया, लेकिन राकेश बस हल्का सा सख्त हुए। आखिरकार, वो मेरे ऊपर चढ़े। मेरी चूत में उनका लंड डाला, लेकिन दोस्तों, सिर्फ 2 मिनट में वो झड़ गए। “अहह… अनुपमा…” वो सिसकते हुए बोले और ढेर हो गए। मेरी चूत अभी गीली भी नहीं हुई थी, और वो खर्राटे मारकर सो गए। मेरी आँखों में आँसू आ गए। ये मेरी जवानी का अपमान था। मैंने सारी रात करवटें बदलीं, सो नहीं पाई। मेरे सपने, मेरी ख्वाहिशें, सब चूर-चूर हो गए।
कमरे में फूलों की मालाएँ, बिजली की झालरें, सब मेरे दर्द का मजाक उड़ा रही थीं। मैंने सोचा, शायद ये बस पहली रात की बात है। लेकिन अगली रात भी वही हुआ। राकेश ने 4-5 धक्के मारे, “उह… उह…” की आवाजें निकालीं, और झड़ गए। मेरी चूत की गहराई तक उनका लंड कभी नहीं पहुँचा। मेरी माँ ने फोन किया, हालचाल पूछा। मैं मन में चीख रही थी, “माँ, तुम तो पापा से रात भर चुदवाती हो, और मुझे इस नामर्द के साथ बाँध दिया!” लेकिन मैं चुप रही। मुझे अब इसी जिंदगी को जीना था।
शादी का एक महीना बीत गया। राकेश ने मुझे 30 बार चोदा, लेकिन हर बार 4-5 धक्कों में झड़ जाते। मेरी चूत की प्यास कभी नहीं बुझी। हर रात मैं रोती थी, अपनी जवानी को कोसती थी। मैंने अपनी सहेलियों की बातें याद कीं, जो चरम सुख की कहानियाँ सुनाती थीं। मैंने सोचा, क्या मेरी जिंदगी ऐसी ही कटेगी?
एक दिन मैं बाजार के लिए पवन को बुलाने उसके कमरे में गई। पवन, हमारा 19 साल का नौकर, 5 फुट 10 इंच का, गठीला, सांवला, चौड़े कंधों वाला, मजबूत बाजुओं वाला लड़का। उसका चेहरा रफ था, लेकिन आँखों में एक चमक थी। वो हमेशा टाइट बनियान और शॉर्ट्स में रहता था, जिससे उसकी मांसपेशियाँ साफ दिखती थीं। मैंने दरवाजा खोला, तो देखा पवन नंगा था, मुठ मार रहा था। उसका लंड, दोस्तों, कमाल का था। 9 इंच लंबा, मोटा, सख्त, जैसे कोई लोहे की रॉड। उसका सुपाड़ा गुलाबी, चमक रहा था, और नसें उभरी हुई थीं। मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। मेरी चूत में एक अजीब सी हलचल हुई, मेरे निप्पल सख्त हो गए।
मैंने अपनी चटक नीली साड़ी का पल्लू धीरे-धीरे सरकाया। मेरा बैकलेस ब्लाउज, जो मेरे मम्मों को मुश्किल से ढक रहा था, उसका गहरा गला मेरे गोरे मम्मों को और उभार रहा था। मैंने पवन की आँखों में देखा, वो हड़बड़ा गया। “मेमसाब… ये… ये क्या?” उसने काँपते स्वर में कहा। मैंने उंगली होंठों पर रखी, “शशश… चुप!” मैं उसके पास गई, घुटनों के बल बैठ गई। उसका लंड मेरे सामने था, गर्म, सख्त, और भारी। मैंने उसे हाथ में लिया, उसकी गर्मी मेरे हाथों में महसूस हुई। मैंने जीभ निकाली, सुपाड़े को चाटा, उसका नमकीन स्वाद मेरे मुँह में घुल गया। “उहह… मेमसाब…” पवन सिसक उठा।
मैंने उसका लंड मुँह में लिया, धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। मेरी जीभ उसके सुपाड़े पर गोल-गोल घूम रही थी, मैंने लंड को गहराई तक लिया, मेरे होंठ उसके तने पर फिसल रहे थे। “आहह… मेमसाब… ये… गलत है…” पवन ने कहा, लेकिन उसकी सिसकियाँ बता रही थीं कि वो रुकना नहीं चाहता। मैंने आधा घंटा उसका लंड चूसा, कभी जीभ से चाटा, कभी मुँह में गहराई तक लिया। मेरा गला उसकी गर्मी से भर गया। मैंने अपने ब्लाउज के हुक खोले, एक-एक करके। मेरा नीला ब्लाउज फर्श पर गिरा, मेरी काली लेस वाली ब्रा मेरे मम्मों को मुश्किल से ढक रही थी। मैंने ब्रा भी उतार दी। मेरे गोरे मम्मे, जिनके निप्पल गुलाबी और सख्त थे, उछलकर बाहर आ गए।
“पवन… चोद मुझे… अपनी मेमसाब को खुश कर दे…” मैंने कहा, मेरी आवाज में प्यास थी। मैं बिस्तर पर लेट गई, साड़ी को कमर तक उठाया। मेरी गोरी जाँघें खुली थीं, मेरी चूत गीली हो चुकी थी, उसके होंठ फूल गए थे। पवन मेरे ऊपर चढ़ा, उसने मेरे मम्मों को मुँह में लिया। “आहह… पवन… चूस ले… मेरे दूध पी ले…” मैं सिसक उठी। उसने मेरे निप्पल को चूसा, जीभ से सहलाया, मेरे मम्मों को दबाया। मेरी चूत में आग लग रही थी। “चोद बेटा… अब देर मत कर…” मैंने उससे कहा।
पवन ने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा। उसका सुपाड़ा मेरे भगनासे को छू रहा था। “मेमसाब… तैयार हो?” उसने पूछा। “हाँ… डाल दे… पूरा डाल…” मैंने सिसकते हुए कहा। उसने धीरे से लंड अंदर धकेला। “आहह… उहह…” मेरी सिसकियाँ निकल गईं। उसका 9 इंच का लंड मेरी चूत की गहराई तक गया, जहाँ राकेश का लंड कभी नहीं पहुँचा था। “खट-खट… खट-खट…” उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर होने लगा। “आहह… पवन… और जोर से… चोद मुझे…” मैं चीखी।
पवन ने रफ्तार बढ़ाई। “मेमसाब… आपकी चूत कितनी टाइट है… उहह…” उसने कहा। मैंने अपनी टांगें और चौड़ी कीं, साड़ी को और ऊपर उठाया। मेरी चिकनी कमर, गोरी जाँघें, सब खुला था। “चोद बेटा… मेरी चूत फाड़ दे… आहह…” मैं सिसक रही थी। पवन ने मुझे घोड़ी बनाया। “मेमसाब… अब पीछे से लो…” उसने कहा और मेरे चूतड़ों को दबाया। उसने अपना लंड मेरी चूत में पीछे से डाला। “खट-खट… चप-चप…” मेरी चूत की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। “आहह… पवन… और गहरा… उहह…” मैं चीख रही थी।
पवन ने मेरे मम्मों को पकड़ा, उन्हें दबाते हुए मुझे पेला। मेरी चूत गीली थी, उसका लंड फिसल रहा था। “मेमसाब… आपकी चूत का मक्खन… उहह… कमाल है…” उसने कहा। मैंने अपने भगनासे को सहलाना शुरू किया, मेरी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थीं। “आहह… पवन… चोद… और जोर से…” मैं चीखी। पवन ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं। “अब लो मेमसाब… पूरा लंड…” उसने कहा और गहराई तक धक्के मारे। “खट-खट… चप-चप…” मेरी चूत की दीवारें उसके लंड से रगड़ रही थीं।
20 मिनट हो चुके थे। मैंने दीवार की घड़ी देखी। राकेश तो अब तक 3 बार झड़ चुका होता। “शाबाश पवन… चोद… 500 रुपये दूँगी तुझे… बस चोदता रह…” मैंने कहा। पवन ने और जोर लगाया। मेरी चूत में आग लग रही थी, मेरा भगनासा फूल गया था, मेरी साँसें तेज थीं। “आहह… उहह… पवन… मेरी चूत… फट रही है…” मैं सिसक रही थी। पवन ने मुझे कुतिया की तरह चोदा, फिर मुझे अपनी गोद में बिठाया। “मेमसाब… अब ऊपर-नीचे करो…” उसने कहा। मैं उसके लंड पर बैठ गई, मेरी चूत उसके लंड को निगल रही थी। “आहह… पवन… तेरा लंड… मेरी चूत में… उहह…” मैं उछल रही थी।
1 घंटा बीत गया। पवन ने मुझे अलग-अलग तरीके से चोदा। कभी घोड़ी बनाकर, कभी मेरी टांगें उठाकर, कभी मुझे अपनी गोद में बिठाकर। मेरी चूत से रस टपक रहा था, मेरे मम्मे उछल रहे थे। “पवन… तू कमाल है… आहह…” मैं चीख रही थी। आखिरकार, पवन मेरी चूत में झड़ गया। “उहह… मेमसाब…” उसने सिसकते हुए कहा। मैंने महसूस किया कि मेरी चूत में गर्म लावा बह रहा था। मैंने चरम सुख पा लिया था। मेरी साँसें तेज थीं, मेरा चेहरा तमतमा रहा था।
मैं अपने कमरे में लौटी, नहाई। राकेश जब शाम को आए, मैंने उन्हें गले लगाया। “जान, आज तुम बड़े अच्छे मूड में हो?” उन्होंने पूछा। “हाँ जान… आज तुम्हारी याद आ रही थी…” मैंने कुटिल मुस्कान के साथ कहा। मैं उन्हें क्या बताती कि आज पवन ने मेरी चूत की प्यास बुझाई थी। शाम को पवन चाय लेकर आया। मैंने उसे 500 का नोट दिया। “अच्छा काम, पवन… ऐसे ही सेवा करता रह…” मैंने कहा। वो हँसा और चला गया।
अगले दिन, राकेश सुबह 10 बजे ऑफिस चले गए। मैंने पवन को अपने कमरे में बुलाया। “आ बेटा… अपनी मेमसाब को चोद…” मैंने कहा। मैंने अपनी हरी साड़ी उतारी, धीरे-धीरे। मेरा क्रीम रंग का ब्लाउज, मेरी ब्रा, सब उतर गया। मैं पूरी नंगी थी। पवन का लंड फिर से तैयार था। मैंने उसे मुँह में लिया, चूसा, जीभ से चाटा। “आहह… मेमसाब… आपका मुँह… उहह…” पवन सिसक रहा था। मैं बिस्तर पर लेट गई, पवन मेरे ऊपर चढ़ा। उसने मेरी चूत में लंड डाला, और धीरे-धीरे पेलना शुरू किया। “खट-खट… चप-चप…” मेरी चूत फिर से गूँज उठी। “आहह… पवन… चोद… मेरी चूत फाड़ दे…” मैं चीख रही थी।
पवन ने मुझे 3 घंटे चोदा। कभी मेरे मम्मों को चूसा, कभी मेरी चूत को चाटा, कभी मुझे घोड़ी बनाया। मेरी चूत रस से लबालब थी। “आहह… उहह… पवन… तू मेरा राजा है…” मैं सिसक रही थी। आखिरकार, वो मेरी चूत में झड़ गया। मैंने उसे गले लगाया, उसके माथे को चूमा। मैं उसकी दीवानी हो चुकी थी।
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