पापा के दोस्त की हॉट बीवी की चुदाई

Aunty sex story – Oral sex story: मेरा नाम विजय है और मैं 21 साल का हूं। मैं हमेशा चूत की तलाश में रहता था, वासना में पूरी तरह डूबा हुआ। आज की कहानी मेरी और काजल आंटी की है, जो मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त की बीवी थीं।

आंटी के घर आना-जाना बहुत था, क्योंकि उनका कोई बच्चा नहीं था और घर का कोई काम होता तो आंटी मुझे ही बुलाती थीं। आंटी की उम्र 38 साल थी, लेकिन लगती कम उम्र की ही थीं। उनका फिगर 32-34-35 का था, गोरा बदन, बड़े-बड़े बूब्स और मोटी गांड। जब भी मैं उनके बूब्स देखता, मुंह में पानी आ जाता और गांड देखकर मन करता कि पकड़कर जोर से चोद दूं, लेकिन डर के मारे रुक जाता।

एक दिन मैं आंटी के घर गया तो वे अकेली थीं। मैं सीधे कमरे में चला गया। आंटी बेड पर लेटी हुई थीं, ब्रा नहीं पहनी थी और उनकी कमीज से निप्पल साफ दिख रहे थे, गुलाबी और सख्त। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया, पैंट में तंबू सा बन गया। मैं आंटी के पास बेड पर बैठ गया, मेरा खड़ा लंड साफ दिख रहा था।

मेरा ध्यान पूरी तरह आंटी के बूब्स पर था, वे उफनाते से लग रहे थे। आंटी भी मेरे लंड को बार-बार देख रही थीं, उनकी सांसें थोड़ी तेज हो गई थीं।

आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा, “विजय, कैसे आया? कोई काम है क्या?”

मैंने कहा, “नहीं आंटी, ऐसे ही बातें करने आ गया।”

आज आंटी का नजरिया अलग लग रहा था, आंखों में एक अजीब चमक थी।

आंटी बोलीं, “विजय, कोई गर्लफ्रेंड बनाई है या नहीं?”

मैंने शरमाते हुए कहा, “आंटी, हमारी किस्मत में कहां गर्लफ्रेंड।”

फिर मैंने पूछा, “आंटी, एक बात बोलूं? अंकल को तो नहीं बताओगी ना?”

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आंटी ने कहा, “नहीं बताऊंगी, बोलो क्या बात है।”

मैंने कहा, “आंटी, सच बताना, शादी से पहले कोई बॉयफ्रेंड था?”

आंटी पहले मानी नहीं, लेकिन मैंने जिद की तो बोलीं, “हां, एक था।”

मैंने उत्साह से कहा, “आंटी प्लीज, वो स्टोरी बताओ ना। मेरी तो अभी तक कोई गर्लफ्रेंड नहीं है, मुझे पता ही नहीं क्या-क्या होता है।”

आंटी मेरे कहने पर मान गईं और अपनी पुरानी लव स्टोरी बताने लगीं। रातों को बातें करना, छिपकर मिलना। मैंने उन्हें पुरानी यादें दिलाकर उनका मूड गर्म कर दिया। आंटी की आंखें चमक रही थीं, सांसें भारी।

फिर मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और धीरे से कहा, “आंटी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं।”

आंटी चौंकीं, “विजय, ये क्या बोल रहा है?”

मैंने कहा, “आंटी, कब से कहना चाहता था, लेकिन डरता था।”

आंटी बोलीं, “ये नहीं हो सकता।”

मैंने उन्हें बहलाया, “आंटी, आपकी लाइफ में फिर से प्यार आ जाएगा। डर मत करो, किसी को पता नहीं चलेगा। हम दोनों पर शक कौन करेगा?”

आंटी चुप हो गईं, उनकी आंखें नीची। फिर बोलीं, “विजय, कल को तेरे अंकल को पता चल गया तो मैं मुंह नहीं दिखा पाऊंगी।”

मैंने कहा, “बताएगा कौन आंटी?”

आंटी की ये बात सुनकर समझ गया कि उनकी हां है। मैंने उनके होठों पर अपने होठ रख दिए, चूसने लगा। आंटी पहले रुकीं, लेकिन जल्दी ही साथ देने लगीं। मैं धीरे-धीरे उनके चेहरे को चूम रहा था, गर्दन पर किस कर रहा था। आंटी की सांसें तेज, बदन गर्म हो रहा था। उनकी खुशबू मुझे पागल बना रही थी।

आंटी ने मुझे धकेला और बोलीं, “ये ठीक नहीं विजय।”

लेकिन मैं कहां रुकने वाला था। मैंने कहा, “आंटी, आज से तुम मेरी हो, मत रोको प्लीज।”

आंटी कुछ समझ नहीं पा रही थीं। मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया और गर्दन चूमने लगा। आंटी धीरे-धीरे मूड में आ रही थीं, लेकिन रोकना भी चाहती थीं। हम दोनों वासना में डूब गए। आंटी ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे होठों को पागलों की तरह चूसने लगीं, “उम्म्म्म… विजय… आह्ह…”

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मैं भी उनके होठ नोच रहा था। होठ चूसते-चूसते मैंने आंटी की कमीज उतार दी। उनके बड़े-बड़े बूब्स नंगे हो गए, गुलाबी निप्पल सख्त। मैं कुत्ते की तरह टूट पड़ा, एक बूब को मुंह में लेकर चूसने लगा, दूसरे को जोर-जोर से दबा रहा था। आंटी की पीठ सहला रही थीं, नाखून गड़ा रही थीं, “आह्ह… विजय… धीरे… ओह्ह्ह… कितना अच्छा लग रहा है…”

आंटी ने मेरी पैंट खोल दी और मेरे लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगीं। मेरा लंड पत्थर सा हो गया।

मैंने सांस फूलते हुए कहा, “आंटी, क्या मेरा लंड चूसोगी?”

आंटी शरमाते हुए बोलीं, “नहीं विजय, मैंने तेरे अंकल का भी कभी नहीं चूसा, और उन्होंने मेरी चूत कभी नहीं चाटी।”

मैंने मुस्कुराकर कहा, “आंटी, आज मैं तुम्हें असली सेक्स का मजा दिखाता हूं।”

मैंने आंटी की सलवार उतार दी। पैंटी भी नहीं थी, चूत पर हल्के बाल, गीली हो रही थी। मैंने हाथ से चूत मसलनी शुरू की, उंगली अंदर-बाहर करने लगा। आंटी तड़प रही थीं, “आह्ह… विजय… कितना मजा आ रहा… इह्ह्ह… ओह्ह… अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ…”

चूत पूरी गीली हो गई, रस बह रहा था। मैंने जीभ चूत पर लगाई, क्लिट से खेलने लगा। आंटी ने चादर कसकर पकड़ ली, कमर उछाल रही थीं, “आआह्ह्ह… विजय… ये क्या कर रहा है… ओह्ह्ह्ह… ह्ह्हीईई… आह्ह्ह… मत रोक… चाट ना… जोर से… उइइइ…”

मैं जीभ से जोर-जोर से चोदने लगा, चूत का रस चाट-चाटकर निचोड़ रहा था। आंटी जोर से झड़ीं, मेरे मुंह में पानी छोड़ दिया, “आआह्ह्ह्ह… विजय… तूने जीभ से ही चोद दिया… मेरा रस निकाल दिया… ओह्ह्ह्ह…”

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आंटी सांस लेते हुए बोलीं, “अब तू लेट, मैं तेरा पानी निकालती हूं।”

मैं लेट गया। आंटी मेरे ऊपर आईं, मेरे बदन को चूमने लगीं। फिर लंड हाथ में लिया, मुंह से थूक लगाकर चूत पर रगड़ने लगीं। मेरा बुरा हाल था, “आंटी… प्लीज… अंदर डालो…”

आंटी लंड पर बैठीं, एक झटके में पूरा लंड चूत में घुस गया। आंटी की छोटी चीख निकली, “आआह्ह्ह… कितना मोटा है…”

फिर आंटी कूदने लगीं, मैं उनके बूब्स दबा रहा था। आंटी की आवाजें, “आह्ह… ओह्ह… विजय… जोर से… चोद मुझे… ह्ह्ह… आऊऊ… ऊइइइ…”

थोड़ी देर बाद मैं झड़ गया, चूत में ही सारा माल छोड़ दिया। लंड ढीला पड़ गया। आंटी अभी भी कूद रही थीं, जब पता चला तो नाराज होकर चांटा मार दिया और बाथरूम में चूत साफ करने गईं।

मैंने कपड़े पहने और बाथरूम में जाकर आंटी को किस किया, “जानू, सुबह आऊंगा।”

अब जब भी आंटी अकेली मिलतीं, मैं चोदने पहुंच जाता। आंटी को अब मेरे से चुदाई में असली मजा आने लगा था।

आपको मेरी और आंटी की ये कहानी कैसी लगी? अगर कोई गलती हुई तो माफ करना।

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