नमस्ते, मेरी प्यारी गुलाबी रस्स से भरी हुई चूत और सब दोस्तों का मैं मनप्रीत कौर दिल और चूत खोल कर स्वागत करती हूँ। ये मेरी पहली कहानी है, जो आज मैं लिख रही हूँ।
मैंने इंटरनेट पर आप सब दोस्तों की बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। उन में से मुझे जैसी काफ़ी लड़कियाँ भी हैं। जो अपनी चुदाई की कहानी लिखती हैं। सच बोलूँ तो आप सब की कहानी पढ़ कर मेरी चूत में रस्स भर आता है।
आज मैं अपनी दोनों टाँगें खोल कर, फिर अपने हाथों से अपनी चूत खोल कर, आप सब दोस्तों को देना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ, कि लड़के सब अपना लंड एक बार मेरी चूत में पूरा डाल दें। और लड़कियाँ मेरी चूत में अपनी पूरी जीभ एक बार डाल दें।
आप बस ये एक बार सोच लो फिर आगे की कहानी पढ़ना। मुझे उम्मीद है, जो मैंने कहा है वो आपने किया होगा। तो अब कहानी को शुरू करते हैं।
जैसे कि मैंने बताया कि मेरा नाम मनप्रीत कौर है। मैं पंजाब की मस्त पंजाबन जट्टी हूँ। मेरी उम्र 24 साल है और मेरी शादी मेरे पापा ने 21 साल में ही कर दी थी। हमारे पंजाब में लड़की जैसे ही 18 की हुई नहीं, तभी उसकी शादी की बात शुरू कर देते हैं।
मेरी शादी 21 साल में हुई थी। तब तक मैं एक जवान हो गई थी। मेरी चूत और मेरी गांड लंड के लिए तरस रही थी। हम पंजाब की लड़कियों में सेक्स तो कूट-कूट कर भरा होता है। पर क्या करें हमारी शादी ऐसे चूतियों से हो जाती है।
जिस में जरा भी दम नहीं होता। सच बोलूँ जैसे हमारे पंजाब की सनी लियोनी उछल-उछल कर खुद अपनी गांड में लंड लेती है। वैसे पंजाब की हर लड़की करना चाहती है। पर हमें इतना दमदार लंड मिलता नहीं, इसलिए हमारे सपने अधूरे रह जाते हैं।
जब मेरी शादी हुई तो मैं शादी की पहली रात पर ही बहुत निराश हो गई थी। मेरे पति का लंड तो 5 इंच का था। पर वो उनका लंड पतला था, और वो 5 मिनट से ज़्यादा चुदाई नहीं कर पाते थे।
मुझे लंड चूसना शुरू से ही काफ़ी अच्छा लगता था। इसलिए मैं 2 मिनट में ही उनके खड़े लंड को झट से खड़ा कर देती थी। और फिर उनके पर उछल-उछल कर चुदती थी।
आप मेरे दोस्त मेरी बात पर यकीन नहीं मानेंगे, कि मैंने अपनी शादी के तीसरे दिन ही अपनी गांड मरवा ली थी। क्या करूँ मेरे अंदर सेक्स ही इतना था, कि मैं चाहती थी। कि जिस्म के सारे छेद में एक बार लंड डाल कर वहाँ का स्वाद ले लूँ।
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मैं जैसे-तैसे अपने पति से अपना काम चला रही थी। पर मेरी जवानी अभी भी खुश नहीं हो पा रही थी। मैं चाहती थी, कि कोई मेरे बूब्स को ऐसे पकड़े कि उसको मसल कर उसका जूस निकाल दे। और मेरी चूत में ऐसा लंड जाए, जो मेरी चूत को चोद-चोद कर पूरा लाल कर दे।
खैर धीरे-धीरे टाइम निकलता चला गया, मैं एक दिन अपने घर वापस ऐसे ही मम्मी पापा से मिलने आई। वैसे मेरा एक छोटा भाई भी था, जिसकी शादी अभी हाल में ही हुई थी।
मैं जब घर आई तो देखा कि मेरा भाई और भाभी हनीमून पर गए हुए हैं। इसलिए घर पर सिर्फ़ मम्मी और पापा ही थे। मेरे पापा आर्मी में थे, अब उनकी ड्यूटी खत्म हो गई है। इसलिए अब वो घर पर ही रहते हैं।
मैं अपने मम्मी पापा से मिल कर काफ़ी खुश थी। पर घर आते ही, मेरी चूत और गांड में चुदाई की खुजली होने लग गई। मुझे समझ नहीं आ रहा था, कि ये मेरे साथ क्यों हो रहा है। अब मुझे टेंशन होने लग गई।
क्योंकि मेरे घर के आस-पास मेरा कोई यार नहीं था। जिस के पास जा कर मैं अपनी ये चुदाई की खुजली शांत करवा सकूँ। पर मुझे ये नहीं पता था, कि खुजली नहीं। ये तो मेरी जोरदार चुदाई का सिग्नल था। जिसे मैं समझ नहीं पा रही थी।
रात होने वाली थी, तभी डोर बेल बजी। मैंने उठ कर डोर ओपन किया और डोर खुलते ही मैंने देखा कि मेरे सामने चार चौड़ी छाती वाले चार मर्द खड़े हैं। चारों दिखने में ही काफ़ी दमदार मर्द लग रहे थे। तभी पापा पीछे से बोलते हुए आए।
पापा – ओह हो मेरे आँखों के चार सितारे मेरे चार शेर आयो यार, अंदर आयो। अरे बेटी ये मेरे दोस्त हैं, प्लीज इन्हें अंदर आने दो।
पापा के कहने पर मैं साइड हट गई और फिर वो चारों मुझे ऊपर से नीचे तक देखते हुए अंदर आ गए। उस टाइम मेरा फिगर कुछ ऐसा था, कि मेरे बूब्स 36 के थे। जो मेरा कुर्ता फाड़ने वाले होते थे।
मेरी कमर 30 की और मेरी गांड जिस देख कर काफ़ी बार पापा के मुँह में भी पानी आ जाता था, वो 40 की थी। मेरे मोटे-मोटे चूतड़ किसी को भी पागल करने के लिए काफ़ी थे। उन सब ने मुझे और मेरे बूब्स को अच्छे से देखा था।
दरअसल उस टाइम मैं डीप नेक वाला सूट डाला हुआ था। मैं घर पर ही थी, इसलिए मैंने चुन्नी भी नहीं ली थी। इसलिए मेरे बूब्स ऊपर से आधे नंगे ऐसे ही दिख रहे थे। फिर पापा ने सबसे मुझे मिलाया और बोले।
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पापा – बेटी ये हैं वर्मा अंकल, ये हैं राणा अंकल, ये हैं सैनी अंकल और आखिर में मेरा भाई ये हैं सिंह अंकल। हम सब एक साथ आर्मी में गए थे और एक साथ ही वापस आए हैं।
राणा अंकल ने मुझे पकड़ा और मेरे कमर पर हाथ फेरते हुए बोले – बेटा मैंने तुझे बचपन में देखा था। तब तू बहुत छोटी थी, पर आज तो तू एकदम जवान हो गई है।
ये कहते-कहते उनका एक हाथ पूरा मेरी कमर से मेरे चूतड़ तक चला गया था। उनके इस टच से मैं ऊपर से लेकर नीचे तक एक बार काँप उठी। उनके इस टच से मैं जान गई थी। आज तो मैं पक्का इनसे चुद कर ही जाऊँगी।
फिर बाकी सबने मुझे गले से लगा लिया। सलो ने गले से क्या लगाया मेरे दोनों बूब्स को अपनी छाती से अच्छे से दबा दिया। मेरी चूत में करंट सा चलने लग गया।
उनकी इस हरकत से मुझे पता चल गया था, कि सारे साले एक नंबर के ठरकी हैं। फिर मैं किचन में गई और सब के लिए चाय बना कर ले कर आई। मैं जब झुक कर एक-एक को चाय दे रही थी। तब सबकी नजरें मेरे बूब्स पर थीं।
क्योंकि मेरे नंगे बूब्स जो उन्हें दिख रहे थे। फिर उसके बाद राणा अंकल ने मुझे अपने पास बिठा लिया और फिर सब चाय पीते-पीते बातें करने लग गए। राणा अंकल मुझसे बात कर रहे थे, पर बातों-बातों में वो मेरी कमर पर अपने हाथ चला रहे थे।
मैं उन्हें कुछ नहीं कह रही थी, इसलिए उनकी हिम्मत और भी बढ़ती जा रही थी। धीरे-धीरे उनके हाथ मेरी कमर से मेरी गांड तक आ गए। ये बात बाकी तीनों अच्छे से नोटिस कर रहे थे।
पर मेरे पापा को इस बात का जरा भी पता नहीं चला। बीच-बीच में राणा अंकल मेरे चूतड़ों को अपने हाथ में पकड़ कर अच्छे से मसल देते थे। उस टाइम मैं अपने मुँह से हल्के से आह आह निकाल जाती थी।
फिर इतने में मुझे मम्मी ने बुला लिया। मैं और मम्मी सबके लिए डिनर बनाने लग गई। मैंने मम्मी के कहने पर ऊपर वाले रूम में उन सब का डिनर बना कर रख दिया। पापा और मैंने सबको अच्छे से डिनर करवाया।
मम्मी की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वो अपनी नींद की गोली ले कर नीचे अपने रूम में सो गई। अब मैं ही पापा और उनके दोस्तों की सेवा कर रही थी।
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डिनर के बाद वो सब शराब पीने के लिए बैठ गए। मैं जब नीचे किचन से नमकीन ला कर उनके सामने रखी और वापस जाने लगी। तभी राणा अंकल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोकते हुए बोले।
राणा – अरे मनप्रीत बेटा तुम कहाँ जा रही हो?
सच बोलूँ तो अंकल ने मेरे दिल की बात सुन ली थी। मैं भी उनके पास बैठना चाहती थी। अब भला मुझे अपनी चुदाई साफ दिख रही है, तो मुझे नींद कैसे आती।
मैं – बस अंकल मैं आप सब के साथ बैठ कर क्या करूँगी, मैं नीचे जा कर सोती हूँ।
सिंह अंकल – अरे तू पागल है मेरी बेटी। अब तू बड़ी हो गई है, अब तू हमारे साथ बैठ सकती है। अब तो मज़ा आएगा, जब हम सब तेरे पापा की आर्मी की बातें तुझे बताएँगे। हाँ भाई मैं सही कह रहा हूँ ना?
पापा – हाँ भाई तू ठीक कह रहा है। बेटी तू थोड़ी देर यहीं बैठ कर मेहफ़िल का मज़ा ले, हमारे साथ बैठ कर।
सिंह और राणा की बात सुन कर मैं समझ गई थी, कि ये साले बहुत चालाक हैं। कैसे मेरे पापा को बातों-बातों में बोतल में उतार लिया साला ने।
दोस्तों, मुझे माफ़ करना मुझे अब अपने पति से चुदना है। आगे की कहानी कल लिखूँगी। आप अभी मुझे ये बताओ कि अब तक की कहानी आपको कैसी लगी। तब तक मैं चुद कर आती हूँ।
कहानी का अगला भाग: पापा के चार फौजी दोस्त – भाग 2
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