पड़ोसी से चुद रही थी, पति और ससुर ने पकड़ लिया, फिर…

मैं अपनी कहानी खुद सुना रही हूँ। बदचलन, हाँ, ये शब्द मैं अपने लिए ही बोल रही हूँ। पर ये तुम्हें तय करना है कि मैं बदचलन हूँ या सही। अगर मैं रात को पड़ोसी लड़के से चुदाई करवाते पकड़ी गई, तो इसमें किसका दोष? मेरा, या मेरे हरामी पति का, या फिर उस दोगले ससुर का? तुम ही बताओ। मैं तो हर एक बात, हर एक पल का हिसाब दूँगी कि उस रात क्या हुआ। कैसे मैंने उस लड़के को चुदाई के लिए बुलाया, कैसे पकड़ी गई, और फिर कैसे बाप-बेटे ने मिलकर मुझे रात भर चोदा। और ये भी बताऊँगी कि आखिर में क्या हुआ जो हम तीनों के दिल के अरमान पूरे हो गए।

मैं दिल्ली में रहती हूँ। एक साधारण सी औरत, घर संभालती हूँ। पर घर में मैं अकेली औरत हूँ। मेरे पति, संजय, और मेरे ससुर, रमेश जी, बस यही मेरे साथ रहते हैं। मेरे पति एकलौते बेटे हैं, सास भी नहीं है। घर की सारी जिम्मेदारी मुझ पर है। पर दोस्तों, क्या बताऊँ, अपनी व्यथा किसे सुनाऊँ? जब से मेरी शादी हुई, तब से मेरे पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाए। संजय में वो मर्दानगी नहीं, जो एक औरत को चाहिए। उनकी कमजोरी ने मुझे अंदर से तोड़ दिया। सेक्स की भूख, वो आग जो हर इंसान के अंदर जलती है, वो मेरे अंदर भी थी। पर जब पति उसे शांत न कर पाए, तो मैं क्या करती? इंसान तो इधर-उधर भटकता ही है, चाहे मर्द हो या औरत। सेक्स तो चाहिए ही, पर ये ऐसी चीज है जो कोई खुलकर बता भी नहीं सकता।

मेरा मन इधर-उधर भटकने लगा। मैं ढूंढने लगी किसी ऐसे मर्द को, जो मेरी आग बुझा सके, जो मुझे वो सुख दे सके जो मैं तरस रही थी। मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता है, राहुल। बड़ा हैंडसम, जिम जाता है, स्टाइलिश, और थोड़ा बदमाश सा। उसकी मुस्कान, उसकी बॉडी, सब कुछ मुझे अपनी ओर खींचने लगा। धीरे-धीरे मैंने उसे अपने जाल में फँसा लिया। हमारी बातें शुरू हुईं, पहले तो बस नॉर्मल बातें, फिर धीरे-धीरे व्हाट्सएप पर खुलकर बातें होने लगीं। हमने एक-दूसरे को अपनी नंगी तस्वीरें भेजीं। मैं जब नहाने जाती, वो भी उसी वक्त नहाता। वीडियो कॉल पर हम एक-दूसरे के जिस्म देखते। उसका लंड खड़ा होता, तो मेरी चूत गीली हो जाती। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ देखकर वो “आह… क्या माल है तू!” कहता, और मैं शरमा कर हँस देती। ये सब चलता रहा। दो बार तो हम पहले भी चुदाई कर चुके थे, पर वो जल्दी-जल्दी में हुआ था। इस बार मैं चाहती थी कि खुलकर, बिना डर के, उससे चुदवाऊँ।

मुझे पता था कि संजय और ससुर रमेश जी को बरेली जाना है, जायदाद के कुछ काम के लिए। वो दोनों एक दिन के लिए गए थे, और मुझे मौका मिल गया। मैंने राहुल को पहले ही बता दिया था कि आज रात का प्लान पक्का है। पर उस दिन वो किसी काम से बाहर चला गया, तो बात नहीं बनी। फिर तीसरे दिन उसका फोन आया, “आज मैं फ्री हूँ। तेरे पति और ससुर घर पर हैं क्या?” मैंने कहा, “नहीं, वो लोग बस से सुबह तक आएँगे। तू रात 9 बजे आ जा।” मैंने टाइम दे दिया, और मन ही मन तैयार होने लगी। दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी, थोड़ा डर भी, पर वो चुदाई की प्यास उस डर से बड़ी थी।

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रात 9 बजे राहुल आया। मैंने गुलाबी रंग की सिल्क की नाइटी पहनी थी, अंदर कुछ नहीं। जैसे ही वो अंदर आया, मैंने दरवाजा बंद किया, और हम एक-दूसरे के गले लग गए। वो मेरे होंठों को चूमने लगा, जैसे भूखा शेर किसी हिरन पर टूट पड़ता है। मैंने भी उसके होंठ चूसे, उसकी जीभ मेरे मुँह में थी। “आह… कितना गर्म है तू, रानी,” उसने कहा, और मेरी चूचियाँ जोर-जोर से दबाने लगा। मैंने उसका लंड पकड़ लिया, जो पहले से ही टाइट हो चुका था। “राहुल, आज पूरी रात तू मेरा है,” मैंने धीमी आवाज में कहा। वो हँसा, “आज तेरी चूत फाड़ दूँगा, देख ले!” उसकी गंदी बातें सुनकर मेरी चूत और गीली हो गई।

हम जल्दबाजी नहीं करना चाहते थे। मेरे पास पूरी रात थी। मैंने सोचा, पहले अपने जिस्म को खूब गरम कर लूँ, ताकि चुदाई का मजा दोगुना हो। हमने धीमे-धीमे कपड़े उतारे। मैंने उसकी शर्ट खींची, उसने मेरी नाइटी ऊपर उठा दी। मेरी चूचियाँ नंगी हो गईं, और वो उन्हें देखकर पागल हो गया। “क्या माल है, साली!” कहकर वो मेरे निप्पल्स चूसने लगा। “आह… राहुल… और जोर से चूस!” मैं सिसकारी ले रही थी। उसने मेरी चूत पर हाथ फेरा, और उंगली अंदर डाल दी। मैं तड़प उठी। “उफ्फ… कितना गरम है तू!” मैंने उसका लंड पकड़ा और मुँह में ले लिया। उसका मोटा, 7 इंच का लंड मेरे गले तक जा रहा था। “आह… साली, तू तो रंडी से भी बढ़कर चूसती है!” वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह में धक्के मारने लगा। मैं भी पूरे जोश में थी, उसका लंड चूस रही थी, और मेरी चूत पानी छोड़ रही थी।

करीब आधा घंटा हम यूं ही एक-दूसरे को गरम करते रहे। वो मेरी गाँड में उंगली डाल रहा था, मेरी चूत चाट रहा था। मैं उसका लंड चूस रही थी, और हम दोनों के जिस्म आग की तरह जल रहे थे। आखिरकार, मैंने कहा, “राहुल, अब बर्दाश्त नहीं होता। डाल दे अपना लंड मेरी चूत में!” उसने मुझे बेडरूम में ले जाकर बेड पर लिटाया। मेरी टाँगें फैलाईं, और मेरी चूत को फिर से चाटने लगा। “उफ्फ… कितनी रसीली चूत है तेरी!” उसने कहा। फिर उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… माँ… कितना मोटा है!” मैं चीख पड़ी। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “ले साली, ले मेरा लंड! चूत फाड़ दूँगा आज!” वो गंदी बातें करते हुए मुझे चोद रहा था। “आह… राहुल… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत!” मैं भी चिल्ला रही थी। मेरी गाँड हवा में उठ रही थी, और वो मेरी चूचियाँ दबाते हुए मुझे चोद रहा था। हर धक्के के साथ मेरे जिस्म में बिजली दौड़ रही थी।

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रात के करीब 10:30 बज गए थे। हम दोनों चुदाई के नशे में डूबे हुए थे। तभी अचानक घर का डोरबेल बजा। मैं चौंक गई। इतनी रात को कौन हो सकता है? मुझे याद था कि संजय और ससुर सुबह तक आने वाले थे। मैंने सोचा, कोई और होगा, चला जाएगा। मैंने जल्दी से नाइटी डाली, अंदर कुछ नहीं पहना, और दरवाजे की ओर गई। राहुल बेड पर ही लेटा रहा, उसका लंड अभी भी खड़ा था। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। संजय और रमेश जी दोनों बाहर खड़े थे। “तुम लोग… इतनी जल्दी?” मैं हकलाते हुए बोली। संजय ने कहा, “हाँ, बस से नहीं आए, यमुना बाजार वाले अपनी कार से आ रहे थे, तो हम भी उनके साथ जल्दी निकल आए।” मेरे दिल की धड़कन रुक सी गई। तभी राहुल भी बेडरूम से उठकर गेट के पास आ गया। उसने मुझे नंगी हालत में देखा, और तुरंत बाहर निकल गया।

संजय और रमेश जी को सब समझ आ गया। मेरी ब्रा और पैंटी फर्श पर पड़ी थीं। टेबल पर कंडोम का पैकेट पड़ा था। संजय ने पहले मेरी ब्रा-पैंटी देखी, फिर कंडोम का पैकेट। “ये क्या है?” उसने गुस्से में पूछा। रमेश जी ने मुझे गालियाँ देना शुरू कर दिया, “बदचलन औरत! ये सब क्या कर रही थी?” मैं डर गई, पर मेरे अंदर का गुस्सा भी जाग उठा। “तुम लोग मुझे गालियाँ दे रहे हो? तुम्हें शर्म नहीं आती? संजय, तुम मुझे चोद नहीं पाते, मुझे खुश नहीं कर पाते! मुझे क्या करना चाहिए? मेरी भी जरूरतें हैं!” मैं चिल्लाई। मेरी बात सुनकर दोनों और भड़क गए। संजय ने दरवाजा बंद किया, और बोला, “आज तुझे दिखाते हैं कि मर्द क्या होता है!” रमेश जी ने कहा, “इस साली की गर्मी आज हम निकाल देंगे। चूत की भूख लगी है न? ले, आज तेरी गाँड और चूत दोनों फाड़ देंगे!”

मुझे बेडरूम में खींचकर ले गए। मेरे दिल में डर था, शर्म थी, पर कहीं न कहीं एक अजीब सा जोश भी था। संजय ने अपने कपड़े उतारे, और रमेश जी ने भी। संजय का लंड, जो पहले कभी इतना टाइट नहीं हुआ था, आज गुस्से में खड़ा था। रमेश जी का लंड भी मोटा और सख्त था। “ले, साली, अब ले मेरा लंड!” संजय ने मुझे बेड पर पटका और मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया। “आह… संजय… धीरे!” मैंने कहा, पर वो रुका नहीं। “चुप कर, रंडी! अब तुझे असली मर्दानगी दिखाता हूँ!” वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं दर्द और सुख के बीच झूल रही थी। “उफ्फ… आह… संजय… और जोर से!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी।

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तभी रमेश जी ने मेरी गाँड पर थप्पड़ मारा। “ये ले, साली! तुझे मोटा लंड चाहिए था न?” उन्होंने मेरी गाँड में उंगली डाली, और फिर अपना लंड मेरी गाँड पर सेट किया। “नहीं… ससुर जी… वहाँ नहीं!” मैंने थोड़ा डरते हुए कहा, पर मेरे अंदर की आग मुझे रोक नहीं रही थी। “चुप कर! आज तेरी गाँड फाड़ दूँगा!” उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी गाँड में घुस गया। “आह… माँ… मार डाला!” मैं चीख पड़ी। दोनों मिलकर मुझे चोद रहे थे—संजय मेरी चूत में, और रमेश जी मेरी गाँड में। “ले, साली! ये है असली चुदाई!” रमेश जी चिल्लाए। “आह… उफ्फ… हाँ… चोदो मुझे… और जोर से!” मैं भी अब खुलकर बोल रही थी। मेरे जिस्म में दर्द, सुख, और शर्म सब मिलकर एक तूफान बन गए थे।

पूरी रात वो दोनों मुझे चोदते रहे। कभी संजय मेरी चूत मारता, कभी रमेश जी मेरी गाँड। मैं बार-बार झड़ रही थी। “आह… ससुर जी… तुम्हारा लंड तो पत्थर जैसा है!” मैंने हाँफते हुए कहा। रमेश जी हँसे, “हाँ, साली, सालों बाद चूत मिली है, आज तुझे पूरा मजा दूँगा!” संजय भी अब पूरे जोश में था। “देख, अब मैं तुझे हर रात चोदूँगा!” उसने कहा। मैं हँस पड़ी, “हाँ, अब तो चोदो, वरना मैं फिर पड़ोसी को बुला लूँगी!” मेरी बात सुनकर दोनों और जोश में आ गए।

सच कहूँ, उस रात मुझे पहली बार वो सुख मिला, जो मैं सालों से तरस रही थी। रिश्ते, नाते, सब भाड़ में गए। मुझे चुदाई चाहिए थी, और वो मुझे मिली। संजय को अपनी मर्दानगी का एहसास हुआ, रमेश जी की सालों की प्यास बुझी, और मेरी चूत को वो मोटा लंड मिला, जो मैं चाहती थी। सुबह तक हम तीनों थककर चूर हो गए, पर खुश थे। अब तो ये सिलसिला चल पड़ा है। कभी संजय, कभी ससुर जी, मैं हर रात चुदती हूँ। गलत हो या सही, पर अब मैं संतुष्ट हूँ।

तो दोस्तों, आप ही बताओ, क्या मैं गलत थी? जब पति संतुष्ट न करे, तो औरत क्या करे? अपनी राय जरूर बताइए।

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