8 inch lund sex story – Padosan aunty sex story: मेरा नाम सुनील है, हरियाणा का पूरा देसी माल, कद 6 फीट, लंड 8 इंच का मोटा, काला और सख्त। हमारे पड़ोस में सुमन आंटी रहती हैं, उम्र 35 के करीब लेकिन जिस्म ऐसा कि 27-28 की नवेली बहू भी शर्मा जाए। जब वो आंगन में पानी भरने झुकती हैं तो साड़ी का पल्लू सरक जाता है, ब्लाउज़ की गहरी गर्दन से गोरे-गोरे बूब्स लटकते दिखते हैं, ब्रा की लेस तक चमकने लगती है। मैं दूर खड़े-खड़े लंड सहलाता और सोचता कि एक बार इन चुचों को मुँह में लेकर पूरा दूध चूस लूँ। उनकी मोटी-मोटी गाँड जब चलती है तो दो बड़ी-बड़ी लहरें बनाती हुई जैसे चिल्लाती है – आ सुनील, आज फाड़ दे मुझे।
आंटी का पति सुबह से शराब पीता है, रात को लड़ाई करता है, लंड खड़ा करना तो दूर, आंटी को छूता तक नहीं। आंटी मुझसे खुलकर बातें करती थीं, हँसती थीं, मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछती थीं। हर बार मैं सोचता – काश ये सवाल मेरे लंड के बारे में पूछें।
एक दोपहर मैं घर पर अकेला था। गर्मी बहुत थी, पंखा धीरे-धीरे चल रहा था, हवा में आंटी के घर से आ रही मसालों की खुशबू कमरे में घुली हुई थी। आंटी दूध लेने आईं, साड़ी हल्की गीली थी पसीने से, ब्लाउज़ बदन से चिपका हुआ था, बूब्स का शेप साफ दिख रहा था। मैंने मुस्कुराकर कहा, “आज अंदर आ जाओ ना आंटी, थोड़ी देर बातें करते हैं।” वो शरमाईं, फिर मेरे कमरे में चली आईं। हम बेड के किनारे बैठे, मैंने जानबूझकर अपना घुटना उनके घुटने से सटा दिया। उनकी त्वचा की गर्मी मेरे घुटने पर महसूस हो रही थी।
मैंने धीरे से उनकी कमर पर उंगलियाँ फेरते हुए कान में फुसफुसाया, “रात को मैं तुम्हारे नाम की मुठ मारता हूँ आंटी, सोचता हूँ तुम मेरे ऊपर चढ़कर उछल रही हो।” आंटी की साँसें एकदम तेज हो गईं, वो सर झुकाकर बोलीं, “चुप बदमाश, कोई सुन लेगा।” मैंने उनका हाथ पकड़ा और खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। अब उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर लग रही थीं, बदन से आ रही पसीने और परफ्यूम की मादक खुशबू मेरे नाक में घुस रही थी। मैंने कान में कहा, “सुमन, आज तेरी चूत मेरी है।” वो काँप गईं, फिर धीरे से बोलीं, “सुनील… दरवाज़ा बंद कर दे।”
मैंने दरवाज़ा लॉक किया और आंटी को दीवार से सटाकर खड़ा कर दिया। उनके होंठों पर अपने होंठ रखे, पहले हल्के से, फिर जीभ अंदर डालकर उनकी जीभ चूसने लगा। चक चक चक… लार की चिपचिपी आवाज कमरे में गूँजने लगी, आंटी के मुँह से हल्की इलाइची और दूध की खुशबू आ रही थी। वो भी पागल होकर मुझे चूमने लगीं, उनकी जीभ मेरे मुँह में लपेट रही थी, “उम्म्म्ह्ह्ह आह्ह सुनील… कितने दिन से तरस रही हूँ।”
मैंने उनका पल्लू धीरे से सरकाया, ब्लाउज़ के हुक एक-एक करके खोले। हर हुक खुलते ही बूब्स और आगे उछल रहे थे। आखिरी हुक खुलते ही बूब्स ब्रा से बाहर आए, मैंने एक निप्पल मुँह में लेकर जोर से चूसा, दाँत हल्के से काटा, “आअह्ह्ह्ह्ह सुनील… दाँत मत लगा… ओह्ह्ह्ह माँ कसम मजा आ गया रे।” दूसरा बूब हाथ से मसलते हुए मैंने कहा, “आज ये चुचे लाल कर दूँगा सुमन, तेरी याद में कितना माल खराब किया है मैंने।”
फिर मैंने आंटी को बेड पर लिटाया, साड़ी-पेटीकोट ऊपर उठाया। पसीने से भीगी सफेद पैंटी पर चूत का गीला धब्बा साफ दिख रहा था, हल्की सी मादक गंध कमरे में फैल गई। मैंने नाक उस पर टिका दी – उफ्फ्फ क्या खुशबू थी, पसीना, चूत का रस और हल्की मछली जैसी गंध मिली हुई। पैंटी साइड की तो चूत बिल्कुल गुलाबी, छोटे-छोटे मुलायम बाल, एकदम टाइट। मैंने जीभ से क्लिट को छुआ, आंटी ने मेरे सिर को अपनी मुलायम जाँघों में दबा लिया, “चाट रे सुनील… पूरा रस पी ले… तेरे अंकल ने कभी नहीं चाटी मेरी बुर… ओह्ह्ह्ह्ह ऊउइइइइ ह्हीईईई मर गई रे।” मैंने दो उंगलियाँ अंदर डालीं और जीभ से क्लिट चाटता रहा, चूत के अंदर की गर्मी और चिपचिपाहट मेरी उंगलियों पर महसूस हो रही थी। आंटी का बदन काँप रहा था, “आह्ह्ह्ह्ह झड़ रही हूँ… देख तेरी आंटी की चूत से पानी निकल रहा है।”
अब आंटी ने मेरा लोअर उतारा। मेरा 8 इंच का मोटा, काला लंड देखकर उनकी आँखें चौड़ी हो गईं, “बाप रे… ये तो घोड़े जितना है… अंकल का तो आधा भी नहीं था।” वो लंड को हाथ में लेकर प्यार से चूमने लगीं, नसों पर जीभ फेरते हुए बोलीं, “आज पूरा गले के नीचे लेना है मुझे।” फिर एकदम से मुँह में ठूँस लिया – ग्ग्ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग्ग गी गी गों गों गोग्ग्ग्ग – आँखों में पानी आ गया आंटी का, गले से खरखर की आवाज आ रही थी, फिर भी नहीं छोड़ा। मैंने उनका सिर पकड़कर हल्के धक्के दिए, पूरा लंड गले तक चला गया, नाक मेरे बालों से सट गई। कुछ देर बाद मैं झड़ गया, आंटी ने एक बूंद नहीं छोड़ी, सारा माल गले के नीचे उतार लिया और मुस्कुराईं, “तेरा तो बहुत स्वादिष्ट है रे।”
अब मैंने आंटी को घोड़ी बनाया। उनकी मोटी गाँड ऊपर थी, मैंने दोनों हाथों से गाल फैलाए, गुलाबी गाँड का छेद साफ दिख रहा था। आंटी खुद अपनी गाँड थपथपाते हुए बोलीं, “मार सुनील… गाँड पर लाल निशान बना दे… आज से तेरी रखैल हूँ मैं।” मैंने लंड पर थूक लगाई, चूत पर रगड़ा। आंटी बेचैन होकर कूल्हे पीछे धकेल रही थीं, “डाल ना मादरचोद… फाड़ दे आज… एक साल से भूखी हूँ।” मैंने एक जोर का धक्का मारा – आधा लंड अंदर, आंटी चीखीं, “आअह्ह्ह्ह्ह्ह मार डाला रे… धीरे…” दूसरा धक्का – पूरा लंड जड़ तक, चूत ने लंड को ऐसा जकड़ा जैसे कभी नहीं छोड़ेगी। मैंने कमर पकड़कर पेलना शुरू किया – ठप्प्प ठप्प्प ठप्प्प्प्प – पसीने की बूंदें आंटी की गाँड पर गिर रही थीं, कमरे में सिर्फ चमड़ी की चटक और आहों की आवाज थी। आंटी चिल्ला रही थीं, “हाँ सुनील… ऐसे ही… फाड़ दे चूत को… तेरी रंडी बना दे मुझे… आह्ह्ह्ह ऊउइइइइ ह्हीईईई झड़ रही हूँ रे।”
फिर मैंने आंटी को शीशे के सामने खड़ा किया, पीछे से लंड डाला और उनकी आँखों में आँखें डालकर चोदने लगा। शीशे में वो अपनी ही चुदाई देख रही थीं, बूब्स लहरा रहे थे, “देख सुनील… देख तेरी आंटी कितनी रंडी बन गई है… ओह्ह्ह्ह्ह मर गई… फिर से झड़ रही हूँ।”
आखिरी राउंड में आंटी मेरे ऊपर चढ़ीं, लंड पकड़कर चूत में डाला और उछलने लगीं। बूब्स ऊपर-नीचे लहरा रहे थे, पसीने की बूंदें मेरे सीने पर गिर रही थीं, “आह्ह आह्ह सुनील… आज तो चोदकर मार डालेगा क्या… हाँ हाँ वैसे ही… पूरा अंदर… माँ कसम मर गई।” मैंने फिर घोड़ी बनाया और तेज-तेज धक्के मारकर उनकी चूत में सारा गाढ़ा माल उड़ेल दिया।
हम दोनों पसीने से तर, बेड पर गिरे। आंटी मेरे सीने पर सर रखकर, मेरी छाती पर उंगलियाँ फेरते हुए बोलीं, “सुनील… आज पहली बार जी रही हूँ मैं… कभी मत छोड़ना मुझे।” उस दिन के बाद जब भी मौका मिलता, आंटी खुद मेरे कमरे में चली आतीं और चूत खोलकर खड़ी हो जातीं।
कहानी कैसी लगी, कमेंट में बताना।