मेरी मम्मी का नाम मोना है, और हम पंजाब के एक छोटे से गांव में रहते हैं, जहां खेतों की हरियाली और हवाओं की सनसनाहट दिन-रात गूंजती है। गांव छोटा है, लेकिन मम्मी की खूबसूरती की चर्चा हर गली-मोहल्ले में है। मम्मी की उम्र चालीस के आसपास है, लेकिन उनका जिस्म और चेहरा ऐसा है कि कोई बीस साल की लड़की भी शरमा जाए। उनका रंग दूध सा गोरा है, जैसे चांद की किरणें उनके बदन पर बस गई हों। मम्मी के मम्मे इतने बड़े और रसीले हैं कि हर मर्द की नजर उन पर अटक जाती है। उनकी गांड तो और भी कमाल की है—38 इंच की चौड़ी, गोल-मटोल, जैसे कोई लिम्का की बोतल, जो पीछे को उभरी हुई है। उनकी कमर 28 इंच की पतली है, जो उनके भारी चूतड़ों को और भी सेक्सी बनाती है। गांव में खेतों में काम करने की वजह से मम्मी का जिस्म एकदम कसा हुआ है, बिना जरा सा भी फैट।
मम्मी ज्यादातर सलवार-सूट या कुर्ती-पजामी पहनती हैं। उनके कपड़े इतने टाइट होते हैं कि उनके जिस्म की हर कर्व साफ उभरकर सामने आती है। खासकर उनकी पजामी, जो उनके चूतड़ों से इस कदर चिपकी रहती है कि उनकी गांड की पूरी शेप साफ दिखती है। जब हवा चलती है, तो उनकी कुर्ती उड़कर उनके भारी चूतड़ों को और नंगा कर देती है, और पैंटी की लाइन तक साफ झलकने लगती है। गांव के मर्द मम्मी को गंदी नजरों से घूरते हैं, जैसे भूखे भेड़िए किसी मासूम हिरनी को देख रहे हों। उनकी आंखों में लालच और जुनून साफ दिखता है, और हर मर्द का लंड उनकी एक झलक देखकर तन जाता है। मैं, उनका बेटा होते हुए भी, उनकी खूबसूरती का दीवाना हूं। मुझे शर्मिंदगी होती है, लेकिन सच कहूं तो मम्मी को देखकर मेरा लंड भी फनफनाने लगता है।
जब भी मौका मिलता, मैं उनके नंगे जिस्म को चोरी-छिपे देखता। मम्मी जब नहाने जातीं, तो मैं बाथरूम के कीहोल से उनकी गोरी, मक्खन जैसी गांड और छोटी, गुलाबी चूत को ताड़ता। उनकी चूत इतनी टाइट और साफ थी, जैसे किसी कुंवारी लड़की की। ये देखकर मेरा लंड तन जाता, और मैं उनकी कच्छी को अपने लंड पर रगड़-रगड़ कर मुठ मारता। उनकी कच्छी से आने वाली चूत की महक मुझे पागल कर देती थी। कई बार तो मैंने उनकी गीली कच्छी को सूंघते हुए इतनी मुठ मारी कि मेरी सांसे थम गईं। ये सब गलत था, लेकिन उस मजे का क्या कहना!
हमारे गांव में जाटों की बड़ी दबंगई है। वो जो चाहें, करते हैं। किसी को गाली देनी हो, पिटाई करनी हो, या कुछ और, कोई उनकी हिम्मत नहीं तोड़ सकता। उनके सामने गांव वाले सिर झुकाकर रहते हैं। एक दिन मैं और मम्मी शहर जा रहे थे। उस दिन मम्मी ने काली, गहरे गले वाली कुर्ती पहनी थी, जिसमें से उनके बड़े-बड़े मम्मे साफ झलक रहे थे। उनकी गहरी क्लीवेज देखकर कोई भी पागल हो जाए। नीचे लाल रंग की टाइट पजामी थी, जो उनके चूतड़ों से इतनी चिपकी थी कि पैंटी की लाइन तक साफ दिख रही थी। उस दिन तेज हवा चल रही थी, और मम्मी की कुर्ती बार-बार उड़ रही थी। उनके भारी चूतड़ और पतली कमर का नजारा हर किसी को मिल रहा था। सड़क पर लोग उन्हें देखकर ठहर जाते, जैसे स्वर्ग की अप्सरा धरती पर उतर आई हो। मम्मी ने उस दिन खूब मेकअप किया था—लाल लिप्सटिक, काला काजल, और गुलाबी ब्लश, जो उनकी गोरी चमड़ी पर और चमक ला रहा था।
हम एक कैब वाले ऑटो में बैठ गए। मैं ड्राइवर के पास आगे बैठा, और मम्मी पीछे। तभी चार हट्टे-कट्टे जाट, जो छह फुट से भी लंबे और पहलवानों जैसे थे, हमारे साथ ऑटो में चढ़ गए। सबने धोती और कमीज़ पहनी थी, और उनकी आंखों में एक जंगली चमक थी, जैसे शिकारी अपनी शिकार को देख रहे हों। मम्मी के दोनों तरफ दो-दो जाट चिपक कर बैठ गए। उनकी मोटी-मोटी जांघें मम्मी के जिस्म से टच हो रही थीं, और मम्मी की सांसें तेज हो गईं। ऑटो में सन्नाटा था, बस जाटों की भारी सांसों की आवाज़ और मम्मी की कुर्ती की सनसनाहट सुनाई दे रही थी।
पांच मिनट बाद हम मेन रोड पर पहुंचे, लेकिन ट्रैफिक इतना था कि गाड़ी रेंग रही थी। ड्राइवर ने कहा, “शॉर्टकट से ले चलता हूं,” और उसने गाड़ी जंगल वाले रास्ते की तरफ मोड़ दी। रास्ता सुनसान था। चारों तरफ घने पेड़ और झाड़ियां, और ऊपर चांद की हल्की रोशनी। गाड़ी की खिड़कियों से ठंडी हवा आ रही थी, लेकिन मम्मी के चेहरे पर पसीना था। तभी एक जाट ने मम्मी से मज़ाक शुरू किया।
जाट 1: “मैडम, कहां चल दिए इतना सज-धज के?”
जाट 2: “लगता से, अपने यार नु मिलन जा रही हो।”
मम्मी चुप रहीं, लेकिन उनकी सांसें और तेज हो गईं। उनके मम्मे कुर्ती में ऊपर-नीचे हो रहे थे। तभी ड्राइवर ने अचानक ब्रेक मारी, और गाड़ी रुक गई। इंजन से धुआं निकल रहा था। ड्राइवर ने कहा, “गाड़ी खराब हो गई है। मैं बाहर देखता हूं, शायद कोई मदद मिल जाए।” वो बाहर निकल गया। मम्मी भी गाड़ी से उतरकर रोड के किनारे खड़ी हो गईं, जैसे कुछ राहत पाना चाहती हों। जाट आपस में गंदी बातें करने लगे।
जाट 1: “यार, क्या माल है! इसने तो मेरा लंड खड़ा कर दिया।”
जाट 2: “सासुरी की गांड इतनी भारी है, जैसे जन्नत का खजाना।”
जाट 3: “मम्मे भी देख, भरे हुए दूध के कटोरे जैसे।”
जाट 4: “मौका है, बता, इसका काम तमाम कर दें?”
मैं आगे बैठा उनकी बातें सुन रहा था। मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन उनकी बातों से मेरा खून गरम हो रहा था। मम्मी मेरी मां थी, लेकिन उस पल में मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। एक अजीब सा जुनून सवार था। मैंने कहा, “रे भाई, ठीक बोला तू। ऐसा मौका फिर ना मिलेगा, फाड़ डालो साली को।”
मम्मी को बाहर खड़े आधा घंटा हो गया। कोई गाड़ी नहीं आई। सन्नाटे में सिर्फ झींगुरों की आवाज़ थी। तभी मम्मी को टॉयलेट जाना पड़ा। वो एक झाड़ी के पीछे चली गईं। ऑटो के शीशे से सब कुछ साफ दिख रहा था। मम्मी ने धीरे से अपनी लाल पजामी नीचे खिसकाई। उनकी गोरी, मक्खन जैसी गांड चांदनी में चमक रही थी। उनकी काली पैंटी चूतड़ों के बीच फंसी थी। फिर उन्होंने पैंटी भी उतार दी और मूतने बैठ गईं। उनकी चूत से पेशाब की धार निकल रही थी, और चांद की रोशनी में उनकी गोरी गांड और गुलाबी चूत चमक रही थी। जाटों के लंड तो देखते ही तन गए।
जाट 3: “ओह हो, ये तो केहर ढा रही है!”
जाट 2: “रे भाई, कुछ करना पड़ेगा।”
मैंने कहा, “गाड़ी में घुसा कर चोद दो इसका, किसी को पता नहीं चलेगा।”
जाट 1: “ठीक बोला रे भाई!”
ड्राइवर ने मुझसे कहा, “इन्हें अकेला छोड़ देते हैं, हम थोड़ा गायब हो जाते हैं।” मैं और ड्राइवर झाड़ियों में छिप गए। मम्मी दो मिनट तक मूतती रहीं, फिर पैंटी और पजामी खींचकर गाड़ी में वापस आकर बैठ गईं। तभी एक जाट तेजी से मम्मी के नीचे लेट गया, और मम्मी गलती से उसकी गोद में बैठ गईं। उसने मम्मी को कसकर जकड़ लिया। मम्मी छटपटाने लगीं, “छोड़ दो मुझे!” लेकिन वो इतना ताकतवर था कि मम्मी हिल भी नहीं पाईं।
जाट 1: “ओह हो, मज़ा आ गया रे! ऐसे मुलायम और भारी चूतड़ तो स्वर्ग की अप्सराओं के भी नहीं都会
जाट 2: “मैडम, मेरी गोदी में भी बैठ जाओ, इससे भी ज्यादा मज़ा दूंगा।”
उसने जबरदस्ती मम्मी को अपनी गोद में खींच लिया। उसका मोटा लंड धोती के बाहर से ही मम्मी के चूतड़ों के बीच फंस गया। मम्मी चीख रही थीं, “नहीं, प्लीज छोड़ दो!” लेकिन गाड़ी के शीशे बंद थे, और सुनसान जंगल में उनकी चीखें गायब हो रही थीं। बाकी दो जाटों ने भी मम्मी को अपनी गोद में बिठाया, और उनके भारी जिस्म के नीचे मम्मी बिल्कुल बेबस थीं।
पहले जाट ने अपनी धोती खोल दी। उसका 10 इंच लंबा, मोटा, काला सांप जैसा लंड बाहर आ गया। उसकी नसें उभरी हुई थीं, और टोपा लाल होकर चमक रहा था। मम्मी उसे देखकर डर गईं और चीखने लगीं, “नहीं, ये क्या कर रहे हो!” जाट ने मम्मी के बाल पकड़े और उनका मुंह अपने लंड पर दबा दिया। मम्मी ने गुस्से में उसके लंड पर काट लिया। जाट दर्द से चिल्लाया और मम्मी के गाल पर एक जोरदार चांटा मारा। “साली रंडी, ड्रामे करती है!” उसने गुस्से में दो और चांटे मारे। मम्मी का चेहरा लाल हो गया, और उनकी आंखों में आंसू छलक आए।
उसने फिर से अपना लंड मम्मी के मुंह में घुसा दिया, इतना गहरा कि मम्मी का गला दब गया। उनकी सांस रुकने लगी, और आंखें लाल हो गईं। जाट ने मम्मी के बाल कसकर पकड़े और तेजी से उनका मुंह चोदने लगा। मम्मी का मुंह उसके मोटे लंड से भरा था, और वो सिर्फ उसी का स्वाद महसूस कर रही थीं। उसका लंड और सख्त हो गया, जैसे लोहे का रॉड। पीछे से दूसरे जाट ने मम्मी की पजामी में हाथ डाला और उसे एक झटके में फाड़ दिया। उनकी काली पैंटी चूतड़ों के बीच फंसी थी। उसने पैंटी भी खींचकर उतार दी और सूंघने लगा। “रे भाई, इसकी चूत में तो नशा है!” उसने कहा और मम्मी की गांड के बीच अपना मुंह घुसा दिया। उसने उनके चूतड़ों को चाटा, दांत गड़ाए, और लाल कर दिया। मम्मी के चूतड़ों पर दांतों के निशान साफ दिख रहे थे, जैसे कोई जंगली जानवर ने काटा हो।
बाकी दो जाटों ने मम्मी की कुर्ती फाड़ दी। उनके बड़े-बड़े मम्मे बाहर आ गए, और उनके गुलाबी निप्पल सख्त होकर तन गए। जाट उनके मम्मों को मसलने लगे, जैसे कोई रसीले आम दबा रहा हो। एक जाट ने मम्मी के निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरा उनके मम्मों को जोर-जोर से दबा रहा था। मम्मी चीख रही थीं, “प्लीज, छोड़ दो, दर्द हो रहा है!” लेकिन उनकी चीखें जाटों के जुनून को और भड़का रही थीं।
पहले जाट ने कुछ देर बाद अपना सारा वीर्य मम्मी के मुंह में उड़ेल दिया। उसका गाढ़ा, गर्म माल मम्मी के गले से नीचे उतर गया, और उनका मुंह चिपचिपा हो गया। उसका लंड अभी भी तना हुआ था, जैसे उसका जोश खत्म ही न हो। फिर बाकी दो जाटों ने अपने लंड मम्मी के मुंह में एक साथ घुसा दिए। दोनों के मोटे-मोटे लंड मम्मी के मुंह में मुश्किल से फिट हो रहे थे। मम्मी की सांस रुक रही थी, और उनकी आंखें आंसुओं से भरी थीं। दस मिनट तक वो उनके लंड चूसती रहीं, और फिर दोनों ने अपना माल मम्मी के मुंह में छोड़ दिया। मम्मी का चेहरा वीर्य से लथपथ हो गया, और वो हांफ रही थीं।
पहले जाट ने अब मम्मी को अपनी गोद में उठाया और उनकी चूत पर अपनी जीभ रखी। “बड़ी मीठी चूत है थारी,” उसने कहा और कुत्ते की तरह चाटने लगा। उसकी जीभ मम्मी की चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और मम्मी की चूत गीली होने लगी। उनकी चीखें अब कराहों में बदल गईं। वो बार-बार कह रही थीं, “बस करो, प्लीज!” लेकिन उनके जिस्म ने उनका साथ छोड़ दिया था। उनकी चूत खुल गई, और वो थोड़ी ढीली पड़ गई। जाट ने उनकी चूत को इतना चाटा कि वो पूरी तरह गीली हो गई, और उसका रस टपकने लगा।
तभी पीछे से गांड चाट रहा जाट बोला, “चलो, अब चोदते हैं इस रांड को।” उसने मम्मी को पेट के बल अपने ऊपर लिटाया। अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसे मम्मी की चूत पर रगड़ने लगा। मम्मी डर से कांप रही थीं, और उनकी सांसें रुक-रुक कर चल रही थीं। फिर उसने एक जोरदार जटका मारा, और उसका मोटा लंड मम्मी की चूत में पूरा घुस गया। मम्मी चीख पड़ीं, “उई मां! मर गई! फाड़ दी मेरी चूत! आह्ह!” लेकिन तभी दूसरे जाट ने अपना लंड मम्मी के मुंह में घुसा दिया, और उनकी चीख दब गई।
तीसरे जाट ने मम्मी की गांड पर ढेर सारा थूक लगाया और अपना लंड उनके चूतड़ों के बीच रगड़ने लगा। मम्मी ये देखकर और डर गईं। वो चीखने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उनका मुंह लंड से भरा था। जाट ने एक जोरदार जटका मारा, और उसका लंड आधा मम्मी की गांड में घुस गया। मम्मी की गांड इतनी टाइट थी कि वो फट गई, और खून की बूंदें टपकने लगीं। जाट को भी दर्द हुआ, और वो चिल्लाया, “साली की गांड तो पत्थर सी टाइट है!” फिर उसने एक और जटका मारा, और उसका पूरा लंड मम्मी की गांड में समा गया। मम्मी की आंखें बाहर निकल आईं, और वो दर्द से तड़पने लगीं।
अब दोनों जाट तेज़ी से मम्मी को चोदने लगे—एक उनकी चूत में, दूसरा उनकी गांड में। तीसरा और चौथा जाट बारी-बारी से मम्मी को अपना लंड चुसवा रहे थे। उनके लंड इतने बड़े और मोटे थे कि मम्मी की चूत और गांड में मुश्किल से फिट हो रहे थे। जब भी दो लंड एक साथ उनकी चूत और गांड में जाते, मम्मी दर्द से बेहोश हो जातीं। लेकिन जाटों का जोश कम नहीं हो रहा था। वो बारी-बारी मम्मी को चोदते रहे, और हर बार उनका माल मम्मी की चूत, गांड, और मुंह में छोड़ते। मम्मी का जिस्म वीर्य से लथपथ था। उनके चूतड़ लाल हो गए थे, और उनकी चूत से रस और वीर्य मिलकर टपक रहा था।
पांच घंटे तक ये सिलसिला चलता रहा। मम्मी चार बार बेहोश हुईं, लेकिन जाटों का जुनून खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। वो बार-बार मम्मी की चूत और गांड मारते, उनके मम्मों को मसलते, और उनके मुंह में अपने लंड घुसाते। मम्मी की कराहें अब कमजोर पड़ गई थीं। उनके जिस्म में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो विरोध कर सकें। लेकिन उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी, जैसे उन्हें इस चुदाई में मज़ा आने लगा हो।
आखिरकार, जब जाट थक गए, तो उन्होंने मम्मी को गाड़ी के कोने में लिटा दिया। मम्मी इतनी थक चुकी थीं कि वो बेहोशी में सो गईं। उनका जिस्म नंगा था, फटी पजामी और कुर्ती उनके पास पड़ी थी। तभी मैं और ड्राइवर, जो झाड़ियों में छिपकर सब देख रहे थे, मौका देखकर गाड़ी में आए। ड्राइवर ने मम्मी की चूत को चाट-चाटकर लाल कर दिया। उसने उनके चूतड़ों पर दांत गड़ाए, जिससे खून की बूंदें टपकने लगीं। फिर उसने अपनी धोती खोली और अपना लंड मम्मी की चूत में घुसा दिया। मम्मी बेहोशी में थीं, और उन्हें कुछ पता नहीं चला। मैंने भी मौका देखकर मम्मी की चूत मारी। मेरे दिमाग में ग्लानि थी, लेकिन मेरा लंड मेरे काबू में नहीं था। मैंने उनके गीले, गर्म चूत में अपना लंड डाला और तेजी से चोदने लगा। मम्मी की चूत इतनी टाइट थी कि मेरा माल जल्दी ही निकल गया।
असल में गाड़ी खराब थी ही नहीं। ये सब जाटों और ड्राइवर की साजिश थी। वो पहले से ही मम्मी को चोदने की प्लानिंग कर चुके थे। रास्ते में जाटों ने फिर से सोटी हुई मम्मी की चुदाई की। मैंने चुपके से फोन से उनकी चुदाई की वीडियो बना ली। मम्मी पूरी नंगी थीं, और उनका जिस्म वीर्य और पसीने से चिपचिपा था। जाट चले गए, और मैंने उनकी फटी पजामी और कुर्ती उन्हें पहनाई। हमने मम्मी को उठाकर घर पहुंचाया और बेड पर लिटा दिया।
सुबह जब मम्मी उठीं, तो वो फटे कपड़ों में नंगी बेड पर पड़ी थीं। उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी, जैसे उन्हें इस चुदाई में मज़ा आया हो। उनके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी, और उनकी आंखें कुछ कह रही थीं। शायद वो इस जुनून को भूल नहीं पा रही थीं। इसके बाद, मैंने कई बार मम्मी को अपने दोस्तों से पैसे लेकर चुदवाया। मम्मी अब एक हाई-प्रोफाइल रांड बन चुकी हैं। उन्हें चुदवाने में मज़ा आता है, और हमारे गांव का हर मर्द उनकी चूत का मज़ा ले चुका है। मम्मी की चुदाई की वीडियो अब गांव में मशहूर है, और लोग उन्हें देखकर पागल हो जाते हैं। लेकिन मम्मी को अब इस सब में शर्म नहीं, बल्कि एक अजीब सा सुकून मिलता है।