Chachi aur chachi ki beti ki chudai sex story: उसकी माँ और छोटी चाची पहले ही उसके लंड का स्वाद ले चुकी थीं, लेकिन अब उसकी नजर बड़ी चाची पर थी। उसने तय कर लिया था कि आज रात वह बड़ी चाची की चुदाई का आनंद लेगा।
इस चुदाई की कहानी के पिछले भाग(मेरी माँ और चाची को चोदा – 1) में, उसने अपनी छोटी चाची सरिता को चोद दिया था, और अब वह अपनी माँ की गांड मारने की तैयारी कर रहा था।
उसने अपनी माँ से कहा, “अब मैं आपकी चौड़ी गांड मारूँगा। कई लोग आपकी गांड का मजा ले चुके हैं।”
उसकी माँ ने सहमति देते हुए कहा, “सच है… मेरी गांड को कई लोगों ने मारा है।”
उसने अपनी माँ का लंड चुसवाया और फिर उनकी चौड़ी गांड पर दो-तीन थप्पड़ मारे। इसके बाद उसने अपना लंड उनकी गांड में डाल दिया और जोर-जोर से पेलने लगा। उसकी माँ अपनी गांड पेलवाने का आनंद लेने लगीं और उनके मुँह से ज़ोर-ज़ोर से आवाजें निकलने लगीं।
करीब दस मिनट की पेलाई के बाद, उसने अपनी माँ की गांड में पानी गिरा दिया और उनके ऊपर गिर पड़ा। थकावट के कारण वह वहीं सो गया।
सुबह जब उसकी आँख खुली, तो उसने पाया कि वह कमरे में अकेला था। उसकी माँ वहां नहीं थीं। जब वह बाहर गया, तो उसने देखा कि सरिता चाची बर्तन धो रही थीं। घर में और कोई नहीं था।
वह सरिता चाची के पास गया। उसे देखते ही चाची मुस्कुराने लगीं। उसने तुरंत अपना लंड निकाला और चाची के मुँह में डाल दिया। सरिता चाची ने उसका लंड चूसना शुरू कर दिया, और वह उनके मुँह को पेलने लगा। कुछ मिनट बाद, उसने चाची के मुँह में ही पानी गिरा दिया और बाहर चला गया।
बाहर उसने देखा कि उसकी माँ, बड़ी चाची, और अनुजा आपस में बातें कर रही थीं। वह अनुजा की चूचियों को देखता हुआ अपना लंड सहलाने लगा। उसकी माँ ने यह देख लिया। उसने माँ को आँख मारते हुए इशारा किया और फिर गाँव में घूमने निकल गया।
रात में, खाना खाने के बाद, सभी छत पर सोने के लिए चले गए। उसने देखा कि सरिता चाची नीचे थीं। उसने अपनी माँ से धीरे से पूछा, “सरिता चाची कहाँ हैं?”
माँ ने जवाब दिया, “वो अभी चाचा के साथ नीचे हैं।”
उसने माँ को इशारा करते हुए कहा, “कोई बात नहीं… तुम तो हो ही।”
माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “सबको सोने तो दो।”
वह सबके सोने का इंतजार करते-करते सो गया।
जब उसकी नींद खुली, तो उसने देखा कि उसके बगल में सरिता चाची सोई थीं और दूसरी तरफ हेमा चाची थीं। उसने चारों ओर नजर दौड़ाई, लेकिन उसकी माँ छत पर कहीं नहीं थीं।
उसने तुरंत सरिता चाची की एक चुची बाहर निकाली और उनका दूध पीने लगा। चाची का लड़का उनके पास ही सोया था। सरिता चाची बेसुध होकर उसका दूध चुसवाने लगीं। कुछ देर बाद उसने चाची की साड़ी ऊपर खिसकाई और उनकी चूत पर हाथ रख दिया।
सरिता चाची ने जागते हुए उसे देखा और धीरे से बोलीं, “हम्म… आराम से चोदना, मेरी चूत थकी हुई है। अभी कुछ देर पहले तुम्हारे चाचा से चुदवा कर आई हूँ।”
उसने चाची की चूत में धीरे-धीरे अपना लंड डाल दिया। चाची भी अपने बड़े लंड से गांड उठाकर चुदवाने का मजा लेने लगीं। वह उनकी चूचियां चूसता हुआ धीरे-धीरे लंड पेल रहा था।
जब उसे लगा कि पानी निकलने वाला है, तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और चाची के होंठों को चूमने लगा। चाची ने उसके लंड की मुठ मारकर उसका पानी निकाल दिया। फिर वह चाची की चूचियां पकड़कर सो गया।
भोर में जब उसकी नींद खुली, तो उसने देखा कि हेमा चाची की साड़ी घुटने से ऊपर खिसकी हुई थी। यह देखते ही उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। उत्तेजना में उसने सरिता चाची की चूत को जोर से मसल दिया, जिससे चाची की चूत के झांट के बाल उखड़ गए।
दर्द से कराहते हुए सरिता चाची ने उसके सीने पर मुक्का मारते हुए कहा, “साले बेरहम… जो भी करना है, आराम से करो।”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है मेरी जान।”
हेमा चाची के बारे में वह जानता था कि वह एक नंबर की चुदक्कड़ हैं। उसे यकीन था कि उन्हें भी लंड की दरकार होगी। उसने धीरे-धीरे अपना हाथ हेमा चाची की चूत की तरफ बढ़ाया और सहलाने लगा।
उसने देखा कि हेमा चाची ने पैंटी नहीं पहनी थी, जिससे उसका काम और आसान हो गया। उनकी गीली चूत को टच करते ही वह समझ गया कि हेमा चाची जाग रही हैं। वह चालाक और चुदक्कड़ औरत थीं।
उसने उनकी चूत को अपनी हथेली में भर लिया और एक उंगली डालकर चूत को चोदने लगा। हेमा चाची धीरे-धीरे मुँह से आवाजें निकालने लगीं।
उसने सरिता चाची को अलग किया और हेमा चाची के ऊपर चढ़ गया। हेमा चाची बोलीं, “ये क्या कर रहे हो?”
वह बोला, “आज मैं अपनी प्यारी हेमा चाची को चोदूंगा।”
चाची ने हल्के विरोध में कहा, “लेकिन ये तो गलत है।”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “मैं जानता हूँ कि आप बहुत बड़ी चुदक्कड़ हो। इसलिए आप मुझे चोदने दीजिए।”
हेमा चाची समझ गईं कि भतीजा गर्म है और उसे चुदना ही ठीक रहेगा। चाची बोलीं, “हाँ, मैं चुदक्कड़ हूँ, लेकिन तेरी माँ से कम हूँ।”
उसने उनकी चूचियों को मसलते हुए जवाब दिया, “मुझे मालूम है।”
इसके बाद उसने हेमा चाची के रसीले होंठों को चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर होंठ चूसने के बाद, उसने हेमा चाची की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा।
हेमा चाची ने कहा, “अब ठीक से आ जा और आज मेरी चूत को तू भी चोद ले। जब बाहर के लोग मुझे चोद देते हैं, तो तुम तो अपने ही हो।”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “हाँ मेरी डार्लिंग चाची, घर के लंड सबसे सेफ होते हैं। हर समय उपलब्ध भी रहते हैं और जगह का भी कोई झंझट नहीं होता है।”
हेमा चाची ने उसे चूमते हुए कहा, “वो तो सब ठीक है, लेकिन मेरी कुछ ख्वाहिशें हैं, जिन्हें आज तक कोई पूरा नहीं कर पाया है।”
हेमा चाची की बात सुनकर वह उनकी चूचियों को मसलते हुए बोला, “पहले एक बार मेरा लंड ले लो मेरी हेमामालिनी… फिर बताना कि क्या ख्वाहिश है।”
उसके जोर से चूची दबाने पर चाची हल्के से चीख पड़ीं। उधर, सरिता चाची लेटी हुई दोनों को देख रही थीं। यह देखकर उसने सोचा कि अब तीनों रंडियां उसकी हो गईं। जब चाहे, जिसे चाहे, चोद सकता है।
इसके बाद उसने हेमा चाची के ब्लाउज को खोलकर उनकी चूचियों को बाहर निकाला और उन्हें बारी-बारी से चूसने लगा।
सिसकारियां उसके कानों में गूंजतीं। यह मादक सिसकारी उसे और उत्तेजित कर देती थी।
कुछ देर बाद उसने अपना लंड चाची के मुँह में डाल दिया। हेमा चाची ने बड़े आराम से लंड चूसना शुरू कर दिया। उनका लंड चूसने का अंदाज बहुत मस्त था, जिससे उसके मुँह से भी कामुक आवाजें निकलने लगीं।
कुछ समय बाद, उसने चाची के मुँह में ही पानी गिरा दिया। जब उसका पानी निकल गया, तो चाची ने उसे चूमते हुए कहा, “अब मेरी चूत को कौन शांत करेगा?”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “मेरी हेमामालिनी… मैं ही आपकी चूत को ठंडा करूंगा। बस आपको मेरे लंड को जगाना होगा, और यह तो आप बड़े अच्छे से जानती हैं।”
यह कहते हुए उसने तुरंत अपना लंड चाची के होंठों से सटा दिया और उन्हें लंड चूसने को कहा। हेमा चाची की चूत में आग लगी हुई थी, इसलिए उन्होंने झट से लंड चूसना शुरू कर दिया।
पाँच मिनट तक लंड चूसने के बाद उसका लंड फिर से खड़ा हो गया। अब उसने देर न करते हुए लंड को हेमा चाची की चूत की फांकों पर टिकाया।
जैसे ही उसने सुपारा चूत में टिकाया, उसने एक जोरदार झटका मारा। हेमा चाची के मुँह से हल्की चीख निकली, “उम्म्ह… अहह… हय… याह…।”
वह धीरे-धीरे चाची को पेलने लगा। चाची अपनी चूत की पेलाई का आनंद लेने लगीं। उनके मुँह से ‘आह आह ओह उह…’ जैसी आवाजें निकल रही थीं। यह सुनकर उसने अपनी पेलाई की स्पीड बढ़ा दी।
वह हेमा चाची की गदराई जवानी का भरपूर मजा ले रहा था। उसे महसूस हो रहा था कि घर की औरतों को चोदने में जो आनंद है, वह कहीं और नहीं मिलता।
चाची की पेलाई के दौरान उसने पूछा, “अब बताओ, माय डियर हेमामालिनी… आपकी ख्वाहिश क्या है?”
चाची ने गांड उठाते हुए लंड को ठोकर दी और बोलीं, “अभी तो इस अंधेरी भोर में मुझे लंड का मजा लेने दो। सुबह बताऊंगी। उसे तुम्हें पूरा करना होगा।”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “ठीक है मेरी जान।”
उसने तुरंत ही अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और जोर-जोर से लंड को चूत की जड़ तक पेलने लगा। करीब बीस मिनट की पेलाई के बाद उसने हेमा चाची की चूत में अपना पानी गिरा दिया। इस बीच, हेमा चाची भी दो बार झड़ चुकी थीं।
इसके बाद वह हेमा चाची के ऊपर ही लेट गया। चाची उसके होंठों को चूसने में लगी रहीं।
थकावट के कारण उसे नींद आने लगी। उसने मोबाइल में समय देखा। सुबह के चार बजने वाले थे। वह नीचे अपने कमरे में चला गया और सो गया।
सुबह उसकी माँ ने उसे जगाया। उस समय आठ बज चुके थे। उस दिन उनके खानदान में एक लड़की की शादी थी, और इसी शादी के लिए हेमा चाची आई थीं।
सुबह जब वह फ्रेश होकर बाहर निकला, तो देखा कि घर में सभी शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। उसने चाय पी और बाहर चला गया। हालांकि, उसके मन में रात की चुदाई का खुमार अभी भी बाकी था।
अब तक उसे घर की तीन औरतों — उसकी माँ, सरिता चाची, और हेमा चाची — की चूत का स्वाद मिल चुका था। लेकिन चौथी औरत, अनुजा, अभी तक बची हुई थी। वह सोचने लगा कि अनुजा को चोदने का मौका कैसे निकाला जाए।
घर में वापस आते समय उसने देखा कि हेमा चाची का बेटा अंश अपने कमरे में था। अंश अपनी बहन अनुजा की तरफ देख रहा था, जो पीछे मुड़कर खड़ी थी। अंश की नजरें अनुजा की गांड पर टिकी थीं।
यह देखकर वह समझ गया कि इस घर में लड़कों की नजरें भी चूत और गांड पर ही रहती हैं। उसने मन ही मन सोचा कि अंश भी इस उम्र में गांड की जरूरत महसूस कर रहा होगा।
घर में उस समय छोटे चाचा के अलावा कोई बड़ा आदमी नहीं था। लेकिन छोटे चाचा हर समय खेत और बाहरी कामों में लगे रहते थे। वह सुबह घर से निकलते और सीधे रात में लौटते।
यह सोचते हुए उसने योजना बनाई कि आज का दिन अनुजा को चोदने के लिए सही रहेगा। घर में कोई नहीं था। माँ, हेमा चाची, और सरिता चाची सभी पिंकी दीदी के घर शादी की तैयारियों में व्यस्त थीं।
उसने अनुजा से पूछा, “हेमा चाची कहाँ हैं? और माँ भी नजर नहीं आ रही हैं।”
अनुजा ने जवाब दिया, “वो दोनों पिंकी दीदी के घर गई हैं।”
फिर उसने पूछा, “सरिता चाची कहाँ हैं?”
अनुजा ने बताया, “वो भी उन्हीं के साथ गई हैं।”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “तुम क्यों नहीं गईं?”
अनुजा ने कहा, “मैं शाम को जाऊंगी। दोपहर का खाना भी वहीं है।”
वह उसकी बात सुनकर समझ गया कि अनुजा घर में अकेली थी। उसने कहा, “अच्छा, इसलिए सुबह तुमने ही चाय बनाई थी।”
अनुजा ने सिर हिलाया।
अब उसने तय कर लिया कि अनुजा को चोदने का यह सही मौका है। उसने सोचा कि उसे किस बात का डर होना चाहिए? उसकी माँ और चाचियाँ तो पहले ही चुद चुकी थीं।
वह खुद से बोला, “अगर अनुजा की सील किसी और के द्वारा टूटनी है, तो बेहतर है कि मैं ही उसे तोड़ दूं।”
कुछ देर बाद उसने अनुजा के कमरे की ओर रुख किया। कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला था। अंदर झांकते ही उसने देखा कि अनुजा नहाकर अपने बाल सुखा रही थी।
अनुजा ने नीचे केवल पैंटी पहनी थी और ऊपर से एकदम नंगी थी। उसका गोरा बदन और कसे हुए स्तन उसे और उत्तेजित कर रहे थे।
यह देखते ही उसका लंड अंडरवियर के अंदर हरकत करने लगा। जैसे ही अनुजा की नजर उस पर पड़ी, उसने जल्दी से अपनी चूचियों को तौलिये से ढक लिया और शर्म से आँखें बंद करके अपना सिर नीचे झुका लिया।
उसने तुरंत कमरे के अंदर जाकर दरवाजा बंद कर दिया। घबराई हुई अनुजा ने पूछा, “भैया, आप दरवाजा क्यों बंद कर रहे हो?”
वह मुस्कुराते हुए बोला, “तुम्हारा भैया अब तुमसे प्यार करेगा। और प्यार तो बंद दरवाजे में ही होता है, न?”
अनुजा चुप रही। उसकी चुप्पी देखकर उसने चालाकी से कहा, “मैं यह भी जानता हूँ कि तुम्हारे और अंश के बीच क्या चल रहा है।”
यह सुनते ही अनुजा डर गई। उसकी बात सही निकली। उसने अंधेरे में तीर चलाया था, लेकिन वह सटीक निशाने पर लगा।
उसकी बात सुनकर अनुजा डर से काँप गई। उसने अपने डर का फायदा उठाने का मन बना लिया। वह अनुजा के और करीब गया और मुस्कुराते हुए बोला, “डरो मत, मैं तुम्हारा भैया हूँ, पर तुम्हारे लिए जो प्यार है, वो अलग तरह का है।”
अनुजा ने धीमे स्वर में कहा, “आप जो भी कर रहे हो, गलत है।”
वह हँसते हुए बोला, “गलत या सही का फैसला बाद में करेंगे, पहले इस प्यार को समझो।”
अनुजा ने तौलिये से अपने शरीर को ढकने की कोशिश की, लेकिन उसकी आँखों में डर और बेबसी साफ झलक रही थी। उसने तौलिये को हटाते हुए कहा, “अगर तुम चुप रहोगी, तो कोई कुछ नहीं जानेगा। और वैसे भी, तुम्हारी माँ को मेरे बारे में सब पता है। तो अब यह सब आसान है।”
अनुजा कुछ नहीं बोली। उसकी चुप्पी को सहमति समझकर वह उसके करीब आया और तौलिये को धीरे से नीचे खींच दिया।
जैसे ही उसने तौलिया हटाया, अनुजा ने अपनी गोरी चमड़ी को ढकने की कोशिश की। उसके छोटे लेकिन कसे हुए स्तन और गोरा शरीर उसे और उत्तेजित कर रहा था।
उसने अनुजा के कंधे पर हाथ रखा और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा, “तुम बहुत खूबसूरत हो। मैं हमेशा से तुम्हें इस रूप में देखना चाहता था।”
उसने अनुजा की कमर को अपनी हथेली से पकड़ लिया और धीरे-धीरे उसे अपनी ओर खींचा। वह झिझक रही थी, लेकिन उसने विरोध नहीं किया।
उसके हाथ धीरे-धीरे अनुजा के पेट से ऊपर की ओर बढ़ने लगे। उसने उसके स्तनों को धीरे से मसलना शुरू किया। अनुजा ने हल्के स्वर में कहा, “भैया, प्लीज, यह सही नहीं है।”
वह हँसते हुए बोला, “यह प्यार है, अनुजा। इसे सही या गलत मत समझो। बस इसे महसूस करो।”
उसने अनुजा के स्तनों को तौलिये से बाहर निकाला और अपनी जीभ उनके निप्पल पर फेरने लगा। अनुजा सिहर उठी। उसके मुँह से हल्की सिसकारी निकली, “उम्म्म… भैया, नहीं…”
उसकी इस आवाज ने उसे और उत्तेजित कर दिया। वह बारी-बारी से उसके निप्पल को चूसने लगा। अनुजा ने अपने हाथ से उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी पकड़ मजबूत थी।
उसने नीचे की तरफ झुकते हुए अनुजा की पैंटी को धीरे-धीरे खींचा। अनुजा ने अपने दोनों हाथों से अपने पैरों को ढकने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुई।
उसने उसके पैरों को अलग किया और अपनी उँगलियाँ उसकी चूत के पास फेरने लगा। अनुजा का शरीर कांपने लगा, और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
उसने अनुजा की चूत को सहलाते हुए धीरे-धीरे उँगलियों से अंदर जाने का रास्ता बनाया। अनुजा के मुँह से हल्की आवाजें निकलने लगीं, “उफ्फ… भैया, प्लीज रुक जाओ…”
वह बोला, “बस थोड़ा सा और… तुम्हें भी मजा आएगा।”
उसने अपनी उँगलियों को धीरे-धीरे अनुजा की चूत के अंदर डालना शुरू किया। अनुजा का शरीर कांप उठा, और उसकी हल्की आवाजें कमरे के सन्नाटे को तोड़ रही थीं। “उफ्फ… भैया, प्लीज… रुक जाओ,” अनुजा ने कांपते हुए कहा, लेकिन उसकी चुप्पी ने विरोध को कमजोर कर दिया।
उसकी उँगलियां अनुजा की चूत की गहराई तक जा रही थीं। उसने धीरे-धीरे अपनी उँगलियों को अंदर-बाहर करना शुरू किया। अनुजा ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं, लेकिन उसके मुँह से निकलने वाली हल्की सिसकारियों ने उसकी उत्तेजना को बयां कर दिया।
जब उसने महसूस किया कि अनुजा का शरीर अब उसकी हरकतों का जवाब देने लगा है, तो उसने अपनी उँगलियां तेज़ कर दीं। अनुजा के मुँह से बार-बार “उम्म्म… आह… ओह…” की आवाजें निकलने लगीं।
वह उसकी चूत को सहलाते हुए बोला, “देखा, मैंने कहा था न कि तुम्हें भी मजा आएगा। बस अब इसे महसूस करो और खुद को रोकने की कोशिश मत करो।”
उसने अपनी पैंट और अंडरवियर उतारकर अपना लंड बाहर निकाला। उसका लंड खड़ा होकर हवा में लहरा रहा था। अनुजा ने एक नज़र उसकी तरफ देखी और तुरंत अपनी आँखें नीचे कर लीं।
उसने अनुजा के चेहरे को अपने हाथों से उठाया और बोला, “डरो मत, अनुजा। यह तुम्हारे लिए है। बस इसे छूकर महसूस करो।”
अनुजा ने कांपते हुए अपने हाथ से लंड को छुआ। जैसे ही उसने उसे पकड़ा, वह और ज्यादा उत्तेजित हो गया। उसने अनुजा से कहा, “अब इसे अपने मुँह में लो।”
अनुजा ने झिझकते हुए अपना मुँह खोला और उसके लंड को अपने होंठों से छुआ। उसने धीरे-धीरे लंड को अपने मुँह के अंदर लेना शुरू किया।
“उफ्फ… हाँ, ऐसे ही। बहुत अच्छा कर रही हो,” उसने आनंद में भरकर कहा।
अनुजा ने धीरे-धीरे लंड चूसना शुरू किया। उसका मुँह लंड के ऊपर-नीचे हो रहा था। वह उसके बालों को पकड़कर उसका मुँह तेज़ी से अपने लंड पर हिला रहा था।
कुछ देर बाद, उसने अनुजा को उठाया और उसे बिस्तर पर लेटाया। उसने अनुजा की टांगों को अलग किया और अपनी उँगलियों से उसकी चूत को और गीला किया। अनुजा के मुँह से लगातार सिसकारियां निकल रही थीं, “आह… भैया, प्लीज… आराम से।”
उसने अपने लंड को अनुजा की चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। अनुजा ने दर्द से कराहते हुए कहा, “उफ्फ… भैया, दर्द हो रहा है!”
“थोड़ा दर्द होगा, लेकिन फिर बहुत मजा आएगा,” उसने जवाब दिया। उसने धीरे-धीरे अपना लंड अंदर तक डाला और फिर बाहर निकाला। अनुजा ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और चादर को पकड़ लिया।
धीरे-धीरे उसने अपनी पेलाई की रफ्तार बढ़ाई। अनुजा के मुँह से कराहने की आवाजें और तेज़ हो गईं, “आह… ओह… भैया, और धीरे करो!”
उसने अपनी पूरी ताकत से लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। अनुजा अब दर्द से नहीं, बल्कि आनंद से चीख रही थी। “आह… हाँ… ऐसे ही… और तेज़,” अनुजा ने कहा।
वह अपनी चुदाई की गति और तेज़ कर रहा था। दोनों एक-दूसरे के शरीर को कसकर पकड़ रहे थे। उसकी पेलाई का असर अनुजा के पूरे शरीर पर साफ दिख रहा था।
कई मिनटों की जोरदार पेलाई के बाद, उसने महसूस किया कि वह झड़ने वाला है। उसने अनुजा से पूछा, “तुम्हारे अंदर झड़ दूं?”
अनुजा ने कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन उसकी सिसकारियां सहमति का संकेत दे रही थीं। उसने एक आखिरी जोर का धक्का दिया और अनुजा की चूत के अंदर अपना पानी गिरा दिया।
नुजा थकी हुई लेटी थी। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं, और वह पसीने से भीगी हुई थी। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं, मानो वह खुद को संभालने की कोशिश कर रही हो।
उसने अनुजा के गालों को प्यार से सहलाते हुए कहा, “देखा, मैंने कहा था कि तुम्हें भी मजा आएगा। अब तुम मेरी हो।”
अनुजा ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपनी आँखें बंद ही रखीं और चुपचाप लेटी रही।
कुछ देर बाद, वह अनुजा के पास लेट गया और उसे अपने सीने से लगा लिया। “डरो मत, यह बात सिर्फ हमारे बीच रहेगी,” उसने धीरे से कहा।
अनुजा ने उसकी ओर देखा, उसकी आँखों में डर और शर्म झलक रही थी। उसने धीमे स्वर में कहा, “भैया, यह जो हुआ, वो सही नहीं था। लेकिन अब मैं क्या करूं?”
उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “तुम बस मुझ पर भरोसा करो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।”
अनुजा ने धीरे से कहा, “अगर किसी को पता चल गया तो?”
वह हँसते हुए बोला, “किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। तुम बस मुझे खुश रखो, और मैं तुम्हें किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा।”
अनुजा ने सिर हिलाया और चुप हो गई।
थोड़ी देर के बाद, उसने अनुजा के गालों पर किस किया। अनुजा ने हल्का विरोध करते हुए कहा, “भैया, अभी नहीं। मुझे बहुत दर्द हो रहा है।”
लेकिन उसकी उत्तेजना फिर से बढ़ चुकी थी। उसने धीरे-धीरे अनुजा के स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। अनुजा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया, लेकिन उसने अपना काम जारी रखा।
उसने अनुजा के निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू कर दिया। अनुजा के मुँह से हल्की सिसकारियां निकलने लगीं, “आह… भैया, प्लीज…”
उसने अनुजा के कानों में फुसफुसाते हुए कहा, “तुम्हें भी मजा आएगा। बस थोड़ी देर में सब ठीक लगने लगेगा।”
इसके बाद उसने अनुजा की टांगों को अलग किया और अपनी उँगलियां उसकी चूत पर फेरने लगा। अनुजा की चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी।
“देखो, तुम्हारा शरीर भी मना नहीं कर रहा,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
उसने अपना लंड उठाया और अनुजा की चूत के पास ले गया। अनुजा ने फिर से अपनी आँखें बंद कर लीं। उसने धीरे-धीरे लंड को अंदर डाला और इस बार उसे और ज्यादा आनंद महसूस हुआ।
अनुजा के मुँह से आवाजें आने लगीं, “आह… उफ्फ… भैया, आराम से!”
लेकिन इस बार वह और तेज़ी से चुदाई करने लगा। उसकी पेलाई की गति तेज होती जा रही थी, और अनुजा भी अब उसका साथ देने लगी थी।
कुछ मिनटों की तेज़ पेलाई के बाद, उसने अनुजा की चूत में अपना सारा पानी फिर से गिरा दिया। अनुजा ने भी इस बार उसका पूरा साथ दिया। दोनों थककर बिस्तर पर गिर पड़े।
चुदाई खत्म होने के बाद, दोनों कुछ देर तक चुपचाप लेटे रहे। उसने अनुजा के माथे को चूमा और कहा, “अब तुम मेरी हो। हमेशा।”
अनुजा ने धीमे स्वर में कहा, “भैया, प्लीज, यह बात किसी को मत बताना।”
“तुम चिंता मत करो। यह बात सिर्फ हमारे बीच रहेगी,” उसने उसे आश्वासन दिया।
अगले दिन जब वह उठा, तो अनुजा घर के कामों में व्यस्त थी। उसने उसे देखा और मुस्कुरा दिया। अनुजा ने उसकी तरफ देखा और तुरंत नजरें झुका लीं।