मुझे चुदाई का सुख दे दो जानू

मेरा नाम विशाल है और आज मैं आप सबको अपनी ज़िंदगी का एक ऐसा किस्सा सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे साथ हुआ और जिसने मेरी ज़िंदगी को पूरी तरह से बदल दिया। मैं दिल्ली में अपने एक बहुत पक्के दोस्त के साथ एक किराए के फ्लैट में रहता हूँ। हमारे सामने वाली मंजिल पर एक कपल रहता है, मिस्टर और मिसेज़ जैन। वो दोनों पिछले सात सालों से शादीशुदा हैं, लेकिन उन्हें अभी तक बच्चे का सुख नहीं मिला। ये बात मुझे हमेशा थोड़ा अजीब लगती थी, लेकिन मैंने कभी इस पर ज़्यादा गौर नहीं किया।

मिस्टर जैन से मेरी अच्छी जान-पहचान है। वो बहुत मिलनसार इंसान हैं और अक्सर मुझे अपने घर चाय-नाश्ते के लिए बुला लेते हैं। मिसेज़ जैन भी बहुत अच्छी हैं। वो हमेशा मेरे और मेरे दोस्त के लिए कुछ न कुछ करती रहती हैं, चाहे खाना बनाकर देना हो या छोटे-मोटे कामों में मदद करना। और हाँ, वो दिखने में भी कमाल की हैं। उनका फिगर, यार, क्या बताऊँ—लगभग 36-30-36 का, एकदम परफेक्ट। उनकी स्माइल, उनकी आँखें, और वो कातिलाना अदा, बस दिल को छू लेती थी।

सच कहूँ तो मैं मिसेज़ जैन को पहली बार देखते ही उनका दीवाना हो गया था। जब मैंने उन्हें पहली बार देखा, तब से मेरे दिल में बस वही बस गई थीं। मैं रात-दिन उनके बारे में सोचता रहता था। उनकी वो हँसी, वो चाल, और वो टाइट साड़ी में उनका फिगर—हाय, बस मन करता था कि बस उन्हें देखता रहूँ। लेकिन मैं डरता भी था। आखिर वो मेरे दोस्त की बीवी थीं, और मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से कोई गड़बड़ हो।

एक दिन मिस्टर जैन को किसी ज़रूरी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा। वो दस दिन के लिए गए थे। उसी दिन मिसेज़ जैन को अपने घर के कुछ काम के लिए बाहर जाना था। उन्होंने मुझसे मदद माँगी। मैंने बिना सोचे-समझे हाँ कर दी। मन में तो लड्डू फूट रहे थे कि चलो, उनके साथ थोड़ा टाइम तो बितेगा। मैंने अपनी बाइक निकाली, और वो मेरे पीछे बैठ गईं। यार, क्या बताऊँ, जब वो मेरे पीछे बैठीं और उनका बदन मेरी पीठ से टच हुआ, तो मेरे पूरे शरीर में जैसे करंट दौड़ गया। उनकी साड़ी का पल्लू हवा में उड़ रहा था, और उनकी खुशबू, हाय, मैं तो बस खो सा गया था।

काम जल्दी खत्म हो गया। कुछ घंटों में हम वापस आ गए, और मैंने उन्हें उनके घर छोड़ दिया। मैं जाने लगा, तभी उन्होंने मुझे आवाज़ दी, “विशाल, थोड़ा अंदर आओ ना!” मैं थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन फिर उनके कहने पर अंदर चला गया। उन्होंने कहा, “तुम थोड़ी देर बैठो, मैं कपड़े बदलकर आती हूँ।” वो दूसरे कमरे में चली गईं। मैं बाहर सोफे पर बैठा इंतज़ार करने लगा, लेकिन काफी देर हो गई और वो वापस नहीं आईं। मेरे दिमाग में अजीब-अजीब ख्याल आने लगे। मैंने सोचा, चलो देखूँ तो सही, कहीं कोई दिक्कत तो नहीं।

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मैं धीरे से उनके बेडरूम की तरफ गया। दरवाजा हल्का सा खुला था। मैंने जैसे ही उसे छुआ, वो धीरे से और खुल गया। और जो मैंने अंदर देखा, यार, मेरी तो साँसें रुक गईं। मिसेज़ जैन बेड पर पूरी तरह नंगी लेटी थीं। उनका एक हाथ उनकी चूत पर था, और वो उसे धीरे-धीरे सहला रही थीं। उनका बदन, वो बड़े-बड़े बूब्स, वो गोल-गोल निपल्स, और उनकी चिकनी चूत—मैं तो बस मूर्ति बनकर रह गया। मेरी आँखें उनकी हर हरकत पर टिकी थीं। मेरा लंड तो पैंट में तंबू बनाकर खड़ा हो गया था।

तभी उनकी नज़र मुझ पर पड़ी। वो मुस्कुराईं और बोलीं, “अरे विशाल, बाहर क्यों खड़े हो? अंदर आ जाओ ना, मेरे पास!” उनकी आवाज़ में एक अजीब सा नशा था। मैं हिचकिचाया, दिल में डर था, लेकिन मेरे पैर अपने आप उनकी तरफ बढ़ गए। मैं बेड के पास जाकर बैठ गया। मेरी नज़रें उनके नंगे बदन से हट ही नहीं रही थीं। वो इतनी हॉट लग रही थीं कि मैं बता नहीं सकता।

वो धीरे से मेरे पास आईं और बोलीं, “क्या बात है, विशाल? कभी किसी औरत को ऐसे नंगा नहीं देखा?” मैं शरमा गया और धीरे से गर्दन हिलाकर ना में जवाब दिया। वो ज़ोर से हँस पड़ीं और बोलीं, “अरे, इतना शर्माने की क्या बात है?” फिर अचानक उन्होंने मेरी पैंट के ऊपर से मेरा लंड पकड़ लिया। मेरा लंड तो पहले ही खड़ा था, और उनके हाथ लगते ही और सख्त हो गया। वो उसे सहलाते हुए बोलीं, “वाह, विशाल, ये तो काफी बड़ा है! कितना मोटा और लंबा है, हाय!”

मैंने हिम्मत करके कहा, “भाभी, मैं तो कब से आपके लिए पागल हूँ। मैंने आपके बारे में दिन-रात सोचा है, लेकिन मुझे डर था कि कहीं आप बुरा न मान जाएँ। मुझे नहीं पता था कि आप भी मुझसे ये सब चाहती हैं।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “तो अब डर किस बात का, जानू? आज तुझे वो सब मिलेगा जो तू चाहता है।”

उन्होंने मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। मैं थोड़ा घबराया, लेकिन उनके चेहरे पर वो कामुक मुस्कान देखकर मैं खुद को रोक नहीं पाया। उन्होंने मेरी शर्ट, पैंट, सब उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ अंडरवेयर में था। वो मेरे लंड को अंडरवेयर के ऊपर से सहलाने लगीं और बोलीं, “हाय, विशाल, ये तो एकदम लोहे जैसा सख्त है।” फिर उन्होंने मेरा अंडरवेयर भी उतार दिया, और मेरा 7 इंच का लंड बाहर आ गया। वो उसे देखकर बोलीं, “हाय राम, इतना बड़ा लंड! ये तो मेरी चूत को फाड़ देगा!”

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वो नीचे झुकीं और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। यार, क्या बताऊँ, उनके गर्म-गर्म होंठों ने मेरे लंड को जैसे आग लगा दी। वो ज़ोर-ज़ोर से उसे चूसने लगीं, कभी जीभ से चाटतीं, कभी पूरा मुँह में ले लेतीं। मैं तो सिसकियाँ लेने लगा, “आहहह, भाभी, हाय, कितना मज़ा आ रहा है!” वो और तेज़ी से चूसने लगीं। मैं उनके बालों में उंगलियाँ फिराने लगा, और वो मेरे लंड को रंडी की तरह चूस रही थीं। मैं हैरान था कि भाभी, जो बाहर इतनी शरीफ दिखती थीं, अंदर से इतनी जंगली हैं।

दस मिनट बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया। मेरा गर्म-गर्म माल उनके मुँह में गया, और उन्होंने उसे पूरा पी लिया। वो मुस्कुराईं और बोलीं, “विशाल, तेरा माल तो बड़ा टेस्टी है!” मैं शरमाकर हँस दिया। फिर मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और उनके ऊपर चढ़ गया। मैं उनके होंठों को चूमने लगा। उनकी साँसें गर्म थीं, और वो भी मुझे ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगीं। मैंने उनके बड़े-बड़े बूब्स को दबाना शुरू किया। वो सिसकियाँ लेने लगीं, “आहह, विशाल, और ज़ोर से दबा! हाय, मेरे बूब्स को चूस, जानू!” मैंने उनके निपल्स को मुँह में लिया और बच्चों की तरह चूसने लगा। वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगीं, “हाय, उह्ह्ह, और ज़ोर से, विशाल! मेरे बूब्स को खा जा!”

मैं नीचे सरका और उनकी चूत को देखा। यार, क्या चूत थी—बिल्कुल साफ, गुलाबी, और थोड़ी उभरी हुई। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। वो तड़पने लगीं, “आहह, विशाल, हाय, मेरी चूत को चाट! उफ्फ्फ, कितना मज़ा आ रहा है!” मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली और साथ में चूसता रहा। उनकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। उन्होंने मेरा सिर अपनी चूत पर दबा दिया और चिल्लाईं, “हाय, विशाल, और ज़ोर से! मैं झड़ने वाली हूँ!” कुछ ही सेकंड में उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने उनका सारा रस पी लिया।

मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। मैंने पूछा, “भाभी, कंडोम कहाँ है?” वो बोलीं, “नहीं, विशाल, आज तू मुझे बिना कंडोम के चोद। मेरे पति मुझे बच्चा नहीं दे सकते, और मैं चाहती हूँ कि तू मेरी ये ख्वाहिश पूरी करे।” मैं चौंक गया और बोला, “क्या? ये सब मिस्टर जैन को पता है?” वो हँसीं और बोलीं, “हाँ, विशाल, ये हमारा प्लान था। हम चाहते थे कि तू मेरे साथ ये सब करे। मिस्टर जैन को सब पता है, और वो चाहते हैं कि तू मेरे साथ बच्चे के लिए सेक्स करे।”

ये सुनकर मैं तो और उत्साहित हो गया। अब मुझे कोई टेंशन नहीं थी। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और अपना 7 इंच का लंड उनकी चूत पर रखा। मैंने धीरे से अंदर धकेला, लेकिन उनका चूत इतनी टाइट थी कि वो चीख पड़ीं, “आहहह, विशाल, धीरे! हाय, तेरा लंड तो मेरी चूत को फाड़ देगा!” मैंने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू किए। वो सिसकियाँ ले रही थीं, “उह्ह्ह, हाय, विशाल, कितना मज़ा आ रहा है! और ज़ोर से चोद, जानू!” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। वो अपनी गाँड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थीं।

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“हाय, विशाल, मेरी चूत को फाड़ दे! तेरा लंड कितना मोटा है, उफ्फ्फ!” वो चिल्ला रही थीं। मैंने उनकी टाँगें उठाईं और और गहरे धक्के मारने शुरू किए। वो बार-बार झड़ रही थीं, और उनकी सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं, “आहह, उह्ह्ह, विशाल, और ज़ोर से! मेरी चूत को चोद, जानू!” मैं भी पूरे जोश में था। मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। वो चीखीं, “हाय, विशाल, तू तो मुझे आज मार डालेगा! उफ्फ्फ, कितना मज़ा आ रहा है!”

लगभग 30 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में झड़ गया। मेरा गर्म-गर्म माल उनकी चूत में गया, और वो तृप्त होकर मुस्कुराईं। मैं उनके ऊपर थककर लेट गया। हम दोनों की साँसें तेज़-तेज़ चल रही थीं। अगले दस दिन तक हमने दिन-रात चुदाई की। कभी बेडरूम में, कभी बाथरूम में, कभी किचन में। हर बार वो मुझे नए-नए तरीके सिखाती थीं। मिस्टर जैन के आने के बाद भी हमारा सिलसिला चलता रहा। वो भी कभी-कभी हमारी चुदाई में शामिल हो जाते थे, और हमें देखकर मज़े लेते थे।

मुझे उनकी चुदाई में इतना मज़ा आता था कि मैं बता नहीं सकता। मैंने उन्हें हर तरह से चोदा—कभी ज़ोर-ज़ोर से, कभी प्यार से। उनकी चूत का स्वाद, उनके बूब्स का मज़ा, और उनकी सिसकियाँ—सब मेरे दिल में बस गए। अब तो ये मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन गया है।

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