कल रात मुझे और मेरी छोटी बेटी को चोदा, मेरा दामाद ने

Saas aur Sali ki ek sath chudai मैं, रमा, आज आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी रात की कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे दिल और जिस्म पर हमेशा के लिए नक्श हो गई। ये कहानी मेरी, मेरी छोटी बेटी पिंकी और मेरे दामाद अजय की है। ये सब कल रात हुआ, और हर पल इतना ताजा है कि मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं इसे याद करके। मैं आपको हर एक एहसास, हर एक स्पर्श, हर एक साँस को विस्तार से बताऊँगी। Maa Beti aur Damad Threesome Chudai

मेरे घर में मैं, 40 साल की रमा, मेरी छोटी बेटी पिंकी, जो 19 साल की है, और मेरी बड़ी बेटी राधिका रहती है। मैं अपनी उम्र के हिसाब से काफी जवान दिखती हूँ। मेरा फिगर 36-30-38 है, चूचियाँ टाइट और गोल, कमर पतली, और गाँड भारी। लोग कहते हैं कि मैं अपनी बेटियों की बहन लगती हूँ। पिंकी भी कम नहीं, उसका फिगर 34-28-36 है, उसकी मासूम सी सूरत और चुलबुली आँखें किसी का भी दिल चुरा सकती हैं। राधिका, 23 साल की, पिछले साल दिसंबर में अजय से शादी करके बंगलोर चली गई। अजय 28 साल का है, लंबा, गोरा, और फिट बॉडी वाला मर्द। उसकी मुस्कान और बात करने का अंदाज ऐसा है कि कोई भी उसकी ओर खिंचा चला जाए। मेरे पति कई साल पहले एक जवान लड़की के साथ भाग गए, जो मेरी बेटी से भी छोटी थी। तब से मैं और पिंकी वसुंधरा, गाजियाबाद में अकेले रहते हैं।

कल अजय किसी ऑफिस के काम से दिल्ली आए थे। काम निपटने के बाद वो सीधे हमारे घर आ गए। उनकी गाड़ी जब गेट पर रुकी, तो मैं और पिंकी खुशी से उछल पड़े। अजय ने हमें गले लगाया, पिंकी के गाल खींचे, और मेरे लिए एक खूबसूरत सा गिफ्ट निकाला—एक सिल्क की साड़ी। हम तीनों ने शाम को बाहर डिनर किया। एक फैंसी रेस्टोरेंट में हमने स्वादिष्ट खाना खाया, वाइन की चुस्कियाँ लीं, और फिर मॉल में घूमने गए। अजय ने पिंकी के लिए एक टाइट ड्रेस खरीदी और मेरे लिए एक खूबसूरत ज्वेलरी सेट। रात के 10 बज गए थे जब हम घर लौटे, थके हुए लेकिन खुश।

घर पहुँचते ही पिंकी ने कहा, “मम्मी, मैं तो अपने कमरे में सोने जा रही हूँ, बहुत नींद आ रही है।” वो अपने कमरे में चली गई। मैं और अजय ड्राइंग रूम में बैठ गए। अजय ने अपनी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिए और सोफे पर लेट गए। मैं उनके पास एक सिंगल सोफे पर बैठी थी, मेरे नाइट सूट का हल्का सा गुलाबी रंग कमरे की मद्धम रोशनी में चमक रहा था। हम बातें करने लगे—राधिका की, बंगलोर की, और थोड़ी-सी पुरानी यादों की। बातों-बातों में रात के 12 बज गए।

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अचानक अजय ने मेरी ओर देखा और गंभीर आवाज में कहा, “मम्मी जी, मैं आपको सासु माँ नहीं मानता।” मैं चौंक गई, लेकिन हँसते हुए बोली, “अच्छा, तो फिर क्या मानते हो?” उसने मेरी आँखों में गहराई से देखा, उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने धीरे से कहा, “मैं आपको अपनी दोस्त मानता हूँ, माँ जैसी, और… और कुछ और भी।” उसकी आवाज में गर्मी थी, जो मेरे जिस्म में सिहरन पैदा कर रही थी। उसने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया। मैं एक पल को हड़बड़ा गई, लेकिन फिर उसके बालों में उँगलियाँ फिराने लगी। मैंने मजाक में कहा, “क्या बात है, आज सासु माँ पर इतना प्यार क्यों आ रहा है?”

अजय ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “मम्मी जी, सच कहूँ? आपकी उम्र ही क्या है, बस 40 की। आप तो राधिका और पिंकी की बहन लगती हैं। आप इतनी खूबसूरत हैं, इतनी हॉट… मैं आपको वो सारी खुशियाँ देना चाहता हूँ, जो आप डिजर्व करती हैं।” उसकी बातों ने मेरे दिल में आग सी लगा दी। मेरे जिस्म में एक गर्म लहर दौड़ गई। मैंने लड़खड़ाती आवाज में पूछा, “क्या मतलब है तुम्हारा, अजय?” वो थोड़ा झिझका, फिर बोला, “मम्मी जी, मैं आपको वो सारी खुशियाँ देना चाहता हूँ, जो एक औरत को चाहिए… जिस्मानी, दिल से दिल तक।”

उसकी बातों ने मेरे अंदर की औरत को जगा दिया। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरी वासना ने मेरे होश छीन लिए। मैंने अपना चेहरा उसके करीब किया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। वो एक पल को चौंका, लेकिन फिर उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया। उसका गर्म स्पर्श मेरे जिस्म को चूम रहा था। मैंने उसके होंठों को चूमा, मेरी जीभ उसकी जीभ से मिली। उसका स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था, जैसे शहद और शराब का मिश्रण। मैं उसके ऊपर चढ़ गई, मेरे हाथ उसके चेहरे को सहलाने लगे।

मैंने उसकी बनियान खींचकर उतार दी। उसकी चौड़ी छाती, हल्के-हल्के बाल, और सख्त मांसपेशियाँ मेरे सामने थीं। मैंने अपने नाइट सूट का टॉप उतारा, मेरी ब्रा भी खोल दी। मेरी बड़ी, गोल, टाइट चूचियाँ आजाद हो गईं। मेरे निप्पल्स सख्त थे, मेरी साँसें तेज-तेज चल रही थीं। अजय की नजर मेरी चूचियों पर टिक गई। उसकी आँखों में वासना की चमक थी। उसने धीरे से कहा, “मम्मी जी… आपकी चूचियाँ… इतनी टाइट, इतनी गोल… मैं इन्हें चूमना चाहता हूँ।”

उसने मेरी चूचियों को अपने हाथों में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा। उसकी उँगलियाँ मेरे निप्पल्स को हल्के-हल्के दबा रही थीं। “आह… अजय…” मैं कराह उठी। मेरे जिस्म में बिजली सी दौड़ रही थी। उसने मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरे निप्पल्स पर गोल-गोल घूम रही थी। मैं सिहर रही थी, मेरे हाथ उसके बालों में थे। “उफ्फ… अजय… और चूसो…” मैंने कराहते हुए कहा।

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उसने मेरी दूसरी चूची को अपने हाथ से मसला, मेरे निप्पल को अपनी उँगलियों से रगड़ा। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, मेरी पैंटी में नमी साफ महसूस हो रही थी। मैंने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी गीली चूत को उसके लंड पर रगड़ने लगी। उसका लंड अभी भी उसकी पैंट में कैद था, लेकिन मैं उसकी सख्ती को महसूस कर रही थी। मैंने उसकी पैंट का बटन खोला और उसका लंड बाहर निकाला। 9 इंच लंबा, मोटा, और सख्त लंड मेरे सामने था। उसका टोपा गुलाबी और चमकदार था, नसें उभरी हुई थीं। मैंने उसे अपने हाथ में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी।

“अजय… तुम्हारा लंड… इतना बड़ा… इतना सख्त…” मैंने कहा, मेरी आवाज में वासना थी। मैंने उसके लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। मेरी जीभ उसके टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी। मैंने उसके लंड को गले तक लिया, मेरे होंठ उसके जड़ तक जा रहे थे। अजय कराह रहा था, “आह… मम्मी जी… उफ्फ… कितना मस्त चूस रही हो… और चूसो…” मैंने उसका लंड और तेजी से चूसा, मेरे मुँह से लार टपक रही थी।

अजय से अब रहा नहीं गया। उसने मुझे पलंग पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया। उसने मेरी चूचियों को फिर से चूमा, मेरे निप्पल्स को अपने दाँतों से हल्के-हल्के काटा। “आह… अजय… तुम मुझे पागल कर दोगे…” मैं चिल्ला रही थी। वो नीचे गया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी। “उफ्फ… अजय… चाटो… मेरी चूत को खा जाओ…” मैंने कराहते हुए कहा। मेरी चूत से गर्म-गर्म पानी निकल रहा था, और वो उसे चाट रहा था। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, मेरे कूल्हे उछल रहे थे।

मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। मैंने अपनी टाँगें खोल दीं और कहा, “अजय… अब डाल दो… मेरी चूत को फाड़ दो…” उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा, उसका गर्म टोपा मेरी चूत के होंठों को छू रहा था। उसने धीरे से अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आह्ह… ऊह्ह… ओह्ह…” मैं चीख पड़ी। उसका 9 इंच का लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं।

“उफ्फ… मम्मी जी… तुम्हारी चूत… इतनी टाइट… इतनी गर्म…” अजय ने कराहते हुए कहा। वो और तेज धक्के मारने लगा। मैं चिल्ला रही थी, “आह… अजय… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… चोदो मुझे…” उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। वो कभी मेरी चूचियों को मसलता, कभी मेरी गाँड को सहलाता। उसने मेरी बगल को चाटा, मेरी गर्दन पर हल्के-हल्के दाँत गड़ाए। “आह… अजय… तुम मुझे जन्नत दिखा रहे हो…” मैं कराह रही थी।

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उसने मुझे घोड़ी बनाया, मेरी गाँड ऊपर उठाई और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आह… ऊह्ह… ओह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। उसका लंड मेरी चूत को और गहराई तक चोद रहा था। वो मेरी गाँड पर थप्पड़ मार रहा था, मेरे कूल्हों को पकड़कर मुझे और तेजी से चोद रहा था। मैं बार-बार झड़ रही थी, मेरी चूत से पानी बह रहा था। करीब एक घंटे तक उसने मुझे अलग-अलग तरीकों से चोदा—कभी मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं, कभी मुझे अपनी गोद में बिठाकर चोदा।

मैं चार बार झड़ चुकी थी। मेरा शरीर टूट चुका था। मैंने कराहते हुए कहा, “अजय… बस… अब और नहीं… मैं हार गई…” वो हँसा और मेरे पास लेट गया। मैं नंगी ही उसके बगल में सो गई, मेरी साँसें अभी भी तेज थीं।

रात के 2 बजे मेरी नींद खुली। मैंने सुना कि दूसरे कमरे से “आह… आह… ऊह्ह… ओह्ह…” की आवाजें आ रही थीं। मैं दौड़कर गई और जो देखा, उससे मेरे होश उड़ गए। पिंकी अपने जीजा अजय से चुद रही थी। वो पूरी तरह नंगी थी, उसकी टाइट चूचियाँ उछल रही थीं। वो अजय के लंड पर उछाल-उछाल कर अपनी चूत में ले रही थी। “आह… जीजा जी… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दो…” वो चिल्ला रही थी। अजय भी उसे जोर-जोर से चोद रहा था, उसके हाथ पिंकी की गाँड को पकड़े हुए थे। मैं चुपचाप अपने कमरे में लौट आई। मुझे समझ आ गया कि मेरा दामाद एक साथ तीन औरतों को संभाल रहा है—राधिका बंगलोर में, और मैं और पिंकी यहाँ। क्या मर्द है मेरा दामाद!

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ अनुभव किया? कमेंट में जरूर बताएँ।

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