मेरी तड़पती चूत की सामूहिक चुदाई

दोस्तों मेरा नाम निशु है. मै एक सेक्सी लुकिंग शादीशुदा लड़की हूँ. मेरी उम्र 32 साल है मेरी फिगर 36-32-३८ है. मेरा शरीर चुदाई वाला माल है मेरी बूब्स बड़ी व् गोल मटोल हैं और मेरी गांड और जाँघे बहुत ही सेक्सी हैं. मुझे लोग देख कर पटाने की कोशिश करते हैं. मै और मेरे पति बैंगलोर में रहते हैं. मै और मेरे पति सेक्स को बहुत एन्जॉय करते हैं. हम ओपन माइंडेड कपल हैं और एक दूसरे को सेक्स का पूरा आनंद देते हैं. हम सेक्स में एक्सपेरिमेंट करना पसंद करते हैं. हमारे दो दोस्त हैं.. मेरे पति मुझे और उन दोस्तों में से किसी एक की की वाइफ को एक साथ चोदते हैं और खुद व् दोनों दोस्तों के साथ मेरे साथ ग्रुप सेक्स भी कराते हैं. मै आज आपको अपनी एक यादगार चुदाई की कहानी बता रही हूँ..

एक बार मेरे पति अपने ऑफिस के काम से 2 महीने के लिए बाहर गए. हम हर रोज वीडियो कॉल पर सेक्सी बातें करते थे इससे हम दोनों का मन बहुत ज्यादा हो जाता था लेकिन हम सेक्स नहीं कर पाते थे. एक दिन सेक्सी सेक्सी बातें करते हुए मेरा बहुत ज्यादा मन हो गया और मैं बुरी तरह से तड़पने लगी. मेरे पति दूसरी तरफ बुरी तरह से तड़प रहे थे. मैं अपनी चूत पर हाथ फिरा रही थी और मेरे पति अपना लण्ड पकड़ के हिला रहे थे. मैंने उनसे कहा कि वह मेरी चूत देख देख कर अपने हाथ से जोर जोर से अपना लण्ड हिलाएं.

मेरी चूत मेरे पति का लण्ड अपने अंदर लेने के लिए बुरी तरह से तड़प रही थी और मेरे पति मेरी चूत में लण्ड डालने के लिए बुरी तरह से तड़प रहे थे वह बहुत जोर जोर से मुठ मारने लगे और उनका वीर्य निकल गया. लेकिन मैं अभी भी तड़पती ही रह गई थी. मुझे तड़पता देख मेरे पति ने कहा कि तुम किसी अपने दोस्त को बुला लो और अपनी अच्छी सी चुदाई करवा लो तुम्हें ऐसे तड़पता देख मुझे अच्छा नहीं लगेगा. मैंने कहा आपने मुझे इतना तड़प दिया है कि अब मैं बिना चुदाई के नहीं रह पाऊंगी मुझे चुदाई तो करवानी ही पड़ेगी. मेरे पति ने कहा कि आज तुम ज्यादा ही तड़प गयी हो इसलिए आज तुम अरुण और निखिल दोनों को बुला लो और ज़ी भर के सेक्स करो (अरुण मेरे पति का दोस्त है और निखिल मेरा दोस्त है. दोनों ही लड़के बहुत खूबसूरत और चुदाई वाले माल है. मेरे पति ने कई बार उनके साथ मिलकर मेरे साथ सामूहिक सम्भोग किया है और मुझे जन्नत के मजे कर आए हैं. जब कई बार मेरे पति लम्बे टाइम के लिए घर से बाहर होते हैं तो मैं पति को बता कर उनके साथ आउटिंग पर जाती हूं जहां वह दोनों मिलकर मुझे खूब चोदते हैं)

मैंने अपने पति से कहा कि ठीक है उनको बुला लेती हूं उनके साथ कहीं कहीं बाहर जाकर चुदुँगी. मेरे पति ने कहा कि ठीक है तुम अपनी चुदाई का इंतजाम करो मैं सो जाता हूं मुझे सुबह जल्दी उठना है और मुझे गुड लक बोल कर सो गए.

मैंने अरुण और निखिल को फोन किया कि बहुत जल्दी से आ जाओ मुझे अपनी चुदाई करवानी है और जल्दी घर आने के लिए कहा.

थोड़ी देर बाद डोर बैल बजी तो मैंने दरवाजा खोला.. दरवाजे पर अरुण, निखिल और पियूष खड़े थे. मैंने तीनो को अंदर बुला लिया. पियूष बेचलर है और हम सब का कॉमन फ्रेंड है पर अभी तक हमारे चुदाई ग्रुप का मेंबर नहीं था. मै पियूष को वहां पर देख कर थोड़ा हिचकिचाई और अरुण की तरफ देखा तो वो मुझे अंदर रूम में ले गया और बोला स्वीटहार्ट पियूष बहुत दिनों से तुम्हे चोदना चाहता है पर बेचारा तुम्हारी चूत मिलने के इंतज़ार में तुम्हारे नाम की मुठ मर के ही सो जाता है. आज इस को भी अपना स्वाद चखा दो. वैसे पियूष एक शानदार मर्द है और मै भी उससे चुदना चाहती थी पर कभी उसको मैंने ये मह्सूस नहीं होने दिया. मैंने मन ही मन सोचा चलो अच्छा हुआ आज मै पियूष से भी चुद लूंगी और परफेक्ट ग्रुप सेक्स भी हो जायेगा. मैंने अरुण से बोला की चलो ठीक है आज मै तुम तीनो की चुदाई करुँगी.

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हमने गाडी में बहुत साड़ी बियर, व्हिस्की और खाने का सामान रख लिया और हम सब निकल पड़े. मैंने लाल रंग की ड्रेस पहनी थी जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी ये थोड़ी ट्रांसपेरेंट भी थी जिसमे मेरा गोरा मांसल शरीर नज़र आ रहा था. सबसे पहले तो गाडी में बैठने को लेकर ही झगड़ा होने लगा की मेरे पास कौन बैठेगा? तभी निखिल ने कहा की निशु मै गाडी चलाऊंगा आप मेरे लण्ड पर बैठ जाओ… सब हंसने लगे और अपनी अपनी सीट पर बैठ गए. निखिल गाडी चलने लगा, अरुण उसके पास आगे वाली सीट पर बैठ गया, मै और पियूष पीछे वाली सीट पर बैठ गए. अरुण और निखिल बोले की काश हम पीछे बैठे होते तो मज़ा आता.. तभी पियूष बोला यार आज मेरा नंबर है भाभी जी के साथ बैठने का.

पियूष मेरे पास बैठकर मरे गोल गोल चूचियों की तरफ देख रहा था और मेरी टांगों पर अपना हाथ फिरा रहा था… मेरी सांसें तेज होती जा रही थी.. टांगों पर हाथ फिरवाना इतना अच्छा लग रहा था की चूत पानी छोड़ रही थी. मैंने देखा की पियूष का लण्ड भी पैंट फाड़कर बाहर आने को तैयार है. तभी उसने चैन खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरा हाथ पकड़ कर लण्ड पर रख दिया. पियूष का लण्ड मैंने आज पहली बार देखा था. उसका लण्ड बड़ा और सुन्दर था. पियूष के लण्ड पर हाथ लगा कर ऐसा लगा मनो जैसे बिजली सी दौड़ गयी हो ! मै लण्ड को सहलाने लगी और पियूष सीट पकड़ का बैठ गया उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा वह एक हाथ से मेरी चूचियों को दबाने लगा और दूसरे हाथ से मेरी चूत में ऊँगली डाल कर हिलाने लगा.
ये सब अरुण ने महसूस किया की पीछे कुछ अच्छा चल रहा है वह पीछे मुड़ कर देखने लगा, उसका लण्ड भी खड़ा हो गया. तभी गाडी चलते हुए निखिल ने कहा की मेरे बिना तुम दोनों मज़ा लेलोगे क्या ?
अरुण हँसके बोलने लगा नहीं यार… जब मै चूत में डालूँगा तो तू मुँह में डाल देना… पियूष बोला वाह भाई… कब से मेहनत तो मै कर रहा हूँ मै क्या करूँगा जब चूत और मुँह में तुम डाल लोगे तो ?
अरुण बोला भाई तू गांड में डाल लेना… और सब हंसने लगे…
हम सब ये बात करते करते बियर पीते जा रहे थे तभी अरुण भी पीछे आ गया और ज़ोर से मेरे बाल पकड़ कर होठों को चूसने लगा. मेरे होठों को चूसते चूसते वो अपने पैंट उतारने लगा. अपनी पैंट उतारने के बाद उसने मरे कपडे भी उतार दिए और मेरी चूचिओं को अपने हाथ से पकड़ कर पीने लगा. तभी पियूष ने कहा यार मुझे भी तो साथ लेलो.. निखिल ने कहा मुझे भी… तो अरुण ने कहा, निखिल तू गाड़ी चला पहले हम चोद लें फिर तुझे जो करना है कर लेना.. निखिल ने कहा मुझे ‘जो’ नहीं करना मुझे भी निशु की चुदाई ही करनीं है

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अरुण की पैंट उतरने के बाद मैंने अरुण की तरफ देखा उसका बहुत सुन्दर लण्ड (जो मुझे बहुत पसंद भी है) तन कर खड़ा हुआ था और उसके लण्ड के मुँह से चिकना पानी निकल रहा था.. उसे देख कर लग रहा था की ये मेरी चूत में घुसकर उसे फाड़ डालेगा… ये सोच कर ही मन में गुदगुदी सी होने लगी…. ये लगा जैसे शरीर में बिजली सी दौड़ रही हो. तभी मैंने पियूष की तरफ देखा तो वो अपना लण्ड सहला रहा था. अब अरुण मेरी चूचिओं को पीने लगा और पीछे से पियूष मेरी टांगों के बीच से हाथ डाल कर मेरी चूत सहलाने लगा… निखिल ये सब मिस कर रहा था उसे कहा मै भी गाडी रोक कर आ रहा हूँ तभी अरुण से बोला की यार हमें तो शुरू करने दे अभी तो हमने भी कुछ नहीं किया ये कहते हुए अरुण ने पियूष को सीट पर लेटने का इशारा किया तभी पियूष सीट पर लेट गया और अरुण ने मुझे पियूष के ऊपर लेटने को कहा. मै अपनी गांड पियूष के लण्ड पर रख कर लेट गयी.. तभी पियूष ने मेरी गांड को थोड़ा उठा कर अपने लण्ड का सूपड़ा मेरी गांड में डाल दिआ तभी मेरे मुँह से आह… की आवाज आयी. दर्द और मज़े की फीलिंग से मेरे मुँह से आह.. आह हम्म.. हम्म की आवाज आ रही थी तभी अरुण ने लण्ड चूत के मुँह पर रख कर ज़ोर से धक्का मारा और अरुण का पूरा लण्ड चूत के अंदर तक चला गया क्योंकि अरुण का लण्ड करीब 6 -7 इंच का होगा अब उसका पूरा लण्ड मेरी चूत की अंदर तक मालिश कर रहा था और मि आह… आह.. की आवाज कर रही थी.
चूत में पूरा मज़ा आ रहा था पर गांड थोड़ा दर्द कर रही थी. अरुण धक्का मारते-मारते मेरी चूचिओं को ज़ोर से दबा रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे मेरी चूची पकड़ कर ही हिला रहा हो और मेरी चूत को अपने लण्ड पर ज़ोर ज़ोर से पटक रहा हो. उसके ऐसा करने से पियूष का लण्ड भी मेरी गांड में पूरा जाने लगा. निखिल ने भी गाडी रस्ते से हट कर एक सुनसान जगह लगा दी और निचे एक बड़ा कपडा डाल दिया जो की पहले से ही गाडी की डिक्की में रखा हुआ था और सब से नीचे आने के लिया कहने लगा.. अरुण और पियूष को मेरी चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था.. उन्होंने जाने से मना कर दिया. पर मैंने उसे गाडी में आने को कहा और कहा की बाहर आने के लिए अभी दो मिनट वेट करना पड़ेगा…

अरुण मेरी चूत में लण्ड अंदर बाहर कर रहा था और नीचे पियूष भी मेरी कमर पकड़ कर मेरी गांड मार रहा था तभी निखिल भी गाडी का गेट खोल कर अंदर आ जाता है और अपना लण्ड बाहर निकल कर मेरे मुँह में डाल देता है अब तीनो मुझे एकसाथ चोदने लगते हैं पर गाडी में तीन लोग एक साथ ठीक से नहीं कर पाते और मुझे उठा कर बाहर बिछे हुए कपडे पर ले आते हैं. फिर तीनो अपनी पोजीशन बदल लेते हैं. अब की बार पियूष ने मुँह में लण्ड डाला, निखिल ने चूत में और अरुण ने गांड में. सभी ने हिलना शुरू किया.. मेरी आह आह ली आवाजें आ रही थी पर लण्ड मुँह में होने के कारण बाहर कम आ रही थी.

निखिल ने अपना लण्ड चूत से बहार निकला व चूत में थूक लगाकर चूत को और चिकना करके अपने लण्ड का सूपड़ा चूत में डाल दिया और मेरी कमर पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से चूत मरने लगा. चूत से फच -फच की आवाजें आ रही थी और मुँह से भी… अरुण निचे होने के कारण धीरे धीरे लगा हुआ था पर वह सबसे ज्यादा मज़े ले रहा था क्योकि मै उसी के ऊपर लेटी हुयी थी तभी निखिल ने आह आह आह की आवाज निकली.. अरुण हसने लगा… यार मैदान छोड़ कर जल्दी भाग रहा है तू तो सब से बाद में आया था.. निखिल बोला यार तुम दोनों को निशु की चुदाई के मज़े लेते देख मै पहले से ही इतना मज़ा ले रहा था की चूत में लण्ड डालते ही मैंने ज़न्नत की सैर शुरू कर दी थी और ये कह कर निखिल ने चूत में लण्ड की आवाजाही बढ़ा दी… मुझे भी मज़ा आ रहा था और निखिल को इतना मज़ा आ रहा था की वो ज़ोर ज़ोर से आवाजें निकलने लगा… निखिल को देख कर पियूष ने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी… तभी निखिल झड़ जाता है निखिल के झड़ने के बाद अरुण गांड से लण्ड निकाल कर सामने से मेरी चूत में अपना लण्ड डाल देता है.. तभी पियूष भी मेरे मुँह को अपने वीर्य से भर देता है और आह आह करता रहता है और कहता है की यार पहली बार इतना मज़ा आया है. तभी निखिल बोला मै और अरुण हर सप्ताह निशु के साथ इसीलिए तो घूमने जाते हैं इसकी चूत मुँह और गांड बहुत ही टेस्टी है…

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अब अरुण भी झड़ने की तैयारी शुरू कर देता है अरुण को अब ज्यादा मज़ा आने लगा क्योकि अब वो अकेला ही मैदान में था और मै तो चुदने की हवसी थी की अभी भी हार नहीं मान रही थी तभी अरुण ने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी कमर को पकड़ कर चोदने लगा.. मेरी लटकती चूची देख कर निखिल से रहा नहीं गया वो मेरे नीचे लेट कर चूची पीने लगा… अरुण ने अपने लण्ड को चूत में रगड़-रगड़ के झाग उठा दिए..

अरुण ने अब मुझे सीधे लिटा दिया और मेरी टांगों को अपने कंधे पर रख कर मेरी चूत में लण्ड डाल कर चूचिओं को दबाने लगा. अरुण ने जब ज़ोर-ज़ोर से चूत में धक्के मारे तो उसका लण्ड चूत को अंदर से रगड़ रहा था और उसके आंड मेरी गांड पर टकरा रहे थे मुझे अरुण ज़न्नत की सैर करा रहा था.. अब मै भी झड़ने वाली थी… मैंने अरुण की गांड को ज़ोर से पकड़ा और अपनी तरफ कस कर खींचने लगी जिससे उसका लण्ड मेरी चूत के ज्यादा से ज्यादा अंदर तक वार करे.. अरुण ने कस-कस के मेरी चूत में धक्के मारे और मै झड़ गयी.. तभी अरुण ने ज़ोरदार धक्के मार-मार कर अपने वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया और मेरी चूत को वीर्य से भर दिया.

इसके बाद उनसे अपना लण्ड मेरे मुँह में देकर मेरी आंखों में देखा… मैंने मुस्कुराते हुए उसका लण्ड चाटना शुरू किया और चाट कर बिलकुल साफ़ कर दिया. अरुण हर बार मुझे चोदने के बाद अपना लण्ड मुझसे चटवा कर साफ़ करवाता है….. ये थी मेरी चुदाई की कहानी…

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