Jija Sali Chudai: मेरा नाम दीपांशु कुमार है। मेरी उम्र 19 साल की है। हमारे घर में मेरे अलावा सिर्फ मेरे भैया मोहन और भाभी सोनिया रहते हैं। भैया की शादी को दो साल हो चुके हैं। कुछ दिन पहले भाभी अपने मायके गई थीं। जब वो वापस आईं, तो उनके साथ उनकी छोटी बहन मिनी भी हमारे घर आई। मिनी 18 साल की थी, बहुत खूबसूरत और चंचल। उसकी आँखों में शरारत और चेहरे पर मासूमियत का मिश्रण था। वो मुझे भी जीजा कहकर बुलाती थी और हर वक्त मुझसे मज़ाक करती रहती थी। भाभी ने उसे मेरे कमरे के बगल वाला कमरा दे दिया था।
एक रात मैं बाथरूम जाने के लिए निकला। गैलरी में अंधेरा था। मैंने देखा कि मिनी भैया के कमरे की चाबी के छेद से बड़े ध्यान से अंदर झांक रही थी। वो इतनी तल्लीन थी कि उसे मेरे आने की भनक तक नहीं लगी। मैं चुपके से उसके पीछे खड़ा हो गया। मिनी ने मिनी स्कर्ट और टाइट ब्लाउज़ पहना था, जो उसकी जवानी को और उभार रहा था। मैंने सिर्फ बनियान और लुंगी पहनी थी। मुझे अंदाज़ा हो गया कि वो अपनी दीदी को भैया के साथ चुदाई करते देख रही थी। उसका ये शरारती अंदाज़ देखकर मेरा लंड तन गया। मैंने धीरे से अपना लंड उसकी गांड पर सटा दिया।
वो चौंककर पीछे मुड़ी और मुझे देखते ही शर्मा गई। उसकी आँखों में शर्मिंदगी और डर का मिश्रण था। मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो कुछ बोलना चाहती थी, लेकिन मैंने उसका मुँह पकड़ लिया और उसे अपने कमरे में ले गया। मैंने पूछा, “क्या देख रही थी?” वो शर्म से लाल हो गई और चुप रही। मैंने फिर पूछा, “कमरे में क्या देखा?” उसने धीमी आवाज़ में कहा, “कुछ भी तो नहीं।” मैंने उसे अपनी छाती से सटा लिया और उसकी गर्दन पर एक गहरा चुम्बन दे दिया। वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने उसे ज़ोर से पकड़ रखा था।
मैंने फिर पूछा, “कमरे में क्या देखा?” वो शर्माते हुए बोली, “वही जो एक मर्द औरत के साथ करता है।” मैंने उसके होंठों पर फिर से चुम्बन दे दिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। उसने कहा, “जीजू, प्लीज़ मुझे छोड़ दो।” मैंने कहा, “तुमने जो कमरे में देखा, वही मैं अब तुम्हारे साथ करूँगा।” वो घबराकर बोली, “ऐसा मत करो, प्लीज़। मेरी अभी शादी नहीं हुई। अगर किसी को पता चल गया तो?” मैंने कहा, “किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। अगर तुमने मना किया, तो मैं भैया और भाभी को सब बता दूँगा।” वो एकदम चुप हो गई।
मैंने उसकी पीठ और कमर को सहलाना शुरू किया, उसके होंठों को चूमता रहा। उसकी मिनी स्कर्ट और ब्लाउज़ उसके जिस्म को और भी कामुक बना रहे थे। मैंने धीरे से उसकी स्कर्ट का बटन खोला, और वो ज़मीन पर गिर गई। वो बोली, “जीजू, मुझे छोड़ दो, मैं माफी माँगती हूँ।” मैंने कहा, “मैं भी जवान हूँ, तुम भी जवान हो। हमें भी वही मज़ा लेना चाहिए।” वो चुप रही। मैंने उसकी जांघों पर हाथ फेरना शुरू किया। उसकी जांघें मलाई की तरह चिकनी थीं। थोड़ी देर में वो सिसकारियाँ भरने लगी। फिर मैंने उसका ब्लाउज़ और ब्रा उतार दी। अब वो सिर्फ पैंटी में मेरे सामने थी। उसकी गोल-गोल, खूबसूरत चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने एक उंगली से उसके निप्पल को मसलना शुरू किया और दूसरे हाथ से उसकी जांघों को सहलाता रहा।
मेरे पूरे बदन में सनसनी दौड़ रही थी। थोड़ी देर बाद उसे मज़ा आने लगा और वो मुझसे चिपक गई। मैंने उसकी पैंटी नीचे सरका दी और उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू किया। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, एकदम चिकनी थी। उसने अपनी जांघें सटा लीं, तो मैंने अपने पैर को उसकी जांघों के बीच घुसा दिया। मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए उसे चूमना शुरू किया। वो और जोश में आ गई, मुझसे लिपट गई और मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगी। मैंने अपनी लुंगी खोल दी और उसका एक हाथ अपने लंड पर रख दिया। उसने फौरन हाथ हटा लिया। मैंने फिर उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा। थोड़ा शर्माने के बाद उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था, और उसके हाथ लगते ही और तन गया।
मैं उसकी चूत को सहलाता रहा। थोड़ी देर बाद वो बोली, “जीजू, आपका तो बहुत बड़ा है। मुझे बहुत दर्द होगा।” मैंने पूछा, “तुम कैसे कह रही हो कि मेरा बहुत बड़ा है?” वो बोली, “अभी मैंने बड़े जीजू का देखा था। उससे आपका बहुत बड़ा है।” मैंने कहा, “तो क्या हुआ? हर मर्द का एक जैसा नहीं होता।”
चार-पाँच मिनट बाद उसकी चूत गीली हो गई। मैंने उसे और इंतज़ार नहीं करवाया और बिस्तर पर लिटा दिया। वो अब पूरे जोश में थी और मेरा हर कहा मान रही थी। मैंने उसके चूतड़ों के नीचे दो तकिए रखे, जिससे उसकी चूत ऊपर उठ गई। मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाली। उसकी चूत बहुत टाइट थी। उसे हल्का दर्द हुआ और वो चिहुँक उठी। मैंने उंगली को अंदर-बाहर करना शुरू किया। दो मिनट बाद उसकी चूत से पानी निकलने लगा। वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगी, “आह्ह… जीजू… उह्ह…” मैंने उसकी टाँगें पकड़कर फैला दीं। उसकी चूत का मुँह खुल गया। उसकी चूत गुलाबी थी, बिल्कुल साफ और बिना बालों की। मैंने पूछा, “तुम्हारी चूत पर बाल नहीं हैं?” वो बोली, “यहाँ आने से पहले मैंने शेव किया था।”
मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के बीच रखा। वो जोश में थी और उसने मेरे सिर को पकड़कर सहलाना शुरू कर दिया। मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे अंदर दबाना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे ज़ोर लगाना पड़ रहा था। वो दर्द से अपने होंठ काटने लगी। मैंने थोड़ा ज़ोर लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत में 3 इंच तक घुस गया। वो रोने लगी और बोली, “जीजू, बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज़, अब रहने दो। बाकी कल कर लेना।” मैंने कहा, “क्या, कल भी तुम मुझसे चुदवाओगी?” वो बोली, “हाँ, कल भी करवाऊँगी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। आज बस इतना ही डालो।” मैंने कहा, “ठीक है।”
मैंने अपने लंड को सिर्फ 3 इंच तक ही अंदर-बाहर करना शुरू किया। थोड़ी देर में उसका दर्द कम हुआ और उसे मज़ा आने लगा। वो बोली, “आह्ह… जीजू… और करो… उह्ह…” उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। मैंने अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी। वो मेरे हर धक्के के साथ अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। मैं समझ गया कि वो अब पूरी तरह मस्त हो चुकी है। मैंने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी। दो-तीन मिनट में वो झड़ गई। उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गई और मेरा लंड उसके पानी से भीग गया।
मैं रुका नहीं, उसे चोदता रहा। बीच-बीच में तेज़ धक्के मारता। वो दर्द से हल्की सी चीख पड़ती, “आह्ह… धीरे जीजू… ओह्ह…” वो मेरे बालों को सहला रही थी। मैंने अगले 10 मिनट तक उसे चोदा और धीरे-धीरे अपना पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में घुसा दिया। मैंने कहा, “मिनी, अब कल क्या होगा? तुमने तो आज ही पूरा लंड ले लिया।” वो हँसकर बोली, “कल जमकर चुदाई होगी, जीजू!”
मैंने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी। अब मैं उसे पूरी ताकत से चोद रहा था। वो अपने चूतड़ उठा-उठाकर मेरे हर धक्के का जवाब दे रही थी। “आह्ह… जीजू… और ज़ोर से… उह्ह… चोदो मुझे…” वो सिसकार रही थी। लगभग 20 मिनट तक चोदने के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। इस दौरान वो चार बार झड़ चुकी थी। झड़ने के बाद मैं हट गया और अपना लंड उसके मुँह में दे दिया। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद वो बोली, “जीजू, प्लीज़, एक बार और।”
मैंने कहा, “ठीक है, इसे चूसकर फिर से तैयार करो। मैं तुम्हें फिर से चोदता हूँ। मेरा मन भी अभी नहीं भरा।” 10 मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। वो बोली, “जीजू, जैसे बड़े जीजू दीदी को घोड़ी बनाकर पीछे से कर रहे थे, वैसे करो।” मैंने पूछा, “वो कैसे कर रहे थे?” वो बोली, “बड़े जीजू दीदी को घोड़ी बनाकर पीछे से चोद रहे थे।” मैंने कहा, “ठीक है, तुम भी घोड़ी बन जाओ।”
वो तुरंत घोड़ी बन गई। मैंने पीछे से आकर उसकी चूत में लंड डाला। इस बार उसे कम दर्द हुआ। वो पूरी मस्ती में चुदवा रही थी। “आह्ह… जीजू… और ज़ोर से… फक मी… उह्ह…” वो हर धक्के पर मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसे लगभग 45 मिनट तक चोदा और फिर उसकी चूत में झड़ गया। इस बार वो फिर से चार बार झड़ चुकी थी।
मेरे लंड का सारा पानी उसकी चूत में निकालने के बाद मैं हट गया। उसने मेरे लंड को चाट-चाटकर साफ कर दिया और फिर एक कपड़े से अपनी चूत साफ की। कपड़े पर खून के कुछ धब्बे थे। उसने वो धब्बे मुझे दिखाए और मेरे होंठों पर एक चुम्बन दे दिया। फिर वो अपने कमरे में चली गई।
वो हमारे घर में 10 दिन रही। मैंने उसकी अलग-अलग स्टाइल में खूब चुदाई की। आज तक मैं उसे नहीं भूल पाया, और ना ही वो मुझे भूल पाई। मैं अभी भी उससे बहुत प्यार करता हूँ।
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