मेरी प्यारी मैम और उनकी टाइट चूत

Mam ki chudai कहानी मेरे दोस्त की है, जिसे मैं आप तक पहुँचा रहा हूँ। मेरा नाम रवि है, उम्र 21 साल, कॉलेज का दूसरा साल चल रहा था। मैं एक औसत दिखने वाला लड़का हूँ, गेहुंआ रंग, कद 5 फीट 10 इंच, और थोड़ा जिम जाने की वजह से बदन में थोड़ी ताकत थी। कॉलेज में मेरी नजर हमेशा एक खास शख्स पर रहती थी—हमारी नई टीचर, अनु मैम। अनु मैम, उम्र करीब 28 साल, गोरी, लंबी, और इतनी खूबसूरत कि हर लड़के की नजर उन पर ठहर जाए। उनकी बड़ी-बड़ी नशीली आँखें, गुलाबी होंठ, और कर्वी फिगर (36-28-38) हर किसी को दीवाना बना देता था। वो साड़ी में आती थीं, जो उनकी कमर को और उभारती थी, और जब वो चलती थीं, तो उनके कूल्हों का लचकना हर लड़के का ध्यान खींच लेता था। उनकी आवाज इतनी मीठी थी कि क्लास में पढ़ाते वक्त भी मैं खो जाता था। लेकिन उनकी शादीशुदा जिंदगी दुखों से भरी थी—उनके पति का देहांत हो चुका था, और वो अपनी 3 साल की बेटी, मिनी, के साथ अकेले रहती थीं।

कॉलेज में अनु मैम के आने से माहौल बदल गया था। मैं (यानी मेरा दोस्त) उनकी खूबसूरती का कायल हो चुका था। मैं हर वक्त उन्हें घूरता रहता। क्लास में जब वो पढ़ातीं, तो मैं जानबूझकर सवाल पूछता या शरारत करता ताकि उनका ध्यान मुझ पर आए। उनकी साड़ी के पल्लू से झाँकती कमर और ब्लाउज में कसी उनकी छाती को देखकर मेरा मन मचल जाता था। मैं उनके पीछे पागल सा हो गया था। वो जब कॉलेज से घर जातीं, तो मैं उनके घर के बाहर चुपके से खड़ा हो जाता। उनके घर के सामने एक पुराना नीम का पेड़ था, जिसके नीचे मैं घंटों इंतजार करता। अनु मैम को मेरी ये हरकतें परेशान करने लगी थीं। उनकी आँखों में गुस्सा और बेबसी साफ दिखती थी, लेकिन वो कुछ कह नहीं पाती थीं। मेरे पापा और कॉलेज के डायरेक्टर पुराने दोस्त थे, शायद इसीलिए वो मेरी शिकायत करने से डरती थीं।

क्लास में मेरी हरकतें और बढ़ गई थीं। मैं खुलेआम कमेंट करने लगा, जैसे “मैम, आपकी साड़ी आज बहुत टाइट लग रही है,” या “आपके होंठ तो गुलाब से भी नरम लगते हैं।” मेरे दोस्त हँसते, और मैम का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता। लेकिन उनके गुस्से में भी मुझे उनकी आँखों की चमक और साँसों की गर्मी दिखती थी, जो मुझे और दीवाना बना देती थी। मैं उनकी आँखों में खो जाता, और मेरे मन में बस उनकी तस्वीर घूमती। लेकिन सच कहूँ, मेरे दिल में उनके लिए कोई गलत ख्याल नहीं था—मैं बस उनकी खूबसूरती का दीवाना था, उनकी मुस्कान का कायल था।

एक दिन मैम ने मुझे अपने केबिन में बुलाया। केबिन छोटा सा था, एक टेबल, दो कुर्सियाँ, और दीवार पर कुछ किताबें। मैम अकेली थीं, और मैं उनके सामने खड़ा था, उनके चेहरे को घूरता हुआ। उनकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरक गया था, और उनकी गहरी साँसों से उनका ब्लाउज ऊपर-नीचे हो रहा था। वो उदास दिख रही थीं, उनकी आँखें गीली थीं। अचानक वो रोने लगीं। मैं घबरा गया, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मैं उनके पास गया और उनके कंधे पर हाथ रखकर पूछा, “मैम, क्या हुआ?” उनकी सिसकियाँ और तेज हो गईं। अचानक उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और अपने ब्लाउज पर रख दिया। उनकी छाती की गर्मी मेरे हाथ में महसूस हुई। वो रोते हुए बोलीं, “यही चाहते हो न तुम? जो करना है कर लो, बस मुझे बख्श दो।” मैं सन्न रह गया। मेरे दिमाग में कुछ नहीं सूझ रहा था। मैंने झटके से अपना हाथ खींच लिया और केबिन से बाहर भाग आया।

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मेरा दिमाग सुन्न था। मैम मेरे बारे में ऐसा क्यों सोच रही थीं? क्या मैंने कुछ गलत किया? कॉलेज की छुट्टी हुई, और मैं फिर उनके घर के बाहर खड़ा था। नीम के पेड़ की छाँव में मैं उनकी राह देख रहा था। मैम आईं, मुझे देखा, और उनकी आँखें फिर गीली हो गईं। वो तेजी से अपने घर में चली गईं। मैंने हिम्मत जुटाई और उनके पीछे-पीछे घर में घुस गया। उनके घर में उनकी 3 साल की बेटी मिनी खेल रही थी, और एक नौकरानी थी, जो रसोई में काम कर रही थी। नौकरानी ने मुझे पानी का गिलास दिया, और मैम ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने बेडरूम में ले गई। बेडरूम में एक पुराना लकड़ी का पलंग था, जिसके ऊपर नीली चादर बिछी थी। खिड़की से हल्की धूप आ रही थी, और पंखा धीरे-धीरे चल रहा था। मैम ने दरवाजे की सिटकनी लगाई और मेरे पैरों में गिरकर रोने लगीं।

“प्लीज, मुझे कॉलेज से मत निकलवाओ,” वो सिसकते हुए बोलीं। “जो तुम कहोगे, मैं करने को तैयार हूँ।” मैं हक्का-बक्का रह गया। ये क्या कह रही थीं मैम? मैंने उन्हें उठाया, उनके आँसू पोंछे, और पूछा, “मैम, ये सब क्या है?” तब मैम ने बताया कि मेरे कुछ दोस्त उन्हें ब्लैकमेल कर रहे थे। वो कहते थे कि अगर मैम उनके साथ रात नहीं बिताएँगी, तो मैं अपने पापा के रसूख से उनकी नौकरी छिनवा दूँगा। मैम ने बताया कि उनकी बेटी मिनी के सिवा उनका इस दुनिया में कोई नहीं है। उनके पति का देहांत हो चुका था, और ये नौकरी उनकी जिंदगी का सहारा थी। मेरे दोस्तों की बात सुनकर मेरा खून खौल उठा। मैंने मैम से कहा, “मैम, आप मुझे बहुत प्यारी लगती हैं। लेकिन मेरे दिल में आपके लिए कोई गंदी भावना नहीं है। मैं तो बस आपकी आँखों का दीवाना हूँ, आपके होंठों का कायल हूँ।”

मेरी बात सुनकर मैम हल्के से मुस्कुराईं। “लाइन मार रहे हो?” उन्होंने मजाक में कहा। मैंने कहा, “मैम, आपकी आँखें, आपके होंठ, आपका पेट—सब कुछ मुझे अच्छा लगता है।” मेरी बात सुनकर मैम शरमा गईं। उनकी गालों पर हल्की लाली छा गई। मैंने हिम्मत करके पूछा, “मैम, क्या मैं आपको किस कर सकता हूँ?” वो थोड़ा झिझकीं, फिर बोलीं, “अगर तुम्हें लगता है कि ये ठीक है, तो हाँ।” मैंने कहा, “अगर आप नहीं चाहतीं, तो मना कर दीजिए।” उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और कहा, “तुम बहुत अच्छे हो, रवि। कर सकते हो।” मैम ने अपनी आँखें बंद कर लीं और होंठ थोड़े से खोल दिए। उनकी साँसें तेज थीं, और मैं उनकी गर्मी महसूस कर रहा था। मैं उनके करीब गया, उनके होंठों को चूमना चाहता था, लेकिन मैंने उनके गाल पर हल्का सा किस किया और पीछे हट गया। मैम ने आँखें खोलीं, और मैंने उन्हें आँख मारकर फ्लाइंग किस दी। वो हँस पड़ीं।

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इसके बाद हमारी दोस्ती गहरी हो गई। हम क्लास के बाद बातें करते, हँसते, और एक-दूसरे को हल्के से हग करने लगे। एक दिन क्लास में मैम ने मुझसे मजाक में पूछा, “बताओ, क्लास में सबसे अच्छी लड़की कौन लगती है?” मैंने हँसते हुए कहा, “मैम, मुझे आपके सिवा कोई पसंद नहीं।” फिर मैंने पूछा, “मैम, आपको मुझ में क्या पसंद है?” मैम ने शरारत से कहा, “तुम बताओ, तुम्हें मुझ में क्या पसंद है?” मैंने हिम्मत करके उनके ब्लाउज की ओर इशारा किया। वो हल्के से शरमाईं, फिर बोलीं, “बदमाश, मुझे भी तुम पसंद हो।” मैंने धीरे से अपना चेहरा उनके ब्लाउज के ऊपर रखा, उनकी छाती की गर्मी महसूस की। मैम ने मेरा चेहरा अपनी छाती से दबा लिया। मैंने उनके ब्लाउज के ऊपर से उनकी चूचियाँ चूसनी शुरू कीं। उनकी साँसें तेज हो गईं, और वो हल्के से सिसकारी लेने लगीं, “आह्ह…”

मैंने हल्के से उनके ब्लाउज के बटन खोले। ब्लाउज के नीचे उनकी काली ब्रा दिखी, जिसमें उनकी 36 साइज की चूचियाँ कसी हुई थीं। मैंने ब्रा का हुक खोला, और उनकी चूचियाँ आजाद हो गईं। उनकी गुलाबी निप्पल्स सख्त हो चुके थे। मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… रवि… धीरे…” मैम सिसकारी ले रही थीं। मैंने उनकी दूसरी चूची को हाथ से दबाया, और वो और जोर से सिसकने लगीं, “उम्म… आह्ह…” मैंने उनके ब्लाउज को पूरी तरह फाड़ दिया। मैम ने हँसते हुए कहा, “बदमाश, आज मुझे गुरु दक्षिणा चाहिए।” मैंने पूछा, “क्या चाहिए मेरी जान को?” वो शरमाते हुए बोलीं, “मुझे एक बच्चा चाहिए।”

उनकी बात सुनकर मेरा जोश दोगुना हो गया। मैंने उनके होंठों को जोर-जोर से चूसना शुरू किया। उनकी साँसें मेरे मुँह में घुल रही थीं। मेरा लंड (7 इंच, मोटा) उनकी चूत के ऊपर पैंट के ऊपर से टकरा रहा था। मैंने उनके चौड़े चूतड़ों को जोर से दबाया, और वो मुझसे पूरी तरह चिपक गईं। “आह्ह… रवि… और जोर से…” वो सिसक रही थीं। मैंने उनकी ब्रा पूरी तरह उतार दी और उनकी चूचियों को चूस-चूसकर लाल कर दिया। मैम को हल्का दर्द होने लगा, “उफ्फ… धीरे करो, सैंया…” मैंने उनकी साड़ी खींचकर उतार दी। उनकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैं उनके पेट को चूमता हुआ उनकी नाभि तक गया। मैंने अपनी जीभ उनकी नाभि में डाली, और वो जोर से सिसक पड़ीं, “आह्ह… रवि… वहाँ… उफ्फ…”

मैंने उनकी पैंटी उतारी। उनकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने अपनी उंगली उनकी चूत में डाली, और वो चीख पड़ीं, “आह्ह… रवि… उफ्फ…” मैंने उनकी चूत के दाने को रगड़ना शुरू किया। उनकी सिसकियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… और करो…” मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी, और वो तड़प उठीं। “आह्ह… रवि… मैं… मैं…” और अचानक उन्होंने अपना पानी छोड़ दिया। मैंने उनका सारा रस चाट लिया। वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाए हुए थीं, “उफ्फ… सैंया… और करो…” मैं उनकी चूत के दाने को चूसता रहा, और वो फिर से गर्म हो गईं।

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हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैम मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूस रही थीं। उनकी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर घूम रही थी, और मैं उनकी चूत को चाट रहा था। “आह्ह… मैम… आप तो जादू कर रही हो…” मैं सिसक रहा था। मैम ने मेरे लंड को और गहराई तक लिया, और मैंने उनकी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं। “उफ्फ… रवि… फाड़ दो मुझे…” वो सिसक रही थीं। मैंने उनके ऊपर चढ़कर अपने लंड से उनकी चूचियों को चोदना शुरू किया। जब मेरा लंड उनकी चूचियों के बीच से ऊपर जाता, तो वो अपनी जीभ से उसे चाट लेतीं। दो मिनट में मैं झड़ गया, और मेरा सारा माल उनके मुँह में चला गया। उन्होंने एक बूंद भी नहीं छोड़ी।

मैम ने मेरा लंड चूसना जारी रखा, और कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया। मैम बोलीं, “पिया, फाड़ दो मेरी चूत… मुझे अपने बच्चे की माँ बनाओ…” मैंने उनकी टाँगें चौड़ी कीं और अपने लंड को उनकी चूत की गहराई में उतार दिया। “आह्ह… रवि… उफ्फ…” उनकी चीख निकल गई। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड पूरा अंदर नहीं जा रहा था। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “थप… थप… थप…” हमारी चुदाई की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैम की सिसकियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… और जोर से… फाड़ दो… उफ्फ…” मैंने उनकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। “आह्ह… रवि… मैं… मैं फिर से…” और वो फिर से झड़ गईं। मैं भी अपने चरम पर था। मैंने आखिरी धक्का मारा, और हम दोनों एक साथ झड़ गए। “आह्ह… उह्ह…” हम एक-दूसरे से लिपटकर शांत हो गए।

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