मेरी पत्नी को दो मजदूरों ने ट्रेन में चोदा- 1

Cheating Wife Double Penetration in Train Sex Story मेरी पत्नी, रानी, एक 26 साल की खूबसूरत और संस्कारी औरत थी। उसका गोरा रंग, भरा हुआ बदन, और 34-28-36 का फिगर उसे किसी अप्सरा से कम नहीं बनाता था। उसकी आँखों में हमेशा एक शर्मीली चमक रहती थी, जो उसकी सादगी को और बढ़ा देती थी। मैं, अजय, 28 साल का हूँ, औसत कद-काठी का मर्द, जिसका 4.5 इंच का लंड अपनी पत्नी को खुश करने में थोड़ा कम पड़ता था। मैं हमेशा से कामुक प्रवृत्ति का रहा हूँ। मुझे चुदाई के नए-नए तरीके आजमाने का शौक था, और मैं रानी को भी इस राह पर लाने की कोशिश करता था। हमारी शादी को अभी 6 महीने ही हुए थे, और इस छोटे से समय में मैंने उसे पॉर्न वीडियो दिखाकर सेक्स की दुनिया में खींचने की पूरी कोशिश की।

रानी को शुरू में सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। उसकी सादगी और अनजानपन मुझे और उत्तेजित करता था। मैं उसे पॉर्न दिखाता, जिसमें मोटे, लंबे, काले लंड वाले अफ्रीकन मर्द गोरी औरतों की चूत और गांड को रगड़-रगड़ कर चोदते थे। रानी इन्हें देखकर हैरान हो जाती थी। उसकी आँखें फटी रह जातीं, और वह मुझसे पूछती, “अजय, क्या सचमुच इतने बड़े और मोटे लंड होते हैं?” उसकी आवाज में उत्सुकता और शर्म का मिश्रण होता था। मैं हंसकर टाल देता, लेकिन मन ही मन सोचता कि शायद मेरा लंड उसे पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाता।

रानी ने मेरे अलावा कभी किसी और मर्द को नहीं देखा था। उसकी चूत और गांड इतनी टाइट थीं कि मेरे लंड को भी अंदर लेने में उसे दर्द होता था। उसने कभी अपनी गांड में उंगली तक नहीं डाली थी। लेकिन मैं हमेशा सपने देखता था कि एक दिन उसकी टाइट चूत और गांड में कोई मोटा, तगड़ा लंड घुसेगा, और वह तड़प-तड़प कर मजे लेगी। यह सोचकर ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था। मैं उसे ऐसी फंतासियाँ बताता, लेकिन वह शर्माकर बात टाल देती थी। wife sharing

एक दिन हम दोनों को एक लंबे सफर के लिए ट्रेन से जाना था। यह नवंबर की ठंडी शाम थी, और ट्रेन शाम 6 बजे छूटने वाली थी। हम समय पर स्टेशन पहुँच गए और ट्रेन में चढ़ गए। रानी ने उस दिन पीले रंग की साड़ी पहनी थी, जो उसकी गोरी कमर और गहरी नाभि को और उभार रही थी। उसकी साड़ी इतनी नीचे बंधी थी कि उसकी चिकनी जांघें और उभरी हुई गांड साफ दिख रही थीं। उसका 34C का ब्लाउज उसकी मोटी चूचियों को मुश्किल से समेट पा रहा था। ट्रेन में भीड़ थी, और हर मर्द की नजर उसकी गांड और चूचियों पर थी। मैंने देखा कि कुछ लोग तो उसे आँखों से चोद रहे थे। मुझे गुस्सा तो आया, लेकिन कहीं न कहीं यह देखकर मेरा लंड भी हल्का सा तन गया।

ट्रेन में जगह की भारी कमी थी। हम दोनों कुछ देर खड़े रहे, लेकिन थकान होने लगी। आखिरकार स्लीपर कोच में एक छोटी सी जगह मिली, जहाँ मुश्किल से एक आदमी बैठ सकता था। मैंने रानी से कहा, “तू वहाँ बैठ जा, मैं खड़ा रह लूँगा।” लेकिन रानी ने मना कर दिया, “नहीं अजय, तुम थक गए हो, तुम बैठो।” उसकी बात में प्यार था, लेकिन मैं नहीं चाहता था कि वह खड़ी रहे। सामने वाली बर्थ पर दो मजदूर बैठे थे, दोनों काले रंग के, 26-28 साल के, मज़बूत कद-काठी वाले। उनके चेहरे पर मेहनत की थकान थी, लेकिन आँखों में एक अजीब सी चमक थी।

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मैंने उनसे पूछा, “भाई, मेरी पत्नी को थोड़ी सी जगह दे दो।” एक मजदूर, जिसका नाम बाद में पता चला कि रामू था, बोला, “कोई बात नहीं, भाभी जी को यहाँ बैठने दो। मैं और मेरा दोस्त गोपाल एडजस्ट कर लेंगे।” उसकी आवाज में गर्मजोशी थी, और मुझे वह भला आदमी लगा। रानी भी मुस्कुराकर उनकी बर्थ पर बैठ गई। ठंड का मौसम था, और रात गहराने लगी थी। ट्रेन की रफ्तार और ठंडी हवा ने नींद को और भारी कर दिया। मैं सामने वाली बर्थ पर बैठा था, और कब मेरी आँख लग गई, पता ही नहीं चला।

रात के करीब 1 बजे मेरी नींद खुली। ट्रेन में सन्नाटा था, सिवाय कुछ हल्की-हल्की सिसकारियों की आवाज के। पहले तो मैं समझ नहीं पाया, लेकिन जैसे ही मेरी नजर सामने वाली बर्थ पर गई, मेरे होश उड़ गए। रानी की साड़ी कमर तक उठी हुई थी, और उसका एक पैर रामू की कमर पर था। उसकी पैंटी जांघों तक सरकी हुई थी, और रामू का मोटा, काला, कम से कम 8 इंच का लंड उसकी टाइट चूत में खंजर की तरह अंदर-बाहर हो रहा था। “आह्ह… ऊह्ह…” रानी की दबी हुई सिसकारियाँ हवा में गूंज रही थीं। उसकी मोटी गांड हल्के-हल्के हिल रही थी, जैसे वह उस मोटे लंड को और गहराई में लेना चाहती हो।

मेरा खून खौल उठा। यह मेरी संस्कारी पत्नी थी, जो मेरे लंड से चुदवाने में भी शर्माती थी, और आज एक गैर मर्द के नीचे लेटकर अपनी चूत में उसका मोटा लंड ले रही थी। मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह सब कैसे हो गया। रामू का लंड मेरे से दुगना मोटा और लंबा था, और वह रानी की चूत को बेरहमी से पेल रहा था। “फच-फच… फट-फट…” लंड के अंदर-बाहर होने की आवाज मेरे कानों में गूंज रही थी। रानी की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “आह्ह… धीरे… ऊह्ह… बहुत बड़ा है…” वह धीमी आवाज में कह रही थी, लेकिन उसकी आवाज में दर्द के साथ-साथ मज़ा भी साफ झलक रहा था।

मैं गुस्से और उत्तेजना के बीच फंस गया था। मेरा लंड भी धीरे-धीरे तन रहा था, यह देखकर कि मेरी पत्नी को कोई और चोद रहा है। ऊपरी हिस्सा चादर से ढका था, लेकिन रानी की गांड का हिलना साफ दिख रहा था। मैं सोच रहा था कि क्या रामू उसकी चूचियों को मुँह में लेकर निप्पल काट रहा होगा? उसकी गोरी, मुलायम चूचियाँ क्या अब लाल हो चुकी होंगी? तभी गोपाल, दूसरा मजदूर, रानी की गांड की तरफ खिसका। उसने अपनी पैंट नीचे की, और उसका 7 इंच का मोटा लंड बाहर निकला। उसने रानी की गांड के छेद पर लंड का टोपा सेट किया और धीरे-धीरे दबाव डालने लगा।

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रानी की सिसकारी और तेज हो गई, “नहीं… आह्ह… वहाँ नहीं… ऊह्ह…” लेकिन गोपाल ने उसकी बात अनसुनी की और अपने लंड को उसकी टाइट गांड में धकेलना शुरू किया। “आआह्ह… बहुत दर्द हो रहा है…” रानी की आवाज में दर्द था, लेकिन वह विरोध नहीं कर रही थी। कुछ ही पलों में गोपाल का पूरा लंड उसकी गांड में समा गया। “फट-फट… चप-चप…” दोनों मजदूरों के लंड अब रानी की चूत और गांड में एक साथ अंदर-बाहर हो रहे थे। रानी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं, “आह्ह… ऊह्ह… मार डाला… धीरे करो…” लेकिन दोनों मजदूर रुकने के मूड में नहीं थे।

रामू ने रानी की कमर पकड़ रखी थी और उसे नीचे से जोर-जोर से धक्के मार रहा था। गोपाल उसकी गांड को थपथपाते हुए अपने लंड को और गहराई में ठोक रहा था। रानी की चूत और गांड दोनों एक साथ पेली जा रही थीं। उसकी साड़ी अब पूरी तरह से कमर तक उलझी हुई थी, और उसकी पैंटी जांघों पर लटक रही थी। चादर अब नीचे सरक गई थी, और मैं देख पा रहा था कि रामू ने रानी के ब्लाउज के बटन खोल दिए थे। उसकी एक चूची बाहर थी, और रामू उसे मुँह में लेकर चूस रहा था। “आह्ह… मत काटो… ऊह्ह…” रानी की सिसकारी और तेज हो गई।

मैं चुपचाप यह सब देख रहा था। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था। यह पहली बार था जब मैंने अपनी पत्नी को किसी और से चुदवाते देखा, और मुझे मज़ा आ रहा था। रामू और गोपाल दोनों रानी की चूत और गांड को बारी-बारी से पेल रहे थे। रानी की सिसकारियाँ अब दबी नहीं थीं, “आह्ह… हाय… और जोर से… ऊह्ह…” वह अब खुलकर मज़े ले रही थी। दोनों मजदूरों ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। “फच-फच… थप-थप…” लंड और गांड के टकराने की आवाज पूरे डिब्बे में गूंज रही थी।

करीब 15 मिनट तक यह सिलसिला चला। अचानक रामू ने एक जोरदार धक्का मारा और रानी की चूत में अपना माल छोड़ दिया। “आह्ह… गर्म है…” रानी ने सिसकारी ली। गोपाल भी नहीं रुका और उसने रानी की गांड में अपना रस भर दिया। दोनों मजदूर हाँफते हुए रानी से अलग हुए। रानी की साँसें भी तेज थीं, और उसका चेहरा लाल हो चुका था। उसने धीरे से अपनी पैंटी ऊपर की और साड़ी ठीक की। फिर वह टॉयलेट की तरफ चल दी। उसे चलने में दिक्कत हो रही थी, वह लंगड़ाती हुई जा रही थी।

मैं चुपके से उसके पीछे गया। जैसे ही उसने टॉयलेट का दरवाजा खोला, मैं अंदर घुस गया और दरवाजा बंद कर लिया। रानी मुझे देखकर डर गई। उसकी आँखों में आंसू थे, और वह घबरा रही थी। “अजय… तुम…” उसकी आवाज काँप रही थी। मैंने उसका मुँह दबाया और उसे दीवार से सटा लिया। उसका ब्लाउज अभी भी आधा खुला था, और उसकी चूचियाँ लाल हो चुकी थीं। मैंने गुस्से में पूछा, “यह सब क्या था, रानी?” वह रोने लगी, “प्लीज… मुझे माफ कर दो… मैं नहीं जानती थी कि यह सब कैसे हो गया…”

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मुझे उस पर दया आ रही थी, लेकिन गुस्सा भी था। मैंने उससे कहा, “सच-सच बता, क्या हुआ था।” वह सुबक रही थी। मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठाई और उसकी पैंटी नीचे की। उसकी चूत पूरी तरह फट चुकी थी। लाल निशान और खून के धब्बे साफ दिख रहे थे। उसकी चूत अब भोसड़ा बन चुकी थी। मैंने धीरे से उसकी चूत पर उंगली फेरी, तो वह तड़प उठी, “आह्ह… दर्द हो रहा है… प्लीज…” उसकी चूत से रामू का गर्म माल बह रहा था। मैंने कहा, “अपनी गांड दिखा।” वह मना करने लगी, लेकिन मेरी जिद के आगे झुक गई।

जैसे ही उसने अपनी गांड मेरी तरफ की, मैं सन्न रह गया। उसकी गांड का छेद, जो पहले इतना टाइट था कि उंगली भी नहीं जाती थी, अब इतना चौड़ा हो गया था कि मेरी तीन उंगलियाँ आसानी से अंदर चली गईं। रानी दर्द से कराह उठी, “आह्ह… बस करो… बहुत दर्द हो रहा है…” मैंने उसकी गांड और चूत को चाटना शुरू किया। उसका स्वाद अब दूसरों के माल से मिला हुआ था, लेकिन मुझे उसमें मज़ा आ रहा था। मैंने सब चाटकर साफ किया और पानी से धो दिया। फिर हम दोनों बाहर आए।

बाहर देखा तो दोनों मजदूर गायब थे। शायद डर के मारे किसी स्टेशन पर उतर गए होंगे। हम उनकी बर्थ पर लेट गए। मैंने रानी का पैर अपनी कमर पर रखा और उसके माथे पर किस करते हुए पूछा, “साली, मेरी रंडी, यह सब कैसे हुआ?” वह हंसकर बोली, “तुम्हारी नूनी वो काम नहीं कर पाई, जो उन दोनों ने चुटकी में कर दिया। मेरी चूत और गांड को खोलकर रख दिया।” उसकी बेपरवाह बात सुनकर मैं हंस पड़ा।

मैंने पूछा, “अब बता, यह सब कैसे हुआ?” वह मेरे गाल सहलाते हुए बोली, “जब घर जाएँगे, और तुम मेरी चूत में लंड डालोगे, तब बताऊँगी कि कैसे इन दोनों ने मेरी जवानी लूटी।” मैंने उसे चूम लिया, और हम दोनों सो गए।

दोस्तो, मेरी बीवी की इस चुदाई की कहानी(sanskari patni ki chudai – train sex story) का अगला हिस्सा आपको रानी की जुबानी सुनने को मिलेगा। तब तक आप मुझे बताएँ कि यह कहानी आपको कैसी लगी?

कहानी का अगला भाग: मेरी पत्नी को दो मजदूरों ने ट्रेन में चोदा- 2

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