Meri patni ki gair mard se chudai sex story – xxx wife fuck: दोस्तो, मेरा नाम राकेश है, उम्र 45 साल। मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ, दिल्ली में रहता हूँ, और एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हूँ। मेरी शक्ल-सूरत ठीक-ठाक है, 5 फीट 10 इंच की हाइट, गठीला बदन, और चेहरे पर हमेशा एक हल्की-सी मुस्कान। लेकिन मेरी सोच, मेरे दोस्त, शायद इस ज़माने से सौ साल आगे की है। मुझे वो चीज़ें पसंद हैं, जो आम हिंदुस्तानी मर्द शायद सोचने से भी डरता है।
मेरी पत्नी का नाम आशा है, उम्र 39 साल। आशा का रंग गोरा है, लंबाई 5 फीट 4 इंच, और बदन ऐसा कि कोई भी मर्द एक बार देखे तो देखता रह जाए। उसकी चूचियाँ 36 साइज़ की हैं, गोल, कठोर, और इतनी भरी हुई कि दबाने में मज़ा आ जाए। उसकी कमर पतली, और गाँड इतनी उभरी हुई कि साड़ी में भी उसका आकार साफ दिखता है। आशा का चेहरा गोल है, आँखें बड़ी-बड़ी, और होंठ रसीले। घर में वो सती-सावित्री की तरह रहती है, सास-ससुर की सेवा करती है, पर बिस्तर पर वो किसी अंग्रेजन से कम नहीं। मेरा लंड चूसना, मेरी जीभ से अपनी चूत चटवाना, उसे सब पसंद है। लेकिन उसकी दुनिया यहीं खत्म हो जाती है।
ये कहानी, दोस्तो, कोई बनावटी कहानी नहीं, बल्कि मेरे जीवन की सच्ची घटना है। मैं हमेशा से चाहता था कि मेरी बीवी को कोई गैर मर्द चोदे, और मैं उसे चुदते हुए देखूँ। जी हाँ, मैं कुकोल्ड फंतासी में जीता हूँ। लेकिन आशा के संस्कार, उसके ससुराल वालों ने उसके दिमाग में इतने डाल दिए थे कि वो किसी गैर मर्द के बारे में सोचने को भी तैयार नहीं थी।
मैंने बचपन में चोरी-छिपे अपनी माँ-पिताजी को चुदाई करते देखा था। रात को दो-दो बजे तक जागता रहता, सिर्फ उनकी सिसकारियाँ सुनने के लिए। शादी की पहली रात, जब आशा 22 साल की थी, तब भी मेरे दिमाग में यही ख्याल था कि काश कोई और इसे मेरे सामने चोदे। लेकिन उसकी सख्त सोच को देखते हुए मैंने कभी हिम्मत नहीं की कि ये बात मुँह पर लाऊँ।
शादी के पहले पाँच साल, मैं चुप रहा। हम निसंतान थे, और शायद ये भी एक वजह थी कि मेरे दिमाग में ये ख्याल और गहरा गया। पाँच साल बाद, मैंने धीरे-धीरे आशा को टटोलना शुरू किया। मैंने उसे हिंट दिए, कहा कि आजकल लोग वाइफ स्वैपिंग करते हैं, या पति अपनी बीवी को किसी और से चुदवाते हैं। मैंने झूठे किस्से गढ़े, यहाँ तक कि ये भी कहा कि मेरी माँ को मेरे पिताजी के बॉस ने उनके सामने चोदा था, और मैंने खुद देखा। लेकिन आशा पर इसका उल्टा असर हुआ। वो गुस्से में आग-बबूला हो गई, बोली, “लोग जो करें, मुझे मतलब नहीं। लेकिन तुम अपनी माँ के लिए ऐसा कैसे बोल सकते हो? मैं तुम्हारी किसी बात पर भरोसा नहीं करूँगी।”
आप यह Cuckold - ककोल्ड हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन मेरी इच्छा थी कि मैं हार नहीं मानूँगा। मैंने दूसरा तरीका अपनाया। रात को जब मैं आशा को चोदता, तो मैं ऐसी बातें करता, जो उसकी सोच को थोड़ा हिला सकें। मैं कहता, “आशा, कई लोग अपनी बीवी को अपने दोस्त या किसी अनजान मर्द के साथ सुलाते हैं, और मज़े लेते हैं। कई तो पूरी रात के लिए वाइफ स्वैप कर लेते हैं।” वो गुस्से में बोलती, “ये गंदा काम है। इसमें मज़ा क्या?” मैं उसकी चूचियों को सहलाते हुए, उसकी चूत पर उंगलियाँ फिराते हुए कहता, “हाँ, गलत तो है, पर मज़ा तो आता होगा। आशा, एक काम कर। हम तो असल में ऐसा करेंगे नहीं, लेकिन तू मेरे लिए इतना तो कर सकती है। रूम में अंधेरा कर देता हूँ, और तू मुझे नहीं, किसी गैर मर्द की कल्पना कर।”
आशा ने साफ मना कर दिया। मेरा सब्र टूट गया। मैंने उसकी चूत से हाथ हटा लिया, गुस्से का नाटक किया, और मुँह फेरकर सो गया। आशा, जो पहले से गर्म हो चुकी थी, ये बर्दाश्त नहीं कर पाई। वो उठकर बैठ गई, लाइट जलाई, और मुझे मनाने लगी। मेरे पैर दबाने लगी, मेरे लंड को सहलाने लगी, यहाँ तक कि उसे चूसने भी लगी। लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ।
वो परेशान होकर बोली, “बता ना, क्या बोल रहे थे?” मैंने वही बात दोहराई, “मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती? कौन सा मैं सचमुच चुदने को बोल रहा हूँ?” आखिरकार, वो मान गई। मुझे लगा, आज नहीं तो कल, ये गैर मर्द से चुद ही जाएगी।
मैंने लाइट बंद की, क्योंकि मुझे लगता था कि अंधेरे में वो गैर मर्द की कल्पना बेहतर कर पाएगी। मैंने उसकी गीली चूत को सहलाना शुरू किया, लेकिन दिक्कत ये थी कि आशा के दिमाग में किसी गैर मर्द की छवि आ ही नहीं रही थी। मैंने अपनी स्टाइल बदल दी। आमतौर पर मैं उसकी चूत में उंगली नहीं करता, लेकिन उस रात मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, और अंदर-बाहर करने लगा। फिर मैंने कुछ ऐसा किया, जो मैंने पहले कभी नहीं किया था। मैं उसकी चूत चाटने के बाद उसकी गाँड पर टूट पड़ा। मेरी जीभ उसकी गाँड के छेद में घुसी, और ये वो पल था, जब आशा को लगा कि कोई गैर मर्द उसका मज़ा ले रहा है।
वो अचानक मचल उठी, मुझे अपने ऊपर खींच लिया, और बेतहाशा चूमने लगी। साथ में वो गंदी-गंदी गालियाँ देने लगी, “मादरचोद, चोदेगा मुझे? बहनचोद, तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी चूचियाँ छूने की?” मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैंने भी गाली दी, “भोसड़ी की, तेरी चूत मारने का मैं छह महीने से इंतज़ार कर रहा हूँ।” मैंने उसकी चूची को जोर से काट लिया। वो चिल्लाई, “आह, मादरचोद, चोद दे जल्दी से!”
आप यह Cuckold - ककोल्ड हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
उसके मुँह से ये सुनकर मेरा दिल गदगद हो गया। वो फुसफुसाई, “आज पति घर पर नहीं है, पूरी रात चोद साले!” मैंने उसे सीधा लिटाया, उसके ऊपर चढ़ा, और अपने लंड को उसकी चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरे लंड पर उसका पानी छपक-छपक कर बह रहा था। मैं उसे घपाघप चोदने लगा, और वो मुझे जकड़कर सेक्सी गालियाँ बुदबुदाने लगी। “उह्ह… आह्ह… मादरचोद, और जोर से!” वो मेरी पीठ पर प्यार से मुक्के मार रही थी, जैसे कोई गैर मर्द उसकी चूत को रगड़ रहा हो। मैं 20 मिनट तक उसे चोदता रहा, और आखिरकार उसकी चूत में ही झड़ गया।
इसके बाद ये हमारा रूटीन बन गया। हर रात मैं उसे किसी गैर मर्द की कल्पना में चोदता, और वो मज़े लेती। कुछ महीनों बाद, मेरे लगातार दबाव और कोशिशों से आशा गैर मर्द से चुदने को राज़ी हो गई। एक साल के अंदर मैंने चार मर्दों से उसकी चुदाई करवाई। लेकिन हर बार वो ये दिखाती थी कि वो मेरे लिए ऐसा कर रही है, उसकी अपनी कोई इच्छा नहीं। हर बार जिद, नखरे, और दबाव के बाद ही वो किसी गैर मर्द के बिस्तर पर जाती। चुदाई के बाद वो मेरे पास वापस आती, और मेरे साथ चुदती। रात को एक बजे के बाद वो गैर मर्द के साथ नहीं रुकती, बल्कि मेरे पास आकर सो जाती।
लेकिन एक घटना ने मुझे हिलाकर रख दिया। एक बार मैंने एक मर्द को बुलाया, जिसका नाम था संजय। संजय 40 साल का था, लंबा, चौड़ा, और मर्दानगी से भरा हुआ। उसका लंड मेरे जितना लंबा, यानी 6 इंच, लेकिन मोटाई में मुझसे कहीं ज़्यादा। खाना खाने के बाद मैंने आशा को उसके कमरे में भेजा, और साथ में मैं भी गया, ये डर था कि कहीं वो वापस न आ जाए। लेकिन संजय ने पाँच मिनट बाद ही मुझसे कहा, “भाई साहब, अब आप जाइए।” मैं हैरान रह गया, लेकिन मन मारकर अपने कमरे में लौट आया।
मैंने पहले से ही दीवार में एक छोटा-सा छेद बनाकर रखा था, जिससे मैं सब कुछ देख सकूँ। जैसे ही मैंने आँख लगाई, देखा कि संजय ने आशा को बिस्तर पर लगभग पटक दिया। वो उस पर टूट पड़ा, जैसे आशा उसकी अपनी बीवी हो। दोनों करवट लेकर लेटे थे, उनके चेहरे एक-दूसरे से सटे हुए थे। चुम्मा-चाटी की आवाज़ें गूंज रही थीं। आशा की सिसकारियाँ, “उह्ह… आह्ह…” कमरे में गूंज रही थीं। संजय ने कम्बल ओढ़ लिया, लेकिन कमर से ऊपर का हिस्सा दिख रहा था।
संजय ने सांड की तरह हुंकार भरी, और आशा तुरंत उससे लिपट गई। वो “उँह… उँह…” की आवाज़ें निकाल रही थी, जैसे उसे सांड की हुंकार ने और गर्म कर दिया हो। संजय ने उसकी चूचियों को कम्बल के अंदर जोर-जोर से मसला, और आशा की दर्द भरी सिसकारियाँ, “उई माँ… आह्ह…” मुझे साफ सुनाई दे रही थीं। फिर आशा धीरे-धीरे नीचे खिसकी, और कम्बल के अंदर संजय की जाँघों तक पहुँच गई।
आप यह Cuckold - ककोल्ड हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
कम्बल हट गया, और संजय का लंड नज़र आया। मोटा, तना हुआ, जैसे फटने को तैयार। आशा ने उसे अपने मुँह में लिया, और चूसने लगी। वो “म्म… म्म…” की आवाज़ें निकाल रही थी, और संजय के चेहरे से लग रहा था कि वो सातवें आसमान पर है। आशा ने उसका लंड इतने प्यार से चूसा कि मुझे जलन होने लगी। फिर अचानक उन्होंने लाइट बंद कर दी।
मैंने छेद पर कान लगाया। सिसकारियाँ, बिस्तर की चरमराहट, और “फच-फच” की आवाज़ें साफ सुनाई दे रही थीं। करीब एक घंटे बाद आशा मेरे कमरे में आई, और मेरे साथ लेट गई। मैंने पूछा, “कैसा रहा?” वो बोली, “बस, ठीक-ठाक।” लेकिन उस रात वो मुझसे नहीं चुदी, और नींद का बहाना बनाकर सो गई।
रात को 3 बजे मेरी नींद खुली, और आशा बिस्तर पर नहीं थी। मैंने फिर से छेद पर आँख लगाई। कमरे में रोशनी थी, और नज़ारा देखकर मेरे होश उड़ गए। आशा अपनी गोरी टाँगें फैलाकर लेटी थी, और संजय पूरी ताकत से उसकी चूत में धक्के मार रहा था। “फच-फच-फच” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। आशा की सिसकारियाँ, “आह्ह… उह्ह… और जोर से…” और संजय की हुंकार, “ले साली, तेरी चूत फाड़ दूँगा!”
संजय का स्टाइल मेरे जैसा था। वो पूरा शरीर हिलाने की बजाय, सिर्फ लंड से सटीक निशाना लगा रहा था। आशा की चूत इतनी गीली थी कि हर धक्के के साथ पानी की छप-छप सुनाई दे रही थी। आशा ने उसे कसकर जकड़ रखा था, और उसकी चूचियाँ संजय के सीने से रगड़ रही थीं। करीब 30 मिनट तक वो ऐसे ही चोदता रहा, और आशा दो बार झड़ चुकी थी। उसकी सिसकारियाँ अब दर्द में बदल गई थीं, “उई… माँ… धीरे… मेरी चूत सूख गई…”
लेकिन संजय रुका नहीं। उसने आशा को घोड़ी बनाया, और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। आशा की गाँड हवा में थी, और संजय ने उसकी कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। “पट-पट-पट” की आवाज़ गूंज रही थी, और आशा की चीखें, “आह्ह… मादरचोद… मेरी गाँड मार डालेगा क्या?” संजय हँसा, “तेरी गाँड तो बाद में मारूँगा, पहले इस भोसड़े को शांत कर!”
आप यह Cuckold - ककोल्ड हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
आशा की चूत अब सूख चुकी थी, लेकिन संजय का लंड अभी भी तना हुआ था। उसने आशा को फिर से सीधा लिटाया, और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस बार उसने धीरे-धीरे लंड अंदर डाला, और आशा की सिसकारियाँ फिर से शुरू हो गईं, “उह्ह… हाँ… ऐसे ही… और गहरे…” संजय ने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और आशा की चूत फिर से गीली हो गई।
अचानक आशा चिल्लाई, “आह… मुझे अपने बच्चे की माँ बना दे!” संजय ने जवाब दिया, “तू नहीं भी कहती, मैं तो तुझे गर्भवती करने वाला था। अब बार-बार बुलाएगी मुझे!” मैं दंग रह गया। आशा ने कंडोम की बात तक नहीं की, जो उसका सख्त नियम था। संजय ने आखिरकार अपनी मर्दानगी दिखाई, और आशा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया। दोनों एक-दूसरे से लिपटे रहे, और संजय का लंड अभी भी आशा की चूत में था।
कुछ देर बाद संजय ने आशा के होंठ चूमे, और “थैंक्यू” कहा। आशा ने भी उसे चूमा, और फिर नंगी ही मेरे कमरे में आकर मेरे पास लेट गई। मैं सोच में डूब गया कि ये क्या हो गया। मेरी बीवी अब किसी और का बीज अपनी कोख में लिए हुए थी।
दोस्तो, आपको मेरी ये सच्ची कहानी कैसी लगी? अपने विचार ज़रूर बताएँ।
कहानी का अगला भाग: शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 1
आप यह Cuckold - ककोल्ड हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
Mere pati bhi mujhe gair mard se chudwana chahte hai, kya sb mard aisa sochte hai kya?
जब तुम्हारा पति किसी से चुदाना चाहता है तो तेरे को तो खुश होना चाहिए आदमी को तो चूत पैसा से या फ्री में मिल जाती है इसमें बुराई नहीं
मैं भी ये चाहता हूं बट वाइफ स्वैप
कहा से हो अपना नंबर या मेल आईडी दो तो अपनी बीबी को तो बता दो राजी है
Tum ek dam sahi baat boli ho mere bhi man hai kya tumhare husband teyar hai ya tum teyar ho to me apni wife ke sath kar sakta hu
Mai bhi wife swapping karna chata hu kiske wife ready hai..text me
Ha hm dono teyar h
Ganganagar rajsthan se
Tum kha se ho
Yes tum ha bolo to Mai tumko chod Sakta hu
Haa divyanshi sab ka to Pata nhi Lakin ek baar to krna Mai bhi chahta hu
Yes tum ha bolo to Mai tumko chod Sakta hu
Hm dono chahte h sriganganagar rajsthan