Mummy ki chudai: मैं प्रशनति, एक बार फिर अपनी मम्मी की एक नई, रसीली कहानी लेकर आई हूँ। पहले मम्मी का डिस्क्रिप्शन दे देती हूँ ताकि आप उनके जिस्म की आग को समझ सकें। मम्मी का नाम सुलोचना है, उम्र 44 साल, मम्मे 42 इंच के, भारी और रसभरे, कमर 40 इंच की, और गांड 44 इंच की, बिल्कुल सूमो जैसी, जो चलते वक्त लहराती है। उनका हर अंग इतना मादक है कि देखने वाला बस उनके पीछे पागल हो जाए।
उस दिन पापा टूर पर बाहर गए थे। हमारे रिश्ते में एक शादी थी, और हमें वहाँ जाना था। चूंकि पापा घर पर नहीं थे, मम्मी ने मुझसे कहा, “प्रशनति, चलो, शादी में चलना है।” रात की पार्टी थी, और मैंने कहा, “ठीक है मम्मी, चलती हूँ।” मैं तैयार हो गई, और मम्मी भी तैयार हो गईं। मम्मी ने चॉकलेट रंग की साड़ी पहनी थी, जिसका ब्लाउज इतना डीप नेक था कि उनके मम्मों की गहरी दरार साफ दिख रही थी। दोनों मम्मों के बीच का हिस्सा और ऊपर का मांसल हिस्सा बाहर झलक रहा था, मानो कोई दूध का समंदर उफान मार रहा हो। उनकी ब्रा का स्ट्रैप बार-बार ब्लाउज से खिसककर कंधे पर आ जाता था, और मम्मी उसे बार-बार अंदर ठूंस रही थीं। मम्मी ने ऊँची हील वाली चप्पल पहनी थी, जिससे उनकी सूमो जैसी गांड चलते वक्त इस कदर हिल रही थी कि हर कदम पर लोग उनकी तरफ घूर रहे थे। उनकी गांड का हर हिलना ऐसा था जैसे कोई भारी भरकम जेली हवा में नाच रही हो।
हम करीब 9:15 बजे पार्टी में पहुँची। मैं अपने दोस्तों के साथ बैठ गई, जिनमें कुछ लड़के और लड़कियाँ ऐसी थीं जिन्हें मैं नहीं जानती थी, और वे मुझे नहीं जानते थे। मम्मी अपनी सहेलियों के साथ चली गईं। पार्टी में डीजे की धुनें गूँज रही थीं, और मम्मी डांस फ्लोर पर चली गईं। सब नाचने लगे, और मेरे दोस्त भी डांस फ्लोर पर चले गए। मेरे पास अब दो लड़के बैठे थे, जो मुझे नहीं जानते थे, और मैं उन्हें नहीं जानती थी। मम्मी डांस फ्लोर पर नाच रही थीं, और उनकी ब्रा का स्ट्रैप बार-बार बाहर आ रहा था। वो उसे बार-बार अंदर करती थीं, लेकिन उनकी हरकतें देखकर लग रहा था कि वो इस ध्यान का मजा ले रही थीं। उनके मम्मे नाचते वक्त ऐसे उछल रहे थे कि हर कोई उनकी तरफ देखे बिना रह नहीं पा रहा था।
वो दो लड़के आपस में बातें कर रहे थे, और मैंने चुपके से उनकी बातें सुन लीं।
पहला लड़का: “यार, क्या मस्त औरत है!”
दूसरा लड़का: “कौन? वो चॉकलेट रंग की साड़ी वाली?”
पहला: “हाँ यार, साली की गांड देख, कैसे हिल रही है, जैसे लंड अंदर गया हो और वो मस्ती ले रही हो!”
दूसरा: “और मम्मे देख, जैसे कॉफी में इन्हीं का दूध निचोड़कर डालेंगे!”
पहला: “चल, ट्राई करते हैं, शायद बात बन जाए। पर अगर बात बन गई, तो मस्ती कहाँ करेंगे?”
दूसरा: “यार, मैं डैडी की बड़ी वाली लाल बत्ती की गाड़ी लाया हूँ। पार्किंग में है, और वहाँ लाल बत्ती वाली गाड़ी के पास कोई नहीं आता। वहाँ कर लेंगे।”
पहला: “चल, पहले ट्राई तो करें।”
फिर दोनों लड़के नाचने चले गए, और मैं भी चुपके से उनके पीछे चली गई। मैं मम्मी के पीछे की तरफ नाचने लगी, ताकि उनकी हरकतें और बातें सुन सकूँ। मेरी तरफ मम्मी की गांड थी, तो उन्हें नहीं पता था कि मैं भी स्टेज पर हूँ। एक लड़का नाचते वक्त मम्मी की गांड पर हाथ लगा रहा था, और दूसरा सामने नाच रहा था, अपनी कोहनी से उनके मम्मों को दबा रहा था। उनके हाथों की हर छुअन में एक भूख थी, और मम्मी भी नाचते-नाचते उनकी हरकतों का जवाब दे रही थीं। कुछ देर बाद पीछे वाला लड़का इतना गर्म हो गया कि उसने पैंट के बाहर से अपना लंड सीधा किया। मैं समझ गई कि इसका साँप मम्मी की चूत में घुसना चाहता है। फिर उसने हिम्मत करके मम्मी से कहा, “आंटी, यू आर लुकिंग स्मार्ट।”
दूसरा लड़का: “हाँ आंटी, आप बहुत स्मार्ट और वो हो।”
मम्मी: “वो क्या हो?”
लड़का: “सेक्सी।”
मम्मी हँसने लगीं और बोलीं, “थैंक्स।”
पहला लड़का: “आंटी, आपकी ब्रा का स्ट्रैप बाहर आ गया है।”
मम्मी: “ओह, सॉरी, और थैंक्स।”
दूसरा लड़का: “आंटी, चलो बाहर चलकर बातें करते हैं, थोड़ा एन्जॉय करेंगे।”
मम्मी: “यहीं पर एन्जॉय कर लेते हैं।”
लड़का: “आंटी, बाहर ज्यादा मजा आएगा।”
मम्मी: “बाहर प्रॉब्लम है।”
मुझे समझ आ गया कि मम्मी तो तैयार हैं, लेकिन शायद मेरे कारण डर रही हैं या हिचक रही हैं। मैंने मम्मी से कहा, “मम्मी, मैं अपने दोस्त को ड्रॉप करने जा रही हूँ। डेढ़-दो घंटे में वापस आऊँगी।”
मम्मी: “ठीक है, पर जब आएगी तो फोन कर लेना। मैं बाहर आ जाऊँगी।”
मैंने कहा, “ठीक है मम्मी।” फिर मैं हॉल के पीछे चली गई और पार्किंग में उस लाल बत्ती वाली गाड़ी को ढूँढने लगी, ताकि अगर वो बाहर जाएँ तो मैं वहाँ पहुँच सकूँ। पार्किंग में अंधेरा था, लेकिन उनकी गाड़ी पर बैनक्वेट हॉल की छत की लाइट थोड़ी पड़ रही थी, जिससे गाड़ी के अंदर का कुछ दिख रहा था। फिर भी, शीशे के पास जाकर देखना पड़ता था। मैं वापस हॉल में पीछे खड़ी हो गई, लेकिन मेरी नजरें पार्किंग की तरफ थीं।
करीब 10 मिनट बाद मम्मी और वो दोनों लड़के कुर्सियों पर बैठकर बातें कर रही थीं। उनकी बातों में हँसी-मजाक था, और मम्मी की आँखों में एक चमक थी, जैसे वो पहले से ही गर्म हो चुकी हों। मम्मी की साड़ी का पल्लू बार-बार खिसक रहा था, और वो जानबूझकर उसे धीरे-धीरे ठीक कर रही थीं, जैसे लड़कों को और ललचाना चाहती हों। फिर वो तीनों बाहर चले गए। मैं चुपके से देख रही थी कि वो कहाँ जा रहे हैं। वो पार्किंग की तरफ गए। मैं समझ गई कि वो प्लान के मुताबिक गाड़ी में जाएँगे। मैं थोड़ी देर बाद उनकी गाड़ी के पीछे चली गई और अंदर झाँककर देखने लगी। गाड़ी के शीशे थोड़े खुले थे, क्योंकि गर्मी थी। उन्होंने एसी नहीं चलाया था, शायद इसलिए कि खड़ी गाड़ी स्टार्ट रखने से किसी को शक हो सकता था। जब मैंने अंदर झाँका, तो उफ्फ! ऐसा नजारा था कि मेरी साँसें थम गईं।
गाड़ी के अंदर का माहौल इतना गर्म था कि मानो कोई आग भभक रही हो। एक लड़का, जिसका नाम बाद में पता चला राकेश, मम्मी का एक मम्मा बाहर से दबा रहा था, और दूसरा, विकास, मम्मी के ब्लाउज के अंदर हाथ डालकर उनके मम्मों को जोर-जोर से मसल रहा था। मम्मी की साड़ी कमर तक उठी हुई थी, और उनकी मोटी-मोटी जाँघें पूरी तरह नंगी थीं। उनकी कच्छी थोड़ी नीचे खिसकी हुई थी, जिससे उनकी चूत की गीली झलक साफ दिख रही थी। मम्मी की चूत पर हल्के-हल्के बाल थे, और वो इतनी गीली थी कि रस की बूँदें गाड़ी की सीट पर टपक रही थीं। गाड़ी में गर्मी थी, और मम्मी के माथे पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं, जो उनकी उत्तेजना को और बढ़ा रही थीं।
मम्मी: “थोड़ा जल्दी करो, कोई आ जाएगा।”
राकेश: “आंटी, कोई नहीं आएगा। आप चिंता मत करो। वैसे भी, लाल बत्ती वाली गाड़ी के पास कोई आता ही नहीं।”
मम्मी: “अरे, प्रशनति ड्रॉप करने गई है, वो भी आ सकती है।”
विकास: “ठीक है आंटी, चलो जल्दी करते हैं। अब अपने फुटबॉल जैसे मम्मे तो बाहर निकालो।”
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मम्मी ने अपने भारी-भरकम, रसभरे मम्मे एक-एक करके ब्लाउज से बाहर निकाले। उनके मम्मे इतने बड़े और लटके हुए थे कि राकेश और विकास बस देखते रह गए। उनके निप्पल्स गहरे भूरे रंग के थे, सख्त और उभरे हुए, जैसे उत्तेजना में फूल गए हों। राकेश ने कहा, “आंटी, आपके एक-एक मम्मे में तो किलो-किलो दूध भरा होगा!”
मम्मी हँसते हुए बोलीं, “चलो, अब ये डेयरी फार्म तुम दोनों का है। निचोड़ लो इनको।”
राकेश और विकास एक-एक मम्मा पकड़कर चूसने लगे। राकेश मम्मी के बाएँ मम्मे को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूस रहा था, उसकी जीभ उनके निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी। विकास दाएँ मम्मे को अपने दाँतों से हल्का-हल्का काट रहा था, और कभी-कभी इतनी जोर से निचोड़ रहा था कि मम्मी की सिसकारी में दर्द और मजा दोनों सुनाई दे रहे थे। मम्मी की सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “उफ्फ… आह्ह…” वो दोनों के लंड को पैंट के बाहर से मसल रही थीं। दोनों लड़कों के लंड पैंट में तनकर लोहे की रॉड जैसे हो गए थे। मम्मी ने राकेश को देखकर कहा, “राकेश, तुम मेरी चूत को गरम करो, और जल्दी करो प्लीज।” ये कहकर मम्मी ने अपनी साड़ी और ऊपर उठा ली और गाड़ी की सीट पर बैठ गईं। उनकी मोटी जाँघें पूरी तरह खुली थीं, और उनकी चूत इतनी गीली थी कि गाड़ी की सीट पर रस की छोटी-छोटी बूँदें चमक रही थीं।
राकेश उनकी जाँघों के बीच घुस गया और उनकी चूत को चाटने लगा। उसका पूरा मुँह मम्मी की मोटी जाँघों में दब गया था, और वो उनकी चूत को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई भूखा शहद का छत्ता चाट रहा हो। उसकी जीभ मम्मी की चूत के दाने को बार-बार छू रही थी, और मम्मी का जिस्म हर बार सिहर उठता था। विकास ऊपर से मम्मी के रसभरे मम्मों को चूस रहा था, उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर खींच रहा था। मम्मी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं, “ऊँ… उफ्फ… आह्ह… और जोर से चूसो!” उनकी आवाज में एक बेताबी थी, जैसे उनके जिस्म की आग अब बर्दाश्त से बाहर हो रही हो।
कुछ देर बाद मम्मी ने राकेश को अपनी जाँघों के बीच से निकाला। विकास पीछे की सीट पर बैठ गया, और मम्मी उसकी गोद में बैठ गईं। विकास का लंड पहले से ही पैंट से बाहर था, लंबा और मोटा, जैसे कोई काला साँप फन उठाए खड़ा हो। मम्मी ने अपनी चूत को उसके लंड पर टिकाया और धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होने लगीं। हर धक्के के साथ गाड़ी चूं-चूं की आवाज कर रही थी, और मम्मी की सिसकारियाँ हवा में गूँज रही थीं, “आह्ह… ऊँ… उफ्फ…” राकेश सामने की सीट पर खड़ा था, मम्मी के बड़े-बड़े मम्मों को चूस रहा था, उनके निप्पल्स को अपने दाँतों से हल्का-हल्का काट रहा था। मम्मी की चूत पूरी तरह गीली थी, और विकास का लंड उसमें आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। हर धक्के के साथ मम्मी की गांड हिल रही थी, और गाड़ी की सीटें उनके जिस्म के वजन से दब रही थीं। मम्मी का चेहरा लाल हो गया था, और उनकी आँखें आधी बंद थीं, जैसे वो उत्तेजना के नशे में पूरी तरह डूब चुकी हों।
कुछ देर बाद मम्मी ने राकेश से कहा, “राकेश, अगली सीट फोल्ड करो।” राकेश ने फुर्ती से अगली सीट फोल्ड कर दी। मम्मी अब घोड़ी बन गईं, उनकी सूमो जैसी गांड विकास के सामने थी, पूरी तरह खुली और उभरी हुई। विकास ने पीछे से उनकी चूत में अपना लंड डाला, लेकिन उनकी गांड इतनी बड़ी थी कि उसका लंड पूरा अंदर नहीं जा रहा था।
विकास: “आंटी, इतनी बड़ी गांड है कि मेरा लंड तो चूत तक पहुँचेगा ही नहीं!”
मम्मी: “ट्राई तो करो, विकास।”
मम्मी ने अपनी गांड को और ऊपर उठाया, अपनी जाँघें और चौड़ी कीं। विकास ने फिर से कोशिश की, और इस बार उसका लंड मम्मी की चूत में गहराई तक घुस गया। मम्मी की सिसकारी निकली, “उफ्फ… आह्ह… और जोर से!”
राकेश ने दूसरी सीट भी फोल्ड कर दी। अब मम्मी ने दोनों सीटों पर अपने हाथ रखे, एक टांग गाड़ी की पार्टिशन की एक तरफ और दूसरी टांग दूसरी तरफ रखकर इस तरह झुकीं कि उनका चेहरा गियर लीवर के पास था। उनके बड़े-बड़े मम्मे सीटों के बीच लटक रहे थे, और हर धक्के के साथ वो आगे-पीछे हिल रहे थे। उनकी सूमो जैसी गांड विकास के सामने पूरी तरह खुली थी, और गाड़ी की लाइट में उनकी चूत का रस चमक रहा था। विकास ने कहा, “वाह, मेरी सूमो! अब जाएगा मेरा सारा सामान तुम्हारी डिक्की में!”
मम्मी: “जल्दी करो, विकास!”
विकास ने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ मम्मी की गांड हिल रही थी, और गाड़ी भी उनके साथ हिल रही थी। राकेश मम्मी के मम्मों को दबा रहा था, उनके निप्पल्स को मसल रहा था, और कभी-कभी उनके मम्मों को इतनी जोर से निचोड़ रहा था कि मम्मी की सिसकारी में दर्द और मजा दोनों मिल रहे थे। मम्मी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “ऊँ… उफ्फ… वाह… चोद ना मुझे… आह्ह!” विकास की स्पीड बढ़ गई, और मम्मी का जिस्म हर धक्के के साथ आगे-पीछे हो रहा था। अचानक विकास का लंड बाहर निकल गया, और वो बोला, “आंटी, होने वाला था, लंड क्यों बाहर कर दिया?”
मम्मी: “होने वाला था, तभी तो बाहर निकाला।”
मम्मी ने विकास का लंड पकड़ा और तेजी से मुठ मारने लगीं। विकास का सारा पानी बाहर निकला, इतना ज्यादा कि मम्मी के एक मम्मे पर सारा पानी फैल गया। मम्मी ने हँसते हुए कहा, “इतना सारा पानी, विकास! मेरे मम्मे तो डूब गए!”
फिर मम्मी ने राकेश को देखा और बोलीं, “राकेश, अब तुम अपना सामान डालो मेरी डिक्की में।” राकेश पीछे आ गया और उसने अपना लंड मम्मी की चूत में डाला। उसका लंड विकास से भी मोटा और लंबा था, और जैसे ही वो अंदर गया, मम्मी की सिसकारी निकली, “उफ्फ… तुम्हारा सामान तो भारी है!”
राकेश: “हाँ आंटी, मैं ट्रक का ड्राइवर हूँ ना, भारी सामान लादने की आदत है। वो विकास तो सूमो का ड्राइवर है।”
राकेश: “आंटी, मेरा लंड बाहर मत निकालना जब होने वाला हो।”
मम्मी: “अंदर मत गिराना अपना रस।”
राकेश: “नहीं, तुम्हारी डिक्की के ऊपर डालूँगा।”
राकेश ने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, लेकिन जल्दी ही उसकी स्पीड बढ़ गई। मम्मी खुद को पीछे धकेल रही थीं, ताकि राकेश का लंड उनकी चूत की गहराई तक जाए। उनकी सिसकारियाँ अब सिसकियों में बदल गई थीं, “आह्ह… ऊँ… राकेश… और जोर से!” मम्मी की जाँघें तन गई थीं, और उनके जिस्म में एक झटका-सा लगा। उनका सारा पानी निकल गया, और उनकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि हर धक्के के साथ पच-पच की आवाज गूँज रही थी। राकेश ने और तेज धक्के मारे, और जब उसे लगा कि वो झड़ने वाला है, उसने लंड बाहर निकाला और मम्मी की गांड पर सारा पानी गिरा दिया। मम्मी की गांड पर रस की बूँदें चमक रही थीं, और वो हाँफते हुए सीट पर लेट गईं।
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मम्मी ने टिश्यू पेपर से अपने मम्मे और गांड साफ किए। फिर उन्होंने अपनी कच्छी पहनी, साड़ी ठीक की, और ब्लाउज में मम्मे समेटे। पूरी तरह तैयार होकर वो गाड़ी से बाहर निकलीं। करीब 15 मिनट बाद मैंने मम्मी को फोन किया कि मैं आ रही हूँ। मम्मी बाहर आईं, और हम दोनों घर चली गईं।
रास्ते में मम्मी चुप थीं, लेकिन उनके चेहरे पर एक अजीब-सी चमक थी, जैसे वो अभी भी उस चुदाई के नशे में डूबी हों। उनके होंठों पर हल्की-सी मुस्कान थी, और उनकी आँखें मानो कह रही थीं कि वो अपने जिस्म की आग को बुझाकर तृप्त हो चुकी हैं। घर पहुँचकर मैंने सोचा, मम्मी ने आज जो किया, वो शायद समाज की नजर में गलत था, लेकिन उनके दिल और जिस्म की भूख ने उन्हें रोक नहीं पाया। और मैं? मैं बस उनकी इस रसीली कहानी को और मसालेदार बनाकर आपके सामने लाई हूँ।
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