Chudakkad Maa ki chudai मैं सौम्या प्रसाद, 38 साल की एक चुदक्कड़ औरत, जिसका गोरा, भरा हुआ जिस्म, 40 इंच की भारी चूचियाँ, और गदराए चूतड़ हर मर्द का लौड़ा खड़ा कर दें। मेरे दोनों बेटे, गौरव और वैभव, जिन्हें मैं प्यार से करन-अर्जुन बुलाती हूँ, अब 18 साल के जवान लौंडे बन चुके हैं। गौरव, लंबा, चौड़े कंधों वाला, गोरा, और उसकी आँखों में जवानी की चमक; वैभव, थोड़ा पतला, लेकिन उसकी नशीली आँखें और चिकना चेहरा किसी को भी दीवाना बना दे। आज मैं अपनी जिंदगी की सबसे गर्म और रसीली चुदाई की कहानी आपके सामने ला रही हूँ, जो मेरे और मेरे दोनों बेटों के बीच की है। ये कहानी मेरी उस चुदास की आग की है, जो मेरे खून में बचपन से ही दौड़ रही है।
जब मैं 8 साल की थी, तब पहली बार मैंने अपनी माँ को पापा के मोटे, 7 इंच के लौड़े से चुदवाते देखा। रात का समय था, मैं चुपके से खिड़की के पास गई। माँ की सिसकारियाँ, “आआआह्ह… उउउ… और जोर से चोदो!” और पापा का लौड़ा उनकी चूत में अंदर-बाहर होता हुआ, मैं सब देखती रही। मेरी छोटी सी चूत में पहली बार गीलापन आया, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई। मैं समझ गई कि औरत का असली सुख लौड़े में ही है। इसके बाद तो मैं हर रात चुपके-चुपके माँ की चुदाई देखने लगी। उनकी सिसकारियाँ सुनकर मैं अपनी चूत में उंगलियाँ डालती और अपनी आग शांत करती। मेरे लिए ये सब जादू जैसा था।
18 साल की उम्र में मैंने अपने सगे भाई के साथ चुदाई की। उसका 6 इंच का लौड़ा जब मेरी चूत में गया, तो मुझे लगा जैसे मैं स्वर्ग में हूँ। हमने कई बार चोरी-छुपे चुदाई की। एक दिन माँ ने हमें रंगे हाथ पकड़ लिया। “सौम्या, ये क्या गंदगी कर रही है? भाई-बहन का रिश्ता खून का होता है, ये पाप है!” माँ ने मुझे डाँटते हुए कहा। लेकिन मेरी चूत की खुजली तो रुकने वाली थी नहीं। कॉलेज में पहुँचते ही मैंने कई बॉयफ्रेंड बनाए। हर एक से मैंने जी भरकर चुदवाया। एक बार मैं अपने बॉयफ्रेंड बोबी के साथ शिमला भाग गई। दो महीने तक हमने होटल के कमरे में, जंगल में, यहाँ तक कि गाड़ी में भी चुदाई की। सुबह-शाम, रात-दिन, उसने मेरी चूत को फाड़ डाला। जब मैं घर लौटी, तो मेरी चूत इतनी चुद चुकी थी कि चलते वक्त दर्द होता था।
घरवालों को मेरी चुदक्कड़ आदतों का पता चल गया। वो समझ गए कि सौम्या बिना लौड़े के जी नहीं सकती। जल्दी ही मेरी शादी रवि से कर दी गई। रवि का लौड़ा 7 इंच का था, और वो मुझे हर रात चोदता। मैंने 18 महीने में दो बेटों, गौरव और वैभव, को जन्म दिया। लेकिन रवि की नौकरी ओडिशा की माइनिंग कंपनी में थी। वो 6 महीने में सिर्फ 10 दिन घर आता। मेरी चूत की आग फिर भड़कने लगी। लौड़े के बिना मेरा जीना मुश्किल हो गया। तो मैंने पड़ोस के 45 साल के शर्मा अंकल को पटा लिया। उनका लौड़ा 6 इंच का था, लेकिन चुदाई में वो उस्ताद थे। हर रात वो मेरे घर आते, मेरी साड़ी उतारते, मेरी चूचियों को मसलते, और मेरी चूत को चोद-चोदकर शांत करते। “सौम्या, तेरी चूत तो हर बार और रसीली हो जाती है,” वो कहते और मुझे रंडी की तरह चोदते।
30 की उम्र पार करते ही मेरी चुदास और बढ़ गई। दूसरी औरतों की गर्मी इस उम्र में कम हो जाती है, लेकिन मेरी चूत में खुजली और तेज हो गई। मैं रोज शर्मा जी से चुदवाती। मेरे बेटे गौरव और वैभव अब बड़े हो चुके थे। दोनों 18 साल के जवान लौंडे बन गए थे। एक रात शर्मा जी मेरे कमरे में आए। मैंने लाल साड़ी पहनी थी, जो मेरे भरे हुए जिस्म को और उभार रही थी। मेरे लंबे बाल खुले थे, और मेरी चूचियाँ साड़ी के ऊपर से उभरी हुई थीं। शर्मा जी ने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरी साड़ी खींचकर उतारी, और मेरी चूचियों को मसलने लगे। “सौम्या, तेरा जिस्म तो आग है,” वो बोले और मेरे निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगे। मैं सिसकार रही थी, “आआआह्ह… शर्मा जी, और चूसो!” फिर उन्होंने मेरा पेटीकोट ऊपर किया और अपना 6 इंच का लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया। “पक-पक-पक” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “आआआह्ह… उउउ… और जोर से चोदो!”
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तभी मेरे दोनों बेटों, गौरव और वैभव, ने दरवाजा खोलकर हमें रंगे हाथ पकड़ लिया। “माँ! ये क्या कर रही हो? शर्मा अंकल से चुदवा रही हो?” गौरव का चेहरा गुस्से से लाल था। वैभव ने भी गुस्से में कहा, “ये सब क्या है, माँ?” मैं पूरी नंगी थी, मेरी चूत में शर्मा जी का लौड़ा अटका हुआ था। मैं घबरा गई। शर्मा जी तो खिड़की से कूदकर भाग गए। मैं हकलाने लगी, “बेटा… वो… वो…” मेरे मुँह से कुछ निकल ही नहीं रहा था।
“माँ, अपनी चोरी छुपाने की कोशिश मत करो। हमने सब देख लिया। तुम शर्मा अंकल से चुदवा रही थीं,” वैभव ने गुस्से में कहा।
“पापा को आने दो, हम उन्हें सब बता देंगे,” गौरव ने धमकी दी।
मैं डर के मारे काँपने लगी। “नहीं बेटा, ऐसा मत करना! तुम्हारे पापा मुझे घर से निकाल देंगे। मैं तुम्हें जितना पैसा चाहिए, दूँगी,” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“हमें पैसा नहीं चाहिए, माँ,” दोनों एक साथ बोले।
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“फिर क्या चाहिए?” मैंने डरते हुए पूछा।
“माँ, हम अब जवान हो चुके हैं। हमें तुम्हारी चूत चाहिए,” गौरव ने बेशर्मी से कहा। वैभव ने भी सिर हिलाकर हामी भरी।
मेरे जिस्म में एक अजीब सी सनसनी दौड़ गई। मेरी चूत फिर से गीली हो गई। मैंने एक पल सोचा, फिर कहा, “ठीक है, मेरे करन-अर्जुन। तुम दोनों मुझे जी भरकर चोद लो, लेकिन अपने पापा से कुछ मत कहना।” Maa ki Bete ke bade lund se chudai
दोनों ने तुरंत अपनी टी-शर्ट और जींस उतारी। उनके कच्छों में उभरे हुए लौड़ों को देखकर मेरी चूत में आग लग गई। जब वो छोटे थे, उनके लौड़े छोटी पेंसिल जैसे थे। लेकिन अब? अब उनके लौड़े 8 इंच के मोटे, लंबे खीरे जैसे हो चुके थे। उनके लौड़ों की नसें साफ दिख रही थीं। दोनों मेरे पास बिस्तर पर लेट गए। गौरव ने मेरी बायीं चूची मुँह में ली, और वैभव ने दायीं। दोनों मजे से मेरे दूध चूसने लगे। “आआआह्ह… उउउ… मेरे राजा बेटों, और जोर से चूसो!” मैं सिसकारी। मेरी चूत में गीलापन बढ़ता जा रहा था। मैंने सुबह ही अपनी झांटें साफ की थीं, तो मेरी गुलाबी चूत चमक रही थी। गौरव ने मेरी चूत में एक उंगली डाली और सहलाने लगा। “माँ, तुम्हारी चूत तो रसीली गुझिया जैसी है,” उसने कहा।
वैभव ने मेरी चूचियों को मसलते हुए पूछा, “माँ, तुमने अब तक कितने लौड़े खाए होंगे?”
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“यही कोई 300,” मैंने बेशर्मी से जवाब दिया।
“मादरचोद! 300 मर्दों से चुदवा चुकी हो?” वैभव हैरान था।
“हाँ, बेटा। मैंने 18 साल की उम्र से चुदवाना शुरू किया था। इतने मर्दों से चुद चुकी हूँ कि नाम तक याद नहीं,” मैंने हँसते हुए कहा।
दोनों बेटे मेरी बात सुनकर और गर्म हो गए। गौरव ने मेरी चूत में दो उंगलियाँ डाल दीं और जोर-जोर से फेटने लगा। “आआआह्ह… उउउ… ईईई… बेटा, और तेज!” मैं सिसकार रही थी। वैभव ने मेरी चूत पर मुँह लगाया और चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी। मैं पागल हो रही थी। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैं पूरी तरह नंगी, अपने सगे बेटों के सामने रंडी की तरह पड़ी थी।
“माँ, तुम तो हिंदुस्तान की सबसे बड़ी चुदक्कड़ माल हो,” गौरव ने कहा।
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“हाँ, माँ। तुम्हारा जिस्म देखकर कोई भी पागल हो जाए,” वैभव बोला।
फिर गौरव बिस्तर पर लेट गया। मैंने उसका 8 इंच का मोटा लौड़ा मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका गुलाबी सुपाड़ा मेरे होंठों पर फिसल रहा था। “आआआह्ह… माँ, और चूसो!” गौरव सिसकार रहा था। मैं किसी पक्की रंडी की तरह उसका लौड़ा चूस रही थी। वैभव मेरी पीठ सहलाते हुए मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारने लगा। “माँ, तेरे चूतड़ तो किसी जवान लड़की जैसे हैं,” उसने कहा। उसने मेरे चूतड़ों को मसला, फिर मेरी चूत पर जीभ फेरी। “आआआह्ह… वैभव, और चाट!” मैं चिल्लाई।
कुछ देर बाद वैभव ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाला। मैं दोनों बेटों के लौड़े बारी-बारी चूस रही थी। मेरी चूत अब चुदने को तड़प रही थी। “मेरे करन-अर्जुन, अब और मत तड़पाओ। अपनी माँ की चूत में अपने मोटे लौड़े डालो और चोद डालो!” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।
वैभव तुरंत मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने मेरी चूत पर मुँह लगाया और चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चूस रही थी। “आआआह्ह… उउउ… बेटा, और चाट!” मैं चिल्लाई। फिर उसने मेरी चूत के दाने को जीभ से रगड़ा, और मैं सिसकार उठी। उसने मेरी चूत को इतना चाटा कि मेरा जिस्म काँपने लगा। फिर उसने अपना 8 इंच का लौड़ा मेरी चूत में डाला और धक्के मारने लगा। “पक-पक-पक” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। वैभव ने मेरी चूचियों को कसकर पकड़ लिया और जोर-जोर से चोदने लगा। “आआआह्ह… उउउ… ईईई… बेटा, फाड़ दे अपनी माँ की चूत!” मैं चिल्ला रही थी। वैभव किसी जंगली जानवर की तरह मुझे चोद रहा था। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और मैं जन्नत के मजे ले रही थी। उसने मेरी कमर पकड़ी और मेरी चूत में गहरे धक्के मारने लगा। “माँ, तेरी चूत तो इतनी टाइट है, जैसे जवान लड़की की हो!” वो बोला।
आधे घंटे तक वैभव ने मुझे चोदा। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और उसका लौड़ा मेरे रस में चमक रहा था। फिर उसने अपना गाढ़ा, सफ़ेद माल मेरे मुँह पर गिरा दिया। मैंने उंगली से उसका माल चाट लिया। उसका स्वाद नमकीन और गर्म था। अब गौरव की बारी थी। वो मेरे ऊपर लेट गया और मेरी चूचियों को चूसने लगा। उसने मेरे निप्पल्स को दाँतों से हल्का सा काटा, और मैं सिसकारी, “आआआह्ह… गौरव, और चूस!” फिर उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाला। मैं मजे से चूस रही थी। गौरव का लौड़ा भी 8 इंच का था, और उसकी नसें फूली हुई थीं। मैंने उसका सुपाड़ा चूसा, और वो सिसकारने लगा। फिर उसने मेरी चूचियों के बीच अपना लौड़ा रखा और उन्हें चोदने लगा। “आआआह्ह… ईईई… बेटा, और जोर से!” मैं सिसकारी। पहली बार मेरी चूचियाँ इस तरह चोदी जा रही थीं। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और गौरव का लौड़ा उनके बीच फिसल रहा था।
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फिर गौरव ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को रगड़ रही थी। “आआआह्ह… उउउ… गौरव, और चाट!” मैं चिल्लाई। उसने मेरी चूत के होंठों को चूसा, और मेरा जिस्म काँपने लगा। फिर उसने अपना लौड़ा मेरी चूत में डाला और चोदने लगा। “पक-पक-पक” की आवाज फिर से गूँजने लगी। गौरव ने मेरी कलाइयाँ पकड़ लीं और मुझे रंडी की तरह चोदने लगा। “माँ, तेरी चूत तो जन्नत है!” वो बोला। सवा घंटे तक उसने मुझे चोदा और मेरी चूत में ही झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया, और अब मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।
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