मेमसाहब की चूत में नौकर का लंड

Memsahab Naukar chudai – Naukar Malkin sex story – मेमसाहब और नौकर की चुदाई – : मेरा नाम लालू है। पाँच साल पहले की बात है, जब मैं 18 साल का था। गाँव की मिट्टी में पला-बढ़ा, मेरा शरीर मेहनत से तराशा हुआ था—चौड़ा सीना, मजबूत बाहें, और एक गठीला बदन, जो मेरे गाँव की मेहनत और खेतों की ताकत का सबूत था। मैं दिल्ली पढ़ाई करने आया था, लेकिन जेब में पैसे कम थे। गाँव से शहर की चमक-धमक में कदम रखा तो लगा जैसे कोई नया जहान देख रहा हूँ। पढ़ाई के साथ-साथ कुछ काम ढूँढ रहा था, ताकि किराया और खाना-पीना चल सके।

कुछ दिनों की तलाश के बाद मुझे एक अमीर परिवार में नौकर की नौकरी मिल गई। उनका बंगला इतना बड़ा था कि मैं पहली बार देखकर दंग रह गया—चमचमाती टाइल्स, बड़ा सा बगीचा, और दो गाड़ियाँ, जो मैं हर सुबह धोता था। मेरा काम था साफ-सफाई, गाड़ी धोना, और कभी-कभी छोटे-मोटे काम। मेरी उम्र कम थी, तो घरवाले मुझसे ज्यादा भारी काम नहीं करवाते थे। खाने-पीने का पूरा ख्याल रखते थे, और मुझे एक छोटा सा कमरा भी दिया था, जो बगीचे के पास था।

घर में पाँच लोग थे। साहब, राजीव सक्सेना, 45-48 साल के थे, कॉलेज में प्रोफेसर। गंभीर स्वभाव, चश्मा लगाए, हमेशा किताबों और कागजों में डूबे रहते। मेमसाहब, दिशा, 40-42 साल की थीं, लेकिन उनकी उम्र का अंदाजा लगाना मुश्किल था। गोरी त्वचा, लंबे काले बाल, और फिट शरीर, जो जिम और पार्टियों की देन था। वो हमेशा सज-संवर कर रहती थीं—कभी साड़ी, कभी सूट, और कभी वेस्टर्न ड्रेस। उनकी हँसी और बात करने का अंदाज ऐसा था कि कोई भी उनके सामने ठिठक जाए। उनका बड़ा बेटा, कुनाल, 25 साल का था। वो अपना बिजनेस संभालता था और ज्यादातर दिल्ली से बाहर रहता था। बड़ी बेटी, शनाया, 22 साल की, कॉलेज में पढ़ती थी। वो चुलबुली थी, हमेशा दोस्तों के साथ हँसती-खेलती, और उसकी ड्रेस हमेशा फैशनेबल होती थी—टाइट जींस, क्रॉप टॉप, या छोटी स्कर्ट। छोटी बेटी, वामिका, 18 साल की थी, 12वीं में पढ़ती थी। वो शांत थी, लेकिन उसकी आँखों में एक समझदारी थी। गोरी, पतली, और सलवार-सूट में हमेशा सादगी भरी।

घर में मेरे अलावा एक महाराज, रामू, था, जो खाना बनाता था, और एक ड्राइवर, जो साहब के साथ ज्यादातर बाहर रहता था। शनाया और वामिका, दोनों बहनें इतनी खूबसूरत थीं कि मैं कभी-कभी काम करते वक्त उनकी बातें सुनकर खो जाता। शनाया की हँसी में एक शरारत थी, और वामिका की चुप्पी में एक रहस्य। लेकिन मैं अपने काम पर ध्यान देता और ज्यादा नहीं सोचता।

एक दिन की बात है। साहब एक हफ्ते के लिए बेंगलुरु गए थे। घर में सिर्फ मैं, मेमसाहब, और ड्राइवर थे। उस सुबह मेमसाहब ने ड्राइवर और महाराज को किसी काम से बाहर भेज दिया। घर में सन्नाटा था। मैं बगीचे में गाड़ी धो रहा था, मेरी सफेद बनियान पसीने से भीग चुकी थी, और नीली निकर धूल से सनी थी। सूरज चढ़ रहा था, और मैं पसीना पोंछते हुए काम में लगा था। तभी मेमसाहब की आवाज़ आई, “लालू, जरा इधर आ!” उनकी आवाज़ में कुछ जल्दी थी, लेकिन एक अजीब सा लहजा भी।

मैंने जल्दी से हाथ-पैर धोए, अपनी बनियान ठीक की, और उनके कमरे की ओर भागा। कमरा खाली था। बिस्तर पर हल्की नीली चादर बिछी थी, और एक कोने में उनकी लाल साड़ी लटक रही थी। मैंने पुकारा, “मेमसाहब?” जवाब आया, “लालू, बाथरूम में आ जाओ।” मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। बाथरूम में? मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेमसाहब मुझे वहाँ बुलाएँगी। मेरे पैर काँप रहे थे, लेकिन मैंने हिम्मत जुटाई और बाथरूम के खुले दरवाजे की ओर बढ़ा।

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अंदर मेमसाहब बाथटब में थीं। पानी में उनकी गोरी त्वचा चमक रही थी, और उनके चेहरे पर साबुन की झाग थी। उनके काले बाल गीले होकर उनकी पीठ पर चिपके थे। पानी में उनके शरीर का हल्का सा अक्स दिख रहा था, और मैं एक पल को ठिठक गया। “लालू, मेरी पीठ पर साबुन लगा दे,” उन्होंने कहा, उनकी आवाज़ नरम थी, लेकिन उसमें एक गर्मी थी, जो मेरे रोंगटे खड़े कर गई।

मैंने साबुन उठाया और उनकी पीठ पर लगाने लगा। उनकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ काँपने लगे। मैं धीरे-धीरे साबुन रगड़ रहा था, और मेरा दिमाग सुन्न हो रहा था। उनकी पीठ चिकनी थी, और मेरी उंगलियाँ उनके कंधों तक फिसलने लगीं। अचानक मेरा हाथ आगे सरक गया और उनके स्तनों को छू गया। मैंने झट से हाथ पीछे खींच लिया, मेरी साँस अटक गई। “सॉरी, मेमसाहब,” मैं बुदबुदाया।

“लालू, डर क्यों रहा है? मेरी छाती पर भी साबुन लगा दे,” उन्होंने कहा, और उनकी आवाज़ में एक शरारत थी। मैं स्तब्ध रह गया। मेरे हाथ फिर से काँपने लगे, लेकिन मैंने हिम्मत की और उनके स्तनों पर साबुन लगाना शुरू किया। उनके स्तन गोल, सख्त, और भरे हुए थे, जैसे दो पके संतरे। उनके गुलाबी निपल्स सख्त हो चुके थे, और मेरी उंगलियाँ उनके मुलायम मांस को छू रही थीं। मेरा लंड मेरी निकर में तन गया, और मैं शर्मिंदगी से पानी-पानी हो रहा था।

मैंने धीरे-धीरे उनके स्तनों को मसला, और वो हल्की सिसकारी भरी, “आह्ह… लालू, ऐसे ही…” उनकी साँसें तेज हो रही थीं। अचानक मेरे लंड से एक पिचकारी निकल गई, और वो मेरी निकर में सिकुड़ गया। मैं शर्म से मर रहा था, लेकिन मेमसाहब ने कुछ नहीं कहा। अचानक उन्होंने मुझे बाथटब में खींच लिया। मेरी बनियान और निकर पानी से भीग गए, और वो मेरे होंठों पर टूट पड़ीं। उनके होंठ गर्म और नरम थे, और वो इतनी जोर से चूस रही थीं कि मेरे होंठ दुखने लगे।

मैं भी धीरे-धीरे जवाब देने लगा। मेरे हाथ उनके गीले शरीर पर फिसल रहे थे, और मैं उनके स्तनों को फिर से पकड़ लिया। “आह्ह… लालू, कितना मजा आ रहा है,” उन्होंने सिसकारी भरी। मैंने उनके पैरों को हल्का सा फैलाया और अपनी उंगलियाँ उनकी चूत पर रख दीं। उनकी चूत गीली और गर्म थी, और उसका क्लिट सख्त हो चुका था। मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया, और वो जोर-जोर से सिसकारियाँ भरने लगीं, “आह्ह… ऊऊ… हाय रे… लालू, और जोर से…”

“मेमसाहब, आपकी चूत कितनी गर्म है,” मैंने कहा, और मेरी आवाज़ में एक अजीब सा जोश था। उन्होंने मेरी ओर देखा और बोलीं, “लालू, मेरी चूत को चूम, इसे प्यार दे।” मैंने झट से उनके पैरों को और चौड़ा किया और अपनी जीभ उनकी चूत पर रख दी। उनकी चूत गुलाबी थी, और उसका स्वाद नमकीन और मादक। मैंने धीरे-धीरे चाटना शुरू किया, उनकी चूत के होंठों को चूसते हुए। वो चिल्लाईं, “आह्ह… हाय रे… लालू, मेरी चूत को चाट… और जोर से…”

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मैंने अपनी जीभ को उनके क्लिट पर गोल-गोल घुमाया, और वो काँपने लगीं। उनके हाथ मेरे सिर पर थे, और वो मुझे अपनी चूत में दबा रही थीं। मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली, और वो और जोर से चिल्लाईं, “आह्ह… ऊऊ… लालू, मेरे राजा…” उनकी चूत से गर्म पानी छूट गया, और वो काँपती हुई शांत हो गईं।

“लालू, आज रात मेरे कमरे में आना। और मजा दूँगी तुझे,” उन्होंने कहा, उनकी साँसें अभी भी तेज थीं। “लेकिन महाराज से बचकर आना, और किसी को कुछ मत बताना।” मैंने हाँ में सिर हिलाया, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था।

रात को 11:30 बजे मैं उनके कमरे में गया। कमरा हल्का अंधेरा था, सिर्फ एक टेबल लैंप की पीली रोशनी थी। मेमसाहब बिस्तर पर लेटी थीं, पूरी तरह नग्न। उनकी गोरी त्वचा रोशनी में चमक रही थी, और उनके काले बाल बिस्तर पर बिखरे थे। उनका एक हाथ उनकी चूत में था, और दूसरा उनके स्तनों को सहला रहा था। उनके गुलाबी निपल्स सख्त थे, और उनकी चूत गीली चमक रही थी।

“लालू, मेरे शेर, आ जा,” उन्होंने कहा और मेरे पास आईं। उन्होंने मेरी बनियान उतारी, फिर मेरी निकर खींच दी। मेरा लंड फिर से तन गया था, और उसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था। वो मेरे सीने पर हाथ फेरने लगीं, और फिर नीचे झुककर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। उनका मुँह गर्म और गीला था, और वो मेरे लंड को ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई भूखी शेरनी। मैं सिसकारी भरने लगा, “आह्ह… मेमसाहब… हाय…”

वो मेरे लंड को चूसती रहीं, कभी धीरे, कभी तेज। उनकी जीभ मेरे सुपाड़े पर गोल-गोल घूम रही थी, और मेरे पूरे शरीर में सनसनी दौड़ रही थी। “लालू, तेरा लंड कितना मस्त है,” उन्होंने कहा और फिर से चूसने लगीं। कुछ ही मिनटों में मेरा वीर्य उनके मुँह में छूट गया। उन्होंने उसे चाट लिया और मुस्कुराईं, “लालू, तेरा माल तो गर्मागरम है।”

मैंने उनके नितंबों को पकड़ा। उनके नितंब सख्त और गोल थे, जैसे दो पके आम। मैंने उन्हें धीरे-धीरे सहलाया, और वो सिसकारियाँ भरने लगीं, “आह्ह… लालू, मेरी गाँड को प्यार कर…” मैंने अपने लंड को उनकी चूत और नितंबों पर फेरा, और वो फिर से गर्म होने लगीं।

“लालू, अब डाल दे मेरी चूत में,” उन्होंने कहा और अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं। मैंने अपने लंड के सुपाड़े को उनकी चूत के मुँह पर सेट किया और धीरे से धक्का मारा। लंड फिसल गया। उन्होंने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत पर सेट किया, “अब जोर से मार, मेरे राजा।”

मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया। वो चीखीं, “श्ह्ह… हाय रे… लालू…” मैंने दूसरा धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। उनकी चूत गर्म, टाइट, और गीली थी। मैं रुक गया और उनके स्तनों को मसलने लगा। उनके निपल्स सख्त थे, और मैं उन्हें अपनी उंगलियों से दबा रहा था।

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मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत से “फच… फच…” की आवाज़ आ रही थी। वो सिसकारियाँ भर रही थीं, “आह्ह… ऊऊ… लालू, मेरे राजा… और जोर से…” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी, और वो अपनी कमर हिलाकर मेरा साथ देने लगीं। “मेमसाहब, आपकी चूत कितनी टाइट है,” मैंने कहा।

“हाय रे… लालू, तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है… छह महीने बाद आज मेरी चूत को असली मर्द का लंड मिला… चोद मेरी चूत को… फाड़ डाल इसे…” वो चिल्ला रही थीं। मैंने उन्हें पलट दिया और घोड़ी बनाया। उनकी गोल, सख्त गाँड मेरे सामने थी। मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। वो चीखीं, “आह्ह… हाय रे… मार डाला…”

मैंने उनकी कमर पकड़ी और तेज-तेज धक्के मारने लगा। उनकी चूत से “फच… फच…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। वो सिसकारियाँ भर रही थीं, “आह्ह… ऊऊ… लालू, मेरी चूत को और जोर से चोद…” कुछ देर बाद वो फिर से काँपने लगीं, और उनकी चूत से गर्म पानी छूट गया।

मैंने उन्हें फिर से पलटा और उनकी टाँगें अपने कंधों पर रख दीं। उनकी चूत मेरे सामने खुली थी, और मैंने अपने लंड को फिर से उनकी चूत में डाला। इस बार मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे, और वो हर धक्के के साथ सिसकारियाँ भर रही थीं, “आह्ह… लालू, तेरा लंड मेरी चूत को स्वर्ग में ले जा रहा है…”

करीब एक घंटे तक मैंने उन्हें अलग-अलग तरीके से चोदा। कभी घोड़ी बनाकर, कभी उनकी टाँगें ऊपर उठाकर, और कभी उनके ऊपर लेटकर। वो चार बार झड़ीं, और मैं दो बार। हर बार उनकी चूत से “फच… फच…” की आवाज़ आ रही थी, और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

अंत में मैंने पूछा, “मेमसाहब, मैं झड़ने वाला हूँ… कहाँ झड़ूँ?”

“लालू, मेरी चूत में ही झड़ जा… मेरी चूत को अपने गर्म माल से नहला दे,” उन्होंने कहा। मैंने अपनी रफ्तार तेज की, और मेरा वीर्य उनकी चूत में छूट गया। वो जोर-जोर से अपनी कमर हिला रही थीं। मैंने लंड बाहर निकाला, और वो मेरे लंड को देखकर मुस्कुराईं। मेरा लंड लाल हो चुका था, और उसकी खाल थोड़ी फट गई थी। उन्होंने अपनी नाइटी से उसे साफ किया और फिर उसे मुँह में ले लिया।

“लालू, अब थोड़ा आराम कर ले,” उन्होंने कहा। लेकिन कुछ देर बाद वो फिर से मेरे लंड को सहलाने लगीं, और हमने फिर से चुदाई शुरू कर दी। उस रात के बाद हम सात-आठ दिन तक चोदते रहे, और किसी को भनक तक नहीं पड़ी।

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