मौसी की चूत चोदने पर अड़ गया भांजा

मैं राहुल, इंदौर के पास का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, और मैं एक नंबर का चोदू हूँ। अब तक मैंने कई हॉट मालों की चूत का रस चखा है। मेरा लंड जिस चूत को पेलता है, वो औरतें मेरे नाम की दीवानी हो जाती हैं। मेरा मोटा तगड़ा लंड चूत चोदने का इतना शौकीन है कि उसे हर वक्त बस चूत चाहिए। मैंने कई भाभियों, आंटियों और कॉलेज की लड़कियों की चूत का भोसड़ा बनाया है, और हर बार मेरा लंड उन्हें ऐसा मजा देता है कि वो बार-बार मेरे पास लौट आती हैं।

कुछ महीने पहले की बात है, गर्मियों की छुट्टियों का समय था। मेरी वंदना मौसी हमारे घर आई थीं। मौसी अपने दो बच्चों को भी साथ लाई थीं, जो स्कूल की छुट्टियों में हमारे साथ वक्त बिताने आए थे। जब मैंने मौसी को देखा, तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मौसी की उम्र 31 साल थी, लेकिन वो किसी 25 साल की माल से कम नहीं लगती थीं। उनकी गोरी चिकनी स्किन, टाइट बदन और कातिलाना फिगर देखकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया। मैंने तो मन ही मन अपने लंड से कहा, “बेटा, आज तुझे सलामी देनी पड़ेगी!”

वंदना मौसी का फिगर एकदम कयामत था। उनके बूब्स 30 साइज के, इतने टाइट कि साड़ी में भी बिल्कुल हिलते नहीं थे। उनकी कमर 30 इंच की, पतली और चिकनी, और गांड 32 साइज की, गोल-मटोल और इतनी कसी हुई कि साड़ी में उनकी गांड का उभार देखकर किसी का भी लंड तन जाए। मौसी का हर अदा, हर हाव-भाव ऐसा था कि मेरा लंड हर वक्त हिचकोले मार रहा था। दो बच्चों की माँ होने के बावजूद मौसी ने अपने जिस्म को इतना मेंटेन किया था कि वो किसी बॉलीवुड हीरोइन से कम नहीं लगती थीं।

पहले दो दिन तो मैं नॉर्मल रहा, लेकिन मौसी की जवानी का नशा मेरे सर चढ़कर बोलने लगा। मैं रात को बिस्तर पर लेटकर मौसी की चूत में लंड पेलने के ख्वाब देखता। उनके रसीले होंठ, टाइट बूब्स और कसी हुई गांड मेरे दिमाग में घूमते रहते। लेकिन मौसी को चोदना आसान नहीं था। वो नई जमाने की औरत थीं, स्मार्ट और तेज। मैं जानता था कि अगर मुझे मौसी की चूत लेनी है, तो मुझे हिम्मत और चालाकी दोनों दिखानी पड़ेगी।

धीरे-धीरे मैंने मौसी से नजदीकियां बढ़ानी शुरू की। कभी उनके पास बैठकर बातें करता, कभी जानबूझकर उनके हाथ या कंधे को छूता। मौसी को शायद मेरी हरकतें समझ में आने लगी थीं, क्योंकि वो मुझे थोड़ा अजीब नजरों से देखने लगी थीं। फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके मौसी की गांड पर हाथ फेर दिया। वो एकदम चौंक गईं और मुझे घूरने लगीं। मैं जल्दी से कमरे से बाहर निकल गया, लेकिन मेरा लंड तो मानो पागल हो गया था। अगले दिन फिर मौका मिला, और मैंने दोबारा मौसी की गांड टच की। इस बार मौसी ने मुझे गौर से देखा, जैसे वो मेरी नीयत भांप चुकी थीं।

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उसी शाम मौसी मेरे पास आईं और बोलीं, “राहुल, ये क्या शैतानी कर रहा है तू? मैं तेरी हरकतें समझ रही हूँ।”

मैंने बेशर्मी से जवाब दिया, “मौसी, जब आप सब समझ ही रही हो, तो फिर इतना क्यों तड़पा रही हो? दे दो ना जो मैं चाहता हूँ।”

मौसी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। “कितना बेशर्म हो गया है तू? तुझे पता भी है तू क्या बोल रहा है?” उन्होंने डांटते हुए कहा।

“हाँ, मौसी, सब पता है। आप इतनी हॉट हो, मैं क्या करूँ? मेरा लंड तो बस आपकी चूत के लिए तड़प रहा है,” मैंने हँसते हुए कहा।

मौसी ने मुझे और डांटा, “दूसरे लड़कों के साथ रह-रहकर बिगड़ गया है तू। थोड़ा सुधर जा।”

“अरे मौसी, मम्मी की तरह लेक्चर मत दो। जो माँग रहा हूँ, वो दे दो, फिर देखो मैं कितना सुधर जाता हूँ,” मैंने मस्ती में जवाब दिया।

मौसी गुस्से में कमरे से चली गईं, और मैं लंड मसलता रह गया। लेकिन अब मुझे यकीन हो गया था कि मौसी को मेरी नीयत पता चल चुकी है। अब मुझे और जोर-शोर से कोशिश करनी थी। मैंने ठान लिया कि चाहे जो हो, मौसी की चूत लेकर रहूँगा।

अगले दिन मैं हर वक्त मौसी से चिपकने की कोशिश करने लगा। वो मुझे दूर हटातीं, लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था। एक दिन मौसी किचन में सब्जी काट रही थीं, और मम्मी बाहर किसी काम में व्यस्त थीं। मैं चुपके से किचन में घुस गया और मौसी के पीछे जाकर चिपक गया। मेरा तना हुआ लंड उनकी गांड से टकरा रहा था। मौसी ने पलटकर मुझे देखा और बोलीं, “राहुल, ये क्या कर रहा है तू?”

“वही जो आप समझ रही हो, मौसी,” मैंने शरारत से कहा और उनकी कमर पर हाथ फेरने लगा।

“राहुल, छोड़ मुझे। दीदी आ जाएगी,” मौसी ने घबराते हुए कहा।

“बस एक किस दे दो, मौसी, फिर छोड़ दूँगा,” मैंने कहा और उनके गाल को चूम लिया।

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मौसी ने मुझे धक्का देकर दूर किया और बोलीं, “गलत हरकतें मत कर, राहुल।”

“तो फिर दे दो ना, मौसी। मैं तो बस प्यार करना चाहता हूँ,” मैंने हँसते हुए कहा।

तभी मम्मी किचन में आ गईं, और मुझे लंड समेटकर बाहर भागना पड़ा। रात को मैंने फिर मौसी को चोदने का प्लान बनाया। अगले दिन दोपहर में मम्मी पड़ोस में गई थीं, और मौसी नहाकर कपड़े बदलने अपने कमरे में थीं। उनके बच्चे हॉल में टीवी देख रहे थे। ये मेरे लिए सुनहरा मौका था। मैं चुपके से मौसी के कमरे में घुस गया।

जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, मैंने देखा मौसी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज़ में थीं। उनका गोरा चिकना बदन, टाइट बूब्स और पेटीकोट में कसी हुई गांड देखकर मेरा लंड पजामे में तूफ़ान मचाने लगा। मौसी ने मुझे देखा, और उनकी नजर मेरे खड़े लंड पर पड़ी। एक पल के लिए हम दोनों की आँखें मिलीं, और कमरे में सन्नाटा छा गया।

मैंने मौके की नजाकत समझी और तेजी से मौसी के पास गया। मैंने उनके हाथ पकड़े और उन्हें दीवार से सटा दिया। फिर मैंने उनके रसीले होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मौसी मुझे दूर धकेलने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन मैंने उनकी एक न चलने दी। मैं उनके होंठों को चूस रहा था, जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो। मेरे हाथ उनके टाइट बूब्स पर चले गए, और मैंने ज़ोर से उन्हें दबाया। मौसी सिसकारियाँ भरने लगीं।

मैंने जल्दी से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोला, और पेटीकोट नीचे गिर गया। मौसी ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाल दिया और उनकी गर्म चूत को सहलाने लगा। मौसी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं, “राहुल, ये गलत है। रुक जा।”

लेकिन मैं रुकने वाला कहाँ था? मैंने उनकी चूत में उंगली डाल दी और उसे रगड़ने लगा। मौसी की साँसें तेज़ हो गईं, और वो अब कमज़ोर पड़ रही थीं। मैंने मौसी को उठाकर बेड पर पटक दिया और उनकी पैंटी खींचकर उतार दी। मौसी ने फिर से विरोध किया और बोलीं, “राहुल, मैं तेरी मौसी हूँ। ये सब गलत है।”

“मौसी, मुझे कोई दिक्कत नहीं। आप इतनी हॉट हो, मैं कैसे रुक जाऊँ?” मैंने कहा और उनका ब्लाउज़ खोलकर उनके बूब्स को आज़ाद कर दिया। मैंने उनके गुलाबी निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। मौसी अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थीं। उनकी चूत गीली हो रही थी, और उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं।

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मैंने अपना पजामा उतारा और मेरा 7 इंच का मोटा लंड बाहर निकाला। मौसी ने मेरे लंड को देखा और उनकी आँखें चौड़ी हो गईं। मैंने उनके पैर फैलाए और उनकी चूत पर लंड रगड़ना शुरू किया। मौसी ने आखिरी बार विरोध किया, “राहुल, प्लीज़, ये मत कर। मैं कल वापस चली जाऊँगी।”

लेकिन मैंने उनकी बात अनसुनी कर दी। मैंने उनके पैरों को और चौड़ा किया और एक ज़ोरदार धक्के के साथ मेरा लंड उनकी चूत में पेल दिया। मौसी की चीख निकल गई, लेकिन मैंने उनके मुँह पर हाथ रख दिया। मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जन्नत में पहुँच गया। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और उनके बूब्स को मसलते हुए चोदने लगा।

मौसी अब सिसकारियाँ भर रही थीं, “आह्ह… राहुल… धीरे… आह्ह…” उनकी आवाज़ में अब विरोध कम और मज़ा ज़्यादा था। मैंने उनके होंठों को फिर से चूमा और उनकी चूत को और ज़ोर से पेलने लगा। करीब 20 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद मौसी की चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं भी झड़ने वाला था, तो मैंने लंड बाहर निकाला और उनका पेटीकोट साफ किया।

हम दोनों हाँफ रहे थे। मौसी ने मुझे गले लगाया और बोलीं, “राहुल, ये गलत था, लेकिन… तूने मुझे आज सचमुच जन्नत दिखा दी।”

मैंने हँसते हुए कहा, “मौसी, अभी तो ये शुरुआत है। गर्मियों की छुट्टियाँ अभी बाकी हैं।”

अगले कुछ दिन हम दोनों ने हर मौके पर चुदाई का मज़ा लिया। कभी छत पर, कभी किचन में, कभी बाथरूम में। मौसी अब मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थीं। उनकी चूत और मेरे लंड का रिश्ता अब पक्का हो गया था। गर्मियों की वो छुट्टियाँ मेरी ज़िंदगी का सबसे मस्त टाइम था।

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