चुदक्कड़ मौसी और तीन पुलिस वाले

हाय, मेरा नाम सम है। मेरी उम्र 22 साल की है, और मैं अब भरुच में रहता हूँ। पहले वडोदरा में था, लेकिन कुछ महीने पहले यहाँ शिफ्ट हो गया। ये कहानी मेरी मौसी मोना की है, जो वापी में रहती हैं। मौसी की उम्र 34 साल है, और वो देखने में एकदम मस्त माल हैं। उनकी हाइट 5 फीट 3 इंच है, और उनका फिगर 36-30-36 का है। गोरा रंग, दो बच्चों की माँ, और पेशे से स्कूल टीचर। मौसी के बूब्स और गांड इतने भारी और ढीले हैं कि उनकी हर अदा में एक अजीब सी मादकता झलकती है। उनकी चाल ऐसी है कि सड़क पर चलते वक्त मर्दों की नजरें उन पर ठहर जाएँ। वो जब हँसती हैं, तो उनके गालों पर पड़ने वाले डिंपल और उनकी आँखों की चमक किसी को भी दीवाना बना दे।

ये बात तब की है, जब मैं अपनी स्विफ्ट कार लेकर मौसी को लेने वापी गया था। मैं वहाँ एक रात रुका, क्योंकि मौसी के साथ थोड़ा वक्त बिताने का मन था। अगले दिन हम दोनों भरुच के लिए निकलने वाले थे। मौसी ने अपने दोनों बच्चों को साथ नहीं लिया, क्योंकि उनकी स्कूल चल रही थी। बच्चों को अपनी सास के पास छोड़कर वो मेरे साथ भरुच आने को तैयार हो गईं। उनका प्लान था कि एक दिन में ही वापस लौट जाएँगी। मैंने सोचा, चलो मौसी के साथ ये छोटा सा ट्रिप मजेदार रहेगा।

शाम के करीब चार बजे हम घर से निकले। मौसी ने हरे रंग का टाइट टॉप और सफेद लेगिंग्स पहनी थी। उनका टॉप उनके भारी बूब्स को मुश्किल से समेट पा रहा था, और लेगिंग्स इतनी टाइट थी कि उनकी गोरी, भारी जाँघें और गांड का उभार साफ दिख रहा था। गाड़ी में बैठते वक्त उनकी लेगिंग्स और ऊपर खिसक गई, जिससे उनकी जाँघें और चमकने लगीं। मैंने चुपके से एक नजर डाली, और मन ही मन सोचा, “मौसी तो सचमुच माल हैं।” वो गाड़ी में बैठीं और अपनी सीट बेल्ट लगाते वक्त उनके बूब्स और उभर आए। मैंने नजरें हटाईं और गाड़ी स्टार्ट की।

हमने कमरेज क्रॉस किया ही था कि हाइवे पर तीन पुलिसवाले दिखे। उन्होंने वर्दी नहीं पहनी थी, लेकिन उनके काले, चमकदार जूते और आत्मविश्वास भरा अंदाज बता रहा था कि वो पुलिसवाले हैं। तीनों की उम्र 45 से 50 साल के बीच थी। थोड़े मोटे, पेट बाहर निकले हुए, और बड़ी-बड़ी मूंछें। उनकी आँखों में एक चालाकी थी, जैसे वो हर मौके को भुनाने के लिए तैयार रहते हों। एक के चेहरे पर हल्की दाढ़ी थी, दूसरे की मूंछें इतनी घनी थीं कि उसके होंठ ढक जाते थे, और तीसरा थोड़ा गंजा था, लेकिन उसकी आँखों में शरारत साफ दिख रही थी।

उन्होंने हमारी गाड़ी रोकी और लाइसेंस, गाड़ी के कागजात माँगने लगे। मेरे पास सब कुछ था, बस इंश्योरेंस के पेपर्स नहीं थे। इस बात को लेकर वो मुझसे बहस करने लगे। उस वक्त शाम के 6:30 बज चुके थे। आसमान में बादल छाए थे, और अंधेरा होने वाला था। हाइवे पर गाड़ियों की आवाजाही कम हो रही थी। मैंने उन्हें खूब समझाने की कोशिश की, “सर, पेपर्स घर पर रह गए हैं, मैं बाद में दिखा दूँगा।” लेकिन वो नहीं माने। वो 5000 रुपये की माँग करने लगे। मैंने कहा, “इतने पैसे तो नहीं होंगे, कुछ कम कर लीजिए।” लेकिन वो टस से मस नहीं हुए।

तभी मौसी गाड़ी से बाहर आईं। उनकी लेगिंग्स में उनकी गांड का उभार और साफ हो गया, और टॉप में उनके बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे अब बस फटने ही वाले हों। पुलिसवालों की नजरें मौसी पर टिक गईं। उनकी आँखें मौसी के बदन को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर रही थीं। एक पुलिसवाला, जिसकी मूंछें सबसे घनी थीं, बोला, “ये कौन हैं?”

मैंने कहा, “मेरी मौसी हैं, मोना।”

वो बोला, “मैडम, गाड़ी के इंश्योरेंस पेपर्स नहीं हैं। 5000 रुपये देने होंगे, वरना गाड़ी जब्त कर लेंगे।”

मौसी ने अपने नखरे भरे अंदाज में कहा, “अरे सर, 5000 तो बहुत ज्यादा हैं। कुछ समझ लीजिए ना, हम तो बस अपने घर जा रहे हैं।”

इस पर गंजा पुलिसवाला भड़क गया, “मैडम, एक तो पेपर्स पूरे नहीं, और ऊपर से बहस? चुपचाप पैसे दो, वरना थाने चलो।” बाकी दो पुलिसवाले मौसी को घूर रहे थे। उनकी नजरें मौसी के बूब्स और गांड पर अटक गई थीं। एक पुलिसवाला, जिसके पेट पर मोटी तोंद थी, अपनी मूंछों को ताव देता हुआ मौसी के करीब आया और बोला, “मैडम, कुछ और तरीका भी हो सकता है।”

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मौसी ने उनकी आँखों में देखा और एक हल्की सी मुस्कान दी। फिर मुझसे बोलीं, “सम, तुम गाड़ी में बैठो, मैं इनसे बात करती हूँ।” मैं गाड़ी में बैठ गया, लेकिन मेरे दिमाग में सवाल घूम रहे थे कि मौसी क्या करने वाली हैं। थोड़ी देर बाद मौसी वापस आईं, और हैरानी की बात ये थी कि वो तीनों पुलिसवाले भी उनके साथ गाड़ी में आकर बैठ गए। गंजा पुलिसवाला मेरे बगल में आगे की सीट पर बैठा, और बाकी दो पीछे की सीट पर मौसी के साथ। मौसी बीच में बैठी थीं, और उनकी जाँघें उन पुलिसवालों की जाँघों से सट रही थीं। मैंने मिरर में देखा तो मौसी की लेगिंग्स और टाइट हो गई थी, और उनकी जाँघों का उभार साफ दिख रहा था।

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मौसी ने धीरे से मुझसे कहा, “बेटा, ये लोग पैसे के बदले मेरे साथ मजे करना चाहते हैं।” मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने फिर से पूछा, “क्या?”

मेरे बगल वाला गंजा पुलिसवाला हँसा और बोला, “भाई, तू चिंता मत कर। गाड़ी चला। सब तेरी मौसी की मर्जी से होगा। कोई जबरदस्ती नहीं।” मैंने गाड़ी चलाना शुरू किया। अंधेरा गहरा चुका था, और हाइवे पर सन्नाटा सा था। पीछे की सीट से चूमने-चाटने की आवाजें आने लगीं। मौसी की सिसकारियाँ और पुलिसवालों की भारी साँसें मेरे कानों में गूँज रही थीं। मैं मिरर में देखना चाहता था, लेकिन अंधेरे की वजह से कुछ साफ नहीं दिख रहा था। बस आवाजें थीं— “चप… चप… आह्ह… ह्म्म्म…”

गंजे पुलिसवाले ने मुझसे कहा, “गाड़ी साइड में लगा दे।” मैंने हाइवे के किनारे एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक दी। पीछे क्या हो रहा था, मुझे ठीक से पता नहीं था, लेकिन मौसी की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं— “आह्ह… ह्ह्हम्म्म…” मैं गाड़ी चला रहा था, इसलिए पीछे मुड़कर देख नहीं पा रहा था। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं, और मन में एक अजीब सा रोमांच था।

फिर गंजा पुलिसवाला बोला, “चुदाई देखेगा अपनी मौसी की?” उसने रियरव्यू मिरर को सेट किया और बोला, “इसमें देख, पीछे मत मुड़ना।” मैंने मिरर में देखा, और मेरी साँसें थम गईं। पीछे की सीट पर मूंछों वाला पुलिसवाला मौसी के सिर को अपनी गोद में लिए हुए था। मौसी उसका लंड मुँह में ले रही थीं, और उनकी जीभ उसके लंड के सिरे पर चक्कर काट रही थी। पुलिसवाला आँखें बंद किए सिसकारियाँ भर रहा था— “आह्ह… मैडम… और जोर से…” दूसरा पुलिसवाला, जिसकी तोंद बाहर निकली थी, मौसी की लेगिंग्स उतार रहा था। उसने मौसी की गांड को उठाकर अपनी गोद में रख लिया और उनकी गांड पर हाथ फेरने लगा। उसकी उंगलियाँ मौसी की गांड के गड्ढे में गहरे तक जा रही थीं। मौसी की लेगिंग्स अब उनकी टखनों तक खिसक चुकी थी, और उनकी गोरी, भारी जाँघें उस पुलिसवाले की गोद में चमक रही थीं।

मौसी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं। वो मूंछों वाले पुलिसवाले का लंड चूस रही थीं, और उनकी गांड को दूसरा पुलिसवाला जोर-जोर से सहला रहा था। उसकी उंगलियाँ मौसी की चूत तक पहुँच गई थीं, और वो उनकी चूत को रगड़ रहा था। मौसी की पैंटी गीली हो चुकी थी। तोंद वाला पुलिसवाला बोला, “मैडम, क्या माल हो तुम!” और उसने मौसी की पैंटी को एक झटके में नीचे खींच दिया।

फिर मौसी उठीं और दूसरे पुलिसवाले की तरफ झुक गईं। उन्होंने उसका लंड भी मुँह में ले लिया। तोंद वाला पुलिसवाला अब मौसी की गांड को पकड़े हुए था और उसे जोर-जोर से दबा रहा था। उसकी उंगलियाँ मौसी की चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, और मौसी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं— “आह्ह… ह्म्म्म… याह्ह…” मूंछों वाला पुलिसवाला अब मौसी के बूब्स को टॉप के ऊपर से दबा रहा था। उसने मौसी का टॉप ऊपर खींचा और उनकी ब्रा को नीचे सरका दिया। मौसी के भारी बूब्स बाहर आ गए, और वो उनके निप्पल्स को चूसने लगा।

अब मौसी ने अपना टॉप और ब्रा पूरी तरह उतार दी। उनकी पैंटी भी नीचे थी, और वो पूरी तरह नंगी थीं। मूंछों वाला पुलिसवाला अपनी गोद में मौसी को बिठाने के लिए बेताब था। उसने मुझसे कहा, “सीट को और आगे खींच ले।” मैंने सीट आगे की, और उसने मौसी को अपनी गोद में बिठा लिया। मौसी की पीठ मेरी तरफ थी। पुलिसवाला मौसी के बूब्स को चूस रहा था, और उसने अपना मोटा, काला लंड मौसी की चूत में डाल दिया। मौसी की चूत पहले से ही गीली थी, और लंड आसानी से अंदर चला गया। वो मौसी को अपनी गोद में उछालने लगा। मौसी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं— “ह्ह्हम्म्म… आह्ह्ह… याह्ह्ह… ह्ह्हूऊ… अम्म्म… आह्ह्हह्ह…” उनकी आवाज में वासना और मस्ती का मिश्रण था।

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मेरे बगल वाला गंजा पुलिसवाला बोला, “भाई, जल्दी करो!” और पीछे वाला पुलिसवाला बस मौसी को चोदे जा रहा था। उसका लंड मौसी की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ मौसी की गांड उसकी गोद में उछल रही थी। मौसी के बूब्स हवा में लटक रहे थे, और वो हर धक्के पर सिसकारियाँ ले रही थीं। पाँच मिनट बाद पुलिसवाला जोर से सिसकने लगा और मौसी की चूत में ही झड़ गया। उसका गर्म माल मौसी की चूत में भर गया।

मौसी उसकी गोद से हटीं, और तुरंत तोंद वाला पुलिसवाला उन्हें अपनी गोद में खींच लिया। इस बार मौसी का मुँह मेरी तरफ था। उसने अपना लंड मौसी की चूत में डाल दिया और उनके पेट को पकड़कर धक्के मारने लगा। मौसी की सिसकारियाँ फिर से गूँजने लगीं— “आह्ह्ह… म्ह्ह्ह्ह… याह्ह्ह… आह्ह्हह्ह…” उनकी चूत अब और गीली हो चुकी थी, और पुलिसवाले का लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। गंजा पुलिसवाला अब मौसी के बूब्स चूस रहा था। उसकी जीभ मौसी के निप्पल्स पर चक्कर काट रही थी, और वो उनके बूब्स को जोर-जोर से दबा रहा था। छह-सात मिनट बाद उसका भी झड़ गया, और उसने भी मौसी की चूत में माल छोड़ दिया।

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अब गंजा पुलिसवाला बेकरार हो गया। उसने अपनी सीट को पीछे की तरफ झुका दिया और मौसी को आगे की सीट पर बुलाया। मौसी जैसे ही आगे आईं, उसने अपना मोटा लंड खोल लिया और मौसी को उस पर बिठा लिया। वो मौसी के बूब्स चूसने लगा और उनकी गांड पर हाथ रखकर जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मौसी की सिसकारियाँ अब पूरे गाड़ी में गूँज रही थीं— “आह्ह्हह्ह… म्ह्ह्ह्ह… आह्ह्ह…” उनका चेहरा लाल हो चुका था, और उनकी आँखों में वासना की चमक थी। मेरा लंड भी कब से खड़ा था, और मैं बस मिरर में ये सब देख रहा था। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, और मेरे अंदर भी एक अजीब सी आग जल रही थी।

अचानक गंजे पुलिसवाले ने मौसी का हाथ पकड़कर मेरे लंड पर रख दिया। मैंने झट से अपनी पैंट खोल दी। मौसी चुदाई में इतनी मस्त थीं कि उन्होंने मेरा लंड जोर से पकड़ लिया और मुठ मारने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड को कसकर जकड़ रही थीं, और वो उसे ऊपर-नीचे कर रही थीं। मैं भी सिसकारियाँ भरने लगा— “आह्ह्हह्ह…” और उधर मौसी भी “आह्ह्ह… म्ह्ह्ह्ह… आह्ह्ह…” कर रही थीं। पाँच मिनट में मेरा वीर्य निकल गया, और गंजा पुलिसवाला भी मौसी की चूत में झड़ गया। उसका गर्म माल मौसी की चूत से बहकर उनकी जाँघों पर आ गया।

चुदाई के बाद मौसी उठीं और पीछे की सीट पर जाकर अपने कपड़े पहन लिए। उनकी लेगिंग्स और टॉप अब थोड़े कुचले हुए लग रहे थे, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी तृप्ति थी। पुलिसवालों ने मुझसे कहा, “हमें वापस वहीं छोड़ दो।” मैंने गाड़ी स्टार्ट की और उन्हें उसी जगह छोड़ दिया। मौसी ने उनका नंबर ले लिया, और वो बोले, “मैडम, कभी भी कोई काम हो, बस फोन करना। सब सेट हो जाएगा।” उनकी आवाज में एक चालाकी थी, और मौसी ने बस मुस्कुराकर जवाब दिया।

हम वहाँ से निकल गए। रास्ते में मौसी ने मुझसे कहा, “सम, ये बात किसी को बताना मत। तुझे भी चुदाई का मौका दूँगी।” मेरे दिमाग में आग लग गई। मैंने तुरंत कहा, “मौसी, मुझे अभी चाहिए।” वो हँसीं और बोलीं, “अरे, अब कैसे होगा? लेट हो जाएगा।” मैंने कहा, “मैं घर पर मम्मी को फोन करके बोल दूँगा कि गाड़ी में पंक्चर हो गया, थोड़ा टाइम लगेगा।” मौसी ने मेरी तरफ देखा और उनकी आँखों में शरारत चमकने लगी। वो बोलीं, “ठीक है, ढूँढ ले कोई जगह।”

मैंने गाड़ी चलाते हुए एक सुनसान जगह ढूँढी। हाइवे के किनारे 4-5 ट्रक खड़े थे। उनके बीच में काफी जगह थी, जहाँ गाड़ी आसानी से पार्क हो सकती थी। मैंने गाड़ी वहाँ रोकी और उतरकर चेक किया। ट्रकों में कोई ड्राइवर नहीं था, और आसपास सन्नाटा था। मैं वापस गाड़ी में आया और अपना लंड खोल लिया। मौसी ने उसे पकड़ लिया और ऊपर-नीचे करने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड पर जादू कर रही थीं। मैं सिसकारियाँ भरने लगा— “आह्ह… मौसी…”

मैंने अपनी जेब से कंडोम निकाला। मौसी हँसीं और बोलीं, “अरे, जेब में कंडोम रखता है?” मैंने कहा, “हाँ मौसी, कब कहाँ मौका मिल जाए!” वो हँस पड़ीं और बोलीं, “चल, जल्दी कर।” उन्होंने मुझे कंडोम पहनाया। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड पर फिसल रही थीं, और मेरे अंदर आग और तेज हो गई।

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मैंने मौसी का टॉप ऊपर किया और उनके बूब्स दबाने लगा। उनके बूब्स इतने मुलायम और भारी थे कि मेरे हाथों में समा नहीं रहे थे। मैंने उनके निप्पल्स को उंगलियों से मसला, और वो सिहर उठीं। मौसी ने खुद अपनी लेगिंग्स उतार दी और पीछे की सीट पर रख दी। मैंने उनकी पैंटी में हाथ डाला और उनकी चूत को रगड़ने लगा। उनकी चूत पहले से ही गीली थी, और मेरी उंगलियाँ उनकी चिकनी चूत पर फिसल रही थीं। मैंने उनकी पैंटी उतार दी और झुककर उनकी चूत चाटने लगा। अपनी जीभ को उनकी चूत के अंदर तक डाल दिया। मौसी पागल हो रही थीं। वो मेरे बालों में हाथ फेर रही थीं और मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थीं। उनकी सिसकारियाँ तेज हो गई थीं— “आह्ह्ह… सम… और जोर से… ह्ह्हम्म्म…”

मैंने उनकी चूत को और जोर से चाटा। उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया। पानी थोड़ा खट्टा था, कुछ मेरे मुँह में गया, और कुछ सीट पर गिर गया। फिर मैंने उनकी नाभि को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उनकी नाभि के अंदर तक गई, और वो सिहर उठीं। मैं चाटते-चाटते उनके बूब्स तक पहुँचा। उनकी ब्रा ऊपर की और बूब्स को चूसने लगा। उनके निप्पल्स सख्त हो चुके थे, और मैं उन्हें दाँतों से हल्के से काट रहा था। मौसी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं— “आह्ह्ह… सम… ह्ह्हम्म्म…”

वो बोलीं, “बेटा, जल्दी कर, कहीं किसी ने देख लिया तो प्रॉब्लम हो जाएगी।” मैंने उनकी बात मानी और उन्हें आगे की सीट पर लिटाया। सीट को पीछे किया और उनके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। उनकी चूत इतनी गीली और खुली थी कि लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। शायद अभी थोड़ी देर पहले की चुदाई की वजह से, या शायद मौसी की रोज की चुदाई की आदत थी।

मैंने धीरे-धीरे प्यार से धक्के मारना शुरू किया। उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और धक्के मारता रहा। मौसी के हाथ मेरी पीठ पर थे, और उनका एक पैर ड्राइवर की सीट पर था, दूसरा मेरी कमर पर लिपटा हुआ। मैं मजे से उन्हें चोद रहा था। फिर मैंने उनके बूब्स चूसना शुरू किया। उनकी सिसकारियाँ फिर से गूँजने लगीं— “आह्ह्ह… म्ह्ह्ह्ह… ज्ज्ज्ज्ल्ल्ह्ह्ह… ह्ह्हम्म्म…”

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मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। मौसी भी हर धक्के पर सिसकारियाँ ले रही थीं— “आह्ह्ह… ह्म्म्म… आह्ह्ह…” हमारा ये सिलसिला 10 मिनट तक चला। मैं बीच-बीच में रुक जाता था, ताकि लंबे समय तक चोद सकूँ। मौसी को भी मजा आ रहा था। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और उनकी सिसकारियाँ मेरे कानों में मस्ती भर रही थीं। मैंने उनके बूब्स को और जोर से दबाया, और उनकी नाभि को चूमते हुए उनके पेट पर जीभ फेरी। मौसी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं— “आह्ह्ह… सम… और जोर से…”

अब मैं झड़ने वाला था। मैंने अपने दोनों हाथ उनके बूब्स पर रखे और जोर-जोर से दबाने लगा। मौसी चिल्ला उठीं— “आह्ह्ह… सम… धीरे…” लेकिन मैंने स्पीड और बढ़ा दी। मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और वो भी “आह्ह्ह… म्ह्ह्ह्ह… आआआ… म्म्ह्ह्ह…” की आवाजें निकालने लगीं। आखिरकार मैं झड़ गया। कंडोम में सारा माल भर गया। मौसी भी शांत हो गईं। मैं उनके बूब्स पर सिर रखकर 5 मिनट तक वैसे ही पड़ा रहा। उनकी साँसें अभी भी तेज थीं, और उनकी चूत से गर्माहट मेरे लंड तक महसूस हो रही थी।

फिर मैं उठा और कंडोम निकालकर बाहर फेंक दिया। मौसी ने अपनी लेगिंग्स और पैंटी पहन ली। ब्रा और टॉप ठीक किया। मैंने तो बस पैंट खोली थी, सो उसे ठीक किया। मौसी बोलीं, “सम, ये बात एक सीक्रेट ही रहनी चाहिए।” मैंने कहा, “हाँ मौसी, बिल्कुल।” फिर हम वहाँ से निकल गए। घर पहुँचने के बाद हमने सब कुछ नॉर्मल रखा, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

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