Aunt niece gangbang sex story – Mausi bhanji gangbang sex story – Gaon me group sex story: मेरा नाम मीनाक्षी है, पच्चीस साल की हूँ, बदन ऐसा कि जो देखे उसका लंड तुरंत सलामी देने लगे, भरे हुए बूब्स जो हाथ में न समाएँ, पतली कमर जो पकड़ने पर उंगलियाँ गड़ जाएँ, भारी-भारी गाँड जो चलते हुए मटकती है और चूत हमेशा हल्की सी गीली रहती है, जैसे किसी की जीभ की याद में तर हो रही हो। मौसी मुझसे बस सात-आठ साल बड़ी हैं, लेकिन उनकी जवानी अभी भी ज्वालामुखी की तरह फटने को तैयार रहती है, उनकी चूत की आग इतनी तेज कि आसपास का माहौल गर्म हो जाता है।
Village laborers group sex story – 5 majdoor chudai sex story:
हम दोनों अपने पुराने गाँव, बड़े पापा के घर मिलने जा रहे थे, रास्ते में हवा की ठंडक हमारी स्किन पर सरसराती हुई महसूस हो रही थी, जैसे कोई अदृश्य हाथ छू रहा हो। गाँव पहुँचे तो मालूम पड़ा कि पूरा परिवार किसी रिश्तेदार की शादी में गया है, घर की हवा में पुरानी लकड़ी और मिट्टी की मिली-जुली महक थी, जो हमें और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी। घर पर सिर्फ घर संभालने वाले पाँच हट्टे-कट्टे मजदूर थे – राजू, विकास, चाचू, मोहित और सबसे खतरनाक रामू, जिनके शरीर पसीने से चमकते थे, मसल्स उभरे हुए, और उनकी आँखों में वो भूख जो हमें देखते ही जाग गई। सबके सब दिन भर खेतों में पसीना बहाते, शरीर पर मिट्टी और पसीने की मिली-जुली महक, लंडों का उभार भी पतलून से साफ दिखता था, जैसे तैयार खड़े हों किसी चूत को फाड़ने के लिए।
सामान उतरवा कर मैं अपने कमरे में गई ही थी कि मौसी ने आँख मारी, “यार, गाँव का मौसम कितना सुहाना है… काश कोई मोटा-तगड़ा लौड़ा मिल जाए,” उनकी आवाज में वो कंपन था जो मुझे बता रहा था कि उनकी चूत में आग लग चुकी है। मैंने हँसते हुए कहा, “मौसी, पाँच-पाँच तो तैयार खड़े हैं, सबको एक साथ ले लो ना,” और मेरे शब्दों से मेरी खुद की जाँघें सिकुड़ गईं, जैसे कल्पना में ही गीली हो रही हों। मौसी की आँखें चमक उठीं, “देख, आज तेरी मौसी का जलवा,” और वो मुस्कुराईं, उनकी होंठों की नमी चमक रही थी।
वो नहाने चली गईं, उनके कदमों की आवाज से लगा जैसे वो जानबूझकर धीरे चल रही हों ताकि मजदूरों का ध्यान खींचें। दस मिनट बाद उनकी चिखली हुई आवाज आई, “अरे ओये, मेरे कमरे में पानी नहीं आ रहा!” जो इतनी कामुक थी कि मेरी चूत में हलचल मच गई। पहला मजदूर अंदर घुसा तो मौसी सिर्फ गीला तौलिया लपेटे खड़ी थीं, पानी की बूँदें उनकी जाँघों से टपक रही थीं, निप्पल्स तौलिये से छेद करते हुए, और उनकी साँसों की गर्मी कमरे में फैल रही थी। मौसी ने साँसें तेज करते हुए कहा, “पानी तो आ रहा है… लेकिन मेरी चूत का पानी नहीं निकल रहा, बहुत गर्मी लग रही है अंदर,” उनकी आँखें मजदूर के उभार पर टिकी थीं, जैसे नाप रही हों। मजदूर हकलाया, “मेमसाब… वो तो निकालना पड़ेगा,” उसके चेहरे पर पसीना आ गया, और लंड पैंट में तनने लगा। मौसी ने तौलिया ढीला किया, बूब्स हल्के से उछले, बोलीं, “तो खड़ा क्या है हरामी, निकाल ना… अकेला क्या करेगा, बाकी सबको भी बुला ले,” और उनकी आवाज में वो भूख थी जो मजदूर को और उकसा रही थी।
पल भर में पाँचों कमरे में थे, उनकी साँसें तेज, शरीर की गर्मी से कमरा और गर्म हो गया। मौसी ने एक-एक कर सबके कपड़े उतरवाए, उनके हाथ मजदूरों की छाती पर फिसलते हुए, मसल्स को दबाते हुए, जैसे हर स्पर्श में आग लगा रही हों। पाँच लंड सीधे खड़े, नसें फूली हुईं, टिप्स से चिपचिपा रस टपक रहा था, और कमरे में मर्दाना पसीने की महक फैल गई। मौसी घुटनों पर बैठ गईं, हर लंड को हाथ में लिया, नापा, सूँघा, बोलीं, “उम्म्म… कितनी मर्दाना महक है रे… देखूँ किसका सबसे तगड़ा है जो मेरी चूत पहले फाड़े,” उनकी उंगलियाँ लंडों पर फिसल रही थीं, प्री-कम को रगड़ते हुए।
रामू का लंड सचमुच घोड़े जैसा था, मौसी ने उसकी जड़ पकड़ी, जीभ से चाटा, “आह… ये तो मेरी जान ले लेगा,” और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया, उनकी जीभ टिप पर घूमती हुई, लार टपकती हुई। फिर बारी-बारी सबके लंड चूसे – ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी.. गी.. गों.. गों.. गोग… लार टपकती रही, तीन तो मुँह में ही झड़ गए, गर्म-गर्म वीर्य मौसी के होंठों, गालों, बूब्स पर गिरा, जो उनकी स्किन पर फैलकर चिपचिपा महसूस हो रहा था। मौसी चाट-चाट कर बोलीं, “कितना स्वाद है रे… अब असली खेल,” और उन्होंने बाकी दो को और ज्यादा छेड़ा, लंडों को बूब्स के बीच रगड़ा, अपनी निप्पल्स से टकराया।
मैं दरवाजे से झाँक रही थी, मेरी चूत में सनसनी सी दौड़ रही थी, जाँघें आपस में रगड़ रही थीं। मौसी ने मुझे देख लिया, “मीनू आ जा, दो तेरे लिए भी हैं,” उनकी आवाज में वो मेंटरिंग टोन था जो मुझे और उकसा रहा था। मैं अंदर आई, दिल धक-धक कर रहा था, मेरी स्किन पर ठंडी हवा गर्म लग रही थी। मौसी बिस्तर पर लेट गईं, पैर चौड़े किए, चूत चमक रही थी, रस से गीली, और उन्होंने मजदूरों को इशारा किया कि पहले चूत को छेड़ो। रामू ने अपना घोड़ा लंड पहले चूत पर रगड़ा, क्लिट को छुआ, मौसी की कमर उछली, “आह इह्ह… बस कर पागल… घुसा दे अब,” उनकी जाँघें काँप रही थीं, चूत का रस बहने लगा।
रामू ने एक झटका मारा, आधा लंड अंदर, मौसी की चीख निकल गई, “आअह्ह्ह्ह्ह्ह मार गई रे… धीरे… नहीं-नहीं और जोर से!” दूसरा झटका, पूरा लंड अंदर तक, चूत की दीवारें फैल गईं, हल्का सा खून निकला, जो दर्द के साथ मीठा मजा दे रहा था। मौसी पागल हो गईं, “हाँ साले… ऐसे ही… फाड़ दो मेरी चूत… आह ह ह ह ह्हीईईई… और गहरा पेल… उईईई माँ कसम मजा आ रहा है!” चाचू ने मौसी का मुँह चोदना शुरू किया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… चप चप चप की आवाजें पूरे कमरे में गूँजने लगीं, और मौसी की स्किन पसीने से चिपचिपी हो गई।
अब मेरी बारी थी, विकास और मोहित मेरे पास आए, उनकी आँखें मेरे बदन पर घूम रही थीं। मैंने खुद सारे कपड़े उतारे, नंगी होकर लेट गई, मेरी निप्पल्स सख्त हो चुकी थीं, चूत गीली। विकास ने मेरी चूत पर मुँह रखा, जीभ अंदर तक घुसाई, मैं तो तड़प उठी, “आह्ह्ह… ह्ह… ऊउइ… चाट साले… और अंदर…” उनकी जीभ की गर्मी मेरी क्लिट पर घूम रही थी, रस चाटते हुए। मोहित ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में ठूँस दिया, साँस रुकने लगी, लेकिन मैंने चूसना शुरू किया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गों.. गों..।
विकास ने लंड मेरी चूत पर रखा, पहले सिर्फ टिप घुसाई, मैं चीखी, “धीरे यार… बहुत बड़ा है…” उसने एक जोरदार झटका मारा, पूरा अंदर, मेरी आँखों से आँसू निकल आए, “आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मर गई… फट गई चूत…” लेकिन दर्द के साथ मीठी सनसनी भी दौड़ी, मेरी दीवारें उसके लंड को जकड़ रही थीं। वो तेज-तेज पेलने लगा, चपक… चपक… चपक… मेरे बूब्स उछल रहे थे, और मैंने विकास के कंधों पर नाखून गड़ा दिए।
मोहित ने मेरे मुँह में पिचकारी मार दी, गर्म वीर्य गले में उतर गया, मुझे सारा पीना पड़ा, स्वाद नमकीन और गाढ़ा। फिर उसने मेरी गाँड में थूक लगाकर लंड सेट किया और एक झटके में पूरा घुसा दिया, पहले थोड़ा सा रगड़ा ताकि गाँड की टाइटनेस महसूस हो। मेरी चीख पूरे घर में गूँजी, “उईईईई माँ… गाँड फट गई… आह्ह्ह्ह्ह्ह लेकिन रुक मत… चोद मुझे भी रंडी बना दे,” दर्द इतना तेज कि आँखें बंद हो गईं, लेकिन अंदर की आग और बढ़ गई।
उधर मौसी को अब तीन-तीन लंड एक साथ मिल रहे थे – एक चूत में, एक गाँड में, एक मुँह में, और उन्होंने पहले हर लंड को और छेड़ा, अपनी चूत के रस से लंड गीला किया। रामू ने मौसी को घोड़ी बनाया, गाँड में पूरा लंड पेला तो मौसी की आँखें फट गईं, “आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मर गई… खून निकालो… हाँ वही मजा है… और जोर से… मेरी गाँड फाड़ दो!” खून और वीर्य का मिश्रण उनकी जाँघों से बह रहा था, लेकिन वो और भूखी हो रही थीं, जैसे दर्द उनकी उत्तेजना को दोगुना कर रहा हो।
दो घंटे तक लगातार चुदाई चली, कभी मैं ऊपर बैठकर लंड पर उछल रही थी, कभी मौसी ऊपर, कभी दोनों घोड़ी बनाकर एक साथ चुद रही थीं, हमारे शरीर एक-दूसरे से चिपक रहे थे, पसीना मिलकर फिसलन पैदा कर रहा था। कमरा पसीने, वीर्य, खून और चूत के रस की मिली-जुली महक से भरा था, जो हमें और पागल बना रही थी। आखिर में सबने हमारी चूत, गाँड, मुँह, बूब्स – हर जगह अपना माल उड़ेल दिया, गर्म-गर्म वीर्य स्किन पर गिरकर ठंडा हो रहा था।
हम दोनों बेहाल, लथपथ, खून और वीर्य से सनी पड़ी थीं, मेरी गाँड और चूत जल रही थीं, लेकिन अंदर एक नई आग लग गई थी। मैं रोते हुए मौसी के पास गई, लगा वो मर गईं, उनका शरीर अभी भी काँप रहा था। मौसी ने आँख खोली, मुस्कुराईं, साँसें अभी भी फूली हुईं, “ये होती है असली चुदाई बेटा… दर्द के बिना मजा नहीं। अगली बार तू लीड लेगी,” उनकी आवाज में वो संतुष्टि थी जो मुझे सिखा रही थी। मैंने गले लगाते हुए कहा, “हाँ मौसी… आज पाँच घोड़े लंड एक साथ लिए… और फिर भी जी नहीं भरा,” और हम दोनों की साँसें मिलकर एक हो गईं।
आज के समय में महिलाओं को अच्छा सेक्स नहीं मिलता क्योंकि उनके बीएफ और पति नामर्द हो चुके हैं तो उनका कोर्टिसोल लेवल खराब हो जाता है और फिर हार्मोनल असंतुलन हो जाता है जैसे पहले सफ़ेद पानी पड़ने लगता है मतलब लेकोरिया फिर कमर दर्द, ये पीसीओडी और बाद में फिर उनकी ट्यूब मुख्य संक्रमण होकर औरत बांझ बन जाती है है और फिर बच्चे पैदा करने के लिए दुनिया भर में मैं चक्कर और महँगा इलाज…जबकी इसका सिंपल इलाज है इक अच्छी चुदायी जिसमें उसके सभी हार्मोन ठीक हो जाते हैं
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