मेरा नाम देवयानी है। मैंने अपनी पहली चुदाई टीचर के साथ की थी, जब उसने मेरी चूत को अपने मोटे लंड से फाड़ा था। उस रात के बाद से मुझे लंड का ऐसा चस्का लगा कि अब हर मर्द को देखते ही मेरी चूत गीली हो जाती। चाहे जवान लड़का हो, अधेड़ उम्र का मर्द हो या कोई बूढ़ा, मेरा ध्यान सीधा उनकी पैंट की उस जगह पर जाता, जहाँ उनका लंड छुपा होता। मन में बस एक ही ख्याल आता—ये लंड कैसा होगा? कितना बड़ा, कितना मोटा? क्या ये मेरी चूत की आग बुझा सकता है?
हर शनिवार रात को मेरी चुदाई की भूख कुछ देर के लिए शांत होती, लेकिन दिन के उजाले में फिर वही प्यास जाग उठती। मैं अपनी चाल में वो सेक्सी अंदाज़ लाती कि मेरे चूतड़ अपने आप मटकने लगते। भीड़भाड़ वाली जगहों पर जब कोई मर्द मेरे बदन को छूता, मेरी चूचियों को दबाता या मेरी गांड पर हाथ फेरता, तो मुझे मज़ा आता। मैं जानबूझकर रुक जाती, ताकि वो और छेड़खानी करे। मन करता कि यहीं चुदाई हो जाए, लेकिन भीड़ में ये मुमकिन नहीं था।
टीचर के साथ चुदाई से पहले हम पोर्न मूवी देखते थे। उनमें अक्सर दो-तीन मर्द एक लड़की को चोदते हुए दिखते। मैं भी सोचती कि काश मैं भी ऐसा ग्रुप सेक्स करूं, जहाँ कई लंड एक साथ मेरी चूत और गांड की प्यास बुझाएँ। लेकिन जगह की कमी की वजह से ये ख्वाब अधूरा रहता। फिर टीचर अपने बेटे के पास विदेश चला गया। उसने मेरे अकाउंट में इतने पैसे छोड़े कि मुझे नशे के लिए चोरी नहीं करनी पड़ी। लेकिन चुदाई की लत? वो तो हर पल मुझे तड़पाती रही।
परीक्षा खत्म होने के बाद मैं अपने मामा के नए घर मिलने गई। मामा ने नई कॉलोनी में बड़ा सा घर बनवाया था। वहाँ सिर्फ़ मामा-मामी रहते थे, क्योंकि उनकी शादी को दो साल ही हुए थे और अभी बच्चा नहीं चाहिए था। मामा 27 साल के थे, और मामी 25 की। कॉलोनी में अभी और घर बन रहे थे, लेकिन ज्यादातर खाली पड़े थे। मामा के घर के पीछे एक गली थी, जहाँ उनके रूम का दरवाजा खुलता था। गली के दूसरी तरफ खाली प्लॉट्स थे, और एक प्लॉट में टीन की झोंपड़ी थी। मैंने मामा से पूछा, “ये क्या है?” मामा बोले, “पहले चौकीदार रहता था, अब खाली है।”
पता नहीं क्यों, मुझे उस झोंपड़ी में कुछ गड़बड़ लगी। उस रात हमने खाना खाया और सो गए। सुबह मामा-मामी से ढेर सारी बातें हुईं। रात को मामी मेरे लिए दूध ले आईं और गिलास मुझे दे दिया। तभी उनके मोबाइल की रिंग बजी, और वो देखने चली गईं। मैंने गिलास ट्रे में रखा और बाथरूम चली गई। जब लौटी, तो मामी अभी तक नहीं आई थीं। मैंने एक गिलास उठाया और दूध पी लिया।
थोड़ी देर बाद मामी आईं, अपना दूध पिया और अपने रूम में चली गईं। लेकिन तभी मुझे उनके रूम से मोबाइल की रिंग सुनाई दी। एक बार, दो बार, कई बार कॉल आया, पर किसी ने उठाया नहीं। मुझे शक हुआ। मैं उठकर उनके रूम की तरफ गई, तभी मेरी नज़र रसोई की शेल्फ पर पड़ी। वहाँ नींद की गोलियों का पत्ता था, और साथ में एक सेक्स की गोली। मेरा शक और गहरा हो गया। मैंने नींद की गोलियाँ ऊपर वाले दराज में छुपा दीं और सेक्स की गोली खा ली।
तभी फिर से फोन बजा। मैंने मामी के रूम में जाकर फोन उठाया। मेरे “हैलो” कहते ही दूसरी तरफ से आवाज़ आई, “पुनम डार्लिंग, हम कब से झोंपड़ी में इंतज़ार कर रहे हैं, कब आ रही हो?” पुनम मेरी मामी का नाम था। मैंने फोन काट दिया और छत पर जाकर झोंपड़ी की तरफ देखा। अंधेरा था, धुंध की वजह से ज्यादा दिख नहीं रहा था, लेकिन मुझे तीन लोग नज़र आए। मैंने टॉर्च जलाकर देखा—तीन मर्द थे, और मुझे हाथ हिलाकर इशारा कर रहे थे।
मेरे अंदर चुदाई का भूत जाग गया। मैंने नीचे आने का इशारा किया। लेकिन डर भी लग रहा था—ये लोग कौन हैं? फिर मैंने सोचा, “चाहे जो हों, मुझे तो लंड चाहिए। और इन्हें चूत चाहिए, चाहे मेरी हो या मामी की।” वैसे, मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि मामी, जो सबके सामने इतनी शरीफ बनती थी, ऐसी हरकत कर सकती थी।
फिर से फोन बजा। “पुनम, आजा, हम कब से तेरी राह देख रहे हैं। हमारे लंड तो तेरी चूत चोदने के लिए मरे जा रहे हैं।” मैंने कहा, “मैं तैयार होकर आती हूँ।” दूसरी तरफ से आवाज़ आई, “जींस, शर्ट और हाई हील सैंडल पहनकर आना, जानेमन। तू जींस-शर्ट में बड़ी मस्त लगती है।”
मैंने अपने बैग से शराब की बोतल निकाली और आधी बोतल नीट चढ़ा दी। मेरे बदन में गर्मी दौड़ने लगी। उस वक्त मैंने ढीला टॉप और लोअर पहना था। मैं चुपके से मामी के रूम में गई और उनकी हरी शर्ट, काली जींस, ब्रा और पैंटी उठा लाई। मामी की हाइट मेरी जितनी थी, लेकिन उनकी ब्रा और पैंटी मुझे टाइट थीं, क्योंकि मेरी चूचियाँ और गांड उनसे बड़ी थीं। मैंने अपनी ब्रा-पैंटी पहनी, मामी की शर्ट-जींस डाली, उनके बड़े-बड़े झुमके और हार पहना, माथे पर लाल बिंदी लगाई और हाई हील सैंडल डालकर बाहर निकल पड़ी।
ठंडी हवा चल रही थी, और सर्दी की वजह से मैं काँप रही थी। जैसे ही मैं झोंपड़ी के पास पहुंची, एक मर्द ने मुझे गोद में उठा लिया और झोंपड़ी के अंदर ले गया। अंदर थोड़ी गर्माहट थी। एक बोला, “पुनम डार्लिंग, आज तो तूने बहुत इंतज़ार करवाया। क्या उन लोगों ने दूध देर से पिया?” मैंने कम बोलने की कोशिश की, ताकि मेरी आवाज़ से कोई मुझे पहचान न ले। मैंने बस “हाँ” कहा।
दूसरे ने पूछा, “कितनी गोलियाँ मिलाईं?” मैंने कहा, “तीन-तीन।” वो बोला, “अब कोई दिक्कत नहीं, दोनों सुबह तक नहीं उठेंगे। चल, अब सर्दी दूर करते हैं।” तीसरा बोला, “पुनम, तेरे पति के साथ तुझे कितना मज़ा आता होगा? लेकिन एक मर्द से तेरी प्यास कैसे बुझेगी?” मैंने मामी का राज जानने के लिए पूछा, “क्यों?” वो बोला, “हम तुझे सालों से जानते हैं। शादी से पहले तू न जाने कितने मर्दों से चुद चुकी है। हमेशा दो-तीन लंड एक साथ लेती थी। अब एक से कैसे काम चलता है?”
दूसरा हँसते हुए बोला, “साले, तू भी गांडू है। अगर पति से प्यास बुझती, तो ये यहाँ अपनी चूत और गांड चुदवाने क्यों आती?” सब हँस पड़े, और मैं भी। तभी एक ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, दूसरे ने मेरे पेट पर होंठ रख दिए, और तीसरे ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। जो मेरा पेट चूम रहा था, वो बोला, “पुनम, जो लड़की तेरे घर आई है, साली बड़ी सेक्सी है। उसकी चुदाई करवा दे।” तीनों ने एक साथ कहा, “हाँ, पुनम, जुगाड़ लगा। हम तेरे साथ मिलकर उसकी भी चूत और गांड मारेंगे। बड़ा मज़ा आएगा।”
पीछे वाले ने मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाया और बोला, “आज तेरी चूचियाँ इतनी बड़ी कैसे लग रही हैं?” दूसरा बोला, “तेरी गांड भी बड़ी मस्त हो गई है, और पेट तो बिल्कुल चिकना है।” तीसरे ने कहा, “तेरे होंठ भी आज ज्यादा रसीले लग रहे हैं। क्या लगाकर आई है?”
मैंने हँसते हुए कहा, “सालों, मैं पुनम नहीं, वही लड़की हूँ, जिसे तुम अभी चोदने की बात कर रहे थे।” एक ने मोबाइल की टॉर्च जलाई, मेरा चेहरा देखा, और तीनों घबरा गए। “पुनम कहाँ है?” मैंने कहा, “गलती से मेरा वाला दूध पीकर अपने पति के साथ सो रही है।”
वो बोला, “तू यहाँ कैसे?” मैंने कहा, “लंड की आग सिर्फ़ मामी को ही लगती है क्या? मुझे नहीं? मैं तो लंड के लिए तड़प रही थी। तीन-तीन लंड देखकर कैसे न आती? लेकिन लगता है तुम सिर्फ़ मामी को चोदोगे। ठीक है, मैं चलती हूँ।”
तभी एक बोला, “नहीं, जानेमन, जब तेरे जैसी गर्म चुदक्कड़ रंडी सामने हो, तो पुनम की चूत कौन मारेगा? हमें तो बस चूत और गांड चाहिए लंड डालने के लिए। और तू तो पुनम से भी ज्यादा मस्त है।” मैंने कहा, “मैं यहाँ कुछ दिन हूँ। फिर तुम्हें मामी से ही काम चलाना है।” एक बोला, “चल, अब चुदाई शुरू करें। तुझे देखते ही मेरा लंड तन्ना रहा है।”
मैंने कहा, “यहाँ क्या मज़ा आएगा? रूम में चलो, वहाँ आराम से एक-दूसरे के जिस्मों का मज़ा लेंगे।” वो बोले, “लेकिन मामा-मामी?” मैंने कहा, “घबराओ मत, वो नींद की गोलियों की वजह से सुबह तक नहीं उठेंगे। तुम मुझे अपने लंडों से चोदो और पीछे के दरवाजे से निकल जाना।”
उन्होंने अपनी शराब और सिगरेट उठाई, और हम रूम की तरफ चल पड़े। मैंने एक सिगरेट ली और रूम तक पहुँचते-पहुँचते खत्म कर दी। रूम में घुसते ही हमने दरवाजा बंद किया और लाइट जलाई। मैंने पहली बार उन तीनों को ठीक से देखा। तीनों 45-50 साल के हट्टे-कट्टे मर्द थे। चेहरा क्लीन शेव, बालों में डाई लगी हुई, और नशे में टुन्न। उनकी हाइट 5 फीट 10 इंच थी, और मैं उनकी बराबरी में थी, क्योंकि मैंने 3 इंच की हील पहनी थी।
एक बोला, “यार, ये तो पुनम से कहीं ज्यादा सेक्सी है।” दूसरा बोला, “मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी हॉट लड़की चोदने को मिलेगी।” तीसरा बोला, “पोर्न मूवी में ही ऐसी फिगर वाली लड़कियाँ देखी थीं, आज असल में देख रहा हूँ।” मैंने कहा, “जो देखा, वो भूल जाओगे। मेरी चुदाई पोर्न मूवी जैसी होगी। मुझे अलग-अलग स्टाइल में लंड लेना पसंद है।”
तीनों खुश हो गए। एक बोला, “आज पैसे वसूल होंगे।” मैंने पूछा, “क्या मतलब?” वो बोला, “हम पुनम को पैसे देते हैं चुदाई के लिए। और भी कई मर्द हैं, जो उसे पैसे देकर चोदते हैं। साली बिना पैसे के हाथ भी नहीं लगाने देती।”
मैं दंग रह गई। सबके सामने शरीफ बनने वाली पुनम मामी तो पैसे लेकर चुदती थी? वो, जो कहती थी कि पैसा हाथ की मैल है और असली दौलत वफादारी है, वो तो रंडी थी? जो मर्द पैसे देता, उसी के लंड से चुदकर वफादारी निभाती थी।
एक बोला, “साली पैसे लेती है, लेकिन मज़ा भी देती है। एक नंबर की चुदक्कड़ कुतिया है। और हम जैसे चोदू कुत्ते उसके कामरस को सूँघते हुए रात में लंड पकड़कर भटकते हैं।” हम सब हँस पड़े। उन्होंने आधी शराब की बोतल में पानी मिलाया और बारी-बारी पीने लगे। मैंने भी बोतल पकड़कर एक लंबा घूँट मारा।
एक ने सिगरेट निकाली। मैंने कहा, “अंदर नहीं, गली में चलो।” हम बाहर गए और सिगरेट पी। जब वापस आए, तो एक ने मुझे दीवार से सटा लिया और मेरे होंठ चूमने लगा। मैंने उसका चेहरा पकड़कर पीछे किया और कहा, “अंदर चल, आराम से कर। मैं भाग तो नहीं रही।”
हम अंदर आए, और उन्होंने मुझे बेड पर लिटा दिया। एक मेरे सिर के पास बैठा, दूसरा पेट के पास, और तीसरा मेरी टाँगों के पास। पहले ने मेरे होंठों पर होंठ रखे और चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुसी, और मैंने उसकी जीभ चूसनी शुरू की। हम एक-दूसरे के होंठ काटने लगे, जैसे भूखे शेर हों।
दूसरे ने मेरी शर्ट के बटन खोले और ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबाने लगा। उसका हाथ मेरी चिकनी चूचियों पर फिसल रहा था, और मैं सिहर उठी। तीसरे ने मेरी जींस के ऊपर से मेरी जाँघें सहलाईं और मेरा गोरा, मुलायम पेट चूमने लगा। उसकी जीभ मेरे पेट पर रेंग रही थी, और मैं मचल रही थी।
जो मेरी चूचियाँ दबा रहा था, उसने मेरी ब्रा की हुक खोली और मुझे बैठाकर शर्ट-ब्रा उतार दी। तीसरे ने मेरी जींस और पैंटी खींचकर निकाल दी, लेकिन सैंडल वापस पहना दिए। मैं फिर लेट गई। एक मेरे होंठ चूस रहा था, दूसरा मेरी चूचियाँ चूम रहा था, और तीसरा मेरी नंगी जाँघें सहलाते हुए मेरा पेट चाट रहा था।
मैंने एक हाथ से पहले वाले की गर्दन पकड़ी और उसके होंठ जोर-जोर से चूसने लगी। हमारी जीभ एक-दूसरे के मुँह में घूम रही थी। दूसरे हाथ से मैंने चूचियाँ चूसने वाले का सिर पकड़कर अपनी चूचियों पर दबाया। वो मेरी चूचियों को मुँह में भरकर चूस रहा था, जैसे कोई भूखा बच्चा दूध पी रहा हो। मेरे निप्पल्स को वो जीभ से चाटता, फिर काट लेता, और मैं “आह्ह” करके मचल जाती।
तीसरा मेरी टाँगें खोलकर बीच में बैठ गया और मेरे पेट को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी नाभि में घूम रही थी, और मेरी चूत उसकी छाती को छू रही थी। मैंने अपनी टाँगें उसकी पीठ पर लपेट दीं और गांड उठाकर अपनी चूत उसकी छाती पर रगड़ने लगी। “उफ्फ, कितना मज़ा आ रहा है,” मैंने सोचा। तीन मर्दों के एक साथ चूमने-चाटने से मेरा बदन आग की तरह जल रहा था।
उन्होंने अपनी जगह बदली। अब जो मेरे होंठ चूस रहा था, वो मेरी चूचियाँ चूसने लगा। जो चूचियाँ चूस रहा था, वो मेरे पेट पर आ गया। और जो पेट चाट रहा था, वो मेरे होंठ चूमने लगा। मैं उनकी हर हरकत का मज़ा ले रही थी, जैसे कोई पोर्न स्टार।
फिर उन्होंने मुझे टेबल पर लिटाया, मेरा सिर टेबल से नीचे लटक रहा था। तीनों ने अपने कपड़े उतार दिए, और हम चारों नंगे हो गए। मैंने उनके लंड देखे—सब मोटे, लंबे और दमदार। “हाय, आज तो मेरी चूत और गांड की प्यास बुझ जाएगी,” मैंने मन में सोचा। पुनम मामी का शुक्रिया अदा किया, जिनकी वजह से मुझे ये तीन लंड मिले।
एक मेरे सिर की तरफ खड़ा हुआ और अपने लंड की चमड़ी पीछे करके मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। मैंने जीभ निकालकर उसके टोपे को चाटा और लंड मुँह में ले लिया। “उम्म, कितना मोटा है,” मैंने सोचा। दूसरा टेबल पर घुटने टेककर बैठा और अपने लंड को मेरी चूचियों के बीच दबाकर हिलाने लगा। तीसरा मेरी टाँगें खोलकर नीचे बैठ गया और मेरी चूत पर होंठ रख दिए।
मैं सिर आगे-पीछे करके लंड चूस रही थी, और गांड हिलाकर चूत चटवा रही थी। “आह्ह, चाट साले, और जोर से चाट,” मैंने मन में कहा। तीसरे की जीभ मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं पागल हो रही थी। कुछ देर बाद वो तीनों वहशी हो गए। पहले वाले ने मेरे गाल पकड़े और लंड मेरे मुँह में गले तक पेलने लगा। हर झटके में उसका लंड मेरे गले की गहराई में उतरता, और मैं “उग्ग” की आवाज़ के साथ उसे चूस रही थी।
दूसरे ने मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाया और उनके बीच लंड रगड़ने लगा। वो बार-बार मेरी चूचियों पर थूकता, ताकि लंड आसानी से फिसले। तीसरे ने मेरी चूत में जीभ डालकर चाटना शुरू किया, जैसे कोई कुत्ता चटपट चाट रहा हो। मैं गांड उठाकर अपनी चूत उसके मुँह पर रगड़ रही थी। “उफ्फ, साले, मेरी चूत फाड़ दो,” मैं चीखना चाहती थी, लेकिन मुँह में लंड होने की वजह से सिर्फ़ “उम्म” निकल रहा था।
रूम में फचाक-फचाक की आवाज़ें गूंज रही थीं। तीनों ने बारी-बारी मेरे मुँह, चूचियों और चूत का मज़ा लिया। मैंने भी उनके लंड वहशीपन से चूसे और चूत चटवाई। फिर एक ने मेरी गांड के छेद पर तेल लगाया और उंगली डालकर अंदर-बाहर किया। “अब गांड भी मरेगी,” मैंने सोचा, और मेरी चूत और गीली हो गई।
एक सोफे पर बैठ गया। मैंने अपने घुटने सोफे पर टिकाए और अपनी गीली चूत उसके लंड पर टिका दी। “पेल दे, साले,” मैंने मन में कहा। मैंने उसके कंधे पकड़े और गांड नीचे धकेली। उसका मोटा लंड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस गया और मेरी बच्चेदानी से टकराया। “आह्ह, मम्मी,” मैं चीख पड़ी। मैं उसके लंड पर उछलने लगी, और मेरी चूचियाँ ऊपर-नीचे नाच रही थीं।
तभी दूसरा सोफे के पीछे आया और मेरे मुँह में लंड पेल दिया। मैं एक लंड पर उछल रही थी, और दूसरा लंड चूस रही थी। “उम्म, कितना मज़ा है,” मैंने सोचा। तीसरे ने मेरी कमर पकड़ी, मेरी गांड उठाई और अपने लंड को मेरे गांड के छेद पर टिकाया। “नहीं, धीरे,” मैंने सोचा, लेकिन उसने एक जोरदार शॉट मारा, और उसका लंड मेरी गांड में जड़ तक घुस गया। “आह्ह, साले, फट गई,” मैं चीखी, लेकिन मुँह में लंड होने से आवाज़ दब गई।
अब मेरे तीनों छेद—मुँह, चूत और गांड—लंडों से भरे थे। “हाय, ऐसा मज़ा तो पोर्न में भी नहीं देखा,” मैंने सोचा। सोफे के पीछे वाला मेरे सिर को पकड़कर मुँह चोद रहा था। नीचे वाला मेरी चूत में लंड पेल रहा था, और पीछे वाला मेरी गांड मार रहा था। “फचाक-फचाक” की आवाज़ें पूरे रूम में गूंज रही थीं।
अचानक गांड चोदने वाला तेज हो गया। उसने मेरी गांड में जोर-जोर से शॉट मारे और चीखते हुए मेरी गांड में झड़ गया। मैंने अपनी गांड में गर्म-गर्म वीर्य महसूस किया। लेकिन मुझे गुस्सा आया। “साले, इतनी जल्दी? बहनचोद, पहले तो बड़ा उछल रहा था। ताकत नहीं तो घर जाकर मुट्ठ मार,” मैंने चिल्लाया। वो शर्म से रूम से भाग गया।
अब दो मर्द बचे थे। जो मेरा मुँह चोद रहा था, उसने मेरी गांड साफ की और अपना लंड मेरी गांड में पेल दिया। नीचे वाला मेरी चूत चोद रहा था, और पीछे वाला मेरी गांड। “आह्ह, साले, और जोर से,” मैं चीख रही थी। उन्होंने जगह बदली, और मेरी चूत-गांड की चुदाई चलती रही।
फिर हम खड़े हो गए। एक ने मेरी एक टाँग उठाई और मेरी चूत में लंड पेल दिया। पीछे वाले ने मेरी गांड में लंड डाला। आगे वाला मेरे होंठ चूमते हुए चूत चोद रहा था, और पीछे वाला मेरी चूचियाँ दबाते हुए गांड मार रहा था। मैंने आगे वाले को कसकर पकड़ा और अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट दीं।
मैंने दोनों को रुकने को कहा और अपनी गांड आगे-पीछे करने लगी। जब गांड आगे जाती, तो चूत में लंड गहराई तक जाता। जब पीछे जाती, तो गांड में लंड जड़ तक समा जाता। “फच-फच” की आवाज़ें गूंज रही थीं, और मैं मस्ती में चीख रही थी, “चोदो साले, मेरी चूत और गांड फाड़ दो।”
फिर एक टेबल पर बैठ गया, और मैं उसका लंड अपनी गांड में लेकर बैठ गई। दूसरा सामने आया, मेरी टाँगें उठाईं और चूत में लंड पेल दिया। लेकिन इस पोजीशन में मज़ा नहीं आया। उन्होंने मुझे बेड के सहारे घोड़ी बनाया। एक ने मेरी चूत में लंड पेला, और दूसरे ने मुँह में। मैं गांड हिलाकर चूत और मुँह में लंड ले रही थी।
कुछ देर बाद पीछे वाले ने चूत से लंड निकाला और गांड में पेल दिया। मैं गांड गोल-गोल घुमाकर चुदाई का मज़ा ले रही थी। “आह्ह, साले, और जोर से,” मैं चीख रही थी। मैं दो बार झड़ चुकी थी। पीछे वाला तेजी से मेरी चूत चोदने लगा और मेरी चूत में झड़ गया। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत से टपकने लगा।
मैं घुटनों पर बैठ गई और उसका लंड चाटकर साफ कर दिया। फिर पहले वाले का लंड मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। वो मेरे मुँह को चोदने लगा और मेरे मुँह में झड़ गया। उसका वीर्य मेरे होंठों से टपककर मेरी चूचियों पर गिरने लगा। मैंने ज्यादातर वीर्य पी लिया और बाकी को कपड़े से साफ किया।
उन्होंने मुझे गर्भनिरोधक गोली दी, और हम नंगे ही रजाई में घुस गए। थोड़ी देर बाद फिर चुदाई का भूत जागा। हमने फिर से चुदाई शुरू की। उस रात उन दोनों ने मुझे तीन बार और चोदा। सुबह 5 बजे वो रूम से निकले। जाते-जाते उन्होंने मुझे 5000 रुपये दिए और बोले, “पुनम को मत बताना कि हमने इतने पैसे दिए। उसे 2000 बताना, क्योंकि हम उसे इतना ही देते हैं। तूने हमारी प्यास इतनी मस्ती से बुझाई कि आज की चुदाई कभी नहीं भूलेंगे।”
मैंने पैसे पर्स में रखे, कपड़े पहने और सो गई।
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