जैसा कि पिछले हिस्से में देखा-पिछली कहानी(मामा ने मुझे खेत पर चोदा – 1) ज़रूर पढ़ें।, मामा जी मुझे चोदने के लिए खेत ले जा रहे थे। घर में चुदाई का कोई मौका नहीं था, सास और पति हर वक्त आसपास रहते थे। हमारा खेत गाँव से 10-15 किलोमीटर दूर था। बाइक पर रास्ते में मामा जी की गंदी बातें सुनकर मेरी चूत इतनी गीली हो गई कि खेत पहुँचते-पहुँचते बाइक की सीट मेरे रस से लथपथ हो चुकी थी। मेरी हल्की हरी साड़ी, पेटीकोट, और पैंटी मेरे चूत के रस से चिपक गए थे। मेरी चूत में आग लगी थी, मेरी चूचियाँ साँसों के साथ उछल रही थीं, और साड़ी मेरी गीली जाँघों पर लिपट रही थी। धूप मेरे जिस्म को चुभ रही थी, गन्नों की मिट्टी की सोंधी गंध मेरी नाक में भर रही थी, और मेरी चूत मामा जी के लंड के लिए पागल हो रही थी, जैसे कोई भूखी शेरनी अपनी माँग कर रही हो।
गन्ने हवा में सरसरा रहे थे, उनकी पत्तियाँ मेरे जिस्म की सनसनी के साथ ताल मिला रही थीं। दूर-दूर तक कोई नहीं दिखता था। मैंने सोचा कि चुदाई ट्यूबवेल रूम में होगी, इसलिए उस तरफ बढ़ी। मामा जी ने मेरी कलाई पकड़ ली, उनकी उंगलियाँ मेरी त्वचा में धंस रही थीं। वो बोले, “वहाँ कहाँ चलेगी, मेरी रंडी? यहाँ खुले खेत में तुझे चोदूँगा!” मैं डरते हुए बोली, “मामा जी, कोई देख लेगा!” वो हँसे, उनकी आँखों में हवस की चमक थी, “अगर कोई आ भी गया, तो तेरी चूत को नया लंड मिलेगा, साली!” उनकी बातों ने मेरी चूत में और आग भड़का दी। मैं सिसकते हुए बोली, “मामा जी, मेरी चूत अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती, जल्दी मुझे चोदो!”
मामा जी बाइक के पास गए, एक पुराना झोला उतारा, और गन्नों के बीच चले। मैं पीछे-पीछे गई, मेरी साड़ी मेरी गीली जाँघों पर चिपक रही थी, जैसे दूसरी त्वचा बन गई हो। मेरी चोटी मेरी गोरी पीठ पर लटक रही थी, और मेरी साँसें इतनी तेज थीं कि मेरी चूचियाँ ब्लाउज़ में उछल रही थीं। झोले में एक पुरानी, मोटी चादर थी, जिसे मामा जी ने गीली मिट्टी पर बिछा दी। गन्नों की पत्तियाँ हिल रही थीं, धूप मेरे जिस्म पर चमक रही थी, और मेरी चूचियाँ तंग ब्लाउज़ में सख्त निप्पल्स के साथ उभर रही थीं। मामा जी ने मेरी साड़ी का पल्लू खींचा, वो मेरी जाँघों से चिपककर मिट्टी पर गिर गया। मैंने सिसकते हुए कहा, “मामा जी, धीरे करो, साड़ी फट जाएगी!” उन्होंने मेरे ब्लाउज़ के बटन फाड़ दिए, मेरी ब्रा को खींचकर उतार फेंका, और मेरी गोरी चूचियाँ धूप में चमक उठीं। मेरे गुलाबी निप्पल सख्त थे, जैसे पत्थर। उन्होंने मेरा पेटीकोट का नाड़ा खींचा, मेरी रस से तर पैंटी को फाड़कर उतार दिया। वो बोले, “तेरी टकली चूत तो मस्त लग रही है, साली!” मेरी चूत में ठंडी सनसनी दौड़ गई। वो बोले, “बता, कैसी चूत है तेरी?” मैं सिसकते हुए बोली, “टकली है, मामा जी!” वो हँसे, “टकली क्यों बोलते हैं?” मैं शरमाते हुए बोली, “क्योंकि ये चिकनी और गीली है, मामा जी, सिर्फ़ तुम्हारे लिए!” उनकी आँखें लाल हो गईं। मैं पूरी नंगी थी, मेरी चूत धूप में गीली चमक रही थी, और मेरी जाँघें काँप रही थीं। वो बोले, “साली, तेरी चूत का पानी तो नदी की तरह टपक रहा है!” मैंने कराहते हुए कहा, “मामा जी, ये सब तुम्हारे लंड के लिए बह रहा है!”
उन्होंने मुझे चादर पर लिटा दिया, और मेरी चूचियों को ज़ोर से मसलने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरी त्वचा में धंस रही थीं, मेरी चूचियाँ गर्म हो रही थीं, और मेरे निप्पल सख्त होकर चुभने लगे। मैं सिसक पड़ी, “आह, मामा जी, मेरी चूचियाँ जल रही हैं, इन्हें चूसो!” उन्होंने मेरे निप्पल को मुँह में लिया, उनकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी, जैसे कोई भूखा शेर। मेरी चूचियाँ फूल रही थीं, और गर्मी मेरे सीने से मेरी चूत तक दौड़ रही थी। मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मामा जी, और ज़ोर से चूसो, मेरे निप्पल को खा लो!” उनकी जीभ मेरे निप्पल को रगड़ रही थी, और जब उन्होंने दाँतों से हल्के से काटा, तो मेरे जिस्म में बिजली-सी दौड़ गई। मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी, और मेरा रस मेरी जाँघों पर बहने लगा। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा जी, मेरी चूत को छूओ, ये तुम्हारे लिए तड़प रही है!”
वो मेरी जाँघें फैलाकर मेरी चूत पर झुके। उनकी गर्म साँसें मेरी चूत को छू रही थीं, जिससे मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ रही थी। उन्होंने मेरी चूत के दाने को जीभ से चाटा, और मेरा जिस्म करंट से काँप उठा। मैं चिल्लाई, “आह, मामा जी, मेरी चूत में आग लगी है, इसे बुझाओ!” उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक गई, मेरी चूत की दीवारें उनकी जीभ से रगड़ रही थीं। हर चाट के साथ मेरा रस और बह रहा था, उनकी जीभ पर चिपक रहा था। मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मामा जी, मेरे दाने को चूसो, मुझे पागल कर दो!” उनकी जीभ मेरे दाने को रगड़ रही थी, और मैं अपनी गांड उछाल रही थी, उनके सिर को अपनी चूत में दबा रही थी। मेरी चूत की गहराई में गर्मी जमा हो रही थी, जैसे कोई ज्वालामुखी फटने वाला हो। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा जी, मेरी चूत तुम्हारी है, इसे खा लो!”
हवस में डूबकर मैंने मामा जी को धकेल दिया, उनकी धोती खींचकर उतार दी। मेरी चूत इतनी गर्म थी कि मैं कुछ भी करने को तैयार थी। मैंने उन्हें चादर पर लिटाया, और उनकी गांड पर झुक गई। उनकी गांड के छेद को चाटा, उसकी खारी, पसीने की गंध मेरी नाक में भरी, और मेरी चूत में नई आग जाग उठी। मेरी जीभ उनकी गांड में अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मामा जी, तुम्हारी गांड चाटने में मज़ा आ रहा है!” वो सिसक पड़े, “साली, तू तो पक्की रंडी बन गई!” मेरा रस मेरी जाँघों पर बह रहा था, और मेरी हवस मुझे पागल कर रही थी।
वो उठे, बोले, “मेरे लंड को चूस, कुतिया!” मैंने उनका 9 इंच का लंड अपने हाथों में लिया, उसकी गर्मी मेरी हथेलियों में चुभ रही थी। उसे मुँह में लिया, मेरी जीभ उसके टोपे को चाट रही थी, और लंड मेरे मुँह में धड़क रहा था। मैं कराहते हुए बोली, “आह्ह, मामा जी, तुम्हारा लंड कितना सख्त और मोटा है!” मैंने उसे गले तक चूसा, मेरी जीभ उसकी नसों पर रगड़ रही थी। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह में धक्के देने लगे, “छिनाल, और ज़ोर से चूस, साली!” मैंने उनके टट्टों को सहलाया, और मेरी चूत हर चूसने के साथ और गीली हो रही थी। मैंने उनके लंड पर थूक दिया, जिससे वो और चिकना हो गया। मैं चिल्लाई, “उह्ह, मामा जी, इस लंड को मेरी चूत में डालो, अब और मत तड़पाओ!”
उन्होंने मुझे चादर पर घुमा दिया, बोले, “घोड़ी बन जा, रंडी!” मैं घुटनों पर हो गई (डॉगी पोजीशन), मेरी गोरी गांड उनके सामने थी, और मेरी चूत धूप में गीली चमक रही थी। मेरा रस मेरी जाँघों पर बह रहा था। मैंने अपनी चोटी अपने कंधे पर डाल दी, और मेरी चूत उनके लंड की भूखी थी। वो मेरे पीछे आए, मेरी गांड के छेद को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी गांड में गहरे तक गई, और मेरी चूत और रसीली हो गई। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा जी, मेरी चूत चाटो, गांड को बाद में चखना!” वो बोले, “साली, अभी तो मज़ा शुरू हुआ है!” उनकी जीभ मेरी चूत और गांड के बीच घूम रही थी, और मेरी चूत में गर्म लहरें दौड़ रही थीं।
वो मेरे नीचे लेट गए, मेरी चूत उनके मुँह पर थी। उन्होंने मेरी चूत को चाटना शुरू किया, उनकी जीभ मेरे दाने को रगड़ रही थी, जिससे मेरा जिस्म गर्म लहरों में काँप रहा था। मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मामा जी, मेरी चूत जल रही है, इसे ठंडा कर दो!” उनकी जीभ मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी, और मेरा रस उनके मुँह पर बह रहा था। मैं अपनी गांड उछाल रही थी, उनके सिर को अपनी चूत में दबा रही थी। मेरी जाँघें काँप रही थीं, और मेरी चूत में गर्मी जमा हो रही थी। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा जी, मेरी चूत फटने वाली है!” उन्होंने मेरे दाने को हल्के से काटा, और मेरा जिस्म तेज़ झटके से काँप उठा। मैं चिल्लाई, “मामा, मैं चली!” मेरा रस उनके मुँह में बह गया, और चादर गीली हो गई।
वो उठे, बोले, “अब तेरी चुदाई होगी, साली, तेरी चूत को फाड़ दूँगा!” मुझे चादर पर लिटा दिया, मेरी टाँगें उनके कंधों पर रख दीं (मिशनरी), और लंड मेरी चूत में ठूँस दिया। उनका मोटा लंड मेरी चूत की दीवारों को चीर रहा था, हर धक्के में दर्द और मज़ा एक साथ फैल रहा था। मैं चिल्लाई, “आह, मामा, धीरे करो, मेरी चूत फट जाएगी!” वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगे, उनकी जाँघें मेरी गांड से टकरा रही थीं, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। मेरे निप्पल सख्त होकर चुभ रहे थे, और मेरी चूत उनके लंड को निगल रही थी। मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मामा, मेरा पति तो नामर्द है, तुम मुझे चोदो!” वो बोले, “उस हरामी को भूल जा, साली, अब तू मेरी रंडी है!” उन्होंने मेरी चूचियों को मसला, मेरे निप्पल उनकी उंगलियों से गर्म हो गए। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा, मेरी चूत को फाड़ डालो!” करीब 15 मिनट बाद मेरी चूत सिकुड़ने लगी, गर्म लहर मेरे जिस्म में फैल गई, और मैं चिल्लाई, “मामा, मैं झड़ रही हूँ!” मेरा रस चादर पर फैल गया, और मेरी साँसें हाँफ रही थीं।
अचानक मामा जी रुक गए, उनकी नज़रें गन्नों की तरफ गईं। मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा। गन्नों के बीच से एक मज़दूर निकला, 30 साल का, लंबा, गठीला, काला, पसीने से भीगी बनियान और लुंगी में। उसके मसल्स धूप में चमक रहे थे, जैसे काला पत्थर। मामा जी मुस्कुराए, “अरे, इधर आ, देख क्या माल है!” मज़दूर ने मुझे नंगी देखा और हिचकिचाया, बोला, “नहीं साहब, ये गलत है, मेरी बीवी है।” उसकी हिचक ने मेरी चूत में सनसनी जगा दी, जैसे कोई नया मज़ा इंतज़ार कर रहा हो। मामा जी हँसे, “अरे, डर मत, ये रंडी गज़ब का मज़ा देगी। बस डॉटेड कंडोम लगा ले!” उन्होंने झोले से एक डब्बा निकाला, जिसमें डॉटेड कंडोम था। मैंने सोचा, ये कंडोम तो खास है, इसकी सतह पर छोटी-छोटी बिंदियाँ होती हैं, जो चुदाई का मज़ा और बढ़ा देती हैं। मज़दूर ने मना किया, “साहब, ये ठीक नहीं, मैं जाऊँ।” मामा बोले, “बीवी को कुछ नहीं पता चलेगा, इसकी चूत चख ले, साला!” मज़दूर की नज़र मेरी चूत पर टिकी थी, और उसकी हिचक टूटने लगी। आखिरकार, उसने कंडोम ले लिया।
उसने लुंगी खोली, उसका 8 इंच का लंड तना हुआ था, काला, मोटा, जैसे कोई हथियार। डॉटेड कंडोम को पहनकर वो बोला, “कौन है ये रंडी, साहब? मस्त है!” मामा जी हँसे, “मेरी खास रंडी, साला, इसकी चूत लंड को निगल लेती है!” मज़दूर ने मेरी चूत को देखा, बोला, “साहब, आपकी रंडी की चूत तो टाइट है, इसे चोदकर मज़ा आएगा!” उसने मेरी चूचियों को पकड़ा, उसकी खुरदरी हथेलियाँ मेरी चूचियों को मसल रही थीं। मेरे निप्पल सख्त हो गए, और मैं सिसक पड़ी, “आह, मेरी चूचियाँ गर्म हो रही हैं!” उसने मेरी चूत पर हाथ फेरा, उसकी उंगलियाँ मेरे दाने को रगड़ रही थीं, जिससे मेरे जिस्म में बिजली दौड़ गई। मैं चिल्लाई, “उह्ह, मेरी चूत में आग लगी है, कुछ कर, साले!” उसने अपनी उंगली मेरी चूत में डाली, और मेरी चूत की दीवारें रगड़ने लगीं। मैं कराहते हुए बोली, “आह्ह, और गहरा डाल, हरामी!”
उसने मुझे चादर पर लिटा दिया, मेरी टाँगें फैला दीं (मिशनरी), और डॉटेड कंडोम वाला लंड मेरी चूत में ठूँस दिया। उसका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और कंडोम की बिंदियाँ मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रही थीं, हर धक्के में मज़ा दोगुना हो रहा था। मैं चिल्लाई, “आह, धीरे कर, साले, मेरी चूत फट जाएगी!” वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा, बोला, “साली रंडी, तेरी चूत को भोसड़ा कर दूँगा!” फिर मामा जी से बोला, “साहब, आपकी रंडी की चूत तो लंड चूस रही है!” मामा जी हँसे, “हाँ, इसकी चूत को लंड की भूख है, पेल इसे!” मज़दूर ने मेरी चूचियों को मसला, “साली, तेरी चूचियाँ भी मस्त हैं, इन्हें निचोड़ दूँ!” उसका लंड मेरी चूत की गहराई में जा रहा था, और मेरी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं। मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मेरा पति तो नामर्द है, तू मुझे चोद, साले!” वो बोला, “तेरा पति हरामी है, मैं तेरी चूत को फाड़ दूँगा, कुतिया!” मामा से हँसा, “साहब, ये रंडी तो पक्की चुदक्कड़ है!” मेरी चूत उसके लंड को निगल रही थी, और मेरा रस कंडोम पर चिपक रहा था। करीब 15 मिनट बाद मेरी चूत सिकुड़ने लगी, गर्म लहर फैली, और मैं चिल्लाई, “आह्ह, मैं चली!” मेरा रस चादर पर फैल गया।
मामा जी बोले, “अब तू दोनों से चुदेगी, साली!” उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया (डॉगी), मज़दूर मेरे पीछे आया, और मामा मेरे सामने। मामा का लंड मेरी चूत में गया, और मज़दूर ने डॉटेड कंडोम के साथ लंड मेरी गांड में ठूँस दिया। डबल पेनेट्रेशन में मेरी चूत और गांड एक साथ भरे थे। मैं चिल्लाई, “आह, मेरी चूत और गांड फट रही हैं!” मज़दूर बोला, “साली, तेरी गांड टाइट है, इसे ढीली कर दूँगा!” मामा से बोला, “साहब, आपकी रंडी की गांड भी मस्त है!” मामा हँसे, “साला, इसकी दोनों छेदों को चोदकर भोसड़ा बना दे!” मैं कराहते हुई बोली, “उह्ह, मेरी चूत और गांड में आग लगी है, चोदो!” मज़दूर बोला, “साली, तेरी गांड को रगड़ दूँ, कुतिया!” मामा से बोला, “साहब, ये रंडी तो लंड की भूखी है!” मामा का लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था, और मज़दूर का डॉटेड कंडोम मेरी गांड में चुभ रहा था, इसकी बिंदियाँ मेरी गांड में अलग सनसनी जगा रही थीं। मेरी चूचियाँ लटक रही थीं, निप्पल सख्त थे। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मेरा पति बेकार है, तुम दोनों मुझे चोद डालो!” करीब 20 मिनट बाद मेरी चूत और गांड सिकुड़ने लगीं, गर्म लहर फैली, और मैं चिल्लाई, “आह्ह, मैं चली!” मेरा रस चादर पर फैल गया।
मामा जी ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया, मेरी टाँगें उनकी कमर पर लपेट दीं (स्टैंडिंग), और लंड मेरी चूत में डाल दिया। मेरा नंगा जिस्म धूप में चमक रहा था, मेरी चूचियाँ उनकी छाती से रगड़ रही थीं, और मेरे निप्पल उनके कुरते से चुभ रहे थे। उनका लंड मेरी चूत को चीर रहा था, हर धक्के में गर्मी मेरे जिस्म में भर रही थी। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा, मेरी चूत जल रही है!” वो बोले, “उस नामर्द को भूल जा, साली!” मेरा रस उनकी जाँघों पर बह रहा था। मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मामा, मैं टूट जाऊँगी!” वो बोले, “चुप रह, कुतिया!” तीसरी बार मेरी चूत सिकुड़ी, गर्मी फैली, और मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा, मैं मर गई!”
मज़दूर बोला, “अब मेरी पसंदीदा पोजीशन में चुदेगी, साली!” उसने मुझे चादर पर लिटा दिया, मेरी टाँगें ऊपर उठाकर मेरे कंधों तक मोड़ दीं, मेरी गांड हवा में थी, और मेरी चूत पूरी खुली थी। ये “मेन्ढक पोजीशन” थी, जिसमें मैं पीठ के बल थी, टाँगें मेन्ढक की तरह मोड़ी थीं, मेरी चूत और गांड दोनों उसके लंड के लिए तैयार थे। वो मेरे ऊपर झुका, और डॉटेड कंडोम वाला लंड मेरी चूत में ठूँस दिया। लंड मेरी चूत की गहराई में जा रहा था, और कंडोम की बिंदियाँ मेरी चूत को रगड़ रही थीं, जिससे मज़ा और सनसनी दोगुनी हो रही थी। मैं चिल्लाई, “आह, मेरी चूत फट रही है!” वो ज़ोर से धक्के मारने लगा, बोला, “साली रंडी, तेरी चूत को मेन्ढक बनाकर भोसड़ा कर दूँगा!” मामा से बोला, “साहब, आपकी रंडी की चूत इस पोजीशन में और टाइट है!” मामा हँसे, “पेल दे, साला!” मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, निप्पल सख्त थे। मैं चिल्लाई, “उह्ह, साले, और ज़ोर से चोद!” वो बोला, “तेरा पति कचरा है, मैं तेरी चूत फाड़ दूँगा!” करीब 20 मिनट बाद मेरी चूत सिकुड़ी, गर्म लहर फैली, और मैं चिल्लाई, “आह्ह, मैं चली!” मेरा रस चादर पर फैल गया।
मामा जी ने मुझे गन्नों के बीच पुराने, खुरदरे पेड़ की टहनी पर टिका दिया (स्टैंडिंग अगेंस्ट ट्री)। मेरा नंगा जिस्म धूप में चमक रहा था, मेरी चूचियाँ हवा में सख्त थीं, और मेरी चूत लाल और गर्म थी। उन्होंने मेरी एक टाँग अपनी कमर पर लपेट ली, और लंड मेरी चूत में ठूँस दिया। लंड मेरी चूत की दीवारों को खींच रहा था, और तेज़ दर्द मेरे जिस्म में फैल रहा था। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा, मेरी चूत अब और नहीं ले सकती!” वो बोले, “साली, अभी तो इसे और पेलना है!” वो ज़ोर से धक्के मारने लगे, मेरी चूचियों को मसलते हुए। मेरी चूचियाँ उनकी उंगलियों से गर्म हो रही थीं। पेड़ की खुरदरी छाल मेरी नंगी पीठ को चुभ रही थी, और मेरी पीठ पर खरोंचें पड़ रही थीं।
मज़दूर पास आया, और मामा जी बोले, “भाई, इसकी चूत को फिर चोद, कंडोम मत हटाना!” मज़दूर ने मुझे पेड़ से हटाया, और चादर पर लिटा दिया (मिशनरी)। मेरी नंगी पीठ गीली मिट्टी से सन गई। उसने मेरी टाँगें फैला दीं, और डॉटेड कंडोम वाला लंड मेरी चूत में डाल दिया। लंड मेरी चूत को चीर रहा था, और कंडोम की बिंदियाँ रगड़ रही थीं, जिससे मेरी चूत में सनसनी और मज़ा दोनों बढ़ रहे थे। मैं चिल्लाई, “आह, मेरी चूत फट रही है!” वो ज़ोर से धक्के मारने लगा, बोला, “साली रंडी, तेरी चूत को भोसड़ा कर दूँगा!” मामा से बोला, “साहब, आपकी रंडी की चूत अभी भी टाइट है!” मैं कराहते हुए बोली, “उह्ह, मेरा पति नामर्द है!” वो बोला, “तेरा पति कचरा है, मैं तेरी चूत फाड़ दूँगा!” करीब 20 मिनट बाद मेरी चूत सिकुड़ी, गर्म लहर फैली, और मैं चिल्लाई, “आह्ह, मैं चली!” मेरा रस चादर पर फैल गया।
करीब दो घंटे बाद, मामा जी ने अपना माल मेरी चूत में छोड़ दिया। उनका गर्म रस मेरी चूत में भर रहा था, और मेरी चूत सिकुड़ रही थी। मैं चिल्लाई, “आह्ह, मामा, मेरी चूत भर गई!” उनका रस मेरी चूत से बह रहा था, और मैं चादर पर ढह गई। मज़दूर ने डॉटेड कंडोम में माल छोड़ा, और मेरी चूत लाल, थरथर काँप रही थी। मेरा नंगा जिस्म पसीने और रस से तर था, और गन्नों की हवा मेरी त्वचा को सहला रही थी। मामा जी मेरे पास लेट गए, मेरे बाल सहलाए। मैं हाँफते हुए बोली, “मामा जी, तुमने और इस मज़दूर ने मेरी सारी तड़प मिटा दी। मेरा पति तो नामर्द है, तुम दोनों ने मुझे असली औरत का सुख दे दिया।” वो बोले, “प्रिया, तू मेरी रंडी है।” मज़दूर हँसकर बोला, “साली, तेरी चूत को फिर मेन्ढा बनाकर चोदूँगा। साहब, आपकी रंडी तो कमाल है!” गन्नों की पत्तियाँ सरसरा रही थीं, चादर पर मेरा रस बिखरा था, और मिट्टी की सोंधी गंध मेरे रस की महक से मिल रही थी। मेरी चूत की आग बुझ चुकी थी, पर मामा जी और मज़दूर के लंड की चाहत मेरे मन में और भड़क रही थी।