मामा ने मेरी स्कर्ट और ब्रा में हाथ डाला

मेरा नाम माध्वी है, और मैं आपको अपनी जिंदगी की एक सच्ची और गहरी कहानी सुनाने जा रही हूँ। ये कहानी इतनी सच्ची और दिल को छूने वाली है कि इसे पढ़कर आप खुद महसूस करेंगे कि ये किसी लड़की की असल जिंदगी की बात है। मैं बचपन से ही सबके साथ खुलकर घुलमिल जाती थी। किसी की गोद में चली जाती, किसी अंकल के साथ बेफिक्र होकर घूमने निकल पड़ती। मेरे मम्मी-पापा दोनों रेलवे में नौकरी करते हैं। उनके ऑफिस जाने के बाद मैं घर में अकेली रहती थी। अकेलापन मुझे कभी खला नहीं, क्योंकि कभी-कभी मामा गांव से आया करते थे। वो मुझे बहुत प्यार करते थे। जब भी आते, मेरे लिए ढेर सारी मिठाइयां, चॉकलेट्स, और कभी-कभी तो मेरे पसंद की छोटी-छोटी चीजें भी लाते, जैसे रंग-बिरंगे रिबन या चमकदार हेयरपिन। इस बार वो दो साल बाद आए थे, और तब तक मेरी बॉडी में काफी बदलाव आ चुके थे।

मेरी उम्र अब 18 साल थी, और मैं 12वीं में पढ़ती थी। मेरी बॉडी में उभार आने शुरू हो चुके थे—मेरे बूब्स अब 34B के थे, और मेरी कमर पतली होने के साथ मेरी गांड थोड़ी भारी हो गई थी। जब से ये बदलाव आए, मैंने गौर किया कि मोहल्ले के अंकल और भैया टाइप लोग मेरी छाती पर नजरें टिकाए रहते। उनकी नजरें मुझे अजीब लगती थीं, लेकिन मैं इन बातों को ज्यादा समझती नहीं थी। उस दिन मैं स्कूल से लौटी, अपनी स्कूल यूनिफॉर्म में थी—सफेद शर्ट, नीली स्कर्ट, और घुटनों तक के मोजे। मामा घर पर थे, और हमेशा की तरह मैं हंसते-हंसते उनकी जांघों पर जा बैठी। मुझे लगता था कि मामा की नीयत मेरे लिए हमेशा साफ थी। पहले वो मुझे अपनी गोद में 5-10 मिनट से ज्यादा नहीं बैठने देते थे, फिर हंसकर उतार देते। लेकिन इस बार कुछ अलग था।

मामा ने मुझे अपनी गोद में बैठने दिया और अपने दोनों मजबूत हाथों से मुझे जकड़ लिया। उनकी पकड़ में एक अजीब-सी ताकत थी, जो मुझे थोड़ा अटपटा लगा, पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मैं टीवी पर कोई मूवी देखने में मगन थी—कोई रोमांटिक सीन चल रहा था। तभी मामा ने धीरे से मेरी जांघों पर हाथ फेरना शुरू किया। उनकी उंगलियां मेरी स्कर्ट के नीचे नरम-नरम छू रही थीं। मुझे गुदगुदी हुई, और मैं हंसते हुए बोली, “मामा, गुदगुदी हो रही है, रुको ना!”

मामा ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, तू तो टीवी देख, बहुत मस्त सीन चल रहा है।” उनकी आवाज में एक अजीब-सी गर्मी थी, जो मैंने पहले कभी नहीं सुनी थी। मैं फिर टीवी की तरफ मुड़ गई, लेकिन मामा का हाथ अब मेरी स्कर्ट के और अंदर सरक गया। अब वो मेरी पैंटी के ऊपर से सहला रहे थे। मेरी पैंटी गुलाबी रंग की थी, कॉटन की, जो स्कूल यूनिफॉर्म के नीचे पहनने में आरामदायक थी। मुझे फिर गुदगुदी हुई, और मैं हंसते हुए बोली, “मामा, प्लीज! हाथ हटाओ, गुदगुदी हो रही है।”

लेकिन मामा रुके नहीं। उन्होंने धीरे से अपनी उंगलियां मेरी पैंटी के अंदर डाल दीं। उनकी उंगलियां मेरी चूत के आसपास छू रही थीं। मुझे अजीब-सा लगा, लेकिन मैं समझ नहीं पाई कि ये गलत है। मामा ने कहा, “माध्वी, एक पैर नीचे कर।” मैंने बिना सोचे पैर नीचे कर दिया। अब वो मेरी टांगों के बीच धीरे-धीरे सहलाने लगे। उनकी उंगलियां मेरी चूत की नरम त्वचा पर फिसल रही थीं। मुझे हल्का-हल्का दर्द हुआ, और मैंने टांगें सिकोड़ लीं। मैंने मामा का हाथ पकड़ लिया और बोली, “मामा, ये क्या कर रहे हो?”

मामा ने मेरा ध्यान टीवी की ओर करवाया और बोले, “कुछ नहीं, तू बस मूवी देख।” लेकिन तभी उन्होंने मेरी पैंटी को नीचे खींच दिया। मैं चौंकी और बोली, “मामा, पैंटी क्यों उतारी?” वो हंसते हुए बोले, “अरे, गर्मी है ना, तुझे आराम मिलेगा।” मैं कुछ समझ नहीं पाई। फिर मामा ने मेरी आंखों में देखकर कहा, “तू तो बहुत डरपोक है।” मैंने तुरंत जवाब दिया, “मैं डरपोक नहीं हूँ!” मामा ने फिर कहा, “अच्छा, अगर डरपोक नहीं है, तो मेरी ये उंगली अपनी चूत में डालकर दिखा।” मैंने हैरानी से पूछा, “चूत क्या होती है?” मामा ने मेरी टांगें थोड़ी और फैलाईं और मेरी चूत की ओर इशारा करते हुए बोले, “ये है।”

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मैंने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “ठीक है, आप डाल लो।” मामा ने अपनी उंगली मेरी चूत के पास लाई और धीरे से अंदर डालने की कोशिश की। जैसे ही उनकी उंगली मेरी चूत में गई, मुझे तेज दर्द हुआ। “आह्ह!” मैंने टांगें समेट लीं। मामा ने कहा, “देखा, तू डरपोक है।” मैंने गुस्से में कहा, “नहीं डरती हूँ!” मामा बोले, “तो टांगें खोलकर रख।” मैंने फिर कहा, “मुझे दर्द हो रहा है।” मामा ने मेरी आंखों में देखकर कहा, “धीरे-धीरे करूंगा। अगर अच्छा नहीं लगेगा, तो रुक जाऊंगा।” मैंने पूछा, “अच्छा क्यों लगेगा? दर्द तो हो रहा है।” वो बोले, “एक बार करके तो देख।”

मैंने थोड़ा झिझकते हुए टांगें ढीली कीं। मामा ने मेरे पैर और फैलाए और मेरी चूत को गौर से देखने लगे। उनकी आंखों में एक अजीब-सी चमक थी। वो बोले, “तू तो बहुत कच्चा माल है।” मैंने पूछा, “क्या मतलब?” वो हंसते हुए बोले, “बाद में बताऊंगा।” फिर अचानक मामा ने अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत की नरम त्वचा पर फिसल रही थी। “आह्ह… उह्ह…” मैं सिसक उठी। मुझे गुदगुदी के साथ-साथ एक अजीब-सा मजा भी आ रहा था। मामा अब जीभ से चाटते हुए एक उंगली से फिंगरिंग करने लगे। उनकी उंगली मेरी चूत के अंदर-बाहर हो रही थी, और हर बार “चप-चप” की आवाज आ रही थी।

लगभग 30 मिनट तक वो एक उंगली से फिंगरिंग करते रहे। फिर उन्होंने धीरे से दूसरी उंगली भी डाल दी। “आह्ह्ह!” मुझे तेज दर्द हुआ। मैंने कहा, “मामा, रुको, दर्द हो रहा है!” लेकिन मामा ने मेरी बात अनसुनी कर दी। वो मेरी चूत में दो उंगलियां डालकर और तेजी से अंदर-बाहर करने लगे। मेरी सिसकियां तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… मामा, प्लीज!” लेकिन वो रुके नहीं। दो मिनट बाद अचानक उन्होंने मुझे छोड़ दिया। मैं हांफ रही थी, मेरी टांगें कांप रही थीं। मेरी स्कर्ट अभी भी कमर तक चढ़ी थी, और पैंटी घुटनों तक लटक रही थी।

इसके बाद ये सिलसिला रोज का हो गया। स्कूल से आने के बाद मामा मुझे अपनी गोद में बैठाते। मैं अपनी स्कूल यूनिफॉर्म में होती—कभी शर्ट के बटन खुले होते, कभी स्कर्ट ऊपर चढ़ी होती। मामा मेरी पैंटी उतारकर फिंगरिंग शुरू कर देते। मैं खामोश रहती, उनके कंधे पर सिर रखकर आंखें बंद कर लेती। मेरी सिसकियां “आह्ह… उह्ह…” कमरे में गूंजतीं। कभी वो मेरी पैंटी उतारकर मेरी चूत को उंगलियों से फैलाकर देखते, कभी जीभ से चाटते। कभी कहते, “माध्वी, दूध पीना है।” मैं अपनी शर्ट के बटन खोलकर ब्रा ऊपर कर देती। मेरे 34B के बूब्स उनके सामने होते, और वो मेरे निपल्स को चूसते, काटते। कभी-कभी वो मेरी पूरी शर्ट और स्कर्ट उतार देते, और मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में उनके सामने लेटी रहती। मामा मेरी चूत के हर अंग को जान चुके थे। वो जानते थे कि मुझे कहां दर्द होता है, कहां मजा आता है।

जब वो फिंगरिंग करते, मैं अपनी कमर ऊपर-नीचे करती। मेरी टांगें सिकुड़ जातीं, लेकिन मामा धीरे-धीरे फिंगरिंग करते, और मैं चुपचाप उनकी मनमानी होने देती। मामा की उम्र 30 साल थी, और वो बहुत चालाक थे। उनकी उंगलियां मेरे अंदर एक अजीब-सी आग जगा रही थीं। मैं स्कूल के आखिरी पीरियड में मामा को मिस करने लगी थी। मेरे शरीर में एक अजीब-सी बेचैनी रहने लगी थी।

एक दिन मेरे एक रिलेटिव की शादी थी। मम्मी-पापा ने प्लान किया कि हम सब जाएंगे। लेकिन मामा ने मुझसे कहा, “तू कह दे कि तेरा टेस्ट है।” मैंने मम्मी-पापा से यही कहा। उन्होंने पूछा, “तू अकेली कैसे रहेगी?” मैंने मामा का नाम लिया, और वो मान गए। मुझे नहीं पता था कि ये मेरी सबसे बड़ी भूल होगी। उस दिन मम्मी-पापा सुबह 10 बजे की ट्रेन से चले गए। मैं स्कूल गई, लेकिन मेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं था। मैं जल्दी घर लौटना चाहती थी।

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जब मैं स्कूल से लौटी, मामा घर पर थे। मेरी स्कूल यूनिफॉर्म—सफेद शर्ट, नीली स्कर्ट, और मोजे—पसीने से थोड़ी चिपक रही थी। मामा ने मेरे आते ही म्यूजिक सिस्टम चालू कर दिया। एक तेज बीट वाला गाना बजा, और मामा मेरे साथ डांस करने लगे। उनका मुझे छूना मुझे अच्छा लग रहा था। उनकी उंगलियां मेरी कमर पर, मेरी पीठ पर फिसल रही थीं। फिर अचानक उन्होंने मुझे गालों पर किस किया। मैं हंस पड़ी, लेकिन तभी उन्होंने मेरे बूब्स दबा दिए। मेरी शर्ट के ऊपर से उनके हाथ मेरे 34B के बूब्स पर थे। मैंने कहा, “मामा, मैं पहले नहा लेती हूँ।”

वो बोले, “हां, ठीक है, जा नहा ले।” मैं बाथरूम चली गई। अपनी शर्ट और स्कर्ट उतारी, सिर्फ गुलाबी पैंटी और ब्रा में थी। मैंने शॉवर चालू किया। तभी मामा ने दरवाजा लॉक किया। जैसे ही मैंने कुंडी खोली, वो झट से अंदर आ गए। मैं सिर्फ पैंटी में थी, मेरा बदन भीगा हुआ था। मामा को देखकर मैं चौंक गई। वो पूरी तरह नंगे थे। उनका लंड—लगभग 7 इंच लंबा और मोटा—मेरे सामने था। मैंने पहली बार कोई लंड देखा था, और मेरी नजर वहां से हट नहीं रही थी। मामा मेरे करीब आए, मेरे भीगे बदन पर साबुन लगाने लगे। उनकी उंगलियां मेरे बूब्स, मेरी कमर, मेरी जांघों पर फिसल रही थीं। वो बोले, “माध्वी, मैं आज तुझे चोदूंगा।”

मैं कुछ कह पाती, इससे पहले मामा ने मुझे गोद में उठा लिया। उनकी साबुन वाली उंगलियां मेरी चूत में चली गईं। “आह्ह्ह… उह्ह्ह…” मैं सिसक रही थी। मामा ने शॉवर चालू रखा और मुझे बाथरूम के फ्लोर पर लिटा दिया। वो मेरे ऊपर आ गए। मेरे होंठों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुंह में थी, और मैं “मम्म… उह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी। मामा बोले, “सेक्स करूं?” मैंने झिझकते हुए कहा, “हां, करो।” मामा ने मेरी पैंटी पूरी तरह उतार दी। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। वो बोले, “मैं आज तेरी सील तोड़ूंगा, लेकिन चिल्लाना मत।”

मामा ने अपने 7 इंच के लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। उसकी गर्मी और सख्ती मुझे महसूस हो रही थी। “आह्ह… मामा…” मैं सिसक रही थी। उन्होंने एक हाथ से मेरा सिर पकड़ा, मेरे होंठ चूसने लगे, और दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चूत पर सेट किया। फिर अचानक एक जोरदार शॉट मारा। “आह्ह्ह्ह!” मेरी चीख निकल गई। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत फट गई हो। मैं दर्द के मारे तड़प रही थी। “मामा, छोड़ दो! आह्ह… बहुत दर्द हो रहा है!” मैं चीखी।

लेकिन मामा रुके नहीं। उन्होंने एक और शॉट मारा। “थप!” की आवाज गूंजी। मैं अपने दोनों हाथों से उन्हें धक्का देने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उनकी ताकत के सामने मेरी एक न चली। वो थोड़ी देर रुके। मैं हांफ रही थी, मेरी आंखों में आंसू थे। मुझे लगा शायद वो रुक जाएंगे। लेकिन तभी उन्होंने फिर से अपने लंड को सेट किया और एक और शॉट मारा। “थप!” मेरी चूत से खून निकलने लगा। “आह्ह्ह… उह्ह्ह… मामा, प्लीज!” मैं रो रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मेरी टांगों के बीच कोई सख्त रॉड दनादन अंदर-बाहर हो रही हो।

मामा बोले, “माध्वी, अगर तुझे अच्छे से नहीं चोदा, तो अगली बार और दर्द होगा।” ये कहकर उन्होंने अपनी पूरी ताकत से लंड और अंदर डाल दिया। “थप-थप-थप” की आवाजें गूंज रही थीं। मैं “आह्ह्ह… उह्ह्ह…” सिसक रही थी। दर्द के मारे मैंने टांगें थोड़ी ढीली कीं। मामा बोले, “शाबाश, मेरी रानी।” वो अब और तेजी से शॉट्स मारने लगे। हर शॉट में उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर जाता। मैं दर्द और अजीब-सी गर्मी के बीच झूल रही थी। “आह्ह… मामा… धीरे…” मैं बड़बड़ा रही थी।

20 मिनट तक मामा मुझे चोदते रहे। “थप-थप-थप” की आवाजें और मेरी सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं। आखिरकार मामा ने मेरे अंदर सारा पानी छोड़ दिया। उनकी गर्म पिचकारी मेरी चूत में गहरे तक गई। मैं हांफ रही थी, मेरी टांगें कांप रही थीं। मुझसे उठा भी नहीं जा रहा था। मामा ने मुझे गोद में उठाया, बेडरूम में ले गए। मेरे बदन को टॉवल से पोंछा, मेरे बूब्स और चूत पर टॉवल धीरे-धीरे फिराया। फिर मुझे कंबल ओढ़ाकर सुला दिया। मैं दर्द और थकान से बेहोश-सी सो गई।

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जब नींद खुली, रात के 10 बज रहे थे। मामा मेरे पास बैठे थे। उन्होंने मुझे जूस का ग्लास दिया। मैंने धीरे से जूस पिया। मेरी चूत में अभी भी जलन थी। तभी मामा मेरे कंबल में घुस आए। वो मेरे बूब्स को धीरे-धीरे दबाने लगे। उनकी उंगलियां मेरे निपल्स पर गोल-गोल घूम रही थीं। “आह्ह…” मैं सिसक उठी। मामा मेरे होंठ चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुंह में थी। फिर वो धीरे से मेरे ऊपर आ गए। मैंने डरते हुए कहा, “मामा, फिर से? बहुत दर्द होगा।”

मामा बोले, “तेरी सील टूट गई है। अब थोड़ा कम दर्द होगा।” उन्होंने मेरे पैर मोड़कर फैला दिए। मैं नंगी थी, सिर्फ कंबल मेरे ऊपर था। मामा ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और धीरे से एक शॉट मारा। “आयाया!” मैं चीख पड़ी। ऐसा लगा जैसे कोई चाकू मेरी चूत में चुभ रहा हो। मामा ने धीरे-धीरे शॉट्स मारना शुरू किया। “थप-थप-थप” की आवाजें फिर से गूंजने लगीं। मैं “आह्ह्ह… उह्ह्ह…” सिसक रही थी। मामा मेरे बूब्स दबाते हुए बोले, “माध्वी, तू तो बहुत टाइट है। मजा आ रहा है।”

उन्होंने 20 मिनट तक मुझे चोदा। हर शॉट में उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था। मैं दर्द और मजा के बीच थी। आखिरकार मामा ने फिर से मेरे अंदर पिचकारी छोड़ी। मैं हांफते हुए लेटी रही। मामा मेरे पास लेट गए। सुबह हुई, तो मैं चल भी नहीं पा रही थी। मेरी चूत में जलन और दर्द था। लेकिन मामा ने मुझे फिर से चोदा। “थप-थप-थप” की आवाजें और मेरी सिसकियां “आह्ह… उह्ह…” फिर से गूंजीं। ये सिलसिला तीन दिन तक चला, जब तक मम्मी-पापा नहीं आए।

मामा ने मुझे एक हफ्ते तक चोदा। हर बार वो मेरी चूत को चाटते, मेरे बूब्स चूसते, और फिर अपना लंड मेरी चूत में डालकर “थप-थप-थप” की आवाजें निकालते। मैं अब उनकी हर हरकत की आदी हो रही थी। एक रात मैंने 1 बजे मामा को उठाया और कहा, “मामा, जो करना है करो, लेकिन मुझसे दूर मत जाओ।” उस रात मामा ने मेरी जमकर चुदाई की। वो मेरे बूब्स को दबाते, मेरे निपल्स को काटते, और मेरी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से शॉट्स मारते। “थप-थप-थप… आह्ह… उह्ह…” कमरा मेरी सिसकियों और चुदाई की आवाजों से भर गया।

ये सिलसिला अब हर दिन चलने लगा। कभी स्कूल से आने के बाद, जब मैं अपनी यूनिफॉर्म में होती, मामा मेरी स्कर्ट उठाकर मेरी चूत में फिंगरिंग करते। कभी रात में, जब मैं सिर्फ नाइटी में होती, मामा मेरे बूब्स दबाते और चुदाई शुरू कर देते। मैंने गौर किया कि मेरे रंग में निखार आ रहा था। मेरी गांड और भारी हो गई थी। मेरे बूब्स अब और सख्त लगने लगे थे। शायद ये सब मेरी चुदाई का असर था।

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