मामा बेरहमी से मेरी चूत को चूस रहे थे

मेरा नाम दिव्या है। मैं पच्चीस साल की हूँ, और दोस्तों, बिना किसी शर्म के कहूँगी कि मैं बहुत ही हॉट और सेक्सी हूँ। मेरा गदराया हुआ बदन, मेरी भरी-पूरी 36D की चूचियाँ, और 38 इंच की उभरी हुई गांड किसी भी मर्द का लौड़ा खड़ा कर सकती है। मेरा गोरा रंग, मेरी कातिलाना आँखें, और मेरे टाइट कपड़ों में ढला हुआ बदन देखकर कोई भी रात को बिना मूठ मारे सो नहीं सकता। मेरे हुस्न का जादू ऐसा है कि कोई मेरी याद में अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड की चूत या गांड में लौड़ा घुसाकर बस मेरे ही बारे में सोचता रहेगा। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो पढ़ते वक्त आपका लौड़ा तन जाएगा और आपकी चूत गीली हो जाएगी। इसे पढ़ते-पढ़ते अपनी पार्टनर को पकड़कर पीछे से पेलने का मन करेगा।

मेरे मामा और मेरी उम्र में ज्यादा फर्क नहीं है। वो मुझसे सिर्फ पाँच साल बड़े हैं, यानी तीस साल के, और उनकी शादी अभी तक नहीं हुई। वो दिखने में इतने हैंडसम हैं कि कोई भी लड़की उनके साथ बिस्तर पर जाने को तैयार हो जाए। मैं गोरखपुर में रहती हूँ, और वो बस्ती में। एक दिन वो माँ से मिलने मेरे घर आए। लेकिन किस्मत का खेल देखिए, माँ और पापा दोनों हरिद्वार के लिए निकल गए थे। मामा ने सोचा था कि वो हमें सरप्राइज देंगे, लेकिन उल्टा वो खुद सरप्राइज हो गए।

रात के करीब आठ बजे वो घर पहुँचे। मैं उस वक्त घर पर अकेली थी, एक टाइट रेड टॉप और ब्लैक लेगिंग्स में, जो मेरे बदन को और भी उभार रही थी। मेरी चूचियाँ टॉप में से साफ दिख रही थीं, और लेगिंग्स मेरी गांड को इस तरह चिपकी थी कि हर कर्व नजर आ रहा था। मामा को देखकर मैं थोड़ा चौंकी, “अरे मामा, आप? बिना बताए?” वो हँसे, “हाँ, सोचा सरप्राइज दूँ। माँ-पापा कहाँ हैं?” मैंने तुरंत माँ को फोन लगाया और बताया कि मामा जी आ गए हैं। माँ ने हँसते हुए कहा, “अब तो मामा को बोलो कि तीन दिन वहीं रुकें, जब तक हम वापस न आएँ। यही उनकी सजा है!” माँ ने मामा से भी बात की, “अब तुम्हें रुकना ही पड़ेगा, राजू!”

माँ और मामा का रिश्ता बहुत प्यारा है। माँ की शादी के वक्त मामा सिर्फ चार साल के थे, इसलिए माँ उनसे बहुत प्यार करती हैं। मामा ने भी हँसकर कहा, “ठीक है, मैं यहीं हूँ। आप लोग गंगा स्नान अच्छे से कर आइए।” माँ ने मुझे सख्त हिदायत दी, “दिव्या, मामा को किसी चीज की कमी नहीं होनी चाहिए। खाना-पीना, सब का ध्यान रखना।” मैंने हँसते हुए कहा, “चिंता मत करो माँ, मैं सब संभाल लूँगी। मामा को राजा की तरह रखूँगी।”

रात को हमने बाहर से खाना मँगवाया। मामा अपने साथ एक व्हिस्की की बोतल लाए थे, जो वो पापा को देने वाले थे। लेकिन पापा तो थे नहीं, तो मामा ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा, “आज हम दोनों मिलकर इस व्हिस्की को खत्म करेंगे, दिव्या।” मैंने चौंककर कहा, “मैं तो नहीं पीती, मामा!” वो बोले, “अरे, कोई बात नहीं। आज से शुरू कर दे। वैसे भी, अगर भविष्य में तेरी शादी किसी बड़े घर में हुई, तो वहाँ ये सब मेंटेन करना पड़ेगा। आज सीख ले, मेरी रानी।” उनकी बात में दम था। मैंने हँसकर हामी भर दी।

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मामा ने दो गिलास मँगवाए और पेग बनाए। हम दोनों ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठकर पीने लगे। मैंने एक नीली साटन की नाइटी पहन रखी थी, जो मेरे बदन को हल्के से ढक रही थी, लेकिन मेरी चूचियाँ और जाँघें साफ नजर आ रही थीं। पहला पेग गले में जलन लेकर गया। “उफ्फ, मामा, ये तो बहुत कड़वा है!” मैंने मुँह बनाया। वो हँसे, “पहली बार ऐसा ही लगता है। दूसरा पेग पी, फिर मजा आएगा।” दो-तीन पेग के बाद नशा चढ़ने लगा। मेरी आँखें लाल हो रही थीं, और मैं जैसे आसमान में उड़ रही थी। जवानी का नशा पहले से ही मेरे बदन में था, और अब व्हिस्की का नशा उसमें आग लगा रहा था।

मामा भी नशे में थे। उनकी नजर बार-बार मेरी चूचियों पर जा रही थी, जो नाइटी में से उभर रही थीं। दो-तीन बार उनका हाथ मेरी जाँघ पर पड़ा, और हर बार मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई। मैंने देखा कि मामा की जींस में उनका लौड़ा तन रहा था। मेरे मन में हलचल होने लगी। “मामा, आप क्या देख रहे हो?” मैंने चिढ़ाते हुए पूछा। वो हँसे, “दिव्या, तू इतनी हॉट है, नजर तो हटती ही नहीं।” उनकी बात सुनकर मेरे गाल लाल हो गए, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा।

वो धीरे-धीरे मेरे करीब आने लगे। मेरी साँसें तेज हो रही थीं। अचानक वो मेरे होठों की तरफ बढ़े। मैं थोड़ा पीछे हटी, “मामा, ये क्या कर रहे हो? ये गलत है…” लेकिन मेरी आवाज में वो ताकत नहीं थी। वो बोले, “अरे, दिव्या, थोड़ा सा मजा लेने में क्या हर्ज है? कोई नहीं देख रहा।” उनकी आवाज में कामुकता थी। फिर उन्होंने मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए। मैं सिहर उठी। मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। मैंने हल्का सा विरोध किया, “मामा, प्लीज… ये सही नहीं है।” लेकिन वो अब रुकने के मूड में नहीं थे।

उन्होंने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे होठों को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं भी अब बहक रही थी। “आह्ह… मामा…” मैं सिसकारी। वो मेरी चूचियों को नाइटी के ऊपर से दबाने लगे। मेरी 36D की चूचियाँ उनकी हथेलियों में दब रही थीं। “दिव्या, तेरी चूचियाँ तो मस्त हैं… कितनी सॉफ्ट हैं,” वो बोले। मैंने फिर मना करने की कोशिश की, “मामा, बस… यहीं तक ठीक है। इसके आगे नहीं।” लेकिन वो कहाँ मानने वाले थे।

वो मेरी नाइटी की स्ट्रैप्स को कंधों से सरकाने लगे। मैंने हाथ पकड़कर रोका, “मामा, नहीं…” लेकिन मेरी आवाज में अब वो जोश नहीं था। वो बोले, “अरे, मेरी रानी, अब इतना नखरा मत कर। तेरा बदन देखकर मेरा लौड़ा तड़प रहा है।” उनकी गंदी बातें मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थीं। देखते-देखते उन्होंने मेरी नाइटी उतार दी। अब मैं सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। मेरी चूचियाँ ब्रा में से उभर रही थीं, और मेरी चूत पैंटी में गीली हो चुकी थी।

मामा मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबोच रहे थे। “उफ्फ… दिव्या… ये तो जन्नत हैं,” वो बोले। फिर उनकी उंगलियाँ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत पर रगड़ने लगीं। मैं सिसकार उठी, “आह्ह… मामा… उफ्फ…” मेरी चूत इतनी गीली थी कि पैंटी में दाग पड़ गया था। उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया, और मेरी चूचियाँ आजाद हो गईं। वो मेरे निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगे। “आह्ह… मामा… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर नाच रही थी, और मेरे बदन में आग लग रही थी।

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फिर उन्होंने मेरी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे सरकाया। मैं पूरी तरह नंगी थी। मेरी चूत चमक रही थी, गीली और गर्म। मामा ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी। “आह्ह… उफ्फ… मामा…” मैं चिल्ला उठी। वो बोले, “दिव्या, तेरी चूत तो बहुत टाइट है… कितनी गीली है।” उनकी उंगलियाँ मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, और मैं तड़प रही थी। “मामा… और करो… प्लीज…” मैं सिसकारी।

अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनकी जींस का बटन खोला और उनका 7 इंच का लौड़ा बाहर निकाला। वो इतना सख्त और गर्म था कि मेरे मुँह में पानी आ गया। मैंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी। “आह… दिव्या… तू तो रंडी की तरह चूस रही है… और जोर से…” मामा सिसकार रहे थे। मैं उनके लौड़े को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी, कभी सुपाड़े को चाट रही थी, कभी पूरा मुँह में ले रही थी। वो मेरे बाल पकड़कर मेरे मुँह में धक्के देने लगे। “ले… और ले… मेरी रानी…”

फिर उन्होंने मुझे पलंग पर पटक दिया। मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को चाटने लगे। “आह्ह… मामा… उफ्फ… और जोर से…” मैं गांड उठा-उठाकर अपनी चूत चटवा रही थी। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को चूस रही थी, और मैं सातवें आसमान पर थी। “मामा… चाटो… मेरी चूत को चाट डालो…” मैं चिल्ला रही थी। वो बेरहमी से मेरी चूत को चूस रहे थे, जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ा हो।

फिर मामा मेरे ऊपर चढ़ गए। मेरी चूचियों को दबोचते हुए मेरे होठों को चूसने लगे। “दिव्या, तू तो आग है… आज तेरी चूत फाड़ दूँगा,” वो बोले। मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी। “मामा, फाड़ दो… मेरी चूत तुम्हारी है…” मैं सिसकारी। उन्होंने अपने लौड़े का सुपाड़ा मेरी चूत पर रगड़ा। मैं तड़प रही थी। “मामा… डाल दो ना… और कितना तड़पाओगे?” मैंने चिल्लाकर कहा।

उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका 7 इंच का लौड़ा मेरी चूत में समा गया। “आह्ह… उफ्फ… मामा… कितना बड़ा है…” मैं चिल्ला उठी। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… मामा… और जोर से…” मैं सिसकार रही थी। वो मेरी चूचियों को दबोच रहे थे, मेरे निप्पल्स को मसल रहे थे। “दिव्या, तेरी चूत तो जन्नत है… कितनी टाइट है…” वो बोले।

करीब पंद्रह मिनट तक वो मुझे मिशनरी पोजीशन में पेलते रहे। मैं नीचे से गांड उठाकर धक्के दे रही थी। “आह्ह… उफ्फ… मामा… और गहरा… फाड़ दो…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड ऊपर थी, और मेरी चूत उनके लौड़े के सामने। उन्होंने मेरे चूतड़ों पर जोर से थप्पड़ मारा। “ले रानी… तेरी गांड तो मस्त है…” वो बोले। फिर उन्होंने अपना लौड़ा मेरी चूत में पीछे से घुसा दिया। “आह्ह… मामा… उफ्फ…” मैं चिल्ला उठी।

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वो मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए जोर-जोर से धक्के दे रहे थे। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। “दिव्या, तेरी चूत को आज चोद-चोदकर सुजा दूँगा…” वो चिल्लाए। मैं भी जवाब दे रही थी, “मामा… चोदो… मेरी चूत फाड़ दो… आह्ह… उफ्फ…” मेरे बदन में आग लगी थी। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी।

फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और दीवार के सहारे चोदने लगे। मेरी एक टाँग ऊपर उठाकर वो मेरी चूत में लौड़ा पेल रहे थे। “आह्ह… मामा… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी। वो मेरे होठों को चूस रहे थे, मेरी चूचियों को दबोच रहे थे। फिर उन्होंने मुझे गोद में उठाया और गोद में बिठाकर चोदने लगे। मैं उनके कंधों पर हाथ रखकर उछल रही थी। “उफ्फ… मामा… कितना गहरा जा रहा है… आह्ह…” मेरी सिसकारियाँ रुक नहीं रही थीं।

फिर हम सोफे पर गए। उन्होंने मुझे सोफे पर लिटाया और मेरी चूत में फिर से लौड़ा डाल दिया। “पच-पच… थप-थप…” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। “दिव्या, तू तो रंडी से भी बढ़कर है… कितना मजा दे रही है…” मामा बोले। मैंने जवाब दिया, “मामा, ये चूत तुम्हारी है… चोदो जितना चोदना है… आह्ह… उफ्फ…” करीब दो घंटे तक चुदाई का सिलसिला चला। हम दोनों पसीने से तर थे। आखिर में मामा झड़ गए, और मैं भी ऑर्गेज्म के चरम पर पहुँच गई। “आह्ह… मामा… उफ्फ…” मैं चिल्लाई, और मेरी चूत ने उनके लौड़े को दबोच लिया।

हम दोनों थककर पलंग पर गिर गए। लेकिन रात अभी बाकी थी। हमने फिर से व्हिस्की पी। मामा बोले, “दिव्या, तू तो माल है… तुझे तो रोज चोदना चाहता हूँ।” मैंने हँसकर कहा, “मामा, ये चूत तुम्हारी ही है। जब चाहे चोद लो।” सुबह चार बजे हम फिर से शुरू हो गए। इस बार मामा ने मुझे टेबल पर लिटाकर चोदा। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और मैं सिसकार रही थी, “आह्ह… मामा… और जोर से… फाड़ दो…”

तीन दिन तक, जब तक मम्मी-पापा वापस नहीं आए, हमने जमकर चुदाई की। हर पल ऐसा था जैसे हम किसी और दुनिया में थे। दिन में खाना खाते, व्हिस्की पीते, और रात को फिर चुदाई। मामा की हर धक्के में मुझे जन्नत नजर आ रही थी।

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