मालिशवाला और मेरी मम्मी

हाय फ्रेंड्स, मैं राहुल सक्सेना, राजस्थान से हूँ। मुझे सेक्सी स्टोरीज बहुत पसंद हैं, खासकर वो जो शादीशुदा औरतों की होती हैं, जो अपने पति के सिवा किसी और के बारे में नहीं सोचतीं, लेकिन फिर कोई दूसरा मर्द या जवान लड़का उन्हें सेड्यूस करके चोद देता है। मेरी मम्मी भी ऐसी ही औरत थीं, लेकिन एक पराए मर्द ने उन्हें घर में ही चोद डाला। वो मर्द था एक मालिश करने वाला, जिसका नाम दयाल था।

मेरे घर में सिर्फ तीन लोग हैं – मैं, मेरी मम्मी और पापा। पापा की उम्र 55 साल है, मम्मी 50 की हैं, और मैं अब 25 का हूँ। मम्मी का फिगर 34D-38-41 है, गोरी-चिट्टी, मोटी-मोटी जांघें, और भरा हुआ बदन, जो किसी को भी पागल कर दे। ये बात 8-9 साल पहले की है, जब मम्मी ने दयाल के साथ पहली बार संभोग किया। सर्दियों का मौसम था, मम्मी की तबीयत खराब रहने लगी थी। उनके पैरों में दर्द रहता था, ऐसा दर्द कि रात को नींद भी नहीं आती थी। हमने पहले एक डॉक्टर को दिखाया, उसने कुछ दवाइयाँ दीं, जिससे थोड़ा आराम मिला, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर वही हाल। मम्मी परेशान थीं, और पापा को भी उनकी चिंता सता रही थी।

इस बार पापा मम्मी को लेकर एक आयुर्वेदिक वैद्य जी के पास गए, जिन्हें सब वैद्य जी कहते थे। वैद्य जी ने कहा कि पैरों का दर्द ठीक हो जाएगा, बस कुछ दवाइयाँ और तेल की मालिश करवानी होगी। उन्होंने कहा, “तेल मालिश से जल्दी फायदा होगा, रोज करवाओ।” पापा ने वैद्य जी की बात मान ली और मम्मी का इलाज शुरू हो गया। दवाइयाँ तो लेनी शुरू कर दीं, लेकिन मालिश का इंतजाम नहीं हो पा रहा था। पापा एक अच्छा मालिशवाला ढूंढ रहे थे। तभी हमारी एक पड़ोसन आंटी, जो मम्मी की बहुत अच्छी दोस्त थीं, ने पापा को दयाल से मिलवाया। आंटी ने दयाल की बहुत तारीफ की, बोलीं, “मेरे भी पैरों में ऐसा ही दर्द था, दयाल ने मालिश करके सब ठीक कर दिया।” दयाल 50 साल का था, लेकिन कसरती बदन, पतला, चुस्त-दुरुस्त, और चेहरे पर एक अजीब सी चमक।

अगले दिन से दयाल हमारे घर आने लगा। वो रोज मम्मी के पैरों की मालिश करता। पहले 10 दिन तो सब नॉर्मल था। मालिश के वक्त या तो मैं घर पर होता था या पापा। लेकिन एक दिन ऐसा आया जब पापा को ऑफिस जाना था और मुझे अपने दोस्त के भाई की शादी में जाना था। पापा ने आंटी को फोन करके कहा, “प्लीज, कल सुबह आप घर आ जाओ, मालिश के वक्त कोई होना चाहिए।” आंटी मान गईं। अगले दिन पापा ऑफिस चले गए, मैं घर पर था, आंटी का इंतजार कर रहा था। आधे घंटे बाद आंटी आईं, और 5 मिनट बाद ही दयाल भी आ गया। दयाल आंटी को देखकर बहुत खुश हुआ, दोनों ड्रॉइंग रूम में बैठकर बातें करने लगे। मैंने मम्मी को बताया कि आंटी और दयाल आ गए हैं, अब मैं जा रहा हूँ। मम्मी ने कहा, “ठीक है, जा।”

मैं ड्रॉइंग रूम में गया तो देखा दयाल आंटी से कुछ कह रहा था, और आंटी जोर-जोर से हंस रही थीं। आंटी ने कहा, “हाँ, मैं कुछ करती हूँ, आज तेरा काम हो जाएगा।” मैंने पूछा, “क्या हुआ, आंटी? कुछ चाहिए?” आंटी ने हंसते हुए कहा, “नहीं बेटा, इसका एक काम अटका हुआ है, मैं करवा दूँगी।” मैंने और नहीं पूछा और वहाँ से चला गया। मम्मी अब ड्रॉइंग रूम में आ गई थीं और आंटी से बातें करने लगीं। थोड़ी देर बाद आंटी ने कहा, “चल, मालिश करवा ले, हम भी बातें करते रहेंगे।”

दयाल ने मम्मी के पैरों की मालिश शुरू की। मालिश खत्म होने के बाद दयाल हाथ धोने बाथरूम गया। तब आंटी ने मम्मी से कहा, “कभी तूने पीठ और हाथों की मालिश करवाई है? दयाल बहुत अच्छी मालिश करता है।” मम्मी ने कहा, “नहीं, मैंने नहीं करवाई। और मैं किसी पराए मर्द को अपने बदन को छूने कैसे दूँ? पैरों की मालिश ही बहुत है।” आंटी ने हंसते हुए कहा, “अरे, कुछ नहीं होता। मैं तो दो साल से इससे मालिश करवाती हूँ। मेरे पति को भी पता है, कोई छुपाने वाली बात नहीं।” मम्मी अभी भी हिचक रही थीं। आंटी ने कहा, “अगर तुझे प्रॉब्लम है, तो देख, मैं अभी तेरे सामने मालिश करवाती हूँ। अगर तुझे अच्छा लगे, तो तू भी करवा लेना।” मम्मी ने हाँ बोल दी।

दयाल जब वापस आया, तो आंटी ने कहा, “मेरी बॉडी की ऑयल मसाज कर दे। अगर भाभी को अच्छा लगा, तो वो भी करवाएगी।” दयाल ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, आपको तो पता है, मैं कितनी अच्छी मालिश करता हूँ।” आंटी और मम्मी बेडरूम में चली गईं। आंटी ने अपना ब्लाउज और ब्रा उतार दी और उल्टा बेड पर लेट गईं। दयाल ने आंटी की पीठ की मालिश शुरू की। वो बहुत ध्यान से मालिश कर रहा था, सिर्फ पीठ पर ही हाथ चला रहा था, कहीं और नहीं। 30 मिनट की मालिश के बाद दयाल दूसरे रूम में चला गया। आंटी उठकर बैठ गईं, कपड़े पहनते हुए बोलीं, “कैसा लगा? अच्छा करता है ना?” मम्मी ने कहा, “हाँ, करता तो अच्छा है।”

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आंटी ने कहा, “तो तू तैयार है?” मम्मी अभी भी झिझक रही थीं, लेकिन आंटी के बार-बार कहने पर मान गईं। मम्मी ने कहा, “ठीक है, लेकिन तू यहाँ से कहीं नहीं जाएगी।” आंटी ने हंसते हुए कहा, “अरे, मैं कहीं नहीं जा रही।” मम्मी ने भी अपना ब्लाउज और ब्रा उतारकर बेड पर उल्टा लेट गईं। आंटी ने दयाल को बुलाया और कहा, “देख, वो मालिश के लिए तैयार है। अच्छे से मालिश करना, बार-बार मौका नहीं मिलेगा।” फिर आंटी ने धीरे से दयाल से कहा, “मैंने तेरा काम कर दिया, अब तू संभाल।” दयाल मुस्कुराया और मम्मी के पास जाकर बैठ गया।

दयाल ने पहले मम्मी के हाथों की मालिश शुरू की। आंटी उसी रूम में बैठी थी। थोड़ी देर तक तो सब ठीक था, लेकिन फिर दयाल ने मम्मी से कहा, “भाभी जी, एक बात बोलूँ? बुरा तो नहीं मानेंगी?” मम्मी ने कहा, “बोलो।” दयाल बोला, “आपकी स्किन बहुत सॉफ्ट है। अब तक जितनों की मालिश की, उसमें आपकी स्किन सबसे सॉफ्ट है।” मम्मी नाराज नहीं हुईं, बल्कि हल्का सा मुस्कुराने लगीं। दयाल ने हाथों की मालिश पूरी करके मम्मी की पीठ की मसाज शुरू की। थोड़ी देर बाद उसने अपनी शर्ट उतार दी। मम्मी को इसका पता नहीं चला, क्योंकि वो मसाज के मजे में थीं। अब दयाल ऊपर से नंगा था। उसने धीरे-धीरे अपनी धोती भी उतार दी। मम्मी को मसाज का इतना मजा आ रहा था कि उन्हें कुछ पता ही नहीं चला। आंटी ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी।

अब दयाल ने मम्मी की पीठ के साथ-साथ उनकी साइड्स पर भी हाथ चलाना शुरू किया, जिससे उनके बूब्स को हल्का-हल्का टच करने लगा। मम्मी पेट के बल लेटी थीं, उनके बूब्स बेड से दबे हुए थे। 10-12 बार टच होने के बाद भी मम्मी ने कुछ नहीं कहा, तो दयाल का हौसला बढ़ गया। उसने धीरे से मम्मी के नीचे हाथ डालकर उनके बूब्स को मसलना शुरू कर दिया। मम्मी एकदम से उठकर बैठ गईं और बोलीं, “ये क्या कर रहे हो?” लेकिन दयाल ने पीछे से मम्मी को पकड़ लिया, उनके बूब्स को जोर से दबाया और मसलने लगा। मम्मी छूटने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन दयाल ने उन्हें कसकर पकड़ रखा था। मम्मी ने आंटी की तरफ देखा, जो हंस रही थी। मम्मी ने गुस्से में कहा, “तू क्यों हंस रही है? इसे मना कर!” आंटी ने हंसते हुए कहा, “अरे, क्या हुआ? ये तो मालिश ही कर रहा है, करने दे। मैं भी तो करवाती हूँ।”

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आंटी ने आगे कहा, “तू दयाल का कमाल तो देख। ये तुझे इतना संतुष्ट करेगा, जितना तूने पहले कभी नहीं महसूस किया।” फिर आंटी ने दयाल से कहा, “जरा अपना हथियार तो दिखा इसे।” दयाल ने मम्मी को अपनी ओर खींचा, अपनी अंडरवेयर उतारी और 7 इंच लंबा, 4 इंच मोटा लंड बाहर निकाल लिया। मम्मी ने लंड देखते ही अपनी आँखें बंद कर लीं। दयाल ने मम्मी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया, लेकिन मम्मी ने झटके से हाथ हटा लिया। मम्मी ने आंटी से कहा, “ये क्या है? तू इसके साथ मिली हुई है?” आंटी ने हंसते हुए कहा, “हाँ, इसने कहा कि तुझे बहुत पसंद है। मैंने कहा, ठीक है, आज तुझे इसकी चूत दिलवाते हैं।”

दयाल ने मम्मी से कहा, “भाभी, प्लीज, एक बार प्यार करने का मौका दो। मैं वादा करता हूँ, आपको निराश नहीं करूँगा।” और वो मम्मी को किस करने लगा। मम्मी ने कहा, “मैं शादीशुदा हूँ, मैं ऐसा नहीं कर सकती। किसी पराए मर्द के साथ ये सब गलत है।” आंटी ने कहा, “अरे, मैं भी तो शादीशुदा हूँ। मैं भी तो इसका मजा लेती हूँ, लेकिन अपने पति से प्यार भी करती हूँ। ऐसा करने से कुछ नहीं बिगड़ता। बस एक बार मजा ले, चिल्ला मत। अगर कोई आ गया और तुझे इस हाल में देख लिया, तो तेरी ही बदनामी होगी।” दयाल ने भी कहा, “भाभी, प्लीज, सिर्फ एक बार।” और वो मम्मी को फिर से किस करने लगा।

तभी डोरबेल बजी। आंटी देखने गई। कोई पड़ोसी गलती से हमारे घर आ गया था। आंटी ने उसे वापस भेज दिया। वापस आकर आंटी ने कहा, “देख, तेरे चिल्लाने से पड़ोसी आ गए थे। मैंने अभी तो टाल दिया, लेकिन अगर तू फिर चिल्लाएगी, तो अगली बार वो अंदर आ जाएँगे और तुझे और दयाल को नंगे देख लेंगे। फिर तुझे ही गलत समझेंगे। अब तेरी मर्जी, ये तो तुझे आज चोदकर ही मानेगा, चाहे तेरी रजामंदी से या जबरदस्ती।”

आंटी की बात सुनकर और बदनामी का डर सोचकर मम्मी रोने लगीं। रोते हुए बोलीं, “ठीक है, सिर्फ एक बार, फिर कभी नहीं।” दयाल ने कहा, “हाँ, सिर्फ आज, फिर कभी नहीं।” दयाल ने मम्मी को बेड पर लिटाया और उनके ऊपर लेट गया। वो मम्मी को चूमने लगा। मम्मी लिप किस नहीं करना चाहती थीं, अपना मुँह इधर-उधर कर रही थीं। दयाल ने मम्मी का मुँह पकड़ा और उनके होंठों पर किस करने लगा। धीरे-धीरे वो मम्मी के बूब्स तक पहुँचा। उनके सॉफ्ट, भरे हुए बूब्स को चूमने लगा, दबाने लगा। दयाल जैसे पागल हो गया था। कभी दायाँ बूब चूसता, कभी बायाँ। मम्मी के निप्पल्स कड़क होने लगे। मम्मी का रोना अब कम हो गया था, लेकिन वो हल्का-हल्का सुबक रही थीं।

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दयाल ने मम्मी को देखकर एक शैतानी मुस्कान दी और कहा, “अब तो चुप हो जाओ और मजा लो।” फिर वो मम्मी के पेट की ओर बढ़ा। उनकी नाभि को चूमा, उसमें जीभ डालकर घुमाने लगा। मम्मी की साँसें तेज होने लगीं। दयाल ने मम्मी की साड़ी उतार दी, फिर पेटीकोट का नाड़ा खोलकर उसे खींचकर उतार दिया। मम्मी की गोरी, मोटी जांघें देखकर दयाल की आँखें चमक उठीं। उसने पेटीकोट को सूँघा, फिर उसे एक तरफ फेंक दिया। दयाल मम्मी की जांघों को चूमने लगा, धीरे-धीरे उनकी चूत तक पहुँच गया। मम्मी की चूत से पेशाब और चूत की मिली-जुली गंध आ रही थी। दयाल ने देखा कि मम्मी की चूत गीली हो चुकी थी। उसने मम्मी से कहा, “भाभी, अब तो तुम्हें भी मजा आने लगा है। पहले तो बहुत नखरे कर रही थीं, अब चूत गीली हो गई है।”

दयाल ने मम्मी की चूत में उंगली डाली। मम्मी के मुँह से “आह” निकलने लगी। दयाल ने उनकी चूत चाटना शुरू कर दिया। मम्मी अब और उत्तेजित हो गईं, जोर-जोर से आहें भरने लगीं, “आह… आह… उह… हाय…” उनकी आवाज सुनकर आंटी रूम में आई और हंसते हुए बोली, “मजा आया ना? पहले फालतू के नखरे कर रही थी।” दयाल ने कहा, “मुझे ऐसी औरतें बहुत पसंद हैं, जो पहले नखरे दिखाती हैं। ऐसी को चोदने में बहुत मजा आता है। और तुम भी तो पहली बार ऐसे ही नखरे दिखा रही थीं।” आंटी ने हंसते हुए कहा, “चुप, बदमाश! उधर ध्यान दे।”

अब दयाल उठा और मम्मी की चूत में अपना लंड घुसाने लगा। उसने लंड को चूत पर सेट किया और एक धक्का मारा। आधा लंड अंदर चला गया, मम्मी के मुँह से हल्की सी “आह” निकली। दयाल ने एक और धक्का मारा, इस बार पूरा लंड चूत में समा गया। मम्मी के मुँह से जोर की “आह” निकली। दयाल ने लंड को चूत में ही रखा, फिर धीरे-धीरे झटके मारने लगा। एक हाथ से वो मम्मी के बूब्स दबाता रहा। मम्मी हल्की-हल्की आहें भर रही थीं। दो मिनट तक धीरे-धीरे धक्के मारने के बाद दयाल ने लंबे और तेज शॉट्स शुरू किए। मम्मी को भी अब मजा आने लगा था, वो भी दयाल का साथ देने लगीं।

दयाल एक बार रुका। रुकते ही मम्मी ने उसे देखा और इशारों में पूछा, “क्यों रुक गए?” दयाल समझ गया। वो मम्मी के ऊपर झुका, उन्हें लिप किस करने लगा, फिर उनके बूब्स चूसने लगा। उसने फिर से हल्के झटके शुरू किए, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा दी। इस बार दयाल नहीं रुका। सर्दियों के मौसम में भी दोनों पसीने से तर-बतर हो गए थे। मम्मी जोर-जोर से साँस ले रही थीं, आहें भर रही थीं। दयाल का भी यही हाल था। उसने स्पीड और बढ़ा दी। 15 धक्कों के बाद उसका वीर्य निकल गया। उसने मम्मी की चूत में ही सारा वीर्य निकाल दिया। मम्मी भी उसी वक्त झड़ गईं। दयाल मम्मी के ऊपर ही गिर गया।

थोड़ी देर बाद जब दयाल नॉर्मल हुआ, वो उठकर मम्मी के पास बैठ गया। मम्मी अभी भी लेटी थीं। दयाल ने पास पड़ी मम्मी की साड़ी उठाई, अपने लंड को साफ किया, फिर अपना पसीना पोंछा और साड़ी को मम्मी के ऊपर फेंक दिया। वो उठकर दूसरे रूम में चला गया, जहाँ आंटी थी। बेड की हालत खराब थी। बेडशीट पर सलवटें, मम्मी के बाल बिखरे हुए, उनके बदन पर दयाल के दाँतों के निशान, और चूत से निकला वीर्य और मम्मी का पानी बेडशीट पर दाग बन गया था। मम्मी ये सब देखकर रोने लगीं।

दूसरे रूम में दयाल आंटी से बोला, “क्या औरत थी! पतिव्रता बनती थी, लेकिन जब लंड खुसा, तो सब भूल गई। आहें भरती रही। मुझे तो आज बहुत तृप्ति मिली।” आंटी ने कहा, “अच्छा, अब कपड़े पहन, मैं इसके पास जाती हूँ।” आंटी बेडरूम में आईं। मम्मी ने चादर ओढ़ रखी थी और सिर घुटनों पर रखकर बैठी थीं। आंटी ने पूछा, “क्या हुआ?” मम्मी रोते हुए बोलीं, “तूने क्यों ऐसे आदमी से मिलवाया? अब मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रही।” आंटी ने मम्मी को गले लगाया और कहा, “रो मत, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। न मैं किसी को बताऊँगी, न दयाल।” थोड़ी देर में मम्मी का रोना कम हुआ। आंटी ने कहा, “देख, तेरे बेटे के आने का टाइम हो गया है। जल्दी कपड़े पहन, मैं बेड ठीक करती हूँ, वरना तेरा बेटा क्या सोचेगा?”

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मम्मी ने कपड़े पहने, आंटी ने बेड ठीक किया। फिर आंटी ने मम्मी से पूछा, “कैसा लगा? दयाल ने तुझे संतुष्ट किया?” मम्मी चुप रहीं। आंटी ने फिर पूछा, “मुझे तो बता।” तब मम्मी ने धीरे से कहा, “हाँ, दयाल ने मुझे संतुष्ट किया।” दयाल दरवाजे पर खड़ा सुन रहा था। वो मम्मी के पास आया और बोला, “सच, भाभी?” मम्मी ने उसे देखकर अपने हाथों से मुँह छुपा लिया। दयाल उनकी इस हरकत पर पागल सा हो गया। उसने मम्मी को पकड़ा, हवा में उठाकर घुमाया, फिर नीचे उतारकर गले लगाया। मम्मी भी उसके गले लग गईं।

तभी बाहर बाइक रुकने की आवाज आई। आंटी ने खिड़की से देखा, पापा आ गए थे। मम्मी और आंटी ड्रॉइंग रूम में जाकर बैठ गईं। दयाल भी फर्श पर बैठ गया। पापा अंदर आए, दयाल को देखकर बोले, “अब तक यहीं हो?” आंटी ने बीच में कहा, “आज मैंने भी मालिश करवाई, इसलिए देर हो गई।” पापा ने कहा, “ठीक है,” और हेलमेट रखकर बाथरूम चले गए। दयाल ने मौका देखकर मम्मी के पास जाकर उनके होंठ चूसने शुरू कर दिए। मम्मी ने कहा, “मेरे पति आ जाएँगे, अब नहीं।” लेकिन दयाल ने कहा, “बस एक छोटा सा किस, फिर मैं चला जाऊँगा।” मम्मी ने उसे किस करने दिया।

अगले दिन दयाल अपने टाइम पर आया। उस वक्त घर में मम्मी अकेली थीं। पापा ऑफिस गए थे, और मैं अपने दोस्त के साथ मार्केट। मम्मी को अकेला देखकर दयाल खुश हो गया। मम्मी उसकी खुशी समझ गईं। वो भी दयाल से सेक्स करना चाहती थीं, क्योंकि दयाल ने उन्हें संतुष्ट किया था और उनके मन में सेक्स की भूख जगा दी थी। लेकिन मम्मी ने नाटक किया, जैसे कुछ समझी ही नहीं। जब दयाल मम्मी के पास आया, मम्मी ने उसे धक्का देकर हंसते हुए बेडरूम में भाग गईं। दयाल जब बेडरूम में पहुँचा, तो मम्मी बेड पर लेटी थीं, उसे स्माइल दे रही थीं।

दयाल जल्दी से मम्मी के ऊपर चढ़ गया। दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे। बेड पर लोट रहे थे, कभी मम्मी दयाल के ऊपर, कभी दयाल मम्मी के ऊपर। इस बीच दोनों के कपड़े उतर गए। दयाल मम्मी के पूरे बदन को चूम रहा था, उनकी चूत को चाट रहा था। मम्मी भी दयाल के बदन को चूमने लगीं। दोनों इतने उत्तेजित हो गए थे कि रूम में सिर्फ उनकी साँसों और आहों की आवाज गूँज रही थी। दयाल ने मम्मी को लिटाया और उनकी चूत में लंड घुसा दिया। मम्मी उसका पूरा साथ दे रही थीं। पूरे रूम में “फट-फट” की आवाज गूँज रही थी। 10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दयाल का वीर्य मम्मी की चूत में गिर गया। मम्मी भी उसी वक्त झड़ गईं।

दयाल मम्मी के ऊपर ही गिर गया। थोड़ी देर बाद वो मम्मी को किस करने लगा, फिर किस करते-करते सो गया। जब दयाल उठा, तो मम्मी उसके सीने पर हाथ फेर रही थीं। दयाल ने उठकर बैठ गया। मम्मी ने उसे दूध का ग्लास दिया। दयाल ने आधा दूध पिया और मम्मी को पिलाने को कहा। मम्मी ने मना किया, लेकिन दयाल के कहने पर उसका झूठा दूध पी लिया। दूध पीने के बाद दयाल ने फिर मम्मी को लिप किस किया, और दोनों के बीच एक बार फिर संभोग हुआ।

एक महीने बाद वैद्य जी ने कहा कि मम्मी पूरी तरह ठीक हो गई हैं, अब मालिश की जरूरत नहीं। पापा ने दयाल को आने से मना कर दिया। उस दिन मम्मी बहुत उदास हो गईं। अगले दिन मम्मी आंटी के घर गईं और सारी बात बताई। आंटी ने कहा, “बस इतनी सी बात? लो, अभी तुम्हारी उदासी दूर करती हूँ।” आंटी ने कहीं फोन किया, और 15 मिनट बाद दयाल वहाँ आ गया। मम्मी उसे देखकर इतनी खुश हुईं कि भागकर उसके गले लग गईं और रोने लगीं। दयाल ने उन्हें चुप कराया और कहा, “हम इस घर में मिल लिया करेंगे।” मम्मी ये सुनकर खुश हो गईं और वहीं दयाल को चूमने लगीं।

दयाल अगले तीन साल तक शहर में रहा, और तब तक वो और मम्मी के बीच शारीरिक संबंध चलते रहे।

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