मकान मालकिन आंटी खुलकर चुदी

सेक्सी मालकिन की चुदाई(makanmalkin sex story) मैंने उनके बेडरूम में की. मैं उनके घर में किराये पर रह रहा था। एक रात घर में मैं और आंटी अकेले थे। आंटी खुद ही चुदाई की प्यासी निकली.

 

हैलो फ्रेंड्स! मेरा नाम सचिन है, मेरी उम्र 26 साल है।

मैं झारखंड से हूं और मुंबई में रहकर पढ़ाई कर रहा हूं।

जिस मकान में रहता हूं, उसके मालिक एक अंकल-आंटी हैं।

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वे दोनों ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं जबकि मैं पहले फ्लोर पर रहता हूं।

 

आंटी का नाम पूनम है जो 36 साल की हैं जबकि अंकल 52 साल के हैं।

इन दोनों के पास संतान नहीं है।

 

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आंटी का फिगर एकदम मस्त है, उसके बूब्स बहुत बड़े हैं।

पहले दिन से ही मुझे आंटी की चुदाई करने का मन कर गया था।

 

अब मैं सेक्सी मालकिन की चुदाई स्टोरी पर आता हूं।

 

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तो मैं काफी टाइम से इनके यहां किराये पर रह रहा था।

आंटी की चुदाई करने का मौका मुझे अभी तक नहीं मिल पाया था।

 

फिर एक दिन की बात है कि आंटी दौड़ती हुई ऊपर आई और दरवाजा जोर से खटखटाते हुए आवाज लगाई- राहुल! राहुल! खोलो जल्दी!

 

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मैंने तुरंत दरवाजा खोला तो देखा आंटी के पसीने छूट रहे थे और सांस भारी थी।

वो हांफते हुए बोली- जल्दी … जल्दी चलो नीचे, तुम्हारे अंकल को पता नहीं क्या हो गया है।

 

हम दोनों नीचे की ओर दौड़े।

मैं आगे और आंटी पीछे।

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मैंने नीचे जाकर देखा तो अंकल बेहोश पड़े थे।

तभी मैंने जल्दी से कैब बुलाया और अंकल को अस्पताल लेकर गए।

 

वहां डॉक्टर ने कहा- इनको दौरा आया है, दो दिन अस्पताल की निगरानी में रखना पड़ेगा।

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फिर आंटी ने मुझे एटीएम दे दिया तो मैं पैसे निकलवा कर ले गया।

 

हमने वहां पर अंकल को एडमिट करवा दिया।

तब तक शाम के 5 बज गए थे।

 

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मैंने आंटी से कहा कि मैं कुछ खाने के लिए लेकर आता हूं।

फिर मैं वहां से चला गया।

 

थोड़ी देर बाद मैं अंकल के लिए कुछ फल और आंटी के लिए खाना लेकर गया।

 

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फिर देखते देखते रात के 9 बज गए।

उसके बाद मैं आंटी को बोलकर जाने लगा कि कल आऊंगा।

 

तभी अंकल बोले- अपनी आंटी को भी ले जाओ।

आंटी मना करने लगी लेकिन अंकल ने आंटी को मेरे साथ भेज दिया।

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फिर मैंने कैब बुक किया और हम घर के लिए निकल पड़े।

कार में हम दोनों बातें करते हुए आ रहे थे।

 

आंटी से पहली बार मेरी इतनी बातें हुईं थी।

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उन्होंने अपनी लव मैरिज के बारे में भी बताया।

 

ऐसे ही बातें करते हुए हम लोग घर पहुंच गए।

 

मैं कैब वाले को पैसे देने लगा तो आंटी ने मेरा हाथ रोक लिया और खुद पैसे देने लगी।

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आंटी पैसे देने के लिए कैब की खिड़की में झुकी तो मेरा हाथ उनके चूचे पर टच हो गया।

मेरे शरीर में 440 वोल्ट का झटका लगा।

आंटी ने मेरा हाथ अभी भी छोड़ा नहीं था।

 

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फिर पैसे देने के बाद आंटी ने मुझे घर की चाबी दी और दरवाजा खोलने को कहा।

वह कैब वाले से हिसाब करने लगी।

मैं दरवाजा खोलने के लिए चला।

 

दरवाजा खोला ही था कि मेरी कोहनी किसी नर्म चीज से टकरा गई।

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पीछे देखा तो आंटी खड़ी थी।

मेरी कोहनी उनके चूचे से टकरा गई थी।

 

मैंने आंटी को सॉरी बोला।

आंटी ने कहा- कोई बात नहीं।

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फिर आंटी ने अंदर चलने के लिए कहा।

मैं जाकर सोफे पर बैठ गया और आंटी कपड़े बदलने के लिए चली गई।

 

पांच मिनट के बाद वह वापस आई तो देखा कि आंटी ने काले रंग की मैक्सी पहनी हुई थी।

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मैक्सी में आंटी की चूचियों का उभार साफ झलक रहा था।

 

आंटी आकर मेरे बगल मैं बठ गई।

इतने पास आने से मेरा लंड खड़ा होने लगा।

 

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फिर हम यहां वहां की बातें करने लगा।

शायद आंटी ने भी मेरा खड़ा लंड देख लिया था।

 

वह मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछने लगी।

मैंने मना कर दिया कि मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।

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लेकिन आंटी को मेरी बात का यकीन नहीं हो रहा था।

 

ऐसे ही 11 बज गए और मुझे नींद आने लगी।

मैंने आंटी से कहा कि नींद आने लगी है। मैं सोने जा रहा हूं।

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मैं उठने लगा तो आंटी ने मुझे रोक लिया, बोली- एक सवाल का जवाब देकर जाओ। क्या सच में तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं है? तुम सिंगल हो?

मैंने कहा- हां आंटी, सच में कोई नहीं है।

 

आंटी एकदम से बोली- तो मुझे बना लो अपनी गर्लफ्रेंड!

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मैं चौंक गया।

 

मैंने कहा- आंटी ये क्या बोल रही हो!

आंटी बोली- जो तुम सुन रहे हो। मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बना लो।

कहते हुए आंटी मेरे हाथ को सहला रही थी।

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मैं मन ही मन खुश हो गया था कि आंटी ने खुद ही सब बोल दिया।

 

मैंने आंटी को अपनी तरफ खींचा और किस करने लगा।

आंटी भी मेरा साथ देने लगी।

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फिर मैंने एक हाथ आंटी के बूब्स पर रखा और जोर जोर से दबाने लगा।

पांच मिनट तक किस करने के बाद हम अलग हुए।

आंटी बहुत प्यासी लग रही थी।

 

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वो बोली- अब रुका नहीं जा रहा, जल्दी से अपना बाहर निकाल लो।

मैंने कहा- हां, लेकिन थोड़ा रुको तो!

 

आंटी ने खुद ही मेरी पैंट की चेन खोल ली और लंड बाहर निकाल लिया।

वह दोनों हाथों में मेरे लंड को लेकर मसलने लगी।

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मैं भी आंटी की मैक्सी उतारने लगा।

मैंने मैक्सी खोल दी।

 

आंटी ने नीचे से केवल पैंटी ही पहनी हुई थी।

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मैं आंटी की नंगी चूचियों को चूसने लगा।

फिर मैंने पैंटी भी उतार दी।

 

अब मैंने आंटी को बेड पर लिटा दिया।

मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा।

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आंटी की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … आह्ह … आह … इस्स!

 

मैं चूचियों को पीते हुए आंटी की चूत में उंगली चलाता रहा और आंटी मदहोशी में जाने लगी।

उसकी आंखें बार बार ऊपर चढ़ने लगी थीं।

लग रहा था जैसे आंटी को नशा हो रहा है।

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अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए।

मैंने आंटी की चूत को चाटना शुरू कर दिया।

आंटी सिसकार गई।

 

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मैंने मुंह हटाकर कहा- आंटी, लंड चूस लो प्लीज!

वह भी मेरे लंड को मुंह में भरकर चूसने लगी।

 

हम दोनों और ज्यादा गर्म हो गए।

 

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कुछ ही देर में आंटी बोल पड़ी- बस! अब चोद दो … और नहीं रुक सकती मैं!

मैंने कहा- आंटी आपके पास अंकल भी तो हैं, उनसे नहीं चुदवाती क्या?

वो बोली- उनसे कुछ नहीं होता है, अगर होता तो मैं तेरा लंड लेती क्या?

 

अब मेरी समझ में आ गया कि आंटी कितनी प्यासी है और वह चुदाई के लिए क्यूं मरी जा रही है।

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आंटी की चुदाई की प्यास न जाने कितने दिनों से दबी हुई थी।

मैंने आंटी की चूत पर निशाना लगाया और लंड सटा दिया।

 

लंड को सटाकर मैं चूत पर ऊपर नीचे रगड़ने लगा।

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आंटी चिल्लाने लगी- आईई … आह्ह … चोद दो ना प्लीज … आह्ह … ऐसे मत करो … मर जाऊंगी मैं … चोद दो मुझे … लंड से चोद दो मेरी चूत … चोद दो मेरी चूत!

इस समय आंटी का बुरा हाल हो रहा था।

 

 

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फिर मैंने हल्का सा धक्का दे दिया और लंड आंटी चूत में घुस गया।

मैंने तीन चार बार धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर किया और देखते ही देखते चूत पूरे लंड को निगलने लगी।

 

अब मैंने आंटी की चुदाई शुरू कर दी।

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जल्दी ही मैंने स्पीड पकड़ ली।

मैं जोर जोर से आंटी चूत में लंड के धक्के लगाने लगा।

 

आंटी की चूत से पानी बहने लगा।

चुदास के कारण आंटी की चूत लगातार रस छोड़ रही थी।

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पूरे रूम में फच-फच की आवाज गूंज रही थी।

आंटी चुदाई में मदहोश हो रही थी।

 

कुछ ही देर बाद वो गांड उठा उठाकर चूत को लंड की ओर फेंकने लगी।

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मैं बीच बीच में आंटी की चूचियां दबा देता था।

 

कभी हम दोनों होंठों को चूसने लगते थे।

मुझे आंटी की चूत मारते हुए बड़ा मजा आ रहा था।

आंटी की चुदास के कारण उसकी चूचियों के निप्पल भी तन गए थे।

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आंटी को चूत मरवाने का मजा लेते हुए देख मेरे लंड में भी तनाव बढ़ता ही जा रहा था।

 

पांच-सात मिनट तबियत से चुदने के बाद आंटी कहने लगी कि वह झड़ने वाली है।

मैंने भी कहा- मेरा भी होने वाला है।

 

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फिर झटके लगाते हुए मैंने आंटी की चूत में ही माल गिराना शुरू कर दिया।

आंटी का बदन भी अकड़ गया और चूत का रस लंड के माल से मिलने लगा।

दोनों तरह के रस के कारण चूत एकदम से फुल भर गई और पच-पच की आवाज के साथ मेरे धक्के धीमे होते चले गए।

 

हम दोनों झड़ चुके थे।

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कुछ देर हम शांत पड़े रहे।

फिर मेरा हाथ आंटी की चूचियों पर चला गया।

 

मैं चूची दबाने लगा और आंटी का हाथ मेरे लंड पर आ गया।

 

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फिर हम दोनों के होंठ भी मिल गए।

इसी दौरान मेरा हाथ आंटी की गांड के छेद पर जा लगा।

 

मेरा मन आंटी की गांड चुदाई का करने लगा।

 

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मैंने कहा- आंटी, आपकी गांड तो बहुत सॉफ्ट है, एक बार आपकी गांड मार लूं क्या?

वो एकदम से चिल्लाकर बोली- नहीं!

 

मैंने पूछा- क्यों?

वो बोली- बस, नहीं मारनी है।

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मैंने कहा- ओके।

 

फिर मैं अपने कपड़े पहनने लगा।

मैं तैयार होकर जाने लगा तो आंटी बोली- चाय पीकर जाना।

 

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वह नंगी ही किचन में चाय बनाने लगी।

मैं आंटी की गांड को ही देख रहा था।

 

मेरा गांड चुदाई करने का बहुत मन हो रहा था।

मैंने सोच लिया कि मैं आंटी गांड मारकर ही रहूंगा आज।

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फिर मैं उठकर किचन में चला गया और पीछे से जाकर चूचियों को दबाने लगा।

साथ ही मैं आंटी की गर्दन पर किस कर रहा था।

 

मेरा हाथ आंटी की गांड को दबाने लगा।

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आंटी ने मुझे एकदम से पीछे हटा दिया और हाथ में चाय का कप थमा दिया।

वह बोली- अभी तो तुम जा रहे थे, फिर ये जोश कैसे आ गया?

 

मैंने कहा- आपको कौन छोड़कर जाना चाहेगा आंटी!

वह बोली- मुझे लगा कि तुम थक गए होगे।

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मैं बोला- मैं आपको दिन-रात चोद सकता हूं आंटी!

वो बोली- सच?

मैंने कहा- हां!

 

फिर मैंने आंटी की चूचियों को सहलाते हुए कहा- चलो न आंटी … यहीं किचन में करते हैं!

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आंटी मान गई।

 

हमने जल्दी से अपनी चाय खत्म की और होंठों को चूसने लगे।

मैं आंटी के बूब्स दबाने लगा।

 

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जब वह गर्म हो गई तो मैंने आंटी से फिर कहा- बस एक बार मुझे गांड मारने दे।

आंटी ने गांड से हाथ हटाकर चूत पर रखवा दिया।

 

मैं फिर भी आंटी से गांड चुदाई के लिए कहता ही रहा।

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वह गु्स्सा हो गई और मुझे डांटने लगी।

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मुझे लगा कि यह ऐसे नहीं मानेगी।

मुझे कुछ सूझा और मैंने आंटी को फर्श पर लिटा लिया।

 

मैं लिटाकर आंटी की चूत चाटने लगा।

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वह भी मस्त सिसकारियां ले रही थी।

 

मैं जोर जोर से आंटी की चूत में जीभ घुमाने लगा।

वह पागल होने लगी।

 

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फिर मैं बोला- आंटी गांड को कम से कम चाटने तो दो!

एक बार तो वो मना करने लगी लेकिन फिर मान गई।

 

मैंने आंटी को घोड़ी बना लिया और गांड को चाटना शुरू कर दिया।

कुछ ही देर में आंटी की गांड का छेद बिल्कुल गीला कर दिया मैंने।

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तभी एकदम से उंगली अंदर सरका दी।

वह चिल्लाकर बोली- हरामखोर, ये क्या कर रहा है!

 

लेकिन मैंने आंटी की बात अनसुनी कर दी और उंगली चलाता रहा।

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फिर दोबारा से जीभ से चाटना शुरू कर दिया।

 

इस तरह कभी जीभ तो कभी उंगली, आंटी की हालत ऐसी कर दी कि वो खुद ही गांड को मेरे मुंह पर रगड़ने लगी।

 

यह मेरे लिए अच्छा मौका था।

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मैंने लंड को गांड के छेद पर लगाकर धक्का दे दिया।

 

धक्का देते ही मैंने आंटी को दबोच लिया।

आंटी की गांड में लंड घुस गया।

 

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मैं आंटी की चूचियों को भींचने लगा और उसको पीठ पर चूमने लगा।

वह मुझे हटने के लिए कहती रही लेकिन मैंने चूमना जारी रखा।

 

कुछ देर में आंटी का विरोध बंद हो गया।

मेरा लंड आंटी की गांड में आराम कर रहा था।

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दोस्तो, गांड में लंड देकर इतना मजा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता।

आंटी की गांड जैसे मेरे लंड के लिए स्वर्ग थी।

मैं गांड में लंड चलाने लगा।

 

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आंटी को थोड़ी देर में ही मजा आने लगा।

मैं तेजी से आंटी की गांड चुदाई करने लगा।

 

आंटी को दर्द भी हो रहा था और वह आह आह की आवाज भी कर रही थी.

लेकिन मजा भी बहुत मिल रहा था उसे!

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कुछ देर बाद वह पूरी तरह से मेरा साथ देने लगी।

हम दोनों की कामुक सिसकारियों से रूम गूंज उठा।

 

मेरा माल अब गिरने ही वाला था।

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दो मिनट बाद झटके देते हुए मैं आंटी की गांड में झड़ने लगा।

 

मैंने सारा माल आंटी की गर्म गांड को पिला दिया।

लंड बाहर निकाला तो उस पर थोड़ा खून भी लग गया था।

 

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फिर मैंने लंड को साफ किया।

आंटी की गांड माल से भर गई थी।

 

उसके बाद हम उठे और रूम में चले गए।

 

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आंटी बोली- अब थक गए?

मैंने कहा- नहीं!

 

तभी आंटी ने चूत को मेरे सामने फैला दिया।

सेक्सी मालकिन की चुदाई की चुनौती को मैंने स्वीकार किया और चूत चाटने लगा।

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दस मिनट बाद फिर से मेरा लंड आंटी की चूत में चल रहा था और हम आह्ह …. आह्ह … करते हुए चुदाई के तीसरे राउंड का मजा ले रहे थे।

 

दोस्तो, ये थी मेरी मकान मालकिन आंटी की चुदाई की कहानी।

आपको यह स्टोरी कैसी लगी?

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मुझे जरूर बताना।

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