टीचर को नेट पे चैट करके पटाया

BDSM Sex Story: हेलो दोस्तों, ये कहानी मेरे दोस्त दीपेंद्र ने भेजी है। ये बिल्कुल रियल है। मैं दिल्ली से हूँ, और ये कहानी उन दिनों की है जब मैं 11वीं क्लास में पढ़ता था। मेरा एडमिशन कुछ ही दिन पहले हुआ था। स्कूल में सब कुछ ठीक चल रहा था। लड़कियाँ छोटी-छोटी स्कर्ट्स पहनकर आती थीं, कोशिश करती थीं कि सेक्सी दिखें, लेकिन उनकी जवानी अभी पूरी तरह खिली नहीं थी। उनकी हरकतें देखकर हंसी आती थी, पर मन में कुछ और ही चल रहा था।

एक दिन स्कूल की असेंबली में पता चला कि एक नई टीचर ने जॉइन किया है। वो 11वीं क्लास को बायोलॉजी पढ़ाएगी। असेंबली खत्म हुई, और अगला पीरियड बायोलॉजी का ही था। जब वो टीचर क्लास में आई, मैं तो बस देखता ही रह गया। वो थी मनीषा मैम। क्या खूबसूरत औरत थी! कम उम्र की लग रही थी, जैसे कोई कॉलेज गर्ल हो। उनकी उम्र शायद 32 के आसपास होगी, लेकिन फिगर… हाय! 36-28-36 का फिगर, एकदम कातिलाना। उन्होंने सफेद रंग का ट्रांसपेरेंट स्लीवलेस सूट पहना था, जो इतना पतला था कि उनकी ब्रा, पैंटी, और नाभि साफ दिख रही थी। उनके बड़े-बड़े मम्मे और गोल-गोल गांड देखकर मेरा दिमाग हिल गया। मेरा लंड तो क्लास में ही खड़ा हो गया।

मनीषा मैम ने क्लास में आकर सबको विश किया। फिर बोलीं, “हेलो स्टूडेंट्स, मेरा नाम मनीषा है। आज से मैं तुम्हें बायोलॉजी पढ़ाऊँगी। लेकिन पहले मैं तुम सबके बारे में जानना चाहती हूँ। अपना नाम बताओ, और अगर कुछ पूछना हो तो पूछ सकते हो।”

क्लास के सारे स्टूडेंट्स अपना-अपना नाम बता रहे थे। कुछ सवाल भी पूछ रहे थे। मैं तो बस मैम को निहार रहा था। उनका सलवार इतना ट्रांसपेरेंट था कि उनकी सफेद ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थी। मैं तो पागल हो रहा था। मेरा लंड पैंट के अंदर तन गया था, और शेप साफ दिख रहा था। तभी मैम ने मेरी तरफ देखा और बोलीं, “और तुम?”

मैं खड़ा हुआ, और मेरा तना हुआ लंड पैंट में साफ नजर आ रहा था। मैम ने एक बार मेरी जिप की तरफ देखा, हल्की सी स्माइल दी, और फिर सीरियस हो गईं।

मैंने कहा, “मेरा नाम दीपेंद्र है, मैम।”

मैम: “और कुछ पूछना चाहते हो?”

मेरे दिमाग में तो बस यही सवाल घूम रहे थे: “मैम, आपका साइज क्या है? आप कौन सा परफ्यूम यूज करती हैं? आपकी पैंटी किस कंपनी की है? आपका पति आपको कैसे चोदता है? क्या आप मुझसे अपनी चूत चुसवाओगी? क्या आप मुझे अपनी चूची चूसने दोगी? क्या आप मेरा लंड चूसोगी?” लेकिन मैंने बस इतना कहा, “मैम, आप फ्री टाइम में क्या करती हैं?”

मैम: “फ्री टाइम में मैं नॉवेल पढ़ लेती हूँ, कोई डिश बना लेती हूँ, या कभी-कभी चैटिंग कर लेती हूँ। और कुछ?”

मैं: “बस, मैम।”

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मैं जैसे-तैसे बात खत्म करके बैठ गया। सोचने लगा कि मैम मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी। सबके इंट्रो के बाद मैम ने पढ़ाना शुरू किया। वो बोर्ड पर लिख रही थीं, और उनकी पीठ क्लास की तरफ थी। उनकी कुर्ती पीछे से लगभग बैकलेस थी। उनकी गोरी पीठ देखकर मेरा मन कर रहा था कि अभी चाट लूँ। क्लास के सारे लड़के उन्हें देखकर हंस रहे थे, और मैं परेशान हो रहा था। मुझसे रहा नहीं गया। मैंने पैंट के ऊपर से ही अपना लंड पकड़ लिया और मुठ मारना शुरू कर दिया। मैम की गांड और उनकी जांघें देख-देखकर मैं मुठ मारता रहा, और फिर मेरा पानी पैंट के अंदर ही छूट गया। मैं उठकर टॉयलेट की तरफ भागा, लेकिन मेरा दिमाग ये सोच रहा था कि मैम ने मेरा खड़ा लंड नोटिस किया था या नहीं।

उस दिन के बाद मैम मुझसे कुछ ज्यादा ही बात करने लगीं। वो मेरी बेंच पर बैठकर पढ़ाती थीं। उनके कपड़े हमेशा ट्रांसपेरेंट होते थे, और हर बार मेरा लंड क्लास में खड़ा हो जाता था। शायद उन्हें पता था कि मेरा लंड उनकी वजह से तनता है, और मैं कुछ न कुछ करता रहता हूँ।

कई बार मुझे मैम को छूने का मौका मिलता। उनका बदन इतना सॉफ्ट था कि बस मन करता था कि दबा दूँ। एक बार मैम ने अपनी जांघों पर कॉपियां रखी थीं और मुझसे कहा, “दीपेंद्र, इन कॉपियों को उठाने में मेरी हेल्प करो।” मैंने जब कॉपियों और उनकी जांघों के बीच अपनी उंगलियाँ डालीं, तो मैम के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी, “आह्ह्ह…” उनकी आँखों में एक अलग सी चमक थी। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

मैम ने कहा, “आआह्ह… आराम से उठा, इतनी जल्दी क्या है?”

उन्हें मेरा उनकी जांघों को छूना अच्छा लगा था। उन्होंने मुझे प्यार भरी नजरों से देखा। फिर धीरे-धीरे 45 दिनों में मैम से मेरी अच्छी दोस्ती हो गई। वो अब मुझसे एक दोस्त की तरह बात करती थीं। एक दिन क्लास में कोई नहीं था, क्योंकि गेम्स का पीरियड था। सारे स्टूडेंट्स ग्राउंड में थे। मैम क्लास में अकेली थीं। मैं अंदर आया और उनके साथ बैठ गया।

मैम: “तुम गए नहीं? गेम्स का पीरियड है।”

मैं: “नहीं, मैम। अगर मैं चला जाता, तो आपको कंपनी कौन देता?”

मैम: “तो फिर मेरी हेल्प करो।”

मैं: “बोलो, मैम।”

मैम: “मेरी कुर्ती की पीछे वाली जिप थोड़ी अटक गई है। उसे खोलकर दोबारा बंद कर दो।”

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मैं: “ओके, अभी कर देता हूँ।”

मैं मैम के पीछे खड़ा हो गया। जिप खोलने की कोशिश की, लेकिन वो खुल नहीं रही थी। मैम ने कहा, “मुँह से खोलने की कोशिश कर।”

मैंने अपने दाँतों से जिप पकड़ी और खोलने की कोशिश करने लगा। इस दौरान मेरे होंठ मैम की पीठ पर लग रहे थे। उनकी साँसें तेज हो गई थीं। मैंने अपनी जीभ से उनकी पीठ को चाटना शुरू कर दिया। मेरा लंड अब फिर से खड़ा हो गया था और उनकी गांड को टच कर रहा था। मैम कामुक होती जा रही थीं। उनकी आँखें बंद होने लगी थीं। तभी अचानक मैम बोलीं, “बस, रहने दो। मैं खुद कर लूँगी।”

मैं: “मैम, मैं कर देता हूँ।” (मैं ये सुनहरा मौका गँवाना नहीं चाहता था।)

मैम: “कोई बात नहीं, मैं खुद कर लूँगी।”

मैं: “ओके, मैम। एक बात बोलूँ? बुरा तो नहीं मानोगी?”

मैम: “नहीं मानूँगी।”

मैं: “आपकी स्किन बहुत सॉफ्ट है।”

मैम: “चल, बदमाश कहीं का।”

मैं: “अच्छा, मैम। आप चैटिंग भी करती हैं?”

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मैम: “हाँ।”

मैं: “आप अपना ईमेल आईडी बताइए। मैं भी चैटिंग करता हूँ।”

मैम: “ओके, लेकिन मैं बहुत कम चैटिंग करती हूँ। मेरा आईडी है manisha। तुम अपना भी दे दो।”

मैं: “मैम, आप भी लिख लो। मेरा है sultanasinha। थैंक्स, मैम।”

उस दिन घर पहुँचते ही मैंने कंप्यूटर ऑन किया और मैम का आईडी एड किया। लेकिन फिर सोचा कि किसी दूसरे आईडी से मैम को एड करूँ। मैंने एक नया आईडी बनाया: incestlove22। फिर मैम को एड किया। पता चला कि मैम लॉग्ड इन हैं। मैंने मैसेज भेजा।

मैं: “हाय।”

मैम: “हाय।”

मैं: “एएसएल प्लीज।”

मैम: “30, फीमेल, दिल्ली। और तुम?”

मैं: “मैं तुमसे छोटा हूँ। 18, मेल, दिल्ली।”

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मैम: “ओके, नो प्रॉब्लम। तुम क्या करते हो?”

मैं: “मैं स्टूडेंट हूँ।”

मैम: “ओह, गुड। मैं टीचर हूँ।”

मैं: “तो क्या तुमने अपने किसी स्टूडेंट को चोदा है?”

मैम: “तुम्हें ऐसी बातें किसी लेडी से नहीं पूछनी चाहिए। वैसे, मैं बताना चाहती हूँ। अभी तक नहीं, लेकिन मैं एक स्टूडेंट के बारे में प्लान कर रही हूँ।”

मैं: “क्यों? उसमें क्या खास है?”

मैम: “उसका लंड बहुत बड़ा है।”

मैं: “तुम्हें कैसे पता? देखा है क्या?”

मैम: “नहीं, बिल्कुल नहीं। लेकिन उसकी पैंट में उभार से अंदाजा हो जाता है। वो हर बार क्लास में मेरे सामने तन जाता है।”

मैं: “उसका नाम क्या है?”

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मैम: “दीपेंद्र।”

(फक! मैम को पता था कि मेरा लंड क्लास में खड़ा होता है। वो मेरे बारे में सोचती हैं। मैं खुश भी था। चलो, कम से कम वो मेरा ध्यान तो रखती हैं।)

मैम: “छोड़ो, वैसे भी मैं उसे एक दिन चोदूँगी। आखिर उसका लंड इतना बड़ा है। तुम्हारा क्या? किसी को चोदा है? वैसे तुम तो बहुत छोटे हो।”

मैं: “मेरे साथ भी वही है। एक टीचर है जिसे मैं चोदना चाहता हूँ, लेकिन कर नहीं पा रहा।”

मैम: “तो जाओ, उसे जोर से चोदो। वो मना नहीं करेगी।”

मैं: “हाँ, एक दिन जरूर चोदूँगा।”

मैम: “वैसे, तुम्हें इंसेस्ट के बारे में पता है?”

मैं: “हाँ। क्या हम हिंदी में चैट कर सकते हैं?”

मैम: “क्यों नहीं?”

मैम: “तुम्हें इंसेस्ट अच्छा लगता है?”

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मैं: “हाँ। और तुम्हें?”

मैम: “मुझे भी।”

मैम: “तुम किसके बारे में सोचते हो?”

मैं: “मॉम।”

मैम: “सीरियसली?”

मैं: “हाँ। और तुम?”

मैम: “चलो, एक रोलप्ले करते हैं।”

(मैम के साथ चैट करके हैरान रह गया कि वो ऐसी बातें कर रही हैं। अब तो मजा आएगा।)

मैं: “कैसा रोलप्ले?”

मैम: “हर चीज का मिक्स।”

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मैं: “इंसेस्ट और बॉन्डेज कैसा रहेगा?”

मैम: “गुड आइडिया।”

मैं: “अभी करते हैं? तुम मेरी मॉम बनो, बॉन्डेज में।”

मैम: “ओके।”

मैं: “तो क्या मैं तुम्हें मम्मी बुलाऊँ?”

मैम: “हाँ, मेरा बच्चा।”

मैं: “मम्मी, तू मेरे लिए नंगी होगी?”

मैम: “हाँ, बेटा।”

मैं: “मम्मी, तूने क्या पहना है?”

मैम: “लूज टी-शर्ट और शॉर्ट्स।”

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मैं: “मम्मी, टी-शर्ट उतार दे अपने बेटे के लिए।”

मैम: “मेरा बेटा अपनी माँ की टी-शर्ट उतारना चाहता है। लो, उतार दी।”

मैं: “मम्मी, ब्रा कौन से रंग की पहनी है?”

मैम: “पिंक।”

मैं: “मम्मी, तू बहुत सुंदर है।”

मैम: “बिना ब्रा के मैं और सुंदर हूँ।”

मैं: “तो मम्मी, ब्रा उतार दे।”

मैम: “खोल दी मम्मी ने अपनी ब्रा तेरे लिए, बेटा।”

मैं: “अब ब्रा दूर कहीं फेंक दे।”

मैम: “फेंक दी।”

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मैं: “मम्मी, अपने निप्पल पकड़ो।”

मैम: “नहीं, बेटा। माँ के साथ ऐसा नहीं करते।”

मैं: “प्लीज, मम्मी। प्लीज!”

मैम: “नहीं!”

मैं: “प्लीज, मम्मी, प्लीज!”

मैम: “ओके, ओके। ठीक है, तू खुद पकड़ ले।”

मैं: “मम्मी, तेरे निप्पल बहुत सॉफ्ट हैं।”

मैम: “अच्छा लगा मेरे बेटे को?”

मैं: “हाँ, बहुत अच्छे।”

मैम: “अब क्या करेगा मेरा बेटा?”

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मैं: “अब निप्पल को पिंच करूँगा।”

मैम: “जोर से करियो।”

मैं: “मम्मी, मैंने दबा दिए।”

मैम: “आआआह्ह्ह्ह…”

मैं: “दर्द हुआ?”

मैम: “हाँ।”

मैं: “मम्मी, मैं तुझे दर्द में देखना चाहता हूँ। वेबकैम ऑन करो।”

मैम: “कर दिया।”

मैम ने चैट विंडो में अपने बूब्स दिखाए, लेकिन चेहरा छुपा रखा था। पर उनकी चूड़ियाँ और मेहंदी देखकर मैं समझ गया कि वो मैम ही हैं।

मैं: “मम्मी, अपने शॉर्ट्स के अंदर उंगली डालो और महसूस करो कि ये तेरा बेटा का लंड है।”

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मैम: “तू क्या करेगा?”

मैं: “मैं तुझे देखकर मुठ मारूँगा।”

मैम: “मम्मी अपने बेटे को मुठ मारते देखना चाहती है। बेटा, तू भी वेबकैम ऑन कर।”

मैंने वेबकैम ऑन किया और ऐसा सेट किया कि सिर्फ मेरा लंड दिखे।

मैम: “मेरे बेटे का लंड तो बहुत बड़ा है।”

मैं: “मेरे लंड से तू चुदेगी ना, मम्मी?”

मैम: “हाँ!”

मैम मुझे मुठ मारते देख रही थीं, और मैं उन्हें चूत में उंगली करते देख रहा था।

मैम: “मैं झड़ने वाली हूँ, बेटा।”

मैं: “मैं भी, मम्मी।”

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थोड़ी देर में मेरा पानी छूट गया। मेरे लंड से स्पर्म की धार निकली। मैम ने चैट विंडो में मेरे लंड से निकलता पानी देखा और खुश हो गईं। उनकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।

मैम: “मैं झड़ चुकी हूँ।”

मैं: “मैं भी, मम्मी।”

मैम: “बड़ा हरामी बेटा है मेरा।”

मैं: “तेरा बेटा हूँ ना, इसीलिए। मेरी रंडी बनेगी?”

मैम: “हाँ, मैं तेरी माँ रंडी बनूँगी।”

मैं: “मम्मी, मेरी रखैल बनेगी?”

मैम: “हाँ, मेरा बेटा। तेरी रखैल बनूँगी।”

मैं: “मम्मी, तू चिनाल है ना?”

मैम: “हाँ, मैं तेरी माँ चिनाल हूँ, बेटा।”

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मैं: “मम्मी, तू अपने बेटे का लंड भी चूसेगी?”

मैम: “हाँ, मेरा बेटा। तेरा लंड भी चूसूँगी।”

मैं: “मम्मी, तू गंदी है।”

मैम: “तेरे लिए, मेरा बेटा।”

मैं: “मैं तुझे रोज चोदूँगा।”

मैम: “जब तेरा मन करे, तब चोद ले। आखिर मैं तेरी माँ हूँ ना।”

मैम: “बस कर, बेटा। आज के लिए इतना ही। कल चैट करेंगे।”

मैं: “ओके, मम्मी।”

मैम: “बाय, बेटा।”

मैं: “बाय, मम्मी।”

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मैंने सोचा, अगर मैम ऐसी हरकतें कर सकती हैं, तो वो आसानी से मान जाएँगी। कुछ प्लान बनाना होगा। अगले दिन स्कूल में मैं मैम का इंतजार कर रहा था। मैम आईं। उनके चेहरे पर एक अलग सा ग्लो था। शायद काफी समय बाद वो झड़ी थीं। आज उन्होंने लाइट पिंक रंग का शॉर्ट ट्रांसपेरेंट स्लीवलेस सूट पहना था। उनके खड़े हुए मम्मे और लो-कट सलवार से आधे मम्मे साफ दिख रहे थे। उनकी पजामी से पैंटी की डिजाइन साफ नजर आ रही थी। मन कर रहा था कि अभी नंगा करके रेप कर दूँ। मैं पूरी क्लास यही सोचता रहा कि इसके साथ बॉन्डेज में कितना मजा आएगा। ये मुझे “दीपेंद्र बेटा” कहेगी, और दर्द में कैसी लगेगी। जब मैं इसे रुलाऊँगा, तो ये मुझे कैसे रोकेगी। क्लास खत्म हुई। मैम क्लास से बाहर जा रही थीं। मैं उनके पास गया।

मैं: “मैम, आपसे कुछ बात करनी है।”

मैम: “बोलो।”

मैं: “थोड़ी लंबी बात है। स्कूल खत्म होने के बाद मिलूँ?”

मैम: “ओके।”

पूरा दिन मैं स्कूल खत्म होने का इंतजार करता रहा। प्लान के मुताबिक, स्कूल खत्म होने के बाद मैम क्लास में आईं। क्लास में सिर्फ हम दोनों थे।

मैं: “मैम, मुझे सब्जेक्ट में कुछ डाउट है। अगर आप बुरा न मानें, तो मैं आपके घर ट्यूशन के लिए आ सकता हूँ?”

मैम: “अरे, बिल्कुल। वैसे भी मैं घर पर अकेली रहती हूँ। मेरे पति दिल्ली से बाहर ही रहते हैं। तुम आ जाओगे, तो थोड़ा टाइम भी कट जाएगा।”

मैं: “ठीक है, मैम। तो आप मुझे हर सब्जेक्ट में थोड़ी-थोड़ी हेल्प कर देना। मैं आपके पास ज्यादा देर रह सकूँगा। इससे आप भी बोर नहीं होंगी, और मैं पढ़ाई भी कर पाऊँगा।”

मैम: “ओके। तुम शाम को 5 बजे घर आ जाना।”

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मैं: “ओके।”

शाम को मैं मैम के घर पहुँचा और दरवाजा नॉक किया। मैम ने दरवाजा खोला। मैं तो देखता ही रह गया। मैम ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, और स्लीवलेस ब्लाउज, जो आगे से खुलता था। उनके मम्मे साड़ी के ऊपर से उभरे हुए थे, और ब्लाउज इतना टाइट था कि उनकी ब्रा की स्ट्रिप्स साफ दिख रही थीं।

मैं: “हाय, मैम।”

मैम: “अंदर आ जाओ, दीपेंद्र।”

मैम ने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद सामने बैठ गईं।

मैम: “क्या लोगे? ठंडा या गर्म?”

मैं: “कुछ ठंडा ले आओ, मैम।”

मैम कोल्ड ड्रिंक लेकर आईं। जब वो झुकीं, तो उनका पल्लू नीचे गिर गया। उनकी ब्रा की स्ट्रिप बाहर निकली हुई थी। मैं उनके मम्मे देखने लगा। उनके मम्मे का साइज 36 से कम नहीं था। मैम ने पल्लू ठीक किया और मेरे पास बैठ गईं।

मैं: “मैम, आपकी ब्रा की स्ट्रिप निकल रही है।”

मैम: “बदमाश, क्या-क्या देखता रहता है?”

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मैं: “एक औरत में ये न देखूँ, तो क्या देखूँ?”

मैम: “तो क्या लगता है? कैसी है?”

मैं: “मैम, सच बोलूँ? बहुत बड़े और सेक्सी हैं।” (लगता है, मैम अब मुझमें इंट्रेस्टेड हैं। आज तो इन्हें चोद के रहूँगा।)

मैम: “चल, पागल कहीं का।”

मैं: “बस, ये नहीं पता कि सॉफ्ट हैं या नहीं।”

मैम: “सॉफ्ट भी हैं। अब ये मत कहना कि छूकर देख लूँ।”

मैं: “आपने तो मेरे मुँह की बात ही छीन ली।”

मैम: “अरे, मैं तो मजाक कर रही थी, और तू सीरियस हो गया।”

मैं: “मैम, प्लीज। एक बार, सिर्फ एक बार।”

मैम: “मैं तुझे ऐसा करता नहीं देख सकती।”

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मैं: “तो आप आँखें बंद कर लो। प्लीज, मैम, प्लीज!”

मैम: “ओके, ओके। सिर्फ एक बार।”

मैम ने अपना पल्लू हटाया और आँखें बंद कर लीं। फिर बोलीं, “जल्दी कर।”

मैंने अपना हाथ उनके मम्मों की तरफ बढ़ाया और दबाने लगा। वो इतने सॉफ्ट थे कि मेरे हाथ में भी नहीं आ रहे थे। मेरा मन बहुत एक्साइटेड हो गया। मेरा लंड फिर कड़ा हो गया। मैम भी सिसकियाँ ले रही थीं, “आह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह…” उन्हें मजा आ रहा था। तभी मैंने उनके निप्पल को ब्लाउज के ऊपर से दबा दिया। वो जोर से चीख पड़ीं, “बास्टर्ड… छोड़ मुझे!”

मैम: “बस कर!”

मैं: “सॉरी, अगर आपको दर्द हुआ।”

मैम: “बस, अपने बुक खोल और पढ़ना शुरू कर।”

मैम: “तो आज क्या स्टडी करोगे?”

मैं: “आज पहला दिन है, मैम। आज कुछ स्टडी नहीं करूँगा। आपका घर देखना चाहता हूँ।”

मैम: “पहले ये मैम-मैम बंद कर। तुम मेरे घर पर हो, स्कूल में नहीं। तुम मुझे नाम से बुला सकते हो, दीपेंद्र बेटा।”

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मैं: “तो फिर अगर आप मुझे दीपेंद्र बेटा बोल रही हैं, तो मैं आपको मम्मी बोल सकता हूँ?”

मैम: “मुझे मम्मी बोलना चाहता है?”

मैं: “आप भी तो दीपेंद्र बेटा बोल रही हैं।”

मैम: “ठीक है। मेरे घर में तू मुझे मम्मी बोल ले, और मैं तुझे दीपेंद्र बेटा बोलूँगी। इसे अपना ही घर समझ। कोई रोक-टोक नहीं है। जो करना है, कर।”

मैं: “तो मैं थोड़ी देर टीवी देखना चाहता हूँ।”

मैम: “उधर बेडरूम में है। चला जा।”

मैं मम्मी के बेडरूम में गया और टीवी देखने लगा। इधर-उधर का सामान भी देख रहा था। तभी मेरी नजर एक कपबोर्ड पर पड़ी। खोलकर देखा, तो हैरान रह गया। उसमें ढेर सारे डिल्डो और बॉन्डेज का सामान था। मेरे दिमाग में ख्याल आया कि क्यों न अपना कैमरा फोन ऑन करके यहाँ बेडरूम में छुपा दूँ, ताकि जो भी इस कमरे में हो, फोन उसे रिकॉर्ड कर ले। मैंने वैसा ही किया। फोन छुपा दिया और आवाज लगाई, “मम्मी, इस कपबोर्ड में क्या है?”

मम्मी: “मेरा प्राइवेट सामान है, दीपेंद्र बेटा।”

मैं किचन में गया, जहाँ मम्मी खड़ी थीं। उनके पीछे खड़ा हो गया। उनकी गांड बहुत सेक्सी लग रही थी। साड़ी उनकी गांड की दरार में घुसी हुई थी। मेरा लंड उसे देखकर खड़ा होने लगा।

मैं: “मम्मी, कपबोर्ड में सामान की क्या जरूरत है?”

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मम्मी: “जब अकेली होती हूँ और बदन में आग लगती है, तो उसे यूज करना पड़ता है।”

मैं: “क्यों, मम्मी?”

मम्मी: “मेरा हरामी पति घर ही नहीं आता। बाहर रंडियों के साथ सेक्स करता है।”

मैं: “मम्मी, आप कब से ऐसी बातें करने लगीं?”

मम्मी: “कैसी?”

मैं: “जैसी आप अभी कर रही हैं। थोड़ी गंदी…”

मम्मी: “मैं तो घर पर ऐसी ही बात करती हूँ।”

मैं: “गालियाँ देकर?”

मम्मी: “हाँ।”

मैं: “आपको कौन सी गालियाँ आती हैं?”

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मम्मी: “सारी की सारी।”

मैं: “तो बताओ, बूब्स को हिंदी में क्या कहते हैं?”

मम्मी: “चूची या मम्मे।”

मैं: “और चूत को?”

मम्मी: “चूत।”

मैं: “और लंड को?”

मम्मी: “लंड को लंड कहते हैं।”

मैं: “मम्मी, वैसे एक बात बताऊँ?”

मम्मी: “क्या?”

मैं: “अगर आपको याद हो, परसों आप चैटिंग कर रही थीं।”

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मम्मी: “हाँ।”

मैं: “वो मैं ही था, जिससे आप चैटिंग कर रही थीं।”

मम्मी की आँखें फटी की फटी रह गईं। वो हैरान थीं। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था।

मम्मी: “क्या?!”

मैं: “हाँ।”

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मम्मी: “तो तू है जो अपनी रंडी माँ को चोदना चाहता है, वो भी बॉन्डेज में?”

मैं: “हाँ, और तू ही तो है मेरी रंडी माँ।”

मम्मी: “तो तू क्या सोचता है अपनी रंडी माँ के बारे में? कैसे चोदना चाहता है?”

मैं: “रंडी माँ, तुझे बेड पर बाँधकर, तेरे कपड़े फाड़कर, तेरा रेप करना चाहता है।”

मम्मी: “अपनी रंडी माँ को दर्द देना चाहता है?”

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मैं: “बहुत सारा दर्द।”

मम्मी: “तो दिखा, अपनी रंडी माँ को तू कितना दर्द दे सकता है।”

मैं मम्मी के पीछे खड़ा हो गया और अपना लंड उनकी गांड से सटा दिया। उनके कंधे पर किस किया और उनका ब्लाउज खोलने लगा। मेरा लंड उनकी गांड में घुसा हुआ था।

मम्मी: “ये क्या कर रहा है?”

मैं: “तुझे नंगा कर रहा हूँ, रंडी माँ।”

मम्मी: “रंडी माँ को नंगा करना चाहता है?”

मैं: “हाँ।”

मैंने उनका ब्लाउज खोला। उनकी ब्रा मेरे हाथ में आ गई। उनकी चूचियाँ दिखने लगीं। उनके निप्पल एकदम खड़े थे। मैंने एक निप्पल पर किस किया। मेरा मुँह उनके निप्पल पर था।

मम्मी: “दीपेंद्र बेटा, बेडरूम में चल।”

मैं मम्मी के होंठों को चूसते हुए उन्हें बेडरूम में ले गया। दीवार के सहारे खड़ा हो गया। मेरा छुपा हुआ कैमरा सब रिकॉर्ड कर रहा था।

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मम्मी: “दर्द दे अपनी रंडी माँ को।”

मैंने उनकी ब्रा फाड़ दी। उनके मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा। उनके निप्पल बिल्कुल कड़क हो गए थे।

मम्मी: “हरामजादे… कुत्ते, अपनी रंडी माँ का रेप कर, मादरचोद!”

ये सुनकर मैं और पागल हो गया। उनकी चूचियों को और बेरहमी से दबाने लगा। वो एक्साइटमेंट में आवाजें निकाल रही थीं, “आआह्ह्ह… ये क्या कर रहे हो, दीपेंद्र बेटा… उफ्फ… दबा-दबाकर ही मुझे लाल कर दोगे क्या… ओह, तेरी रंडी माँ की चूचियाँ… हाय… गई… हाँ… और कर… उफ्फ… ये क्या… उम्म… ओह… मेरी चूचियाँ… ओह… इतना दर्द… बहुत अच्छा लग रहा है… पहली बार दर्द में अच्छा लग रहा है… ओह, मेरा बच्चा… ओह, मेरा मादरचोद बच्चा… दीपेंद्र बेटा… आज मार डालोगे क्या… ओह, मैं मर जाऊँगी… बस… दीपेंद्र बेटा… ओह… अभी सिर्फ चूची दबाया है, तो ये हाल है मेरा… आगे क्या होगा? रंडी माँ को मार डाला तूने, मादरचोद… रंडी माँ को मार डाला!”

मैं: “ओह, गॉड… क्या बूब्स हैं, रंडी माँ!”

मम्मी ने खुद को रंडी माँ का नाम दे लिया, जो मुझे भी पसंद आया। कमरे में उनकी सिसकियाँ गूँज रही थीं, “आह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… हम्म्म… आह्ह्ह… आह्ह्ह… ओह्ह्ह… और जोर से, मादरचोद… और जोर से, दीपेंद्र बेटा… वाउ… वाउ… तू जो बोलेगा, वो मैं करूँगी, मेरा बच्चा… आह्ह्ह… स्स्स्स्स… और जोर से… उह्ह्ह… आह्ह्ह… उम्म्म्म… उईईई…”

मम्मी: “मुझे प्यार करो… मुझे चोदो…”

मैं: “रंडी माँ, तुझे नंगा करना चाहता है तेरा हरामी दीपेंद्र बेटा।”

मम्मी: “कर दे नंगा अपनी मम्मी को।”

मैंने उनकी साड़ी उतारनी शुरू की। अब मम्मी सिर्फ पेटीकोट में थीं। मैंने पेटीकोट को ऊपर सरका दिया। अंदर उनकी सफेद पैंटी थी, जो पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने अपनी नाक उनकी चूत वाले स्पॉट पर लगाई। बहुत अच्छी खुशबू थी। मैंने जीभ से उस गीले स्पॉट को चाटा। मम्मी और खुश हो गईं।

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मम्मी: “मेरी चूत की खुशबू सूँघ रहा है… मेरी चूत ही सूँघ ना… कैसी लगती है तेरी रंडी माँ सिर्फ पेटीकोट में?”

मैं: “रंडी, जो चुदने के लिए तड़प रही हो।”

मैं: “रंडी माँ, तेरा दीपेंद्र बेटा तेरी पैंटी उतारना चाहता है।”

मम्मी: “उतार दे, मादरचोद। अपनी रंडी माँ की पैंटी उतार।”

मैंने पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर पैंटी पकड़ी और एक झटके में खींचकर फाड़ दी। मम्मी दर्द में चीख पड़ीं, “आआआह्ह्ह्ह…” मैंने पेटीकोट के ऊपर से उनकी चूत पकड़ ली।

मैं: “बता, तू क्या है मेरी?”

मम्मी: “तेरी रंडी माँ।”

मैं: “और?”

मम्मी: “तेरी रंडी… तेरी रखैल रंडी माँ… तेरी चुदक्कड़ रंडी माँ…”

मैं: “और मैं कौन हूँ तेरा?”

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मम्मी: “मेरा मादरचोद दीपेंद्र बेटा… मेरा हरामी बच्चा… मेरा दलाल… रंडी माँ चोदने वाला कुत्ता दीपेंद्र बेटा, जो अपनी रंडी माँ को नंगा करता है, उसके कपड़े उतारता है, जो अपनी रंडी माँ को चोदना चाहता है, और जो अपनी रंडी माँ की चूत को जोर-जोर से दबाने लगता है, जो अपनी रंडी माँ का बलात्कार करता है, उसका रेप करता है… आह्ह्ह… उह्ह्ह… उईईई… आह्ह्ह… बस… दीपेंद्र बेटा… आह्ह्ह… ओह्ह्ह… जोर से… नहीं… आह्ह्ह…”

मैं एक तरफ उनकी एक निप्पल दबा रहा था, दूसरी निप्पल को जोर-जोर से चूस रहा था, और दूसरी तरफ उनकी चूत रगड़ रहा था। मम्मी सिसकियाँ ले रही थीं, “आआआह्ह्ह… स्स्स्स्स… ओह, फक मी, फक मी… चोद डालो… आज फाड़ डाल रंडी माँ की चूत को, मेरे बेटे…”

मैंने उनका पेटीकोट पकड़ा और खींचकर फाड़ दिया। अब मम्मी की चूत सामने थी। एकदम क्लीन शेव, पिंक चूत। उनका गोरा बदन मुझे और पागल कर रहा था। मम्मी रंडियों की तरह बोल रही थीं।

मम्मी: “बेटा, दीपेंद्र बेटा, अपनी रखैल माँ का रेप करना चाहता है?”

मैं: “हाँ, तेरा रेप करना चाहता हूँ, रंडी माँ।”

मम्मी: “तू अपनी रंडी माँ को चोदना चाहता है ना?”

मैं: “हाँ, मैं अपनी रंडी माँ को चोदना चाहता हूँ।”

मम्मी: “अपनी रंडी माँ को गालियाँ दे… और बहुत सारी गालियाँ दे… मम्मी को अच्छा लगता है जब दीपेंद्र बेटा रंडी माँ को गालियाँ देता है। तू गालियाँ देगा ना?”

मैं: “हाँ, रंडी माँ, तुझे बहुत गालियाँ दूँगा।”

मम्मी: “और अगर मैं तुझे रुकने को कहूँ, तो तू रुकेगा नहीं?”

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मैं: “नहीं रुकूँगा।”

मम्मी: “अगर मैं रो भी जाऊँ, चीख मारूँ, या मुझे बहुत दर्द हो, तो भी नहीं रुकेगा?”

मैं: “रंडी माँ, तू मेरी रखैल है। मैं तेरे साथ सारी गंदी हरकतें करूँगा। वो सब करूँगा जो तू चाहती है और जो मैं चाहता हूँ।”

मम्मी: “तू अपनी रंडी माँ को तड़पता देखना चाहता है ना?”

मैं: “हाँ, रंडी माँ, तुझे तड़पाना चाहता हूँ।”

मम्मी: “तो अब तड़पा अपनी रंडी माँ को, दीपेंद्र बेटा। जितना तड़पा सकता है, अपनी चिनाल रंडी माँ को।”

मैंने उनके होंठों को चूसना शुरू किया। मम्मी ने मेरी शर्ट उतार दी और मेरी छाती चाटने लगीं। फिर मेरा लोअर भी उतार दिया। मेरा लंड बाहर आ गया। जब मम्मी ने देखा, तो उन्हें जैसे नशा सा चढ़ गया। वो मेरे लंड को देखती रह गईं।

मैं: “क्या देख रही है, मेरी रखैल माँ?”

मम्मी: “मेरे बेटे का लंड इतना बड़ा और मोटा है। मुझे इससे चोदेगा ना? अपनी रंडी माँ की इज्जत इसी लंड से लूट, मेरे मादरचोद बेटे।”

मैंने अपनी दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाल दीं और कहा, “चाट, रंडी। इसे चाट पहले और गीला कर दे।”

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मम्मी मेरी उंगलियाँ चाट रही थीं और उन्हें गीला कर दिया। फिर मैंने उंगलियाँ उनकी चूत पर रख दीं।

मम्मी: “चोद दे… दीपेंद्र बेटा… चोद दे… अपनी मम्मी को… चोद दे।”

मैं: “रंडी माँ, अब तुझे और दर्द होगा।”

मैंने अपनी गीली उंगलियाँ उनकी चूत में जोर से धकेल दीं। उनकी चूत बहुत टाइट थी। मम्मी जोर से चीख पड़ीं, “ओहोह्ह्ह… स्स्स्स… किल मी, डियर… ओआह्ह्ह… क्या मेरी चूत फाड़ ही डालोगे, मादरचोद… आह्ह्ह्ह… और अंदर, दीपेंद्र बेटा… और अंदर… कर, दीपेंद्र बेटा, मजा आ रहा है।”

मैं अपनी उंगलियाँ तेजी से अंदर-बाहर करने लगा। मम्मी पागल हुई जा रही थीं। उनकी चूत बहुत गर्म थी। उनके मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं, “आह्ह्ह… हम्म्म्म… ह्ह्हा… येस्स्स्स… ओह्ह्ह… आआह्ह्ह… ये क्या करने लगे… छोड़ो मुझे… जल्दी प्लीज छोड़ो… आह्ह्ह… मुझे नहीं चुदवाना तुमसे… जाओ, अपनी असली माँ को चोदो, मादरचोद… आआह्ह्ह्ह…”

मैं भी पूरा गर्म हो चुका था। मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया था, लेकिन मैं मम्मी को और तड़पता हुआ देखना चाहता था।

मैं: “रंडी माँ, अपनी टाँगें खोल और हाथ ऊपर कर।”

मम्मी ने टाँगें खोल दीं और हाथ ऊपर कर दिए।

मैं: “रंडी माँ, अब तुझे और मजा आएगा।”

मम्मी: “दे अपनी रंडी माँ को दर्द, दीपेंद्र बेटा।”

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मैंने उनके चूत के होंठों को चूमना शुरू किया। फिर उनकी चूत के लिप्स को चाटने लगा। उनके शरीर को उत्तेजना देने के लिए ये काफी था। वो तड़पने लगीं, “आह्ह्ह्ह… न्न्न्नाह्ह्हीीी…” उनकी आँखों में आँसू आ गए थे। उन्हें एक्साइटमेंट हो रहा था, और मजा भी आ रहा था। उनकी मस्ती भरा चेहरा देखकर मैं और पागल हो गया।

मैंने फिर उनकी चूत को जोर से चूसा। चूत के लिप्स को दाँतों से काटा। फिर चूत के दाने पर जीभ फिराई। उसे मुँह में लेकर चूसने लगा। उनकी चूत पानी छोड़ रही थी। मुझे उसका स्वाद बहुत मजेदार लग रहा था। मैंने जीभ को और अंदर घुसेड़ा। उनकी चूत के अंदर तक मेरी जीभ चली गई। फिर चूत के मांस को चूसा। जोर-जोर से चूसने लगा।

मम्मी: “आआआह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह…”

उनका दर्द भरा चेहरा देखकर मैं और पागल हो गया। मैं उनकी चूत के गीलेपन को चाटने लगा। मम्मी मस्ती से रो रही थीं और बड़बड़ा रही थीं, “आआआह्ह्ह… ह्ह्ह्ह… आह्ह्ह… आह्ह्ह… रंडी माँ की चूत चाट… और चाट, माँ… स्स्स्स्स… आआह्ह्ह… स्स्स्स्स… वैसे और करता जा अपनी गंदी रंडी माँ को… आह्ह्ह… मार डाल मुझे… आआह्ह्ह… मैं तेरी गंदी रंडी माँ हूँ… आआह्ह्ह…”

मैंने उनके बाल पकड़े और उनका चेहरा अपने लंड के सामने ले आया।

मैं: “देख, रंडी माँ, तेरे बेटे का लंड कितना बड़ा है। तेरी चूत को ये फाड़कर रख देगा।”

मम्मी: “हाय, मेरा हरामी दीपेंद्र बेटा। रंडी माँ की चूत फाड़ देगा।”

मैं: “हाँ, मेरी रखैल।”

मम्मी: “और क्या करेगा तू अपनी गंदी रंडी माँ के साथ?”

मैं: “चाट अपने बेटे का लंड।”

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मम्मी: “हाय, मेरे बेटे का लंड इतना बड़ा है। तू जो कहेगा, वो ही करूँगी।”

मेरा लंड उनके मुँह के पास था। मम्मी मेरे लंड को खूब चाट रही थीं। 5 मिनट तक चाटती रहीं। कई बार उन्होंने मेरा लंड मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन मैं उनके बाल पकड़कर हटा देता।

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मम्मी: “अब अपनी नंगी रंडी माँ को बेड पर ले जा, दीपेंद्र बेटा।”

मैं: “रंडी, अब तो मैं तुझे बेड पर बाँधकर चोदूँगा।”

मैंने मम्मी को बेड पर लिटा दिया। उन्हें नंगा देखकर मेरी साँसें फूल रही थीं। मम्मी बोलीं, “आआह्ह्ह… हरामी मादरचोद… चोद ना मुझे…”

मैंने कपबोर्ड से डिल्डो निकाला और मम्मी के दोनों हाथ ऊपर करके बेड पर बाँध दिए। फिर उनकी टाँगें पकड़ीं और जोर से खोल दीं। उनकी चूत में डिल्डो घुसेड़ दिया। वो चीख पड़ीं, “आआह्ह्ह… आआआह्ह्ह… नाह्ह्हीीी… मादरचोद!”

मम्मी को बहुत दर्द हुआ। वो दोनों टाँगें खोलकर पड़ी थीं। नजारा कुछ ऐसा था कि एक औरत, जो पूरी नंगी बेड पर बँधी पड़ी है, वो मेरी मम्मी है। वो मेरी रंडी माँ का रोलप्ले कर रही थी, और उसका दीपेंद्र बेटा अपने लंड को पकड़कर नंगा खड़ा था। मम्मी को इस सेक्स रोलप्ले में मजा आ रहा था। वो खुलकर मेरा साथ दे रही थीं। डिल्डो उनकी चूत में घुसा था, और वो उसे एंजॉय कर रही थीं।

मैं: “बोल, रखैल माँ, चुदना चाहती है तू अपने बेटे से?”

मम्मी: “चोद दे अपनी रखैल माँ को… अपनी रखैल को, मादरचोद, चोद ना… आआआह्ह्ह्ह… मेरा हरामी बच्चा…”

मम्मी चीख रही थीं, “आआआह्ह्ह्ह… फक मी, सन… आआह्ह्ह… आआआईईई… फक मी, योर मम… आआआह्ह्ह… हा हा… फक मी हार्ड… कम इनसाइड योर मम… आआआह्ह्ह्ह… फिल मी विद योर कम, सन…”

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मम्मी: “चोद दे मुझे, दीपेंद्र बेटा। चोद भी दे अपनी रंडी माँ को। इतना मत तड़पा।”

मैंने डिल्डो उनकी चूत से निकाला। डिल्डो पूरी तरह गीला था। मैंने उसे प्यार से चाटा और मम्मी का रस पिया। फिर उसे उनकी गांड पर लगाकर कहा, “रंडी, ये डिल्डो एक झटके में तेरी गांड फाड़ता हुआ जाएगा, लेकिन तुझे दर्द नहीं होगा। डालूँ इसे तेरी गांड में?”

मम्मी: “नाहीीी… ऐसा मत कर, दीपेंद्र बेटा। मैं तेरी रंडी माँ हूँ।”

मैंने एक न सुनी और उनकी गांड में गीला डिल्डो घुसेड़ दिया। मम्मी चिल्लाने लगीं, “आआआह्ह्ह्ह… हाय… रीीी… हरामी… रंडी माँ… अब मजा आ रहा है… डाले रहो इसे…”

मैं रुका नहीं और उनकी गांड में डिल्डो धकेलता रहा। वो दर्द में चीख रही थीं, “आआह्ह्ह्ह… बस… दीपेंद्र बेटा… बस… रुक जा… दीपेंद्र बेटा… तेरा लंड चाहिए मुझे, ये डिल्डो नहीं… रुक जा… दीपेंद्र बेटा, तुझे तेरी रंडी माँ की कसम… रुक जा… आआह्ह्ह्ह…”

मम्मी चाहती थीं कि मैं डिल्डो निकाल दूँ, लेकिन मैं रुका नहीं। 10 मिनट तक वो चीखती रहीं, और मैं उनकी गांड में डिल्डो डालता रहा।

मैं: “मेरी रखैल माँ, अब मैं तुझे और तड़पाऊँगा।”

मम्मी: “नाहीीी… मैं और नहीं सह सकती…”

उनकी गांड में डिल्डो अभी भी अंदर था। मैंने अपना लंड निकाला और कहा, “रखैल माँ, अब तू अपने बेटे का लंड चूसेगी।”

मम्मी: “तेरा बहुत बड़ा है। मुँह में नहीं आएगा।”

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मैं: “चुप, साली रखैल। मुँह खोल अपना।”

मम्मी ने मुँह खोल लिया और मेरे लंड का इंतजार करने लगीं। फिर मैंने अपने लंड से उनके चेहरे पर धीरे-धीरे मारना शुरू किया। मम्मी को बहुत अच्छा लगा। वो बोलीं, “आआआ… नाह्ह्हीी… बस कर…”

मैंने एक झटके में उनका मुँह अपने लंड से भर दिया। एक्साइटमेंट में मैंने इतने जोर से डाला कि मेरा लंड उनके गले तक पहुँच गया।

मम्मी: “म्म्म्ह्ह्ह… म्म्म्ह्ह्ह… अम्म्म…”

10 मिनट तक उनका मुँह चोदने के बाद मैंने लंड निकाला। मम्मी ने जोरदार साँस ली, “याह्ह्ह्ह… ह्ह्ह्ह…”

मैं: “क्या हुआ, रंडी?”

मम्मी: “बस कर, दीपेंद्र बेटा। अब बस कर।”

मैं: “अभी तो शुरू हुआ है, मेरी रखैल माँ।”

मैं थोड़ा नीचे हुआ और उनकी गांड देखी। डिल्डो अभी भी अंदर था।

मैं: “रंडी माँ, अब मैं तुझे चोदूँगा।”

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मम्मी: “चोद दे, हरामी… चोद दे अपनी रंडी माँ को।”

मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा। मम्मी सिसकियाँ लेने लगीं, “आआह्ह्ह… आआह्ह्ह… कम ऑन, फक डियर, कम ऑन… अंदर डालो अपना लंड, बेटा। मुझसे बर्दाश्त नहीं होता अब।”

मैंने उनकी चूत पर लंड रखा और एक हाथ से डिल्डो पकड़ लिया। मैं उनकी चूत भी चोदने वाला था और डिल्डो से उनकी गांड भी मारने वाला था। फिर एक जोरदार धक्के से मैंने अपना लंड अंदर घुसेड़ दिया।

मम्मी चीख उठीं, “आआआह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… ऐसे ही चोदो… फक मी हार्डर… चोद, दीपेंद्र बेटा… ओह्ह्ह… निकाल मेरी गांड से डिल्डो… मादरचोद… हरामी… तुझे पता नहीं तू क्या कर रहा है… ओह्ह्ह… आह्ह्ह… मेरी गांड फटेगी क्या?”

मैं: “पता है, मुझें… रंडी माँ, तुझे मजा आ रहा है ना? बोल।”

मम्मी: “फक मी, दीपेंद्र बेटा… चोद मुझे, मादरचोद… हरामी… चोद मेरी चूत… ऐसे ही… चोद… आह्ह्ह्ह… ओह, याह्ह्ह्ह… बेबी… ओह, बेबी, याह्ह्ह्ह…”

मैं: “ओह्ह्ह, यू आर सो वेट… म्म्म… रंडी माँ…”

मम्मी: “चोद… चोद… ऐसे ही… चोद, हरामी… और जोर-जोर से… मादरचोद… हरामी, और ताकत लगा…”

मैं: “साली चुड़ैल… चिनाल… ले मेरा लौड़ा… ले…”

मैं एक तरफ अपने लंड से उनकी चूत में मार रहा था और दूसरी तरफ डिल्डो उनकी गांड में धकेल रहा था।

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मम्मी: “चोद… फक मम्मी हार्डर… येस… फक योर रंडी माँ… आह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… ऐसे ही, फास्टर… दीपेंद्र बेटा…”

मैं बड़बड़ा रहा था, “हाँ, माँ… तेरी चूत ने मुझे दीवाना कर दिया… मेरा लौड़ा आज से तेरा है…”

मम्मी: “दीपेंद्र बेटा, झड़ने वाली हूँ… झड़ने वाली हूँ… आआह्ह्ह्ह… आह्ह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह… येस्स्स्स…”

उनकी चूत से पानी का फव्वारा निकल पड़ा। वो जोर से चीखीं, “ओह, गॉड… फक… मम्मी…”

लेकिन मैं उन्हें चोदता रहा। मम्मी झड़ चुकी थीं, पर मैं रुका नहीं। अब मैं जो करने जा रहा था, वो मम्मी बिल्कुल सह नहीं सकती थीं। उनकी गांड में जो डिल्डो था, वो वाइब्रेटिंग डिल्डो था। मेरी उंगली उसके बटन पर थी। मैंने उसे दबा दिया।

“र्र्र्र… आआआह्ह्ह्ह… र्र्र्र… बस… र्र्र्र… रुक जा… दीपेंद्र बेटा…”

मैं चोदता रहा, “ओह्ह्ह, बेबी… फक यू… रंडी माँ…”

मम्मी: “ओह, फक मी… आह्ह्ह, याह्ह्ह… ओह, गॉड… आह्ह्ह… याह्ह्ह… आओ… आओ… हार्डर… ओह्ह्ह्ह… चोद दो मुझे… मैं तुम्हारी रंडी हूँ…”

20 मिनट तक मैं उन्हें ऐसे ही चोदता रहा। फिर मम्मी बोलीं, “हियर आई कम… दीपेंद्र बेटा, मैं झड़ने वाली हूँ…”

मैं: “कम ऑन मी… रंडी माँ… गिव इट टु मी… रंडी माँ…”

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मम्मी: “ओह, माय गॉड… ओह, याह्ह्ह… हाय… मैं मर गई… रंडी माँ मर गई… आआह्ह्ह्ह…”

उनकी चूत से फिर पानी का फव्वारा निकला। मम्मी दो बार झड़ चुकी थीं, और मैं एक बार भी नहीं।

मम्मी: “बस कर, दीपेंद्र बेटा। हो गया अब…”

मैं: “रखैल माँ, अभी मैं नहीं झड़ा हूँ।”

मम्मी: “बस कर, भेनचोद… मादरचोद… कुत्ते, हरामजादे, माँ के दल्ले, भड़वे, मादरचोद…”

मैं अब भी उन्हें चोद रहा था। मैंने एक और डिल्डो लिया और उनकी चूत में, जहाँ मेरा लंड पहले से चोद रहा था, उसे भी डाल दिया।

मम्मी: “ओह्ह्ह्ह… नो… बेटा… नहीं… ओह, नो… रुक… रुक… बस… रुक… ओह, नो…”

मैं: “मैं झड़ने वाला हूँ… झड़ने वाला हूँ…”

मम्मी: “झड़… मैं झड़ चुकी… झड़… आआआह्ह्ह्ह…”

उनकी चूत से तीसरी बार पानी बहने लगा। मेरा लंड पूरी तरह गीला हो चुका था। मम्मी तीसरी बार झड़ चुकी थीं। उनकी आँखें बंद होने को थीं। मैं भी अब झड़ने वाला था।

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मैं: “ओह, रंडी माँ… ओह्ह्ह… रंडी माँ… आह्ह्ह्ह… फक…”

मम्मी: “चोद अपनी रंडी माँ को… मुझे अपनी रंडी बना… हाय… ओह्ह्ह… आआह्ह्ह… ऐसे ही…”

मैं: “मैं झड़ा… मैं झड़ा… कमिंग… रंडी माँ… आह्ह्ह्ह…”

मम्मी: “ओह्ह्ह… मैं कमिंग… आह्ह्ह्ह… ओह, रंडी माँ…”

मेरे लंड से पानी छूट गया और उनकी चूत के अंदर ही रह गया। मैंने देखा, मम्मी कुछ बोल नहीं रही थीं। वो तीन बार झड़ने के बाद बेहोश हो गई थीं। मैंने रस्सियाँ खोल दीं। आधे घंटे बाद उनकी आँख खुली। उन्होंने मुझे देखा।

मम्मी: “क्या हो गया था?”

मैं: “रंडी माँ, तू बेहोश हो गई थी। तू तीन बार झड़ गई थी।”

मम्मी: “मेरा बच्चा, मम्मी के पास आ जा।”

मैं: “लव यू, रंडी माँ।”

मम्मी: “लव यू टू, मेरा बच्चा।”

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मम्मी: “दीपेंद्र बेटा, तूने आज जैसा चोदा है, कोई और मुझे नहीं चोद सकता। काश ये पल मैं हमेशा के लिए कैद कर सकती।”

मैं: “रंडी माँ, तेरे लिए एक गिफ्ट है।”

मम्मी: “क्या है?”

मैंने अपना मोबाइल दिखाया और कहा कि इसमें एक वीडियो है, जिसमें सब कुछ रिकॉर्ड है। मम्मी ने वीडियो देखा और रो पड़ीं।

मैं: “रो मत, रंडी माँ। ये वीडियो तेरे लिए ही है। मैं किसी को नहीं दिखाऊँगा।”

मम्मी: “मैं इसलिए रो रही हूँ क्योंकि जितना प्यार तू मुझसे कर सकता है, उतना प्यार कोई और नहीं कर सकता। लव यू, दीपेंद्र बेटा।”

मैं: “लव यू टू, मम्मी।”

मैं: “तो क्या मैं तुझे रोज चोद सकता हूँ, रंडी माँ?”

मम्मी: “हाँ, मेरा बेबी। आखिर तू मेरा दीपेंद्र बेटा है, और मैं हूँ तेरी रंडी माँ।”

मम्मी ने मुझे जोर से किस किया। मैंने फिर उनकी नंगी चूचियाँ दबाईं। एक बार फिर उनकी चूचियाँ चूसीं। अब उन्हें बहुत दर्द हो रहा था। मैंने उनके लिए चाय बनाई और पेनकिलर दी। फिर हम साथ में शावर में नहाए। मैं घर चला गया। मैं अक्सर मम्मी के घर जाता था, उन्हें चोदने के लिए। हम कई दिन से चुदाई कर रहे हैं।

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