2 मैकेनिक ने मेरी चूत की मस्त चुदाई भरी सेवा की

Machenic Threesome Sex Story: मेरा नाम कामिनी है और मैं 30 साल की एक गर्म औरत हूँ, जिसके जिस्म की आग हर मर्द को पागल कर दे। मेरी शादी को 7 साल हो चुके हैं, लेकिन ये कहानी पिछले महीने की है, जब मेरी चूत की प्यास ने मुझे दो लंडों की गुलाम बना दिया। मेरा ए.सी. रात को चलते-चलते अचानक बंद हो गया, और उस रात मेरी चूत की गर्मी भी बेकाबू थी। मेरे पति ने सुबह एक मैकेनिक को फोन किया और उसने 11 बजे आने का वादा किया। मेरे पति 10 बजे ऑफिस चले गए और जाते-जाते बोले, “अगर कोई बड़ी दिक्कत हो तो मुझे कॉल करना।” मैं अपने रोज के काम में लग गई, लेकिन मेरी चूत अभी भी पिछले रात की अधूरी चुदाई की खुमारी में तड़प रही थी। मैं 11:30 तक उस मैकेनिक का इंतजार करती रही, पर वो हरामी आया ही नहीं।

आखिरकार मैं नहाने चली गई। नहाकर जब बाहर आई तो कांच के सामने खड़े होकर अपने नंगे जिस्म को देखने लगी। मेरा गोरा बदन, भरे हुए चूचे और टपकती चूत मुझे खुद ही ललचा रही थी। मैंने बॉडी लोशन उठाया और अपने पूरे जिस्म पर लगाने लगी। कल रात ए.सी. खराब होने की वजह से गर्मी इतनी थी कि मेरे पति का लंड मेरी चूत को ठंडा करने में नाकाम रहा। वो बस 5 इंच का छोटा सा खिलौना है, जो मेरी हवस को शांत करने के लिए कुछ भी नहीं। मेरा हाथ धीरे-धीरे मेरी चूत पर चला गया। मैं अपनी गीली चूत को सहलाने लगी, उंगलियां अंदर-बाहर करने लगी और सोचने लगी, “काश कोई मोटा लंड मेरी इस भूखी चूत को फाड़ दे।” मैं उत्तेजना में डूब गई, मेरी सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं।

अचानक मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है। मेरी चूत में आग लगी थी, लेकिन मैंने फटाफट अपनी शॉर्ट नाइटी पहन ली। जल्दबाजी में ब्रा और पैंटी छोड़ दी, वैसे भी घर पर मैं अपनी टांगें और चूत का उभार दिखाने वाली नाइटी ही पहनती हूँ, जो घुटनों से थोड़ा ऊपर तक रहती है। मैं कमरे से बाहर आई तो कोई नहीं था, लेकिन मेन दरवाजा खुला था। “हाय राम, मैं इसे लॉक करना भूल गई!” मैंने सोचा।

दरवाजा बंद करने गई तो वहां एक 30-32 साल का मर्द खड़ा था, हाथ में टूल किट लिए, और उसकी आंखों में मेरे लिए नंगी हवस झलक रही थी। वो मुझे मुस्कुराते हुए घूर रहा था, और उसकी पैंट में 8 इंच का मोटा लंड साफ उभरा हुआ था। मुझे यकीन हो गया कि यही कमीना मुझे अभी नंगी चूत सहलाते देख रहा था और मेरी आहट सुनते ही बाहर आ गया। गलती मेरी थी, दरवाजा लॉक करना चाहिए था। उसकी नजरें मेरे चूचों और चूत पर टिकी थीं, जैसे वो मुझे अभी चोद डालना चाहता हो। “सॉरी मैडम, थोड़ी देर हो गई। मेरा नाम दिलीप है, मैं ए.सी. ठीक करने आया हूँ,” उसने कहा। मैंने उसे अंदर बुलाया और बेडरूम में ले गई। ए.सी. दिखाते वक्त वो मेरी नाइटी के नीचे मेरी नंगी टांगों को घूर रहा था। उसने ए.सी. का कवर खोला और उसे बेड पर रखने के लिए मुड़ा। तभी हमारी नजरें बेड पर पड़ीं, जहां मेरी चूत का रस टपकने से गीला निशान बन गया था। वो सफेद बेडशीट पर मेरी हवस का सबूत साफ दिख रहा था।

हमारी नजरें मिलीं, और उसकी आंखों में मेरे लिए गंदी वासना चमक रही थी। मैं शर्म से लाल हो गई और फटाक से चादर उस निशान पर डाल दी। फिर कमरे से भागकर बाहर आ गई। थोड़ी देर बाद सोचा कि बेडरूम में मेरी ज्वेलरी और कीमती कागजात हैं, कहीं ये हरामी कुछ चुरा न ले। मैं वापस गई और स्टूल पर बैठ गई, लेकिन मेरी चूत अभी भी उस निशान की गवाही दे रही थी।

थोड़ी देर बाद दिलीप बोला, “मैडम, ए.सी. की आउटडोर यूनिट में पानी जा रहा है। शायद पानी की लाइन में दिक्कत है, प्लंबर बुलाना पड़ेगा।” मैंने कहा, “मुझे कोई प्लंबर नहीं पता।” वो बोला, “कोई बात नहीं मैडम, मेरा दोस्त मंटू है, उसे बुला लूं?” मैंने हां में सिर हिलाया। उसने मंटू को फोन किया, और थोड़ी देर में वो भी आ गया। दोनों मिलकर रिपेयर करने लगे। तभी दिलीप ने मुझसे वारंटी कार्ड मांगा। मैंने पति को फोन किया, उन्होंने बताया कि वो अलमारी की ऊपर वाली ड्रॉ में है। मैंने सोचा कि जरूरी कागजात हैं, खुद ही निकालूंगी।

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स्टूल ऊंचा था, मैं चढ़ने लगी। दिलीप ने स्टूल पकड़ा और मुझे सहारा देने के बहाने मेरी कमर पर हाथ रख दिया। ऊपर चढ़ते ही मुझे याद आया कि मैंने पैंटी नहीं पहनी। नीचे देखा तो दिलीप मेरी नंगी जांघों और चूत को ललचाई नजरों से घूर रहा था, उसका लंड पैंट में तनकर और सख्त हो गया था। मैं वारंटी कार्ड ढूंढने लगी, तभी साइड के कांच में नजर पड़ी। बाथरूम में मंटू मेरी पैंटी को सूंघ रहा था और पैंट के ऊपर से अपना लंड मसल रहा था। उसकी हवस देखकर मेरी चूत गीली हो गई, और शक हुआ कि ये दोनों मुझे चोदने की साजिश रच रहे हैं। इसी सोच में मुड़ी तो स्टूल से स्लिप हो गई। दिलीप ने मुझे संभाला, लेकिन उसका हाथ मेरे नंगे चूचों के बीच जा टकराया और दो उंगलियां मेरी गीली चूत में घुस गईं। “आहह… मेरी चूत की मालिश शुरू हो गई!”

दिलीप की उंगलियां मेरी गीली चूत में घुसते ही मेरी चीख निकल गई। मेरी भूखी चूत उस अचानक हमले को झेल नहीं पाई, और मैं उत्तेजना से उछल पड़ी। “आहह… हरामी, ये क्या कर दिया!” मैं चिल्लाई, लेकिन मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं नीचे गिरने लगी। दिलीप ने मुझे पकड़ने की कोशिश की, पर उसका हाथ मेरी नाइटी पर अटक गया। जब तक हम संभलते, मेरी नाइटी फट चुकी थी और उसके हाथ में थी। मैं पूरी नंगी दो मर्दों के सामने खड़ी थी, मेरे गोरे चूचे और टपकती चूत उनके लिए दावत बन चुकी थी। आवाज सुनकर मंटू भी कमरे में दौड़ा आया, और उसकी नजर मेरे नंगे जिस्म पर पड़ते ही उसका लंड पैंट में उछलने लगा।

मैंने शर्म से नजरें झुका लीं और फटाक से पलटकर दीवार की तरफ मुंह कर लिया। मेरी चूत अभी भी दिलीप की उंगलियों की गर्मी महसूस कर रही थी। मैंने मंटू से कहा, “जल्दी से टॉवल दे दो, और तुम दोनों बाहर जाओ!” लेकिन मंटू हंसते हुए बोला, “मैडम, शर्माओ मत, मैं तो तुम्हें पहले ही नंगी देख चुका हूँ। जब दो मर्दों के मोटे लंड तुम्हारे सामने हैं, तो अपनी चूत को हाथ से क्यों तड़पाना? हमारे जाने के बाद तो वैसे भी उंगलियां डालकर अपनी चूत का भोसड़ा बनाओगी। देखो तो, तुम्हारी चूत कितनी गर्म और प्यासी है, बेड पर इसके रस के निशान चीख-चीखकर बता रहे हैं कि तुम्हारा पति तुम्हारी हवस को चोद-चोदकर शांत नहीं कर पाता।”

इतना बोलते-बोलते पता नहीं कब इन दोनों हरामियों ने अपने कपड़े उतार दिए। दिलीप मेरे पीछे आया और अपने 8 इंच के मोटे लंड को मेरी गांड पर रगड़ने लगा। उसका गरम लंड मेरी गांड की दरार में दस्तक दे रहा था, जैसे कह रहा हो, “आज तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ डालूंगा।” मैं चिल्लाई, “नहीं… ऐसा मत करो, मैं शादीशुदा हूँ। मेरे पति को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!” मैं पलटकर भागने की कोशिश करने लगी, पर जैसे ही मुड़ी, सीधे दिलीप की मजबूत बाहों में जा गिरी।

वो मेरे चूचों को निचोड़ते हुए बोला, “मैडम, तुम्हारे पति को कौन बताएगा? तुम जैसी चिकनी, गोरी औरत की चूत हम जैसे मर्दों के नसीब में कहां होती है? आज किस्मत ने मौका दिया है, तो तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर इसका भोसड़ा बनाकर ही छोड़ेंगे। चाहे इसके लिए हमें कुछ भी करना पड़े।” उसने मेरे चूचों को जोर से मसला, मेरे निप्पल्स को चूसने लगा और मेरे होंठों को चूमने की कोशिश करने लगा। तभी मंटू मेरे पैरों के बीच आ गया। उसने मेरी टांगें फैलाईं और अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। वो किसी भूखे कुत्ते की तरह मेरी चूत को चाटने लगा, उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को रगड़ रही थी। पहली बार कोई मेरी चूत को इस तरह चाट रहा था। मेरे पति को ओरल से नफरत थी, पर मंटू मेरी चूत का रस चूस-चूसकर पी रहा था। “आहह… मेरी चूत की मालिश अब चुदाई में बदल रही थी!”

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मैं उत्तेजना से पागल हो गई। रात भर की सेक्स की भूख मेरे जिस्म में आग बनकर जल रही थी। मेरी जांघें सख्त हो गईं, दिमाग सुन्न पड़ गया। मैं सातवें आसमान पर थी, और अचानक एक जोरदार चीख के साथ मेरी चूत से रस का फव्वारा छूट पड़ा। मंटू मेरे चूत के रस को चाट-चाटकर पी गया, और मैं लगातार बहती रही। थोड़ी देर बाद मैं शांत पड़ी, तो हम तीनों बेड पर आ गए। वो दोनों मेरे जिस्म को ऊपर से नीचे तक सहलाने लगे। कभी मेरे चूचों को मसलते, कभी मेरी चूत को रगड़ते, कभी मेरे होंठों को चूसते। मैं उत्तेजना से सिसकारियां भरने लगी, “आहह… चोदो मुझे… मेरी चूत को फाड़ दो!”

मेरी सिसकारियां सुनकर दिलीप ने कहा, “मैडम, मेरा लंड चूसो, इसे अपनी गर्म जीभ से गीला करो।” मैंने मना किया तो मंटू ने मेरे चूतड़ों पर जोर से थप्पड़ मारा। “चल रंडी, अब नखरे मत कर,” उसने कहा और मुझे उल्टा लिटाकर मेरे पेट के नीचे तकिया ठूंस दिया। मेरी गीली चूत अब उसके सामने पूरी खुली थी। उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत में पेल दिया। पहली बार इतना मोटा लंड मेरी चूत में जा रहा था। लंड फिसल गया तो उसने दिलीप से कहा, “साले, इसका पति तो हिजड़ा है। इतनी मस्त रंडी को चोद नहीं पाता। इसकी चूत अभी भी टाइट है, इसका छेद बड़ा करना पड़ेगा।” दिलीप मेरी कमर पर चढ़ गया, मेरे पैर फैलाए और मेरी चूत को और चौड़ा कर दिया। मेरी जांघें दर्द से चीख उठीं।

मैं चिल्लाई, “आहह… आराम से करो, दर्द हो रहा है!” मंटू बोला, “तेरे पति ने तेरी चूत का छेद टाइट छोड़ा है, तो इसे फाड़ने में थोड़ी मेहनत तो लगेगी।” उसने अपनी दो मोटी उंगलियां मेरी चूत में घुसेड़ दीं। मेरी चूत पहले से इतनी गीली थी कि रस टपक रहा था। मुझे अब लंड चाहिए था, पर ये दोनों मेरी जवानी को तड़पा रहे थे।

मंटू की दो उंगलियां मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, और मेरी गीली चूत अब बेकाबू हो चुकी थी। करीब 5 मिनट तक उसने मेरी चूत को उंगलियों से चोदा, और मैं पागल सी हो गई। मेरी चूत लंड के लिए तड़प रही थी। मैं चिल्ला उठी, “प्लीज… अब मत तड़पाओ, अपना मोटा लंड घुसा दो! मेरे दर्द की परवाह मत करो, मेरी चूत को फाड़ डालो। आज इसे चोद-चोदकर इसकी प्यास बुझा दो, नहीं तो मैं मर जाऊंगी!” मंटू ने मेरी बात सुनते ही अपना 8 इंच का मोटा लंड मेरी चूत पर टिकाया। उसका सुपाड़ा इतना मोटा था कि मेरी चूत में जाने का नाम ही नहीं ले रहा था। वो मेरे मुंह के पास आया और बोला, “चूस इसे, अपनी गंदी जीभ से गीला कर, तभी ये तेरी चूत का भोसड़ा बनाएगा।”

उसका उत्तेजित लंड देखकर मेरे पसीने छूट गए। “हाय राम, ये मेरे पति के 5 इंच के खिलौने से तीन गुना मोटा है, मेरी छोटी चूत इसे कैसे झेलेगी?” मैंने सोचा। पर उसने मेरा मुंह अपने लंड पर दबा दिया और बोला, “चूस रंडी, इसे गीला कर, आज ये तेरी चूत को फाड़कर रख देगा।” मैंने उत्तेजना में उसका लंड चूसना शुरू कर दिया। उसका मोटा सुपाड़ा मेरे मुंह में मुश्किल से समा रहा था, पर मैंने अपनी जीभ से उसे चाट-चाटकर गीला कर दिया। तभी दिलीप मेरे चूचों को मसलने लगा और अपना मुंह मेरी चूत पर रखकर चूसने लगा। वो मेरी चूत को जीभ से चोद रहा था। फिर उसने अपना लंबा लंड मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। उसका लंड मंटू जितना मोटा नहीं था, पर मेरी टाइट चूत के लिए वो भी किसी हथियार से कम नहीं था। उसने मेरी चूत को हाथों से फैलाया और पचाक की आवाज के साथ अपना सुपाड़ा अंदर पेल दिया।

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मुझे लगा जैसे मेरी चूत में जन्नत उतर आई हो। दर्द हो रहा था, पर वो मजा मेरी हवस को दुगना कर रहा था। मैं चीखी, “ह्ह्हईईई माँ… मैं मर गई! उई दिलीप, चोदो मुझे, रहम मत करो, पूरा लंड घुसा दो!” मेरी गंदी सिसकारियों से कमरा गूंज उठा। दिलीप ने जड़ तक अपना लंड मेरी चूत में ठूंस दिया, और मैं एक बार में झड़ गई। मेरी चूत का रस टपकने लगा। “आहह… मेरी चूत की मालिश अब पूरी चुदाई में बदल गई थी!”

करीब 15 मिनट तक दिलीप ने मुझे चोदा, और मैं फिर से झड़ गई। वो बोला, “मंटू, अब ये तेरे मोटे लंड के लिए तैयार है। थोड़ा संभालकर करना, इसकी चूत अभी भी तेरे लिए टाइट है।” मंटू मेरे पीछे आया और किसी जंगली बैल की तरह मेरी चूत पर चढ़ गया। उसने अपना मोटा सुपाड़ा मेरी चूत पर टिकाया, पर वो अब भी अंदर नहीं जा रहा था। उसने मेरे चूचों को जोर से पकड़कर खींचा, पूरा वजन मेरी चूत पर डाला, और उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसने की कोशिश करने लगा। मैं चीख पड़ी, “आहह मंटू, मत करो, मेरी चूत फट रही है, मैं नहीं झेल पाऊंगी!” मेरे पैर दर्द से पटकने लगे, पर उसका सुपाड़ा धीरे-धीरे अंदर सरक रहा था। मेरी जान निकल रही थी, मेरा दिमाग सुन्न हो गया, और मैं बेहोश सी हो गई।

अचानक फक्क की आवाज हुई, और उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मेरी आंखों के सामने अंधेरा छा गया, मेरा बदन अकड़ गया, जांघें सख्त हो गईं। मैं दर्द से चीख उठी, और मेरी चूत से खून बहने लगा। दिलीप बोला, “अब चीखना बंद कर रंडी, मजा ले। तेरी चूत का ढक्कन खुल गया है। तेरा पति तो बस अपना वीर्य डालकर मजे लेता था, आज हम तेरी चूत का भोसड़ा बनाएंगे।” मंटू धीरे-धीरे अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत की दीवारें उसके मोटे लंड से चिपक गई थीं। उसने मुझे नीचे से जकड़ लिया, मेरे चूचों को मसलते हुए कमर हिलानी शुरू कर दी। दर्द कम हुआ, और मजा बढ़ने लगा। मैं भी उसका साथ देने लगी, “आहह मंटू, चोदो मुझे, मेरी चूत को फाड़ डालो!”

फिर उसकी स्पीड बढ़ी। करीब 20 मिनट तक उसने मुझे भीषण चुदाई से रगड़ा। हम दोनों के फव्वारे एक साथ छूट पड़े। उत्तेजना में मैंने दिलीप का लंड जकड़ लिया और जोर-जोर से चूसने लगी। उसने मेरे मुंह में अपना गर्म वीर्य छोड़ दिया। उस दिन हमने शाम 5 बजे तक 4 बार चुदाई की। मेरे पति के आने से पहले वो दोनों चले गए। ऐसा लग रहा था जैसे आज मेरी दूसरी सुहागरात मनी हो। मुझे लगता है कि शादी के कुछ साल बाद हर औरत को ऐसी चुदाई भरी सुहागरात नसीब होनी चाहिए, जो उसकी चूत की प्यास को फाड़-फाड़कर शांत कर दे।

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