हाय दोस्तों, मेरा नाम नैनसी है। मेरी उम्र अब 25 साल की है, लेकिन ये कहानी उस वक्त की है जब मैं सिर्फ 19 साल की थी और मेरी शादी को बस 6 महीने ही हुए थे। मेरा बदन 34-26-36 का गदराया हुआ, रसीला और प्यासा है। मेरी चूत हमेशा मोटे, तगड़े लंड की भूखी रहती है, जो उसे रगड़-रगड़ कर ठंडा कर दे। उस वक्त मैं अपनी माँ के घर रहने गई थी, और वहाँ दस दिन बीत चुके थे। लेकिन पिछले दो दिनों से मेरी चूत में ऐसी आग लगी थी कि मैं बेकरार हो रही थी। मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था, हर पल बस चुदाई की तलब उठ रही थी।
एक दोपहर मैं और माँ बालकनी में खड़े होकर बातें कर रहे थे। माँ मुझे अपनी पड़ोसन सोनिया की कहानी सुना रही थी, कि कैसे उसने अपने एक कस्टमर को चूतिया बनाकर उसकी जेब साफ कर दी थी। माँ अपने जमाने की मशहूर चुड़क्कड़ थी। उसका बदन जवानी में ऐसा था कि मर्द उस पर जान छिड़कते थे। मैंने कई बार अपनी आँखों से देखा था कि कैसे वो नए-नए मर्दों के साथ रातें रंगीन करती थी। उनकी चूत मरवाने की भूख को मैंने करीब से महसूस किया था। लेकिन अब माँ की उम्र ढल चुकी थी। उसका गदराया बदन अब थोड़ा थक सा गया था, और वो अब दूसरी लड़कियों की चुदाई का इंतजाम करने लगी थी।
माँ मुझसे बात कर रही थी, लेकिन मेरी नजर उनके कंधे के ऊपर से सामने वाले खाली प्लॉट पर थी। वहाँ एक कुत्ता एक कुतिया को बुरी तरह चोद रहा था। उसकी रफ्तार और ताकत देखकर मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई। कुत्ते का लंड कुतिया की चूत में फंस गया था, और वो दोनों एक-दूसरे में उलझे हुए थे। मेरी उंगलियाँ अनायास ही मेरी चूत की ओर बढ़ गईं और मैं उसे सहलाने लगी। माँ ने पीछे मुड़कर देखा और फिर मेरी तरफ मुस्कुराते हुए बोली, “नैनसी, क्या बात है? चूत चुदवाने का बड़ा मन कर रहा है, है ना?”
पहले माँ मुझसे ऐसी खुली बातें नहीं करती थी, लेकिन अब वो बिंदास हो चुकी थी। मैंने भी बिना हिचक कहा, “हाँ मम्मी, दो दिन से तड़प रही हूँ। अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा।” माँ ने मेरी हालत भांप ली और बोली, “तुझे यहाँ आए भी तो कई दिन हो गए। ऐसा कर, अपने पति को फोन कर और आज रात को बुला ले। ऊपर वाले कमरे में जाकर जी भर के चुदाई कर ले। अपनी चूत की आग ठंडी कर ले।”
मैंने मायूसी भरे लहजे में कहा, “मम्मी, मेरा पति तो बस नाम का मर्द है। वो 10 झटके भी मार ले तो बड़ी बात है। उसमें मेरे इस गदराए बदन को संभालने की हिम्मत ही नहीं। अगर वो मर्द होता तो मैं यहाँ तड़पती नहीं, बल्कि उसके नीचे पड़ी होती, अपनी टाँगें फैलाए, अपनी चूत की आग ठंडी करवाती।” माँ चौंकी और बोली, “क्या कह रही है तू? क्या उसने अब तक तेरी चूत ठंडी नहीं की?” मैंने सफेद झूठ बोला, “मम्मी, शादी को दो साल होने को आए, और मैं अब तक सिर्फ अपनी उंगलियों से चूत में खुजली मिटाती हूँ।”
सच तो ये था कि मैंने इन दो सालों में कई मर्दों के लंड अपनी चूत में ले लिए थे। मैंने माँ से कहा, “मम्मी, तू तो अपने जमाने की सबसे मस्त रंडी थी। मैंने तुझे कई बार चुदते देखा है। जवान लड़के, बूढ़े मर्द, सब तेरी चूत के दीवाने थे। प्लीज, मेरे लिए भी कोई जुगाड़ कर दे। देख, तेरी बेटी कैसे तड़प रही है।” ये कहते हुए मैंने अपने भारी-भरकम बूब्स को सहलाया। माँ ने मेरी हालत देखी और बोली, “ठीक है, परेशान मत हो। मैं कुछ करती हूँ।”
उसने अपना मोबाइल निकाला और किसी को फोन किया। फिर मेरी ओर मुड़कर बोली, “नैनसी, तेरा काम बन गया। आधे घंटे में सूरज यहाँ होगा। आज तू जी भर के अपनी चूत की आग ठंडी कर ले।” मैंने पूछा, “मम्मी, सूरज वही है ना, जो पीछे वाले घर में रहता है? वो काला-कलूटा लड़का?” माँ हँसी और बोली, “हाँ वही, काला हो या गोरा, क्या फर्क पड़ता है? साले का लंड गधे जैसा मोटा और लंबा है। जब वो चोदता है, तो चूत की जान निकाल देता है।”
मैंने कहा, “लेकिन मम्मी, आधा घंटा मैं अब क्या करूँ?” मेरे दिमाग में सूरज और माँ की चुदाई की पुरानी यादें घूमने लगीं। मैंने देखा था कि कैसे सूरज ने माँ की चूत को रगड़-रगड़ कर फाड़ा था। उन यादों ने मेरी चूत में और आग लगा दी। तभी माँ मेरे पास आई और उसने अपना एक हाथ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत पर रख दिया। दूसरे हाथ से मेरा एक बूब्स पकड़कर मसलते हुए बोली, “कोई बात नहीं, तब तक मैं तेरी खुजली मिटा देती हूँ।”
उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मुझे नंगी देखकर माँ की आँखें चमक उठीं। वो बोली, “लौंडी, क्या मस्त बदन है तेरा! ऐसा सेक्सी फिगर! अब तक तूने अपनी जवानी बर्बाद की। अगर तू मुझे पहले बताती, तो मैं तुझे शहर की सबसे मशहूर रंडी बना देती। हर दिन नया लंड, और ढेर सारी कमाई।” ये कहते हुए उसने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को देखकर बोली, “नैनसी, तेरी चूत तो कुंवारी लड़की जैसी टाइट है। लगता है, तुझे कभी ढंग से चोदा ही नहीं गया।”
माँ ने मुझे सोफे पर बिठाया और मेरी टाँगों के बीच बैठ गई। वो बोली, “साली, अब तू मेरे जिम्मे है। आज से मैं तुझे जवानी के मजे और पैसे कमाने का रास्ता सिखाऊँगी। वो मोटी चूत वाली सोनिया अपने अजीब से बदन से इतना कमा रही है, और तू तो मस्त माल है।” इतना कहकर उसने मेरी चूत पर मुँह रख दिया और चाटने लगी। मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई, “आह्ह्ह… उई माँ… मर गई… उउउम्म्म!”
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माँ मेरी चूत को ऐसे चाट रही थी जैसे कोई भूखा शेर मांस नोचता है। वो मेरी चूत का दाना मसल रही थी, और मैं सातवें आसमान पर थी। उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल दी और मुझे चोदने लगी। उसकी दो उंगलियाँ भी मेरी चूत में घुस गईं। मैंने माँ का सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबाया और अपनी गांड उछाल-उछाल कर चूत चटवाने लगी। मैं चिल्ला रही थी, “उई माँ… खा जा मेरी चूत… बड़ा मजा आ रहा है… आह्ह… और जोर से चाट!” करीब 10 मिनट तक माँ मेरी चूत चाटती रही। मैं अपने बूब्स के निप्पल मसल रही थी, लेकिन माँ दो बार झड़ चुकी थी।
मेरी चूत की आग अब और भड़क गई थी। मैं और ज्यादा लंड के लिए तड़पने लगी थी। तभी डोरबेल बजी। माँ दरवाजा खोलने चली गई, और मैं नंगी ही सोफे पर पड़ी रही। एक हाथ से मैं अपने बूब्स सहला रही थी, और दूसरी उंगली मेरी चूत में थी। तभी माँ अंदर आई, और उसके पीछे सूरज था। वो एक 6 फुट लंबा, हट्टा-कट्टा, काला सा सांड जैसा मर्द था। उसकी उम्र 30-32 साल रही होगी। मैं उसे देखकर चौंक गई और उठने लगी, लेकिन माँ ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा, “ऐसे ही पड़ी रह, ये तो अपना ही आदमी है।”
सूरज मेरे पास आया और मेरे बगल में बैठ गया। उसने मेरा एक बूब्स पकड़कर मसलते हुए माँ से कहा, “ज्योति, ये तो तेरी बेटी नैनसी है ना? वाह, क्या मस्त जवान हो गई है! क्या गदराया बदन है साली का! जब मैं तुझे चोदता था, ये तो छोटी सी थी, और अब देख, क्या मस्त माल बन गई है।” वो मेरे बूब्स को बुरी तरह मसल रहा था। उसके मर्दाना हाथों का स्पर्श मेरी चूत की आग को और भड़का रहा था। तभी उसने अपने मोटे, काले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूसने लगा। मैं उसके ताकतवर शरीर पर हाथ फेर रही थी।
सूरज ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, और मैं उसकी जीभ चूसने लगी। तभी माँ ने उसकी पैंट खोल दी और उसका अंडरवियर नीचे सरका दिया। मैं उसकी पैंट की ओर देख रही थी, और जब माँ ने उसका लंड बाहर निकाला, मेरी साँस रुक गई। उसका लंड बिल्कुल काला, 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था। मैंने उसे धक्का देकर पीछे हटाया और उसके सामने बैठ गई। उसका लंड मेरे मुँह के सामने था। मैं उसे मुँह में लेने ही वाली थी कि सूरज ने मुझे रोका और माँ से बोला, “ज्योति, साली रांड को समझाया नहीं? सीधे लंड मुँह में डाल रही है!”
माँ मेरे पास आई और बोली, “नैनसी, ऐसे नहीं। इसका लंड मुँह में लेना इसे पसंद नहीं। तू बस मुँह खोलकर इसके सामने बैठ जा, ये खुद तेरा मुँह चोदेगा।” मैंने वैसा ही किया। सूरज ने अपने लंड का सुपाड़ा मेरे मुँह में डाला और निकाल लिया। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके लंड को चूसने की कोशिश की। दो-तीन बार उसने ऐसा किया, और मैं हर बार उसका लंड चाटने की कोशिश करती। सूरज ने माँ से कहा, “ज्योति, देख तेरी रांड बेटी कैसे मेरे लंड के लिए तड़प रही है।” मैंने माँ की ओर देखा, और माँ ने सूरज से कहा, “सूरज, अब इसे और मत तड़पा। ये बेचारी कब से तेरे लंड के लिए मरी जा रही है।”
सूरज ने अपना लंड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया, और मैं उसे चूसने लगी। उसका मोटा, काला लंड मेरे मुँह में पूरा नहीं समा रहा था। करीब 5 मिनट तक मैंने उसका लंड चूसा, और जब वो और सख्त हो गया, उसने मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह चोदना शुरू कर दिया। 10 मिनट तक वो मेरे मुँह को चोदता रहा। फिर उसने मुझे सोफे पर बिठाया और खुद मेरे सामने बैठ गया। वो अब पूरी तरह नंगा था। उसका ताकतवर शरीर देखकर मेरी चूत और गीली हो गई।
सूरज ने फिर मेरे होंठ चूसने शुरू किए। इस बार मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली, और वो मेरी जीभ चूसने लगा। फिर उसने मेरी गर्दन पकड़कर मेरे एक बूब्स को चूम लिया। मैं तड़प उठी और बोली, “मेरे राजा, देख मेरे ये बड़े-बड़े बूब्स। चूस ले इन्हें!” मैंने अपना एक बूब्स उसके मुँह से लगा दिया। वो एक बूब्स को मसलने लगा और दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरे निप्पल को वो दाँतों से काट रहा था, और मैं सिसकारियाँ भर रही थी, “आह्ह… सूरज… और जोर से चूस!” माँ मेरी चूत का दाना मसल रही थी, जिससे मेरी आग और भड़क रही थी।
5 मिनट तक सूरज मेरे बूब्स चूसता रहा। मेरे बूब्स पर लाल-नीले निशान पड़ गए थे। अब मेरी चूत को लंड चाहिए था, लेकिन सूरज मुझे और तड़पाना चाहता था। उसने अपना मुँह मेरी चूत पर रखा और बोला, “नैनसी, तेरी माँ सही कह रही थी। तेरी चूत मखमल जैसी है। लगता है, तेरा पति तुझे ढंग से चोदता ही नहीं।” मैंने कहा, “हाँ सूरज, अगर वो मुझे चोदने लायक होता, तो मैं यहाँ तेरे सामने नंगी पड़ी चूत मरवाने को तड़पती नहीं।”
सूरज ने मेरी चूत के होंठ फैलाए और चूसने लगा। मैंने उसका सिर अपनी जाँघों के बीच दबाया और अपनी गांड उछाल-उछाल कर चूत चटवाने लगी। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… सूरज, चाट मेरी चूत… इसका दाना चूस… फाड़ दे मेरी चूत को!” वो मेरे चूतड़ दबा-दबाकर चूत चाट रहा था। तभी मेरी चूत से रस की धार फूट पड़ी। मैं झड़ गई थी। सूरज ने एक मिनट तक मेरी चूत चूसी, और जब वो हटा, तो मेरे चेहरे पर संतुष्टि की चमक थी।
लेकिन सूरज अब पूरे मूड में था। उसने मेरी टाँगें हवा में फैलाईं और अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। मैंने अपनी चूत के होंठ फैलाए, और वो लंड को चूत पर रगड़ने लगा। मेरी चूत में फिर आग भड़क उठी। मैं अपनी गांड उछाल रही थी, लेकिन वो हर बार लंड हटा लेता। मैं चिल्लाई, “सूरज, डाल दे ना अपना लंड! क्यों तड़पा रहा है? आज पहली बार मेरी चूत को मर्द का लंड मिला है!” इस बार उसने मेरे चूतड़ पकड़े और एक धीमा झटका मारा। उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया। मेरी जान निकल गई। ऐसा लगा जैसे मेरी चूत फट गई। मैं चिल्लाई, “उई माँ… मर गई… मेरी चूत फाड़ दी!”
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सूरज ने मुझे दबोच रखा था। उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए और एक जोरदार झटके में पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया। मैं दर्द से छटपटा रही थी, लेकिन वो बिना रुके मेरी चूत चोदने लगा। दो-तीन मिनट बाद मैं शांत हुई, और अब मजा आने लगा। मैंने कहा, “सूरज, चोद मेरी चूत… फाड़ दे इसे… आज पहली बार मुझे औरत होने का एहसास हो रहा है!” उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और मेरे बूब्स मसलते हुए जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी चूत की जड़ तक जा रहा था। मेरे चूतड़ फैल रहे थे, और मैं जन्नत में थी।
मैं चिल्ला रही थी, “सूरज, चोद ले अपनी नैनसी को… मैं तेरी रंडी बन गई हूँ… जब चाहे, जहाँ चाहे, अपनी चूत में तेरा लंड लूँगी!” वो 15 मिनट से मुझे चोद रहा था। तभी वो बोला, “नैनसी, मैं झड़ने वाला हूँ।” मैं भी झड़ने के करीब थी। मैंने कहा, “बस चार-पाँच धक्के और मार!” उसने जोर-जोर से धक्के मारे, और मैं झड़ गई। सूरज ने मेरे होंठ चूसते हुए अपनी चूत में सारा वीर्य गिरा दिया। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में गिरते ही मुझे औरत होने का पूरा सुख मिल गया।
अब जब भी मुझे चुदाई की तलब होती है, मैं माँ के घर आती हूँ, और सूरज मुझे जी भर के चोदता है। माँ की वजह से मुझे हर बार नए-नए लंड मिले, और मैंने अपनी जवानी का पूरा मजा लिया।
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