माँ की चुदाई छुपकर देखा

सुहासिनी उत्तर प्रदेश की रहने वाली 39 वर्षीय महिला थी। उसकी खूबसूरती का हर कोई दीवाना था। उसकी गदराई हुई काया, गोरा रंग, और आकर्षक व्यक्तित्व ने उसे अनोखा बना दिया था। गर्मियों की छुट्टियों में वह हमेशा अपने बेटे अंकुर और परिवार के साथ गाँव आती थी। इस बार भी, वे एक महीने के लिए गाँव पहुँचे थे।

अंकुर, जो अब 18 साल का हो चुका था, अपनी माँ को एक आदर्श महिला मानता था। लेकिन इस बार, छुट्टियों के दौरान एक घटना ने उसकी माँ की छवि को पूरी तरह से बदल दिया।

रात में, सब लोग छत पर सो रहे थे। सुहासिनी दोनों बेटों के बीच लेटी हुई थी। दायीं ओर उसका भतीजा सोनू सो रहा था, और बायीं ओर उसका बेटा अंकुर।

रात के बीच में, अंकुर की नींद खुल गई। उसे पेशाब करने की जरूरत महसूस हुई। जैसे ही वह उठा, उसे कुछ आवाजें सुनाई दीं। वह आवाज़ पहचानने की कोशिश करने लगा।

सोनू की फुसफुसाहट सुनाई दी, “चाची, बूब्स तो दबाने दो प्लीज़!”

सुहासिनी ने हल्की आवाज़ में कहा, “अभी कोई उठ गया तो गड़बड़ हो जाएगी।”

सोनू ने जिद्द की, “नहीं, मैं तो करूँगा।”

अंकुर ने यह सब सुना और हैरान रह गया। वह चुपचाप लेटा रहा और देखने की कोशिश करने लगा। हालाँकि, अंधेरे और उनकी पोज़िशन के कारण वह ज्यादा कुछ नहीं देख सका।

थोड़ी देर बाद, सुहासिनी ने कहा, “अभी हम बेकाबू हो जाएंगे। इससे अच्छा है कि यह सब कल करेंगे।”

यह कहकर वह दोनों सो गए। अंकुर इस बात से परेशान था कि उसकी माँ सोनू के साथ इस तरह का व्यवहार कर रही थी।

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अगले दिन सब कुछ सामान्य लग रहा था। सुहासिनी और सोनू ने रात की बात का जिक्र नहीं किया। लेकिन अंकुर यह सोचकर बेचैन था कि आगे क्या होने वाला है।

दोपहर में, जब घर के बाकी लोग आराम कर रहे थे, सुहासिनी और सोनू एक साथ छत की ओर गए। अंकुर ने सोचा कि कुछ तो गड़बड़ है। वह चुपचाप उनका पीछा करने लगा।

अंकुर चुपचाप छत के पास गया और झाँकने लगा। उसने देखा कि सुहासिनी और सोनू ताऊ जी के कमरे में गए थे। अंकुर ने पहले ही वहाँ झाँकने का इंतज़ाम कर लिया था। जैसे ही उसने अंदर देखा, वह दंग रह गया।

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सोनू की पैंट उतरी हुई थी, और उसका 8 इंच का लंड खड़ा हुआ था। सुहासिनी ने अपनी साड़ी उतार दी थी और अब वह सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी।

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सोनू ने हँसते हुए कहा, “आह चाची, कितना मस्त लग रही हो ऐसे।”

सुहासिनी मुस्कुराई और जवाब दिया, “अच्छा, तो क्या मैं अपने कपड़े खोलूँ?”

सोनू ने कहा, “कपड़े तो मैं फाड़ूँगा आज!”

सुहासिनी ने छेड़ते हुए कहा, “जो करना है कर लो, मैं तो यहीं हूँ।”

यह कहकर वह बिस्तर पर बैठ गई और अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं। सोनू ने पेटीकोट घुटने तक खिसका दिया और उसके पैरों को चाटने लगा। सुहासिनी ने गहरी साँसें लेते हुए कहा, “आह्ह्ह… और नीचे जाओ।”

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सोनू की जीभ सुहासिनी के बदन पर दौड़ रही थी। उसकी जीभ सुहासिनी की चूत तक पहुँच गई। उसने चाटते हुए कहा, “वाह चाची, आपकी चूत हमेशा चिकनी रहती है। मज़ा आ गया चाट के!”

सुहासिनी ने उत्तेजित होकर कहा, “पहले चाट तो सही, मादरचोद!”

सोनू ने अपनी जीभ सुहासिनी की चूत के अंदर घुसा दी। सुहासिनी सेक्सी आवाज़ें निकाल रही थी।
“और अंदर… घुस जा मेरी चूत में… सारा पानी निकाल दे आज!”

सोनू ने चिढ़ाते हुए कहा, “रुक ना रंडी, अभी जब मैं चूत मारूँगा तब सारी कसर निकल जाएगी।”

बाहर खड़ा अंकुर यह सब देख और सुन रहा था। उसका लंड खड़ा हो गया, और उसने मुठ मारनी शुरू कर दी। अंदर सोनू ने सुहासिनी की चूत को चाटते हुए उसका रस पी लिया।

अब बारी सुहासिनी की थी। उसने सोनू को बिस्तर पर लिटाया और उसका लंड अपने हाथ में लिया।
“पिछली बार से बड़ा हो गया है तेरा!” सुहासिनी ने कहा।

सोनू ने हँसते हुए कहा, “अभी और बड़ा होगा, जब तेरी चुदाई चालू होगी!”

सुहासिनी ने धीरे-धीरे सोनू के लंड को सहलाना शुरू किया। फिर उसने अपने गुलाबी होंठ सोनू के लंड के सुपारे पर लगा दिए। उसके मुँह से गुलप-गुलप की आवाज़ें आने लगीं।

सोनू ने कहा, “चाची, और अंदर लो। पूरा मुँह भर लो।”

सुहासिनी ने सोनू के लंड को पूरी तरह से मुँह में ले लिया और चूसने लगी। सोनू ने उसके बालों को पकड़ा और उसके मुँह को अपनी तरफ खींचा। इससे लंड उसके गले तक पहुँच गया। सुहासिनी की आँखों से आँसू निकलने लगे।

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सोनू ने सुहासिनी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पैर अपने कंधों पर रख लिए। सुहासिनी की चूत गुलाबी और एकदम साफ़ थी। सोनू ने अपना लंड सुहासिनी की चूत पर रगड़ते हुए कहा, “अब और मत तड़पा। मैं मरा जा रहा हूँ तुझे चोदने के लिए।”

सुहासिनी ने उत्तेजित होकर कहा, “तो डाल दे, मैं भी मरी जा रही हूँ तेरा लंड लेने को!”

सोनू ने एक झटके में अपना लंड सुहासिनी की चूत में डाल दिया। सुहासिनी दर्द से चिल्ला उठी, “उम्म्म्ह… अहहह… हाय! धीरे कर हरामी!”

सोनू ने थोड़ा रुककर सुहासिनी को चूमना शुरू कर दिया। उसने उसकी चूचियों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। इससे सुहासिनी को आराम मिला।

“अब तो मैं रोज़ तेरी चूत मारूँगा और उसे ढीला कर दूँगा,” सोनू ने कहा।

सोनू ने एक और धक्का मारा, जिससे उसका पूरा लंड सुहासिनी की चूत में घुस गया। सुहासिनी दर्द से चीख उठी और ऊपर उठ गई।
“आह्ह… उम्म्म… हाय… अब तो मजा आ रहा है,” उसने धीरे से कहा।

सोनू ने अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी। शुरुआत के 10 धक्कों तक सुहासिनी दर्द में थी, लेकिन धीरे-धीरे उसने आनंद लेना शुरू कर दिया।
“हाँ… और तेज़ सोनू! चोद मुझे, ज़ोर से चोद!” सुहासिनी ने अपनी आवाज़ को और कामुक बना लिया।

सोनू ने चिढ़ाते हुए कहा, “हिंदी में बोल, रंडी!”

“तेरे चाचा का लंड तो 5 इंच का है और दो मिनट में ही ढेर हो जाता है। तू असली मर्द है, मेरी चूत को भर दे!” सुहासिनी ने उत्तेजना में कहा।

सुहासिनी अपनी एक हाथ से अपनी चूचियों को दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी। सोनू पूरी ताकत से धक्के लगा रहा था। पूरे कमरे में पचपच की आवाज़ गूँज रही थी।

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सोनू ने अचानक पोज़िशन बदल दी और सुहासिनी को घोड़ी बना दिया। सुहासिनी ने झट से इस मुद्रा को अपना लिया।
सोनू ने अपना लंड बाहर निकाला, जो चमचमा रहा था। उसने कहा, “जान, ये रस तो पी लो!”

सुहासिनी ने मुस्कुराते हुए उसका लंड अपने मुँह में लिया और उसे चाटकर साफ़ करने लगी।
सोनू ने कहा, “अब मैं तुम्हारे मुँह को चोदूँगा। मज़ा आएगा!”

सुहासिनी ने सहमति में सिर हिलाया। सोनू ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।
“आह… और तेज़ करो… ये सही है!” सुहासिनी ने कहा।

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सोनू ने चिढ़ाते हुए कहा, “अब तुम्हें और मस्त करूँगा।”

सोनू ने सुहासिनी को पलटकर उसकी चूत पर अपना लंड सेट किया। एक झटके में उसने अपना लंड पूरी तरह से अंदर घुसा दिया।
“अहह सोनू… इस आसन को मैंने सिर्फ मूवीज में देखा है। असली मज़ा आज आ रहा है!” सुहासिनी ने खुशी से कहा।

सोनू ने उसकी कमर को पकड़कर जोरदार धक्के मारने शुरू कर दिए।
“और तेज़, मुझे रगड़ दो, निचोड़ दो मेरा बदन आज!” सुहासिनी ने चिल्लाते हुए कहा।

सोनू ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। वह करीब 10 मिनट तक लगातार तेज़ी से धक्के मारता रहा। सुहासिनी का शरीर खुशी से कांपने लगा।

“अब मैं झड़ने वाला हूँ,” सोनू ने कहा।

“मेरी चूत में झड़ जाओ! पूरा अंदर डाल दो,” सुहासिनी ने उत्साह से कहा।

सोनू ने एक जोर का धक्का दिया और सारा लंड अंदर डालकर झड़ गया। सुहासिनी भी उसके साथ झड़ गई। दोनों ने एक-दूसरे को पकड़कर जोर से चूम लिया।

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कुछ देर तक दोनों ऐसे ही लेटे रहे। फिर सोनू ने सुहासिनी को गोद में उठाया और उसकी गर्दन पर चूमने लगा।
“आज तक की सबसे अच्छी चुदाई थी,” सोनू ने कहा।

सुहासिनी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “हाँ, तुमने मुझे आज स्वर्ग की सैर करा दी।”

सोनू ने याद दिलाया, “तुमने मुझसे वादा किया था कि जो मैं मांगूँगा, तुम दोगी।”
“हाँ, जो तुम कहोगे, मैं करूँगी,” सुहासिनी ने कहा।

सोनू ने कहा, “फिर तुम्हें मेरे साथ बर्थडे पार्टी में चलना होगा।”
“इतनी सी बात? इसमें क्या है? चल दूँगी,” सुहासिनी ने हँसते हुए कहा।

इसके बाद, दोनों ने एक आखिरी बार एक-दूसरे को चूमा और अलग हो गए। अंकुर, जो यह सब देख और सुन रहा था, अब वहां से चुपचाप चला गया।

 

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